3 जुलाई, 2017 को आतिश नाइक पत्नी तनुजा के साथ अपने गांव वरड़गांव आया था. तनुजा को घर में ही छोड़ कर वह दोपहर को होटल से खाना लाने गया तो शाम तक नहीं लौटा. इस बीच तनुजा भी घर से बाहर नहीं निकली तो पड़ोस में रहने वाली आतिश की चाची मोहिनी को चिंता हुई. क्या बात है, जानने के लिए उन्होंने आतिश के मोबाइल पर फोन किया तो उस का फोन बंद था.

उन्होंने आतिश के घर का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से कोई आवाज नहीं आई. किसी अनहोनी की आशंका से उन का दिल बैठने लगा. जब आतिश से संपर्क नहीं हो सका और तनुजा ने भी दरवाजा नहीं खोला तो घबरा कर मोहिनी ने गोवा के मडगांवराय में रहने वाली आतिश की बहन को फोन कर के यह बात बता दी.

चाची की बात सुन कर आतिश की बहन घबरा गई. उस ने भी भाई को फोन किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका. इस के बाद वह पति के साथ वरड़ गांव के लिए रवाना हो गई. गांव पहुंच कर आतिश की बहन दूसरी चाबी से घर का ताला खोल कर अंदर दाखिल हुई तो वहां का मंजर देख उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. अंदर की स्थिति हैरान कर देने वाली थी. उस ने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी.

घटनास्थल चूंकि फोंडा पुलिस थाने के अंतर्गत आता था. पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना थाना फोंडा को मिली तो थानाप्रभारी सुदेश आर. नाइक तुरंत इंसपेक्टर परेश सिनारी, नितिन हरर्णकर आदि के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. घटनास्थल थाने से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए पुलिस टीम 20 मिनट में वहां पहुंच गई. तब तक गांव के तमाम लोग इकट्ठा हो चुके थे.

पड़ोस में रहने वाली आतिश नाइक की चाची मोहिनी नाइक ने पुलिस को बताया कि आतिश अपनी पत्नी तनुजा के साथ उसी दिन सुबह करीब 8 बजे आया था और उन से अपने घर की चाबी ले गया था. घर के अंदर जाने के बाद दोनों के बीच कहासुनी होने लगी थी. पता नहीं वे किस बात पर झगड़ रहे थे. उन के लड़नेझगड़ने की आवाजें घर के बाहर तक आ रही थीं. पतिपत्नी के बीच इस तरह की कहासुनी होती रहती है, इसलिए उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था.

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दोपहर करीब 12 बजे वह आतिश और तनुजा को खाने के लिए बुलाने गईं तो आतिश दरवाजे पर ताला लगा कर कहीं जा रहा था. उन्होंने उस से खाने के लिए पूछा तो उस ने कहा, ‘‘तनुजा नानवेज खाना चाहती है, इसलिए होटल से नानवेज लाने जा रहा हूं. तनुजा सोई हुई है, इसलिए दरवाजे पर ताला लगा दिया है.’’

दोपहर का गया आतिश शाम तक लौट कर नहीं आया तो उन्होंने यह बात आतिश के बहनबहनोई को बता दी. पुलिस टीम घर में दाखिल हुई तो कमरे में खाट पर तनुजा की लाश सीधी अवस्था में पड़ी थी. उस के सीने पर एक तकिया रखा था.

इस से लगा कि तनुजा की हत्या उसी तकिए से की गई थी. तकिए के बीचोबीच एक दिल बना था, जिस में ‘लव यू’ लिखा था. इस के अलावा तकिए के एक कोने में ‘रेस्ट इन पीस’ लिखा हुआ था. कातिल ने लव यू लिख कर अपने मन का दर्द जाहिर किया था और रेस्ट इन पीस लिख कर शांति से आराम करने को कहा था. शायद हत्या करने वाला मृतका से काफी दुखी था.

