‘माया’ जाल में फंसा पति – भाग 5

माया उसी दिन से शिवलोचन ने नफरत करने लगी थी, जब उस ने पहली बार दोनों का फोटो देखने के बाद तमाशा किया था और उस की पिटाई भी कर दी थी. तभी से गांव भर की औरतें माया को बदचलन औरत की नजर से देखने लगी थी. उस दिन शिवलोचन की मार ने आग में घी का काम किया. उस ने शिवलोचन के शराब पी कर गहरी नींद में सोते ही टुल्लू को फोन कर के अपने घर बुला लिया.

उस ने टुल्लू से कहा कि अगर वह उसे सचमुच प्यार करता है तो आज रात ही शिवलोचन से उस के अपमान का बदला लेने के लिए उसे जान से मार दे. टुल्लू तो माया का दीवाना था. उस ने सोचा कि शिवलोचन मर जाएगा तो माया सदा के लिए उस की हो जाएगी. यही सोच कर उस ने घर में पड़ी लाठी से सोते हुए शिवलोचन के सिर पर एक के बाद एक कई प्रहार किए, जिस से वह चारपाई पर ही ढेर हो गया.

इस काम में माया ने भी उस का साथ दिया. इस के बावजूद माया इत्मीनान कर लेना चाहती थी कि शिवलोचन मरा है या नहीं. उस ने टुल्लू के साथ मिल कर कमरे में पड़ी जूट की रस्सी का फंदा बनाया और शिवलोचन के गले में डाल कर काफी देर तक खींचा. शिवलोचन के मरने के बाद समस्या थी लाश को ठिकाने लगाने की. क्योंकि लाश को घर से बाहर ले जाने से पकडे़ जाने का डर था.

माया ने सुझाव दिया कि शिवलोचन के शव को कमरे में ही जमीन खोद कर गाड़ दिया जाए. इस के बाद उन्होंने ऐसा ही किया. टुल्लू ने फावड़े से कमरे के एक हिस्से के कच्चे फर्श को 5 फुट गहरा खोदा और शिवलोचन के गले में बंधी रस्सी समेत लाश को गड्ढे में धकेल दिया. टुल्लू ने खून से सने कपड़े लाश के ऊपर ही डाल दिए. लाश को गड्ढे में डालने के बाद माया और टुल्लू ने उस पर मिट्टी डाल दी.

रात में ही माया ने उस जगह को अच्छी तरह से लीप दिया, ताकि किसी को गड्ढा खोदे जाने की बात का पता न चल सके. उस रात शिवलोचन की हत्या करने से पहले माया और टुल्लू ने कुछ खायापीया नहीं था. लिहाजा लाश को घर में ही दफनाने के बाद माया ने चूल्हा जला कर खाना बनाया. जिस लाठी से शिवलोचन की हत्या की गई थी, माया ने उसे चूल्हे में जला कर रोटियां सेंकी.

इस के बाद दोनों ने चारपाई उसी जगह बिछाई, जहां शिवलोचन के शव को दफनाया था. उस रात शिवलोचन ने जिस बोतल से शराब पी थी, उस में कुछ शराब बची थी. टुल्लू और माया ने बची हुई शराब बराबरबराबर पी, फिर दोनों ने साथसाथ खाना खाया.

खाना खाने के बाद दोनों लाश दफनाने वाली जगह पर बिछी चारपाई पर सो गए. सोने से पहले दोनों ने एकदूसरे के जिस्म की प्यास बुझा कर शिवलोचन के मरने का जश्न मनाया.

शिवलोचन की हत्या को अंजाम देने के बाद माया करीब 15 दिन तक उसी घर में रही. इस दौरान टुल्लू हर रात उस के पास आता. दोनों एक साथ खाना खाते और उसी चारपाई पर रंगरेलियां मनाते, जो उन्होंने शिवलोचन की लाश दफनाने के बाद फर्श की जमीन लीप कर उस के ऊपर डाली थी.

शिवलोचन की हत्या के बाद जब गांव के लोग या माया की सास चुनकी देवी माया से शिवलोचन के बारे में पूछते तो वह कहती कि कर्वी में काम चल रहा है, वहीं रहते हैं.

करीब 15 दिन बाद जब घर का सारा राशन खत्म हो गया तो माया के पास वहां रहने की कोई वजह नहीं बची. इस दौरान माया और टुल्लू ने आपस में तय कर लिया था कि उन्हें आगे की जिंदगी किस तरह बितानी है. इसलिए 15 दिन बाद माया अपने दोनों बच्चों को ले कर मायके चली गई.

जाने से पहले उस ने अपनी सास से खूब लड़ाई की और ताना दिया कि उस का बेटा परिवार का ख्याल नहीं रखता. घर में राशन तक नहीं है इसलिए अपनी मां के घर जा रही हूं. जब शिवलोचन घर आए तो मुझे लेने आ जाएं.

उसी दिन माया ने घर की चाभी भी अपनी सास को दे दी थी. दरअसल, वह अच्छी तरह से जानती थी कि सास चुनकी देवी ढाबे वाले अपने पैतृक घर को छोड़ कर उस के घर में रहने के लिए नहीं जाएगी. वजह यह थी कि एक तो वह गांव में काफी पीछे और सुनसान जगह पर था, दूसरे वहां उस की देखभाल करने वाला भी कोई नहीं था.

माया जानती थी कि शिवलोचन तो अब किसी को मिलेगा नहीं, उस का शव भी गल जाएगा. समय के साथ शिवलोचन की मौत भी रहस्यमय गुमशुदगी बन कर रह जाएगी. माया के गांव से जाने के एक 2 दिन बाद टुल्लू भी मुंबई चला गया था और वहां बिल्डिंगों में टाइल्स लगाने का काम करने लगा था.

अपनी ससुराल लोहदा से जाने के बाद माया मई के महीने तक अपने मातापिता के पास रही. उस ने परिवार वालों को बताया कि बिना बताए शिवलोचन कहीं चला गया है. अपने गांव पहुंच कर माया ने अपना मोबाइल नंबर भी बदल दिया था. शिवलोचन के मोबाइल को उस ने उस की हत्या के बाद ही तोड़ कर फेंक दिया था. उस का नया नंबर सिर्फ टुल्लू के पास था, जिस पर दोनों की रोज बातें होती थीं.

टुल्लू अकसर अपने गांव में फोन कर के शिवलोचन को ले कर हो रही गतिविधियों की जानकारी लेता रहता था. जब कई महीने बीत गए और माया को लगा कि अब मामला ठंडा हो गया है तो उस ने मई महीने में अपने पिता से कहा कि वह पति के बारे में जानकारी करने के लिए चित्रकूट जा रही है, जल्दी ही लौट आएगी.

अपने बच्चों को छोड़ कर माया कर्वी आ गई, जहां पहले से ही टुल्लू उसे लेने के लिए आया हुआ था. वहां से वे दोनों मुंबई चले गए और पतिपत्नी की तरह साथ रहने लगे. माया की योजना थी कि एक दो महीने का वक्त और गुजरने के बाद अपने दोनों बच्चों को भी ले आएगी. लेकिन उस से पहले ही माया व टुल्लू पुलिस के हत्थे चढ़ गए.

पुलिस ने माया व टुल्लू से पूछताछ के बाद वह फावड़ा भी बरामद कर लिया, जिस से शिवलोचन की हत्या के बाद उस का शव दफनाने के लिए गड्ढा खोदा था. चूंकि महीनों गुजर जाने के बाद भी किसी को कोई शक नहीं हुआ था, इसलिए माया और टुल्लू को उम्मीद थी कि अब शिवलोचन की हत्या का भेद नहीं खुल पाएगा.

