केनिथ स्मिथ को नाइट्रोजन हाईपौक्सिया के जरिए मृत्युदंड दिया जाना तय था. इस के तहत व्यक्ति को  नाइट्रोजन के एक सिलिंडर से जोड़ कर एक मास्क पहनाया जाता है, जो धीरेधीरे उसे औक्सीजन से वंचित कर देता है.

इसे एक तरह की यातना भी कह सकते हैं. यह नाइट्रोजन हाइपौक्सिया से मृत्युदंड देने की पहली कोशिश होगी. इस से भारी पीड़ा हो सकती है और मुमकिन है कि इस से यातना और सजा के दूसरे क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक तरीकों पर प्रतिबंध का उल्लंघन भी हो सकता है यानी नाइट्रोजन हाइपौक्सिया की वजह से एक दर्दनाक और अपमानजनक मौत मिलनी तय थी.

अमेरिका के रहने वाले 58 वर्षीय केनिथ स्मिथ को साल 1996 में एक धर्म उपदेशक की पत्नी की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा हुई थी. कुछ समय बाद उस के जुर्म की क्रूरता का आकलन करने के बाद उम्रकैद की सजा ‘मृत्युदंड’ में बदल दी गई थी. वह तभी से अमेरिका में अलबामा के हौलमैन जेल के सुधार गृह में कैद था.

उसे इस सजा के लिए 23 जनवरी, 2024 की सुबह ठीक सवा 7 बजे सुधार गृह के भीतर बने ‘डेथ सेल’ में ले जाया गया था. इसे जेल प्रशासन होल्डिंग यूनिट कहता है. यहां मृत्युदंड के सजायाफ्ता कैदी की सजा को अंजाम देने से 2 दिन पहले रखा जाता है.

यानी कि स्मिथ को अच्छी तरह से मालूम हो गया था कि वह मृत्युकक्ष से लगभग 20 फीट की दूरी पर है, जहां 48 घंटे के बाद आखिरी मिनट पर 25 जनवरी, 2024 को हथकड़ी और पैरों में बेडिय़ों से बांध कर ले जाया जाएगा. और फिर वैसी नई तकनीक का उपयोग कर न्यायिक रूप से मौत की नींद सुला दिया जाएगा, जिस का प्रयोग पहली बार होगा.

वह तकनीक नाइट्रोजन गैस सुंघाने की थी. हालांकि पहले भी एक अन्य तकनीक के तौर पर उसे जहर की सुइयां चुभो कर इस सजा को अंजाम देने का प्रयास किया गया था.

केनिथ की मानसिक स्थिति सामान्य थी. वह जानता था कि उस की मौत निकट चंद घंटों में सुनिश्चित है. वह पहले भी नवंबर 2022 में डेथ सेल या कहें मृत्युकक्ष में रह चुका था. तब उसे जहरीले इंजेक्शन द्वारा मौत देने की तैयारी की गई थी. उसे मौत की नींद सुलाने के लिए नस नहीं खोजी जा सकी थी. वह 4 घंटे तक रस्सी से बंधा रहा. उस दौरान उस के हाथ और पैर में छेद कर दिए थे.

केनिथ उस दौर की प्रक्रिया को याद कर सिहर गया था. कारण, जब वह होल्डिंग यूनिट में था, तब उस ने अपनी मां और अपने पोते को अलविदा कहा था. अपना अंतिम भोजन किया था. फिर उसे मृत्युकक्ष में ले जाया गया था. वहां उस ने 4 घंटे तक कूड़ेदान में बिताए थे, क्योंकि जेल अधिकारियों ने नस ढूंढने की असफल कोशिश की थी. उसे ‘हौलमैन करेक्शनल फैसिलिटी’ नाम की जेल के एक ‘डेथ चैंबर’ में ले जा कर जहरीले रसायन के इंजेक्शन लगाए जाने थे.

नस न मिल पाने की वजह से इंजेक्शन नहीं दिए जा सके और उसी रोज यानी नवंबर 2022 को रात के 12 बजे डेथ वारंट निरस्त हो गया. यहां तक कि उसे कुछ मिनट तक उलटा लटकाया गया था. वह तब तक उलटा झूलता रहा, जब तक कि मौत देने वाले अधिकारियों ने हार नहीं मानी और फांसी बंद नहीं की. तब तक उस के शरीर में कई छेद किए जा चुके थे. वह मौत के काफी करीब जा कर लौट आया था.

