उत्तर प्रदेश के जिला एटा के थाना मलावन क्षेत्र के गांव बहादुरपुर का एक आदमी नहर की पटरी से होता हुआ  अपने खेतों पर जा रहा था. तभी उसे नहर की पटरी के किनारे वाली झाडि़यों में किसी लड़की के कराहने की आवाज सुनाई दी. वह आवाज सुन कर चौंका. जब उस ने झाडि़यों के पास जा कर देखा तो खून से लथपथ एक युवती कराह रही थी. उस ने नीले रंग का सूट पहना हुआ था. उस आदमी ने हिम्मत कर के पूछा कौन है, लेकिन युवती की ओर से कोई जवाब नहीं आया.

उस व्यक्ति ने शोर मचाया तो उधर से गुजर रहे कुछ लोग वहां आ गए. उन्होंने जब झाडि़यों में घायल युवती को देखा तो उसे झाडि़यों से बाहर निकाला. युवती की गरदन से खून रिस रहा था.

युवती उन के गांव की नहीं थी, इसलिए वे उसे पहचान नहीं पाए. सभी परेशान थे कि युवती की ऐसी हालत किस ने की है. इसी दौरान किसी ने इस की सूचना पुलिस के 100 नंबर पर दे दी. यह बात 10 जुलाई, 2019 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे की है.

चूंकि वह क्षेत्र थाना मलावन के अंतर्गत आता था, इसलिए खबर पा कर थाना मलावन के थानाप्रभारी विपिन कुमार त्यागी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस को युवती लहूलुहान अवस्था में तड़पती मिली. युवती के गले से बहा खून उस के कुरते तक फैला हुआ था. पुलिस ने वहां जुटी भीड़ से उस की पहचान कराने की कोशिश की लेकिन गांव वालों ने बताया कि युवती उन के गांव की नहीं है.

पुलिस ने युवती को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भरती करा दिया, जहां उपचार के दौरान उसे होश आ गया. पुलिस पूछताछ में उस ने बताया कि उस का नाम निशा है और वह एटा के थाना कोतवाली देहात क्षेत्र के बारथर निवासी अफरोज की बेटी है. फिलहाल वह अपने परिवार के साथ अलीगढ़ के जमालपुर हमदर्द नगर में रह रही थी.

उस ने पुलिस को खुल कर पूरा घटनाक्रम बताया कि 6 जुलाई, 2019 को उस के मांबाप, छोटे भाई व मामा ने अलीगढ़ में उसी की आंखों के सामने उस के प्रेमी आमिर उर्फ छोटू की हत्या कर दी थी.

प्रेमी की हत्या के बाद वह अपने परिजनों के खिलाफ हो गई. इस के बाद परिजनों ने उसे मारपीट कर घर में कैद कर लिया था. उन्हें शक था कि मैं हत्या का राज जाहिर कर बखेड़ा खड़ा कर सकती हूं, इसलिए मुझे गुमराह कर उसी रात मांबाप व मामा एटा के थाना मलावन के गांव बारथर ले आए, जहां मुझे 2 दिन तक रखा गया. मुझे किसी से भी मिलने नहीं दिया गया. फिर वापस अलीगढ़ ले जाने के बहाने रास्ते में ला कर गोली मार दी और मरा समझ कर झाड़ी में फेंक कर भाग गए. निशा ने पुलिस को जो कहानी बताई, वह रोंगटे खड़े करने वाली थी.

डाक्टरों ने निशा को अलीगढ़ के जे.एन. मैडिकल कालेज के लिए रैफर कर दिया. पुलिस ने बहादुरपुर निवासी पंकज तिवारी की तरफ से निशा के पिता अफरोज, मां नूरजहां और मामा हफीज उर्फ इशहाक के खिलाफ भादंवि की धारा 307 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए मलावन पुलिस ने बारथर गांव में दबिश दी. लेकिन वहां कोई आरोपी नहीं मिला. पुलिस ने वहां रहने वाले निशा के 2 चाचाओं से पूछताछ की लेकिन वे कोई जानकारी नहीं दे सके.