दरअसल शिवलोचन के घर वालों और गांव के लोगों से पूछताछ के बाद जब इंसपेक्टर अरुण पाठक को पता चला था कि माया और गांव के टुल्लू के बीच लंबे अर्से से न केवल अवैध संबंध थे बल्कि इन्हीं संबंधों के चलते शिवलोचन और टुल्लू में मारपीट भी हुई थी, तभी पाठक को शक हो गया था कि हो न हो शिवलोचन की हत्या में माया व टुल्लू का ही हाथ हो.

क्योंकि माया तो गांव से चली ही गई थी, कुछ दिन बाद टुल्लू भी गांव से गायब हो गया था. इंसपेक्टर अरुण पाठक ने माया व टुल्लू से पूछताछ के बाद दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. इसी दौरान पुलिस को शिवलोचन की डीएनए रिपोर्ट भी मिल गई, जिस से स्पष्ट हो गया कि शिवलोचन के घर में मिला नरकंकाल उसी का था.

कथा अभियुक्तों से पूछताछ, परिजनों द्वारा पुलिस को दी गई जानकारी पर आधारित

प्यार में जहर का इंजेक्शन – भाग 4

अनीश के घर के पास डा. प्रेम सिंह किसी के यहां फिजियोथैरेपी करने आता था. तभी उस की मुलाकात अनीश से हुई. अनीश भी जिम ट्रेनर था, इसलिए दोनों में दोस्ती हो गई. अपना काम कराने के लिए अनीश को प्रेम सिंह ही उचित लगा. एक दिन उस ने अपने प्रेम विरह की पीड़ा प्रेम सिंह से बता कर बीबीसी पत्रकार जर्जेई मर्कोव की तरह रवि कुमार की हत्या करने को कहा.

पढ़ाई और क्लीनिक खोलने के लिए प्रेम सिंह पर कुछ लोगों का कर्ज हो गया था. उसे पैसों की सख्त जरूरत थी. हत्या करने का जो प्लान अनीश ने उसे बताया था, उस में उस के फंसने की संभावना काफी कम थी. इसी बात को ध्यान में रख कर उस ने कहा कि इस काम को वह खुद तो नहीं करेगा, पर किसी से करवा जरूर देगा. आखिर 3 लाख रुपए में बात तय हो गई. अनीश ने डेढ़ लाख रुपए उसे एडवांस दे भी दिए.

पैसे लेने के बाद प्रेम सिंह सितंबर, 2016 में अपने गांव गया. उस के गांव के बाहर सपेरों के डेरे थे. उस ने एक सपेरे से कोबरा सांप का जहर मांगा तो उस ने उसे 7 सौ रुपए में एक, सवा एमएल जहर उसे एक सिरिंज में निकाल कर दे दिया. प्रेम सिंह जानता था कि कभीकभी सांप के जहर से भी इंसान बच जाता है.

इसलिए सांप के जहर में वह दूसरे जहर मिलाना चाहता था. उस में क्या मिलाया जाए, इस के लिए वह गूगल पर सर्च करने लगा. सर्च कर के उसे मिडाजोलम और फोर्टविन नाम की 2 दवाओं की जानकारी मिली. इन की अधिक मात्रा आदमी के लिए जानलेवा साबित होती है. इन में से फोर्टविन तो केमिस्ट के पास मिल जाती है, पर मिडाजोलम बडे़ अस्पतालों में ही मिलती है.

अनीश से पैसे ले कर प्रेम सिंह गांव में ही रुका था. जबकि अनीश फोन कर के काम जल्द करने को कह रहा था. वह कह रहा था कि अगर उस से काम नहीं हो रहा तो वह उस के पैसे लौटा दे. दबाव बढ़ने पर वह दिल्ली आ गया.

प्रेम सिंह का एक रिश्तेदार एम्स में भरती था. वह उसे देखने एम्स गया तो वहां टेबल पर उसे मिडाजोलम की शीशी दिखाई दी. 5 एमएल दवा का इंजेक्शन मरीज को लगा दिया गया था. उस में एक एमएल दवा बाकी थी. प्रेम सिंह ने उस शीशी को जेब में रख लिया. फोर्टविन उस ने एक केमिस्ट से खरीद ली. इस के बाद उस ने एक सिरिंज में कोबरा सांप का जहर, फोर्टविन और मिडाजोलम को मिला कर रख दिया.

इस के बाद वह अनीश के साथ रवि कुमार की रैकी करने लगा. 25 अक्तूबर, 2016 को दोनों ने उस का पीछा किया. उस दिन वह बिंदापुर में अपने चचिया ससुर से मिल कर लौट रहा था. जैसे ही वह औटो में बैठा, प्रेम सिंह ने इंजेक्शन लगाने के लिए सुई उस के हाथ में घुसेड़ी. सुई चुभते ही उस ने अपना हाथ घुमाया तो सुई हाथ से निकल गई. इस तरह वह उसे इंजेक्शन नहीं लगा सका.

रवि कुमार ने शोर मचाया तो प्रेम सिंह भीड़ का फायदा उठा कर जहर की सिरिंज ले कर भाग खड़ा हुआ. इस के बाद प्रेम सिंह चौकन्ना हो गया. लेकिन वह समझ नहीं पाया था कि उसे सुई लगाने वाला आखिर कौन था? उस की उस ने पुलिस में शिकायत भी नहीं की थी.

वारदात को कैसे अंजाम दिया जाए, इस बारे में प्रेम सिंह और अनीश की बात होती रहती थी. दोनों ने तय किया कि रवि कुमार ड्यूटी खत्म करने के बाद बाहर निकले तो उसे ऐसी जगह इंजेक्शन लगाया जाए कि वह जीवित न बचे. दोनों मौके की तलाश में लगे रहे. उन्हें लगा कि यह काम सदर बाजार में करना आसान रहेगा, क्योंकि वह भीड़भाड़ इलाका है.

वारदात को अंजाम देने के मकसद से 7 जनवरी, 2017 को अनीश और प्रेम सिंह द्वारका से मैट्रो पकड़ कर आर.के. आश्रम स्टेशन पर पहुंचे. वहां से ई-रिक्शा द्वारा वे सदर बाजार में बाराटूटी चौक पर पहुंचे. अनीश ने वहीं पर प्रेम सिंह को एक बोतल बीयर पिलाई. इस के बाद वे कोटक महिंद्रा बैंक की उस शाखा के नजदीक पहुंच गए, जहां रवि कुमार नौकरी करता था.

शाम सवा 7 बजे के करीब रवि कुमार अपने सहकर्मी शतरुद्र के साथ बैंक से निकला तो प्रेम सिंह उस के पीछे लग गया. जबकि अनीश वहीं खड़ा रहा. प्रेम सिंह को वेस्ट एंड सिनेमा के नजदीक जैसे ही मौका मिला, उस ने रवि की गरदन में फुरती से जहर का इंजेक्शन लगा दिया. इस बार उस ने इंजेक्शन का सारा जहर रवि के शरीर में पहुंचा दिया था.

