दिलरूबा ने ली प्रेमी की जान

एसचओ ने ग्रामीणों की मदद से शव को तालाब से बाहर निकलवाया. शव पूरी तरह नग्न अवस्था में था. शव का बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि मृतक की उम्र लगभग 30 साल थी और उस के शरीर पर धारदार हथियार से गोदे जाने के कई निशान थे.

उसी दौरान एक युवक ने लाश की शिनाख्त पिडरुआ निवासी तुलसीराम प्रजापति के रूप में की. उस की हत्या किस ने और क्यों की, यह बात कोई भी व्यक्ति नहीं समझ पा रहा था.

26 वर्षीय सविता और 28 वर्षीय तुलसीराम पहली मुलाकात में ही एकदूसरे को दिल दे बैठे थे, सविता को पाने की अभिलाषा तुलसीराम के दिल में हिलोरें मारने लगी थी, इसलिए वह किसी न किसी बहाने से सविता से मिलने उस के खेत पर बनी टपरिया में अकसर आने लगा था.

तुलसीराम प्रजापति के टपरिया में आने पर सविता गर्मजोशी से उस की खातिरदारी करती, चायपानी के दौरान तुलसीराम जानबूझ कर बड़ी होशियारी के साथ सविता के गठीले जिस्म का स्पर्श कर लेता तो वह नानुकुर करने के बजाय मुसकरा देती. इस से तुलसीराम की हिम्मत बढ़ती चली गई और वह सविता के खूबसूरत जिस्म को जल्द से जल्द पाने की जुगत में लग गया.

एक दिन दोपहर के समय तुलसीराम सविता की टपरिया में आया तो इत्तफाक से सविता उस वक्त अकेली चक्की से दलिया बनाने में मशगूल थी. उस का पति पुन्नूलाल कहीं गया हुआ था. इसी दौरान तुलसीराम को देखा तो उस ने साड़ी के पल्लू से अपने आंचल को करीने से ढंका.

तुलसीराम ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ”सविता, तुम यह आंचल क्यों ढंक रही हो? ऊपर वाले ने तुम्हारी देह देखने के लिए बनाई है. मेरा बस चले तो तुम को कभी आंचल साड़ी के पल्लू से ढंकने ही न दूं.’’

”तुम्हें तो हमेशा शरारत सूझती रहती है, किसी दिन तुम्हें मेरे टपरिया में किसी ने देख लिया तो मेरी बदनामी हो जाएगी.’’

”ठीक है, आगे से जब भी तेरे से मिलने तेरी टपरिया में आऊंगा तो इस बात का खासतौर पर ध्यान रखूंगा.’’

सविता मुसकराते हुए बोली, ”अच्छा एक बात बताओ, कहीं तुम चिकनीचुपड़ी बातें कर के मुझ पर डोरे डालने की कोशिश तो नहीं कर रहे?’’

”लगता है, तुम ने मेरे दिल की बात जान ली. मैं तुम्हें दिलोजान से चाहता हूं, अब तो जानेमन मेरी हालत ऐसी हो गई है कि जब तक दिन में एक बार तुम्हें देख नहीं लेता, तब तक चैन नहीं मिलता है. बेचैनी महसूस होती रहती है, इसलिए किसी न किसी बहाने से यहां चला आता हूं. तुम्हारी चाहत कहीं मुझे पागल न कर दे…’’

तुलसीराम प्रजापति की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि सविता बोली, ”पागल तो तुम हो चुके हो, तुम ने कभी मेरी आंखों में झांक कर देखा है कि उन में तुम्हारे लिए कितनी चाहत है. मुझे तो ऐसा लगता है कि दिल की भाषा को आंखों से पढऩे में भी तुम अनाड़ी हो.’’

”सच कहा तुम ने, लेकिन आज यह अनाड़ी तुम से बहुत कुछ सीखना चाहता है. क्या तुम मुझे सिखाना चाहोगी?’’ इतना कह कर तुलसीराम ने सविता के चेहरे को अपनी हथेलियों में भर लिया.

सविता ने भी अपनी आंखें बंद कर के अपना सिर तुलसीराम के सीने से टिका दिया. दोनों के जिस्म एकदूसरे से चिपके तो सर्दी के मौसम में भी उन के शरीर दहकने लगे. जब उन के जिस्म मिले तो हाथों ने भी हरकतें करनी शुरू कर दीं और कुछ ही देर में उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

सविता के पति पुन्नूलाल के शरीर में वह बात नहीं थी, जो उसे तुलसीराम से मिली. इसलिए उस के कदम तुलसीराम की तरफ बढ़ते चले गए. इस तरह उन का अनैतिकता का खेल चलता रहा.

सविता के क्यों बहके कदम

मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक गांव है पिडरुआ. इसी गांव में 26 वर्षीय सविता आदिवासी अपने पति पुन्नूलाल के साथ रहती थी. पुन्नूलाल किसी विश्वकर्मा नाम के व्यक्ति की 10 बीघा जमीन बंटाई पर ले कर खेत पर ही टपरिया बना कर अपनी पत्नी सविता के साथ रहता था. उसी खेत पर खेती कर के वह अपने परिवार की गुजरबसर करता था. उस की गृहस्थी ठीकठाक चल रही थी.

उस के पड़ोस में ही तुलसीराम प्रजापति का भी खेत था, इस वजह से कभीकभार वह सविता के पति से खेतीबाड़ी के गुर सीखने आ जाया करता था. करीब डेढ़ साल पहले तुलसीराम ने ओडिशा की एक युवती से शादी की थी, लेकिन वह उस के साथ कुछ समय तक साथ रहने के बाद अचानक उसे छोड़ कर चली गई थी.

सविता को देख कर तुलसीराम की नीयत डोल गई. उस की चाहतभरी नजरें सविता के गदराए जिस्म पर टिक गईं.  उसी क्षण सविता भी उस की नजरों को भांप गई थी. तुलसीराम हट्टाकट्टा नौजवान था. सविता पहली नजर में ही उस की आंखों के रास्ते दिल में उतर गई. सविता के पति से बातचीत करते वक्त उस की नजरें अकसर सविता के जिस्म पर टिक जाती थीं.

सविता को भी तुलसीराम अच्छा लगा. उस की प्यासी नजरों की चुभन उस की देह को सुकून पहुंचाती थी. उधर अपनी लच्छेदार बातों से तुलसीराम ने सविता के पति से दोस्ती कर ली. तुलसीराम को जब भी मौका मिलता, वह सविता के सौंदर्य की तारीफ करने में लग जाता.

सविता को भी तुलसीराम के मुंह से अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगता था. वह पति की मौजूदगी में जब कभी भी उसे चायपानी देने आती, मौका देख कर वह उस के हाथों को छू लेता. इस का सविता ने जब विरोध नहीं किया तो तुलसीराम की हिम्मत बढ़ती चली गई.

धीरेधीरे उस की सविता से होने वाली बातों का दायरा भी बढऩे लगा. सविता का भी तुलसीराम की तरफ झुकाव होने लगा था. तुलसीराम को पता था कि सविता अपने पति से संतुष्ट नहीं है. कहते हैं कि जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है.

आखिर एक दिन तुलसीराम को सविता के सामने अपने दिल की बात कहने का मौका मिल गया और उस के बाद दोनों के बीच वह रिश्ता बन गया, जो दुनिया की नजरों में अनैतिक कहलाता है. दोनों ने इस रास्ते पर कदम बढ़ा तो दिए, लेकिन सविता ने इस बात पर गौर नहीं किया कि वह अपने पति के साथ कितना बड़ा विश्वासघात कर रही है.

जिस्म से जिस्म का रिश्ता कायम हो जाने के बाद सविता और तुलसीराम उसे बारबार बिना किसी हिचकिचाहट के दोहराने लगे. सविता का पति जब भी गांव से बाहर जाने के लिए निकलता, तभी सविता तुलसीराम को काल कर अपने पास बुला लेती थी.

अनैतिक संबंधों को कोई लाख छिपाने की कोशिश करे, एक न एक दिन उस की असलियत सब के सामने आ ही जाती है. एक दिन ऐसा ही हुआ. सविता का पति पुन्नूलाल शहर जाने के लिए घर से जैसे ही निकला, वैसे ही सविता ने अपने प्रेमी तुलसीराम को फोन कर दिया.

अवैध संबंधों का सच आया सामने

सविता जानती थी कि शहर से घर का सामान लेने के लिए गया पति शाम तक ही लौटेगा, इस दौरान वह गबरू जवान प्रेमी के साथ मौजमस्ती कर लेगी.

सविता की काल आते ही तुलसीराम बाइक से सविता के टपरेनुमा घर पर पहुंच गया. उस ने आते ही सविता के गले में अपनी बाहों का हार डाल दिया, तभी सविता इठलाते हुए बोली, ”अरे, यह क्या कर रहे हो, थोड़ी तसल्ली तो रखो.’’

”कुआं जब सामने हो तो प्यासे व्यक्ति को कतई धैर्य नहीं होता है,’’ इतना कहते हुए तुलसीराम ने सविता का गाल चूम लिया.

”तुम्हारी इन नशीली बातों ने ही तो मुझे दीवाना बना रखा है. न दिन को चैन मिलता है और न रात को. सच कहूं जब मैं अपने पति के साथ होती हूं तो सिर्फ तुम्हारा ही चेहरा मेरे सामने होता है,’’ सविता ने भी इतना कह कर तुलसी के गालों को चूम लिया.

तुलसीराम से भी रहा नहीं गया. वह सविता को बाहों में उठा कर चारपाई पर ले गया. इस से पहले कि वे दोनों कुछ कर पाते, दरवाजा खटखटाने की आवाज आई. इस आवाज को सुनते ही दोनों के दिमाग से वासना का बुखार उतर गया. सविता ने जल्दी से अपने अस्तव्यस्त कपड़ों को ठीक किया और दरवाजा खोलने भागी.

