
आगरा से दबोच लिए हमलावर
आगरा गई टीम को बड़ी कामयाबी मिली. उन्होंने हैप्पी और उस के छोटे भाई काका को घर से दबोच लिया. उन्हें दिल्ली लाया गया. यहां उन्हें धारा 307/309/341 भादंवि और 25/27/54/59 आम्र्स एक्ट में गिरफ्तार कर लिया गया.
हैप्पी को अब समझ में आया, 50 हजार का ईनाम क्या था?
पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने और काका ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उन्होंने संगरूर (पंजाब) के अपने तीसरे साथी अनिल उर्फ हनी को भी गिरफ्तार करवा दिया. हनी छोटेमोटे अपराध करता था. दिखाने को वह मोटर मैकेनिक का काम करता था. उस के पिता बलविंदर कुमार को बेटे की करतूतें पता थीं. उस के पकड़े जाने पर वह गहरी सांस ले कर रह गए.
तीनों से पूछताछ करने पर वारदात के पीछे की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—
हैप्पी को बचपन से ही अमीर बनने की लालसा थी. वह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सका था. कक्षा 9 तक वह गिरतेपड़ते पहुंच पाया था. संगत आवारा लडक़ों के साथ लगी तो स्कूल छूट गया. पिता गोपी उर्फ चूरामन राजमिस्त्री का काम करता था. हैप्पी को यह काम पसंद नहीं था, वह नमकीन की फैक्ट्री में काम करने लगा, लेकिन यहां इतने पैसे नहीं मिलते थे कि अमीर बनने का ख्वाब पूरा होता.
लिहाजा हैप्पी ने अपने भाई काका और एक दोस्त जो उस के साथ ही पढ़ता था, गौरव को साथ ले कर एक टीम बनाई और लूटपाट शुरू कर दी. इस से मौजमस्ती का साधन तो जुटने लगा, लेकिन रुपया जमा करने लायक दांव कभी नहीं लगा. फिर पिता काम के सिलसिले में पंजाब के जिला संगरूर गए तो उसे और काका को भी साथ जाना पड़ा.
यहां पड़ोस में रहने वाला हनी उस से टकरा गया. अनिल उर्फ हनी भी छोटीमोटी लूटपाट करता था. हैप्पी ने उसी के साथ लूटपाट का काम शुरू कर दिया. काका को एक रिश्तेदार दिल्ली ले गया, जहां वह मिठाई की दुकान पर लग गया. यह दुकान मयूर विहार फेज-1 में थी.
हैप्पी और अनिल उर्फ हनी ने एक व्यक्ति को सरेराह लूट लिया था, उन्हें लोगों ने पकड़ कर ठोका फिर पुलिस के हवाले कर दिया. दोनों को जेल हो गई. दोनों ने एक साल साथसाथ जेल काटी तो उन की दोस्ती पक्की हो गई.
बिहार से खरीदी पिस्टल
जेल से छूटने के बाद हैप्पी को संगरूर छोडऩा पड़ा. उस का पिता गोपी उसे आगरा ले आया और यहां गुल्ला पियाऊ में किराए पर रहने लगा. कुछ दिन तक हैप्पी ने शांत रह कर नमकीन की एक फैक्ट्री में काम किया. इन्हीं दिनों एक दोस्त राडी के साथ उसे एक शादी में बिहार के नवगछिया में गोपालपुर जाना पड़ा. यहां हैप्पी को मालूम हुआ कि देशी पिस्टल आसानी से मिल जाती है, बस जेब गरम होनी चाहिए.
हैप्पी पिस्टल खरीद लेना चाहता था ताकि कोई मोटा कांड कर के अमीर बन जाए. उस वक्त उस के पास रुपए नहीं थे, इसलिए वह आगरा लौट आया. वहां वह पैसा जोडऩे की जुगत में लग गया ताकि पिस्टल खरीद सके. तभी काका दिल्ली से घर आ गया. उस से हैप्पी को मालूम हुआ कि जिस मिठाई की दुकान पर काका काम करता है, उस के पास त्यौहार पर नोट बरसते हैं. हैप्पी की खोपड़ी में उसी मिठाई की दुकान को लूटने के लिए प्लान आने लगे.