इस के पहले अप्रैल, 2016 में चैन्नै में एक बिजनैसमैन पकड़ा गया था, जिस ने सन 2015 में इसी अंदाज में 3 लोगों को इंजेक्शन लगा कर मारा था. पहले उस ने इंजेक्शन कुत्तों पर ट्राई किए थे. इंजेक्शन को वह छाते में छिपा कर रखता था. छाते को वह जांघ में छुआ देता था. मरने वाले उन 3 लोगों में एक उस का साला भी था.

अनीश ने इंटरनेट पर महीनों तक सर्च करने के बाद रवि कुमार को मारने का जो उपाय खोजा, आखिर उस से उसे क्या हासिल हुआ? अपने किए अपराध में वह जेल तो पहुंच ही गया, साथ ही उस ने सविता की हंसतीखेलती गृहस्थी भी उजाड़ दी. प्रेम सिंह ने डाक्टर होने के बावजूद अपने पेशे को बदनाम कर के जो कृत्य किया, वह निंदनीय है. पैसे के लालच में वह अपना फर्ज भी भूल गया.

बहरहाल, थाना सदर बाजार पुलिस ने डा. प्रेम सिंह और जिम ट्रेनर अनीश यादव को गिरफ्तार कर के तीसहजारी न्यायालय में महानगर दंडाधिकारी सचिन सांगवान की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. केस की तफ्तीश इंसपेक्टर मनमोहन कुमार कर रहे हैं.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, सविता परिवर्तित नाम है.

दूल्हेभाई का रंगीन ख्वाब – भाग 3

कुछ दिन बाद फातिमा वापस घर चली गई. हालांकि घर इतनी दूर भी नहीं था कि आनाजाना न हो सके. इस घटना के बाद फातिमा अकसर किसी बहाने से बहन के घर आनेजाने लगी. इसी बीच डेढ़ साल बाद समरीन गर्भवती हुई तो फातिमा एक बार फिर बहन की तीमारदारी के लिए महीने भर उस के घर आ कर रही. इस दौरान फिर से दोनों के बीच नाजायज रिश्तों  का अध्याय लिखा जाने लिखा.

साली को घरवाली बनाने की थी योजना

समरीन ने छोटे बेटे तैमूर को जन्म  दिया. लेकिन तब तक आसिफ और फातिमा के बीच नाजायज रिश्ते की भनक न तो समरीन को लगी थी न ही फातिमा के परिवार वालों को. लेकिन फातिमा के शरीर की गंध पाने के बाद आसिफ को अपनी पत्नी समरीन से लगाव कम होने लगा था.

अचानक आसिफ के मन में फातिमा को अपना बनाने की लालसा तेज होने लगी. उस ने सोचा कि अगर समरीन मर जाए तो वह अपने बच्चों की देखभाल के लिए ससुराल वालों को मौसी को उन की मां बनाने के लिए तैयार कर सकता है. लेकिल सवाल था कि हट्टीकट्टी और जवान समरीन मरेगी कैसे.

आसिफ के मन में उसी समय यह खयाल आया कि क्यों न समरीन को किसी ऐसे तरीके से मार दिया जाए कि उस की मौत सब को स्वाभाविक लगे. बस ये खयाल मन में आते ही उस के दिमाग में साजिश के कीडे़ रेंगने लगे. आसिफ का एक दोस्त था रविंद्र जो गोविंद टाउन, बेहटा हाजीपुर में रहता था और वहीं पर जनकल्याण क्लीनिक चलाता था.

वैसे तो रविंद्र झोलाछाप डाक्टर था, लेकिन आसिफ के साथ खानेपीने के कारण उस की दोस्ती हो गई थी. आसिफ अपने बच्चोें को उसी से दवा वगैरह दिलवाता था. उस ने अपने मन की बात एक दिन रविंद्र को बताई. उस ने कहा कि इलाज के बहाने वह समरीन को ऐसा इंजेक्शन लगा दे कि उस की मौत हो जाए.

रविंद्र इस काम के लिए राजी तो हो गया लेकिन उस ने इस काम के लिए पैसे मांगे. आसिफ ने कह दिया कि वह काम कर दे, इस के बदले वह उसे मोटी रकम देगा. लिहाजा डा. रविंद्र ने उसे एक ऐसी दवा दे दी जिस को खाने के बाद समरीन पर रिएक्शन होना था. लेकिन संयोग से उस दवा को खाने के बाद जो थोड़ाबहुत असर हुआ, उसे समरीन ने घरेलू उपचार कर के ठीक कर लिया.

पहली साजिश फेल हो गई तो डा. रविंद्र ने कहा, ‘‘चलो तुम्हें एक और डाक्टर संदीप से मिलाता हूं, जो  लोनी मे श्री साईं क्लीनिक चलाते हैं.’’

रविंद्र ने संदीप से आसिफ की मुलाकात कराई और उस का मकसद बताया. आसिफ का काम करने के लिए संदीप ने पैसे की मांग की तो आसिफ ने दोनों को 30 हजार रुपए दे दिए.

डा. संदीप ने एक दिन बुखार के इलाज के बहाने आसिफ के साथ उस के घर जा कर समरीन को एक जहरीला इंजेक्शन भी दिया, लेकिन कई दिन इंतजार के बाद भी समरीन की मौत नहीं हुई तो आसिफ निराश हो गया.

इस दौरान संदीप और रविंद्र आसिफ से मिले पैसे से मौजमस्ती करने के लिए मंसूरी चले गए. जब वापस लौटे तो उन्हें पता चला कि इंजेक्शन से भी समरीन की मृत्यु नहीं हुई है. इसलिए आसिफ उन से पैसे वापस मांगने लगा.

तब संदीप ने कहा कि वह एक आदमी के जरिए इस काम को सफाई से करवा सकता है लेकिन इस काम में थोड़ी ज्यादा रकम लगेगी. आसिफ इस के लिए भी तैयार हो गया.

लेकिन इस दौरान आसिफ की साली फातिमा का उस के घर आनाजाना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया समरीन ने देखा की फातिमा उसे छोड़ कर अपने जीजा के आसपास कुछ ज्यादा मंडराती है, तो उसे शक हुआ. उस ने दोनों के ऊपर निगाहें रखनी शुरू कर दीं. शक यकीन में तब बदल गया, जब एक दिन फातिमा चाय देने के बहाने नीचे वर्कशाप में आसिफ के पास पहुंची और आसिफ ने लपक कर उसे अपनी बांहों में भर लिया.

संयोग से शक की पुष्टि के लिए समरीन पीछे से आ गई और सबकुछ अपनी आंखों से देख लिया. उस दिन खूब हंगामा हुआ. उस दिन समरीन ने छोटी बहन को खूब डांटा और आसिफ से उस की जम कर लड़ाई हुई.

समरीन ने अपने मातापिता को तो बहन के बारे में कुछ नहीं बताया, लेकिन परिवार वालों पर जोर देना शुरू कर दिया कि वह जल्द से जल्द  फातिमा के लिए अच्छा सा लड़का देख कर उस का निकाह कर दें. परिवार वालों ने उस के लिए लड़का देख लिया और 7 मार्च, 2020 निकाह की तारीख तय कर दी.

इस बीच फातिमा के निकाह को ले कर समरीन और आसिफ में अकसर झगड़ा होने लगा. आसिफ समरीन से कहता था कि 2 बहनें एक साथ एक ही पति की बेगम बन कर भी तो रह सकती हैं. पता नहीं जिस से फातिमा की शादी हो वो लोग कैसे हों, उसे सुख दे सकें या नहीं. बस इसी बात पर दोनों में झगड़ा इस कदर बढ़ता कि मारपीट तक हो जाती.

