विनोद दीक्षित उस मीटिंग में जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी उन के पास 32-33 साल का एक युवक शिकायत ले कर आया. उस ने टीआई साहब को शिकायती पत्र दिया. उसे पढ़ कर टीआई विनोद दीक्षित चौंके. क्योंकि मामला हनीट्रैप का था.

हनीट्रैप का एक मामला वैसे भी पूरे प्रदेश में हलचल मचाए हुए था. यह मामला भी कहीं चर्चित न हो जाए, इसलिए टीआई ने उस युवक की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए यह सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी.

एसएसपी के आदेश पर टीआई ने शिकायतकर्ता राजेश गहलोत की तहरीर पर आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा कर इस की जांच एसआई दिलीप देवड़ा को सौंप दी.

एसआई दिलीप देवड़ा ने जब राजेश सोलंकी ने बताया कि इंदौर की द्वारिकापुरी सोसाइटी निवासी दुर्गेश सेन और उस की लिवइन पार्टनर गायत्री सिसोदिया ने पहले उसे धोखे से अपने देहजाल में फंसाया और फिर चोरीछिपे उस की अश्लील वीडियो बना ली.

उसी वीडियो से ब्लैकमेल कर के वह उस से 45 हजार रुपए वसूल चुके हैं. लेकिन इस के बाद भी उन की पैसों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. राजेश गहलोत ने ब्लैकमेल करने के कुछ सबूत भी जांच अधिकारी को सौंपे.

एसआई दिलीप देवड़ा ने सबूतों का अध्ययन कर के राजेश गहलोत से बात करने के बाद सारी जानकारी टीआई विनोद दीक्षित व सीएसपी पुनीत गहलोत को दे दी.

इस के बाद उन्होंने नामजद आरोपियों को गिरफ्तार करने की योजना बनानी शुरू कर दी. अगले दिन पुलिस टीम ने द्वारिकापुरी सोसाइटी से दुर्गेश को गिरफ्तार कर लिया. तलाशी में दुर्गेश के पास एक भरा हुआ पिस्तौल ओर 3 जिंदा कारतूस भी मिले.

दुर्गेश से पूछताछ की गई तो उस ने खुद को निर्दोष बताया. इतना ही नहीं उस ने राजेश गहलोत को पहचानने से भी इनकार कर दिया. लेकिन जब एसआई देवड़ा ने गहलोत द्वारा उपलब्ध कराए सबूत उस के सामने रखे तो दुर्गेश की बोलती बंद हो गई. अब उस के बोलने की कोई गुंजाइश ही नहीं बची थी.

लिहाजा उसे सच्चाई बताने के लिए मजबूर होना पड़ा. एसआई देवड़ा ने उस से जानकारी ले कर तत्काल जवाहर नगर देवास में दबिश दी और गायत्री सिसोदिया को भी गिरफ्तार कर लिया. गायत्री ने भी नाटकबाजी करते हुए राजेश गहलोत को पहचानने से इनकार कर दिया.

जांच अधिकारी ने गायत्री सिसोदिया का मोबाइल जब्त कर उस की जांच की तो राजेश के साथ ही नहीं बल्कि कई अन्य युवकों के साथ भी उस की अश्लील वीडियो मिलीं. इस से साफ हो गया कि गायत्री दुर्गेश के साथ मिल कर पैसे वाले युवकों को अपने जिस्म के जाल में फंसा कर उन्हें ब्लैकमेल करने का काम कर रही थी.

चूंकि उन के खिलाफ सुबूत मिल चुके थे और उन्होंने अपना अपराध भी स्वीकार कर लिया था, इसलिए पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश कर दुर्गेश को रिमांड पर ले लिया जबकि कोर्ट के आदेश पर गायत्री को जेल भेज दिया गया. इस के बाद हनीट्रैप की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी—

मध्य प्रदेश के जनपद देवास के रहने वाले राजेश गहलोत का टूव्हीलर

शोरूम था. जिस मोहल्ले में राजेश रहते थे, उसी मोहल्ले में दुर्गेश नाम का एक शख्स रहता था जो एक निजी कंपनी की बस में ड्राइवर था. दुर्गेश चालाक इंसान था. उस ने नरसिंहपुर में रहने वाली गायत्री नाम की युवती से अच्छी दोस्ती कर ली थी. यह दोस्ती उन्हें अवैध संबंधों तक ले गई.