जैसे ही उस ने दरवाजा खोला, सामने पति को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया, ”तुम तो घर से शहर से सौदा लाने के लिए निकले थे, फिर इतनी जल्दी कैसे लौट आए?’’ सविता हकलाते हुए बोली.

”क्यों? क्या मुझे अब अपने घर आने के लिए भी तुम से परमिशन लेनी पड़ेगी? तुम दरवाजे पर ही खड़ी रहोगी या मुझे भीतर भी आने दोगी,’’ कहते हुए पुन्नूलाल ने सविता को एक तरफ किया और जैसे ही वह भीतर घुसा तो सामने तुलसीराम को देख कर उस का माथा ठनका.

”अरे, आप कब आए?’’ तुलसीराम ने पूछा तो पुन्नूलाल ने कहा, ”बस, अभीअभी आया हूं.’’

सविता के हावभाव पुन्नूलाल को कुछ अजीब से लगे, उस ने सविता की तरफ देखा, वह बुरी तरह से घबरा रही थी. उस के बाल बिखरे हुए थे. माथे की बिंदिया उस के हाथ पर चिपकी हुई थी.

यह सब देख कर पुन्नूलाल को शक होना लाजिमी था. डर के मारे तुलसीराम भी उस से ठीक से नजरें नहीं मिला पा रहा था. ठंड के मौसम में भी उस के माथे पर पसीना छलक रहा था. पुन्नूलाल तुलसीराम से कुछ कहता, उस से पहले ही वह अपनी बाइक पर सवार हो कर वहां से भाग गया.

उस के जाते ही पुन्नूलाल ने सविता से पूछा, ”तुलसीराम तुम्हारे पास क्यों आया था और तुम दोनों दरवाजा बंद कर क्या गुल खिला रहे थे?’’

”वह तो तुम से मिलने आया था और कुंडी इसलिए लगाई थी कि आज पड़ोसी की बिल्ली बहुत परेशान कर रही थी.’’ असहज होते हुए सविता बोली.

”लेकिन मेरे अचानक आ जाने से तुम दोनों की घबराहट क्यों बढ़ गई थी?’’

”अब मैं क्या जानूं, यह तो तुम्हें ही पता होगा.’’ सविता ने कहा तो पुन्नूलाल तिलमिला कर रह गया. उस के मन में पत्नी को ले कर संदेह पैदा हो गया था.

पुन्नूलाल ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पति पर निगाह रखनी शुरू कर दी और हिदायत दे दी कि तुलसीराम से वह आइंदा से मेलमिलाप न करे. पति की सख्ती के बावजूद सविता मौका मिलते ही तुलसीराम से मिलती रहती थी.

सविता और उस के प्रेमी को चोरीछिपे मिलना अच्छा नहीं लगता था. उधर तुलसीराम चाहता था कि सविता जीवन भर उस के साथ रहे, लेकिन सविता के लिए यह संभव नहीं था.

सविता क्यों बनी प्रेमी की कातिल

वैसे भी जब से पुन्नूलाल और गांव वालों को सविता और तुलसीराम प्रजापति के अवैध संबंधों का पता लगा था, तब से सविता घर टूटने के डर से तुलसीराम से छुटकारा पाना चाह रही थी, लेकिन समझाने के बावजूद तुलसीराम उस का पीछा नहीं छोड़ रहा था. तब अंत में सविता ने अपने छोटे भाई हल्के आदिवासी के साथ मिल कर अपने प्रेमी तुलसीराम को मौत के घाट उतारने की योजना बना डाली.

अपनी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए 8 जनवरी, 2024 को सविता अपने मायके साईंखेडा चली गई, जिस से किसी को उस पर शक न हो. वहां से वह 11 जनवरी की दोपहर अपनी ससुराल पिडरुआ वापस लौट आई. उसी दिन शाम के वक्त उस ने तुलसीराम को फोन करके मिलने के लिए मोतियाहार के जंगल में बुला लिया.

अपनी प्रेमिका के बुलावे पर उस की योजना से अनजान तुलसीराम खुशी खुशी मोतियाहार के जंगल में पहुंचा. तभी मौका मिलते ही सविता ने अपने मायके से साथ लाए चाकू का पूरी ताकत के साथ तुलसीराम के गले पर वार कर दिया.

अपनी जान बचाने के लिए खून से लथपथ तुलसीराम ने वहां से बच कर भाग निकलने की कोशिश की तो सविता ने चाकू उस के पेट में घोंप दिया. पेट में चाकू घोंपे जाने से उस की आंतें तक बाहर निकल आईं. कुछ देर छटपटाने के बाद ही उस के शरीर में हलचल बंद हो गई.

इस के बाद सविता के भाई हल्के आदिवासी ने तुलसीराम की पहचान मिटाने के लिए उस के सिर को पत्थर से बुरी तरह से कुचल दिया. फिर सविता ने अपने प्रेमी की नाक के पास अपनी हथेली ले जा कर चैक किया कि कहीं वह जिंदा तो नहीं है.

दोनों को पूरी तरह तसल्ली हो गई कि तुलसीराम मर चुका है, तब उन्होंने तुलसीराम के सारे कपड़े उतार कर उस के कपड़े, जूते एक थैले में रख कर तालाब में फेंक दिए. लाश को ठिकाने लगाने के लिए सविता और उस का भाई हल्के तुलसी की लाश को कंधे पर रख कर हरा वाले तालाब के करीब ले गए. वहां बोरी में पत्थर भर कर रस्सी को उस की कमर में बांध कर शव को तालाब में फेंक दिया.

नग्नावस्था में मिली थी तुलसी की लाश

12 जनवरी, 2024 की सुबह उजाला फैला तो पिडरुआ गांव के लोगों ने तालाब में युवक की लाश तैरती देखी. थोड़ी देर में वहां लोगों की भीड़ जुट गई. भीड़ में से किसी ने तालाब में लाश पड़ी होने की सूचना बहरोल थाने के एसएचओ सेवनराज पिल्लई को दी.

सूचना मिलते ही एसएचओ कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर मौके पर पहुंच गए. लाश तालाब से बाहर निकलवाने के बाद उन्होंने उस की जांच की. उस की शिनाख्त पिडरुआ निवासी तुलसीराम प्रजापति के रूप में की.

वहीं पर पुलिस को यह भी पता चला कि तुलसीराम के पिछले डेढ़ साल से गांव की शादीशुदा महिला सविता आदिवासी से अवैध संबंध थे. इसी बात को ले कर पतिपत्नी में तकरार होती रहती थी.

लेकिन तुलसीराम की हत्या इस तरह गोद कर क्यों की गई, यह बात पुलिस और लोगों को अचंभे में डाल रही थी. मामला गंभीर था. एसएचओ ने घटना की सूचना एसडीओपी (बंडा) शिखा सोनी को भी दे दी थी. वह भी मौके पर आ गईं.

इस के बाद उन्होंने भी लाश का निरीक्षण कर एसएचओ को सारी काररवाई कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के निर्देश दिए. एसएचओ पिल्लई ने सारी काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. फिर थाने लौट कर हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

एसडीओपी शिखा सोनी ने इस केस को सुलझाने के लिए एक पुलिस टीम गठित की. टीम में बहरोल थाने के एसएचओ सेवनराज पिल्लई, बरायथा थाने के एसएचओ मकसूद खान, एएसआई नाथूराम दोहरे, हैडकांस्टेबल जयपाल सिंह, तूफान सिंह, वीरेंद्र कुर्मी, कांस्टेबल देवेंद्र रैकवार, नीरज पटेल, अमित शुक्ला, सौरभ रैकवार, महिला कांस्टेबल प्राची त्रिपाठी आदि को शामिल किया गया.

चूंकि पुलिस को सविता आदिवासी और मृतक की लव स्टोरी की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी, इसलिए पुलिस टीम ने गांव के अन्य लोगों से जानकारी जुटाने के बाद सविता आदिवासी को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया.

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सविता से तुलसीराम की हत्या के बारे में जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने पुलिस को गुमराह करने की भरसक कोशिश की, लेकिन एसएचओ सेवनराज पिल्लई के आगे उस की एक न चली और उसे सच बताना ही पड़ा.

सविता के खुलासे के बाद पुलिस ने सविता के भाई हल्के आदिवासी को भी साईंखेड़ा गांव से गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया सविता और उस के भाई हल्के आदिवसी से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

सविता और उस के भाई हल्के ने सोचा था कि तुलसीराम को मौत के घाट उतार देने से बदनामी से छुटकारा और बसा बसाया घर टूटने से बच जाएगा, लेकिन पुलिस ने उन के मंसूबों पर पानी फेर कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

तुलसीराम की हत्या कर के सविता और उस का भाई हल्के आदिवासी जेल चले गए. सविता ने अपनी आपराधिक योजना में भाई को भी शामिल कर के अपने साथ भाई का भी घर बरबाद कर दिया.

‘बूगी वूगी’ शो की विनर फंसी खुद के बुने जाल में

गर्लफ्रेंड के लिए विमान का अपहरण – भाग 3

बिरजू का इश्क कहां तक था कि इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह अपने प्यार के लिए रायल एयरलाइंस कंपनी खोलने को तैयार हो गए. उन्होंने यह भी सोच लिया था कि उन की इस एयरलाइंस का सारा कामकाज उन की गर्लफ्रेंड ही देखेगी, लेकिन उस का हेडक्वार्टर मुंबई होगा. क्योंकि सल्ला यही चाहते थे कि वह मुंबई आए.

बिरजू ने इशारे इशारे में यह बात अपनी गर्लफ्रेंड को बता भी दी, लेकिन वह इस के लिए भी तैयार नहीं हुई. उस का कहना था कि यह एक तरह का मजाक है, इसलिए वह जहां नौकरी कर रही है, उसे करने दें.

