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दिनांक: 10 फरवरी, 2020 स्थान: गांव- मिट्ठौली, थाना- नौहझील, जिला- मथुरा, उत्तर प्रदेश  समय: रात 10 बजे रिटायर्ड फौजी चेतराम उर्फ झगड़ू का घर अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा.

किसी अनहोनी की आशंका से गांव वाले जब फौजी के मकान पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर सकते में आ गए. रिटायर्ड फौजी चेतराम घर के बाहर खून से लथपथ पड़ा था. फोजी की 17 वर्षीय बेटी अलका हाथ में लोडेड पिस्टल लिए खड़ी थी, उस के कपड़ों पर खून लगा था. गांव वालों को देखते ही अलका ने पिस्टल तानते हुए धमकी दी, ‘‘कोई भी मेरे पास आने की कोशिश न करे. आगे बढ़ा तो गोली मार दूंगी.’’

उस के हाथ में लोडेड पिस्टल देख किसी की भी उस के पास जाने की हिम्मत नहीं हुई. कुछ देर बाद अलका मकान की ऊपरी मंजिल पर चली गई. वहां उस की मां राजकुमारी उर्फ नेहा लहूलुहान पड़ी थी. इसी बीच किसी ने पुलिस को घटना की जानकारी दे दी.

इस सनसनीखेज घटना की जानकारी मिलते ही नौहझील के थानाप्रभारी विनोद कुमार यादव पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मौकाएवारदात पर पुलिस ने वारदात के बारे में पड़ोसियों से पूछताछ शुरू की.

पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची, तब भी खून से लथपथ फौजी चेतराम घर के बाहर पड़ा था, उस के पास ही पिस्टल पड़ी थी. पुलिस मकान की पहली मंजिल पर पहुंची तो वहां राजकुमारी और बेटी अलका खून से लथपथ पड़ी मिलीं.

मामला एक फौजी परिवार का था, इसलिए पुलिस के उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया. खबर पा कर एसएसपी शलभ माथुर और सीओ मांट आलोक दूबे घटनास्थल पर पहुंच गए. साथ ही फोरैंसिक टीम भी आ गई. अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

फौजी के घर में पत्नी के अलावा एक बेटी व एक बेटा था. परिवार के 4 सदस्यों में से 3 को गोलियां लगी थीं. इस वीभत्स गोलीकांड का एकमात्र गवाह फौजी का बेटा आदर्श ही था. इस गवाह को खरोंच तक नहीं आई थी. पुलिस ने फौजी, उस की पत्नी और बेटी को उपचार के लिए मथुरा के नयति अस्पताल भिजवा दिया.

नौहझील पुलिस ने अपने स्तर से जानकारी जुटाने के साथ ही ग्रामीणों से भी पूछताछ की. सूचना पर पहुंची फोरैंसिक टीम ने घर में कारतूस भी तलाशे और दीवारों में फंसी गोलियां भी निकालीं. फोरैंसिक टीम काफी देर तक पूरे घर को खंगालती रही.

टीम ने खून के नमूने और खून आलूदा मिट्टी के नमूने भी लिए. फौजी चेतराम के घर से पिस्टल, 2 खोखे, 3 जिंदा कारतूस, खाली मैगजीन और 4 कारतूसों की एक और मैगजीन बरामद हुई. पुलिस ने पिस्टल को बैलेस्टिक जांच के लिए भेजने हेतु जब्त कर लिया.

इस सनसनीखेज वारदात ने लोगों को हिला कर रख दिया था. गांव वाले चर्चा कर रहे थे कि अलका ने मांबाप को गोली मारने के साथ खुद को भी गोली मार ली. हालांकि यह केवल चर्चा थी. वास्तविकता का किसी को भी पता नहीं था. इस का पता पुलिस को ही लगाना था.

अस्पताल में जांच के बाद डाक्टरों ने बताया कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही चेतराम की मौत हो चुकी थी. जबकि घायल मांबेटी की हालत चिंताजनक थी. चेतराम के सीने से और राजकुमारी के सिर से गोली पार हो गई थी, जबकि अलका के पेट में गोली लगी थी. पुलिस ने चेतराम की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दी.

45 वर्षीय सेवानिवृत्त चेतराम जाट रेजीमेंट में नायक था. 2014 में वह सेवानिवृत्त हो चुका था. उस के परिवार में 17 वर्षीय बेटी अलका, 15 वर्षीय बेटा आदर्श और 38 वर्षीय पत्नी राजकुमारी उर्फ नेहा थे. अपनी नौकरी के दौरान ही चेतराम ने राइफल और पिस्टल का लाइसैंस ले लिया था. चेतराम चाहता था कि उस की बेटी अलका कोई ऊंचा मुकाम हासिल करे, इस के लिए उस ने दिल्ली में ओला कैब में अपनी गाड़ी लगा रखी थी.

