पहली अक्तूबर, 2023 रविवार की देर शाम हरियाणा के जिला सोनीपत के गांव हरसना निवासी किसान सतबीर सिंह अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए गए हुए थे. उसी दौरान उन्हें रजबाहे के पास कच्चे रास्ते पर एक व्यक्ति पड़ा हुआ नजर आया.

उन्होंने सोचा कि शायद कोई शराबी रहा होगा. लेकिन जैसे ही उन्होंने उस के पास जा कर देखा तो वह मृत पड़ा हुआ था. लाश देखते ही सतबीर सिंह अपने खेतों की सिंचाई करना भूल गए. वह उसी वक्त उल्टे पैर अपने गांव वापस चले आए. गांव में आते ही उन्होंने यह बात गांव वालों को बताई तो गांव वाले भी वह लाश देखने के लिए चल पड़े. उसी दौरान किसी ने इस बात की जानकारी थाना सदर पुलिस को दे दी.

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सूचना मिलते ही सदर थाने के एसएचओ कर्मजीत सिंह तुरंत पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. मृत व्यक्ति का शरीर पूरी तरह से रक्तरंजित था. घटनास्थल पर पहुंचते ही कर्मजीत सिंह ने लाश के आसपास निरीक्षण किया तो वहां कारतूस के कई खाली खोखे मिले. मृतक की कलाई में एक कड़ा था, जिस में गुरमुखी में नाम लिखा था. उस के दूसरे हाथ में ‘मान’ शब्द गुदा हुआ था.

घटनास्थल से सारी जानकारी जुटाने के बाद कर्मजीत सिंह ने इस की सूचना एसपी जीत सिंह, एसपी (क्राइम) राहुल देव, एसटीएफ डीएसपी इंडीवर को भी दी. एक युवक की हत्या की खबर पा कर कई अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. सभी अधिकारियों ने घटनास्थल का जायजा लिया.

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मृतक के हाथ में मिले कड़े पर गुरमुखी में मान लिखा हुआ था. पहले तो पुलिस ने वहां पर मौजूद लोगों से उस की शिनाख्त कराने की कोशिश की. लेकिन जब उस युवक की शिनाख्त नहीं हो पाई तो पुलिस को लगा कि मृतक शायद पंजाब का रहा हो. उस के बाद पुलिस ने पंजाब पुलिस को उस का फोटो भेज कर संपर्क साधा. जहां से उस मृतक की शिनाख्त पंजाब के जिला फरीदकोट के गांव जैतो निवासी दीपक मान के रूप में हुई.

पंजाब पुलिस ने उस व्यक्ति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वह पंजाब पुलिस का हिस्ट्रीशीटर था. उस पर पंजाब के अलावा चंडीगढ़, हरियाणा और दिल्ली में हत्या के कई संगीन केस दर्ज थे. इस सूचना के पाते ही एंटी गैंगस्टर यूनिट प्रभारी अजय धनखड़ भी मौके पर पहुंच गए.

गोल्डी बराड़ ने ली हत्या की जिम्मेदारी

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पुलिस ने घटनास्थल से सारे सबूत इकट्ठा किए. दीपक मान के सिर व सीने पर कई गोलियां दागी गई थीं. पुलिस ने अपनी काररवाई को पूरा करने के बाद दीपक मान की लाश पोस्टमार्टम हेतु नागरिक अस्पताल भिजवा दिया था. इस मामले में पुलिस ने सतबीर सिंह के बयान पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.

इस से पहले कि इस मामले में पुलिस कोई आगे की काररवाई कर पाती, तभी फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हुई.

पोस्ट जिस फेसबुक अकाउंट से वायरल हुई थी वह अमेरिका में बैठे कुख्यात गैंगस्टर एवं लारेंस बिश्नोई गैंग के सदस्य गोल्डी बराड़ की थी, जिस में गुरमुखी भाषा में लिखा गया था, ‘‘हां जी सतश्री अकाल, रामराम जी सब को. बंबीहा गैंग के एक गैंगस्टर नशेड़ी मान जैतो को लंबे समय के बाद हम ने मार दिया. वह मेरे भाई गुरलाल बराड़ की हत्या के मामले में फरार था. उस को उस के किए की सजा दे दी गई है. उस ने हमारे भाई को सोते हुए गोली मारी थी. हम ने उसे कुत्ते की मौत भजा भजा कर मारा.

वह फेसबुक पर बहुत चैलेंज करता था कि हमारा क्या कर लिया. अब जो रह गए हैं वह भी तैयारी कर लें. सुक्खा दूनके की हत्या भी हम ने कराई है. वह टायलेट में हेरोइन का नशा कर रहा था. उस की हत्या की जिम्मेदारी लेने वालों को शर्म आनी चाहिए.’’