जब बिरजू को लगा कि अब गर्लफ्रेंड किसी भी तरह मुंबई नहीं जाने वाली तो उन्होंने एक साजिश रची. उन्होंने सोचा कि वह ऐसा क्या करें कि जेट एयरवेज ही बंद हो जाए या फिर उस का दिल्ली का औफिस बंद हो जाए. इस के लिए उन्होंने उसे बदनाम करने की योजना बनाई.

इसी के बाद उन्होंने प्लेन हाइजैकिंग की यह साजिश रची और उन्होंने जो लेटर लिखा, उस में लिखा कि अगर यह प्लेन दिल्ली लैंड करेगा तो ब्लास्ट हो जाएगा. उन का सोचना था कि दिल्ली आने के बाद पैसेंजर शोर मचाएंगे तो यह मीडिया में आएगा, जिस से जेट एयरवेज की बदनामी होगी.

हो सकता है इस के बाद जेट एयरवेज अपना दिल्ली का औफिस बंद कर दे. इस के बाद तो उन की गर्लफ्रेंड मजबूरन मुंबई आ जाएगी, क्योंकि जब दिल्ली में नौकरी ही नहीं रहेगी तो वह मुंबई आ ही जाएगी. यही सोच कर उन्होंने यह साजिश रची थी.

यहां तक तो ठीक था, लेकिन बिरजू सल्ला की बदनसीबी यह थी कि इस घटना के 9-10 महीने पहले 2016 में संसद ने एक कानून बनाया था ‘एंटी हाइजैकिंग ऐक्ट 2016’. इस ऐक्ट में यह था कि अगर कोई व्यक्ति किसी प्लेन को हाइजैक करता है और उस हाइजैकिंग के दौरान किसी मुसाफिर या क्रू मेंबर की मौत हो जाती है तो एंटी हाइजैकिंग ऐक्ट के तहत उस पर मुकदमा चलेगा और इस की सजा मौत होगी.

ऐक्ट में यह भी लिखा था कि अगर कोई व्यक्ति प्लेन को हाइजैक करने की कोशिश करता है या किसी तरह की अफवाह फैलाता है यानी बम या हाइजैक करने की खबर देता है तो उस व्यक्ति पर भी एंटी हाइजैकिंग ऐक्ट के तहत मुकदमा चलेगा और उस व्यक्ति को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

2016 में यह कानून बन गया था. बिरजू को इस कानून के बारे में जानकारी नहीं थी. उन का सोचना था कि अगर वह पकड़े भी गए तो छोटा मोटा मामला है, 2-4 महीने में बाहर आ जाएंगे. लेकिन उन की बदनसीबी ही थी कि 2016 में यह कानून बना और 2017 में 30 अक्तूबर को उन्होंने यह कांड कर दिया.

पूरी जांच के बाद यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया. क्योंकि यह आतंकवाद से जुड़ी घटना थी. इसलिए यह पता करना था कि कहीं इस में किसी आतंकवादी संगठन का हाथ तो नहीं है. एनआईए ने पूरे मामले की जांच की और फिर एनआईए की स्पैशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी.

चार्जशीट दाखिल होने के बाद बिरजू सल्ला पर एनआईए की स्पैशल कोर्ट में मुकदमा चला. 11 जून, 2019 लोअर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. यह फैसला बिरजू सल्ला की सोच से बिलकुल अलग था. एंटी हाइजैकिंग ऐक्ट बनने के बाद यह पहला मुकदमा था, जो बिरजू के खिलाफ चला था.

चूंकि कानून बन चुका था कि हाइजैकिंग के दौरान किसी की मौत हो जाती है तो मौत की सजा और हाइजैकिंग की कोशिश की जाती है, वह भले ही ड्रामा ही क्यों न हो, हाइजैकर को उम्रकैद की सजा होगी.

यह दूसरी चीज बिरजू के खिलाफ थी, क्योंकि उन्होंने झूठ में कहा था कि प्लेन में हाइजैकर हैं और कार्गो में बम रखा है. अगर प्लेन पीओके नहीं ले जाया गया तो सभी मारे जाएंगे. इस तरह 30-35 मिनट सभी पैसेंजरों ने जो कष्ट भोगा यानी ऐसी स्थिति में मौत सामने नजर आती है, इस बात को बड़ी गंभीरता से लिया गया और 2016 के उस एंटी हाइजैकिंग ऐक्ट की धारा 3(1), 3(2)(ए), 4बी के तहत दोषी ठहराते हुए एनआईए की स्पैशल कोर्ट ने बिरजू सल्ला को बाकी जीवन के लिए आजीवन कारावास की सजा सुना दी थी.

हाईकोर्ट के फैसले से मिली राहत

इश्क में पागल बिरजू सल्ला कहां अपनी गर्लफ्रेंड को मुंबई लाना चाहते थे और कहां अब उन की पूरी उम्र जेल में गुजरने वाली थी. 11 जून, 2019 को यह सजा सुनाई गई थी. पर इतना ही नहीं, उन की तमाम प्रौपर्टी भी जब्त करने का आदेश दिया गया था. उन पर 5 करोड़ रुपए का जुरमाना भी लगाया गया था.

5 करोड़ की इस राशि के बारे में कहा गया था बिरजू से मिलने वाली इस राशि को चालक दल और यात्रियों में बांट दिया जाए. इस में से एकएक लाख रुपए पायलटों को, 75-75 हजार रुपए एयरहोस्टेस को तो 25-25 हजार रुपए सवारियों को बांटने का आदेश दिया गया था.

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सजा सुनाए जाने के बाद बिरजू सल्ला को अहमदाबाद की साबरमती जेल भेज दिया गया. घर वालों ने एनआईए के इस फैसले के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अपील की. जिस की सुनवाई साल 2023 में शुरू हुई और 8 अगस्त, 2023 को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और एम.आर. मेंगडे की पीठ ने अपने फैसले में बिरजू सल्ला को बरी करते हुए कहा कि एनआईए यह साबित नहीं कर पाई कि विमान के वाशरूम में पाया गया नोट बिरजू सल्ला ने ही रखा था.

न्यायमूर्ति श्री सुपेहिया ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह भी साबित नहीं कर सका कि आरोपी ने अकेले अपने औफिस में बैठ कर वह धमकी भरा नोट तैयार किया था.

उच्च न्यायालय ने कहा कि जैसा कि शुरुआती जांच में कहा गया है कि सल्ला ने बताया है कि जेट एयरवेज की कर्मचारी अपनी प्रेमिका के लिए एयरलाइन को बदनाम करने के लिए उन्होंने यह अपराध किया था, लेकिन आगे चल कर जांच के दौरान उस के इस मकसद ने अपना महत्त्व खो दिया. इसलिए जो भी सबूत पेश किए गए हैं, उन के अध्ययन से पता चलता है कि वे संदेहात्मक हैं, जो आरोपी को अपराधी नहीं घोषित करते.

जो भी सबूत हैं, वे स्पष्ट रूप से अपीलकर्ता को अपहरण जैसे गंभीर आरोप में दोषी सिद्ध नहीं करते. इसलिए संदेह से भरे सबूतों के आधार पर अपहरण के अपराध में अपीलकर्ता दोषी ठहराने और सजा देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं और अपीलकर्ता को बरी करने का आदेश दिया जाता है.

बिरजू सल्ला को अपहरण के आरोप से बरी करते हुए उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि बिरजू सल्ला पर लगाए गए 5 करोड़ रुपए के जुरमाने को भी रद्द किया जाता है.

एयरलाइन के पायलट और चालक दल को ट्रायल कोर्ट ने जिन्हें रुपए देने का आदेश दिया था, अगर उन्होंने रुपए लिए हैं तो वे पैसे वापस करें. जुरमाने की राशि उच्च न्यायालय ने बिरजू को वापस करने का आदेश दिया. इसी के साथ यह भी आदेश दिया कि अगर राज्य सरकार यह रुपया वापस नहीं ले पाती तो खुद यह पैसा अपने पास से सल्ला को वापस करे.

इस तरह बिरजू को हाईकोर्ट से राहत तो मिल गई, लेकिन वह गर्लफ्रेंड के चक्कर में 6 साल की जेल काट कर बाहर आए.

गर्लफ्रेंड के लिए विमान का अपहरण – भाग 2

जैसे ही फ्लाइट ने एयरपोर्ट पर लैंड किया, पुलिस ने डौग स्क्वायड, बम स्क्वायड के साथ प्लेन को घेर लिया. इस के बाद सारे यात्रियों को उतार कर एक जगह इकट्ठा कर लिया गया और जहाज की तलाशी ली गई. जहाज में कहीं कोई बम नहीं मिला.

इस के बाद सारे यात्रियों की सूची निकाली गई. इन 116 यात्रियों में 12 हाइजैकर कौन हो सकते हैं, उन की शिनाख्त की जाने लगी. पता चला कि इन 116 यात्रियों में से कोई भी व्यक्ति संदिग्ध नहीं था. सभी के टिकट या आईडी पर जो डाटा था, वह सही और जैनुइन था.

इस से यह साफ हो गया कि यह फेक काल थी यानी मजाक था. फिर सवाल उठा कि इस तरह का खतरनाक मजाक किया किस ने, अब इस की जांच शुरू हुई.

प्लेन का जो क्रू स्टाफ था, उस से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में शिवानी मल्होत्रा जिस ने सब से पहले देखा था कि बिजनैस क्लास के टायलेट में टिश्यू पेपर खत्म हो गए हैं, उस ने बताया कि जब प्लेन ने टेकआफ किया यानी लाइट बंद हो गई और अब टायलेट यूज किया जा सकता था तो बिजनैस क्लास में बैठे एक आदमी ने उस से ब्लैंकेट मांगा था. वह उस का कंबल लेने गई फिर लौट कर देखा, वह सीट पर नहीं था.

करीब 5 मिनट बाद वह लौटा. इस पर उस ने ध्यान दिया कि उतने समय में उस आदमी के अलावा बिजनैस क्लास के किसी दूसरे आदमी ने टायलेट का यूज नहीं किया था.

