इसी साल जनवरी की बात है. देश की नामी कंपनी एसपीएमएल इंफ्रा लिमिटेड (पुराना नाम सुभाष प्रोजैक्ट्स ऐंड मार्केटिंग लिमिटेड) के गुड़गांव के सैक्टर-32 स्थित औफिस के लैंडलाइन पर फोन आया तो औपरेटर ने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘‘गुड मौर्निंग एसपीएमएल.’’

दूसरी ओर से फोन करने वाले ने रौबीली आवाज में कहा, ‘‘मैं एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) जयपुर से एसपी शंकरदत्त शर्मा बोल रहा हूं.’’

‘‘यस सर, बताइए, हमारी कंपनी आप की क्या सेवा कर सकती है?’’

‘‘आप की कंपनी के डाइरेक्टर ऋषभ सेठी अभी फरार हैं, इसलिए किसी जिम्मेदार आदमी से मेरी बात कराइए.’’ दूसरी ओर से उसी तरह रौबीली आवाज में कहा गया.

‘‘सर, सेठी साहब तो नहीं हैं, लेकिन उन के रिश्तेदार औफिस में आए हुए हैं. आप कहें तो उन से बात करा दूं?’’ औपरेटर ने फोन करने वाले से नम्रता से पूछा.

‘‘सेठी के रिश्तेदार का नाम क्या है?’’ फोन करने वाले ने पूछा.

‘‘सर, उनका नाम सनी पांड्या है. आप कहें तो मैं आप की उन से बात करा दूं.’’ औपरेटर ने कहा.

‘‘ठीक है, आप मिस्टर सनी पांड्या से मेरी बात कराइए.’’ फोन करने वाले ने कहा.

औपरेटर ने इंटरकौम द्वारा सनी पांड्या को बता कर लाइन दे दी कि जयपुर से एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा उन से बात करना चाहते हैं. लाइन कनेक्ट होते ही फोन करने वाले ने पुलिसिया अंदाज में कहा, ‘‘पांड्या साहब, आप ऋषभ सेठी के रिश्तेदार हैं, इसलिए आप को तो पूरे मामले का पता ही होगा?’’

‘‘साहब, मुझे ज्यादा तो पता नहीं है कि क्या मामला है. सिर्फ इतना पता है कि जयपुर एंटी करप्शन ब्यूरो कुछ जांच कर रही है.’’ सनी पांड्या ने कारोबारी अंदाज में कहा.

‘‘पांड्या साहब, ऐसा कैसे हो सकता है कि आप को मामले की जानकारी न हो. आप से कुछ बात करनी है. आप अपना मोबाइल नंबर बताइए.’’ दूसरी ओर से कहा गया.

‘‘साहब, मेरा मोबाइल नंबर आप नोट कर लीजिए,’’ पांड्या ने अपना मोबाइल नंबर बताते हुए कहा, ‘‘लेकिन मेरा इस मामले में किसी तरह का कोई लेनादेना नहीं है.’’

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‘‘वह तो मुझे पता है कि आप का इस मामले में कोई लेनादेना नहीं है,’’ फोन करने वाले ने कहा, ‘‘मैं आप के रिश्तेदार के भले की बात करने वाला हूं. खैर, मैं आप को बाद में फोन करता हूं.’’

इतना कह कर फोन काट दिया गया. फोन कटने के बाद पांड्या साहब सोचने लगे कि एसीबी के एसपी साहब ने फोन क्यों किया? कुछ देर तक वह इसी विषय पर सोचते रहे. उन्हें पता था कि एसपीएमएल इंफ्रा कंपनी राजस्थान के जलदाय विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रिश्वत दे कर काम कराने के आरोप में फंसी हुई है.

अभी पांड्या इसी मसले पर विचार कर रहे थे कि उन के मोबाइल पर फोन आया. उन्होंने फोन रिसीव किया तो फोन करने वाले ने कहा, ‘‘पांड्या साहब, मैं जयपुर से एसीबी का एसपी शंकरदत्त शर्मा बोल रहा हूं. उस समय एक जरूरी फोन आ गया था, इसलिए बात नहीं हो सकी थी.’’

‘‘जी बताइए, कैसे याद किया?’’ पांड्या ने पूछा.

‘‘एसपीएमएल कंपनी का जो मामला एसीबी में चल रहा है, उस की जांच मैं ही कर रहा हूं,’’ फोन करने वाले ने कहा, ‘‘मैं इस मामले को रफादफा कर सकता हूं. रिश्वत देने के प्रकरण से ऋषभ सेठी और कंपनी के अन्य डाइरेक्टरों के नाम भी इस मामले से निकाल दूंगा.’’