इस पोस्ट के वायरल होते ही पुलिस समझ गयी थी कि गैंगवार के चक्कर में ही उस की हत्या की गई थी. उस की हत्या करने वाला गोल्डी बराड़ भले ही परदेश में बैठा था फिर भी उस ने उस की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए पुलिस महकमे में तहलका मचा दी थी.

उस के बाद पुलिस ने इस मामले में गहन छानबीन की तो पता चला कि दीपक मान की हत्या करने वाला शूटर मनी चस्का बंबीहा गैंग को आर्मेनिया से चला रहे लक्की पटियाल का करीबी था.

इस मामले में पुलिस की कई टीमें जांच में लगी हुई थीं. पुलिस फेसबुक की पोस्ट की भी जांचपड़ताल कर रही थी, लेकिन पुलिस पूरी तरह से नहीं समझ पा रही थी कि पंजाब के फरीदकोट का हिस्ट्रीशीटर दीपक मान सोनीपत कैसे पहुंचा. अनुमान लगाया गया कि दीपक मान को पहले किडनैप किया गया होगा, फिर उसे टौर्चर करने के बाद ही गोलियां मारी होंगी.

पंजाब के जिला फरीदकोट के छोटे से गांव जैतो निवासी दीपक मान ने जुर्म की दुनिया में कैसे कदम रखा? कौन है बंबीहा गैंग का सरगना? उस की गैंगस्टर लारेंस गैंग से क्या दुश्मनी थी? इस की तह में पुलिस पहुंची तो हैरतअंगेज जानकारी सामने आई.

हैंडसम गैंगस्टर है लारेंस विश्नोई

अपराध की दुनिया में एक नाम है गैंगस्टर लारेंस विश्नोई का. राजस्थान से लारेंस विश्नोई का पुराना नाता रहा है. जिस का नेटवर्क पूरे राजस्थान में फैला है. लारेंस विश्नोई पंजाब प्रांत के फाजिल्का (अबोहर) का रहने वाला है. लारेंस के पिता पंजाब पुलिस में एक कांस्टेबल थे. देखने में स्मार्ट होने के साथसाथ उस की रुचि स्पोर्ट्स में थी.

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अच्छी पढ़ाई के लिए वह चंडीगढ़ आ गया और वहां पर डीएवी कालेज में दाखिला लिया. उस की अच्छी पर्सनैलिटी और पैसे वाला होने के कारण उस के दोस्तों ने उसे कालेज के छात्रसंघ का चुनाव लडऩे के लिए प्रेरित किया. उस ने छात्रसंघ का चुनाव लड़ा, लेकिन उस में कामयाब नहीं हुआ. उस से हार बरदाश्त नहीं हुई तो उस ने जीतने वालों से बदला लेने के लिए एक अलग ही रास्ता चुना.

उस ने अपमान का बदला लेने के लिए एक रिवौल्वर खरीदी. फिर दंबगई दिखाते हुए अन्य गुटों से भिड़ंत शुरू कर दी. उसी दौरान उस पर पहला मामला दर्ज हुआ. उस के बाद उस ने विरोधी गुटों को सबक सिखाने के लिए एक बड़े गैगस्टर जग्गू भगवानपुरिया से हाथ मिला लिया, जिस ने उसे जुर्म की दुनिया के सारे पैंतरे सिखाए.

हालाकि लारेंस विश्नोई इस वक्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में है. लेकिन जेल में रहने के बाद भी उस के अपराधों में कमी नहीं आई. वह आज भी एक ही इशारे पर किसी की भी हत्या करवा देता है. इस वक्त लारेंस विश्नोई पर अलग अलग अपराधों के लगभग 50 मुकदमे दर्ज हैं.

लारेंस विश्नोई ने जिस बड़े गैंगस्टर से हाथ मिलाया था, उस का नाम था जग्गू भगवानपुरिया. एक समय था जब पंजाब की राजनीति और अपराध की दुनिया में जग्गू के नाम से ही कई काम हो जाते थे. जुर्म की दुनिया की सारी कला जग्गू से सीख कर लारेंस विश्नोई ने हथियारों के दम पर उगाही का नेटवर्क पूरे देश में फैला दिया था. जिस के बल पर आज भी वह जेल में रहते हुए देश भर में फैले अपने नेटवर्क के दम पर गुंडागर्दी कर पा रहा है.

कई शहरों में उस के शार्पशूटर हैं, जो बस इशारे मात्र से किसी भी बड़ी घटना को अंजाम दे डालते हैं. लारेंस न सिर्फ देखने का हैंडसम गैंगस्टर है, बल्कि वह जेल में रह कर स्मार्ट तरीके से फोन चलाने में भी माहिर है.

