Uttarakhand Crime : 3 बच्चों की मां बबीता की घरगृहस्थी ठीकठाक चल रही थी, लेकिन इस उम्र में भी उस के कदम बहक गए और उस ने 20 साल के बंटी यादव को अपने प्रेम जाल में फांस लिया. यह संबंध बनाए रखने के लिए उस ने न सिर्फ अपनी छोटी बहन सुनयना से बंटी की शादी कराई, बल्कि बहन के खून में हाथ भी रंग लिए…
24 मई, 2020 को दिन के कोई 4 बजे का समय रहा होगा. काशीपुर (उत्तराखंड) से तकरीबन 5 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित गांव फिरोजपुर गांव की कुछ औरतें हेमपुर डिपो के जंगल में घास काटने गई हुई थीं. उन औरतों की नजर झाडि़यों में एक युवती की लाश पर पड़ी. लाश देख कर औरतों की हिम्मत जबाव दे गई. एक तो देश में महामारी कोरोना के चलते देश भर में लौकडाउन था. ऊपर से 10 तरह के डर. खुद तो एक पहर भूखे रह लें, लेकिन बेजुबान पशुओं को तो भूखा नहीं रखा जा सकता था. दूरदूर तक इंसान नजर नहीं आ रहा था. औरतें घास काटना छोड़ कर गांव की ओर चली आईं. गांव आती उन औरतों ने जंगल में एक युवती की लाश पड़ी होने की बात ग्राम प्रधान मथुरी लाल गौतम को बता दी.
जंगल में युवती की लाश पड़ी होने की जानकारी मिलते ही ग्राम प्रधान मथुरी लाल गौतम ने फोन कर के यह बात काशीपुर कोतवाली को बता दी. फिर ग्राम प्रधान 10-12 लोगों को साथ ले कर उस जंगल की ओर चले गए. यह सूचना मिलते ही काशीपुर कोतवाली निरीक्षक चंद्रमोहन सिंह, सीओ मनोज ठाकुर, एसएसआई सतीश चंद्र कापड़ी, आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह अधिकारी, एसआई गणेश पांडे आदि घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. कुछ ही देर में पुलिस ग्राम प्रधान द्वारा बताई गई जगह पर पहुंच गई.
देश में कोरोना महामारी के चलते लोगों के मन में इस कदर डर बैठा था कि कोई भी उस युवती की लाश के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने सब से पहले उस लाश के आस पास वाले क्षेत्र को पूरी तरह सैनेटाइज कराया. फिर पुलिस ने महिला के शव का निरीक्षण किया. निरीक्षण में युवती के गले और ठुडडी पर नील के निशान दिख रहे थे. जिस से लग रहा था कि युवती की गला दबा कर हत्या की गई थी. शक यह भी था कि कहीं किसी ने उस के साथ दुराचार करने के बाद तो हत्या नहीं कर दी. युवती के शरीर पर काले रंग का कुरता और पीले रंग की सलवार थी. उस की उम्र भी 19-20 वर्ष के आसपास थी.
युवती की लाश और घटनास्थल को देख अनुमान लगाया गया कि उस की हत्या कहीं और कर के लाश यहां ठिकाने लगाई गई है. चेहरे के मेकअप से मृतका शादीशुदा लग रही थी. शाम ढल गई थी. चारों तरफ अंधेरा छाने लगा था. दूसरे लौकडाउन के चलते हर शख्स घर से बाहर निकलते डरता था. फलस्वरूप, उस समय युवती की शिनाख्त नहीं हो सकी. काशीपुर पुलिस ने उस की लाश मोर्चरी में रखवा दी. इस मामले में एसएसआई सतीश चंद्र कापड़ी ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करा दिया. साथ ही इस की सूचना पुलिस के उच्चाधिकारियों को भी दे दी गई.
