शहर से दूर एक छोटे कस्बे को जाने वाली एकलौती टे्रन आधी दूरी तय करने के बाद पिछले 2 घंटे से इंजन में खराबी की वजह से रुकी हुई थी. खून जमा देने वाली सर्दी पड़ रही थी. टे्रन के डिब्बे में मौजूद एकमात्र यात्री को बंद खिड़की के शीशे से नाक टिकाए नीचे बेचैनी से टहलते कुछ यात्रियों को देखते देख रश्मि ने मन ही मन सोचा कि अमित भी घर में इसी तरह बेचैनी से टहलते हुए उस का इंतजार कर रहा होगा.

इंसपेक्टर अमित रश्मि का पति था. दोनों का विवाह 5 साल पहले हुआ था. शादी के 3 साल बाद मीना का जन्म हुआ था, जो अब 2 साल की थी और कंबल में लिपटी इस वक्त रश्मि की गोद में बड़े आराम से सो रही थी. एक महीने शहर में अपनी मां के पास रहने के बाद रश्मि आज दोपहर ही कस्बे के लिए रवाना हुई थी. उस ने फोन से अपने आने की सूचना अमित को दे दी थी.

रश्मि का खयाल था कि वह सूरज डूबने से पहले घर पहुंच जाएगी और शाम की चाय अमित के साथ पिएगी. लेकिन टे्रन के इंजन में आई खराबी की वजह से रास्ते में ही शाम हो गई थी. अब कड़ाके की इस ठंड में इंजन के ठीक होने या फिर शहर से दूसरा इंजन आने का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था.

रश्मि को मालूम था कि अमित उस से और अपनी बेटी मीना से जुनून की हद तक प्यार करता है. यह उस की मोहब्बत ही थी कि रश्मि उस की बीवी बन गई. बावजूद इस के कि स्वयं उस ने अमित से मोहब्बत नहीं की थी. अमित ने उसे एक होली मिलन समारोह में देखा था और उस की मां से मिल कर उसे अपनी पत्नी बनाने का प्रस्ताव रख दिया था. मम्मी ने न जाने अमित में ऐसा क्या देखा था कि उन्होंने उस से पूछना भी जरूरी नहीं समझा और हां कर दी. रश्मि ने भी अपनी इच्छाओं के विपरीत मम्मी की हां को अपनी पसंद बना लिया, क्योंकि वह मम्मी को हमेशा खुश देखना चाहती थी.

अमित की पत्नी बनने से पहले रश्मि के दिमाग में पल भर के लिए मोहित का विचार आया था. साधारण घर का मोहित भले ही एक छोटे से जनरल स्टोर पर सेल्समैन की नौकरी करता था, लेकिन उस के कदमों में सारे संसार की खुशियां डाल देना चाहता था. रश्मि भले ही मोहित से प्रेम करती थी, लेकिन मां की वजह से उस ने मोहित का मोह छोड़ दिया था. यहां तक कि उसे अपने विवाह की खबर तक भी नहीं दी थी.

शादी के बहुत दिनों बाद तक रश्मि को अमित के चेहरे में मोहित नजर आता रहा. लेकिन फिर समय के साथ धीरेधीरे अमित जैसे उस का वजूद बन गया. अब उस के सामने मोहित की नहीं बल्कि टूट कर प्यार करने वाले पति की तसवीर थी.

रश्मि ने अमित को दिल से कुबूल करना शुरू कर दिया था. और फिर उस की जिंदगी में बसंत के आगमन की तरह मीना का प्रवेश हुआ तो जैसे सब कुछ ही बदल गया. कस्बे में मौजूद एक मकान उन का घर बन गया और उस घर के आंगन में अमित, रश्मि और मीना के प्यार का गुलशन खिल गया.

शहर से कस्बे में जाने की वजह इंसपेक्टर अमित का तबादला था. कस्बे में उस का तबादला वहां बढ़ते हुए अपराधों और इंसपेक्टर अमित के अच्छे रिकौर्ड की वजह से हुआ था. रश्मि ने पिछला जो एक महीना शहर में अपनी मां के पास गुजारा था, काफी हद तक उस की वजह भी कस्बे में होने वाली आपराधिक गतिविधियां और इंसपेक्टर अमित की बढ़ी हुई जिम्मेदारी थी.

