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दोपहर का समय था. नागपुर की रहने वाली मेहरुनिशा मोबिन खान अपनी बेटी सना खान को लगातार फोन मिलाए जा रही थी. बारबार उस का मोबाइल कभी नौट रिचेबल, तो कभी नेटवर्क नहीं मिलने का संकेत दे रहा था. उन्होंने उस के दूसरे नंबर को लगाया. उस पर भी उसी तरह की आवाज आई. पहले नंबर को फिर से मिलाया. कुछ देर टोंटों की आवाज आने के बाद फिर से वही कनेक्टीविटी नहीं होने का रिकौर्डेड मैसेज मराठी भाषा में आने लगा…

खीझती हुई मेहरुनिशा बुदबुदाईं, “…तो यही है डिजिटल इंडिया… नेटवर्क ही नहीं. इतनी खराब कांग्रेस के जमाने में तो ऐसा नहीं था…”

कुछ पल ठहरने के बाद फिर खुद से बोलने लगीं, “…इसी नंबर पर तो सुबह बात हुई थी. कहीं उस ने सिम तो नहीं बदल लिया. अच्छा, नए नंबर को मिलाती हूं. वह बोली थी कि जबलपुर में वोडाफोन वाले नंबर पर मत काल करना…मैं ही भूल गई थी.”

मेहरुनिशा ने एक बार फिर नए नंबर को मिलाया. वहां से भी वही नेटवर्क नहीं होने की आवाज आई. यह सब करतेकरते करीब 15 मिनट बीत चुके थे. उन्हें चिंता होने लगी थी. माथे पर चिंता की लकीरें खिंच आई थीं.

हालांकि सना खान कोई किशोरी लडक़ी नहीं, बल्कि 34 साल की खूबसूरत युवती और एक बच्चे की मां थी. वह मां की तरह ही राजनीति में पैठ रखती थी. फर्क इतना था कि उसे बीजेपी की विचारधारा पसंद थी, जबकि मां मेहरुनिशा मोबिन खान शुरू से ही कांग्रेस की एक सामाजिक कार्यकर्ता की हैसियत से जुड़ी हैं और नागपुर के गोरले लेआउट क्षेत्र के अवस्थी नगर में रहती हैं.

अपनी राजनीतिक सूझबूझ और दमखम पर ही सना बहुत जल्द ही पूर्वी महाराष्ट्र शहर में भाजपा अल्पसंख्यक सेल की पदाधिकारी बना दी गई थी. उस की प्रदेश भाजपा के बड़े पदाधिकारियों से ले कर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तक से अच्छी जानपहचान थी. जनसभाओं में उन के साथ मंच साझा करती थी. मां के लिए चिंता की बात इसी को ले कर थी कि उसे जितने चाहने वाले थे, उतने ही उस से ईष्र्या करने वाले भी थे.

मां और भाई को होने लगी चिंता

34 वर्षीय सना ने 24 अप्रैल, 2023 को 37 वर्षीय अमित साहू उर्फ पप्पू से जबलपुर में शादी की थी. बिजनैसमैन साहू लगभग 4 साल पहले अपनी पहली पत्नी से अलग हो गए थे, जबकि सना भी अपने पहले पति से अलग हो कर अपनी मां के साथ रह रही थी. साथ में रहने वाला 13 साल का बेटा अल्तमश नागपुर के स्कूल में पढ़ाई कर रहा है. इस कारण सना का नागपुर और जबलपुर आनाजाना लगा रहता था. यह कहें कि उस का एक पैर नागपुर में होता था तो दूसरा पैर जबलपुर में रहता था. वह अपनी मां के घर नागपुर और पति के घर जबलपुर अकसर अकेली आतीजाती थी.

सना पहली अगस्त की आधी रात को एक प्राइवेट बस से जबलपुर के लिए रवाना हुई थी. उस का जबलपुर जाना अचानक हुआ था. अगली सुबह उस ने मां को फोन किया था. अच्छी तरह जबलपुर पहुंचने की सूचना दे दी थी. उस ने बताया था कि रास्ते में उसे कोई परेशानी नहीं हुई और उसे कोई थकावट भी महसूस नहीं हो रही है. इस पर मां ने समझाते हुए उसे एक बार फिर वही बात दोहराई थी, जो उस ने घर से निकलते वक्त बोली थी, “गुस्सा मत करना…शांति से बातचीत करना… बहस नहीं करना.”

जवाब में सना ने हामी भरी थी और विश्वास दिलाया था, “अम्मी, जैसा तुम चाहो.”