पुलिस ने मृतका के फोटो वाट्सऐप पर प्रसारित किए तो उस की शिनाख्त हो गई. मृतका की शिनाख्त अलीगंज रोड स्थित कुसुम वाटिका, निवासी सुनयना के रूप में हुई थी. काशीपुर के विजय नगर, नई बस्ती निवासी बबीता पत्नी शंभू गिरि ने उस की शिनाख्त अपनी छोटी बहन सुनयना के रूप में की. शिनाख्त हो जाने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. 27 मई को डा. कैलाश राणा ने सुनयना के शव का पोस्टमार्टम किया. रिपोर्ट में बताया गया कि उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. गले के साथसाथ उस के चेहरे पर भी नाखूनों के निशान थे. इस के साथ ही पुलिस की बलात्कार के बाद हत्या की शंका भी खत्म हो गई. लेकिन पुलिस को अभी भी शक था कि मृतका की हत्या घटना स्थल पर नहीं गई थी.
शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने सब से पहले उस की बहन बबीता से पूछताछ की. बबीता ने बताया कि लगभग 7 महीने पहले ही सुनयना की शादी अलीगंज रोड निवासी बंटी के साथ हुई थी. बबीता ने बताया कि बंटी उस का पूर्व परिचित था. बबीता शहर में ही किसी के घर पर काम करती थी. बंटी के पिता भी उसी मालिक के यहां पर माली का काम करते थे. बंटी अपने पिता को खाना देने वहां अकसर जाता रहता था. उसी दौरान उस की बबीता से जानपहचान हुई थी. बबीता को लगा कि बंटी सुनयना के लिए ठीक रहेगा, इसलिए उस ने बंटी के पिता से सुनयना और बंटी की शादी के बारे में बात की. पिता ने सुनयना का फोटो देखा तो वह राजी हो गया. फिर बंटी और सुनयना की शादी सामाजिक रीतिरिवाज से हो गई.
बबीता ने पुलिस को बताया कि 23 मई को वह सुनयना को अपने घर ले आई थी. अगले ही दिन बंटी उसे गड्ढा कालोनी में किराए का कमरा दिखाने की बात कह कर अपने साथ ले गया था. इस के बाद उसी शाम सुनयना की जंगल में लाश मिली. सुनयना फिरोजपुर के जंगल में कैसे पहुंची यह बात उस की समझ से भी बाहर थी. बबीता का बयान लेने के बाद पुलिस ने मृतका के पति बंटी यादव को भी पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ में बंटी से भी सुनयना की हत्या के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी. पुलिस पूछताछ में बंटी ने बताया कि वह उसे किराए का मकान दिखाने के बाद सीधा घर ले आया था.
उस के बाद वह किसी काम से शहर चला गया. उसी दौरान सुनयना घर में किसी को बिना कुछ बताए ही घर से चली गई थी. उस की हत्या किस ने की, इस की उसे कोई जानकारी नहीं थी. यह बात तो सुनयना की बहन बबीता भी पुलिस को बता चुकी थी कि उस का मानसिक संतुलन सही नहीं था. जिस की वजह से वह कभी भी चुपचाप घर से निकल जाती थी. मृतका की बहन और उस की ससुराल वालों से पुलिस को कोई खास जानकारी नहीं मिली तो पुलिस ने इस केस की तह तक जाने के लिए 4 टीमों का गठन किया. काशीपुर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक चंद्रमोहन सिंह के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम ने शहर में अलगअलग जगहों पर लगे लगभग 40 सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों की गहन पड़ताल की.
इस के अलावा घटनास्थल के आसपास, उस की ससुराल वालों के निवास, व मृतका की बहन बबीता के घर के पास लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को देखा. कई संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की गई. इसी दौरान 23 मई, 2020 को दढि़याल रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरे से ली गई एक फुटेज में सुनयना एक संस्था द्वारा गरीबों को बांटा जा रहा खाना लेती हुई देखी गई. इस से साफ जाहिर हो गया कि 23 मई को सुनयना काशीपुर टांडा चौराहे के आसपास ही थी. पूछताछ में बबीता भी पुलिस को बता चुकी थी कि 23 मई को वह सुनयना को अपने घर ले गई थी. पुलिस द्वारा ली गई अलगअलग सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों की गहन पड़ताल में पुलिस को बहुत बड़ी कामयाबी मिली. एक सीसीटीवी फुटेज में सुनयना के साथ उस का पति बंटी और बहन बबीता घटना वाले दिन 24 मई, 2020 को एक साथ रामनगर रोड की ओर जाते दिखाई पड़े.
