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योजना के अनुसार शमा निर्धारित समय पर नरेंदर के पास जालंधर पहुंच गई. फिर वहां से बस द्वारा दोनों चंडीगढ़ पहुंच गए. पहले उन्होंने एक मंदिर में शादी की फिर उस शादी को नोटरी पब्लिक के जरिए रजिस्टर भी करवा लिया.

नरेंदर शमा से शादी कर के बहुत खुश था. उस ने अपनी शादी के लिए बहुत बढि़या इंतजाम कर रखा था. हनीमून को वह यादगार बनाना चाहता था इसलिए उस ने चंडीगढ़ में ही एक थ्रीस्टार होटल में सुइट बुक करवा रखा था. वह बेहद उत्सुक था पर उस रात उस की उत्सुकता ठंडी पड़ गई. उस के सारे अरमानों पर पानी फिर गया.

उस के दिल को इतना बड़ा धक्का लगा कि उस ने सोचा भी नहीं होगा. क्योंकि अपनी मनपसंद की जिस शमा को वह जीजान से चाहता था, सब के विरोध के बावजूद जिस से उस ने शादी की, वह लड़की नहीं बल्कि किन्नर निकली. अब पूरा ब्रह्मांड उसे घूमता नजर आ रहा था. वह बुदबुदाने लगा कि मैं समाज को अब क्या मुंह दिखाऊंगा.

इस के बाद वह बैड से उठ कर जोरजोर से रोने लगा था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. गुस्से से तमतमाते हुए उस ने शमा के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ रसीद करते हुए कहा, ‘‘बताओ, मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था. अपनी जान से ज्यादा तुम्हें प्यार किया था और तुम ने मेरे साथ इतना बड़ा छल किया. बताओ, क्यों किया ऐसा? सच बताओ नहीं तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा.’’ नरेंदर के सिर पर जैसे खून सवार हो गया था.

‘‘मैं कुछ नहीं जानती नरेंदर, तुम्हारे प्यार की कसम. मैं तो बचपन से ही ऐसी हूं. मां ने कहा था कि शादी के बाद अपने आप ठीक हो जाऊंगी.’’ शमा ने मासूमियत से जवाब दिया था.

नरेंदर समझ गया कि या तो शमा इतनी भोली है कि उसे इस बारे में कुछ पता नहीं या वह बेहद चालाक है. लेकिन बात कुछ भी रही हो, पर अब वह क्या करे. यह प्रश्न बारबार नरेंदर के दिमाग में घूम रहा था. वक्त की बेरहम आंधी ने उस की खुशियों के चमन को एक झटके में उखाड़ कर तहसनहस कर दिया था. शमा के मिन्नतें करने पर नरेंदर उसे अपने घर ले गया.

2 दिन अपने घर पर रखने के बाद उस ने शमा को घर से निकालते हुए कह दिया, ‘‘शमा, तुम ने मेरे साथ धोखा किया है. अब मैं यह बताना चाहता हूं कि तुम इस घटना को एक बुरा सपना समझ कर भूल जाना. मैं भी भूलने की कोशिश करूंगा. हां, एक बात याद रखना कि आज के बाद कभी भूल कर भी मेरे सामने मत आना. जिस दिन तुम मेरे सामने आ गई तो समझ लेना कि वह दिन तुम्हारी जिंदगी का आखिरी दिन होगा.’’

शमा को इतनी जल्दी भुला देना नरेंदर के लिए आसान नहीं था. इसलिए उस ने जालंधर से दूर जाना उचित समझा. वह अपना सब कुछ छोड़छाड़ कर अपनी मां को ले कर दिल्ली आ गया. यहां उस ने औटो चलाना शुरू कर दिया. दूसरी ओर शमा भी अपनी मां के पास चली गई.

वक्त के साथ सब कुछ सामान्य होता चला गया था. दूसरी ओर शमा की बड़ी बहन की शादी राजकुमार नामक युवक के साथ हो गई. शादी के बाद भोली के ऊपर लोगों का कर्ज भी हो गया था.