सना ने नागपुर में अपने बेटे से भी फोन पर बात की थी. उस के बाद बेटा बाय बोलता हुआ स्कूल चला गया था और मेहरुनिशा भी घरेलू कामकाज में व्यस्त हो गई थीं. जैसे ही उन्हें फुरसत हुई, उन्होंने सना को फोन मिलाना शुरू कर दिया था. किंतु यह क्या! फोन लग ही नहीं रहा था. वह कभी सना पर तो कभी टेलीकाम कंपनी पर खीझ निकाल रही थीं. खीझती हुई खुद से बोलने लगी, “3-3 फोन और 10 सिम किस काम के, जब किसी पर बात ही न हो पाए.”

कुछ पल ठहरने के बाद उन्होंने अपने बेटे को फोन मिलाया, “बेटा मोहसिन, तू कहां है?”

“क्या हुआ अम्मी, मैं किसी काम से बाजार की ओर निकला हूं. तुम्हारी आवाज घबराई हुई क्यों लग रही है? घर में सब खैरियत तो है न?” मोहसिन खान बोला.

“हां बेटा, सब खैरियत है.” मेहरुनिशा बोली.

“तो फिर तुम्हारी आवाज को क्या हुआ? हांफने जैसी आवाज निकल रही है.”

“अरे कुछ नहीं बेटा, मैं तेजी से सीढिय़ां चढ़ कर तुम्हें देखने के लिए सब से ऊपरी मंजिल पर चढ़ गई थी. तुम नहीं दिखे तो फोन किया सना को ले कर…” मेहरुनिशा बोलीं.

“सना को ले कर? क्या हुआ उसे, सुबह ही तो उस से तुम ने बात की थी. उस ने मेरी भी खैरियत पूछी थी…” मोहसिन बोला.

“उसे फोन मिलातेमिलाते काफी समय हो गया. कई नंबरों पर फोन मिला लिया, कोई नहीं लग रहा है. जरा तू अपने फोन से उसे फोन मिला ले.” मेहरुनिशा बोलीं.

“जी अम्मी,” मोहसिन ने कहा.

मेहरुनिशा को कुछ समय बाद मोहसिन का फोन आया. उस ने कहा, “अम्मी मेरे फोन से भी उस का फोन नहीं लग रहा.”

“ऐं… तुम्हारे फोन से भी नहीं लग रहा. बेटा, मुझे तो डर लग रहा है,” मेहरुनिशा रोआंसी होती हुई बोलीं.

“क्यों, इस में डरने की क्या बात है. सना अपने पति के पास गई है. वह समझदार है. जिम्मेदारी समझती है. बिजनैस वुमन है, नेता है…” मोहसिन सना की तारीफ में बोलता जा रहा था.

बीच में ही मेहरुनिशा ने टोक दिया, “बेटा, वह सब तो ठीक है, लेकिन कल रात वह फोन पर अमित से जिस लहजे में बात कर रही थी, वह मुझे अच्छा नहीं लगा. इस पर मैं ने समझाया था उसे.”

“क्यों क्या हुआ था? फिर उस का अमित के साथ झगड़ा हुआ था?” मोहसिन ने पूछा.

“हां बेटा, पैसे के हिसाबकिताब को ले कर तो हमेशा उन दोनों के बीच बहस होती ही रहती है, लेकिन कल सना कुछ ज्यादा ही झगड़ रही थी. वह अमित से फोन पर ही ऊंची आवाज में बात कर रही थी. अपनी सोने की चेन और पैसा मांग रही थी. साहू ने उसे जबलपुर आ कर बात करने को कहा था.” मेहरुनिशा बोली.

“अच्छा! इसलिए वह आननफानन में रात को ही जबलपुर निकल गई…कोई बात नहीं, थोड़ी देर में मैं उसे फिर काल करूंगा. तुम भी कर लेना. वैसे उस के फोन का नेटवर्क मिलते ही हमारी मिस काल का मैसेज देख ही लेगी. तुम चिंता मत करो, सब कुछ ठीक ही होगा.”

“ठीक ही रहे तो अच्छा है बेटा,” कहती हुई मेहरुनिशा ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

मामला हाईफाई होने की वजह से उड़ी पुलिस की नींद

उस के बाद मेहरुनिशा ने अंत में अमित साहू को फोन किया. उस से बात हुई. अपनी बेटी के बारे में पूछा, लेकिन सना से बात नहीं हो पाई. साहू ने बताया कि सना आई थी. बहुत ही गुस्से में थी. उस के साथ काफी तीखी बहस हुई. उस के बाद वह चली गई. कहां गई, कुछ नहीं बताया. उल्टे साहू ही कहने लगा कि अगर वह नागपुर पहुंचे, तब सना से उस की भी बात करवा देना.

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