शिवानी के बताए अनुसार, टेकआफ के बाद उस टायलेट का उपयोग सिर्फ उसी एक यात्री ने किया था. इस के बाद उस यात्री को बुलाया गया. वह यात्री सामने आया. पूछताछ में पता चला कि उस यात्री का नाम था बिरजू सल्ला उर्फ अमर सोनी पुत्र किशोर सोनी है. उस की उम्र 37 साल थी.

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जब उस से टायलेट जाने के बारे में पूछा गया तो उस ने स्वीकार किया कि हां वह टायलेट गया था. लेकिन इस के आगे उस ने कुछ नहीं बताया.

अरबपति व्यापारी निकला बिरजू सल्ला

इस के बाद मुंबई पुलिस को सूचना दे कर सल्ला के बारे में जानकारी जुटाई गई. मुंबई पुलिस से जो जानकारी मिली, उस से पता चला कि बिरजू सल्ला कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं है. सल्ला सोनेचांदी, हीरे जवाहरातों के जाने माने बिजनेसमैन हैं. वह बहुत ही सम्मानित परिवार से हैं.

वह मूलरूप से गुजरात के रहने वाले हैं. मुंबई के दादर बाजार में ज्वैलरी की उन की बहुत बड़ी दुकान है. इस के अलावा भी उन के कई बिजनैस हैं. कुल मिला कर वह अरबपति आदमी हैं और मुंबई के पौश इलाके में उन की विशाल कोठी है.

बिरजू सल्ला के बारे में जान कर पुलिस को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ हो रहा है. इतना बड़ा बिजनैसमैन और सम्मानित आदमी इस तरह का काम क्यों करेगा? फिर भी पुलिस की एक टीम इस मामले की जांच में लग गई. पुलिस के पास सबूत के तौर पर 2 लेटर थे, एक अंगरेजी में और दूसरा उर्दू में.

इस के अलावा जांच में यह भी साबित हो गया कि सल्ला के अलावा और दूसरा कोई अदमी टायलेट गया नहीं था. अगर वे लेटर बिरजू ने नहीं रखे तो फिर किस ने रखे? उस के बाद एयरहोस्टेस गई थीं टायलेट. वे ऐसा कर नहीं सकती थीं. इसलिए जो सबूत थे, वे बिरजू सल्ला की ओर ही इशारा कर रहे थे कि उसी ने यह काम किया है.

बाकी यात्री जो रुके थे, उन्हें दूसरी फ्लाइट से दिल्ली भेज दिया गया. बिरजू सल्ला को संदिग्ध मान कर अहमदाबाद में ही रोक लिया गया. उन से पूछताछ की जाने लगी. पर वह लगातार मना करते रहे कि उन्होंने यह काम नहीं किया.

उसी बीच पुलिस की एक टीम उन के घर गई. इसी के साथ यह भी पता किया जाने लगा कि जो दोनों लेटर टायलेट से मिले थे, वह कहां टाइप किए गए थे और इन का प्रिंट कहां निकाला गया था?

बिरजू सल्ला के घर में जो प्रिंटर था, उस का सैंपल लिया गया. इस के बाद लेटर से उस सैंपल को मैच कराया गया तो वह मैच कर गया. जिस प्रिंटर से वह बाकी के काम करते थे, उसी प्रिंटर से वह लेटर प्रिंट किए गए थे.

अब 2 चीजें बिरजू सल्ला के खिलाफ थीं. एक वह चश्मदीद एयरहोस्टेस, जिस ने बताया था कि एकलौते वही थे, जिन्होंने टायलेट का उपयोग किया था और दूसरा वह प्रिंटर, जिस से वह धमकी भरे लेटर प्रिंट किए गए थे.  इस के बाद लैपटाप और कंप्यूटर को खंगाला गया, इस से पता चला कि लेटर उसी में टाइप किए गए थे. जो लेटर उर्दू में था, उस के बारे में पता चला कि अंगरेजी वाले लेटर को गूगल से ट्रांसलेट किया गया था.

पुलिस के लिए इतने सबूत काफी थे बिरजू को घेरने के लिए. इस के बाद अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच पुलिस ने जब तसल्ली से बिरजू को सवालों के जाल में उलझाया तो मजबूरन बिरजू को अपना अपराध स्वीकार करना पड़ा. उन्होंने कहा कि ये दोनों लेटर टायलेट में उन्होंने ही रखे थे, लेकिन बम की खबर फेक थी. न तो प्लेन में कोई हाइजैकर थे और न ही बम था.

हर हालत में गर्लफ्रेंड को मुंबई बुलाना चाहते थे बिरजू सल्ला

अब इस के बाद यह सवाल उठा कि आखिर उन्होंने ऐसा किया क्यों? पुलिस ने कहा कि अगर कोई फेक काल करता या इस तरह का लेटर रखता तो वह बाहर रह कर ऐसा करता. जबकि वह तो इसी प्लेन में बैठे थे, तब उन्होंने ऐसा क्यों किया? क्या उन्हें अहमदाबाद आना था या कोई और काम था?

इस के बाद बिरजू सल्ला ने ऐसा करने के पीछे जो कहानी सुनाई, उस पर अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच को विश्वास ही नहीं हो रहा था, लेकिन जब पुलिस ने आगे जांच की तो पता चला कि बिरजू ने जो भी बताया था, वह पूरी तरह सच था. बिरजू ने यह सब करने के पीछे जो कहानी सुनाई थी, वह इस प्रकार थी.

बिरजू सल्ला एक अरबपति कारोबारी थे. वह मुंबई के एक पौश इलाके में शानदार कोठी में परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी, 2 बच्चे और 70 साल के पिता किशोरभाई थे. बिजनैस के लिए अकसर वह देश के अन्य शहरों में आयाजाया करते थे. वह दिल्ली भी आतेजाते रहते थे.

दिल्ली आनेजाने के दौरान ही जेट एयरवेज की एक ग्राउंड स्टाफ से उन की दोस्ती हो गई. दोस्ती होने के बाद अकसर दोनों का मिलनाजुलना होने लगा. इस का नतीजा यह निकला कि 35-36 साल के बिरजू को उस युवती से प्यार हो गया.

बिरजू को ही उस युवती से प्यार नहीं हुआ, वह युवती भी बिरजू से प्यार करने लगी थी. क्योंकि उस युवती को यह पता नहीं था कि वह जिस से प्यार कर रही है, वह शादीशुदा है. जब प्यार गहराया तो बात विवाह करने की होने लगी. बिरजू चाहते थे कि वह युवती नौकरी छोड़ कर मुंबई चले और उन का घर संभाले. जबकि युवती न नौकरी छोडऩा चाहती थी और न मुंबई ही जाना चाहती थी. वह इन दोनों चीजों से मना कर रही थी.

जबकि बिरजू उस युवती से बहुत ज्यादा प्यार करते थे. बिरजू ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, बारबार मनाया, कई बार ऐसा भी हुआ कि वह केवल उस से मिलने दिल्ली आए. कई बार वह कहती कि इस समय तो उस की ड्यूटी है. फ्लाइट की ड्यूटी होती थी, जिसे अटेंड करना ही होता था. इस तरह वह बिरजू को समय नहीं दे पाती थी.

इस सब को ले कर बिरजू के मन में आता कि यह सब क्या है, आखिर यह कैसी नौकरी है? उस ने प्रेमिका से कहा कि वह यहां के बजाय मुंबई में नौकरी जौइन कर ले या किसी दूसरी एयरलाइंस में नौकरी कर ले, पर वह न तो नौकरी छोडऩे को तैयार थी और न ही कहीं दूसरी जगह जाने को. उस का कहना था कि वह नौकरी करेगी तो यहीं दिल्ली में ही करेगी.

गर्लफ्रेंड की बातों ने कुछ ऐसा कर दिया कि बिरजू को एयरलाइंस की नौकरी से ही नफरत हो गई. साथ ही वह यह भी सोचने लगे कि वह ऐसा क्या करें कि उन की गर्लफ्रेंड उन के पास मुंबई आ जाए.

उसी दौरान 2017 में बिरजू के एक दोस्त की बेटी की शादी थी. उस ने बिरजू से कहा कि उस के कुछ गेस्ट आ रहे हैं. उन्हें ले आने और ले जाने के लिए 2 चार्टर्ड प्लेन किराए पर चाहिए. इस के लिए बिरजू दिल्ली आए और गल्फ की एक कंपनी से करीब सवा करोड़ में 2 चार्टर्ड की डील कर ली.

इसी बात से बिरजू को खयाल आया कि गर्लफ्रेंड मुंबई नहीं चल रही और नौकरी नहीं छोड़ रही तो क्यों न वह अपनी इस गर्लफ्रेंड के लिए एक एयरलाइंस कंपनी खोल दें. प्लेन डील करने में उन्हें एयरलाइंस के बारे में काफी जानकारी हो गई थी.

गर्लफ्रेंड के लिए विमान का अपहरण – भाग 1

8 अगस्त, 2023 को गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और एम.आर. मेंगडे की डिवीजन बेंच में बिरजू सल्ला उर्फ अमर सोनी बनाम गुजरात सरकार की सुनवाई चल रही थी. 2019 में बिरजू सल्ला को एनआईए की स्पैशल कोर्ट से आजीवन कारावास एवं 5 करोड़ रुपए के जुरमाने की सजा सुनाई गई थी. इस के अलावा उन की तमाम प्रौपर्टी भी जब्त करने का आदेश दिया गया था. इस के बाद बिरजू सल्ला ने इस सजा के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अपील की थी.

बिरजू सल्ला ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए हाईकोर्ट के सीनियर वकीलों की पूरी फौज खड़ी कर दी थी. उन की ओर से सीनियर एडवोकेट हार्दिक मोध अपने सहयोगियों के साथ बहस के लिए खड़े थे. उन के सहायक भी उन के साथ खड़े थे.