8 मार्च, 2023 की होली थी. होली पर भी खूब मिठाइयां बिकती हैं. अभी होली को 8 दिन शेष थे. काका पैसा कमा कर लौटा था. कुछ रुपया हैप्पी के पास भी था. वह छोटे भाई काका को ले कर 5 मार्च, 2023 को बिहार के नवगछिया गया और सुजीत कुमार नाम के लडक़े से 31 हजार रुपए में देशी पिस्टल, 6 राउंड और 2 मैगजीन खरीद लीं. वहां से कटिहार एक्सप्रैस पकड़ कर 7 मार्च, 2023 को काका के साथ दिल्ली आ गया.
दुकान लूटने से पहले पहुंचे जी.बी. रोड
दिल्ली लौटने से पहले उस ने नवगछिया से ही अपने संगरूर वाले दोस्त अनिल उर्फ हनी को भी दिल्ली आने के लिए फोन कर दिया था. सुबह वे नई दिल्ली स्टेशन पर उतरे थे. हनी भी 9 मार्च को दोपहर में एक बजे के आसपास पंजाब संगरूर से दिल्ली आ गया.
उन्हें 8 मार्च को मयूर विहार फेज-1 में मिठाई की दुकान लूटनी थी. काफी समय पड़ा था. तीनों ने उस दिन मौजमस्ती करने का मन बनाया.
तीनों पैदल ही टहलते हुए जी.बी. रोड आ गए. उन्हें कोठा नंबर 52 के नीचे दलाल इमरान चौधरी मिल गया. वे तीनों को खूबसूरत लडक़ी मौजमस्ती के लिए दिलवाने को कोठे के ऊपर ले आया. यहां तीनों को राधा पसंद आ गई.
राधा के साथ मौजमजे के लिए 1500 रुपए में बात तय हुई. तभी नीचे से 2 लोग ऊपर आ गए. वे इन तीनों को घेर कर तलाशी लेने लगे. हैप्पी ने पैंट में सामने पिस्टल छिपा रखी थी. कहीं पिस्टल इन लोगों के हाथ न लगे, यह सोच कर उस ने पिस्टल निकाल कर काका की तरफ बढ़ा दी.
पिस्टल पर राधा की नजर पड़ी तो वह डर गई. उस ने शोर मचाया, “ये बदमाश लोग हैं. पुलिस बुलाओ.”
“हां, पुलिस बुलाओ, इन के पास पिस्टल है.” इमरान भी चीखा.
पकड़े जाने के डर से हैप्पी ने काका की ओर देख कर कहा, “गोली चला, गोली चला काके.”
काके ने लोडिड पिस्टल से गोलियां चला दीं. एक गोली राधा के सीने में लगी, दूसरी इमरान के कंधे में घुस गई. दोनों नीचे गिर पड़े तो चीखें सुन वहां कुछ लोग दौड़ कर आते नजर आए.
“भागो…” हनी चीखा.
तीनो सीढिय़ों की तरफ भागे और पिस्टल लहराते हुए धमकी देते तीनों नीचे उतर कर अजमेरी गेट की तरफ भागते चले गए. मौके पर काका चीखा, “कोई पीछे आया तो भून दूंगा.”
तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया. हैप्पी को साथ ले कर वह बिहार में नवगछिया गए, जहां सुजीत कुमार 19 साल का लडक़ा मिला. उसी ने 31 हजार रुपए में हैप्पी को वह पिस्टल बेची थी.
सुजीत कुमार यादव ने पुलिस को बताया कि उसे वह पिस्टल एक पौलीथिन में रास्ते में पड़ी मिली थी, जिसे उस ने हैप्पी को बेच दी थी.
पुलिस टीम उसे भी पकड़ कर दिल्ली ले आई. काके से पिस्टल भी बरामद हो गई. पुलिस ने चारों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
कागजी काररवाई पूरी कर के खान ने राधा के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की इजाजत दे दी. खान वहां नहीं रुके. वह थाने में लौट आए. उन्होंने अपनी रिपोर्ट एसएचओ सत्येंद्र दलाल को दे दी. राधा की मौत की खबर डीसीपी संजय कुमार सैन को दे दी गई. उन्होंने राधा की हत्या को बड़ी गंभीरता से लिया.
