मध्य प्रदेश के शहर ग्वालियर के थाना थाटीपुर के थानाप्रभारी आर.बी.एस. विमल 5 अगस्त की रात करीब 3 बजे इलाके की गश्त लगा कर थोड़ा सुस्ताने के मूड में थे. तभी उन के पास किसी महिला का फोन आया. महिला ने कहा, ‘‘सर, मैं तृप्तिनगर से बोल रही हूं. मेरे पति रविदत्त दूबे का मर्डर हो गया है. उन की गोली मार कर हत्या कर दी गई है,’’ इतना कहने के बाद महिला सिसकने लगी. अपना नाम तक नहीं बता पाई.

थानाप्रभारी ने उस से कहा भी, ‘‘आप कौन बोल रही हैं? घटनास्थल और आसपास की लोकेशन के बारे में कुछ बताइए. वहां पास में और कौन सी जगह है, कोई चर्चित दुकान, शोरूम या स्कूल आदि है तो उस का नाम बोलिए.’’

‘‘सर, मैं भारती दूबे हूं. तृंिप्तनगर के प्रवेश द्वार के पास ही लोक निर्माण इलाके में टाइमकीपर दूबेजी का मकान पूछने पर कोई भी बता देगा.’’ महिला बोली.

घटनास्थल का किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं करने की सख्त हिदायत देने के कुछ समय बाद ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घनी आबादी वाले उस इलाके में पहुंच गए. थानाप्रभारी आर.बी.एस. विमल और एसआई तुलाराम कुशवाह के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों को अल सुबह देख कर वहां के लोग चौंक गए.

लोगों से भारती दूबे का घर मालूम कर के वह वहां पहुंच गए. जब वह पहली मंजिल पर पहुंचे तो एक कमरे में भारती के पति रविदत्त दूबे की लाश पड़ी थी. पुलिस के पीछेपीछे कुछ और लोग भी वहां आ गए. उन में ज्यादातर परिवार के लोग ही थे.

थानाप्रभारी ने लाश का मुआयना किया तो बिस्तर पर जहां लाश पड़ी थी, वहां भारी मात्रा में खून भी निकला हुआ था. उन के पेट में गोली लगी थी.

मुंह से भी खून निकल रहा था, लाश की स्थिति को देख कर खुद गोली मार कर आत्महत्या का भी अनुमान लगाया गया, किंतु वहां हत्या का न कोई हथियार नजर आया और न ही सुसाइड नोट मिला.

घर वालों ने बताया कि उन्हें किसी ने सोते वक्त गोली मारी होगी. हालांकि इस बारे में सभी ने रात को किसी भी तरह का शोरगुल सुनने से इनकार कर दिया. थानाप्रभारी ने मौके पर फोरैंसिक टीम भी बुला ली.

पुलिस को यह बात गले नहीं उतरी. फिर भी थानाप्रभारी ने हत्या के सुराग के लिए कमरे का कोनाकोना छान मारा. उन्होंने घर का सारा कीमती सामान भी सुरक्षित पाया. इस का मतलब साफ था कि बाहर से कोई घर में नहीं आया था.

अब बड़ा सवाल यह था कि जब बाहर से से कोई आया ही नहीं, तो रविदत्त  को गोली किस ने मारी? फोरैंसिक एक्सपर्ट अखिलेश भार्गव ने रविदत्त के पेट में लगी गोली के घाव को देख कर नजदीक से गोली मारे जाने की पुष्टि की.

जांच के लिए खोजी कुत्ते की मदद ली गई. कुत्ता लाश सूंघने के बाद मकान की पहली मंजिल पर चक्कर लगाता हुआ नीचे बने कमरे से आ गया. वहां कुछ समय घूम कर बाहर सड़क तक गया, फिर वापस बैडरूम में लौट आया. बैड के इर्दगिर्द ही घूमता रहा. उस ने ऐसा 3 बार किया. फिगरपिं्रट एक्सपर्ट की टीम ने बैडरूम सहित अन्य स्थानों के सबूत इकट्ठे किए.

इन सारी काररवाई के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. साथ ही भादंवि की धारा 302/34 के तहत अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया. पुलिस को दूबे परिवार के बारे में भारती दूबे से जो जानकारी मिली, वह इस प्रकार थी—

ग्वालियर के थाटीपुर के तृप्तिनगर निवासी 58 वर्षीय रविदत्त दूबे अपनी पत्नी भारती, 2 बेटियों और एक बेटे के साथ रहते थे. रविदत्त लोक निर्माण विभाग में टाइमकीपर की नौकरी करते थे. उन की नियुक्ति कलेक्टोरेट स्थित निर्वाचन शाखा में थी.