बंबीहा गैंग से जुड़ा था दीपक मान

बंबीहा गैंग का गैंगस्टर दीपक मान उर्फ जैतो भी पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन सोपू के स्टूडेंट लीडर गुरलाल बराड़ की हत्या का आरोपी था. 10 अक्तूबर, 2020 को गुरलाल की उस वक्त हत्या कर दी गई थी, जब वह इंडस्ट्रियल एरिया चंडीगढ़ में अपनी गाड़ी में बैठा किसी के आने का इंतजार कर रहा था.

गुरलाल गोल्डी बराड़ का चचेरा भाई था. गुरलाल की हत्या होने के बाद ही गोल्डी ने अपराध की दुनिया चुन ली थी. लारेंस विश्नोई और गोल्डी बराड़ की दोस्ती पहले से ही काफी गहरी थी.

गोल्डी बराड़ का जन्म वर्ष 1994 में पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब गांव में हुआ था. उस के पिता पुलिस में सबइंस्पेक्टर थे. लेकिन उस ने अपना जुर्म का रास्ता चुना और अपराध के दलदल में उतर गया. उस के बाद उस ने कई घटनाओं को अंजाम दिया और कनाडा भाग गया. वह आज भी वहीं से गैंग औपरेट करता है. उस पर पंजाब में कई मामले दर्ज हैं. उस के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस भी जारी हो चुका है.

29 मई, 2020 में पंजाब के सिंगर सिद्धू मूसेवाला की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी, जो एक कांगे्रसी राजनेता होने के साथसाथ मशहूर गायक भी थे. हमलावरों ने सिद्धू मूसेवाला की गाड़ी पर 30 राउंड फायरिंग की थी, जिस में 10 गोलियां मूसेवाला को लगी थीं. उन की मौके पर ही मौत हो गई थी. उस घटना के कुछ घंटे बाद ही लारेंस और उस के गुर्गे गोल्डी बराड़ ने ही फेसबुक पर मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ली थी.

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तभी से बंबीहा गैंग लारेंस विश्नोई गैंग से खार खाए बैठा था. पिछले साल ही बंबीहा गैंग ने विश्नोई गैंग को धमकी दी थी. बताया जाता है कि उस के लिए बंबीहा गैंग ने पाकिस्तान से भी मदद ली थी. बंबीहा गैंग का सरगना कौन है जो लारेंस बिश्नोई से टकराने की कोशिश कर रहा है. विस्तार से एक नजर डालते हैं.

कबड्डी का खिलाड़ी था गैंगस्टर दविंदर सिद्धू

भारत के पंजाब राज्य के अंतरगत पड़ता है एक जिला मोगा. मोगा जिले के बंबीहा गांव में रहता था दविंदर सिंह सिद्धू. दविंदर कभी कबड्डी का जानामाना प्लेयर हुआ करता था. वर्ष 2010 में ग्रैजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही एक हत्याकांड में उस का नाम उभर कर सामने आया था. यह वारदात उसी के गांव के 2 ग्रुपों के बीच हुई थी. उस मामले में दविंदर को जेल जाना पड़ा.

जेल में रहते ही उस का संपर्क गैंगस्टरों से हुआ. उस के बाद जब वह जेल से निकला तो शार्पशूटर बन कर सामने आया. अपराध की दुनिया में पैर पसारते ही वह जेल में बंद गैंगस्टर के लिए शूटर का काम करने लगा था.

9 सितंबर, 2016 को बठिंडा के रामपुरा के पास गिल कलां में अचानक वह पुलिस के सामने पड़ गया. उसी मुठभेड़ में वह अपने को पुलिस से बचा नहीं पाया. वह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. दविंदर सिंह के खत्म होते ही उस के गैंग की कमान गौरव उर्फ लकी पटियाल ने संभाली.

लकी पटियाल धनास चंडीगढ़ का रहने वाला था. वह पंजाब का बड़ा गैंगस्टर था, जो हत्या और हत्या की कोशिश और एक्सटौर्शन जैसे मामले में जेल में बंद था. उस के बाद वह आर्मेनिया भाग गया था. लकी पटियाल गैंग में 300 से ज्यादा शूटर शामिल हैं, जो हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं. दीपक मान भी उसी गैंग के लिए काम कर रहा था.

पंजाब के जिला फरीदकोट के गांव जैतो निवासी दीपक मान 4 बहनभाइयों में सब से छोटा था. वर्ष 2017 में उस ने घर छोड़ दिया था. 2021 में उस की मां का निधन हो गया. वह अपने मां के निधन में भी गांव नहीं गया था. उस के बाद उस ने पूरी तरह से गांव से नाता खत्म कर दिया था.

