राजगढ़ जिले के माचलपुर थाने के अंतर्गत एक गांव है धानोदा. राजपूत बाहुल्य वाले इस गांव में 5 अप्रैल, 2023 को एक ऐसी घटना घटी कि पूरे गांव में सनसनी फैल गई. यहीं के रहने वाले 28 वर्षीय युवक लाखन राजपूत की किसी ने रात में हत्या कर दी थी. वह गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर खेत में ही एक टपरी बना कर रहता था. उस के साथ में पत्नी नीतू भी रहती थी, जिस का मायका इसी गांव में था.
गांव में शादी का माहौल था. उस दिन इस गांव में 4-4 शादियां थीं. अचानक खुशी के माहौल में रात को हत्या की सूचना पुलिस के लिए भी परेशान करने वाली थी. हत्या की सूचना पा कर थाने के टीआई जितेंद्र आजनारे तुरंत अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस की सूचना एसडीपीओ आनंद राय, एडीशनल एसपी मनकामना प्रसाद और राजगढ़ एसपी वीरेंद्र कुमार सिंह को भी दे दी.
घटनास्थल पर की गई छानबीन में पुलिस ने पाया कि युवक की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. उस पर किए गए वार से स्पष्ट था कि हमलावर ने उस के ऊपर काफी तेजी से हमले किए थे. शरीर पर गोलियों के 2 निशान थे. इस के अलावा उस पर सब्बल से ऐसा वार किया गया था कि वह गले के आरपार हो गया था.
पूछताछ करने पर घटनास्थल पर मौजूद नीतू नाम की युवती ने बताया कि मृतक उसका पति है. उस ने हत्या का आरोप सीधेसीधे अपने चाचा, चचेरे भाई और सगे भाई पर लगा दिया. उस ने घटना का जिक्र करते हुए पुलिस को बताया कि उन्होंने बड़ी बेदर्दी से उस के पति की हत्या कर दी. उन का वश चलता तो वे उसे भी जान से मार डालते. उस वक्त उन की आंखों में खून सवार था. वह डर कर भाग गई थी, इस से वह बच गई.
नीतू ने ही सभी हमलावरों के नाम पुलिस को बता दिए थे. इस के अलावा मृतक के मातापिता ने भी बताया था कि उन्हें वे काफी समय से धमकी दे रहे थे. उन के बयानों से मालूम हुआ कि यह हत्याकांड एक औनर किलिंग है. हत्यारों ने जानबूझ कर लाखन राजपूत की हत्या की है, जिस ने करीब 8 महीने पहले ही गांव की नीतू से प्रेम विवाह किया था.
मामला निकला औनर किलिंग का
यानी कि लव मैरिज करने के कारण लाखन को जान गंवानी पड़ी. उस के 17 साल के नाबालिग साले अंकुर ने ही चाचा प्रेम सिंह और चचेरे भाई लोकेश उर्फ सुरेंद्र के साथ मिल कर हत्या कर दी थी. बहन के लव मैरिज करने से अंकुर के सिर पर इस कदर खून सवार था कि उस ने जीजा को बेरहमी से मौत की नींद सुला दिया. तीनों आरोपियों को पुलिस ने 2 दिनों बाद ही गिरफ्त में ले लिया था.
पुलिस के हत्थे पहले चाचा प्रेमसिंह और चचेरे भाई लोकेश उर्फ सुरेंद्र चढ़े थे, फिर अगले रोज नाबालिग भाई अंकुर भी खेत पर बनी टपरी से गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपियों के पास से वारदात के समय पहने गए कपड़े, हत्या में प्रयोग की गई पिस्टल, एक जिंदा कारतूस और गले में जो सब्बल फांसा था, बरामद कर लिया गया.