दोनों के बीच मारपीट की बात समरीन के मातापिता तक पहुंची, लेकिन समरीन ने उन्हें कभी हकीकत का पता नहीं लगने दिया. जब आसिफ ने देखा कि समरीन उस के और फातिमा के रास्ते का कांटा बन चुकी है तो उस ने आखिरकार उस की हत्या के लिए आखिरी साजिश का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया. आसिफ ने डा. संदीप से कहा कि अब वह जल्द  से जल्द समरीन की हत्या वाला काम करवा दे.

बदमाश सुनील शर्मा से किया संपर्क

इस के बाद संदीप आसिफ को अपने साले के साले के साले सुनील शर्मा निवासी भीमपुर, थाना बहजोई, जिला मुरादाबाद के पास ले गया, जो इन दिनों लोनी की पुश्ता कालोनी में रहता था. आसिफ को जब पता चला कि सुनील शर्मा आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है और पहले उत्तराखंड जेल में भी रह चुका है तो उसे यकीन हो गया कि यह आदमी उस का काम कर देगा.

आसिफ ने सुनील से 2 लाख रुपए मे समरीन की हत्या का सौदा पक्का कर लिया, जिस में से लगभग 90 हजार रुपए आसिफ ने सुनील को 2-3 बार में दे दिए. लेकिन जैसेजैसे फातिमा की शादी नजदीक आ रही थी, वैसेवैसे आसिफ को समरीन की हत्या की जल्दी होने लगी थी.

9 जनवरी, 2020 को आसिफ ने सुनील से बेहटा हाजीपुर में उत्तरांचल सोसाइटी के पास मुलाकात की और बताया कि 11-12 जनवरी की रात को उसे यह काम पूरा करना है. उस ने सुनील को पूरा प्लान भी समझा दिया. इस काम में सुनील ने अपने 2 अपराधी दोस्तों को भी शामिल कर लिया था.

प्लान के मुताबिक 11 जनवरी, 2020 की रात सुनील अपने दोनों साथियों के साथ मेवाती चौक पर आसिफ के घर के बाहर पहुंचा. योजना के मुताबिक आसिफ दरवाजा खोल कर काम कर रहा था. उस ने नीचे वाले कमरे में सुनील व उस के दोनों साथियों को बैठा दिया और खुद सोने के लिए ऊपर चला गया.

आधे घंटे में खाना खाने के बाद उस ने अपने साले और बेटे, जो मोबाइल पर गेम खेल रहे थे, से मोबाइल ले कर बंद कर दिए और जल्दी से सोने को कहा, ताकि सुबह जल्दी उठा जा सके. उस ने जीने की तरफ आने वाले गेट की कुंडी नहीं लगाई थी ताकि सुनील व उस के साथी आसानी से दरवाजा खोल कर ऊपर आ सकें.

आसिफ हत्या में खुद भी रहा शामिल

प्लान के मुताबिक रात 1 से 3 बजे के बीच में सुनील अपने दोनों साथियों के साथ उस कमरे में आया, जहां आासिफ व उस की बीवी सो रहे थे. आसिफ ने उन तीनों के साथ मिल कर पहले अपनी पत्नी समरीन की गला घोंट कर हत्या करवा दी. फिर अपने हाथपैर बंधवा कर ऊपरी मंजिल पर ले जाने के लिए कहा. ताकि ऊपर सो रहे साले व लड़के को लगे कि वास्तव में बदमाशों द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया है.

हत्या हो जाने के बाद आसिफ ने बदमाशों से कहा कि 23 हजार रुपए और लगभग 70 से 75 हजार रुपए का हार अलमारी में रखा है, जिसे तुम अपने शेष एक लाख रुपए के रूप में ले लो.

वारदात के दौरान उस ने अपने हाथ थोड़ा ढीले बंधवाए ताकि उन के जाने के कुछ देर बाद वह हाथ खोल कर शोर मचा सके.

किसी को शक न हो इसलिए उस ने ही बदमाशों को ऊपर के कमरे में सब को बंद कर के कुंडी बाहर से बंद करने और जाते समय मकान के मुख्यद्वार को बाहर से बंद करने का आइडिया दिया था.

आसिफ से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसी शाम झोलाछाप डाक्टर रविंद्र और संदीप को भी समरीन की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

आसिफ ने जो प्लान तैयार किया था, उस में उस ने एक गलती कर दी थी. उसेये ध्यान ही नहीं रहा कि जब पूरे घर में घुसने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है तो बिना जबरदस्ती किए बदमाश घर के अंदर दाखिल कैसे हो गए. इस बात का वह क्या जवाब देगा. बस यहीं से पुलिस को उस पर शक होना शुरू हो गया.

गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी आसिफ और उस के दोनों सहयोगियों रविंद्र और संदीप को आवश्यक पूछताछ के बाद जांच अधिकारी राजेंद्र पाल सिंह ने अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया.

बाकी 3 फरार आरोपियों में से सुनील शर्मा को पुलिस ने 17 जनवरी, 2020 को लोनी क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में सुनील ने भी अपना गुनाह कबूल कर लिया. उस के दोनों साथियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं.

मात्र 72 घंटे में ब्लाइंड मर्डर व डकैती केस को सुलझाने के लिए एसएसपी गाजियाबाद कलानिधि नैथानी ने विवेचक और लोनी बौर्डर थाने की पुलिस टीम को 20 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की है.

कथा पुलिस जांच व अभियुक्तों से हुई पूछताछ पर आधारित. फातिमा परिवर्तित नाम है.

कातिल बहन की आशिकी : क्या था पूजा का गुनाह – भाग 3

पूजा और अवध पाल के दिलोदिमाग पर प्यार का ऐसा जादू चढ़ा कि उन्हें एकदूजे के बिना सब कुछ सूनासूना लगने लगा. जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में साथ बैठ कर अपने ख्वाबों की दुनिया में खो जाते. इसी प्यार के चलते दोनों ने साथसाथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं. एक बार मन से मन मिले तो फिर तन मिलने में भी देर नहीं लगी.

पूजा और अवध पाल ने लाख कोशिश की कि उन के प्रेम संबंधों का पता किसी को न चले. लेकिन प्यार की महक को भला कोई रोक सका है. एक दिन पूजा की छोटी बहन दीपांशी उर्फ रचना ने पूजा और अवध पाल को रास्ते में हंसीठिठोली करते देख लिया. रास्ते में तो उस ने कुछ नहीं कहा, लेकिन घर आ कर उस ने पापा और मम्मी के कान भर दिए.

कुछ देर बाद पूजा कालेज से घर आई तो मांबाप की त्यौरियां चढ़ी हुई थीं. श्याम सिंह ने गुस्से में उस से पूछा, ‘‘रास्ते में किस के साथ हंसीठिठोली कर रही थी? कौन है वह, जो हमारी इज्जत को नीलाम करना चाहता है? सचसच बता वरना…’’

पिता का गुस्सा देख कर पूजा सहम गई. वह जान गई कि उस के प्यार का भांडा फूट गया है, इसलिए झूठ बोलने से कुछ नहीं होगा. अत: वह सिर झुका कर बोली, ‘‘पापा, वह लड़का है अवध पाल. सरैया चुंगी में रहता है. वह अपने बड़े भाई वीरपाल के साथ डेयरी चलाता है. हम दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.’’