साल 2006 में पहली पत्नी आभा की बेटे के जन्म देते वक्त मौत हो गई थी. उस के बाद उन्होंने साल 2007 में केरल की रहने वाली भारती नाम की महिला से विवाह रचा लिया था. वह अहिंदी भाषी और भिन्न संस्कार समाज की होने के बावजूद दूबे परिवार में अच्छी तरह से घुलमिल गई थी.

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दूबे ने भारती से कोर्टमैरिज की थी. शादी के बाद भारती ने दिवंगत आभा के तीनों बच्चों को अपनाने और उन की देखभाल में कोई कमी नहीं रहने दी थी. बड़ी बेटी कृतिका की शादी नयापुरा इटावा निवासी राममोहन शर्मा के साथ हो चुके थी, किंतु उस का ससुराल में विवाद चल रहा था, इस वजह से वह पिछले 3 सालों से अपने मायके में ही रह रही थी. छोटी बेटी सलोनी अविवाहित थी.

पुलिस ने इस हत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए कई बिंदुओं पर ध्यान दिया. मृतक की पत्नी भारती और बड़ी बेटी कृतिका समेत छोटी बेटी सलोनी ने पूछताछ में बताया कि 4-5 अगस्त की आधी रात को तेज बारिश होने कारण लाइट बारबार आजा रही थी.

रात तकरीबन 9 बजे खाना खाने के बाद वे अपने घर की पहली मंजिल पर बने बैडरूम में सोने के लिए चली गई थीं. घटना के समय परिवार के सभी बाकी सदस्य एक ही कमरे में सोए हुए थे.

भारती और बड़ी बेटी कृतिका को रात के ढाई बजे हलकी सी आवाज सुनाई दी थी तो उन्होंने हड़बड़ा कर उठ कर लाइट का स्विच औन किया. इधरउधर देखा. वहां सब कुछ ठीक लगा. वह तुरंत बगल में रविदत्त दूबे के कमरे में गई. देखा बैड पर वह खून से लथपथ पड़े थे. उन के पेट से खून निकल रहा था.

कृतिका और भारती ने उन्हें हिलायाडुलाया तब भी उन में कोई हरकत नहीं हुई. नाक के सामने हाथ ले जा कर देखा, उन की सांस भी नहीं चल रही थी. फिर भारती ने दूसरे रिश्तेदारों को सूचित करने के बाद पुलिस को सूचित कर दिया.

थानाप्रभारी को दूबे हत्याकांड से संबंधित कुछ और जानकारी मिल गई थी, फिर भी वह हत्यारे की तलाश के लिए महत्त्वपूर्ण सबूत की तलाश में जुटे हुए थे. घटनास्थल पर तहकीकात के दौरान एसआई तुलाराम कुशवाहा को दूबे की छोटी बेटी पर शक हुआ था.

कारण उस के चेहरे पर पिता के मौत से दुखी होने जैसे भाव की झलक नहीं दिखी थी. उन्होंने पाया कि सलोनी जबरन रोनेधोने का नाटक कर रही थी. उस की आंखों से एक बूंद आंसू तक नहीं निकले थे.

घर वालों के अलगअलग बयानों के कारण दूबे हत्याकांड की गुत्थी सुलझने के बजाय उलझती ही जा रही थी. उसे सुलझाने का एकमात्र रास्ता काल डिटेल्स को अपनाने की योजना बनी. मृतक और उस के सभी परिजनों के मोबाइल नंबर ले कर उन की काल डिटेल्स निकलवाई गई.

कब, किस ने, किस से बात की? उन के बीच क्याक्या बातें हुईं? उन में बाहरी सदस्य कितने थे, कितने परिवार वाले? वे कौन थे? इत्यादि काल डिटेल्स का अध्ययन किया गया. उन में एक नंबर ऐसा भी निकला, जिस पर हर रोज लंबी बातें होती थीं.

पुलिस को जल्द ही उस नंबर को इस्तेमाल करने वाले का भी पता चल गया. रविदत्त दूबे की छोटी बेटी सलोनी उस नंबर पर लगातार बातें करती थी. पुलिस ने उस फोन नंबर की जांच की तो वह नंबर परिवार के किसी सदस्य या रिश्तेदार का नहीं था बल्कि ग्वालियर में गल्ला कठोर के रहने वाले पुष्पेंद्र लोधी का निकला.

पुलिस इस जानकारी के साथ पुष्पेंद्र के घर जा धमकी. वह घर से गायब मिला. इस कारण उस पर पुलिस का शक और भी गहरा हो गया. फिर पुलिस ने 14 अगस्त की रात में उसे दबोच लिया.

उस से पूछताछ की. पहले तो उस ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की, लेकिन बाद में सख्ती होने पर उस ने दूबे की हत्या का राज खोल कर रख दिया.