दरअसल गायत्री इंदौर के एक कालेज से बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थी. वह अकसर दुर्गेश की बस से कालेज जाती थी. उसी समय उन दोनों की दोस्ती हो गई थी. बाद में दुर्गेश उस की आर्थिक मदद भी करने लगा था. उन के संबंध इतने गहरे हो गए थे कि दुर्गेश ने द्वारिकापुरी में किराए पर एक फ्लैट ले लिया और उस के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगा.

इस के पीछे गायत्री की यह सोच थी कि उसे पढ़ाई का खर्च तो घर से मिलता रहेगा, बाकी ऐश के लिए दुर्गेश उस का खर्च उठाएगा. लेकिन एक बस ड्राइवर अपनी प्रेमिका पर कितना खर्च कर सकता था. सो जल्द ही गायत्री को लगने लगा कि ऐश करने के लिए उसे ही कोई रास्ता निकालना पड़ेगा. इस बीच उस ने देखा कि उस के कालेज की कई लड़कियां जो बाहर के शहरों से पढ़ने के लिए इंदौर में आ कर अकेली रहती हैं, अपने ऊपरी खर्च निकालने के लिए एक साथ कई लड़कों को अपना प्रेमी बनाए हुए हैं.

लेकिन उन में और गायत्री में अंतर था. दूसरी लड़कियों को रोकटोक करने वाला कोई नहीं था, जबकि दुर्गेश गायत्री पर नजर रखता था. इसलिए काफी सोचसमझ कर गायत्री ने एक दिन दुर्गेश को जल्द अमीर होने की योजना बताई. उस ने कहा कि क्यों न वे युवकों को हनीट्रैप में फंसा कर उन से मोटी कमाई करें.

दुर्गेश को गायत्री की यह योजना पसंद आ गई. दुर्गेश खुद भी गायत्री के साथ यही कर रहा था. वह उसे अन्य युवकों के साथ सुलाने के लिए तैयार हो गया. इस योजना में दुर्गेश ने अपने दोस्त राकेश सोलंकी को भी शामिल कर लिया.

गायत्री ने सब से पहले युवकों को फंसाने की शुरुआत अपने कालेज से की. वहां से वह युवकों को अपने जाल में फंसा कर कमरे पर लाती, जहां दुर्गेश चोरीछिपे उन की अश्लील फिल्म बनाने के बाद गायत्री और राकेश की मदद से ब्लैकमेल करता. लेकिन जल्द ही इन दोनें की समझ में आ गया कि कालेज बौय को फंसाने में 10-15 हजार से ज्यादा की रकम नहीं मिल पाती. इसलिए वह मालदार आसानी को शिकार बनाने की फिराक में रहने लगे.

इस बीच गायत्री ने कालेज में ऐसी लड़कियां तलाश कर लीं, जिन की न केवल कई युवकों से दोस्ती थी बल्कि किसी भी युवक के साथ एकदो दिन के लिए इंदौर से बाहर घूमने के लिए जाने को तैयार रहती थीं.

गायत्री ने ऐसी लड़कियों से दोस्ती कर एक वाट्सऐप ग्रुप बना कर सब को साथ जोड़ लिया. इस के बाद उस ने इन में से काम की कुछ लड़कियों का चयन कर उन्हें अपने सांचे में ढाल लिया. इस काम में दुर्गेश भी उस की मदद कर रहा था.

अब उस के ग्रुप की लड़कियां किसी मालदार युवक को अपने रूपजाल में फंसा कर गायत्री के कमरे में लातीं जहां गायत्री और दुर्गेश मिल कर युवती के साथ युवक का अश्लील वीडियो बनाने के बाद उस से बड़ी रकम झटक लेते. इस काम के लिए गायत्री के गिरोह की लड़कियों ने कई कोड वर्ड भी तैयार कर लिए थे. जैसे कि लड़की बोलती कि एक फोटो फ्रेम कर ली है तो इस का मतलब होता था कि एक युवक जाल में फंस चुका है.

जांच में सामने आया कि गायत्री राकेश और दुर्गेश ने कई युवकों को इस तरह से ब्लैकमेल कर उन से बड़ी रकम लूटी. पुलिस ने गायत्री के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ी कुछ लड़कियों के भी बयान दर्ज किए, जिन में उन्होंने स्वीकार किया कि गायत्री उन से लड़कों को फंसा कर अपने घर पर लाने का दबाव डालती थी लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था.

