जापान के सतोषी नाकामोतो सन 2010 में जब ब्लौकचेन पर आधारित वर्चुअल करेंसी बिटकौइन ले कर आए थे, तब इस की कीमत मात्र .003 डालर (करीब 18 पैसे) थी. लेकिन आज इस की कीमत लगभग 5 लाख रुपए है. तेजी से बढ़ती कीमत की वजह से एक आईपीएस अधिकारी भी ऐसा जुर्म कर बैठे कि...

वर्चुअल करेंसी की बात करें तो आजकल देश में सब से ज्यादा चर्चा बिटकौइन की होती है. केवल भारत में ही नहीं, बल्कि इस के चरचे दुनिया के कई देशों में हैं. बिटकौइन न तो कोई सोने का सिक्का है और न कागजी रकम. यह डिजिटल करेंसी है. आप इसे आभासी मुद्रा भी कह सकते हैं, जो क्रिप्टो करेंसी की श्रेणी में आती है. बिटकौइन की खरीदफरोख्त औनलाइन होती है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी साल 6 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी कर के क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

देश की सर्वोच्च अदालत में दायर कुछ याचिकाओं में बिटकौइन जैसी क्रिप्टो करेंसी के रेगुलेशन के लिए दिशानिर्देश बनाने का आग्रह किया गया है, जबकि कुछ याचिकाओं में सरकार से इस क्रिप्टो करेंसी की खरीदफरोख्त को रोकने का आग्रह किया गया है. इसी साल 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की बैंच ने इन याचिकाओं की सुनवाई की. इस में रिजर्व बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि बिटकौइन जैसी क्रिप्टो करेंसी में सौदों की अनुमति देने से गैरकानूनी लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा. यह सरकारी नियंत्रण से बाहर की डिजिटल मुद्रा है.

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