पुलिस टीमों का किया गठन
अज्ञात हत्यारों की तलाश करने के लिए सत्येंद्र दलाल की अगुवाई में एसआई गिरिराज, नूर हसन खान, एएसआई महेश सिंह, आदेश धामा, हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र की एक टीम गठित की. साथ ही स्पैशल स्टाफ के अलावा क्राइम ब्रांच की औपरेशन विंग को भी उन अज्ञात हत्यारों की तलाश में लगा दिया.
तीनों टीमों ने संयुक्त काररवाई करने के लिए सब से पहले अपनी कार्यप्रणाली पर गहनता से विचार किया. सब से पहले अस्पताल में दाखिल इमरान चौधरी को बयान देने की स्थिति में आने पर उस का बयान लिया गया. इमरान चौधरी से पूछताछ भी की गई.
उस से मालूम हुआ कि तीनों युवकों की उम्र ज्यादा नहीं थी. उन में एक की भाषा में पंजाबी पुट था. शायद वह पंजाब से था. शेष दोनों यूपी की भाषा बोल रहे थे. एक का नाम काका था, पिस्टल से उसी ने राधा और उस पर (इमरान) गोलियां चलाई थीं.
गोली चलाने की वजह इमरान ने रुपयों के लेनदेन में गड़बड़ी करने पर तूतूमैंमैं होना बताया. उन की तलाशी लेने के लिए राधा ने उस से कहा तो एक लडक़े ने अपनी पैंट में सामने खोंस कर रखी पिस्टल निकाल कर काका को रखने को दी थी.
राधा ने यह देख कर पुलिस बुलाने के लिए शोर मचाया. कोठे के 2-3 लोग भी शोर सुन कर वहां आ गए. तब पिस्टल देने वाला चिल्ला कर बोला, “काके, गोली चला.” उस के यह कहते ही काका ने फायरिंग कर दी, जिस से मैं और राधा घायल हो गए. मैंने उन तीनों को सीढिय़ों से भागते देखा, मैं घायल हो गया था, गिर पड़ा. फिर पुलिस की वैन मुझे और राधा को यहां हौस्पीटल में ले आई.
इमरान ने उन लडक़ों का हुलिया भी बताया. उसी आधार पर पुलिस टीमों ने कोठा नंबर 52 के नीचे सडक़ पर सीसीटीवी ढूंढ कर उन्हें चैक किया. 2 से 3 बजे दोपहर तक की फुटेज देखी गई. उस में बहुत से चेहरे थे. शंकर और भूरे ने उन लडक़ों को पास से देखा था. उन्हें वह फुटेज दिखाई गई तो उन्होंने 3 लडक़ों को पहचान कर बता दिया कि ये वही 3 लडक़े हैं.
डंप डाटा से मिला सुराग
सीसीटीवी में उन के चेहरे स्पष्ट नहीं थे. उन को अजमेरी गेट की तरफ भाग कर जाने की बात बताई गई थी. अजमेरी गेट पर भी सीसीटीवी लगे थे. वहां की फुटेज देखी गई तो वे तीनों यहां भी अस्पष्ट नजर आए.
स्पैशल टीम और औपरेशन विंग ने यहां आधुनिक तकनीक का सहारा लिया. कोठा नंबर 52 और अजमेरी गेट के एरिया का मोबाइल डंप डाटा उठाया गया. कोठा नंबर 52 में घटी घटना के बाद वहां करीब 20 हजार फोन ऐक्टिव थे. अजमेरी गेट पर 15 हजार फोन की ऐक्टिव पोजिशन मिली.
इन की बड़ी बारीकी से जांच की गई तो कुछ नंबर दोनों जगह पाए गए. इसी तकनीक को आजमाते हुए परेड ग्राउंड होते हुए कश्मीरी गेट बस अड्डा पहुंच गई. हर जगह के सीसीटीवी की फुटेज खंगाली गई और डंप डाटा उठाया गया. इस जांच में पता चला कि तीनों लडक़े कश्मीरी गेट बस अड्डा आए थे, यहां से वे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे.
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर भी उन लडक़ों की सीसीटीवी में फुटेज मिल गई. यहां का भी डंप डाटा उठाया गया. पुलिस का अनुमान था कि वे ट्रेन पकड़ कर दिल्ली से बाहर चले गए हैं.