साथ ही उस ने स्वीकार भी कर लिया कि रविदत्त दूबे की हत्या उस ने सलोनी के कहने पर की थी. उन्हें देशी तमंचे से गोली मारी थी. पुष्पेंद्र ने पुलिस को हत्या की जो वजह बताई, वह भी एक हैरत से कम नहीं थी. पुलिस सुन कर दंग रह गई कि कोई जरा सी बात पर अपने बाप की हत्या भी करवा सकता है.

बहरहाल, पुष्पेंद्र के अपराध स्वीकार किए जाने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उस की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल .315 बोर का तमंचा भी बरामद कर लिया. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पुष्पेंद्र लोधी ने बताया कि वह पिछले एक साल से सलोनी का सहपाठी रहा है. सलोनी के एक दूसरे सहपाठी करण राजौरिया से प्रेम संबंध थे. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे. उस की तो सलोनी से केवल दोस्ती थी.

उस ने बताया कि एक बार करण के साथ सलोनी को रविदत्त दूबे ने घर पर ही एकदूसरे की बांहों में बांहें डाले देख लिया था.

अपनी बेटी को किसी युवक की बांहों में देखना रविदत्त को जरा भी गवारा नहीं लगा. उन्होंने उसी समय सलोनी के गाल पर तमाचा जड़ दिया. बताते हैं कि तमाचा खा कर सलोनी तिलमिला गई थी.

उस ने अपने गाल पर पिता के चांटे का जितना दर्द महसूस नहीं किया, उस से अधिक उस के दिल को चोट लगी. उस वक्त करण तो चुपचाप चला गया, लेकिन सलोनी बहुत दुखी हो गई. यह बात उस ने अपने दोस्त पुष्पेंद्र को फोन पर बताई.

फोन पर ही पुष्पेंद्र ने सलोनी को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह उस की सलाह सुनने को राजी नहीं हुई. करण के साथ पिता द्वारा किए गए दुर्व्यवहार और उस के सामने थप्पड़ खाने से बेहद अपमानित महसूस कर रही थी. अपनी पीड़ा दोस्त को सुना कर उस ने अपना मन थोड़ा हलका किया.

उस ने बताया कि उस घटना से करण भी बहुत दुखी हुआ था. उस के बाद से उस ने एक बार भी सलोनी से बात नहीं की, जिस से उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. सलोनी समझ रही थी कि उस के पिता उस की मोहब्बत के दुश्मन बन बैठे हैं.

इस तरह सलोनी लगातार फोन पर पुष्पेंद्र से अपने दिल की बातें बता कर करण तक उस की बात पहुंचाने का आग्रह करती रही. एक तरफ उसे प्रेमी द्वारा उपेक्षा किए जाने का गम था तो दूसरी तरफ पिता द्वारा अपमानित किए जाने की पीड़ा. सलोनी बदले की आग में झुलस रही थी. उस ने पिता को ही अपना दुश्मन समझ लिया था.

कुछ दिन गुजरने के बाद एक दिन पुष्पेंद्र की बदौलत सलोनी की करण से मुलाकात हो गई. उस ने मिलते ही करण से माफी मांगी, फिर कहा, ‘‘तुम अब भी दुखी हो?’’

‘‘मैं कर भी क्या सकता था उस वक्त?’’ करण झेंपते हुए बोला.

‘‘सारा दोष पापा का है, उन्होंने तुम्हें बहुत भलाबुरा कहा,’’ सलोनी बोली.

‘‘तुम्हें भी तो थप्पड़ जड़ दिया. कम से कम वह तुम्हारी राय तो जान लेते, एक बार…’’ करण बोला.

‘‘यही तकलीफ तो मुझे है. आव न देखा ताव, सीधे थप्पड़ जड़ दिया. मां रहती तो शायद यह सब नहीं होता. मां सब कुछ संभाल लेती.’’ कहती हुई सलोनी की आंखें नम हो गईं.

‘‘कोई बात नहीं, मैं उन से एक बार बात कर लूं?’’ करण ने सुझाव दिया.

‘‘अरे, कोई फायदा नहीं होने वाला, दीदी को ले कर वह हमेशा गुस्से में रहते हैं. दीदी की मरजी से शादी नहीं हुई थी. नतीजा देखो, उस का घर नहीं बस पाया. न पति अच्छा मिला और न ससुराल. 3 साल से मायके में हमारे साथ बैठी है.’’ सलोनी बिफरती हुई बोली.

‘‘तुम्हारी भी शादी अपनी मरजी से करवाना चाहते हैं क्या?’’ करण ने पूछा.

‘‘ऐसा करने से पहले ही मैं उन को हमेशा के लिए शांत कर दूंगी,’’ सलोनी गुस्से में बोली.

‘‘क्या मतलब है तुम्हारा?’’ करण ने पूछा.