रश्मि हर हालत में अमित के साथ रहने की इच्छुक थी, लेकिन उस के मजबूर करने पर उसे शहर में मां के पास रहना पड़ा था. अब भी अमित ने उसे तब आने की इजाजत दी थी, जब उस ने आने के लिए फोन पर फोन किए.

गाड़ी अभी भी अपनी जगह जमी खड़ी थी. अचानक मीना नींद से जाग कर रोने लगी. तमाम कोशिशों के बावजूद वह रोए जा रही थी. रश्मि की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. दरअसल वह दूरी को ध्यान में रख कर मीना के लिए जो दूध लाई थी, वह खत्म हो चुका था. उसे क्या पता था कि गाड़ी खराब हो कर 2 घंटे तक रास्ते में खड़ी रहेगी.

मीना को चुप कराने की कोशिश करते हुए रश्मि ने बेचैनी से ट्रेन के खाली डिब्बे में नजर दौड़ाई. पूरे डिब्बे में या तो खाली सीटें नजर आ रही थीं या फिर बंद खिड़कियों के शीशों के पार गर्म कपड़ों में लिपटे बेचैनी से टहलते कुछ यात्री.

मीना को चुप कराने की सारी कोशिशों में नाकाम होने के बाद रश्मि ने कुछ सोच कर उसे अच्छी तरह कंबल में लपेटते हुए खिड़की का शीशा उठा दिया. इस के साथ ही डिब्बे में सर्दी की एक लहर दाखिल हुई. रश्मि ने दूर खड़े एक आदमी को बुलाने के लिए हाथ से इशारा किया.

वह आदमी काफी देर तक रश्मि के इशारे का मतलब नहीं समझ पाया और अपनी जगह खड़ा रहा. फिर ओवर कोट का कालर ठीक कर के दोनों हाथों को आपस में रगड़ते हुए छोटेछोटे कदमों से रश्मि की ओर बढ़ा. वह पास आया तो अचानक ठंडे वातावरण में गरमी आ गई. वह मोहित था. उसे देख रश्मि जहां हक्कीबक्की सी रह गई थी, वहीं मोहित की हालत भी किसी गूंगे जैसी हो गई.

जब शहर से आया हुआ दूसरा इंजन टे्रन को ले कर रवाना हुआ तो रश्मि के डिब्बे में बिलकुल खामोशी छाई थी. इस खामोशी में चार आंखें लगातार एकदूसरे को घूरे जा रही थीं. ये आंखें थीं रश्मि और मोहित की. दूध पीने के बाद मीना सो गई थी. उस के लिए दूध का इंतजाम मोहित ने किया था. वह टे्रन के दूसरे डिब्बे से मीना के लिए केवल दूध ही नहीं, बल्कि रश्मि के लिए भी खानेपीने की कुछ चीजें ले आया था.

‘‘रश्मि कैसी हो तुम?’’ मोहित ने पूछा तो रश्मि ने जवाब में उसे पिछले 5 सालों की पूरी कहानी सुना दी. उस की कहानी सुनते वक्त मोहित सिर झुकाए बैठा रहा.

रश्मि खामोश हुई तो मोहित ने उदास और भीगी आंखें उठाते हुए कहा, ‘‘मैं ने बहुत इंतजार किया, बहुत तलाश किया. लेकिन तुम ने कभी अपने घर का पता बताने की जरूरत ही नहीं समझी. ऐसे में मैं कितने घरों के दरवाजे खटखटाता? मैं ने तो बस तुम्हारे इंतजार को ही अपनी जिंदगी बना लिया.’’

मोहित थोड़ी देर चुप बैठा कुछ सोचता रहा. फिर अचानक उस ने रश्मि से पूछा, ‘‘अमित कैसा पति है? क्या वह तुम से उतना ही प्रेम करता है, जितना मैं ने किया था?’’