इस के 14 महीने बाद उसे फिर से मृत्युकक्ष में डालने की तैयारी शुरू हो चुकी थी. वह फिर से इन सब से गुजरने वाला था. अब नई तकनीक से उस की मौत कितनी सहज, सुखद और दर्दरहित होगी, इस बारे में कहना मुश्किल था. सिर्फ तरहतरह के वैज्ञानिक दावे किए जा रहे थे.

हालांकि इस बार प्रोटोकाल अलग था. फिर भी उसे एक ऐसी विधि से फांसी का सामना करना था, जिस का उपयोग अमेरिका के मृत्युदंड में पहले कभी नहीं किया गया था. यह एक ऐसी तकनीक है, जिसे सुअरों के अलावा अधिकांश जानवरों की इच्छामृत्यु के लिए पशु चिकित्सकों द्वारा नैतिक आधार पर खारिज कर दिया गया था.

पहली मौत के तरीके से कैसे बचा केनिथ

होल्डिंग यूनिट में केनिथ को बाहरी फोन काल करने के लिए 15 मिनट का समय मिल गया था. इस समय में उस की बात घर वालों के अलावा मीडियाकर्मियों से भी हुई थी. हालांकि स्मिथ ने हौलमैन जेल से अमेरिका के बड़े अखबार ‘गार्जियन’ से भी संपर्क किया था. उस ने उन्हें अपनी असली स्थिति का वर्णन करते हुए कहा था कि वह एक फांसी से बच गया था, किंतु उसे दूसरी बार जिस प्रक्रिया से गुजरना है वह बिलकुल ही प्रयोग में नहीं है.

”क्या वह इस के लिए तैयार है?’’ इस सवाल के जवाब में उस ने साफतौर पर कहा, ”मैं इस के लिए किसी भी तरह से तैयार नहीं हूं. मैं अभी तैयार नहीं हूं, भाई..!’’

दरअसल, वह पहले का मृत्युदंड असफल होने पर काफी मानसिक तनाव से भर गया था. इस दौरान जेल मनोचिकित्सक ने पाया था कि वह अनिद्रा, चिंता और अवसाद से पीडि़त है. इसे ध्यान में रखते हुए इसे दूर करने के लिए उस का उपचार किया गया, दवाइयां दी गईं. उस की शरीरिक क्षमता संतुलित बनाए रखने और माइग्रेन को नियंत्रित करने के लिए कई दवाओं का एक काकटेल दिया गया था.

इस बारे में उस ने बताया कि उसे बारबार बुरे सपने आते थे, इस कारण सो नहीं पाता था. फांसी के पहले प्रयास के बाद उसे मृत्युकक्ष से वापस ले जाने का बुरा सपना बारबार आता था. उस ने कहा, ‘मुझे बस सपने में कमरे में चलना फिरना था, मैं बिलकुल डरा हुआ था,  नहीं चाहते हुए भी बुरे सपने आते ही रहे.’

इसी के साथ उस ने यह भी कहा, ”जब 25 जनवरी को दूसरी बार फांसी की तारीख दी गई, तब से बुरे सपनों का एक नया दौर शुरू हो गया था. मुझे सपना आने लगा कि वे मुझे लेने आ रहे हैं.’’

अब फांसी के कक्ष से उस की दूसरी मुलाकात होनी थी. जैसेजैसे वह उस के करीब आ रही थी, वैसेवैसे उस की बेचैनी बढऩे लगी थी. उस ने महसूस किया कि उस की शारीरिक और मानसिक स्थिति बिगड़ रही है.

उस ने पेट खराब होने की शिकायत की, साथ ही बताया कि उसे उल्टी भी होती रहती थी. यानी वह कई तरह की मानसिक और शारीरिक परेशानियों के दौर से गुजर रहा था. हालांकि अस्पताल की नर्स ने भी उसे तनाव में डाल दिया था. वह आघात पर आघात झेलते हुए एक असामान्य दौर में था.

उस ने कहा, ”अस्पताल के पुरुष नर्स ने मुझे संभलने का मौका ही नहीं दिया. मैं अभी भी पहली फांसी से पीडि़त हूं और अब हम इसे दोबारा कर रहे हैं. वह मुझे बीते हुए बुरे सपने, पुरानी यादों की अनुभूतियों और सदमे से वापस आने नहीं दे रहे हैं, जिस से मेरी व्याकुलता बढ़ जाती है. मूड खराब हो जाता है. आप सभी जानते हैं कि यह निरंतर चलने वाला तनाव है.’’