अब पुलिस के पास डंप डाटा ही उन लडक़ों तक पहुंचने का जरिया था. पुलिस की टीमें मोबाइल डंप डाटा की जांच में जुट गईं. पुलिस टीम को डंप डाटा में एक नंबर ऐसा मिला, जो हर जगह मौजूद था.
उस नंबर को मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी में दे कर यह मालूम किया गया कि यह नंबर किस का है और कहां इस्तेमाल किया जा रहा है. मोबाइल कंपनी ने बताया कि यह नंबर दिल्ली का नहीं, राजस्थान का है. वहीं जा कर इस को इस्तेमाल करने वाले का नाम पता मिल सकता है.
पुलिस के लिए यह एक नई सिरदर्दी थी, लेकिन इस का सोल्यूशन भी निकल गया. कमला मार्किट थाने के तेजतर्रार एसआई गिरिराज ने मुसकरा कर कहा, “सर, यह फोन कौन यूज कर रहा है, इस का पता मीनू मैडम निकाल सकती हैं.”
एएसआई मीनू बाला वहीं मौजूद थी. वह चौंक कर बोली, “मैं कैसे पता निकाल सकती हूं?”
“आप को बकरे के सामने चारा डालना है मैडम,” एसआई गिरीराज ने कहा. फिर गिरिराज ने एएसआई मीनू बाला को समझा दिया कि उन्हें क्या करना है.
एएसआई मीनू ने चलाया तीर
एएसआई मीनू बाला ने अपने मोबाइल डंप डाटा द्वारा हासिल किया गया नंबर मिलाया. दूसरी ओर घंटी बजी, फिर किसी ने फोन उठा लिया. मीनू बाला ने स्पीकर औन कर लिया. दूसरी ओर कुछ देर खामोशी रही फिर एक मरदाना आवाज उभरी,
“हैलो! आप को किस से बात करनी है?”
मीनू ने आवाज को सुरीला बना कर कहा, “आप बहुत भाग्यशाली हैं. आप का नंबर हमारी मोबाइल कंपनी ने लक्की ड्रा में डाला था. आप का दूसरा ईनाम निकला है. आप को 50 हजार रुपए मिलेंगे.”
“50 हजार का ईनाम.” दूसरी तरफ से खुशी से कोई बोला, “मेरी तो किस्मत खुल गई.”
“आप अपना नाम, पता बताइए ताकि 50 हजार का ईनाम आप को भेजा जा सके और हां अपनी फोटो भी भेज दीजिए.”
“ठीक है मैम. आप मेरा एड्रैस नोट करिए.”
“एक मिनट, मैं कागज पैन ले लूं.” मीनू बाला ने पास में खड़े हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र को इशारा किया. धर्मेंद्र ने तुरंत पैन कागज मीनू बाला को दे दिया.
“बताइए,” मीनू ने कहा.
“मेरा नाम हैप्पी है, पिता का नाम गोपी उर्फ चूरामन है. मेरा मूल पता डूंगर वाला, पोस्ट थाना- शाइपू, जिला धौलपुर (राजस्थान) है. फिलहाल मैं पिता और भाई के साथ मुल्ला पियाऊ, महारानी अहिल्या बाई स्कूल आगरा में रह रहा हूं.”
“अपना फोटो मुझे वाट्सऐप पर भेज दीजिए. मेरा नंबर आप के पास आया होगा.”
“जी हां मैडम. मैं अपना फोटो भेज रहा हूं.” दूसरी तरफ से कहने के बाद बात खत्म हो गई.
थोड़ी ही देर में हैप्पी ने अपना फोटो मीनू बाला के वाट्सऐप पर भेज दिया. देखते ही मीनू बाला की आंखों में चमक आ गई.
उस ने अपनी खुशी छिपा कर कहा, “मिस्टर हैप्पी, आप को आज ही 50 हजार रुपए एमओ द्वारा भेज दिए जाएंगे.” कहने के बाद मीनू बाला ने फोन काट दिया.