प्रारंभिक जांचपड़ताल में पता चला कि वारदात के लिए इस्तेमाल किया गया पिस्टल अवैध था. उसे उन्होंने आगर-मालवा जिले के किसी व्यक्ति से खरीदा था. हत्याकांड का मास्टरमाइंड अंकुर ही था. तीनों से इस मामले की गहन पूछताछ की गई. पता चला कि उन्होंने नीतू के छोटे भाई अंकुर के कहने पर उस का साथ दिया था. वैसे वे भी शादीशुदा नीतू के प्रेम विवाह करने से खुश नहीं थे. इस के चलते गांव और आसपास के इलाके में उन की बहुत बेइज्जती हो रही थी.
अंकुर ने पुलिस को हत्या के पीछे की जो चौंकाने वाली वजह बताई, वह इस प्रकार है—
करीब डेढ़ हजार की आबादी वाले धानोदा गांव का रहने वाला भगवान सिंह एक साधारण किसान था. उस के 3 बच्चों में बड़ी बेटी नीतू, उस के बाद एक और बेटी, उस के बाद छोटा बेटा अंकुर है. नीतू जब हाईस्कूल में थी, तब उस की जानपहचान गांव के ही लाखन राजपूत से हो गई थी. वह नीतू से उम्र में बड़ा था. गांव में मटरगश्ती किया करता था. हर किसी से मजाक कर लेता था. स्कूल जाते वक्त वह लड़कियों को छेड़ देता था. उन में से एक नीतू भी थी.
एक ही गांव के होने की वजह से दूसरी लड़कियों की तरह ही उस की मजाकिया बातों को दिल पर नहीं लेती थी. उस के छेडऩे पर बुरा नहीं मानती थी. इस दौरान लाखन अकसर उस की तारीफ करता था. उसे बाकी लड़कियों से अधिक खूबसूरत बताता था. प्रेम की बातें करता था. एक दिन उस ने मजाक में बोल दिया कि उसे उस से मोहब्बत हो गई है, वह उस से शादी करना चाहता है.
यह सुन कर नीतू उस वक्त थोड़ी नाराज हो गई थी, लेकिन लाखन द्वारा कही गई वे बातें उस के दिमाग में घूमने लगी थीं. उस के बाद स्कूल में 3 दिनों की छुट्टियां हो गई थीं. चौथे दिन जब वह स्कूल गई, तब उस की निगाहें लाखन को ढूंढने लगीं, लेकिन वह न तो स्कूल जाते समय नजर आया और न ही स्कूल से लौटते वक्त ही मिला. अगले दिन भी ऐसा ही हुआ. लाखन को ले कर उस के दिल की धडक़नें तेज हो गई थीं.
स्कूल से लौटते समय उस ने अपनी सहेली से लाखन के बारे पूछ लिया. सहेली भी कुछ कम मजाकिया नहीं थी. वह भी तपाक से बोल पड़ी, “बड़ा उस बदमाश की खोजखबर ले रही हो, उस पर दिल आ गया है क्या?”
यह सुनते ही नीतू शरमा गई और उसे चिकोटी काटती हुई बोली, “अरे तू भी उसी तरह मजाक करती है.”
“देख उधर, नाम लेते ही आ गया… हमारी तरफ ही आ रहा है. जा, जा कर पूछ ले उसी से कि कहां था?”
तब तक लाखन उन के करीब आ चुका था. वह साइकिल पर था. एक पैर जमीन पर टिका कर उन के पास साइकिल रोक दी और झट से बोल पड़ा, “क्या बात है तुम लोग मेरे बारे में ही बातें कर रही थी न?”
“मैं क्यों करूंगी? यही कर रही थी.” नीतू की तरफ हाथ से इशारा कर उस की सहेली बोलती हुई और आगे बढऩे लगी. जबकि नीतू वहीं ठिठकी रही. लाखन ने तुरंत अपनी जेब से एक पैकेट निकला और नीतू की ओर बढ़ा दिया.
“क्या है?” नीतू बोली.
“तुम्हारे लिए राजगढ़ से लाया हूं. गिफ्ट है. बहुत दिनों से तुम्हें कुछ देने की सोच रहा था. इसे घर जा कर खोलना. कैसा लगा, कल जरूर बताना.”
“ले ले, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी,” थोड़ी दूर जाती हुई नीतू की सहेली बोली.