क्राइम ब्रांच की इस मीटिंग में तय किया गया कि सब से पहले साहिल की तलाश की जाएगी. यदि साहिल हाथ आ जाता है तो उस से निक्की के विषय में मालूम किया जा सकता है.

साहिल के पिता से और रिश्तेदारों से एकत्र किए गए साहिल के दोस्तों और साहिल के संभावित ठहरने के ठिकानों की छानबीन कर के साहिल को खोजा जा सकता था.

मुखबिर भी लगा दिए गए. साहिल के छिपने के संभावित ठिकानों पर दबिश दी जाने लगी. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली गई. साहिल ने अपना मोबाइल बंद कर लिया था, फिर भी उस के नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया गया था, ताकि मोबाइल औन होने पर उस की लोकेशन का पता लग सके.

पुलिस की इस मुस्तैदी, छापेमारी का परिणाम सुखद रहा. साहिल को दक्षिण- पश्चिम दिल्ली के कैर गांव चौराहे से 12 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार कर लिया गया. उसे क्राइम ब्रांच के औफिस में लाया गया. क्राइम ब्रांच के  स्पैशल कमिश्नर रविंद्र यादव और डीसीपी सतीश कुमार ने साहिल से पूछताछ की.

साहिल पक्का घाघ था, वह पहले क्राइम ब्रांच के इन दोनों अधिकारियों के प्रश्नों का गोलमोल जवाब देता रहा, लेकिन जब उस पर सख्ती बरती गई तो वह टूट गया. साहिल ने निक्की के विषय में जो खुलासा किया, उस से क्राइम ब्रांच के अफसरों के जैसे होश उड़ गए.

साहिल ने बताया कि उस ने निक्की यादव को 10 फरवरी की सुबह साढ़े 9 बजे के आसपास मोबाइल के डाटा केबल से गला घोट कर मार दिया था. उस ने निक्की की लाश को कार की अगली सीट पर सीट बेल्ट से बांध कर लगभग 50 किलोमीटर दूर अपने ढाबे तक का सफर तय किया था. वहां ढाबे में रखे फ्रिज में उस ने निक्की की लाश को छिपा दिया.

‘‘निक्की की हत्या तुम ने जिस कार में की थी, वह किस की थी?’’ सीपी रविंद्र यादव ने पूछा.

‘‘वो कार मेरे चाचा की थी.’’

‘‘तुम ने निक्की यादव को कहां पर मारा?’’ डीसीपी सतीश कुमार ने साहिल को घूरते हुए पूछा.

‘‘मैं रात को एक बजे निक्की के फ्लैट पर गया था. वहां से सुबह ही हम कार से निकल आए. फिर उसे कश्मीरी गेट की ओर ले आया, वहां मैं ने रोड किनारे कार खड़ी कर निक्की की हत्या कर दी.’’

‘‘तुम ने निक्की की हत्या क्यों की?’’ सीपी रविंद्र यादव ने पूछा.

‘‘सर, 10 तारीख को मेरी शादी थी, यदि निक्की को मैं जीवित रहने देता तो वह मेरी शादी में हंगामा खड़ा कर सकती थी. वह कार में भी मेरे साथ इसी बात पर झगड़ा कर रही थी कि मैं शादी न कर के उसे अपना लूं. वह अपने साथ शादी करने का मुझ पर दवाब बनाते हुए लड़ने लगी, तब मैं ने क्रोध में आ कर उस की हत्या कर दी.’’

क्राइम ब्रांच के आगे साहिल ने यह खुलासा कर दिया था कि वह निक्की की हत्या कर चुका है, इसलिए सब से पहले निक्की की लाश को कब्जे में लेना जरूरी था.

ढाबे के फ्रिज से बरामद की लाश

साहिल को साथ ले कर क्राइम ब्रांच की टीम नजफगढ़ के मित्राऊं गांव के खेत में बने उस के ढाबे पर पहुंच गई. साहिल के पिता वीरेंद्र सिंह को इस बात की सूचना पुलिस ने मोबाइल पर दे दी कि साहिल अपनी प्रेमिका निक्की की हत्या चुका है और उस ने निक्की की लाश को उन के ढाबे में रखे फ्रिज में छिपा कर रखा है. वह ढाबे पर पहुंच जाएं.