अलका ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई नौहझील के स्कूल में की थी. इस के बाद उस ने बीएसए कालेज, मथुरा में एडमिशन ले लिया था. फिलहाल वह बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और प्रयागराज में कोचिंग ले रही थी. अलका घटना से कुछ दिन पहले ही गांव आई थी. उस का 15 वर्षीय भाई आदर्श मथुरा में ही 9वीं की पढ़ाई कर रहा था.

इस घटना में राजकुमारी के सिर की हड्डी टूट गई थी, चेहरे और आंखों पर भी सूजन थी. उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था. जबकि अलका के पेट में गोली लगने का निशान था.

अलका को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. राजकुमारी के सिर की हड्डी गोली से टूटी थी या किसी भारी चीज के प्रहार से, यह स्पष्ट नहीं हो पाया था. वहीं रिटायर्ड फौजी चेतराम को 2 गोलियां लगी थीं. एक सीने में और दूसरी पेट से कुछ ऊपर. यह खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ.

फौजी चेतराम का पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया. मुखाग्नि बेटे आदर्श ने दी. गांव वाले इस घटना को ले कर तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे.

मंगलवार 11 फरवरी को चेतराम के छोटे भाई ओमवीर सिंह ने अपनी भतीजी अलका व उस के प्रेमी अंकित के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया. ओमवीर का कहना था कि अलका का गांव के ही युवक अंकित के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था. चेतराम इस का विरोध करता था. इसी के चलते अलका और उस के प्रेमी अंकित ने मिल कर यह कांड कर डाला.

ओमवीर सिंह की तहरीर में यह बात भी शामिल थी कि गोलीकांड के बाद अंकित को उस ने भाई के घर से निकलते देखा था. इस के बाद वह अंदर गए तो अलका ने कहा, ‘‘मेरे और अंकित के बीच में जो भी आएगा, उसे छोड़ूंगी नहीं.’’

आखिर ऐसा क्या हुआ था कि मां और पिता को गोली लगने के साथसाथ बेटी भी घायल हो गई थी. यह बात अभी साफ नहीं थी कि आखिर गोली किस ने चलाई? इस मामले में सभी बिंदुओं की गहन पड़ताल की गई.

पता चला कि घटना वाली रात पतिपत्नी में विवाद हुआ था. पुलिस को गांव वालों से यह भी पता चला कि अलका का गांव के ही अंकित से प्रेम प्रसंग चल रहा था. यह भी स्पष्ट हो गया था कि गोलीबारी की शुरुआत पहली मंजिल पर हुई थी.

पुलिस ने गहनता से जांच कर पूरी जानकारी और साक्ष्य जुटाए गए. तथ्यों पर आधारित इस घटनाक्रम की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

अंकित और अलका ने नौहझील के स्कूल में इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई एक साथ पूरी की थी. दोनों में पिछले 5 साल से दोस्ती थी और दोनों रिलेशनशिप में थे.

महत्त्वाकांक्षी अलका देखने में स्मार्ट थी. गठे बदन और अच्छी लंबाई के कारण वह सुंदर दिखती थी. आधुनिक विचारों वाली अलका फैशन के हिसाब से कपड़े पहनती थी.

पुलिस जांच में सामने आया कि 31 दिसंबर, 2019 को अलका अचानक घर से लापता हो गई थी. उस  के पिता चेतराम ने उसे काफी तलाश किया. पता न लग पाने पर वह थाने भी पहुंचा. 5 दिन बाद गांव वालों के हस्तक्षेप के बाद अलका घर लौट आई. मगर यह शूल चेतराम के सीने में चुभता रहा. तभी से घर में क्लेश चल रहा था. विपरीत हालात देख अंकित का पिता नेत्रपाल अपने बेटे, बेटी और पत्नी को साथ ले कर गांव से चला गया था. नेत्रपाल भी सेना में था.

बचपन को पीछे छोड़ कर बेटी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी. पिता चेतराम को बेटी के रंगढंग देख कर उस की चिंता होने लगती थी. जबकि अलका के खयालों में हरदम अपने दोस्त से प्रेमी बने अंकित की तसवीर रहती थी. वह चाहती थी कि उस का चाहने वाला हर पल उस की नजरों के सामने रहे. उस के कदमों को बहकते देख चेतराम ने अलका पर पाबंदियां लगा दीं. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. वे दोनों चोरीछिपे मिलने लगे.

