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इस शिकायत को एसएचओ ने गंभीरता से लिया और एक कांस्टेबल को उन के घर भेज कर सीसीटीवी का फुटेज मंगवा लिया. सरोज शर्मा की गुमशुदगी के एक दिन पहले से ले कर बाद के 2 दिनों तक के फुटेज खंगाले गए. उस में अनुज के कई संदिग्ध फुटेज दिखे, जो 11 दिसंबर के थे. वह दिन में सूटकेस और बाल्टी ले कर घर में जाता हुआ और शाम को उसी सामान के साथ आता भी दिखा.

इस तहकीकात में करीब 2 दिन और निकल गए. तब तक अनुज हरिद्वार में चल रहे अपने इलाज की बात बता कर चला गया था. उस का घर से जाने पर मोनिका और पूजा के संदेह और बढ़ गया.

इधर एसएचओ कुरील ने अनुज को थाने बुलवाया, लेकिन उस के वहां नहीं होने पर वह भी उस पर शक करने लगे.

खैर, पुलिस देर किए बिना घर वालों को ले कर हरिद्वार पहुंच गई. वहां अनुज नहीं मिला, लेकिन छानबीन के बाद उस के वहां से दिल्ली जाने की जानकारी मिल गई. आखिरकार मोबाइल सर्विलांस की मदद से पुलिस अनुज तक पहुंचने में सफल हो गई.

विद्यानगर थाने में एसएचओ कुरील और एसआई राजबीर सिंह ने अनुज से गहन पूछताछ की. उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया. पूछताछ का सिलसिला करीब 6 घंटे तक चला.

इस बीच अनुज तरहतरह की कहानियां बता कर पुलिस को उलझाता रहा. अखिरकार वह घुमावदार बातों में खुद उलझ गया. उस के मुंह से अनायास ही ताई की हत्या की बात तब निकल गई, जब पुलिस ने उस के धार्मिक होने का मनोवैज्ञानिक दबाव डाला. उस ने बताया कि ताई की हत्या कर लाश के टुकड़े जंगल में फेंक दिए थे.

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