सूचना पा कर एसपी कार्तिक कश्यप और डीएसपी सुनीता सावंत भी घटनास्थल पर आ गई थीं. इन्हीं के साथ फोरैंसिक टीम भी आई थी. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो अधिकारियों ने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. इस के बाद जरूरी काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया गया.

मोहिनी नाइक की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी. हत्या का शक आतिश नाइक पर था. लेकिन वह फरार था. उस का पता नहीं चल रहा था. उस का फोन भी बंद था.

पुलिस आतिश को खोज रही थी, तभी पता चला कि उस ने अपनी बहन और बहनोई को फोन कर के कहा है कि उसी ने तनुजा की हत्या की है और वह गांव आ रहा है. यह पता चलते ही पुलिस सतर्क हो गई. फोंडा बसअड्डा और आतिश के घर के आसपास पुलिस लगा दी गई.

फोंडा आने वाली हर बस पर पुलिस की नजर थी. एक बस से जैसे ही आतिश उतरा, पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. डीएसपी सुनीता सावंत के सामने उस से पूछताछ शुरू हुई तो उस ने बिना हीलाहवाली के तनुजा की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने पत्नी की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

26 साल के आतिश नाइक के मातापिता की मौत तभी हो गई थी, जब वह 4 साल का था. मांबाप की मौत के बाद उसे गोवा के तटवर्ती इलाके मड़गांवराय में रहने वाली उस की बहन और बहनोई ने पालापोसा. आतिश की बहन और बहनोई जिस मोहल्ले में रहते थे, उसी मोहल्ले में तनुजा का भी परिवार रहता था.

वैसे तनुजा के घर वाले मूलरूप से कर्नाटक के कारवार शहर के रहने वाले थे. रोजीरोटी की तलाश में वे गोवा के मड़गांवराय आए थे. तनुजा और आतिश हमउम्र थे. चूंकि दोनों के परिवार आसपास रहते थे, इसलिए उन के बीच पारिवारिक संबंध थे. आतिश और तनुजा एक ही क्लास में पढ़ते थे, इतना ही नहीं दोनों स्कूल भी साथसाथ आतेजाते थे.

पढ़ाई के मामले में तनुजा आतिश से होशियार थी. आतिश का मन पढ़ाई में कम लगता था, नतीजा यह हुआ कि वह 10वीं में फेल हो गया. फेल होने के बाद उस ने पढ़ाई छोड़ दी और अपने बहनोई के साथ धंधे में लग गया, जबकि तनुजा पढ़ती रही. आतिश ने पढ़ाई भले छोड़ दी थी, लेकिन उस का तनुजा से मिलनाजुलना बरकरार था.

दोनों ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उन्हें एकदूसरे से प्यार हो गया. उन के दिलों में प्यार के अंकुर फूटे तो वे एकदूसरे को जीवनसाथी के रूप में देखने लगे. उन्हें लगता था, जैसे वे दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हैं. दोनों सारी मर्यादाओं को ताक पर रख कर साथसाथ पार्क, पिकनिक, सिनेमा और रेस्टोरेंट जाने लगे.

समय के साथ दोनों का प्यार बढ़ता गया. आतिश ने अपना खुद का कैटरिंग का काम शुरू कर दिया, जो अच्छा चल निकला. तनुजा ने भी अच्छे नंबरों से 12वीं पास कर ली. अब दोनों शादी के बारे में सोचने लगे. लेकिन जब इस बात की जानकारी तनुजा के घर वालों को हुई तो वे सन्न रह गए. जबकि आतिश के घर वालों पर इस बात का किसी तरह का कोई असर नहीं हुआ.

तनुजा के घर वाले उस के भविष्य को ले कर परेशान थे. उन्होंने तनुजा को आतिश से मिलनेजुलने से रोका. तनुजा ने घर वालों की बात पर ध्यान न देते हुए कहा, ‘‘आखिर आतिश में बुराई क्या है, हम दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं. उस का कामधंधा भी ठीक चल रहा है.’’

