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अदालत के आदेश पर बीवी पर गोली चलाने वाले इकबाल को जेल पहुंचाने आई पुलिस टीम उसे जेल स्टाफ को सौंपने के लिए लिखापढ़ी की काररवाई कर रही थी, तभी थाना रामगंज के थानाप्रभारी रामकिशन बिश्नोई के रीडर जगदीश चौधरी ने इकबाल को जो बताया, उसे सुन कर उस का चेहरा सफेद पड़ गया. उस की आंखों से पश्चाताप के आंसू बहने लगे.

जेल में ऐसा होना आम बात है. लेकिन इकबाल का मामला कुछ अलग तरह का था. वह नासमझ नहीं, पढ़ालिखा इंसान था. दिल्ली के जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय से एम.फिल. कर रहा था. पढ़ालिखा और समझदार होने के बावजूद उस ने गुस्से में बीवी को एक नहीं, 2 गोलियां मार दी थीं. उस ने गोलियां ऐसी जगह मारी थीं, जिस से वह मरे न, लेकिन वह मर गई थी.

इस बात की जानकारी इकबाल को तब तक नहीं थी. उसे यही मालूम था कि उस का अस्पताल में इस इलाज चल रहा है. यही वजह थी कि जेल स्टाफ को सौंपते समय जब रीडर जगदीश चौधरी ने उसे बताया कि उस की बीवी शफकत मर चुकी है तो वह सन्न रह गया था.

बीवी की मौत के बारे में जान कर इकबाल की आंखों से आंसू बहने लगे थे. उस के दोनों हाथ दुआओं के लिए उठ गए थे. इस के बाद हथेली से आंसू पोंछते हुए उस ने कहा, ‘‘साहब, मैं शफकत से बहुत प्यार करता था और शायद इतना ही प्यार हमेशा करता रहूंगा. आप मेरे सासससुर से कहिएगा कि वे उस की कब्र पर कोई निशान लगा कर रखेंगे. मैं जेल से बाहर आऊंगा तो बाकी की जिंदगी उसी की कब्र पर बिताऊंगा. क्योंकि अब मैं सिर्फ उसी का हो कर रहना चाहता हूं. मैं अपने सासससुर से भी दूर नहीं रहना चाहता. ताउम्र उन से नाता बनाए रखना चाहता हूं.’’

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