उधर 7 जुलाई की सुबह अलीगढ़ में भमोला में रेलवे ट्रैक के किनारे एक 25 वर्षीय युवक का शव मिलने से सनसनी फैल गई. सूचना पर अलीगढ़ के थाना सिविल लाइंस के इंसपेक्टर अमित कुमार पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए.

पुलिस को मृतक के गले व शरीर के अन्य भागों पर चोट के निशान मिले. पुलिस को अंदेशा था कि युवक रात के समय ट्रेन से यात्रा के दौरान रेलवे ट्रैक पर गिर गया, जिस से उस की मौत हो गई. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

पुलिस ने मृतक की तलाशी ली तो उस की पैंट की जेब से मिले आधार कार्ड के पते पर उस के घर वालों को सूचित किया. वह जमालपुर के हमदर्द नगर निवासी अकील अहमद का बेटा आमिर था.

सूचना मिलने पर उस के परिजन वहां पहुंच गए. अकील अहमद ने बताया कि शनिवार की रात को आमिर के फोन पर किसी का फोन आया था, जिस के बाद वह घर से निकल गया था. वह रात भर नहीं लौटा. फोन मिलाया लेकिन उस का फोन बंद आ रहा था.

सुबह उस का शव मिला. आमिर का मोबाइल गायब था. पिता ने इसे रेल हादसा नहीं बल्कि हत्या बताया. उन्होंने आमिर की हत्या की आशंका में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.

आमिर की हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुटी सिविल लाइंस पुलिस ने आमिर के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो एक नंबर ऐसा मिला जो अलीगढ़ के ही जमालपुर हमदर्द नगर की एक युवती का था. उस नंबर पर आमिर की सब से अधिक बातें होती थीं. प्रेम प्रसंग की जानकारी होने पर पुलिस ने छानबीन की तो घटना की परतें खुलती गईं.

अलीगढ़ पुलिस ने मृतक आमिर के घर वालों से विस्तृत जानकारी ली और इस मामले से संबंधित सारे तथ्य जुटा लिए. पुलिस ने हत्या में युवती निशा के घर वालों के शामिल होने के शक में 8 जुलाई को उन के घर पर दबिश दी लेकिन वहां ताला लटका मिला. इस के चलते पुलिस का शक पूरी तरह यकीन में बदल गया.

10 जुलाई की सुबह मलावन थाना पुलिस ने निशा को अलीगढ़ के जे.एन. मैडिकल कालेज में भरती कराया. इस से आमिर की हत्या व निशा को गोली मारने के तार आपस में जुड़ गए.

डाक्टरों ने बताया कि गोली निशा के गले के पार हो गई थी लेकिन रात भर बेहोशी की हालत में पड़ी रहने व अत्यधिक खून बह जाने से उस की हालत गंभीर हो गई थी. फिर भी वह बातचीत कर रही थी. पुलिस अधिकारियों ने निशा के बयान मजिस्ट्रैट के समक्ष दर्ज कराए. यह मामला अब तक 2 थाना क्षेत्र एटा के मलावन थाना और अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र से जुड़ गया था.

अलीगढ़ के एसएसपी आकाश कुलहरि ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिविल लाइंस पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एटा भेजा. पुलिस टीम ने निशा के पिता अफरोज के बारथर गांव में दबिश दी लेकिन वहां दरवाजे पर ताला लटका था. इस के चलते अलीगढ़ पुलिस भी खाली हाथ वापस लौट आई.

12 जुलाई को मलावन पुलिस अलीगढ़ अस्पताल पहुंची. निशा की हालत गंभीर थी. उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था.  हालत में सुधार होने पर उस ने एक बार फिर अपने मातापिता और मामा पर गोली मार कर घायल करने का आरोप लगाया. निशा के बयानों के आधार पर मलावन पुलिस ने अलीगढ़ में दबिश दी, लेकिन मातापिता व मामा का कुछ पता नहीं चला.