तनुजा की इस बात पर उस के पिता ने कहा, ‘‘बेटा, उस में कोई बुराई नहीं है, लेकिन तुम यह क्यों नहीं समझतीं कि वह तुम्हारे काबिल नहीं है. वह 10वीं फेल है. तुम्हारा भविष्य और कैरियर दोनों उज्ज्वल हैं. तुम पढ़लिख कर आगे बढ़ सकती हो. तुम्हें अच्छी नौकरी और शादी के लिए अच्छा परिवार मिल सकता है. हम जो भी कह रहे हैं, तुम्हारे भले के लिए कह रहे हैं.’’

‘‘लेकिन पापा…’’ तनुजा अपनी बात पूरी कर पाती, उस के पहले ही उस के पिता ने कहा, ‘‘देखो बेटी, अब तुम बच्ची नहीं हो, 20-22 साल की हो गई हो. तुम खुद सोचसमझ सकती हो, मेरी भी कुछ मानमर्यादा है, समाज है. हम बस यही चाहते हैं कि तुम कोई ऐसा कदम मत उठाना, जिस से समाज और सोसायटी में मेरा और परिवार का सिर शर्म से झुक जाए.’’

तनुजा अजीब स्थिति में फंस गई थी. एक तरफ मातापिता और परिवार था तो दूसरी ओर प्यार था. कुछ दिनों तक तनुजा के दिलोदिमाग में मंथन चलता रहा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. आखिर उस ने परिवार के बजाय प्यार को ज्यादा महत्त्व दिया और घर वालों से बगावत कर के सन 2015 में आतिश से प्रेम विवाह कर लिया. इस विवाह में आतिश का पूरा परिवार उस के साथ था, जबकि तनुजा के परिवार का कोई भी सदस्य शादी में शामिल नहीं हुआ था. विवाह के बाद दोनों किराए का मकान ले कर रहने लगे. दोनों काफी खुश थे. उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं थी. आतिश अपने काम में रम गया तो तनुजा ने गृहस्थी संभाल ली.

लेकिन तनुजा जल्द ही घरगृहस्थी के कामों से ऊब गई. आतिश के काम पर जाने के बाद वह घर में अकेली रह जाती थी, जिस से उस का मन नहीं लगता था. ऐसे में उस ने आगे की पढ़ाई करने का फैसला लिया. उस के इस फैसले पर आतिश ने भी मोहर लगा दी. उस ने मड़गांवराय के एक कालेज में तनुजा का दाखिला करा दिया.

दाखिला होने से तनुजा बहुत खुश हुई. आतिश उस की पढ़ाई में हर तरह से सहयोग कर रहा था. लेकिन समय के साथ दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. इस की वजह यह थी कि तनुजा अब कालेज के माहौल में रम गई थी. उस का आचारविचार और व्यवहार बदल गया था.

उस के कई नए दोस्त और सहेलियां बन गई थीं. वह उन के बीच समय भी बिताने लगी थी. घर और आतिश के प्रति वह लापरवाह हो गई थी. कालेज से घर आने के बाद भी वह घंटों मोबाइल से चिपकी रहती, बिना बताए यारदोस्तों के साथ पार्टी और पिकनिक पर चली जाती.

यह सब देख कर आतिश के मन में तरहतरह के सवाल उठने लगे. वह उस पर शक करने लगा. उसे डर लगने लगा कि कहीं वह तनुजा को खो न दे. अपने इस डर को दूर करने के लिए जब भी वह उस से बात करने की कोशिश करता, तनुजा उस पर बरस पड़ती और ताने मारने के साथसाथ उस का अपमान भी करने से नहीं चूकती.

कभीकभी वह यह भी कह देती कि मेरे मांबाप ठीक ही कहते थे कि तुम मेरे लायक नहीं हो. पता नहीं मुझे क्या हो गया था कि मैं ने तुम जैसे कम पढ़ेलिखे से विवाह कर लिया. मेरा एहसान मानने के बजाय तुम मुझ पर संदेह करते हो. न तुम्हारे पास कोई अच्छी सर्विस है और न ही भविष्य उज्ज्वल है. इस के बावजूद मैं तुम पर भरोसा करती हूं, पर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है.

