दरोगा पच्चालाल की हत्या की खबर कानपुर से लखनऊ तक फैल गई थी. यह बात एडीजे अविनाश चंद्र के संज्ञान में भी थी. इसी के मद्देनजर एसएसपी अखिलेश कुमार ने दरोगा हत्याकांड को बेहद गंभीरता से लिया और इस के खुलासे के लिए एक विशेष पुलिस टीम गठित की.
जांच के लिए बनी स्पैशल टीम
इस टीम में उन्होंने क्राइम ब्रांच और सर्विलांस सेल तथा एसएसपी की स्वान टीम के तेजतर्रार व भरोसेमंद पुलिसकर्मियों को शामिल किया. क्राइम ब्रांच से सुनील लांबा तथा एसओजी से राजेश कुमार रावत, सर्विलांस सेल से शिवराम सिंह, राहुल पांडे, सिपाही बृजेश कुमार, मोहम्मद आरिफ, हरिशंकर और सीमा देवी तथा एसएसपी स्वान टीम से संदीप कुमार, राजेश रावत तथा प्रदीप कुमार को शामिल किया गया.
इस के अलावा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बेहतरीन जासूस कहे जाने वाले 3 इंसपेक्टरों देवेंद्र कुमार दुबे, दिलीप बिंद, मनोज रघुवंशी तथा सीओ (घाटमपुर) आर.के. चतुर्वेदी को शामिल किया गया.
पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी अध्ययन किया. रिपोर्ट में पच्चालाल के शरीर पर 19 गहरे जख्म बताए गए थे जो सिर, गरदन, छाती, पेट व हाथों पर थे. इस टीम ने उन मामलों को भी खंगाला, जिन की जांच पच्चालाल ने की थी. लेकिन ऐसा कोई मामला नहीं मिला, जिस से इस हत्या को जोड़ा जा सकता. इस से साफ हो गया कि क्षेत्र के किसी अपराधी ने उन की हत्या नहीं की थी.
पुलिस टीम ने थाना सजेती में लगे सीसीटीवी फुटेज भी देखे, मगर उस में दरोगा के आवास में कोई भी आतेजाते नहीं दिखा. इस का मतलब हत्यारे पिछले दरवाजे से ही आए थे और हत्या को अंजाम दे कर उसी दरवाजे से चले गए.
टीम ने कुछ दुकानदारों से पूछताछ की तो शराब के ठेके के पास नमकीन बेचने वाले दुकानदार अवधेश ने बताया कि 2 जुलाई को देर शाम उस ने दरोगा पच्चालाल के साथ सांवले रंग के एक युवक को देखा था. उस युवक के साथ दरोगाजी ने ठेके से अंगरेजी शराब की बोतल खरीदी थी. साथ ही उस की दुकान से नमकीन का पैकेट भी लिया था.
दुकानदार अवधेश ने जो बताया, उस से साफ हो गया कि दरोगा पच्चालाल के साथ जो युवक था, वह उन का काफी करीबी था. इस जानकारी के बाद टीम ने दरोगा के खास करीबियों पर ध्यान केंद्रित किया. इस में उस की पत्नी किरन, दरोगा के 4 बेटे और कुछ अन्य लोग शामिल थे. पच्चालाल के बेटों से पूछताछ करने पुलिस टीम रामकुंड, सीतापुर पहुंची.
पूछताछ में सत्येंद्र, महेंद्र, जितेंद्र व कमल ने बताया कि उन के पिता का न तो किसी से विवाद था और न ही जमीनजायदाद का कोई झगड़ा था. सौतेली मां किरन से भी जमीन या मकान के बंटवारे पर कोई विवाद नहीं था. सौतेली मां किरन अपने बच्चों के साथ कानपुर में रहती थी.
पच्चालाल दोनों परिवारों का अच्छी तरह पालनपोषण कर रहे थे. चारों बेटों को उन्होंने कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी थी. सत्येंद्र ने यह भी बताया कि 6 महीने पहले पिता ने उस की शादी धूमधाम से की थी.