पुलिस ने पूछताछ के लिए निशा के 2 रिश्तेदारों को हिरासत में ले लिया, जिन से पूछताछ में पुलिस के हाथ घटना से जुड़े कई अहम सबूत मिले. अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही निशा से मिलने कोई रिश्तेदार तक नहीं आया जबकि अलीगढ़ में उस के दूसरे मामा व अन्य रिश्तेदार रहते थे.

एसएसपी के आदेश पर अस्पताल में दोनों घटनाओं की एकमात्र चश्मदीद गवाह निशा की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. उस की सुरक्षा के लिए एक एसआई, 2 सिपाही और एक महिला सिपाही तैनात कर दिए गए.

पकड़े गए निशा के अब्बू अम्मी

हत्यारों की सुरागरसी के लिए मलावन पुलिस ने चारों ओर मुखबिरों का जाल फैला दिया था. 13 जुलाई की दोपहर को मलावन पुलिस को एक मुखबिर ने सूचना दी कि घटना के आरोपी नूरजहां और उस का पति अफरोज आसपुर से बागवाला जाने वाली रोड पर मौजूद हैं और कहीं जाने की फिराक में हैं.

इस सूचना पर थानाप्रभारी विपिन कुमार त्यागी ने पुलिस टीम के साथ उस जगह की घेराबंदी कर के अफरोज व उस की पत्नी नूरजहां को हिरासत में ले लिया. उन से वारदात में प्रयुक्त मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली गई. अफरोज की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में प्रयुक्त 315 बोर का तमंचा और कारतूस का खोखा भी बरामद कर लिया.

केस का खुलासा होने पर एसएसपी एटा स्वप्निल ममगाई ने प्रैसवार्ता आयोजित की. पुलिस पूछताछ और पत्रकारों के सामने निशा के मातापिता ने आमिर की हत्या और अपनी बेटी निशा की हत्या की कोशिश करने की जो कहानी बताई, इस प्रकार थी—

25 वर्षीय आमिर 7 भाइयों में दूसरे नंबर का था. उस का बड़ा भाई सलमान पिता अकील के साथ बिजली के काम में हाथ बंटाता था. जबकि आमिर टाइल्स लगाने का काम करता था. इसी दौरान उस की मुलाकात निशा के पिता अफरोज से हुई.

अफरोज राजमिस्त्री का काम करता था. इसी के चलते आमिर का निशा के घर आनाजाना शुरू हो गया. सुंदर और चंचल निशा को देखते ही आमिर उस की ओर आकर्षित हो गया. निशा की नजरें जब आमिर से टकरातीं तो वह मुसकरा देता. यह देख निशा नजरें झुका लेती थी.

आंखों ही आंखों में दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे. जब भी आमिर निशा के पिता को काम पर चलने के लिए बुलाने आता, उस दौरान उस की मुलाकात निशा से हो जाती. धीरेधीरे दोनों बातचीत करने लगे. दोनों ने एकदूसरे को मोबाइल नंबर भी दे दिए. दोनों की अकसर बातें होती रहतीं.

बेटी के प्रेम संबंधों की जानकारी होने के बाद अफरोज आमिर से नाराज और दूर रहने लगा था. इतना ही नहीं, वह निशा के साथ भी मारपीट कर चुका था. लेकिन प्रेमी युगल दुनिया से बेखबर अपनी ही दुनिया में मस्त रहते थे.

निशा उम्र के ऐसे मोड़ पर थी, जहां उस के कदम बहक सकते थे. इस के चलते अब घर वाले 24 घंटे उस पर नजर रखने लगे थे. बंदिशों के चलते प्रेमी युगल ने रात के समय घर पर ही मिलने की गुप्त योजना बनाई थी.

6 जुलाई, 2019 की रात अलीगढ़ में अफरोज के परिवार के सभी लोग छत पर सो रहे थे. लेकिन 20 वर्षीय निशा की आंखों की नींद तो उस के 25 वर्षीय प्रेमी आमिर ने चुरा ली थी. परिजनों की सख्ती के चलते आमिर का अफरोज के घर आना बंद हो गया था. इसलिए निशा ने चोरीछिपे आमिर को फोन कर के रात में घर आने के लिए कहा.