पूजा की बात सुनते ही श्याम सिंह का गुस्सा सीमा लांघ गया. उस ने पूजा की जम कर पिटाई की और उसे हिदायत दी कि आइंदा वह अवध पाल से न मिले. पूजा की मां सर्वेश कुमारी ने भी उसे खूब समझाया. पूजा पर लगाम कसने के लिए सर्वेश ने उस का कालेज जाना बंद करा दिया, साथ ही उस पर निगरानी भी रखने लगी. पूजा पर निगाह रखने के लिए श्याम सिंह और उस की पत्नी ने छोटी बेटी रचना को भी लगा दिया. पूजा जब भी कालेज जाने की बात कहती तो रचना उस के साथ होती और उस की हर गतिविधि पर नजर रखती.

पाबंदी लगी तो पूजा व अवध पाल का मिलनाजुलना बंद हो गया. इस से दोनों परेशान रहने लगे. अवध पाल ने अपनी परेशानी अपने दोस्त अनिल को बताई और इस मामले में मदद मांगी. अनिल रचना का नातेदार था और पास में ही रहता था. वह दोनों के प्यार से वाकिफ था, सो मदद करने को राजी हो गया.

इस के बाद अवध पाल ने अनिल को एक मोबाइल फोन दे कर कहा, ‘‘दोस्त, तुम पूजा के पड़ोसी हो. पूजा तुम्हारे परिवार की है. तुम उस के घर वालों पर नजर रखो और जब भी पूजा घर में अकेली हो तो उसे फोन दे कर मेरी बात करा दिया करना.’’

इस के बाद अनिल पूजा और अवध पाल के प्यार का राजदार बन गया. पूजा जब भी घर में अकेली होती तो अनिल उसे मोबाइल दे कर अवध पाल से बात करा देता. प्यार भरी बातें करने के बाद पूजा अनिल को मोबाइल वापस कर देती. कभीकभी पूजा बहाना कर के अनिल के घर चली जाती और मोबाइल से देर तक प्रेमी अवध पाल से बतिया कर वापस आ जाती.

परंतु पूजा और अवध पाल का मोबाइल पर बतियाना ज्यादा समय तक राज न रह सका. एक रोज रचना ने पूजा को बतियाते सुन लिया. यही नहीं, उस ने अनिल को मोबाइल वापस करते भी देख लिया. इस की जानकारी उस ने मांबाप को दी तो पूजा की पिटाई हुई.

इस के बाद तो यह सिलसिला बन गया. रचना जब भी पूजा को बतियाते हुए देख लेती तो मांबाप को बता देती. फिर उस की पिटाई होती. पूजा अब रचना को अपने प्यार का दुश्मन समझने लगी थी. वह प्रतिशोध की आग में जल रही थी.

24 जनवरी, 2019 को श्याम सिंह की पत्नी बेटे विवेक के साथ किसी काम से चरुआभानी, मैनपुरी रिश्तेदारी में चली गई. इस की जानकारी अनिल को हुई तो वह पूजा और अवध पाल का मिलाप कराने का प्रयास करने लगा, लेकिन रचना की कड़ी निगरानी की वजह से वह मिलाप न करा सका.
गुस्सा बना रचना की मौत की वजह

26 जनवरी, 2019 को गणतंत्र दिवस था. लगभग साढ़े 7 बजे श्याम सिंह यादव अपनी ड्यूटी चला गया. श्याम सिंह के जाने के बाद अनिल पूजा के घर पहुंच गया और उसे मोबाइल दे गया. कुछ देर बाद रचना भी किसी काम से पड़ोसी के घर चली गई. इसी बीच पूजा को मौका मिल गया और वह मोबाइल पर प्रेमी अवध पाल से बतियाने लगी.
पूजा, प्रेमी से रसभरी बातें कर ही रही थी कि रचना आ गई. उस ने मोबाइल पर बहन द्वारा बात करने का विरोध किया और धमकी देते हुए कहा कि आने दो पापा को तुम्हारे प्यार का भूत न उतरवाया तो मेरा नाम रचना नहीं.

रचना की धमकी से पूजा का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा और दोनों में कहासुनी होने लगी. इसी कहासुनी के बीच रचना ने पूजा के हाथ से मोबाइल छीन कर जमीन पर पटक दिया, जिस से वह टूट गया. इस के अलावा उस ने ऐसे गंदे शब्दों का प्रयोग किया, जिस से पूजा का गुस्सा और बढ़ गया. वह नफरत की आग में जल उठी.
पूजा ने लपक कर रचना के गले में पड़ा स्कार्फ दोनों हाथों से पकड़ा और पूरी ताकत से उसे खींचने लगी. नफरत की आग में जल रही पूजा भूल गई कि जिस का वह गला कस रही है, वह उस की छोटी बहन है. पूजा के हाथ तभी ढीले हुए जब रचना की आंखें फट गईं और वह जमीन पर गिर पड़ी.

पूजा को यकीन नहीं हो रहा था कि उस की छोटी बहन की सांसें थम गई हैं. वह उसे हिलानेडुलाने लगी. नाम ले कर पुकारने लगी, ‘‘उठो रचना, उठो. मुझे माफ कर दो.’’
लेकिन रचना कैसे उठती. उस की तो दम घुटने से मौत हो चुकी थी. पूजा कुछ देर तक लाश के पास बैठी पछताती रही. फिर पकड़े जाने के डर से वह घबरा गई. पुलिस से बचने के लिए उस ने गले में लिपटा स्कार्फ निकाला और बक्से में छिपा दिया. फिर रचना के शव को प्लास्टिक की बोरी में तोड़मरोड़ कर भरा और बोरी का मुंह बंद कर दिया.

घर के पिछवाड़े कुछ ही कदम की दूरी पर तालाब था. घर के कमरे का एक दरवाजा इसी तालाब की ओर खुलता था. पूजा ने दरवाजा खोला, आवाजाही की टोह ली और फिर शव को साइकिल पर लाद कर तालाब किनारे फेंक दिया. फिर दरवाजा बंद कर साइकिल जहां की तहां खड़ी कर दी. टूटे मोबाइल को उस ने कबाड़ में फेंक दिया और घर साफसुथरा कर दिया.

दोपहर बाद जब श्याम सिंह घर आया तो उसे रचना नहीं दिखी. तब उस ने पूजा से पूछा. पूजा ने उसे गुमराह कर दिया. श्याम सिंह देर रात तक रचना की खोज में जुटा रहा. जब वह नहीं मिली तब वह वह थाना सिविल लाइंस चला गया और पुलिस जांच के बाद प्यार में बाधक बनी छोटी बहन की बड़ी बहन द्वारा हत्या किए जाने की सनसनीखेज घटना सामने आई.

पूजा से पूछताछ के बाद पुलिस ने 28 जनवरी, 2019 को उसे इटावा की अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. अनिल व अवध पाल के खिलाफ पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिला, जिस से उन्हें छोड़ दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अंजाम ए मोहब्बत : पिता कैसे बने दोषी – भाग 3

इस के महीने भर बाद ही उस ने मीनाक्षी की शादी एक दूसरे लड़के के साथ तय कर दी थी. यह शादी उस के गांव में होने वाली थी. इसलिए पूरा परिवार मीनाक्षी को गांव नुमाईडाही ले कर चला गया था.

9 मार्च, 2019 को मीनाक्षी की बारात आने वाली थी. सभी मीनाक्षी की शादी की तैयारी में लगे थे. लेकिन मीनाक्षी वहां से फरार होने का रास्ता खोज रही थी. इस बीच मौका पा कर मीनाक्षी ने बृजेश को फोन किया. बृजेश ने उसे मध्य प्रदेश के शहर सतना पहुंचने को कहा.