यह जानकारी मिलते ही जांच में लगी पुलिस टीम ने उसी दिशा में बढ़ते हुए लोगों से जानकारी हासिल की. पता चला कि फिरोजपुर गांव से रामनगर जाने वाली ट्रेन की पटरी पर दोपहर के समय एक लड़की और एक लड़के को साथसाथ जाते देखा गया था. इस से यह साफ हो गया कि सुनयना की हत्या उस के पति बंटी ने ही की है. इस के बावजूद पुलिस इस केस के पुख्ता सबूत जुटाने में लगी रही थी. पुलिस ने फिर से बंटी और बबीता को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. दोनों से सख्ती से पूछताछ की गई. दोनों पुलिस के सामने ज्यादा समय तक टिकने की हिम्मत नहीं कर पाए. बंटी और बबीता ने पुलिस के सामने अपना अपराध स्वीकार करते हुए हत्या का खुलासा कर दिया. उन्होंने बताया कि प्रेमप्रसंग के चलते दोनों ने सुनयना को योजनानुसार गला दबा कर मार डाला था.
उन से पूछताछ के बाद पुलिस ने बंटी की निशानदेही पर सुनयना का थैला, उस की चप्पलें और मास्क रामनगर रोड स्थित ट्रांसफार्मर के पास से बरामद कर लें. बंटी ने पुलिस को बताया कि उस ने बबीता के कहने पर ही सुनयना की हत्या की थी. बंटी और बबीता की उम्र में लगभग 20 वर्ष का अंतर था. बंटी 20 वर्ष और बबीता लगभग 40 साल की थी. इस समय बबीता का बड़ा लड़का भी बंटी से लगभग 4 साल बड़ा था. आखिर बबीता ने बंटी से कैसे दोस्ती गांठी और दोस्ती की आड़ में अपनी बहन की शादी उस के साथ करा दी. पुलिस तहकीकात में इस केस की जो सच्चाई सामने आई वह रोचक कहानी थी—
थाना मलाई टोला, जिला गोपालगंज बिहार निवासी शंभू गिरि की शादी सालों पहले तमकनी रोड ठकाना बाजार, सुनाभवानी निवासी हीरामन गिरि की बबीता के साथ हुई थी. शादी के कुछ ही दिनों बाद शंभू गिरि रोजगार की तलाश में काशीपुर आ गया था. काशीपुर में शंभू गिरि को एक फैक्ट्री में काम मिल गया. वह उसी फैक्ट्री में काम करते हुए वहीं पर बने कमरे में रहने लगा था. शंभू गिरि अपनी बीवी को बिहार में ही छोड़ कर आया था. उस की बीवी बबीता देखने भालने में जितनी सुंदर थी उस से कहीं ज्यादा तेजतर्रार भी थी. काशीपुर आने के बाद जब शंभू गिरि का काम ठीकठाक चलने लगा तो बबीता उस के साथ रहने की जिद करने लगी.
शंभू गिरि ने उसे समझाया कि जिस फैक्ट्री में वह काम करता है वहीं एक छोटे से कमरे में रहता है. जहां अन्य मजदूर भी रहते हैं, उस का रहना ठीक नहीं है. लेकिन बबीता नहीं मानी. बीवी की जिद के आगे शंभू गिरि की नहीं चली तो उस ने काशीपुर में ही किराए का एक कमरा ले लिया. वह फैक्ट्री का कमरा छोड़ कर पत्नी के साथ किराए के कमरे में रहने लगा. किराए के कमरे में आते ही उस के खर्चों में बढ़ोत्तरी हो गई. बबीता पहले ही शौकीन मिजाज युवती थी. सजसंवर कर रहना उस का पहला शौक था. शंभू गिरि सुबह होते ही तैयार हो कर फैक्ट्री चला जाता था. उस के जाने के बाद कमरे पर बबीता अकेली रह जाती थी. बिहार से काशीपुर आने के बाद काशीपुर की आबोहवा ऐसी लगी कि कुछ ही दिनों में उस के रूपरंग में काफी तब्दीली आ गई.