बेटी की नादानी के लिए चेतराम अपनी पत्नी राजकुमारी को दोषी मानता था. उस का मानना था कि मां की शह के चलते ही बेटी ने इतना बड़ा कदम उठाया और गांव में उस की इज्जत मिट्टी में मिला दी. बेटी के इस कारनामे के चलते वह गांव में किसी से नजर भी नहीं मिला पा रहा था.

सेवानिवृत्त फौजी चेतराम के परिवार में कई महीने से चल रही कलह की जानकारी गांव के लोगों के साथ ही चेतराम के घर वालों और रिश्तेदारों को भी थी. रिश्तेदारों ने कई बार कलह को निपटाने के लिए चेतराम और उस के परिवार वालों से बात की, लेकिन समाधान कोई नहीं निकला. पिता की हिदायत व रोकटोक से अलका बहुत नाराज थी.

घटना से 4 दिन पहले ही नेत्रपाल अपने परिवार सहित गांव वापस आया था. वह यह सोच कर गांव आया था कि हालात सामान्य हो गए होंगे. अलका भी कुछ दिन पहले ही प्रयागराज से गांव आई थी. बिछड़े हुए प्रेमियों ने इतने दिनों बाद एकदूसरे को देखा तो बिना मिले नहीं रह सके. चेतराम यह सब बरदाश्त नहीं कर सका.

घटना की रात चेतराम ने अलका की हत्या का फैसला किया, लेकिन सामने पड़ गई पत्नी राजकुमारी. उस ने पत्नी पर ही गोली चला दी, जिस से वह घायल हो गई. बाद में उस ने बेटी पर भी गोली चलाई जो उस के पेट में लगी. पत्नी को गोली लगने के बाद चेतराम सुधबुध खो बैठा. इस का फायदा उठा कर अलका ने पिस्टल छीन कर उस पर गोलियां दाग दीं. जान बचाने के लिए वह भागा और घर के बाहर जा कर गिर गया.

एसएसपी शलभ माथुर ने प्रैस कौन्फ्रैंस में बताया कि घटना वाली रात पुलिस को सूचना मिली थी कि गांव मिट्ठौली में बेटी ने अपने पिता और मां को गोली मार दी है. इसी सूचना पर पुलिस गांव पहुंची थी. लेकिन जांच में पता चला कि फौजी की बेटी अलका ने सेल्फ डिफेंस में गोली चलाई थी.

अलका ने अपने बयान में बताया कि उस के पिता ने पहले उस पर गोली चलाई थी. इस दौरान गोली बचाव में आई उस की मां राजकुमारी को लग गई. मां के गिरते ही उस ने दूसरी गोली उस पर चलाई जो उस के पेट से रगड़ती हुई निकल गई, जिस से वह घायल हो गई. जब पिता उस के भाई पर गोली चलाना चाहते थे, मैं ने तेजी से झपट्टा मार कर पिता के हाथ से पिस्टल छीन ली और बचाव में उन के ऊपर गोली चला दी. वह हम सब को मारना चाहते थे.

उधर इस गोलीकांड में मृत फौजी की घायल पत्नी राजकुमारी जो वेंटीलेटर पर थी, ने घटना के 29वें दिन 11 मार्च की रात नयति अस्पताल, मथुरा में दम तोड़ दिया. मां की मौत से कुछ दिन पहले ही अलका के ठीक होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.

आरोपी अंकित के खिलाफ पुलिस को पर्याप्त सबूत नहीं मिल सके. अलका और उस के भाई आदर्श से पूछताछ में अंकित का कोई जिक्र नहीं आया. जबकि गोली पिता द्वारा चलाए जाने की बात दोनों ने बताई.

बयान लेने के बाद पुलिस ने अलका के घर वालों से उसे सुपुर्दगी में लेने को कहा, लेकिन किसी ने उसे लेने की हामी नहीं भरी. इस पर सिटी मजिस्ट्रेट ने अगले आदेश तक उसे नारी निकेतन भेज दिया.

दुश्मन से जूझने का दमखम रखने वाला चेतराम अपने खून के साथ जीवन की जंग हार गया.

बेटी की नादानी से पिता बुरी तरह टूट गया था. जब बेटी अलका अपने प्रेमी के साथ 5 दिनों तक गायब रही थी, चेतराम ने तभी से खाना छोड़ कर शराब के नशे में डुबो दिया था. वह गहरे सदमे में था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्यसत्यकथा, मई 2020

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