‘‘मेरा मतलब एकदम साफ है. बस, तुम को साथ देना होगा. उन के जीते जी हम लोग एक नहीं हो पाएंगे. हमारा विवाह नहीं हो पाएगा.’’ सलोनी बोली.

‘‘मैं इस में क्या मदद कर सकता हूं?’’ करण ने पूछा.

इस पर सलोनी उस के कान के पास मुंह ले जा कर धीमे से जो कुछ कहा उसे सुन कर करण चौंक गया, अचानक मुंह से आवाज निकल पड़ी, ‘‘क्या? यह क्या कह रही हो तुम?’’

‘‘हां, मैं बिलकुल सही कह रही हूं, पापा को रास्ते से हटाए बगैर कुछ नहीं होगा. और हां, यह काम तुम्हें ही करना होगा.’’ सलोनी बोली.

‘‘नहींनहीं. मैं नहीं कर सकता हत्या जैसा घिनौना काम.’’ करण ने एक झटके में सलोनी के प्रस्ताव पर पानी फेर दिया. उस ने नसीहत देते हुए उसे भी ऐसा करने से मना किया.

सलोनी से दोटूक शब्दों में उस ने कहा कि भले ही वह उस से किनारा कर ले, मगर ऐसा वह भी कतई न करे. उस के बाद करण अपने गांव चला गया. उस ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया. करण से उस का एक तरह से संबंध खत्म हो चुका था. यह बात उस ने पुष्पेंद्र को बताई.

पुष्पेंद्र से सलोनी बोली कि करण के जाने के बाद उस का दुनिया में उस के सिवाय और कोई नहीं है, इसलिए दोस्त होने के नाते वह उस की मदद करे.

उस ने तर्क दिया कि अगर उस ने साथ नहीं दिया तो उस का हाल भी उस की बड़ी बहन जैसा हो जाएगा. एक तरह से सलोनी ने पुष्पेंद्र से हमदर्दी की उम्मीद लगा ली थी.

पुष्पेंद्र सलोनी की बातों में आ गया. वह उस की लच्छेदार बातों और उस के कमसिन हुस्न के प्रति मोहित हो गया था. मोबाइल पर घंटों बातें करते हुए सलोनी ने एक बार कह दिया था वह उसे करण की जगह देखती है. उस से प्रेम करती है.

करण तो बुजदिल और मतलबी निकला, लेकिन उसे उस पर भरोसा है. यदि वह उस का काम कर दे तो दोनों की जिंदगी संवर जाएगी. उस ने पुष्पेंद्र को हत्या के एवज में एक लाख रुपए भी देने का वादा किया.

पुष्पेंद्र पैसे का लालची था. उस ने सलोनी की बात मान ली और फिर योजनाबद्ध तरीके से 4 अगस्त, 2021 की रात को तकरीबन 10 बजे उस के घर चला गया. सलोनी ने उसे परिवार के लोगों की नजरों से बचा कर नीचे के कमरे में छिपा दिया, जबकि परिवार के लोग पहली मंजिल पर थे.

कुछ देर बाद जब घर के सभी सदस्य गहरी नींद में सो गए तो रात के ढाई बजे सलोनी नीचे आई और पुष्पेंद्र को अपने साथ पिता के उस कमरे में ले गई, जहां वह सो रहे थे.

रविदत्त अकेले गहरी नींद में पीठ के बल सो रहे थे. पुष्पेंद्र ने तुरंत तमंचे से रविदत्त के पास जा कर गोली मारी और तेजी से भाग कर अपने घर आ गया.

पुलिस के सामने पुष्पेंद्र द्वारा हत्या का आरोप कुबूलने के बाद उसे हिरासत में ले लिया गया. सलोनी को भी तुरंत थाने बुलाया गया. उस से जैसे ही थानाप्रभारी ने उस के पिता की हत्या के बारे में पूछा, तो वह नाराज होती हुई बोली, ‘‘सर, मेरे पिता की हत्या हुई है और आप मुझ से ही सवालजवाब कर रहे हैं.’’

यहां तक कि सलोनी ने परेशान करने की शिकायत गृहमंत्री तक से करने की धमकी भी दी.

थानाप्रभारी बी.एस. विमल ने जब पुष्पेंद्र लोधी से मोबाइल पर पिता की हत्या से पहले और बाद की बातचीत का हवाला दिया, तब सलोनी के चेहरे का रंग उतर गया. तब थानाप्रभारी विमल ने पुष्पेंद्र द्वारा दिए गए बयान की रिकौर्डिंग उसे सुना दी.

फिर क्या था, उस के बाद सलोनी अब झूठ नहीं बोल सकती थी. अंतत: सलोनी ने भी कुबूल कर लिया कि पिताजी की हत्या उस ने ही कराई थी.

पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को रविदत्त दूबे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर दिया. वहां से उन्हें हिरासत में ले कर जेल भेज दया गया.

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