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चंद्रा का मायके जाने का प्रोग्राम था, इसलिए उस ने घर का अगले दिन का काफी काम शाम को  ही निपटा दिया था. बचाखुचा काम अगले दिन पूरा कर के वह दोनों बच्चों सोनिया और प्रिंस को ले कर 20 नवंबर, 2013 को नोएडा से बस पकड़ कर दिल्ली आ गई. दिल्ली के सराय कालेखां में उस का मायका था. नानी के घर आ कर दोनों बच्चे बहुत खुश थे.

चंद्रा के मायके के सामने ही दिल्ली नगर निगम का पार्क था. मोहल्ले के अन्य बच्चों के साथ सोनिया और प्रिंस भी सुबह ही पार्क में खेलने के लिए निकल जाते थे. दोनों बच्चों के साथ खेलने में इतने मस्त हो जाते थे कि उन्हें खाना खाने के लिए चंद्रा को बुलाने जाना पड़ता था. चंद्रा सोचती थी कि 2-4 दिनों में वह फिर ससुराल लौट जाएगी और वहां जा कर बच्चे स्कूल के काम में लग जाएंगे, इसलिए वह बच्चों के साथ ज्यादा टोकाटाकी नहीं करती थी.

24 नवंबर की सुबह भी प्रिंस रोजाना की तरह अपनी बहन सोनिया के साथ पार्क में खेलने गया. जब वह खेलतेखेलते थक गया तो पार्क के किनारे बैठ गया और अन्य बच्चों का खेल देखने लगा. उसे वहां बैठे अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि 2 आदमी उस के पास आ कर खड़े हो गए. उन का चेहरा रूमाल से ढका हुआ था.

उन में से एक ने प्रिंस को गोद में उठा कर उस का मुंह दबा कर उसे शौल से ढक लिया और पास खड़ी मोटरसाइकिल के पास पहुंच गए. मोटरसाइकिल को पहले से ही एक आदमी स्टार्ट किए उस पर बैठा था. वे दोनों भी मोटरसाइकिल पर उस के पीछे बैठ कर फरार हो गए.

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