अब रामखिलौने का उस के यहां आनाजाना उस समय होने लगा, जब रामनिवास और गायत्री खेतों पर होते. एक दिन मौका पा कर रामखिलौने घर आया तो बातोंबातों में उस ने पुष्पा की खूबसूरती की तारीफ शुरू कर दी. पुष्पा हैरानी से उस की ओर देखने लगी. इस से पहले कि वह उस से कुछ कह पाती, उस ने लपक कर उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘भाभी, मैं तुम से प्यार करने लगा हूं और अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.’’
‘‘यह क्या कह रहे हो?’’ पुष्पा अपना हाथ छुड़ा कर बोली, ‘‘जानते हो मैं तुम्हारे बड़े भाई की पत्नी हूं.’’
पुष्पा कहने को तो यह बात कह गई, लेकिन उसे रामखिलौने का स्पर्श अच्छा लगा था.
रामखिलौने ने कहा, ‘‘भाभी, मैं वादा करता हूं कि हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा और जीवन भर तुम्हें प्यार करता रहूंगा.’’
पुष्पा रामखिलौने की बात का जवाब दिए बगैर दूसरे कमरे में चली गई. उस के तेवर देख कर रामखिलौने डर गया और वहां से चला गया. उस के जाने के बाद पुष्पा परेशान हो कर चारपाई पर बैठ गई और अभीअभी जो हुआ था, उसी के बारे में देर तक सोचती रही. आखिर उस के बागी मन ने तय कर लिया कि वह रामखिलौने की मोहब्बत को कुबूल कर लेगी.
अगले कुछ दिनों तक रामखिलौने डर की वजह से पुष्पा के यहां नहीं आया. पुष्पा काफी परेशान थी. एक दिन उस ने गली में रामखिलौने को खड़ा देखा तो उसे चाहत भरी नजरों से देखते हुए कहा, ‘‘बस यही है तुम्हारी मोहब्बत. उस दिन तो बड़ीबड़ी बातें कर रहे थे.’’