बबीता बनठन कर निकलती और शहर में काफी देर तक इधरउधर घूमने के बाद घर वापस आ जाती थी. समय के साथ बबीता 2 बच्चों की मां बन गई. सीमित आय, ऊपर से किराए का मकान और 2 बच्चे, सो शंभू गिरि का बजट गड़बड़ाने लगा था. उस के बावजूद बबीता फिजूलखर्ची से बाज नहीं आती थी. घर के खर्च बढ़े तो शंभू ने बबीता को समझा कि वह खुद भी कहीं काम करे. बबीता देखनेभालने में सुंदर और तेजतर्रार थी, जिस की वजह से उसे एक प्रौपर्टी डीलर के घर पर घरेलू और कपड़े धोने का काम मिल गया. बबीता सुबह जल्द खाना बना कर पति को फैक्ट्री भेजने के बाद बच्चों को घर पर छोड़ कर काम पर निकल जाती थी. बीवी को काम मिलने से शंभू को काफी राहत मिली.
बबीता जिस घर में काम करती थी, उसे वहां से पैसों के अलावा कई चीजों की काफी सहायता मिलने लगी. कभीकभी मालिक के घर से वह खाना, कपड़े और घर का सामान भी ले आती थी. जिस के कारण शंभू गिरि की घरगृहस्थी फिर से पटरी पर आ गई. कुछ सालों के बाद बबीता ने तीसरे बच्चे यानी एक बेटी को जन्म दिया. लोगों के घरों में काम करने वाली औरतें भले ही कितनी भी चरित्रवान हों, लेकिन समाज की नजरों में उन की कोई इज्जत नहीं होती. हालांकि बबीता 40 वर्ष की उम्र पार कर चुकी थी. साथ ही 3 बच्चों की मां भी थी. इस के बावजूद उस का गदराया शरीर आकर्षक लगता था. बबीता कामुक प्रवृत्ति की औरत थी. लेकिन अब उस के बच्चे भी जवान हो चुके थे.
सभी किराए के एक कमरे में रहते थे, जिस से उसे पति के पास जाने का मौका नहीं मिल पाता था. बबीता का मन भटकने लगा था, घरों में काम करते हुए बबीता इतनी खुल गई थी कि किसी भी अंजान आदमी से जल्दी ही जानपहचान बढ़ा लेती थी. बबीता जिस मालिक के घर में काम करती थी, उसी मालिक के यहां अजय यादव भी माली का काम करता था. एक दिन अजय का बेटा बंटी उसे खाना देने के लिए आया. उसी दौरान उस की मुलाकात बबीता से हुई. अजय ने खाना खाते समय बंटी का परिचय बबीता से करा दिया था. बबीता और अजय यादव दोनों ही बिहार से थे, इसलिए दोनों में ठीकठाक ही बात हो जाती थी. हालांकि बंटी अभी कम उम्र का ही था. लेकिन वह बोलनेचालने में बहुत ही तेजतर्रार था.
उस दिन बबीता घर का काम खत्म कर के बंटी के साथ निकल गई थी. उस ने बंटी के घर की सारी जानकारी हासिल कर के उस से उस का मोबाइल नंबर ले लिया था. अब वह वक्तबेवक्त बंटी से फोन पर बात करने लगी. कुछ ही दिनों में उस ने बंटी से पक्की दोस्ती गांठ ली. उसी दोस्ती के सहारे उस ने बंटी के घर भी आनाजाना शुरू कर दिया था. अजय यादव के 4 छोटेछोटे बच्चे थे बंटी, राजा, रोहित और बेटी लक्ष्मी. अजय यादव की बीवी कम सुनती थी. अजय परिवार जिस मकान में रहता था, हालांकि वह किराए का ही था. लेकिन उस में कई कमरे थे. एक कमरा तो दरबाजे के पास ही था. जिस का अंदर वाले हिस्से से कोई मतलब नहीं था. उसी का लाभ उठाते हुए बबीता बंटी के साथ घर चली आती. जिस के आने का बंटी की मम्मी को भी पता नहीं चल पाता था.