एडवोकेट हार्दिक मोध ने कहा, ”माई लार्ड, मेरा मुवक्किल एक बहुत बड़ा बिजनैसमैन है, जिसकी समाज में ही नहीं, व्यापार जगत में बड़ी इज्जत है. जैसा कि उस के बारे में कहा गया है कि उस ने एक लड़की के लिए जेट एयरवेज को बदनाम करने के लिए जेट एयरवेज के हवाई जहाज के टायलेट में एक धमकी भरा पत्र रखा था कि अगर हवाई जहाज को पीओके यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर नहीं ले जाया गया तो उसे उड़ा दिया जाएगा.

सबूत के तौर पर वह पत्र अदालत में पेश किया गया था. अब सवाल यह उठता है कि पुलिस ने यह कैसे साबित कर दिया कि टायलेट में वह पत्र हमारे मुवक्किल ने ही रखा था?’’

फाइल पलट रहे दोनों न्यायाधीशों ने एक बार सीनियर एडवोकेट हार्दिक मोध की ओर देखा, उस के बाद सरकारी वकील की ओर देखा तो सरकार की ओर से मुकदमे की पैरवी करने के लिए खड़ी सीनियर एडवोकेट सुश्री वृंदा सी शाह ने कहा, ”माई लार्ड, उस पत्र को भले ही किसी ने बिरजू सल्ला को रखते नहीं देखा, पर क्रू मेंबर की एक एयरहोस्टेस शिवानी मल्होत्रा ने उन्हें टायलेट की ओर जाते देखा था. उस का कहना था कि बिरजू सल्ला के अलावा उस समय तक और कोई दूसरा बिजनैस क्लास के उस टायलेट में नहीं गया था.’’

न्यायाधीश श्री सुपेहिया ने कहा, ”आप यह दावे के साथ कैसे कह सकती हैं कि बिरजू सल्ला के पहले बिजनैस क्लास से कोई और टायलेट नहीं गया था.’’

”माई लार्ड एयरहोस्टेस का यही कहना है,’’ एडवोकेट वृंदा शाह ने कहा.

”किसी एक आदमी के कह देने से आप ने उसे दोषी मान लिया और आजीवन कारावास की सजा दे दी यानी उस की पूरी जिंदगी बरबाद कर दी.’’ न्यायाधीश श्री मेंगड़े ने कहा.

”नहीं सर, टायलेट में जो पत्र मिला था, वह बिरजू सल्ला के ही कंप्यूटर से टाइप किया गया था और उन्हीं के प्रिंटर से प्रिंट हुआ था,’’ एडवोकेट वृंदा शाह ने कहा.

जवाब में बिरजू सल्ला के एडवोकेट हार्दिक मोध ने कहा, ”माई लार्ड, इस का क्या सबूत है कि वह पत्र बिरजू सल्ला के कंप्यूटर में ही टाइप किया गया था और उन के प्रिंटर से ही प्रिंट किया गया था.’’

”माई लार्ड पत्र की जो स्याही थी, वह बिरजू सल्ला के प्रिंटर से मेल खा रही थी,’’ वृंदा शाह बोलीं.

”तो क्या वह स्याही केवल बिरजू सल्ला के प्रिंटर के लिए ही बनाई गई थी?’’ न्यायाधीश श्री सुपेहिया ने पूछा.

”जी नहीं माई लार्ड, कंपनी ने केवल बिरजू सल्ला के लिए स्याही नहीं बनाई थी.’’ वृंदा शाह ने कहा.

”तब यह क्यों मान लिया गया कि वह पत्र बिरजू सल्ला के ही प्रिंटर से प्रिंट हुआ था? यह तो कोई इस तरह का साक्ष्य नहीं है कि उस के आधार पर किसी को दोषी मान लिया जाए.’’

”माई लार्ड, बिरजू सल्ला ने खुद स्वीकार किया है कि उस ने कंपनी को बदनाम करने के लिए यह सब किया था, जिस से जेट एयरवेज का दिल्ली का औफिस बंद हो जाए और उस की गर्लफ्रेंड की नौकरी छूट जाए, जिस से वह मुंबई चली जाए.’’ एडवोकेट वृंदा शाह बोलीं.

इस पर बिरजू सल्ला के एडवोकेट हार्दिक मोध ने कहा, ”माई लार्ड, यह भी कोई बात हुई. किसी के द्वारा अपहरण का धमकी भरा एक पत्र रख देने से भला इतनी बड़ी कंपनी का औफिस बंद हो जाएगा. माई लार्ड इस मामले में मेरा मुवक्किल निर्दोष है. पुलिस ने इस मामले में कायदे से जांच नहीं की और एक इज्जतदार बिजनैसमैन को फंसा दिया.

”पुलिस की लापरवाही की वजह से मेरे मुवक्किल को 8 साल जेल में बिताने पड़े. उसे 5 करोड़ रुपए जुरमाना भी भरना पड़ा, साथ ही उस की तमाम संपत्ति भी जब्त कर ली गई. माई लार्ड, मेरी आप से यही विनती है कि बिरजू सल्ला को बाइज्जत बरी किया जाए.’’

इस बहस के बाद डिवीजन बेंच के न्यायाधीश श्री सुपेहिया और श्री मेंगड़े ने अपना जो फैसला सुनाया, वह जानने से पहले आइए यह पूरी कहानी जान लेते हैं.

हाइजैक की सूचना पर प्लेन की हुई इमरजेंसी लैंडिंग

बात 30 अक्तूबर, 2017 की है. जेट एयरवेज की उड़ान मुंबई से दिल्ली जा रही थी. इस के उडऩे का समय दोपहर 2 बज कर 55 मिनट था. इस हवाई जहाज में कुल 116 यात्री सवार थे. मुंबई से दिल्ली की लगभग 2 घंटे की दूरी थी. इस का मतलब 5 बजे इस हवाई जहाज को दिल्ली में लैंड करना था. इस प्लेन में बिजनैस क्लास भी था और इकोनामी क्लास भी. प्लेन ने अपने निश्चित समय 2 बज कर 55 मिनट पर उड़ान भरी.

करीब 25 मिनट बाद 3 बज कर 20 मिनट पर यानी प्लेन को हवा में 25 मिनट बीत चुके थे, तभी एक केबिन रूम एयरहोस्टेस शिवानी मल्होत्रा बिजनैस क्लास के टायलेट में गई. टायलेट में जा कर उस ने देखा कि वहां रखे सारे टिश्यू पेपर लगभग खत्म हो गए हैं.

यह देख कर वह दंग रह गई. क्योंकि प्लेन को उड़े अभी 25 मिनट ही हुए थे. ज्यादा पैसेंजर टायलेट गए भी नहीं थे, तब भी टिश्यू पेपर खत्म गया था.

टायलेट से निकल कर उस ने यह बात अपनी सहयोगी निकिता जुनेजा से बता कर कहा कि बिजनैस क्लास के टायलेट में टिश्यू पेपर खत्म हो गए हैं, इसलिए जा कर फिर से टिश्यू पेपर रिफिल कर दे.

निकिता ने टिश्यू पेपर का दूसरा बंडल निकाला और टायलेट में जा कर उसे रखने लगी तो उसे लगा कि अंदर कुछ फंसा हुआ है. जब तक वह निकलेगा नहीं, तब तक दूसरा पेपर अंदर जा नहीं सकता. उस ने पेपर अंदर डालने की काफी कोशिश की, पर जब किसी भी तरह पेपर अंदर नहीं गया तो उस ने उस के अंदर हाथ डाला तो उसे लगा कि अंदर पेपर जैसा कुछ फंसा हुआ है.

निकिता ने उसे बाहर निकाला तो उस ने देखा कि उन पेपरों में कुछ लपेट कर अंदर डाला गया था. उस ने उसे खोल कर देखा तो उस में 2 पत्र थे. दोनों पत्रों में एक अंगरेजी में था तो दूसरा उर्दू में. वे दोनों पत्र कंप्यूटर द्वारा टाइप किए हुए थे.

निकिता को उर्दू तो आती नहीं थी, इसलिए उस ने अंगरेजी वाला लेटर पढ़ा. लेटर पढ़ कर उस के चेहरे पर हवाइयां उडऩे लगीं. उस लेटर में अंगरेजी में जो लिखा था, उस का हिंदी में अर्थ यह था, ‘फ्लाइट नंबर 9डब्ल्यू 339 में हाइजैकर हैं और प्लेन को हाइजैक कर लिया गया है.’

‘इस प्लेन में इस समय यात्रियों के बीच कुल 12 हाइजैकर हैं. इस प्लेन को यहां से सीधे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके ले चलें और अगर ऐसा नहीं किया गया तो थोड़ी देर में इसे उड़ा दिया जाएगा. आप इसे मजाक मत समझिए, क्योंकि कार्गो एरिया में एक बम रखा गया है और अगर आप ने इसे पीओके के बजाय दिल्ली में लैंड करने की कोशिश की तो धमाका हो जाएगा और प्लेन उड़ जाएगा.’

लेटर पढऩे के बाद निकिता ने उस लेटर को सीधे ला कर कैप्टन जय जरीवाला को थमा दिया. इस लेटर को देखने के बाद कैप्टन को लगा कि मामला तो बहुत ही संवेदनशील है. उस समय प्लेन गुजरात के अहमदाबाद के नजदीक था. उन्होंने तुरंत अहमदाबाद के (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) एटीसी से संपर्क किया और कहा कि इमरजेंसी के तहत वह अपना हवाई जहाज अहमदाबाद में लैंड करना चाहते हैं.

जब अहमदाबाद एयरपोर्ट के अधिकारियों ने पूछा कि ऐसी क्या इमरजेंसी है कि उन्हें अपना प्लेन अहमदाबाद में लैंड करने की जरूरत पड़ गई तो उन्होंने बताया कि दरअसल प्लेन में धमकी भरे लेटर मिले है. प्लेन में हाइजैकर हैं और उन्होंने कार्गो में बम रखा है.