देवास निवासी राजेश गहलोत गायत्री के जाल में कैसे फंसा इस की कहानी भी काफी रोचक है. हुआ यह कि राजेश को देवास स्थित अपने टूव्हीलर शोरूम पर एकाउंट का काम संभालने के लिए किसी स्मार्ट लड़की की जरूरत थी. इस बारे में राजेश ने दुर्गेश की मौजूदगी में अपने दोस्त से बात की तो दुर्गेश का दिमाग चल गया. राजेश के पास काफी पैसा है यह बात दुर्गेश जानता था.

उस ने सोचा कि अगर गायत्री से राजेश को मिलवा दिया जाए तो लाखों रुपए हाथ आ जाएंगे, यह सोच कर उस ने राजेश से कहा, ‘‘इंदौर में मेरी परिचित एक युवती है. स्मार्ट भी है उसे काम की जरूरत है. तुम कहो तो इंटरव्यू के लिए मैं उसे बुला देता हूं. अगर समझ में आए तो देख लेना. मुझे लगता है कि वो काफी सुलझी हुई लड़की है, जो तुम्हारा सारा शोरूम संभाल सकती है.’’

‘‘ठीक है, उसे 2 दिन बाद बुला लो, क्योंकि कल मुझे एक जरूरी काम से इंदौर जाना है.’’ राजेश बोले.

‘‘ठीक है न, वो इंदौर में ही रहती है. तुम कहो तो वहीं तुम्हारी मुलाकात उस से करवा दूंगा.’’ दुर्गेश ने राजेश से कहा तो राजेश इस के लिए तैयार हो गया.

दूसरे दिन दुर्गेश अपनी ड्यूटी पर नहीं गया और इंदौर में बैठ कर गायत्री के साथ राजेश को सांचे में उतारने की तैयारी में जुट गया. राजेश चूंकि दुर्गेश की नजर में काफी मोटी आसामी था, इसलिए राजेश से मिलने से पहले उस ने गायत्री को ब्यूटीपार्लर भेज कर तैयार करवाया. इस के बाद उस ने राजेश को फोन लगाया. राजेश ने कहा कि अभी वह व्यस्त है. उस ने युवती को 2 दिन बाद देवास भेजने को कह दिया.

लेकिन जब दुर्गेश ने उस पर दबाव डाला तो वह काम से फ्री होने के बाद युवती का इंटरव्यू लेने को राजी हो गया. फिर शाम के समय दुर्गेश राजेश को ले कर गायत्री के पास आ गया. राजेश को गायत्री के साथ फ्लैट में छोड़ कर वह किसी काम के बहाने वहां से चला गया.

राजेश ने सजीधजी गायत्री को देखा तो वह उसे कहीं से भी नौकरी की तलबगार नहीं लगी. उस ने गायत्री से पूछा, ‘‘आप ने इस के पहले कहीं काम किया है?’’

‘‘जी नहीं, आप पहले हैं, जिन के साथ मैं काम करूंगी.’’ गायत्री ने मुसकरा कर जवाब दिया.

ऐसा कहते हुए गायत्री ने ‘काम’ शब्द पर जिस तरह जोर दिया उस से राजेश को लगने लगा कि गायत्री का इरादा ठीक नहीं है. एक बार तो राजेश का मन हुआ कि वहां से उठ कर चला जाए लेकिन फिर उसे लगा कि शायद उस का ऐसा सोचना गलत है.

संभव है कि लड़की का वह मतलब न हो, जो वह समझ रहा है. जबकि गायत्री का मतलब सचमुच वही था. यह बात उस की समझ में तब आई जब कुछ देर बाद गायत्री के साथ उस के कपड़े भी कमरे के फर्श पर पड़े थे.

कमरे में आया सांसों का तूफान थम चुका था. ऐसा कर के राजेश खुद को शर्मिंदा महसूस कर रहा था इसलिए अपनी शर्म छिपाने के लिए उस ने गायत्री से कहा, ‘‘ठीक है, तुम पहली तारीख से काम पर आ जाना.’’

इस के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए. इस के 2 दिन बाद गायत्री राजेश के शोरूम पर आई. राजेश ने नजरें चुराते हुए उसे काम समझाया. लेकिन गायत्री बोली, ‘‘लेकिन अब मुझे काम की कोई जरूरत ही नहीं है.’’