बंटी और बबीता उसी कमरे में बैठ कर बतियाने लगते थे. अजय यादव शाम तक ही घर वापस आता था. उसी का लाभ उठा कर उस ने बंटी के साथ शारीरिक संबंध बना लिए. इस की भनक न तो बबीता के घर वालों को लगी और न ही बंटी के. जैसे अजय यादव सीधासादा इंसान था वैसे ही उस की बीवी भी थी. बबीता बंटी के मुकाबले दोगुनी उम्र की महिला थी. यही बात बंटी की मम्मी रामकली को अखर रही थी. दोनों के टाइमबेटाइम मिलने वाली बात रामकली ने अपने पति अजय यादव को बताई. अजय ने बबीता को समझाया कि तुम उम्रदराज भी हो, समझदार भी, जबकि बंटी अभी बच्चा है. तुम्हारा इस तरह उस के साथ उठनाबैठना ठीक नहीं है. तुम दोनों को साथ आतेजाते देख मोहल्ले वाले बात बनाने लगे हैं. इसलिए तुम हमारे यहां आनाजाना कम कर दो.
बबीता के दिलोदिमाग पर बंटी का भूत सवार हो चुका था. वह किसी भी हालत में उस के बिना नहीं रह सकती थी. इस उम्र में बंटी के प्रति उस के दिलोदिमाग में जो पागलपन था उसे प्रेम तो कतई नहीं कहा जा सकता. वह उस की कामवासना शांत करने का एक रास्ता था. जब अजय यादव ने उन दोनों के बीच रोड़ा बनने की कोशिश की तो दोनों ने एक अलग रास्ता निकाल लिया. बबीता ने अपनी जानपहचान की बदौलत बंटी को काशीपुर के मोहल्ला टांडा में किराए का कमरा दिला दिया. उस के बाद इसी कमरे पर दोनों बिना रोकटोक के मिलने लगे थे. बबीता की एक छोटी बहन थी सुनयना, जो बिहार में ही रहती थी. उस की उम्र लगभग 20 साल थी. मानसिक रूप से कमजोर सुनयना घरवालों के लिए सिरदर्द बनी हुई थी. जब उस का मन होता, बिना बताए ही बाहर निकल जाती थी.
काफी समय से बबीता के मांबाप काशीपुर में किसी के साथ उस की शादी कराने की कह रहे थे. बबीता उस की शादी के चक्कर में लगी थी. काफी कोशिश के बाद उस ने किसी से बात चलाई. फिर बिहार से सुनयना को बुलवा लिया. लेकिन लड़की की हालत देखते ही उस लड़के ने शादी से इंकार कर दिया. उस के बाद से सुनयना बबीता के साथ ही रह रही थी. शंभू गिरि का परिवार काशीपुर की विजय नगर, नई बस्ती कालोनी के जिस मकान में रहता था, वह किराए का था. उस का किराया लगभग साढ़े 3 हजार रुपए महीना था, जो शंभू गिरि के बजट से बाहर था. इस के बावजूद बबीता ने अपनी बहन को बुला लिया था. शंभू गिरि ने कई बार बबीता से उसे बिहार भेजने की बात कही. लेकिन उस ने नहीं सुनी. तब तक बबीता ने बंटी को प्रेम प्रसंग में फंसा लिया था. जिसे वह किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं थी.
बबीता के बंटी के घर आनेजाने पर पाबंदी लगी तो उस ने उस का भी रास्ता निकाल लिया. उस ने एक गहरी चाल चलते हुए एक दिन बंटी को अपनी बहन सुनयना से मिलवा दिया. सुनयना देखनेभालने में ठीकठाक थी. लेकिन बंटी को यह पता नहीं था कि सुनयना मंदबुद्धि है. सुनयना से मिलवाने के बाद बबीता ने बंटी को बताया कि अगर वह चाहे तो सुनयना से शादी कर सकता है. अगर वह उसे पसंद है तो उस की शादी सुनयना से करा देगी. बंटी नादान बच्चा नहीं था. दोनों हाथों में लड्डू देख वह खुद पर काबू नहीं रख सका. उस ने सुनयना के साथ शादी करने की हामी भर ली. बबीता भी यही चाह रही थी कि उस के गले में फंसी हड्डी किसी तरह से निकल जाए. बंटी उस के कब्जे में आ गया तो फिर उस के लिए एक रास्ता बन जाएगा.