आमिर भी अपनी प्रेमिका के दीदार को तरस रहा था. निशा का फोन सुनने के बाद वह उस से मिलने के लिए उस के घर पहुंच गया. निशा ने उस के लिए घर का दरवाजा पहले ही खुला छोड़ दिया था.

निशा और आमिर कमरे में बैठ कर बातें करने लगे. इसी दौरान निशा के मामा हफीज उर्फ इशहाक को टौयलेट लगी तो वह छत से उठ कर नीचे जाने लगा. मगर सीढि़यों का दरवाजा बंद था. दरवाजा खटखटाने पर निशा ने काफी देर बाद दरवाजा खोला. पूछने पर निशा ने बताया कि वह भी पानी लेने छत से नीचे आई थी.

शक होने पर मामा ने आसपास की तलाशी ली तो कमरे में छिपा हुआ आमिर मिल गया. इस के बाद उस ने उसी समय अपने जीजा अफरोज, बहन नूरजहां और 14 वर्षीय नाबालिग भांजे को आवाज दे कर छत से बुला लिया. गुस्से में चारों ने लाठीडंडों से आमिर की पिटाई शुरू कर दी. फिर गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

प्रेमी के साथ मारपीट करने का निशा ने विरोध भी किया था. लेकिन हत्यारों के आगे उस की एक नहीं चली. निशा के सामने ही घर वालों ने उस के प्रेमी की हत्या कर दी थी, जिस का निशा को बहुत दुख हुआ.

अफरोज व हफीज ने शव को बोरी में बंद किया और उसे मोटरसाइकिल पर रख कर रात में ही ले गए. वे लोग भमोला रेलवे ट्रैक पर आमिर के शव को बोरी से निकाल कर फेंक आए.

पूरा घटनाक्रम निशा की आंखों के सामने घटित हुआ था. घर वालों ने सोचा कि कुछ दिन निशा यहां से बाहर रहेगी तो इस घटना को भूल जाएगी. मामला शांत होने पर उसे वापस ले आएंगे. यह सोच कर उसी रात मांबाप व मामा निशा को ले कर एटा के गांव बारथर के लिए मोटरसाइकिलों से रवाना हो गए.

बारथर में निशा गुमसुम सी रहती थी. उस की आंखों के सामने प्रेमी की पिटाई और हत्या का दृश्य घूमता रहता था. घर वाले उस से कुछ पूछते तो उस की आंखों से आंसू बहने लगते थे.

समझाने से नहीं मानी निशा

सभी लोग उसे 2 दिनों तक समझाते रहे और किसी को कुछ न बताने का दबाव डालते रहे. लेकिन निशा के बगावती तेवर देख कर वे लोग घबरा गए. उन्होंने सोचा कि यदि निशा जिंदा रही तो आमिर की हत्या के मामले में फंसा देगी. घर वालों की बात न मानने पर मांबाप व मामा ने निशा को भी ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया. इस के लिए फूलप्रूफ योजना बनाई गई. उस की हत्या करने से पहले 3 दिन तक वह लाश ठिकाने लगाने के लिए जगह ढूंढते रहे.

9 जुलाई, 2019 की रात 8 बजे हफीज उर्फ इशहाक व मांबाप 2 मोटरसाइकिलों पर यह कह कर निकले कि सभी लोग अलीगढ़ जा रहे हैं. निशा उन के साथ थी. एक मोटरसाइकिल पर निशा और उस की मां नूरजहां बैठी, जिसे पिता अफरोज चला रहा था. दूसरी पर निशा का 14 वर्षीय भाई बैठा, जिसे मामा हफीज चला रहा था.

गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर निकलने के बाद बहादुरपुर गांव में प्रवेश करते ही दोनों मोटरसाइकिलों ने रास्ता बदल दिया. मोटरसाइकिलों के नहर की पटरी की तरफ मुड़ने पर निशा ने कहा, ‘‘ये तो अलीगढ़ का रास्ता नहीं है अब्बू्. आप कहां जा रहे हैं?’’

लेकिन कोई कुछ नहीं बोला. निशा को शक हुआ लेकिन वह बेबस थी. अफरोज व मामा ने आगे जा कर एक जगह मोटरसाइकिलें रोक दीं. तब तक रात के 9 बज चुके थे.

नहर की पटरी पर पहुंचते ही निशा को मोटरसाइकिल से उतार लिया गया और पकड़ कर एक ओर ले जाने लगे. निशा को समझते देर नहीं लगी कि आज उस के साथ कुछ गलत होने वाला है. वह चिल्लाई, लेकिन रात का समय था और दूरदूर तक वहां कोई नहीं था.

पिता और मां ने निशा के हाथ पकड़ लिए. मामा ने तमंचे की नाल उस की गरदन पर सटा कर गोली चला दी. गोली लगते ही तीखी चीख के साथ वह वहीं गिर गई. उस के गिरते ही उसे झाडि़यों में फेंक कर सभी लोग वहां से चले गए.

हत्यारोपियों ने सोचा था कि बेटी को मार कर अलीगढ़ से दूर फेंक दिया है. उस की शिनाख्त नहीं हो सकेगी और पुलिस लावारिस मान कर लाश का अंतिम संस्कार कर देगी. आमिर और निशा दोनों की हत्या राज ही बनी रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. गले में गोली लगने के बाद भी निशा बच गई और  पुलिस को सच्चाई बता दी. अन्यथा औनर किलिंग की यह घटना हादसा बन कर रह जाती.

आमिर का परिवार निशा के साथ उस के रिश्ते से बेखबर था. आमिर के पिता अकील के मुताबिक आमिर ने कभी निशा के साथ रिश्ते को ले कर घर में जिक्र नहीं किया था. आमिर का रिश्ता अगलास थाना क्षेत्र की एक युवती के साथ तय हो गया था. घर वाले उस की शादी की तैयारियों में मशगूल थे. आमिर की मौत से परिवार गम में डूब गया.

निकाह तय होने के बाद आमिर घर वालों से खफा रहने लगा था. वह अलीगढ़ से दूर जा कर निशा के साथ अपनी अलग दुनिया बसाना चाहता था. आमिर और निशा ने इस की तैयारी भी कर ली थी. लेकिन इन का सपना पूरा होने से पहले ही टूट गया.

उधर अलीगढ़ पुलिस ने आमिर की मौत को हादसा समझ कर मुकदमा दर्ज कर लिया था. हालांकि पुलिस इस की जांच कर रही थी, लेकिन निशा के जिंदा मिलने पर पूरी घटना साफ हो गई.

इस जानकारी के बाद अलीगढ़ पुलिस ने इस मामले को हत्या में दर्ज करने के साथ ही निशा के मामा हफीज व नाबालिग भाई को क्वासी के शहंशाहबाद इलाके वाले घर से गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में इंसपेक्टर अमित कुमार एसएसआई योगेश चंद्र गौतम, एसआई चमन सिंह, नितिन राठी, कांस्टेबल पंकज कुमार, जनक सिंह और ऋषिपाल सिंह यादव शामिल थे.

अलीगढ़ के एसएसपी आकाश कुलहरि ने प्रैसवार्ता में बताया कि आरोपी चालाकी कर के बचना चाहते थे. बेटी के प्रेमी की हत्या अलीगढ़ में और बेटी की हत्या एटा जिले में कर के उन्होंने पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया था. लेकिन उन की योजना निशा के बच जाने से धरी की धरी रह गई.

बहरहाल, हफीज, अफरोज व नूरजहां को आमिर के कत्ल व निशा की हत्या के प्रयास में जेल और नाबालिग को बालसुधार गृह भेज दिया गया. इस तरह एक प्रेमकहानी पूरी होने से पहले ही खत्म हो गई.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...