‘‘अमित बहुत अच्छा और प्यारा इंसान है, एक आइडियल पति. शायद वह मुझे तुम से भी ज्यादा मोहब्बत करता है. इसीलिए मैं तुम्हें भूलने में कामयाब रही.’’ रश्मि ने मोहित से नजरें चुराते हुए जवाब दिया तो दोनों के बीच एक बार फिर पूरी तरह खामोशी छा गई. ऐसा लगा जैसे दोनों बात करना भूल गए हों.

‘‘मोहित, तुम ने शादी कर ली?’’ काफी देर बाद रश्मि ने मीना के माथे को चूमते हुए सवाल किया.

‘‘नहीं, मैं शादी तो तब करता जब मुझे वह लड़की मिलती जो मेरे दिलोदिमाग में बसी थी, जिस से मुझे मोहब्बत थी. आज तक उसी लड़की को तलाश कर रहा था. उस की निशानी के तौर पर मेरे पास एक फोटो के अलावा कुछ नहीं था. मोहित ने सिर झुकाएझुकाए टूटे शब्दों में अपनी बात खत्म की और जेब से पर्स निकाल कर रश्मि के सामने खोल दिया.

पर्स के अंदर दाईं ओर लगे प्लास्टिक कवर के नीचे रश्मि की 5 साल पुरानी मुसकराती हुई फोटो लगी थी. उस की यह फोटो मोहित ने एक पार्क में खींची थी. तब जब रश्मि उस से मोहब्बत करती थी. लेकिन अब रश्मि उस वक्त की रश्मि चौहान नहीं, बल्कि अमित की पत्नी थी, एक बेटी की मां. एक घर की मालकिन.’’

‘‘यह फोटो तुम ने अब तक संभाल कर रख रखी है?’’ रश्मि ने प्रश्न किया तो मोहित ने भरे मन से जवाब में कहा, ‘‘सिर्फ फोटो ही नहीं, मैं ने अपनी मोहब्बत को भी बचा कर रखा है. लेकिन अब दिल टूटने का वक्त आ गया है.’’

मोहित ने आंखों में उतर आए आंसुओं को छिपाते हुए खिड़की का शीशा उठा दिया. ठंडी हवा का एक तेज झोंका डिब्बे में दाखिल हुआ, जिस से रश्मि कंपकंपा कर रह गई.

‘‘इसे बंद कर दो, प्लीज. ठंड बहुत है, मेरी बेटी बीमार हो जाएगी.’’ रश्मि ने कहा तो मोहित का हाथ हिला और झटके के साथ शीशा दोबारा खिड़की पर आ गिरा. तभी रश्मि ने देखा कि मोहित की अंगुली से खून बह रहा है. उस की अंगुली फे्रम के नीचे आ गई थी.

‘‘लो इसे जख्म पर बांध लो.’’ रश्मि ने अपना रूमाल मोहित की ओर बढ़ाते हुए कहा. मोहित ने रूमाल जख्म पर बांधने के बजाय अपनी जेब में रख लिया और फिर अपने लाल और गर्म खून से डिब्बे की दीवार पर जगहजगह रश्मि लिखते हुए बोला, ‘‘मैं ने तुम्हारे साथ जिंदगी गुजारने के बहुत से ख्वाब देखे थे, लेकिन इन ख्वाबों की ताबीर के बीच मेरी हैसियत आड़े आ रही थी. मैं ने यह सोच कर बहुत कुछ हासिल किया कि तुम मुझे मिलोगी. लेकिन तुम नहीं मिलीं. तुम्हारे बिना सब कुछ बेकार है, रश्मि.’’

‘‘जब जिंदगी ने तुम्हें सब कुछ दे ही दिया है तो फिर खुशियों से मुंह क्यों मोड़ रहे हो? तुम्हें मुझ से अच्छी हजारों लड़कियां मिल जाएंगी. शादी कर लो मोहित और खुश रहो.’’ रश्मि ने मोहित की बात काटते हुए सलाह दी. डिब्बे में एक बार फिर खामोशी छा गई. इस खामोशी को मीना की आवाज ने तोड़ा. वह एक बार फिर जाग गई थी. मीना को गोद में उठा कर मोहित बहुत देर तक प्यार करता रहा.

