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आम तौर पर समाज में घटित होने वाले अपराधों के तीन कारण होते हैं जर (रूपया-पैसा), जोरू(औरत),और जमीन.मौजूदा दौर में सबसे ज्यादा अपराधिक घटनाएं नाजायज संबंधों की वजह से हो रही हैं.

समाज में सेक्स को लेकर खुलकर चर्चा न होने से नौजवानों के मन में सेक्स संबंधों को लेकर जिज्ञासा बनी रहती है. सेक्स का मजा लेने के लिए महिला, पुरुषों द्वारा बनाए गए नाजायज संबंध समाज की नजरों में देर तक छुपे नहीं रहते. नाजायज संबंधों के खुलासा होने पर परिवार में कलह और समाज में बदनामी होने लगती है. दोस्ती में विश्वासघात करके बनाये गये नाजायज संबंधों में लोग एक दूसरे के जान के प्यासे तक हो जाते हैं.

दोस्ती के नाम पर विश्वासघात करने का ऐसा ही मामला नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से करीब ५० किमी दूर गोटेगांव थाना क्षेत्र अंतर्गत जामुनपानी गांव  में सामने आया है.

लॉक डाउन की सख्ती के बीच जामुनपानी गांव के पास खेत में 21-22 अप्रैल की दरम्यानी रात दो युवकों की धारदार हथियार से गला काट कर नृशंस हत्या कर दी गई.पिपरिया लाठ गांव निवासी मोहन उम्र 30 साल  और कुंजी यादव  उम्र 18 साल दोनों ही जमीन सिकमी पर लेकर खेती करते थे . 21 अप्रैल को  रात 9 बजे दोनों अपने घरों से खाना खाकर खेत पर गए थे. दूसरे दिन दोपहर तक जब दोनों घर नहीं आए और मोबाइल पर संपर्क नहीं हुआ तो मोहन के पिता हीरालाल ने खेत सोचा कि खेत पर जाकर देखते हैं. खेत पर जाकर हीरालाल ने दोनों के शव रक्त रंजित अवस्था में पड़े देखे तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं .

हीरालाल द्वारा पुलिस चौकी झोतेश्वर में इसकी सूचना देने के पर गोटेगांव से पुलिस टीम  मामले की जांच के लिए पहुंची.  मौका मुआयना के बाद लाश का पंचनामा बनाकर गोटेगांव के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद शवों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया. पुलिस की उपस्थिति में पिपरिया(लाठगांव) में दोनों की अर्थी एक साथ उठीं. लेकिन गांव के लोगों में मोहन और कुंजी के नाजायज संबंधों की खुसर-पुसर होती रही.

दोनों नौजवानों के नाजायज संबंधों की जानकारी गांव के लोगों के साथ घर परिवार के लोगों को भी थी.मृतक कुंजी यादव की दादी ने तो पुलिस के सामने ही गांव के एक युवक गुड्डा ठाकुर पर दोनों की हत्या का आरोप लगा दिया. पुलिस टीम भी  तफशीश में जुट गई.पुलिस ने 22 अप्रैल की रात खेत में बनी गुड्डन गौड़ की झोपड़ी में दबिश दी तो वह झोपड़ी में नहीं मिला।

23 अप्रैल को तड़के पुलिस ने एक बार फिर झोपड़ी में दबिश दी मगर उसकी झोपड़ी में मौजूद कुत्ता दूर से ही पुलिस को देख कर भौंकने लगा , जिस पर गुड्न गौड बिस्तर से उठा और चड्डी बनियान में ही जंगल की ओर भाग गया .जब पुलिस झोपड़ी में पहुंची तो चूल्हा की आग गरम थी, बिस्तर बिछा हुआ था उसने कपड़े और जूते वहीं पर उतार कर रखे थे. झोपड़ी में पुलिस को गुड्डन की बैंक पास बुक और फोटो मिली थी.

जंगली रास्तों में पुलिस से छिपता फिर रहा गुड्डन

आखिरकर 23 अप्रैल की शाम को झोतेश्वर के हनुमान टेकरी मंदिर के पास पकड़ में आ ही गया.पुलिस पूछताछ में मोहन और कुंजी की हत्या करने का जुर्म कबूल करने के साथ जो कहानी सामने आई , उसमें हत्या का कारण दोस्ती में विश्वासघात कर बनाये गये नाजायज संबंध ही थे.

मोहन और कुंजी , गुड्डा ठाकुर के अच्छे दोस्त थे और इसी वजह से वे गुड्डा के घर आते जाते रहते थे. लेकिन मोहन की नजर गुड्डा की खूबसूरत बीबी रति (परिवर्तित नाम) पर टिकी रहती थी. तीखे नैन-नक्श और गठीले बदन की रति से मोहन हंसी मजाक कर लिया करता था. जब भी गुड्डा ठाकुर घर से बाहर रहता तो मोहन गुड्डा के घर पहुंच जाता. हंसी मज़ाक का सिलसिला धीरे धीरे आगे बढते देख एक दिन मोहन ने रति से कहा – ,” रति भाभी तुम तो मुझे इतनी सुन्दर लगती हो कि जी चाहता है तुम पर सब कुछ लुटा दूं”. रति को भी मोहन की ये अदायें भाने लगी थी तो उसने भी कह दिया-” तुम्हें रोका किसने है”.

फिर क्या था मोहन ने रति को अपनी बाहों में भर लिया और उसके ओंठ चूमने लगा. देखते ही देखते दोनों तरफ से लगी जिस्मानी प्यास तभी बुझी थी, जब तक वे एक उन्हें तृप्ति का एहसास न हो गया.

आखिरकार इन नाजायज संबंधों की जानकारी एक दिन गुड्डा को भी लग गई तो उसने दोनों दोस्तों को समझाने का प्रयास किया,मगर मोहन और कुंजी ने अपनी गल्ती मानने की बजाय उल्टे गुड्डा की मर्दानगी का मजाक बनाना शुरू कर दिया.नाजायज संबंधो की बजह से पति-पत्नी में झगड़े होने लगे और उसकी बीवी अपने मायके जबलपुर के पास चरगवा चली गई.

गुड्डा अपनी घर गृहस्थी उजड़ने से परेशान रहने लगा था .समाज में भी उसकी बदनामी हो गई थी. ऐसे में गुड्डा के दिलों दिमाग में मोहन को  अपने रास्ते से हटाने की योजना बनती रहती थी.

प्रतिशोध की आग में जल रहे गुड्डा ने  निश्चय कर लिया था कि वह मोहन को मौत के घाट उतारकर ही दम लेगा. गुड्डा को पता तो था ही कि मोहन और कुंजी रोज ही खेत पर आते हैं . 21 अप्रैल की रात वह खेत की टपरिया से ही मोहन और कुंजी पर नजर रख रहा था. फसल की गहाई पूरी होने के बाद जब मोहन और कुंजी खेत पर सो गये तो रात 2 बजे के लगभग वह कुल्हाड़ी लेकर खेत पर पहुंच गया और गहरी नींद सो रहे मोहन और कुंजी के सिर पर धड़ाधड़ क‌ई वार करके उन्हें हमेशा के लिए गहरी नींद सुला दिया.उसने कुंजी की हत्या इसलिए की कि कुंजी मोहन और  रति के मिलने में सहायता करता था.

अक्सर ही नाजायज संबंधों का  इसी तरह से दुखद अंत होता है.इस घटना में भी जहां मोहन और कुंजी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा तो पत्नी की वजह से हुई बदनामी के कारण गुड्डा ठाकुर को दोहरी हत्या करने के लिए मजबूर कर दिया.

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