मां जो मेहनतमजदूरी करती, उस से बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चल पाता था. ऐसी हालत में शमा ने मां का हाथ बंटाना जरूरी समझा. उस ने एक आर्केस्ट्रा ग्रुप जौइन कर लिया. इस काम में अच्छीखासी कमाई थी सो घर के हालात धीरेधीरे बदलने लगे.

शमा जालंधर के आर्केस्ट्रा ग्रुप में काम करती थी. गांव से जालंधर आने में शमा को परेशानी होती थी, इसलिए वह अपनी मां और भाईबहन को जालंधर ले आई. वहीं उस ने एक किराए का कमरा ले लिया. शमा और नरेंदर दोनों अपनेअपने काम में लग गए थे, इसलिए उन की प्रेमकहानी का अंत हो चुका था.

वक्त के बेरहम थपेड़ों में दोनों ने एकदूसरे को भुला दिया था. इस तरह वक्त का पहिया अपनी गति से घूमता रहा था. एकएक कर इस बात को पूरे 11 साल गुजर गए थे. न तो नरेंदर को पता था कि शमा अब कहां है और न ही शमा यह जानती थी कि उसे अपने घर से निकालने के बाद नरेंद्र कहां और किस हाल में है.

पहली मई 2017 की बात है. शमा रात 8 बजे अपने घर से अपनी स्कूटी पर किसी काम से बाजार जाने के लिए निकली. चलते समय उस ने अपनी मां से कहा था कि वह किसी जरूरी काम से बाहर जा रही है, थोड़ी देर में लौट आएगी. लेकिन वह उस रात घर नहीं लौटी तो भोली ने शमा को फोन मिलाया. पर उस का फोन बंद था.

रात भर तलाशने पर भी शमा का कहीं कोई पता नहीं चला. अगली सुबह शमा की एक सहेली ने बताया कि रात शमा उस को बस्ती शेख के तेजमोहन नगर की गली नंबर 6 के कोने पर मिली थी, पूछने पर उस ने बताया था किसी रिश्तेदार से मिलने जा रही है.

‘‘लेकिन यहां हमारा कोई रिश्तेदार तो क्या, कोई जानकार भी नहीं रहता.’’ भोली ने बताया.

बहरहाल, भोली अपने बेटे और दामाद को साथ ले कर तेजमोहन नगर की गली नंबर 6 में पहुंची तो मकान नंबर 3572/19 के सामने शमा की स्कूटी खड़ी मिली. आसपास के लोगों से पूछने पर पता चला कि वह मकान पिछले 4 महीनों से किसी नरेंदर चौहान ने किराए पर ले रखा था.

मकान के बाहर छोटा सा ताला था. भोली और उस के बेटे और दामाद ताला खोल कर जब भीतर गए तो वहां का नजारा देख कर उन सब के होश उड़ गए. बैड पर शमा की लाश पड़ी थी. तब भोली ने इस की सूचना थाना डिवीजन-5 पुलिस को दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुखबीर सिंह अपने सहयोगी इंसपेक्टर नरेश जोशी के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. घटनास्थल का मुआयना करने से पता चला कि मृतका के गले में दुपट्टा कसा हुआ था. इस के अलावा उस की गरदन पर गहरा घाव भी था.

पूछताछ करने पर पता चला था कि उस मकान में नरेंदर चौहान किराए पर रहता था. वह मृतका का पति था. पड़ोसियों ने बताया कि शमा रात करीब सवा 8 बजे वहां पहुंची थी. इस के कुछ देर बाद ही उस के कमरे से लड़ाईझगड़े की जोरजोर की आवाजें आने लगी थीं. कुछ देर बाद आवाजें आनी बंद हो गईं. रात करीब साढ़े 10 बजे उन्होंने नरेंदर और उस की मां को घर के बाहर निकल कर कहीं जाते हुए देखा था.

भोली ने भी अपने बयान में यही बताया था कि शमा की हत्या उस के दामाद नरेंदर चौहान और उस की मां सुदेश चौहान ने मिल कर की है.

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