इतना सुन कर अहमदाबाद एयरपोर्ट के अधिकारी तुरंत हरकत में आ गए. मैनेजर ने बड़े अधिकारियों से बात की. इस के बाद कैप्टन को इजाजत दी गई कि वह अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे पर अपना हवाई जहाज लैंड कर सकते हैं.

अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हुई सख्त जांच

इसी के बाद अहमदाबाद एयरपोर्ट पर तैयारी शुरू हो गई, क्योंकि कैप्टन के बताए अनुसार प्लेन में बम भी था और हाइजैकर भी. इसलिए लोकल पुलिस को भी सूचना दे गई थी और फायरब्रिगेड को भी बुला लिया गया था.

सूचना पा कर थाना एयरपोर्ट की पुलिस तो मौके पर पहुंच ही गई थी, क्राइम ब्रांच की भी पूरी टीम एयरपोर्ट पर पहुंच गई थी. थोड़ी देर में फ्लाइट नंबर 9डब्ल्यू 339 ने सहीसलामत एयरपोर्ट पर लैंड किया.

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डीपफेक : टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल

जब से प्रो. वरिंदर कालेज के मास कम्युनिकेशन विभाग में आए थे, तब से इस विभाग में स्टूडेंट्स काफी बढ़ गए थे. हर स्टूडेंट प्रो. वरिंदर के पढ़ाने के तरीके से प्रभावित था. यह हिमाचल के रहने वाले थे और कालेज के हौस्टल में ही रहते थे. सभी स्टूडेंट्स उन के दीवाने थे, क्योंकि वह काफी हैंडसम थे.

किसी को भी अंदाजा नहीं था कि प्रो. वरिंदर का अश्लील वीडियो वायरल हो जाएगा. सभी तरफ इस वीडियो की ही चर्चा हो रही थी. प्रो. वरिंदर खुद हैरान थे कि यह कैसे हो सकता है.

कालेज, शहर, देशविदेश में यह वीडियो जंगल की आग की तरह फैल गया था. प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह ने प्रो. वरिंदर को अपनी केबिन में बुलाया और उस वायरल वीडियो के बारे में पूछा.

”सर, यह वीडियो मेरा नहीं है.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने प्रिंसिपल साहब को सफाई दी.

”लेकिन वीडियो में तो आप ही हैं. वरिंदरजी, आप खुद देखो न, आप खुद हो, साथ में लड़की नैना है, जो बार बार आप से कई टौपिक पर पूछती रहती थी. यह कमरा, बैडरूम, दीवार अपने ही हैं. दीवार पर अलगअलग स्टिकर लगे हुए हैं. यह कमरा तो अपने ही हौस्टल का ही है. सौरी वरिंदरजी, हम कालेज की बदनामी नहीं करा सकते. जब तक यह वीडियो वाली बात साफ नहीं हो जाती, सच्चाई पता नहीं चल जाती, प्लीज आप कालेज मत आना. मुझे इस की जानकारी पुलिस को देनी पड़ेगी.’’

”पर सर, मैं नहीं हूं. जो लड़की है वह मेरी स्टूडेंट है, फिर मैं यह कैसे कर सकता हूं.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने कहा.

प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह ने खुद ही इंसपेक्टर को फोन मिलाया और कहा, ”मलकीतजी, कालेज जल्दी आना.’’

इंसपेक्टर मलकीत सिंह पिं्रसिपल का दोस्त था.

”कोई खास वजह?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”मेरे कालेज के प्रो. वरिंदर हैं, उन का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है.’’

”अच्छा…. वो वाला वीडियो… यह तो काफी वायरल है. मैं आता हूं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

प्रो. वरिंदर काफी उदास थे. उन का एक स्टूडेंट रमन उन्हें काफी हौसला दे रहा था. रमन मास कम्युनिकेशन का स्टूडेंट था. उसे तकनीकी जानकारी बहुत थी. अच्छे वीडियो बनाता था. उसे फोटोग्राफी का भी शौक था. मौडलिंग भी करता था. कालेज के स्टूडेंट्स को ले कर वह शार्ट मूवीज भी बनाता रहता था.

उस ने प्रो. वङ्क्षरदर से कहा, ”सर,  आप चिंता न करें. हम इस का हल ढूंढ निकालेंगे.’’

प्रो. वरिंदर को रमन की बातें सुन कर हौसला मिलता था कि मेरा यह कितना खयाल रख रहा है.

इंसपेक्टर मलकीत सिंह पुलिस टीम के साथ कालेज पहुंच गए. कालेज में छुट्टी होने के कारण स्टूडेंट्स नहीं थे. पुलिस ने प्रिंसिपल गुरदयाल के साथ काफी लंबी बातचीत की. प्रो. वरिंदर को भी बुलाया.

”प्रो. साहब, यह वीडियो आप की है?’’ इंसपेक्टर मलकीत सिंह ने पूछा.

”नहीं सर, मेरी नहीं है.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने बताया.

”पर लग तो आप ही रहे हैं.’’

”नहीं सर, यह मेरी वीडियो नहीं है.’’

”यह लड़की कौन है?’’

”सर, यह लड़की नैना है. पर सर, मैं तो इस लड़की से मिला ही नहीं. बस यह किसी टौपिक के बारे में मुझ से पूछती और चली जाती थी. वह हमेशा अपनी सहेलियों के साथ ही आती थी.

“पर प्रोफेसर साहब, यह वीडियो तो आप की ही लगती है.’’

”नहीं इंसपेक्टर साहब, यह मैं नहीं हूं. आप मेरा रिकौर्ड चैक करवा सकते हैं.’’

”रिकौर्ड तो सामने ही है,’’ इंसपेक्टर मलकीत ने हंसते हुए कहा.

”नहीं सर, सच मानो मैं नहीं हूं.’’

वीडियो देख कर प्रिंसिपल को क्यों आया पसीना

इस मौके पर लड़की नैना को भी बुलाया गया, जो काफी रो रही थी. वह भी बोली, ”सर, यह मैं नहीं हूं. मैं तो अकेली सर को मिली ही नहीं. जब भी मिली हूं तो मेरी सहेलियां नमिता, नीतिका साथ में ही होती थीं.’’

”बेटा हम समझते हैं, पर आप हमारा साथ दोगे तो अच्छा रहेगा.’’ इंसपेक्टर ने समझाया.

”सर, मैं सच कहती हूं, यह मैं नहीं हूं. मैं तो अकेले कभी सर से मिली ही नहीं.’’

वे बात ही कर रहे थे कि प्रिंसिपल गुरदयाल के चेहरे पर पसीना छलक आया था. वह कोई वीडियो मोबाइल पर देख रहे थे, जिस में 2 निर्वस्त्र लड़कियां थीं…

इंसपेक्टर मलकीत सिंह ने कहा, ”गुरदयाल सिंहजी क्या हुआ..?’’

प्रिंसिपल ने साइड में इंसपेक्टर मलकीत को ले जा कर वीडियो दिखाते हुए कहा, ”यह भी कालेज की लड़कियों का है जो बिलकुल नंगी हैं और एकदूसरे के साथ चिपक रही हैं.’’

नीचे एक मैसेज भी लिखा था ‘आप देखते जाओ, मेरे पास आप के कालेज के काफी वीडियो हैं. जो एक के बाद एक बाहर आऐंगे. हां प्रिंसिपल साहब, आप के वीडियो भी हैं मेरे पास… जितने मरजी एक्सपर्ट बुला लें, आप को नहीं पता चलेगा कि वीडियो कहां से लोड हो रही है.’

इंसपेक्टर मलकीत ने प्रो. वरिंदर और नैना को जाने को कहा.

”गुरदयालजी, यह मामला सिर्फ प्रो. वरिंदर और नैना का नहीं है. यह तो आप के कालेज का मामला लगता है. ये दोनों लड़कियां कौन हैं?’’

”ये हमारे कालेज की ही रानी और मोना हैं. ये इतनी घटिया हरकत कर सकती हैं, मैं ने सोचा नहीं था.’’

इंसपेक्टर ने प्रिंसिपल गुरदयाल, प्रो. वरिंदर, नैना, रानी, मोना सभी के मोबाइल नंबर लिए और कालेज से चले गए. उन को थाने से फोन आया था कि गांव के सरपंच ने अपनी बुजुर्ग मां को घर से बाहर निकाल दिया है, सारा गांव ही थाने आया है.

प्रिंसिपल की हालत बहुत खराब थी. प्रो. वरिंदर का मामला सुलझा नहीं था कि एक और वीडियो सामने आ गया. प्रिंसिपल सोच में डूबे थे कि स्टूडेंट रमन उन के पास आया, ”सर, मेरे कई दोस्त एक्सपर्ट हैं, जो पता लगा सकते हैं कि वीडियो कहां से अपलोड हो रहे हैं. ये साइबर एक्सपर्ट हैं.’’

रमन की बात प्रिंसिपल गुरदयाल को अच्छी लगी. रमन ने प्रिंसिपल के कहने पर अपने एक्सपर्ट दोस्तों को कालेज के बाहर ही रूम ले कर दे दिया. वे खोज खबर में लग गए. रमन अपने दोस्तों के साथ रात को जाम भी छलकाने लगा.

प्रिंसिपल गुरदयाल को उम्मीद थी कि बहुत जल्दी ही दोषी पकड़ा जाएगा.

शाम 5 बजे कालेज से सभी स्टूडैंट्स चले जाते थे. इंसपेक्टर मलकीत अपनी टीम के साथ आए और काफी बातें कीं.

”आप की पत्नी डा. नीता कहां है?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने प्रिंसिपल से पूछा.

पत्नी का नाम सुन कर प्रिंसिपल हैरान हो गए.