मीनाक्षी शादी के 15 दिन पहले 22 फरवरी, 2019 को अपना घर छोड़ कर सतना पहुंच गई, वहां बृजेश ने अपने दोस्तों के साथ उस का स्वागत किया. फिर आर्यसमाज मंदिर में जा कर दोनों ने विवाह कर लिया. मंदिर में शादी करने के बाद उन्होंने 2 मई, 2019 को मुंबई पहुंच कर कोर्टमैरिज कर ली. इस के बाद दोनों मुंबई के नारायण नगर के शिवपुरी चाल में किराए का रूम ले कर रहने लगे. बृजेश अपनी दुकान पर बैठने लगा था.

मीनाक्षी के इस कदम से राजकुमार चौरसिया की समाज, गांव और नातेरिश्तेदारी में काफी बदनामी हुई थी. बेटी की वजह से उस का सिर शर्म से झुक गया था. उसे पता चल गया था कि बेटी ने बृजेश से शादी कर ली है. जिस की टीस उस के मन की गहराई में जा कर बैठ गई थी.

कुछ दिनों बाद मीनाक्षी ने अपनी मां से फोन पर बात करनी शुरू कर दी थी. परिवार वालों ने मीनाक्षी को इस शर्त पर माफ कर दिया था कि वह कभी बृजेश के साथ मुंबई से गांव या ससुराल नहीं जाएगी.

मगर ऐसा हुआ नहीं. समय अपनी गति से चल रहा था. मीनाक्षी गर्भवती हो गई थी. इस बीच बृजेश और मीनाक्षी ने यह योजना बनाई कि डिलिवरी के बाद वे दोनों गांव जा कर बच्चे को अपने मांबाप का आशीर्वाद दिलवाएंगे.

इस बात की भनक जब राजकुमार को लगी तो वह अपनी इज्जत को ले कर परेशान हो गया. वह गांव में दोबारा अपनी बेइज्जती नहीं करवाना चाहता था, इसलिए उस ने बेटी मीनाक्षी के प्रति एक खतरनाक फैसला ले लिया. उस ने सोच लिया कि वह ऐसा करेगा कि न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी.

योजना के अनुसार, 13 जुलाई 2019 की रात राजकुमार चौरसिया ने मीनाक्षी को फोन कर के 14 जुलाई को अपने घर बुलाया और कहा कि जिस तरह से तुम लोगों ने शादी की थी, उस में वह उन्हें कुछ नहीं दे पाया था, इसलिए उस ने उस के और दामाद के लिए कुछ कपड़े आदि खरीद कर रखे हैं. वह आ कर कपड़े वगैरह ले जाए.

पिता से फोन पर बात होने पर मीनाक्षी काफी खुश हुई. उस ने यह बात पति बृजेश को बताई तो बृजेश ने उसे पिता के पास जाने से मना कर दिया. लेकिन फिर भी मीनाक्षी नहीं मानी. क्योंकि वह तो इस विश्वास में थी कि पिता ने उसे माफ कर दिया है.

इसलिए पिता का थोड़ा प्यार पा कर वह उन से मिलने उस के घर चली गई थी. रात 12 बजे जब बृजेश दुकान से घर आया तो उसे मीनाक्षी घर पर नहीं मिली. वह समझ गया कि वह अपने पिता के पास ही गई होगी.

उस ने उसी समय मीनाक्षी और उस के पिता राजकुमार चौरसिया को फोन किया, लेकिन फोन बंद आ रहा था. काम से थका होने के कारण उस ने घर में रखा खाना खाया और फिर सो गया. सुबह उसे पुलिस वालों ने आ कर जगाया था.

हुआ यह था कि 14 जुलाई, 2019 की रात 10 बजे जब मीनाक्षी पिता राजकुमार चौरसिया के घर पहुंची तो घर में उस समय कोई नहीं था. राजकुमार के परिवार वाले उस रात बाहर एक रिश्तेदार के यहां चले गए थे. राजकुमार चौरसिया पूरी तैयारी के साथ बेटी मीनाक्षी का इंतजार कर रहा था.

मीनाक्षी जैसे ही घर में दाखिल हुई तो राजकुमार उठ कर खड़ा हो गया और जैसे ही आशीर्वाद लेने के लिए वह पिता के पैर छूने को नीचे झुकी, तभी राजकुमार ने चाकू से उस के ऊपर हमला कर दिया. हमला करते समय राजकुमार ने मीनाक्षी का मुंह दबा रखा था, जिस कारण उस की चीख घुट कर ही रह गई थी.

मीनाक्षी की हत्या करने के बाद उस के शव को रिक्शा स्टैंड के पीछे डाल कर वह फरार हो गया और सीधे अपने गांव चला गया था.

पुलिस टीम ने राजकुमार चौरसिया से विस्तृत पूछताछ कर उसे उस की बेटी मीनाक्षी चौरसिया की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक राजकुमार चौरसिया जेल में बंद था. मामले का आरोपपत्र इंसपेक्टर विलाख दातीर तैयार कर रहे थे.

सौजन्य: मनोहर कहानियां

आंखों में खटका बेटी का प्यार – भाग 3

राहुल दिल्ली से सूरत गया. वहां दोनों ने एक मंदिर में विवाह कर लिया. राहुल की उम्र 21 वर्ष से कम थी, इसलिए कोर्ट मैरिज नहीं हो सकती थी. इस की भनक राजू को लग गई. वह प्रीति को ले कर अपने गांव वापस आ गया. आननफानन में प्रीति का विवाह प्रतापगढ़ के सांगीपुर थाना क्षेत्र के पूरे बक्शी गांव में तय कर दिया.

प्रीति बेचैन हो उठी. उस ने राहुल से बात की तो राहुल ने उसे घर वालों से विवाह का विरोध करने से मना कर दिया. उस ने कहा कि वह विवाह से पहले की रस्में कर ले और विवाह को कुछ समय तक टालने की कोशिश करे. जब तक विवाह का समय आएगा, तब तक उस की उम्र 21 वर्ष हो जाएगी. फिर दोनों किसी तरह से कोर्ट में जा कर विवाह कर लेंगे. प्रीति इस के लिए तैयार हो गई.

15 मई, 2019 को प्रीति के लापता होने पर उस के चाचा राजेश  वर्मा ने अंतू थाने में प्रीति के गुम होने की तहरीर दी. थानाप्रभारी संजय यादव ने प्रीति की गुमशुदगी दर्ज करा दी. लेकिन प्रीति का कोई पता नहीं चला.

समय बीतता चला गया. 11 नवंबर, 2019 को थाना अंतू के गांव पूरब निवासी काबीना मंत्री के रिश्तेदार सर्वेश उर्फ विक्की सिंह पर उस के पोल्ट्री फार्म के पास जानलेवा हमला हमला हुआ, जिस पर उसी दिन अंतू थाने में 307 आईपीसी में मुकदमा दर्ज हो गया.

जांच के दौरान हमले में चिह्नित हुए अजय पासी निवासी टेकनिया, थाना सांगीपुर व पवन सरोज निवासी नेवादा, थाना सांगीपुर. दोनों हमलावरों पर पुलिस द्वारा 25-25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया.