‘‘क्यों’’ राजेश ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘क्योंकि आप मुझे जितना वेतन साल दो साल में देते वो तो अब आप मुझे ऐसे ही 2 मिनट में दे देंगे.’’ गायत्री ने गरदन टेढ़ी कर कहा.

‘‘यह देखिए हमारे प्यार की फिल्म.’’  कहते हुए गायत्री ने उसे वह वीडियो दिखा दी जो उस ने राजेश के साथ हकीकत में किया था.

वीडियो देख कर राजेश को पसीना आ गया. लेकिन गायत्री ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘क्या सैक्सी ऐक्ट करते हो यार. बाजार में इस वीडियो को बेच दूं तो लाख दो लाख तो यूं ही मिल जाएंगे.’’

‘‘क्या कहना चाहती हो तुम.’’ राजेश थूक गटकते हुए बोला.

‘‘यही कि इस वीडियो को आप खरीदना पसंद करोगे या फिर किसी और को बेचूं?’’ वह शब्दों पर जोर देते हुए बोली.

‘‘तुम मुझे ब्लैकमेल कर रही हो?’’

‘‘तुम ने भी तो यही किया. नौकरी देने के नाम पर मेरी इज्जत लूट ली.’’

‘‘पहल तो तुम ने ही की थी.’’

‘‘लेकिन पुलिस इस बात को नहीं मानेगी, न कानून मानेगा. छोड़ो इसे कानून गया तेल लेने. मैं अपने बनाए कानून से चलती हूं. मेरी अदालत में गवाह भी मैं हूं और जज भी मैं. सीधी बात करो. 2 लाख दो और अपनी इज्जत बचा लो.’’ गायत्री ने सौदेबाजी की.

राजेश रोयागिड़गिड़ाया लेकिन गायत्री को दया नहीं आई. इसलिए राजेश ने अपने पर्स में रखे 25 हजार रुपए उसे दिए और उस से अपनी जान छुड़ाई. राजेश समझ गया कि राकेश और दुर्गेश भी इस पूरे खेल में शामिल हैं, लेकिन अपनी इज्जत के डर से वह चुप रहा.

इधर दूसरे दिन ही गायत्री ने उस से और पैसों की मांग की तो राजेश ने उसे 15 हजार रुपए और दे दिए, जबकि गायत्री 2 लाख पर अड़ी रही.

इतना ही नहीं जब राजेश ने आनाकानी की तो एक दिन राजेश के शोरूम पर आ कर वह तकरीबन 70 हजार रुपए की एक नई गाड़ी ले कर चली गई. राजेश ने सोचा कि अब शायद गायत्री उस का पीछा छोड़ देगी. लेकिन कुछ दिनों बाद गायत्री के साथ दुर्गेश भी उसे पैसा देने के लिए धमकाने लगा.

संयोग से इसी बीच राजेश की मुलाकात इंदौर निवासी अपने एक पत्रकार मित्र से हो गई. राजेश को परेशान देख कर उस ने कारण पूछा तो राजेश ने उसे सारी बात सुना दी. इस पर पत्रकार दोस्त ने उसे पुलिस की मदद लेने की सलाह दी. साथ ही उस ने पुलिस के पास जाने से पहले कुछ पुख्ता सबूत जमा कर लेने को कहा.

जिस के चलते 15 नवंबर के आसपास जब गायत्री ने फोन कर और पैसों की मांग की तो राजेश ने कहा कि ठीक है कल शाम को फूटी कोठी के पास मिलो, वहां मैं तुम्हें पैसा दे दूंगा.

गायत्री आई तो राजेश उसे पहले से तैयार रखे गए एक मकान में ले गया, जहां उस ने गायत्री के साथ हुई पैसों के लेनदेन की बात रिकौर्ड कर ली. इस के बाद कुछ देर में एटीएम से पैसा निकालने की बोल कर वह वहां से वापस आ गया और वह सीधे पुलिस के पास पहुंच गया.

टीआई विनोद दीक्षित के नेतृत्व में मामले की जांच कर रहे एसआई दिलीप देवड़ा ने 24 घंटे में ही दोनों आरोपियों दुर्गेश और बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा गायत्री को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. जबकि राकेश फरार था.

पुलिस जांच में पूर्व विधायक के एक नजदीकी व्यक्ति व ओम प्रकाश साखला का नाम भी सामने आया. पुलिस ने पूछताछ करने के लिए दोनों के घर में दबिश डालीं, लेकिन ये फरार मिले. कथा लिखने तक पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में जुटी थी.

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