प्रिंसिपल का चेहरा पढ़ते हुए वह बोले, ”जी हां, आप की पत्नी डा. नीता जी…’’

”मेरी पत्नी से कई साल से बोलचाल बंद है. हमारे संबंध ठीक नहीं हैं. क्या यह मेरी पत्नी ने..?

”नहीं, नहीं… मैं ने ऐसा नहीं कहा. दरअसल, हम ने कालेज के कई पुराने लोगों से बात की तो पता चला कि आप की पत्नी के साथ आप के संबंध ठीक नहीं हैं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

डा. नीता क्यों हुई पति के खिलाफ

इंसपेक्टर मलकीत ने उन से डा. नीता का मोबाइल नंबर लिया. उन्होंने डा. नीता को थाने बुलाया. पूछताछ करने पर डा. नीता ने कहा, ”इस प्रिंसिपल ने तो मेरी जिंदगी ही बरबाद कर दी. मैं पछता रही हूं इन से शादी कर के.’’

”डा. नीताजी, आप यह बताएं कि आप के पति प्रिंसिपल गुरदयाल कैसे आदमी हैं?

”बहुत ही घटिया हैं,’’ डा. नीता ने बिंदास कहा, ”मैं तो शादी कर के पछता रही हूं. मुझे पता है कि मैं ने अपनी बेटी को कैसे पाला. फिर विदेश भेजा, इन को तो पूरी जिंदगी कालेज से ही फुरसत नहीं मिली. मैं तो डाक्टर थी, काम अच्छा था तो मैं ठीक रही, नहीं तो मैं भी इन के साथ किताबों में गुम हो जाती.’’

”डा. नीता, कालेज के एक प्रोफेसर का वीडियो काफी वायरल हुआ है. इसी के लिए मैं ने आप को बुलाया है.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

”आप का मतलब यह मैं ने किया…’’

”नहीं, हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप ने किया, हमें तो सिर्फ यह जानना था कि आप के पास भी कारण है कि प्रिंसिपल साहब को बदनाम करने का…’’

”क्या फालतू सवाल है? मुझे इन को बदनाम करना होता तो 12 साल पहले ही कर देती, जब मैं इन से अलग हुई थी. नहीं, यह सब झूठ है. आप मेरा मोबाइल चैक कर सकते हैं… मेरा नंबर तो आप के पास है ही, मेरी बेटी का यह नंबर है.

आप के पास तो अडवांस टैक्निक है, आप पता कर सकते हैं. हमारे रिश्ते बेशक ठीक नहीं हैं, मैं एक डाक्टर के नाते ऐसा नहीं कर सकती. मेरी भी सोशल इमेज है. मेरे अस्पताल जा कर भी आप मेरे बारे में पूछ सकते हैं.’’ डा. नीता ने सफाई दी.

”वह हम पता लगा लेंगे, लेकिन जब तक यह केस हल नहीं हो जाता, आप शहर के बाहर हमें बता कर जाना.’’

रमन और उस की टीम कोई न कोई खबर बना कर प्रिंसिपल गुरदयाल से काफी पैसे ले चुकी थी. रमन और दोस्तों का शाम का दारू और लेट नाइट बार डांस अच्छा चल रहा था.

इंसपेक्टर ने प्रो. वरिंदर को फिर थाने बुलाया. उन्होंने पूछा, ”आप के प्रिंसिपल सर कैसे हैं?’’

”सर अच्छे हैं.’’

”उन के पत्नी के साथ रिलेशन कैसे हैं?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”इतना ही पता है कि पत्नी अलग रहती है और बेटी विदेश में है.’’

रमन प्रिंसिपल से जब भी मिलता तो कुछ न कुछ पैसे ले लेता.

”सर, ये वीडियो विदेश की आईडी से लोड किए गए हैं.’’ सीआईए स्टाफ के रणजीत सिंह की टीम ने जांच कर इंसपेक्टर मलकीत से कहा.

इंसपेक्टर मलकीत ने प्रो. वरिंदर को फिर बुलाया और उन से पूछा, ”आप की यहां पर कोई दुश्मनी, कालेज स्टडी समय हिमाचल में कोई दुश्मनी आदि तो नहीं थी?’’

”दुश्मनी तो मेरी किसी से नहीं… लेकिन एक बार रमन के साथ झगड़ा हुआ था, जब इस ने एक लड़की की कुछ अश्लील तसवीरें खींची थीं. मैं ने रमन को मना किया था तो उस ने सौरी भी बोला था कि आगे से ऐसा नहीं करेगा… यह बात जब प्रिंसिपल सर को पता चली तो उन्होंने रमन को थप्पड़ मारा था. यह मामला तो 2 साल पहले का है. पर रमन तो अब काफी बदल चुका है.’’ प्रो. वरिंदर ने बताया.

पुलिस ने कई ऐंगल से इस को ध्यान से देखा. अपने खबरी भी अलर्ट किए. हर छोटी से छोटी जानकारी हासिल की.

छात्रों ने प्रिंसिपल से किस बात का लिया बदला

संडे का दिन था, प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह नाश्ता कर रहे थे. तभी इंसपेक्टर मलकीत पुलिस टीम के साथ कालेज के हौस्टल में पहुंच गए. गुरदयाल ने उन से नाश्ता करने को कहा.

तभी इंसपेक्टर ने कहा, ”नहीं सर, पहले काम बाकी बातें और नाश्ता बाद में. प्रिंसिपल साहब, आप यह बताएं कि पिछले कुछ दिनों से आप एक नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर रहे हैं. वह बैंक खाता यूपी का है, लेकिन पैसे कालेज के एटीएम से निकाले जा रहे हैं.’’

”पैसे… कौन से पैसे…’’ प्रिंसिपल ने अनजान बनते हुए कहा.

”प्रिंसिपल साहब, झूठ न बोलो, असल मुद्दे पर आओ.’’

प्रिंसिपल को पता चल गया था कि अब झूठ बोल कर कोई फायदा नहीं, इसलिए उन्होंने हकीकत बयां कर दी.

उन्होंने कहा, ”दरअसल, हमारे कालेज के स्टूडेंट रमन ने मुझ से कहा था कि उस के कई दोस्त साइबर एक्सपर्ट हैं. वह पता कर लेंगे कि वीडियो कहां से अपलोड हुई है.’’

”फिर पता चला?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”नहीं…’’

”प्रिंसिपल साहब, यह सब फ्रौड है. यह तो यूपी बिहार के टौप के क्रिमिनल हैं, जो आप को लाखों का चूना लगा रहे हैं.’’

प्रिंसिपल ने अपनी गलती मानी. कालेज के नजदीक नया बाजार में रमन को, जो घर किराए पर ले कर दिया था, पुलिस ने वहां रेड की तो सभी फरार हो चुके थे.

रमन के कई मोबाइल नंबर थे. पुलिस ने अलगअलग स्थानों पर रेड कर के रमन को रेलवे स्टेशन से पकड़ लिया, लेकिन उस के साथी फरार हो गए.

थाने पहुंचते ही रमन ने सारे राज उगल दिए. उस ने कहा, ”मैं ने प्रिंसिपल साहब से बदला लेने के लिए यह सब किया. प्रिंसिपल साहब ने सब स्टूडैंट्स के सामने मुझे थप्पड़ मारे थे, वह भी प्रो. वरिंदर की वजह से. फिर मैं ने डीपफेक तकनीक से चेहरे बदल कर यह सब किया.’’

रमन ने आगे बताया, ”सर, इस वीडियो में वरिंदर सर नहीं हैं, न ही वह लड़की… यह सब मैं ने तैयार करवाए. जो 2 लड़कियों का वीडियो था, वह किसी विदेश की साइट से लिया वीडियो था. मेरे पास मौडलिंग की काफी फोटो थीं, उन्हीं से मैं ने आसानी से वीडियो तैयार कर लिया. वीडियो के पीछे जो बैकग्राऊंड है, वह हमारे कालेज की है.

रमन की स्टोरी सुन कर पुलिस हैरान थी.

पुलिस ने रमन के महंगे मोबाइल को जब देखा तो उस में और भी वीडियो मिले, जिन्हें देख कर इंसपेक्टर मलकीत हैरान रह गए. लड़कियों के नहाने के कई असल वीडियो भी थे. पुलिस ने रमन के कमरे की तलाशी ली तो वहां से ढेर सारी अश्लील मैगजीन, कई लड़कियों के नग्न फोटो, विदेशी अश्लील फिल्में, क्राइम पर लिखी गई कई किताबें मिलीं.

पुलिस यह भी देख कर दंग रह गई कि प्रिंसिपल गुरदयाल का वीडियो तैयार किया जा रहा था. वहां से पुलिस ने कंप्यूटर, सीडी, हार्डडिस्क, टूटा लैपटाप अपने कब्जे में ले लिया.

हकीकत सामने आने के बाद प्रिंसिपल साहब को विश्वास हो गया कि प्रो. वरिंदर बेकुसूर हैं, इसलिए उन्होंने प्रो. वरिंदर को फिर कालेज में रख लिया. इस के बाद उन्होंने कालेज में मोबाइल लाने पर सख्त पाबंदी लगा दी. डीपफेक का राज उजागर कर पुलिस ने रमन के साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया.

अंधविश्वास में दी मासूम बच्ची की बलि – भाग 3

कंचन के हत्यारों को पकड़ने तथा आला कत्ल बरामद करने की जानकारी थानाप्रभारी ने पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पाते ही डीएसपी कपिलदेव मिश्रा, सीओ (सदर) रामप्रकाश तथा सीओ (बिंदकी) अभिषेक तिवारी थाने में पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों ने अभियुक्त हेमराज व शिवप्रकाश उर्फ ननकू रैदास से घटना के संबंध में विस्तार से पूछताछ की. इस के बाद डीएसपी कपिलदेव मिश्रा ने आननफानन में प्रैसवार्ता आयोजित कर कंचन की हत्या का खुलासा किया.