साहिल के पिता इस खबर से सन्नाटे में आ गए. उन के चेहरे से शादी की सारी खुशियां काफूर हो गईं. साहिल के घर वाले भी साहिल के द्वारा हत्या करने की खबर सुन कर सकते में आ गए थे. वीरेंद्र सिंह गहलोत अपने 2-3  रिश्तेदारों के साथ ढाबे की ओर रवाना हो गए.

वह ढाबे पर पहुंचे. तब साहिल को ले कर क्राइम ब्रांच की टीम उन्हीं का इंतजार कर रही थी.

उन के सामने डीसीपी सतीश कुमार ने साहिल द्वारा ढाबे के पिछले हिस्से में रखे नीले रंग के फ्रिज को खुलवाया.

निक्की की लाश फ्रिज में ठूंसी हुई थी. उसे बाहर निकाला गया. फोटोग्राफर और फोरैंसिक टीम को बुलवा लिया गया. निक्की की लाश का निरीक्षण किया गया. उस के गले पर वायर के लाल निशान अभी भी साफ दिखाई दे रहे थे. शरीर पर और किसी प्रकार के चोट के निशान नहीं थे.

तमाम आवश्यक काररवाई पूरी करने के बाद निक्की की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. क्राइम ब्रांच ने हत्या में इस्तेमाल कार व साहिल के मोबाइल का डाटा केबल कब्जे में ले लिया.

निक्की के परिजनों का पता निकाल कर झज्जर में उन्हें निक्की की हत्या हो जाने की सूचना दे दी गई. निक्की के पिता सुनील यादव को बता दिया गया कि निक्की की हत्या उस के साथ लिवइन में रहने वाले पार्टनर साहिल गहलोत ने की है, जो अब पुलिस के कब्जे

में है. निक्की की हत्या की खबर सुनते ही घर में कोहराम मच गया. सुनील यादव अपने कुछ परिचितों के साथ झज्जर से दिल्ली की ओर चल दिए.

उधर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने साहिल से विस्तार से पूछताछ की तो निक्की यादव की हत्या की जो दिलचस्प कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

हरियाणा के झज्जर के रहने वाले सुनील यादव के परिवार में 2 बेटियों के अलावा एक बेटा था. इन में निक्की सब से बड़ी थी. खेतीकिसानी करने वाले सुनील यादव ने दोनों बेटियों को पढ़ाई के लिए दिल्ली भेज दिया था. वह द्वारका क्षेत्र में किराए पर फ्लैट ले कर रहने लगीं. निक्की उत्तम नगर के एक कोचिंग सेंटर से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. वह जिस बस से कोचिंग सेंटर आती थी, उसी में साहिल भी आता था. साहिल नजफगढ़ के पास स्थित मित्राऊं गांव के वीरेंद्र सिंह गहलोत का इकलौता बेटा था.

साहिल आज बहुत बेचैन और उदास था, क्योंकि उस दिन उस ने बस में निक्की को नहीं देखा था, जो रोज बस में उसी के साथ सफर करती थी. वे एक ही मंजिल के राही थे.

साहिल उस कोचिंग सेंटर से एसएससी की तैयारी कर रहा था. एक साथ एक ही बस से आने के बावजूद उन में अभी बातचीत और नहीं हुई थी. साहिल उसे मन ही मन चाहने लगा था और उस से दोस्ती करना चाहता था, लेकिन उसे मौका ही नहीं मिल पा रहा था.

…और उस दिन तो निक्की कोचिंग सेंटर ही नहीं आई थी. साहिल का मन उदास हो गया था, वह बस से उतर कर कोचिंग सेंटर की ओर चला जा रहा था कि उस के पीछे से किसी लड़की की आवाज आई, ‘‘ठहरो!’’

साहिल रुक कर पलटा. उस से कुछ दूरी पर एक युवती को देखा, जो उसी की तरफ चली आ रही थी. युवती ने सिर पर इस प्रकार दुपट्टा बांधा हुआ था कि केवल उस की आंखें ही दिख रही थीं. वह टौप और जींस पहने हुए थी, उस के हाथ में किताबें थीं.

साहिल को समझते देर नहीं लगी कि वह युवती किसी कालेज की छात्रा है. कौन है यह और इस ने उसे रुकने को क्यों कहा है? साहिल सोच ही रहा था कि वह उस के सामने आ गई.

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