पटना कोतवाली के अंतर्गत आने वाले एक बड़े बैंक के बाहर 5-6 लड़के इस तरह खड़े थे, मानो किसी का इंतजार कर रहे हों. कुछ देर तक वे आपस में बातें करते रहे. करीब 10 मिनट बाद उन में से 2 लड़के बैंक में दाखिल हो गए तो बाहर खड़े उन के बाकी साथी मेन गेट के पास ही इधरउधर फैल गए. सभी बारबार अपनी घडि़यां देख रहे थे और अपने साथियों से इशारों में कुछ बातें कर रहे थे. कुछ ही देर में एक अधेड़ व्यक्ति बैग लिए बैंक से बाहर निकला तो बैंक में दाखिल हुए दोनों लड़के भी उस के पीछेपीछे बाहर आ गए. बाहर खड़े उन के साथियों में से एक लड़का उस अधेड़ के पास आया और कोई पता पूछने लगा. अधेड़ उसे पता बताने लगा, तभी उन लड़कों में से एक लड़के ने उस के शरीर पर कोई पाउडर छिड़क दिया. वह अधेड़ पता बताने में मशगूल था, इसलिए उस की कुछ समझ में नहीं आया.

एकदम से उस के शरीर में तेज खुजली होने लगी, जिस से वह बैग जमीन पर रख कर पीठ, गर्दन आदि पर खुजली करने लगा.

उसी बीच उन लड़कों ने अधेड़ को चारों ओर से घेर लिया और उस की जेब से मोबाइल फोन, पर्स, अंगुली से सोने की अंगूठी निकाल ली और जमीन पर रखा बैग ले कर वहीं खड़ी गाड़ी में बैठ कर भाग निकले. अधेड़ चिल्लाया तो लोग उस के पास जमा हो गए.

उस ने सभी को आपबीती बताई तो किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. उस अधेड़ को लूटने वाले लड़कों ने लूट के बाद पटना ही नहीं, बिहार ही छोड़ दिया था. वे दूसरे राज्य में जा कर छिप गए थे. पटना समेत बिहार के अन्य जिलों में पुलिस उन्हें ढूंढ़ती रही, पर किसी का कुछ पता नहीं चला.

पुलिस ने उन की खोज में जहांतहां छापा मारा, उन के पकड़े जाने की कौन कहे, कोई सुराग तक हाथ नहीं लगा.

यह एक खुजली गैंग था, जो इसी तरह लोगों को लूटता था. लूट कर वे बिहार छोड़ कर किसी अन्य राज्य में जा कर छिप जाते थे और पुलिस उन्हें ढूंढती रह जाती थी. महीने, 2 महीने में मामला शांत हो जाता और पुलिस थकहार कर बैठ जाती तो वे लड़के बिहार लौट आते और नए शिकार की तलाश में लग जाते. वे जिस तरह वारदात कर रहे थे, इस से लोग इसे खुजली गैंग कहने लगे थे.

खुजली गैंग के ये लड़के किसी को अपना शिकार बनाने से पहले अच्छी तरह से रेकी करते थे. ये बैंक से रकम या गहने ले कर निकलने वालों को अपना निशाना बनाते थे. गैंग के 2 सदस्य बैंक के अंदर जाते थे तो बाकी लोग बैंक के बाहर इधरउधर फैल जाते थे.

अंदर जाने वाले युवकों की नजरें कैश काउंटर पर जमी रहती थीं. लोगों को शक न हो, इसलिए वे भी कोई पर्ची या विदड्राल ले कर भरते रहते थे. जब वे देखते थे कि कोई मोटी रकम निकाल रहा है तो वे उस के पीछे लग जाते थे.

इसी के साथ वे अपने मोबाइल फोन से बाहर खड़े गैंग के अन्य सदस्य के मोबाइल फोन पर मिस्डकाल कर के शिकार के बाहर आने की जानकारी दे देते थे. मिस्डकाल आते ही बाहर खड़े सदस्य खुजली पाउडर ले कर तैयार हो जाते थे.

शिकार अपनी मोटरसाइकिल या कार के पास पहुंचता था, उन में से एक सदस्य उस के पास जा कर कोई पता पूछता था. वह आदमी पता बताने लगता, तभी गैंग का कोई सदस्य उस के शरीर पर खुजली पाउडर छिड़क देता. आदमी खुजली करते हुए परेशान होने लगता तो गैंग के सभी सदस्य उसे घेर लेते और उसे लूट कर अपनी गाड़ी से भाग खड़े होते.

पटना पुलिस को मुखबिरों से सूचना मिली कि शास्त्रीनगर के एक मकान में कुछ लड़के रह रहे हैं, जिन की गतिविधियां संदिग्ध लग रही हैं. एसएसपी मनु महाराज के निर्देश पर पुलिस ने छापा मार कर उन्हें पकड़ा तो पता चला कि वे सभी लड़के खुजली गैंग के सदस्य थे. इन्हें कोढ़ा गिरोह भी कहा जाता था.

इस गिरोह ने पटना कोतवाली, शास्त्रीनगर, राजवंशीनगर, पटेलनगर, बेली रोड, बोरिंग रोड, राजाबाजार, दानापुर आदि इलाके में आतंक मचा रखा था.

पटना के थाना शास्त्रीनगर पुलिस ने कोढ़ा गैंग के सरगना अमर कुमार समेत 7 लोगों को लूट की योजना बनाते हुए राजाबाजार की चौधरी गली से पकड़ा था. पूछताछ में पता चला कि अमर कुमार और उस के साथी विशाल कुमार, सिकंदर यादव, कबीर, आयुष, मिथलेश कुमार बिहार के जिला कटिहार के रहने वाले थे.

मुन्ना ग्वाला पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी का रहने वाला था. पुलिस ने गैग के पास से 2 पिस्तौलें, 4 जिंदा कारतूस, लूटी हुई 2 मोटरसाइकिलें, 7 मोबाइल फोन, 2 चाकू, मास्टर चाबी, ताला तोड़ने का सामान और खुजली पाउडर जब्त किया था.

गैंग के सरगना अमर कुमार ने पुलिस को बताया कि वह पटना से लूटी गई मोटरसाइकिल को नंबर बदल कर मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में बेच दिया करता था. पटना के एसएसपी मनु महाराज के अनुसार, खुजली उर्फ कोढ़ा गैंग के सदस्यों की तलाश काफी दिनों से चल रही थी. इस गैंग के सभी सदस्य नएनए अपराधी बने थे, जिस से पुलिस रिकौर्ड में इन का नाम नहीं था, इसलिए पुलिस को इन्हें पकड़ने में परेशानी हो रही थी.

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