इस केस पर एसटीएफ को भी लगाया गया. 11 फरवरी, 2020 को एसटीएफ के इंसपेक्टर हेमंत भूषण और उन की टीम ने अंतू थाना इंसपेक्टर मनोज तिवारी की मदद से दोनों ईनामी बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया.

थाने ला कर जब उन से पूछताछ की गई तो पता चला कि अजय पासी गांव नंदलाल का पुरवा की प्रीति से एकतरफा प्यार करता था. लेकिन प्रीति काफी दिन से लापता है. प्रीति के चाचा राजेश वर्मा के साथ विक्की भी प्रीति की गुमशुदगी दर्ज कराने थाने गया था.

अजय ने समझा कि विक्की सिंह ने ही प्रीति को गायब कराया है. उस के बाद पवन ने सरोज व एक अन्य साथी बाबू के साथ कई दिन तक विक्की सिंह की रेकी की फिर 11 नंवबर को उस ने विक्की सिंह पर कई राउंड गोलियां बरसाई. विक्की को मरा समझ कर दोनों फरार हो गए. विक्की इस हमले से बुरी तरह घायल हुआ था.

इंसपेक्टर मनोज तिवारी ने गहराई से जांच की तो पता चला कि लापता प्रीति वर्मा का प्रेम प्रसंग राहुल वर्मा से था. इस के बाद उन्होंने राहुल को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो राहुल ने जो कुछ बताया, उसे जान कर मनोज तिवारी को प्रीति के लापता होने का पूरा मामला समझ आ गया.

राहुल से पूछताछ के बाद 12 फरवरी को इंसपेक्टर मनोज तिवारी ने प्रीति के पिता राजू वर्मा, चाचा राजेश वर्मा और जमुना प्रसाद वर्मा को हिरासत में ले कर पूछताछ की. उन्होंने प्रीति की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया और हत्या के पीछे की वजह भी बयान कर दी.

प्रीति का विवाह तय होने के बाद 13 मई, 2019 को उस की सगाई की तारीख निश्चित हुई. 13 मई को वर पक्ष के लोगों के आने के बाद प्रीति की सगाई की रस्म अदा की गई. वर पक्ष के लोगों के जाने के बाद प्रीति ने राहुल को फोन कर के मिलने के लिए बुलाया.

रात 8 बजे प्रीति घर से कुछ दूर जा कर राहुल से मिली.  घर पर प्रीति को एकाएक न पा कर प्रीति के पिता राजू और तीनों चाचा राजेश, जमुना प्रसाद और ब्रजेश उसे खोजने निकले. कुछ दूरी पर प्रीति राहुल से बात करते दिखाई दी. राहुल ने उन को अपनी तरफ  आते देख लिया. इस पर वह अपनी बाइक छोड़ कर वहां से भाग निकला.

प्रीति के पिता और चाचा उस के पीछे नहीं भागे, बल्कि प्रीति को मारतेपीटते हुए घर ले जाने लगे. राहुल काफी दूर जा कर बेबस खड़ा यह सब देखता रहा. जब वह लोग वहां से चले गए तो राहुल भी वहां से चला गया.

दूसरी ओर पिता और उस के तीनों चाचाओं ने घर ले जा कर प्रीति को लाठीडंडों से पीटपीट कर मार डाला. घर की महिलाएं बेबस खड़ी देखती रहीं. अगले दिन 14 मई की रात प्रीति के पिता और उस के तीनों  चाचा उस की लाश को पूरब गांव ले गए. वहां नदी किनारे सिंघनी घाट पर प्रीति की लाश को जला दिया और साथ में उस के मोबाइल को भी आग के हवाले कर दिया. प्रीति की लाश को जलाने के बाद उस की राख नदी में बहा दी गई.

अगले दिन राजेश वर्मा ने विक्की सिंह के साथ अंतू थाने जा कर प्रीति की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

काफी समय बीत जाने पर भी पुलिस ने कुछ नहीं किया तो वे निश्चिंत हो गए कि प्रीति की हत्या रहस्य बन कर रह जाएगी, लेकिन गुनाह किसी न किसी तरह से सामने से आ ही जाता है. प्रीति के पिता राजू वर्मा और चाचा राजेश, जमुना प्रसाद और ब्रजेश का भी गुनाह सामने आ गया.

इंसपेक्टर मनोज तिवारी ने सभी के विरुद्ध भांदंवि की धारा 193/302/201/34/204 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. इस के बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर तीनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. कथा लिखे तक ब्रजेश फरार था, पुलिस उस की तलाश कर रही थी. पुलिस ने प्रीति के प्रेमी को मुकदमे में गवाह बना लिया था. द्य 5464 किलोमीटर लंबी यलो रिवर जिस रफ्तार से शहरों, महानगरों में कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे हैं,

उस से भी ज्यादा रफ्तार से जंगल घटते जा रहे हैं. इंसान का जीवन सब से ज्यादा प्रकृति पर निर्भर है, यह जानते हुए भी आदमी सब से ज्यादा दोहन प्रकृति का ही करता है. दूसरी ओर नगरों की बढ़ती भीड़ ने शहरी नागरिकों की शांति भांग कर दी है. स्थिति यह है कि साधनसंपन्न आदमी थोड़ा सा मौका मिलते ही ऐसी जगहों पर जाने की सोचने लगता है, जहां प्रकृति की गोद में शांति मिल सके. इसी के मद्देनजर सरकारों ने ऐसी जगहों को डेवलप करना शुरू कर दिया है, जो खूबसूरत भी हैं और मनोरम भी.

कुछ व्यवसायी ऐसी जगह जमीनें खरीद कर किराए पर देने के लिए होटल, मोटल या फिर बंगला, कोठी बनवा देते हैं. समय मिलता है तो वहां पर अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने जाते हैं. अब कुछ जगहों पर पर्यटकों के मद्देनजर पर्वतीय गांवों को भी विकसित किया जा रहा है.

यहां आप जो फोटो देख रहे हैं, वह रोमानिया के पेस्रा गांव का है. यूरोप में रोमानिया के कुछ गांव सब से सुंदर माने जाते हैं. जो लोग प्रकृति को पसंद करते हैं और कुछ दिन नगरों की आपाधापी से दूर रहना चाहते हैं. उन के लिए परी देश जैसे ये गांव छुट्टी बिताने के लिए सब से अच्छी जगह हैं. इन गांवों में ताजी हवा और वातावरण के साथ स्थानीय भोजन का भी आनंद लिया जा सकता है.

पत्नी की विदाई : पति ही बना कातिल – भाग 3

इस की वजह यह थी कि नैंसी अकसर फोन पर व्यस्त रहती थी. देर रात तक वह किसी से फोन पर बातें करती थी. साहिल का कहना था कि दिन में वह किसी से भी बात करे, उसे कोई ऐतराज नहीं है लेकिन उस के औफिस से लौटने के बाद उस के पास भी बैठ जाया करे.

साहिल जब नैंसी से पूछता कि वह किस से बात करती है तो वह कह देती कि दोस्तों से बात करती है. पत्नी की यह बात साहिल को गले इसलिए नहीं उतरती थी, क्योंकि शादी से पहले नैंसी ने उसे बताया था कि उस का कोई भी दोस्त नहीं है.

जब शादी से पहले उस का कोई दोस्त नहीं था तो शादी होते ही अब कौन ऐसे नए दोस्त बन गए जो घंटों तक उस से बतियाने लगे. यही बात साहिल के दिल में वहम पैदा कर रही थी. नैंसी की बातों और व्यवहार से साहिल को शक था कि उस की पत्नी का जरूर किसी से कोई चक्कर चल रहा है, जिसे वह उस से छिपा रही है.