केनिथ ने इसे ले कर कल्पना करने को कहा, ”क्या होगा यदि दुव्र्यवहार के शिकार व्यक्ति के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार किया जाए? या फिर उस तरह के माहौल में वापस जाने के लिए मजबूर किया जाए, जिस से उसे आघात पहुंचा हो. जिस व्यक्ति ने ऐसा किया, उसे एक राक्षस के रूप में देखा जाएगा.’’

इस हाल में क्यों पहुंचा केनिथ

बात 18 मार्च, 1988 ही है. अलबामा के कोलबर्ट काउंटी में एक पादरी की पत्नी एलिजाबेथ डोरलीन थार्न सेनेट की उन के घर में चाकू मार कर हत्या कर दी गई थी. एक हफ्ते बाद उस के पति चाल्र्स सेनेट, जोकि चर्च औफ क्राइस्ट में मंत्री थे, ने खुदकुशी कर ली थी.

इस की जांच शुरू हुई और मामला अदालत में गया. वहां मालूम हुआ कि चाल्र्स सेनेट कर्ज में डूबा हुआ था. उस की पत्नी के नाम पर बीमा था. हालांकि जांच में यह भी पाया गया कि चाल्र्स के किसी के साथ अवैध संबंध थे.

एलिजाबेथ डोरलीन सेनेट अमेरिका के क्लीवलैंड, कुयाहोगा काउंटी, ओहियो की रहने वाली थी. उस के जन्म की तरीख 10 दिसंबर, 1942 थी और 45 वर्ष की उम्र में उस की अलबामा के शेफील्ड, कोलबर्ट काउंटी में हत्या कर दी गई थी. उसे डेंपसी कब्रिस्तान, रेड बे, फ्रैंकलिन काउंटी, अलबामा में दफनाया गया था.

उस की मौत की जांच में पाया गया कि वह पति के द्वारा ही मार डाली गई थी. इस के लिए पति ने भाड़े के हत्यारे की मदद ली थी. उस के सीने में 8 और गरदन के दोनों तरफ एकएक बार चाकू से वार किया गया था. शरीर पर कई खरोंचें और कट के निशान थे. दोनों भाड़े के हत्यारों ने पहले उसे चाकू मारा और फिर पीटपीट कर मार डाला था.

जांच में इस हत्या का दोषी केनिथ स्मिथ ठहराया गया. उसे भाड़े का हत्यारा साबित कर दिया गया था. बदले में चाल्र्स सेनेट ने उसे और एक अन्य व्यक्ति फोरेस्ट पार्कर को 1,000 डालर दिए थे. हालांकि जब संदेह की सुई उस की ओर घूमी, तब उस ने अपनी ही जान ले ली.

पार्कर को दोषी पाए जाने के बाद 2010 में जहरीला इंजेक्शन दे कर मौत की सजा दे दी गई थी. स्मिथ ने दावा किया था कि वह उस जगह मौजूद जरूर था, जहां हत्या हुई, लेकिन उस का हत्या में कोई हाथ नहीं था. इस के बाद जांच की लंबी प्रक्रिया में साल 1996 में उसे मौत की सजा सुना दी गई थी.

शुरुआती जांच के सिलसिले में सेनेट ने दावा किया कि उस की पत्नी एलिजाबेथ सेनेट कोलबर्ट काउंटी में कून डौग कब्रिस्तान रोड पर अपने घर में मृत पड़ी थी. उसे चाकू मार दिया गया था और उस की पिटाई की गई थी. जांचकर्ताओं ने घटनास्थल की गहनता से जांच की. अपनी जांच में उन्होंने पाया कि पादरी ने घटनास्थल पर आक्रमण और चोरी की तरह दिखाने वाले दृश्य बना रखे थे.

तमाम नाटकीय घटनाक्रमों के तहत की गई पूछताछ और जांच प्रक्रिया में आखिरकार  केनिथ स्मिथ ने अंत में जौन फारेस्ट पार्कर और इस की व्यवस्था करने वाले एक तीसरे व्यक्ति के साथ अपनी भूमिका कुबूल कर ली. केनिथ को शुरू में 1989 में दोषी ठहराया गया था और एक जूरी ने मौत की सजा की सिफारिश करने के लिए 10-2 से वोट दिया था, जिसे एक न्यायाधीश ने लगाया था. 1992 में अपील पर उन की सजा को पलट दिया गया था.