चूंकि अभियुक्त हेमराज व शिवप्रकाश ने कंचन की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था, अत: थानाप्रभारी ने दोनों को अपहरण और हत्या के आरोप में विधिसम्मत बंदी बना लिया. पुलिस जांच और अभियुक्तों के बयानों के आधार पर अंधविश्वास और लालच में मासूम बच्ची कंचन की हत्या की सनसनीखेज कहानी इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर के थाना बिंदकी के अंतर्गत एक गांव है नंदापुर. इसी गांव में मुकेश कुशवाहा अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी संध्या के अलावा एक बेटी रमन थी. मुकेश के पास 3 बीघा खेती की जमीन थी. इसी की उपज से वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था.

संध्या चाहती थी बेटा

बेटी के जन्म के बाद संध्या एक बेटा भी चाहती थी. लेकिन बेटी रमन 8 साल की हो गई थी, उसे दूसरा बच्चा नहीं हो रहा था. जिस की वजह से संध्या चिंतित रहने लगी थी. अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए वह वह विभिन्न मंदिरों में जाने लगी थी. वह हर सोमवार घाटमपुर स्थित कुष्मांडा देवी मंदिर जाती. एक तरह से वह धार्मिक विचारों वाली हो गई थी.

इसी बीच वह सितंबर 2016 में गर्भवती हो गई और मई 2017 में संध्या ने एक सुंदर सी बच्ची को जन्म दिया. इस बच्ची का नाम उस ने कंचन रखा. संध्या को हालांकि बेटे की चाह थी लेकिन दूसरी बच्ची के जन्म से उसे इस बात की खुशी हुई कि उस की कोख तो खुल गई. मुकेश भी कंचन के जन्म से बेहद खुश था. खुशी में उस ने अपने समाज के लोगों को भोज भी कराया.

नंदापुर गांव के पास ही एक किलोमीटर की दूरी पर सैमसी गांव बसा हुआ है. दोनों गांवों के बीच एक नाला बहता है, जो सैमसी नाले के नाम से जाना जाता है. सैमसी गांव में हेमराज रहता था. 3 भाइयों में वह सब से छोटा था. उस की अपने भाइयों से पटती नहीं थी. अत: वह उन से अलग रहता था.

जमीन का बंटवारा भी तीनों भाइयों के बीच हो गया था. हेमराज झगड़ालू प्रवृत्ति का था अत: गांव के लोग उस से दूरी बनाए रखते थे. उस के अन्य भाइयों की शादी हो गई थी, जबकि हेमराज की नहीं हुई थी.

हेमराज का मन न तो खेती किसानी में लगता था और न ही किसी कामधंधे में. उस ने अपनी जमीन भी बंटाई पर दे रखी थी. वह तंत्रमंत्र के चक्कर में पड़ा रहता था. कानपुर, उन्नाव और फतेहपुर शहर के कई तांत्रिकों के पास उस का आनाजाना रहता था.

इन तांत्रिकों से वह तंत्रमंत्र करना सीखता था. तंत्रमंत्र की किताबें भी पढ़ने का उसे शौक था. किताबों में लिखे मंत्रों को सिद्ध करने के लिए वह अकसर देर रात को पूजापाठ भी करता रहता था.

तांत्रिकों की संगत में रह कर हेमराज ने अंधविश्वासी लोगों को ठगने के सारे हथकंडे सीख लिए थे. उस के बाद वह अपने गांव सैमसी में तंत्रमंत्र की दुकान चलाने लगा. प्रचार प्रसार के लिए उस ने कुछ युवक युवतियों को लगा दिया, जो गांवगांव जा कर उस का प्रचार करते थे. इस के एवज में वह उन्हें खानेपीने की चीजों के अलवा कुछ रुपए भी दे देता था.

अंधविश्वासी आने लगे हेमराज के पास

शुरूशुरू में तो उस की तंत्रमंत्र की दुकान ज्यादा नहीं चली लेकिन ज्योंज्यों उस का प्रचार होता गया, उस का धंधा भी चल निकला. फरियादी उस के दरबार में आने लगे और चढ़ावा भी चढ़ने लगा. हेमराज के तंत्रमंत्र के दरबार में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का आनाजाना अधिक होता था. क्योंकि महिलाएं अंधविश्वास पर जल्दी भरोसा कर लेती हैं.

उस के दरबार में ऐसी महिलाएं आतीं, जिन के संतान नहीं होती. तांत्रिक हेमराज उन्हें संतान देने के नाम पर बुलाता और उन से पैसे ऐंठता. कोई कमजोर कड़ी वाली औरत मिल जाती तो उस का शारीरिक शोषण करने से भी नहीं चूकता था. लोकलाज के डर से वह महिला अपनी जुबान नहीं खोलती थी. सौतिया डाह, बीमारी, भूतप्रेत जैसी समस्याओं से ग्रस्त महिलाएं भी उस के पास आती रहती थीं. अंधविश्वासी पुरुषों का भी उस के पास आनाजाना लगा रहता था.

वह आसपास के शहरों में प्रसिद्ध हो गया तो उस के कई चेले भी बन गए. लेकिन सेलावन गांव का शिवप्रकाश उर्फ ननकू रैदास उस का सब से विश्वासपात्र चेला था. शिवप्रकाश हृष्टपुष्ट व स्मार्ट था. वह दूध का धंधा करता था. आसपास के गांवों से दूध इकट्ठा कर उसे शहर जा कर बेचता था.

शिवप्रकाश एक बार गंभीर रूप से बीमार पड़ गया था. बताया जाता है कि तब तांत्रिक हेमराज ने उसे तंत्रमंत्र की शक्ति से ठीक किया था. तब से वह तांत्रिक हेमराज का खास चेला बन गया था. फुरसत के क्षणों में शिवप्रकाश हेमराज के दरबार में पहुंच जाता था.

20 मार्च को होली थी. होली के 8 दिन पहले एक रात हेमराज को सपना आया कि उस के खेत में काफी सारा धन गड़ा है. इस धन को पाने के लिए उसे तंत्रसाधना करनी होगी और मां काली के सामने बच्चे की बलि देनी होगी. सपने की बात को सच मान कर हेमराज के मन में लालच आ गया और उस ने खेत में गड़ा धन पाने के लिए किसी बच्चे की बलि देने का निश्चय कर लिया.

हर होली दिवाली पर चढ़ाता था बलि

तांत्रिक हेमराज वैसे तो हर होली दिवाली की रात मुर्गे या बकरे की बलि देता था, लेकिन इस बार उस ने धन पाने के लालच में किसी मासूम की बलि देने की ठान ली. इस बाबत हेमराज ने अपने खास चेले शिवप्रकाश से बात की तो वह भी उस का साथ देने को तैयार हो गया. फिर गुरुचेला किसी मासूम की तलाश में जुट गए.

शिवप्रकाश उर्फ ननकू का नंदापुर गांव में आनाजाना था. वहां वह दूध व खोया की खरीद के लिए जाता था. होली के 2 दिन पहले ननकू, नंदापुर गांव गया तो उस की निगाह मुकेश कुशवाहा की 2 वर्षीय बेटी कंचन पर पड़ी. वह दरवाजे के पास खड़ी थी और मंदमंद मुसकरा रही थी. शिवप्रकाश ने इस मासूम के बारे में अपने गुरु हेमराज को खबर दी तो उस की बांछें खिल उठीं. फिर दोनों कंचन की रैकी करने लगे.

21 मार्च को होली का रंग खेला जा रहा था तथा फाग गाया जा रहा था. शाम 5 बजे के लगभग शिवप्रकाश अपने गुरु हेमराज को साथ ले कर अपनी मोटरसाइकिल से नंदापुर गांव पहुंचा फिर फाग की टोली में शामिल हो गया.

शाम 7 बजे के लगभग दोनों मुकेश कुशवाहा के दरवाजे पर पहुंचे. उस समय कंचन घर के बाहर खेल रही थी. तांत्रिक हेमराज ने दाएं बाएं देखा फिर लपक कर उस बच्ची को गोद में उठा लिया. इस के बाद बाइक पर बैठ कर दोनों निकल गए.

रात के अंधेरे में हेमराज कंचन को अपने घर लाया और नशीला दूध पिला कर उसे बेहोश कर दिया. इस के बाद उस ने बेहोशी की हालत में कंचन का शृंगार किया. शरीर पर भभूत और सिंदूर लगाया. पांव में महावर लगाई, माथे पर टीका तथा गले में फूलों की माला पहनाई. फिर तंत्रमंत्र वाले कमरे में ला कर उसे मां काली की मूर्ति के सामने लिटा दिया. कमरे में हेमराज के अलावा उस का चेला शिवप्रकाश भी था.

हेमराज ने कंचन की पूजाअर्चना की तथा कुछ मंत्र बुदबुदाता रहा. इस के बाद वह गंडासा लाया और मां काली के सामने हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘मां, मैं बच्चे की बलि आप को भेंट कर रहा हूं. इस बलि को स्वीकार कर के आप मेरी इच्छा पूरी करना.’’

कहते हुए हेमराज ने गंडासे से कंचन का एक हाथ व एक पैर काट दिया. इस के बाद उस ने उस बच्ची का पेट भी चीर दिया. ऐसा होते ही खून कमरे में फैलने लगा. वह कुछ क्षण छटपटाई, फिर दम तोड़ दिया.

दूसरी रात उस ने कंचन के शव को सफेद कपड़े में लपेटा और शिवप्रकाश के साथ गांव के बाहर नाले में फेंक आया. इधर मुकेश फाग गा कर घर आया तो उसे कंचन नहीं दिखी, तो उस ने उस की खोज शुरू कर दी. दूसरे दिन उस के चाचा ने थाना बिंदकी में गुमशुदगी दर्ज कराई.

पुलिस ने तथाकथित तांत्रिक हेमराज और उस के चेले शिवप्रकाश से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें 28 मार्च, 2019 को रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक दोनों की जमानत नहीं हुई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सोने की चेन ने बनाया कातिल