पुलिस ने दीपक मान के घर वालों को पहली अक्तूबर को साढ़े 9 बजे फोन कर उस की हत्या की जानकारी दी थी. सोमवार को पोस्टमार्टम करवाने के लिए पहुंचे दीपक मान के घर वालों ने बताया कि गांव में अमन नाम का उस का एक दोस्त था, जिस के जरिए ही दीपक मान के दविंदर बंबीहा के साथ संबंध बने थे. उस के घर से चले जाने के बाद उन्हें उस के काम के बारे में भी कुछ मालूम नहीं था. बाहर रह कर वह क्या करता है और कहां रहता था? उन्हें पता नहीं.

सोमवार को छुट्टी होने के कारण फोरेंसिक चिकित्सक नहीं आने की वजह से दीपक मान के शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था, जिस के कारण उस के शव को खानपुर भेज दिया गया था. जहां पर मंगलवार को पोस्टमार्टम कराया गया.

दीपक की हत्या कर दिया विरोधियों को मैसेज

हालांकि इस मर्डर केस की जिम्मेदारी कनाडा में बैठे गोल्डी बराड़ ने ली थी, फिर भी पुलिस उस के शूटरों तक अतिशीघ्र ही पहुंचना चाहती थी. यही कारण रहा कि इस केस के घटते ही पंजाब पुलिस ने उन को गिरफ्तार करने के लिए चारों ओर घेराबंदी कर चक्रव्यूह की रचना की. उस के लिए पंजाब पुलिस ने स्पैशल एंटी गैंगस्टर गतिविधि यूनिट को लगा दिया था.

उसी का नतीजा रहा कि 24 घंटे के अंदर ही स्पैशल एंटी गैंगस्टर यूनिट के प्रभारी अजय धनखड़ ने पुलिस टीम के सहयोग से दीपक मान के 4 हत्यारोपियों को पकडऩे में सफलता हासिल कर ली थी. पुलिस को सूचना मिली थी कि दीपक मान की हत्या में संलिप्त आरोपी रोहतक खरखौदा रोड पर सिसाना के पास मौजूद हैं.

इस सूचना के मिलते ही स्पैशल एंटी गैंगस्टर यूनिट तुरंत ही मौके पर पहुंची. पुलिस को देखते ही बदमाशों ने फायरिंग चालू कर दी. बदमाशों की तरफ से फायरिंग होते ही जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की. इस दौरान 3 बदमाशों के पैर में गोली लगी. जबकि चौथा बदमाश भागने लगा. फिर बाद में वह भी पुलिस मुठभेड़ में घायल हो गया. उस के बाद पुलिस ने चारों बदमाशों को जख्मी हालत में गिरफ्तार कर लिया था.

चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस सोनीपत थाने ले आई. पुलिस पूछताछ में चारों ने दीपक मान की हत्या करने की बात कुबूल की. पुलिस ने आरोपियों के पास से 3 पिस्तौल व एक बाइक बरामद की थी. चारों ही आरोपी सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के आरोपित प्रियव्रत फौजी के गांव सिसाना के रहने वाले थे.

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पुलिस मुठभेड़ में गढ़ी सिसाना के रहने वाले मंजीत, चेतन और ओजस्वी को गोली लगी थी. ओजस्वी मूलरूप से रोहतक के गांव बलंबा का रहने वाला था. वह हाल में गढ़ी सिसाना में अपनी ननिहाल में रह रहा था. जबकि पुलिस ने जसबीर उर्फ बंटी को भागने के दौरान गिरफ्तार किया था.

पुलिस पूछताछ में जसबीर उर्फ बंटी ने बताया कि वह दीपक मान को गोली मारने में शामिल नहीं था. उस गोलीबारी में उस का ही दोस्त कुंडली थाना क्षेत्र का छोटू शामिल था. जसबीर ने पुलिस को बताया कि दीपक मान को विश्वास में ले कर हथियर बेचने के बहाने सोनीपत बुलाया गया था.

वह हाईवे से 4-5 किलोमीटर दूर किसी ढाबे पर मिला, जहां से आरोपी उसे बाइक पर बैठा कर हरसाना के खेतों में ले गए थे. वहां पर जाते ही सभी ने एक साथ बैठ कर शराब पी और उस के बाद ही उन्होंने उसे दौड़ा दौड़ा कर गोलियों से भून डाला.

हालांकि पुलिस दीपक मान की हत्या में चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी थी. लेकिन पुलिस ने आरोपियों के लारेंस गैंग से जुड़े होने की पुष्टि नहीं की थी. लारेंस गैंग का शूटर प्रियव्रत फौजी गांव सिसाना का ही रहने वाला था. इस वक्त जेल की सलाखों के पीछे है.

इस मामले में आए पांचवें अभियुक्त छोटू को पुलिस तलाश कर रही थी. पुलिस हर पहलू को ले कर जांच कर रही थी. पुलिस का कहना था कि इस मामले में ठोस सबूत जुटा कर ही आगे की कार्यवाई करेगी. सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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