उस पर दोबारा मुकदमा चलाया गया और 1996 में उसे फिर से दोषी ठहरा दिया गया. इस बार जूरी ने 11-1 के वोट से आजीवन कारावास की सिफारिश की, लेकिन एक न्यायाधीश ने जूरी की सिफारिश को खारिज कर दिया और उसे मौत की सजा सुना दी.

मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. केनिथ ने फांसी रोकने का अनुरोध किया, जो खारिज कर दिया गया.

क्या हुआ मौत को करीब से देख कर

मौत को एक बार फिर करीब आता देख कर केनिथ की आखिरी प्रतिक्रिया थी, ”काश! मैं ने चीजें अलग तरीके से की होतीं.’’

उस ने 35 साल जेल में बिताए थे. जेल में उस के व्यवहार में कोई आक्रामकता नहीं देखी गई. न अधिकारियों के साथ और न ही किसी अन्य के साथ… एक भी लड़ाई नहीं, एक भी विवाद नहीं. फिर भी अलबामा और पूरे अमेरिका में कई लोगों का मानना था कि उस ने जो किया, वह कतई माफी के लायक नहीं.

केनिथ के वकीलों ने भी कहा है कि इस तरीके का अभी तक परीक्षण नहीं हुआ है और यह अमेरिकी संविधान के ‘क्रूर और असामान्य सजाओं’ के प्रतिबंध का उल्लंघन कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा है कि किसी भी तरीके से दूसरी बार मृत्युदंड देने की कोशिश भी असंवैधानिक है.

हालांकि अमेरिका में मृत्युदंड के अधिकांश मामलों में बारबिटुरेत नाम की दवा की घातक डोज दी जाती है, लेकिन कुछ राज्यों को यूरोपीय संघ के एक प्रतिबंध की वजह से यह दवा हासिल करने में दिक्कत आने के कारण संघ ने दवा कंपनियों को जेलों में मृत्युदंड देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं बेचने से प्रतिबंधित कर दिया है.

केनिथ स्मिथ को डेथ सेल में तय कार्यक्रम के मुताबिक 25 जनवरी की शाम को ले जाया गया, जबकि नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा को ले कर पूरे अमेरिका में विरोध हो रहा था. इस दौरान केनिथ के आध्यात्मिक सलाहकार रेवरेंड जेफ हुड वहां मौजूद थे.

उन्होंने केनिथ को मौत के आगोश में समाते हुए देखा और जो महसूस किया. फिर उस बारे में मीडिया से जिक्र किया. पहली प्रतिक्रिया के रूप में वह बोले, ”यह डरावनी फिल्म जैसा था. मरने में 22 मिनट लगे, तब तक तड़पता रहा शख्स.’’

जैफ हुड ने बताया, ”इस दौरान केनिथ स्मिथ ने अपनी मुट्ठियां भींच रखी थीं और उस के पैर कांप रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे वह सांस लेने के लिए तड़प रहा हो.

”उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे वह एक मछली है, जिसे पानी से निकाल दिया गया है. वहां मौजूद सभी लोगों के चेहरे पर डर था. नाइट्रोजन गैस देते ही वह करीब 4 मिनट तक छटपटाता रहा. हम ने जो देखा वह कुछ मिनटों में किसी को अपने जीवन के लिए संघर्ष करते हुए देखना था.’’

अलबामा के जेल अधिकारियों के मुताबिक सब से पहले केनिथ को एक चैंबर में ले जा कर स्ट्रेचर पर बांध दिया था. उस के मुंह पर एक इंडस्ट्रियल मास्क पहनाया गया था. इस में नाइट्रोजन गैस छोड़ी गई. इसे सूंघते ही यह गैस पूरे शरीर में फैल गई और उस के बाद पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया. इस से स्मिथ की मौत हो गई.

हालांकि मास्क पहना कर नाइट्रोजन गैस सुंघाने से उल्टी भी हो सकती थी, इस से मौत की सजा देने की प्रक्रिया बाधित हो सकती थी. ऐसा स्मिथ के वकील ने दलील दी थी. इस से बचने के लिए जेल अधिकारियों ने केनिथ को सुबह 10 बजे के बाद से खाली पेट रखा था. उसे कुछ भी खाने को नहीं दिया गया था.

स्थानीय समयानुसार शाम 7.57 बजे से रात 8.01 बजे के बीच, केनिथ को दर्द और ऐंठन होने लगी. उस ने गहरी सांसें लीं, उस का शरीर जोरजोर से कांपने लगा और उस की आंखें घूम रही थीं.