बंटी जानता था कि घर के हालात के मद्देनजर उस की शादी होना इतना आसान नहीं है. सुनयना के साथ शादी की बात सुन कर बंटी फूला नहीं समा रहा था. उसी शाम उस ने यह शादी वाली बात अपने पिता को बताई, तो अजय यादव को कुछ अजीब सा लगा. अजय यादव यह तो पहले ही जानता था कि बबीता ने उस के लड़के पर अपना कब्जा जमा रखा है. अब वह अपनी बहन से बंटी की शादी करा कर कौन सा नाटक करने जा रही है. उसे मालूम था कि बबीता तेजतर्रार औरत है जरूर उस के मन में कोई षडयंत्र चल रहा होगा. यही सोच कर अजय यादव ने बंटी को समझाते हुए उन लोगों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी. लेकिन बंटी तो जैसे बबीता के प्यार में पागल हो चुका था.
वह बबीता के साथ संबंध बनाए रखने के लिए सुनयना के साथ शादी करने पर अड़ गया. बंटी ने यह बात बबीता को बताई कि उस के घर वाले सुनयना के साथ शादी करने के लिए राजी नहीं हैं. सुन कर बबीता को गुस्सा आ गया. वह तुरंत अजय यादव से मिली. बबीता ने अजय यादव को धमकाया कि शायद तुम्हें बलात्कार की सजा मालूम नहीं है. तुम्हारे बेटे ने मेरी बहन के साथ बलात्कार किया है. इस बात को मैं और तुम्हारा बेटा ही जानता है. बलात्कार वाली बात सुनते ही अजय यादव का गला सूख गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि बबीता जो कह रही है वह कहां तक सच है. उस ने उसी समय बंटी से पूछा तो उस ने चुप्पी साध ली. वह जानता था कि बबीता जो भी कर रही है उसी के हित में है. उस दिन के बाद अजय यादव ने बंटी और बबीता के बीच दखलअंदाजी करना बंद कर दिया.
घटना से लगभग 7 महीने पहले अजय यादव ने अपनी बेटी लक्ष्मी का बर्थ डे मनाने का मन बनाया. उसी दिन बबीता अपनी बहन सुनयना को साथ ले कर अजय यादव के घर पहुंच गई. उस दिन सुनयना दुलहन के कपड़ों में थी. इस से पहले अजय यादव कुछ समझ पाता बबीता ने उस से शादी की तैयारी करने को कहा. शादी वाली बात सुनते ही अजय यादव हक्काबक्का रह गया. लेकिन उस समय अजय में बबीता की बात का विरोध करने का साहस नहीं था. इसीलिए उस ने आननफानन में एक पंडित को बुलवा कर बंटी के साथ सुनयना की शादी करा दी. सुनयना की शादी का कन्यादान भी शंभू गिरि ने ही किया.
बंटी और सुनयना की शादी हो जाने के बाद बबीता अपने पति शंभू गिरि को साथ ले कर अपने कमरे पर आ गई. उस के बाद बबीता जब भी चाहती, अपनी बहन की खैरखबर लेने के बहाने बिना किसी रोकटोक के बंटी के घर आनेजाने लगी. अब अजय का मुंह भी पूरी तरह बंद हो गया था. शादी वाली रात ही बंटी सुनयना की हकीकत समझ गया था. जब उसे मालूम हुआ कि सुनयना मंदबुद्धि है तो उसे बहुत दुख हुआ. लेकिन वह बबीता के प्यार में पागल था. उस ने सोचा कि वह घर का थोड़ा बहुत काम तो करती ही रहेगी. बाकी उस के तन की प्यास बुझाने के लिए बबीता है ही.
लेकिन सुनयना की हकीकत पता चलते ही अजय को झटका लगा. उस ने सोचा भी नहीं था कि वह अपने बेटे की जिद के आगे ऐसी मुश्किल में फंस जाएगा. उस की बीवी पहले से ही कम सुनती थी, घर में बहू आई तो वह भी पागल जैसी. जैसेजैसे वक्त आगे बढ़ता गया, सुनयना का पागलपन खुल कर सामने आता गया. कभीकभी तो वह रात में ही दीवार पर लगी रेलिंग को फांद कर घर से गायब हो जाती थी. फिर उसे ढूंढ कर लाना पड़ता था. सुनयना की हरकतों से आजिज आने के बाद बंटी ने बबीता से शिकायत करते हुए कहा कि तुम ने अपनी पागल बहन के साथ शादी करा के मुझे किस मुसीबत में डाल दिया.