वहां एसएचओ सत्येंद्र दलाल, एसआई नूर हसन खान, गिरिराज और हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र के अलावा औपरेशन विंग और स्पैशल स्टाफ के लोग मौजूद थे. सभी ने हैप्पी की फोटो देखी. हैप्पी वही लडक़ा था, जो अपने साथियों के साथ कोठा नंबर 52 से वारदात को अंजाम दे कर भागा था.
तुरंत उसे गिरफ्तार करने के लिए एसआई गिरिराज, नूर हसन खान, एएसआई महेश सिंह और औपरेशन विंग के 3 हट्टेकट्टे पुलिस वालों की टीम आगरा के लिए भेज दी गई.
7 मार्च, 2023 को दोपहर 2 बज कर 10 मिनट पर पीसीआर द्वारा थाना कमला मार्किट को सूचना दी गई कि जी.बी. रोड (श्रद्धानंद माग) पर स्थित कोठा नंबर 52 में किसी ने ताबड़तोड़ गोलियां चला दी हैं, जिस में एक महिला और एक युवक घायल हो गए हैं. जल्दी घटनास्थल पर पहुंचें.
यह काल एएसआई मीनू बाला ने अटेंड की. उस ने तुरंत इसे एसआई नूर हसन खान को बता कर उचित निर्णय लेने के लिए कह दिया. अपनी रवानगी जी.बी. रोड के लिए दर्ज करने के बाद एसआई नूर हसन खान, हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र को साथ ले कर जी.बी. रोड के लिए रवाना हो गए.
घटनास्थल ज्यादा दूर नहीं था. 15-20 मिनट में ही एसआई नूर हसन खान कोठा नंबर 52 पर पहुंच गए. यह रेड लाइट एरिया था, यहां जिस्म का बाजार लगता है. मनचले शौकीन लोग कामना की भूख शांत करने के लिए इस बाजार की सीढिय़ां नापते हैं. दिन में तमाशबीन कोठों के छज्जों पर जिस्म की नुमाइश करने वाली देहबालाओं को ललचाई नजरों से देख कर आहें भरते रहते हैं. जिन की जेब में नोटों की गरमी होती है, वह पसंद आने वाली देह बाला को बाहों में भरने के लिए कोठे की सीढिय़ां चढऩे में संकोच नहीं करते.
पहले रात को तो यहां पूरी रौनक होती थी, घुंघरुओं की खनक और तबलों की धमक से कोठे गूंजते रहते. मुजरे महफिलें सजतीं, जाम छलकते और नर्तकी अपने नृत्य व अदा से लोगों का दिल जीतने की कोशिश करती थी, लेकिन यहां के कोठों में मुजरा तो लगभग बंद ही हो चुका है. अब तो मुख्य धंधा जिस्मफरोशी का ही रह गया है.
एसआई नूर हसन खान और हैडकांस्टेबल सीढिय़ां चढ़ कर ऊपर आए. दरवाजे के साथ वाले कमरे में खून बिखरा हुआ था, सीढिय़ों पर और सामने वाले कमरे में भी ताजा खून पड़ा था. जो लोग गोली लगने से घायल हुए थे, वे वहां नहीं थे.
पुलिस को ऊपर आया देख कर इस कोठे की संचालिका पार्वती उन के सामने आ गई.
“घायल कहां है?” नूर हसन खान ने कोठा संचालिका को ऊपर से नीचे तक देख कर पूछा.
“उन्हें पीसीआर वैन एलएनजेपी हौस्पीटल ले गई है. मेरी बेटी राधा की हालत बहुत खराब है साहब.” पार्वती रुआंसी आवाज में बोली, “मैं वहीं जा रही थी कि आप आ गए.”
“यहां क्या लफड़ा हुआ था? गोली किस ने चलाई?” खान ने पार्वती को घूरते हुए पूछा.
“वे 3 लडक़े थे साहब, शक्लसूरत से गंवार और बदमाश नजर आ रहे थे. उन्होंने राधा की डिमांड की तो बात 1500 रुपए में तय हो गई. फिर पता नहीं क्यों उन में से एक ने पिस्टल निकाल कर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. गोली राधा और इरफान को लगी. दोनों नीचे गिरे तो मैं दौड़ी. तब तक वे तीनों पिस्टल लहराते हुए भाग निकले. कुछ लोगों ने उन का पीछा किया, लेकिन वे हाथ नहीं आए.”