फिर रश्मि को उस की बेटी वापस करते हुए बोला, ‘‘मुझे तुम से मोहब्बत थी, है और रहेगी. मैं तुम्हारी बेटी से भी मोहब्बत करने लगा हूं और शायद अमित से भी. मेरा खयाल है, हमें जिस से मोहब्बत हो उस से जुड़ी हर चीज, हर व्यक्ति से मोहब्बत करनी चाहिए. क्या तुम एक बार मुझे अपने माथे पर चुंबन लेने की इजाजत दोगी?’’

रश्मि ने आंखें बंद कर के गरदन झुका दी तो मोहित माथे का चुंबन ले कर मीना को प्यार करने लगा. जबकि रश्मि अपनी आंखों में उतर आए आंसुओं को पीने की कोशिश कर रही थी. ट्रेन धीमी होने लगी थी, स्टेशन आने वाला था, तभी मोहित झटके से डिब्बे के बाहर चला गया.

स्टेशन पर इंसपेक्टर अमित बेचैनी से रश्मि का इंतजार कर रहा था. वह जैसे ही ट्रेन से उतरी, अमित ने आगे बढ़ कर उस का हाथ थाम लिया. वह बेटी के सिर पर हाथ फिराते हुए बोला, ‘‘जानेमन, मैं तुम्हारे और मीना के लिए बहुत चिंतित था. बताओ, यात्रा कैसी रही?’’

अमित के सवाल पर रश्मि अचानक सिसकियां ले कर रोने लगी. अमित ने उसे बड़े प्यार से चुप कराया. वह यही समझ रहा था कि उस की आंखों में महीने भर विछोह का गम सिमटा हुआ है, जो आंसू बन कर बह रहा है. वह पत्नी और बेटी को घर ले आया.

अमित सुबह से इमरजेंसी ड्यूटी पर गया हुआ था और रात के 12 बजे तक नहीं लौटा था. उस की गैरमौजूदगी में रश्मि पूरे समय मोहित के बारे में सोचती रही, जो उस के साथ ही कस्बे तक आया था. उसे यह डर सता रहा था कि अगर अमित को मोहित के बारे में पता चल गया तो कहीं कोई ऊंचनीच वाली बात न हो जाए.

हालांकि मोहित ने घर आने या आइंदा मुलाकात के बारे में कुछ नहीं कहा था. वह तो रश्मि का माथा चूमने के बाद देर तक खामोशी से बैठा मीना को प्यार करता रहा था. रश्मि ने कई बार उस से बात करनी चाही थी, लेकिन उस की खामोशी नहीं टूटी थी.

जब ट्रेन कस्बे के स्टेशन वाले प्लेटफार्म में दाखिल हुई थी तो उस ने ट्रेन के रुकने से पहले ही हमेशा खुश रहने की दुआ देते हुए छलांग लगा दी थी. हालांकि बात वहीं खत्म हो गई थी, लेकिन रश्मि तरहतरह के अंदेशों से घिरी अमित का इंतजार कर रही थी.

कालबेल की आवाज सुन कर रश्मि हड़बड़ा कर उठ बैठी. लाइट जला कर देखा तो घड़ी रात के डेढ़ बजा रही थी. वह दरवाजे पर पहुंची, आने वाला अमित ही था. अमित ने अंदर दाखिल होते ही रश्मि को हाथों में उठा लिया और फिर सारे कमरे में ठहाकों के साथ चक्कर लगाने के बाद उसे जमीन पर उतारते हुए बोला, ‘‘आज मैं बहुत खुश हूं रश्मि.’’

‘‘प्रमोशन हो गया क्या?’’ रश्मि ने मुसकराते हुए पूछा. वह जानती थी, अमित को काफी दिनों से प्रमोशन का इंतजार था.