बंटी ने बबीता से कहा कि इस से पहले वह हमें किसी मुश्किल में डाले उसे तुम अपने घर ले जाओ. बबीता ने बड़ी मुश्किल से उस की शादी कर पीछा छुड़ाया था, अब यह बात बबीता के पति शंभू गिरि के सामने आई तो उस ने उसे बिहार छोड़ आने को कहा. लेकिन बबीता उसे बिहार छोड़ने को तैयार न थी. उसे दुविधा थी तो इस बात की कि अगर वह बिहार चली गई तो उस का बंटी से मिलनाजुलना बंद हो जाएगा. वह किसी भी कीमत पर बंटी से संबंध खत्म करना नहीं चाहती थी. जिस समय की यह बात है उस समय पूरे देश में कोरोना कहर ढा रहा था. देश में लौकडाउन लगने के कारण सब लोग घर से निकलने से बचते थे. दिन के 12 बजतेबजते पूरा शहर सुनसान नजर आने लगता था.
उसी लौकडाउन का लाभ उठाने के लिए बबीता ने बंटी के साथ मिल कर एक षडयंत्र रचा. जिस के तहत सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे यानी दोनों ने सुनयना को मौत के घाट उतारने की योजना बना डाली. योजना के तहत 24 मई, 2020 को बबीता सुनयना को साथ ले कर घर से निकली और फिर उसे सरकारी अस्पताल के पास बैठा कर बंटी के कमरे पर पहुंच गई. पूर्व नियोजित योजनानुसार दोनों सुनयना को काशीपुर की गड्ढा कालोनी में कमरा दिखाने की बात कह कर रामनगर रेलवे ट्रैक की ओर निकल गए. उस समय दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था. फिरोजपुर गांव के पास पहुंचतेपहुंचते सुनयना ने पानी पीने की इच्छा जाहिर की तो बंटी ने उसे पास में खड़े एक हैंडपंप से पानी पिलाया.
उस के बाद उन्होंने सुनयना से कहा कि गड्ढा कालोनी पास ही है. सुनयना ने कभी गड्ढा कालोनी का नाम तक नहीं सुना था. फिर भी वह उन्हीं दोनों पर विश्वास कर के आगे बढ़ती गई. जंगल के पास पहुंचते ही बबीता वहीं एक पेड़ के नीचे बैठ गई. उस के बाद मौका पाते ही बंटी ने सुनयना को कब्जे में कर के उस का गला दबाने की कोशिश की. लेकिन सुनयना उस के चंगुल से छूट कर भाग गई. जब बंटी को लगा कि अगर वह वहां से भागने में कामयाब हो गई तो उन का सारा खेल सामने आ जाएगा. बंटी ने फिर से कोशिश की और पूरा जोर लगाते हुऐ उसे 50 मीटर की दूरी पर धर दबोचा. उसी समय अपना बचाव करते हुए सुनयना ने बंटी के चेहरे पर नाखून भी मारे. लेकिन बंटी ने दरिंदगी दिखाते हुए सुनयना का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.
सुनयना की हत्या करने के दौरान उस का और बंटी का मास्क भी टूट गया था. जिसे बंटी ने वहीं पर फेंक दिया था. घर से निकलने से पहले ही पूर्व योजनानुसार बबीता एक थैले में सुनयना के कपड़े भी रख लाई थी. ताकि उस के खत्म होने के बाद बहाना बनाया जा सके कि सुनयना अकसर अपने कपड़े साथ ले कर घर से गायब हो जाती थी. उस की हत्या का आरोप उन पर न आने पाए. बबीता ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह जो खेल अपनी बहन की जिंदगी के साथ खेल रही है वही उस के जी का जंजाल बन जाएगा. इस वारदात का खुलासा करते ही एएसपी राजेश भट्ट ने इस केस के खुलासे में लगी पुलिस टीम को डेढ़ हजार रुपए का ईनाम दिया.
इस केस के खुलने पर पुलिस ने 30 मई, 2020 भादंवि की धारा 302/201 के तहत बंटी यादव और बबीता को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया.