Top 10 Medical Crime Stories In Hindi : इन मेडिकल क्राइम स्टोरीज को पढ़कर आप जान पाएंगे कि चिकित्सा क्षेत्र में आज कल इलाज के नाम पर क्या क्या घोटाले किए जा रहे हैं. कहीं नकली दवाएं बेचीं जा रही हैं तो कही घटिया पेसमेकर लगा कर डाक्टर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं. जिन डॉक्टर्स को हम भगवान् का दरजा देते हैं, वही अपने फायदे के लिए मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे. मनोहर कहानियां के इस आर्टिकल में हम लेकर आए हैं ऐसी ही Top 10 Medical Crime Stories In Hindi

1. फरजी डाक्टर, औपरेशन धड़ाधड़, 9 मौतें

महेंद्र टेक्नीशियन होने के बाद भी मैडिकल सेंटर चला रहा था. यहां दलालों को 35 फीसदी की दलाली दे कर मरीजों को बुलाया जाता था, जिस के बाद उन की नकली ब्लड रिपोर्ट तैयार की जाती थी. ब्लड रिपोर्ट में फरजी बीमारियां दिखा कर लैब टेक्नीशियन उसी आधार पर उन लोगों का औपरेशन कर देता था.

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2. घटिया पेसमेकर से 200 की मौत

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जांच में पता चला है कि  डा. समीर सर्राफ ने कुछ मामलों में तो मरीजों को यूज्ड यानी कि इस्तेमाल किए गए पेसमेकर ही धोखे से लगा डाले थे. यानी कि यदि किसी मरीज की मौत हो गई थी तो धोखे से उस मरीज का पेसमेकर निकाल लिया और फिर उसी पेसमेकर को किसी दूसरे मरीज के अंदर प्लांट कर दिया, जबकि वह दूसरे मरीज से नए और ब्रांडेड पेसमेकर के पैसे पहले से ही वसूल चुका होता था.

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3. जहरीला कफ सिरप

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कुछ घंटे बाद इरफान की नींद खुल गई. वह बेचैनी की हालत में था. अचानक जोर की खांसी उठी और उसे उल्टियां होने लगीं. जफर ने दवाई दुकानदार के कहे अनुसार उसे दूसरी खुराक पिला दी. बच्चा फिर सो गया. गहरी नींद में सो रहे बच्चे को देख कर जफर एक बार फिर आश्वस्त हो गया कि उस का बेटा स्वस्थ होने की स्थिति में आ चुका है. किंतु उस ने बच्चे में एक बदलाव भी देखा. उस का पेट फूला हुआ था.

जफरुद्दीन तुरंत उसे ले कर जम्मू शहर के अस्पताल गए. डाक्टर को दिखाया. डाक्टर ने उस की हालत देख कर भरती कर लिया. उस का इलाज शुरू हुआ, लेकिन हालत सुधरने के बजाय दिनबदिन बिगड़ती चली गई और सप्ताह भर बाद इरफान की मृत्यु हो गई.

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4. चाइना गर्ल (फेंटानाइल) : दर्द से नहीं, जिंदगी से राहत

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राजेश ने जब तीसरी गोली खाई तो उसे पूरा विश्वास हो गया कि इस गोली को खाने से ऐसा नशा होता है, जो न तो किसी को पता चलता है और न कोई जान पाता है कि इसे खाने वाला कोई नशा किए है. जबकि गोली को खाते ही तुरंत नशा हो जाता है, जो कम से कम से 8 से 10 घंटे तक रहता है.

राजेश को उस के दोस्त ने मात्र 3 गोलियां ही ला कर दी थीं. उस ने तीनों गोलियां खा लीं. अब उस के पास उस दवा की एक भी गोली नहीं थी. वह दिन में पढ़ाई करता था और अपना खर्च चलाने के लिए सुबहशाम पार्ट टाइम नौकरी भी करता था. एक दिन अचानक राजेश की मौत हो गई.

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5. वर्षा वानखेड़े बनी मुन्नाभाई एमबीबीएस

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एक दिन अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) के एसपी सुनील शर्मा के पास डा. खुशबू साहू नाम की महिला पहुंची. उस ने बताया, ”सर, मैं इस समय सरगुजा जिले के लहपटरा में स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में तैनात हूं. मुझे पता चला है कि मेरे नाम से होली क्रौस अस्पताल में कोई महिला डाक्टरी कर रही है. उस के कागजों की जांच कर कानूनी काररवाई की जाए.’‘

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6. यूट्यूबर बना नीम हकीम

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अब्दुल्ला पठान जानता था कि देसी दवाओं की तरफ देशवासियों का रुझान बढ़ रहा है और इस लाइन में खूब दौलत कमाई जा सकती है. इस ने किसी हकीम के पास, किसी वैद्य के पास पुड़िया बांधने, इलाज करने या उपचार करने का काम कभी नहीं सीखा. सरकारी संस्थान या प्राइवेट संस्थान में आयुर्वेदिक या यूनानी दवा की कोई पढ़ाई भी नहीं की.

इस की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट पास बताई गई है. मर्दाना ताकत, धात, नाइटफाल, टाइम बढ़ाना, लिकोरिया, वजन बढ़ाना, बालों का झड़ना, पेट का इलाज, पथरी का इलाज, चेहरे पर पिंपल आदि बीमारियों का इलाज देसी जड़ीबूटियों द्वारा करने का यह प्रचार करने लगा. स्त्री एवं पुरुषों के गुप्त रोगों के इलाज का सोशल मीडिया पर बैनर जारी कर दिया.

7. फर्जी डाक्टर नकली शादियां

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थाने में शिंदे से पूछताछ के बाद उस के बारे में जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी. बल्कि वह एक फरजी डाक्टर पाया गया. उस ने जालसाजी से 4 शादियां रचा रखी थीं. सभी में पत्नियों का नाम संयोग से पूजा था. बरामद 2 विवाह प्रमाणपत्र भी फरजी पाए गए. एक पर नाम डा. प्राजक्ता शिंदे दर्ज था, जबकि दूसरे पर डा. पूजा कुशवाहा का नाम लिखा था.

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8. आयुष्मान योजना में फरजीवाड़ा

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मैक्सकेयर हौस्पिटल के संचालक के कहने पर 4 जनवरी, 2022 से 17 जनवरी, 2022 तक जोहान मैक्सकेयर हौस्पिटल में एडमिट रहा. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने  आयुष्मान कार्ड से फ्री इलाज न कर खालिद अली से पैसे जमा कराए थे.

लाखों रुपए लुटाने के बाद भी बेटे की हालत में सुधार होते न देख खालिद उसे पहले भोपाल के एम्स ले गए, वहां से डीआईजी बंगले के पास स्थित अस्पताल में भरती कराया गया. आखिरकार, चंद ही घंटों में मासूम जोहान को मृत घोषित कर दिया गया.

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9. डुप्लीकेट दवाओं का सरगना

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यह बात 2 मार्च, 2023 की है. दरअसल, वाराणसी शहर के मंडुआडीह थाना क्षेत्र के लहरतारा, सिगरा थाना क्षेत्र सहित कैंट के कई इलाकों में एसटीएफ टीम की रेड पड़ गई थी. एसटीएफ ने कैंट इलाके के रोडवेज के पीछे व लहरतारा, महेशपुर में छापेमारी की, जहां उसे पेटेंट दवा कंपनियों के नाम की भारी तादाद में एलोपैथी दवाएं मिली थीं, जिसे देख टीम में शामिल जवानों की आंखें फटी की फटी रह गई थीं.

सभी के मुंह से निकल पड़ा था, ”ओफ! इतना बड़ा नकली दवाओं का रैकेट…’‘

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10. पैरामैडिकल फ्रेंचाइजी से भरी तिजोरी

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पंकज ने आयुष पैरामैडिकल काउंसिल औफ इंस्टीट्यूट की स्थापना की. यह मैडिकल के क्षेत्र में उस का पहला संस्थान था. इस पैरामैडिकल के जरिए उस ने मध्यमवर्गीय बच्चों को शिकार बनाना शुरू किया था.

उस ने छात्रों को होम्योपैथ, योगासन आदि की डिग्रियां बांटनी शुरू की और हर छात्र से 2 से 3 लाख रुपए वसूले थे. धीरेधीरे उस की यह धोखे की दुकान चल पड़ी और उस ने संस्थान के कारोबार को विस्तार देने के लिए अपने पिता सुरेंद्र बाबू गुप्ता, भाई इंदीवर पोरवाल और पत्नी कंचन पोरवाल को बोर्ड औफ डायरेक्टर में जोड़ लिया और संस्थान को बढ़ाने लगा.

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