शादी में सौतेली मां किरन भी खुशीखुशी शामिल हुई थीं. शादीबारात की सारी जिम्मेदारी उन्होंने ही उठाई थी. शादी में बहू के जेवर, कपड़ा व अन्य सामान पिता के सहयोग से उन्होंने ही खरीदा था. किरन से उन लोगों का कोई विवाद नहीं था.
जितेंद्र और किरन आए संदेह के घेरे में
मृतक दरोगा पच्चालाल के बेटों से पूछताछ कर पुलिस टीम कानपुर लौट आई. इस के बाद यह टीम थाना नवाबगंज के सूर्यविहार पहुंची, जहां दरोगा की दूसरी पत्नी किरन किराए के मकान में रहती थी. पुलिस को देख कर किरन रोनेपीटने लगी. पुलिस ने उसे सांत्वना दी. बाद में उस ने बताया कि दरोगा पच्चालाल ने उस से तब प्रेम विवाह किया था, जब वह बेनीगंज थाने में तैनात थे. दरोगा से किरन को 3 संतानें हुई थीं, एक बेटा व 2 बेटियां.
किरन रो जरूर रही थी, लेकिन उस की आंखों से एक भी आंसू नहीं टपक रहा था. उस के रंग, ढंग और पहनावे से ऐसा नहीं लगता था कि उस के पति की हत्या हो गई है. घर में किसी खास के आनेजाने के संबंध में पूछने पर वह साफ मुकर गई. लेकिन पुलिस टीम ने जब किरन के बच्चों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि जितेंद्र अंकल घर आतेजाते हैं, जो पापा के दोस्त हैं.
पुलिस टीम ने जब किरन से जितेंद्र उर्फ महेंद्र यादव के बारे में पूछताछ की तो उस का चेहरा मुरझा गया. उस ने घबराते हुए बताया कि जितेंद्र उस के दरोगा पति का दोस्त था. वह रोडवेज बस चालक है और रोडवेज कालोनी में रहता है. पूछताछ के दौरान पुलिस टीम ने बहाने से किरन का मोबाइल ले लिया.
पुलिस टीम में शामिल सर्विलांस सेल के प्रभारी शिवराम सिंह ने किरन के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि दरोगा की हत्या के पहले व बाद में किरन की एक नंबर पर बात हुई थी.
उस मोबाइल नंबर की जानकारी जुटाई गई तो पता चला वह नंबर जितेंद्र उर्फ महेंद्र का था. पच्चालाल के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स में भी जितेंद्र का नंबर था.
दूसरी पत्नी बनी हत्या की वजह
जितेंद्र शक के घेरे में आया तो पुलिस टीम ने देर रात उसे रोडवेज कालोनी स्थित उस के घर से हिरासत में ले लिया और थाना सजेती ले आई. उस से दरोगा पच्चालाल की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई तो उस ने हत्या से संबंधित कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया.
हां, उस ने दोस्ती और दरोगा के घर आनेजाने की बात जरूर स्वीकार की. जब पुलिस ने अपने अंदाज में पूछताछ की तो जितेंद्र ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और उस ने दरोगा पच्चालाल की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
जितेंद्र उर्फ महेंद्र यादव ने बताया कि किरन से उस के नाजायज संबंध बन गए थे. दरोगा पच्चालाल को जानकारी हुई तो वह किरन को प्रताडि़त करने लगा. पच्चालाल प्यार में बाधक बना तो उस ने और किरन ने मिल कर उस की हत्या की योजना बनाई.
योजना बनाने के बाद उन्होंने एक लाख रुपए में दरोगा की हत्या की सुपारी निजाम अली को दे दी, जो विधूना का रहने वाला है. निजाम अली ने उसे पसहा, विधूना निवासी राघवेंद्र उर्फ मुन्ना से मिलवाया. इस के बाद तीनों ने मिल कर 2 जुलाई की रात दरोगा की हत्या कर दी और फरार हो गए.