‘‘प्रमोशन हुआ नहीं, आज एक बहुत पुराना दुश्मन हाथ आ गया. बहुत खतरनाक बदमाश था. इस से पहले भी उसे मैं ने ही गिरफ्तार किया था, लेकिन वह पुलिस की हिरासत से फरार हो गया था. बड़ेबड़े औफिसर उस से डरते थे.

‘‘फरार होने के बाद उस ने मुझे एक खत लिखा था, जिस में उस ने धमकी दी थी कि वह मेरे पूरे परिवार की हत्या कर देगा. इसीलिए मैं ने तुम्हें तुम्हारी मां के पास शहर भेज दिया था. तुम वापस आ गईं तो मैं बहुत परेशान था. मुझे अपनी जान की परवाह नहीं थी. चिंता सिर्फ तुम्हारी और मीना की थी. तुम दोनों मुझे अपनी जिंदगी से ज्यादा अजीज हो.’’ अमित मीना को प्यार से चूमने के बाद शरारत वाले अंदाज में रश्मि की ओर बढ़ा, लेकिन वह हंसते हुए दूर हो गई.

‘‘मेरा नाइट सूट लाओ, मैं सोने से पहले नहाना चाहता हूं. बहुत थक गया हूं.’’ अमित ने अंगड़ाई लेते हुए गरदन को झटका दे कर कहा.

‘‘ओ.के. अभी लाई.’’ रश्मि मुसकराती हुई अंदर अलमारी की तरफ जाने लगी.

‘‘सुनो.’’ अमित की आवाज पर रश्मि के उठे हुए कदम रुक गए.

‘‘पहले पूरी बात तो सुन लो. आज उस खतरनाक बदमाश से सामना हो गया. मेरा खयाल था पहले की तरह एक बार फिर उस से सख्त मुकाबला होगा. पहले भी मैं ने उसे अपनी जान खतरे में डाल कर कई साथियों की मदद से पकड़ा था. लेकिन आज वह मेरी गोली का निशाना बन कर गिरा और मर गया.

‘‘अगर न मरता तो शायद हम तीनों को मार देता या फिर मुझे सारी जिंदगी तड़पने के लिए छोड़ कर तुम्हें और मीना को मार डालता. कमाल का निशानेबाज था, आवाज पर गोली चलाना जानता था. लेकिन आज उस की मौत आ गई थी, इसलिए पिस्तौल भी इस्तेमाल नहीं कर सका. गोलियों से भरी पिस्तौल उस की जेब में ही रह गई.’’

‘‘अगर उस से मुकाबले में तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं भी मर जाती.’’ रश्मि ने रोते हुए कहा.

‘‘अरे पागल मुझे क्या होना था, अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं क्या करता? वह तो तुम्हें मारना चाहता था. हमारे पुलिस रिकौर्ड के हिसाब से वह खतरनाक अपराधी था. हर काम पूरी योजना बना कर करता था. तुम्हारी हत्या की योजना भी ले कर आया तो सारी जानकारी के साथ.

‘‘हैरत तो यह है कि उस बदमाश ने तुम्हारी एक पुरानी फोटो भी कहीं से प्राप्त कर ली थी. उस की कमीज की जेब से खून से सने एक लेडीज रूमाल में लिपटी यह फोटो मिली है, यह देखो.’’

खून से सनी उस फोटो में रश्मि एक पार्क के किसी कोने में खड़ी मुसकरा रही थी. फोटो देख कर रश्मि एक बार फिर सिसकियों के साथ रोने लगी. उस की वह फोटो उसी रूमाल में लिपटी थी, जो उस ने मोहित को ट्रेन में हाथ पर बांधने के लिए दी थी.

अमित समझ नहीं सका कि रश्मि की आंखों में खुशी की वजह से आंसू आए हैं या किसी और वजह से. पति की जिंदगी के लिए या अपनी जिंदगी के लिए. क्योंकि आंसूओं का न तो कोई रंग होता है और न फितरत.

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