“गोलियां चलीं, उस वक्त का कोई चश्मदीद यहां मौजूद है क्या?”
“जी हां.” पार्वती ने 2-3 नाम ले कर आवाज लगाई तो 2 व्यक्ति वहां आ गए. उन में से एक का चेहरा लंबूतरा और दागदार था. उस का रंग सांवला था. दूसरे के चेहरे पर दाढ़ीमूंछ नहीं आई थी. वह पहले वाले की अपेक्षा नाटा और गोरी रंगत वाला युवक था.
“शंकर, भूरे साहब तुम से कुछ पूछना चाहते हैं.” पार्वती ने उन दोनों से कहा फिर एसआई खान से बोली, “साहब, घटना के वक्त यही दोनों यहां मौजद थे.”
“तुम दोनों यही रहते हो?” खान ने पूछा.
“जी साहब,” उन्होंने सिर हिला कर एक साथ कहा.
“राधा और इरफान पर हमला करने की वजह क्या थी?”
“साहब, यह हम नहीं जानते. राधा के साथ उन लडक़ों का किस बात पर झगड़ा हुआ, हमें नहीं मालूम. राधा और इरफान ने उन के पास पिस्टल देख कर शोर मचाया था कि पुलिस को बुलाओ. उन की तेज आवाजें सुन कर हम दोनों दौड़ कर आए तो हम ने एक लडक़े के हाथ में पिस्टल देखा.
अपने को घिरा देख कर और पुलिस बुलाने की बात सुन कर उन में से एक ने चीख कर कहा था, ‘काके गोली चला.’ बस उस लडक़े ने जिस का नाम काका था, ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी.
“गोली राधा के सीने में लगी, दूसरी इरफान के कंधे में. वे दोनों नीचे गिरे तो तीनों भाग निकले. काका नाम का लडक़ा पिस्टल लहरा कर चीख रहा था, “पीछे मत आना वरना मैं भून कर रख दूंगा.” साहब वे तीनों भागते हुए अजमेरी गेट की तरफ निकल गए और भीड़ में गायब हो गए.”
“अगर वे पकड़ में आएं तो तुम दोनों उन्हें पहचान लोगे?”
“हां साहब.”
पुलिस अधिकारियों ने किया घटनास्थल का निरीक्षण
एसआई खान ने सब से पहले यहां की घटना से एसएचओ कमला मार्किट सत्येंद्र दलाल, डीसीपी संजय कुमार सैन और एडिशनल डीसीपी, पुलिस का स्पैशल स्टाफ, फोरैंसिक टीम को अवगत करा दिया. वे सब थोड़ी देर में ही घटनास्थल पर आ गए.
घटनास्थल का उन्होंने बारीकी से निरीक्षण किया. हत्या करने वाले अज्ञात लडक़े संख्या में 3 बताए गए थे, लेकिन वे कहां से आए थे, कौन थे, सब कुछ अंधेरे में था.
डीसीपी संजय कुमार सैन ने एसएचओ सत्येंद्र दलाल को कुछ निर्देश दिए. इंसपेक्टर सत्येंद्र दलाल ने एसआई खान को एलएनजेपी हौस्पीटल के लिए रवाना कर दिया और खुद वहां की काररवाई निपटाने में व्यस्त हो गए.
एसआई नूर हसन खान जब एलएनजेपी हौस्पीटल में पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि कोठे से यहां पहुंचाते वक्त राधा ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया था. कोठे पर दलाली करने वाला इमरान चौधरी बुरी तरह जख्मी था. डाक्टर उस के कंधे में धंसी गोली निकाल कर ड्रेसिंग कर चुके थे, लेकिन अभी वह बयान देने की स्थिति में नहीं था.
एसआई नूर हसन खान ने राधा की डैडबौडी की अच्छे से जांच की. उस के सीने में गोली लगी थी, अत्यधिक गहरा जख्म और खून काफी मात्रा में बह जाने से उस की मौत हो गई थी.
राधा देखने में सुंदर, युवा सैक्स वर्कर थी. उस की उम्र 30 वर्ष थी. अब उस के ऊपर हमला करने की धारा 302 में तब्दील हो गई थी. उस के हत्यारे को पकडऩा बहुत आवश्यक हो गया था.