केनिथ की मौत हो जाने के बाद अलबामा के सुधार आयुक्त जौन हैम ने बाद में एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया. उस में उन्होंने बताया कि ऐसा प्रतीत हुआ कि केनिथ स्मिथ जब तक संभव हो सका, अपनी सांसें रोके हुए था.

इस अनोखी सजा पर क्या थीं प्रतिकियाएं

सीएनएन के जरिए सामान्य लोगों तक अलबामा के अटौर्नी जनरल स्टीव मार्शल का यह संदेश पहुंचाया गया कि नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा दिए जाने के तरीके की टेस्टिंग हो चुकी है. यह सही साबित हुआ है. राज्य में 43 और लोगों को इसी तरह मौत की सजा दी जाएगी. कई और राज्य भी इस पर विचार कर रहे हैं. हम इस में मदद करने के लिए भी तैयार हैं.

दूसरी तरफ यूनाइटेड नैशन, यूरोपीय यूनियन और वाइट हाउस ने भी इसे ले कर चिंता जताई. वाइट हाउस प्रवक्ता कैरीन जीन पियरे का कहना था कि मौत की सजा देने के लिए नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल परेशान करने वाला है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इसे ले कर चिंता जताई.

ईयू के  प्रवक्ता के अनुसार यह खासतौर पर क्रूर और असामान्य सजा है. इस में ह्यूमन राइट्स चीफ वोल्कर टर्क ने प्रतिक्रिया दी कि नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा को ले कर कोई टेस्टिंग नहीं हुई है. यह मुमकिन है कि ऐसा किया जाना टौर्चर और अमानवीय ट्रीटमेंट भी.

नाइट्रोजन से ही क्यों दी मौत?

जिस नई विधि से केनिथ को मृत्युदंड देने की योजना बनाई गई, नाइट्रोजन हाइपौक्सिया के रूप में जाना जाता है. इस में कैदी को शुद्ध नाइट्रोजन गैस सांस लेने के लिए मजबूर करना शामिल है, एक गैस जो प्राकृतिक रूप से हवा में इतनी उच्च सांद्रता में मौजूद होती है कि इस से औक्सीजन की कमी हो जाती है और अंत में मृत्यु हो जाती है. नाइट्रोजन एक प्राकृतिक रूप से  पाई जाने वाली गंधहीन और रंगहीन गैस है.

यह प्रचुर मात्रा में है. पृथ्वी के वायुमंडल और मिट्टी में पाई जाती है और इस का उपयोग भोजन को तरल रूप में तेजी से जमा करने के लिए किया जा सकता है. इसे भी रसायनशास्त्र के सूत्र के रूप में औक्सीजन (ह्र२) की तरह (हृ२) लिखा जाता है.

इसी गैस को एक उचित मात्रा में औक्सीजन के साथ मिलाए बगैर सांस के साथ अंदर लेने पर शरीर के भीतर प्रतिकूल प्रभाव देती है, जिस से असामान्य थकान, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है.

इस के इसी गुण को देखते हुए नाइट्रोजन गैस को मृत्युदंड के एक तरीके के तौर पर चुना गया. डाक्टर की सलाह के अनुसार अलबामा जेल के अधिकारियों ने औक्सीजन के साथ मिश्रण किए बिना शुद्ध नाइट्रोजन गैस देने की योजना बनाई.

नाइट्रोजन को किसी भी मात्रा में औक्सीजन या कहें किसी भी मात्रा में हवा के साथ मिलाए जाने की स्थिति में इस से मौत होने में समय लगता है.

यह कहें कि यह कभी भी मृत्यु का कारण नहीं बन सकती है.  इसे देखते हुए ही केनिथ की कानूनी टीम ने एक संघीय न्यायाधीश के सामने तर्क दिया था कि नाइट्रोजन हाइपौक्सिया का उपयोग क्रूर होने के साथ साथ असामान्य सजा पर संवैधानिक प्रतिबंध का उल्लंघन होगा.

स्मिथ की ओर से गवाही देने वाले एक एनेस्थीसियोलौजिस्ट ने तब कहा था कि उसे उल्टी हो सकती है, जिस से उस का दम घुट सकता है, दम घुटने की अनुभूति हो सकती है या उस के बेहोश होने की आशंका बन भी सकती है. बहरहाल, केनिथ स्मिथ को नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा देने की दुनिया भर में चर्चा हो रही है.

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