बगल के गांव नगला गोकुल के रहने वाले ओमप्रकाश का खेत मोहरश्री के खेत से लगा था. ओमप्रकाश भी पत्नी गुड्डी के साथ अपने खेत पर काम करता था. उस की बेटी शीतल भी मांबाप की मदद करने खेत पर आती थी. मोहरश्री ने गौर किया कि जब तक शीतल खेत में रहती है, दामोदर उस के आसपास ही मंडराता रहता है. वह अपना काम करने के बजाय ओमप्रकाश की मदद में लगा रहता है.
उसी बीच कहीं से मोहरश्री को पता चला कि दामोदर ओमप्रकाश को मुफ्त में शराब पिलाता है तो ओमप्रकाश उसे मुफ्त खाना खिलाता है. उसे लगा कि इस के पीछे भी शीतल का ही आकर्षण है. प्रकाश के गायब होने के बाद बड़ी मुश्किल से मोहरश्री ने घरपरिवार संभाला था. अगर इस बार कुछ हुआ तो दोबारा संभालने में बहुत मुश्किल हो जाएगा. इसी चिंता में वह बेचैन रहने लगी थी.
शीतल के आकर्षण में बंधे दामोदर को अब उस के अलावा कुछ और दिखाई नहीं देता था. वह यह भी भूल गया था कि वह शादीशुदा ही नहीं, 4 बच्चों का बाप भी है. सारे कामकाज छोड़ कर वह इसी फिराक में लगा रहता था कि कैसे शीतल के नजदीक पहुंचे. अब दोपहर में उस के लिए खाना आता तो वह अपना खाना ले कर ओमप्रकाश के पास पहुंच जाता. इस के बाद दोनों शराब पीते और एकसाथ खाना खाते.
ऐसे ही समय में अपनी लच्छेदार बातों से दामोदर शीतल को आकर्षित करने की कोशिश करता. वह इस कोशिश में लगा रहता कि अगर शीतल एकांत में मिल जाए वह उस से दिल की बात कह देगा.दूसरी ओर शीतल भी अब उस के मन की बात से अनजान नहीं रह गई थी. इसलिए वह भी उसे देखती तो मुसकरा देती. दामोदर मौका ढूंढ़ ही रहा था. आखिर उसे मौका मिल ही गया. उस दिन शीतल मां के साथ खेत पर आई तो मां खेत में काम करने लगी. जबकि शीतल ट्यूबवैल के कमरे में बैठ गई. उसी बीच दामोदर वहां पहुंच गया.