‘‘सर, इस के लिए हमें क्या करना होगा?’’ पांड्या ने पूछा.

‘‘इस के लिए आप को 10 करोड़ रुपए देने होंगे.’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘सर, यह रकम तो बहुत ज्यादा है.’’ पांड्या ने कहा.

‘‘आप के रिश्तेदार सेठीजी करोड़ों रुपए के बिल पास कराने के लिए इंजीनियरों को लाखोंकरोड़ों रुपए की घूस दे देते हैं. फिर आप को 10 करोड़ रुपए ज्यादा कैसे लग रहे हैं?’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘सर, ऐसी बात नहीं है,’’ पांड्या ने सफाई देते हुए कहा, ‘‘इतनी बड़ी रकम हम नहीं दे सकेंगे.’’

‘‘ठीक है, आप को एक दिन की मोहलत देता हूं. आप ऋषभ सेठी से बात कर लें,’’ फोन करने वाले ने कहा, ‘‘मैं आप को कल फिर फोन करूंगा. तब बता देना कि क्या विचार है.’’

इस के बाद फोन कट गया. पांड्या फिर सोच में डूब गए. उन्हें बड़ा अजीब लग रहा था कि एसपी स्तर का एक आईपीएस अधिकारी खुद फोन कर के उन से मामला रफादफा करने के लिए 10 करोड़ रुपए घूस मांग रहा था. जिस नंबर से पांड्या के मोबाइल पर फोन आया था, उस नंबर के बारे में उन्होंने पता कराया.

अरबों रुपए के टर्नओवर वाली एसपीएमएल कंपनी के अधिकारियों के लिए किसी फोन नंबर के बारे में पता कराना चुटकी बजाने जैसा काम था. कुछ ही देर में उन्हें पता चल गया कि एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा के मोबाइल नंबर से ही उन के मोबाइल पर फोन आया था.

अब शक करने जैसी कोई बात नहीं थी. उन्होंने कंपनी के अधिकारियों से बात की. उस के बाद तय किया गया कि अगर एसपी साहब मामला रफादफा करने की बात कह रहे हैं तो उन से बात आगे बढ़ाई जाए.

अगले दिन सनी पांड्या को एसपी साहब के फोन का इंतजार था. जैसे ही एसपी शंकरदत्त शर्मा का फोन आया, उन्होंने तुरंत फोन रिसीव कर लिया तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘पांड्या साहब कैसे हैं? मैं एसपी शंकरदत्त शर्मा बोल रहा हूं.’’

‘‘मैं तो ठीक हूं साहब,’’ पांड्या ने कहा, ‘‘मैं ने कंपनी के अधिकारियों से बात की है. अगर आप मामला रफादफा करते हैं तो वे ज्यादा से ज्यादा 2 करोड़ रुपए दे सकते हैं.’’

‘‘पांड्या, शायद तुम्हारी कंपनी के अधिकारियों को पुलिस की ताकत का अहसास नहीं है. अभी तो कंपनी के 2 ही एजीएम गिरफ्तार हुए हैं. जल्दी ही ऋषभ सेठी और केशव गुप्ता भी गिरफ्तार कर लिए जाएंगे. उस के बाद तुम्हें पता चलेगा कि हम लोग क्या चीज हैं.’’ फोन करने वाले ने धमकाते हुए कहा.

‘‘साहब, बाद का किस ने देखा है. जो होना है, होता रहेगा. लेकिन फिलहाल हम 2 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं दे सकेंगे.’’ पांड्या ने कहा.

‘‘पांड्या, काम करने के तो मैं 10 करोड़ रुपए ही लूंगा, बाकी तुम्हारी मरजी है.’’ दूसरी ओर से फोन करने वाले ने दोटूक लहजे में कहा.

‘‘साहब, हमारी हैसियत इतनी ही है.’’ पांड्या ने विनती करते हुए कहा.

‘‘ठीक है, जैसी तुम्हारी इच्छा.’’ कह कर दूसरी ओर से फोन काट दिया गया.

इस बारे में क्या हुआ, यह जानने से पहले हम थोड़ा आगे की कहानी जान लें, जिस के लिए हमें करीब एक साल पीछे जाना होगा. आइए जानें कि शंकरदत्त शर्मा किस मामले की बात कर रहे थे.

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