दोनों के बीच विवाद बढ़ जाता तो तनुजा लड़झगड़ कर कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली जाती. कुछ दिनों बाद आतिश ससुराल जा कर उसे मना कर ले आता. मातापिता के समझाने के बाद तनुजा का रवैया कुछ दिनों तक तो ठीक रहता, लेकिन फिर वैसा ही हो जाता. धीरेधीरे तनुजा का व्यवहार और ताने आतिश की बरदाश्त से बाहर होते गए.

पहली जुलाई, 2017 को तनुजा कालेज से काफी देर से घर आई. घर आते ही वह मोबाइल फोन से चिपक गई तो आतिश का धैर्य जवाब दे गया. उसे यकीन हो गया कि उस का किसी से अफेयर चल रहा है. उस ने उस से कालेज से देर से आने और आते ही फोन करने के बारे में पूछा तो वह ठीक से जवाब देने के बजाय उसे ही चुप कराने लगी. इस से आतिश का रहासहा धैर्य भी जवाब दे गया. उस ने उसी समय एक खतरनाक फैसला ले लिया.

3 जुलाई, 2017 को आतिश गांव घुमाने के बहाने तनुजा को वहां ले गया. उसे मालूम था कि गांव वाले घर की एक चाबी चाची मोहिनी के पास रहती है. चाची ही उस के घर और काश्तकारी की देखरेख करती थीं. गांव पहुंच कर आतिश ने बीती बातों का जिक्र फिर से छेड़ दिया. वह उस पर कालेज छोड़ने और दोस्तों से ज्यादा बातें न करने का दबाव बनाने लगा, जबकि तनुजा यह नहीं चाहती थी. उसे अपनी कालेज लाइफ भी देखनी थी.

वह कह रही थी कि उस के दोस्त सिर्फ दोस्त हैं. इस के अलावा उन का उस से कोई और रिश्ता नहीं है. लेकिन संदेह का कीड़ा आतिश के दिमाग में घुस कर कुछ इस तरह हावी हो गया था कि उस की सोचने और समझने की शक्ति खत्म हो गई थी. उसे अब तनुजा की किसी भी बात पर भरोसा नहीं हो रहा था, जिस की वजह से आतिश ने सोते समय तनुजा के मुंह पर तकिया रख कर उस की हत्या कर दी.

पत्नी की हत्या कर के वह कुछ देर तक बुत बना उसे देखता रहा. इस के बाद उस ने तनुजा के पर्स से लिपस्टिक निकाली और तकिए के कवर पर दिल का आकार बना कर उस के अंदर ‘लव यू’ और तकिए के एक कोने में ‘रेस्ट इन पीस’ लिख दिया. इस के बाद जब वह बाहर आ कर मुख्य दरवाजे पर ताला लगा रहा था, तभी उस की चाची मोहिनी आ गईं. उस ने चाची को बताया कि वह तनुजा के लिए होटल से नानवेज लाने जा रहा है.

आतिश वहां से सीधे कर्नाटक के वेलगांव में रहने वाले अपने एक दोस्त के यहां चला गया. लेकिन वहां उसे सुकून नहीं मिला. उस के सामने बारबार तनुजा का सुंदर चेहरा घूम रहा था. अगले दिन सुबह उस ने अपनी बहन को फोन कर के अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा कि अब वह भी अपने जीवन का अंत करने जा रहा है, क्योंकि तनुजा के बिना उस के जीवन में कुछ नहीं बचा है.

उस के बहनबहनोई ने उसे समझाते हुए ऐसा करने से मना किया और उसे गांव लौट आने को कहा. उन के समझाने पर आतिश जब अपने गांव पहुंचा तो उस की ताक में बैठी पुलिस ने उसे पकड़ लिया. आतिश ने अपना अपराध स्वीकार कर के पूरी बात पुलिस को बता दी.

विस्तार से पूछताछ के बाद पुलिस ने आतिश के खिलाफ तनुजा की हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में था. मामले की जांच थानाप्रभारी सुरेश नाइक कर रहे थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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