पति या पत्नी दोनों के मन में संदेह पैदा हो जाए तो वह कम होने के बजाए बढ़ता जाता है और फिर कभी भी विस्फोट के रूप में सामने आता है. जिस नैंसी को साहिल दिलोजान से प्यार करता था, वही उस के साथ कलह करने लगी थी. कभीकभी तो दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ जाता था कि साहिल उस की पिटाई भी कर देता था.

साहिल का उग्र रूप देख कर नैंसी को महसूस होने लगा था कि साहिल को अपना जीवनसाथी चुनना उस की बड़ी भूल थी. उसे इतनी जल्दी फैसला नहीं लेना चाहिए था.

चूंकि उस ने अपनी पसंद से की शादी थी, इसलिए इस की शिकायत वह अपने पिता से भी नहीं कर सकती थी. हां, अपनी सहेलियों से बात कर के वह अपना दर्द बांट लिया करती थी.

साहिल पत्नी की

रोजरोज की कलह से तंग आ चुका था. आखिर उस ने फैसला कर लिया कि रोजरोज की किचकिच से अच्छा है कि नैंसी का खेल ही खत्म कर दे. इस बारे में साहिल ने अपने औफिस में काम करने वाले शुभम (24) से बात की. शुभम साहिल का साथ देने को तैयार हो गया.

साहिल को शुभम ने बताया कि उस का एक ममेरा भाई है बादल, जो करनाल के पास स्थित घरोंडा गांव में रहता है. उसे भी साथ ले लिया जाए तो काम आसान हो जाएगा.

साहिल ने शुभम से कह दिया कि इस बारे में वह बादल से बात कर ले. शुभम ने बादल से बात की तो उस ने हामी भर ली. योजना को कैसे अंजाम देना है, इस बारे में साहिल ने बादल और शुभम के साथ प्लानिंग की. बादल ने सलाह दी कि नैंसी को किसी बहाने पानीपत ले जाया जाए और किसी सुनसान इलाके में ले जा कर उस का काम तमाम कर दिया जाए.

योजना को कहां अंजाम देना है, इस की रेकी के लिए तीनों लोग 10 नवंबर, 2019 को पानीपत गए. काफी देर घूमने के बाद उन्हें रिफाइनरी के पास की सुनसान जगह ठीक  लगी. रेकी करने के बाद तीनों दिल्ली लौट आए.

इसी बीच नैंसी और साहिल के बीच की कलह चरम पर पहुंच गई, तभी नैंसी ने अपनी सहेलियों प्रांजलि और सरानिया को फोन कर के बता दिया था कि आजकल साहिल उस के साथ मारपीट करने लगा है. उस ने उस के घर से बाहर जाने पर भी पाबंदी लगा दी है, उस के साथ कुछ भी हो सकता है.

नैंसी को शायद पति का व्यवहार देख कर अपनी मौत की आहट मिल गई थी, तभी तो उस ने सहेलियों से कह दिया था कि अगर 2 दिनों तक उस का फोन न मिले तो समझ लेना कि साहिल ने उस की हत्या कर दी है.

चूंकि साहिल को अपनी योजना को अंजाम देना था, इसलिए उस ने 11 नवंबर को सुबह से ही नैंसी के साथ प्यार भरा व्यवहार शुरू कर दिया. पति का बदला रुख देख कर नैंसी भी खुश हो गई. दोनों ने खुशी के साथ लंच किया.

लंच करने के दौरान ही साहिल ने नैंसी से कहा, ‘‘नैंसी, आज मुझे पानीपत में किसी से उधार की रकम लानी है. रकम ज्यादा है, इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम भी पिस्टल ले कर मेरे साथ चलो.’’

नैंसी के पास एक पिस्टल थी, जो उसे उस के किसी दोस्त ने 2 साल पहले गिफ्ट में दी थी. नैंसी ने उस पिस्टल के साथ कई फोटो भी खिंचवा रखे थे. पति के कहने पर नैंसी उस के साथ पानीपत जाने को तैयार हो गई.

शाम करीब साढ़े 6 बजे साहिल पत्नी को ले कर घर से अपनी कार में निकला. शुभम और बादल को भी उस ने घर पर बुला रखा था. शुभम कार चला रहा था और बादल शुभम के बराबर वाली सीट पर बैठा था. जबकि साहिल और नैंसी कार की पिछली सीट पर थे. कार में ही साहिल ने पत्नी से पिस्टल ले कर उस में 2 गोलियां डाल ली थीं.

नैंसी को यह पता नहीं था कि उस का पति उस के सामने ही मौत का सामान तैयार कर रहा है. उन्हें पानीपत पहुंचतेपहुंचते रात हो गई. शुभम कार को रिफाइनरी के पास ददलाना गांव की एक सुनसान जगह पर ले गया. वहीं पर साहिल ने बाथरूम जाने के बहाने कार रुकवा ली. इस से पहले कि नैंसी कुछ समझ पाती, आगे की सीट पर बैठे शुभम और बादल ने उसे दबोच लिया.

तभी साहिल ने नैंसी के सिर से सटा कर गोली चला दी, लेकिन गोली नहीं चली और हड़बड़ाहट में साहिल के हाथ से पिस्टल छूट कर नीचे गिर गई. नैंसी अब पूरा माजरा समझ गई थी कि पति उसे यहां मारने के लिए लाया है. वह साहिल के सामने अपनी जान बचाने की गुहार लगाने लगी, लेकिन पत्नी के गिड़गिड़ाने का उस पर असर नहीं हुआ.

साहिल ने फुरती से कार में गिरी पिस्टल और गोली उठाई. गोली उस ने दोबारा लोड की और नैंसी के सिर से सटा कर गोली चला दी. इस बार गोली उस के सिर के आरपार हो गई. तभी उस ने दूसरी गोली भी मार दी.

गोली लगते ही नैंसी के सिर से खून का फव्वारा फूट पड़ा और वह सीट पर ही लुढ़क गई. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. फिर तीनों ने उस की लाश उठा कर झाडि़यों में फेंक दी. साहिल ने उस का मोबाइल अपने पास रख लिया. लाश ठिकाने लगा कर तीनों दिल्ली लौट आए. साहिल अपने घर जाने के बजाए दोनों साथियों के साथ जनकपुरी सी-1 ब्लौक और डाबड़ी के बीच स्थित एक लौज में रुका.

अपनी कार उस ने पास में ही स्थित सीतापुरी इलाके में ऐसी जगह खड़ी की, जहां स्थानीय लोग अपनी कारें खड़ी करते थे. यह इलाका चानन देवी अस्पताल के नजदीक है. नैंसी का मोबाइल साहिल ने सुभाषनगर मैट्रो स्टेशन के पास फेंक दिया था.

अगले दिन शुभम और बादल अपनेअपने घर चले गए. साहिल भी इधरउधर छिपता रहा.

तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस उन्हें ले कर पानीपत में उसी जगह पहुंची, जहां उन्होंने नैंसी की लाश ठिकाने लगाई थी. उन की निशानदेही पर पुलिस ने ददलाना गांव की झाडि़यों से नैंसी की सड़ीगली लाश बरामद कर ली. जरूरी काररवाई कर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए नैंसी की लाश पानीपत के सरकारी अस्पताल में भेज दी.

इस के बाद पुलिस के तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर उन का 2 दिन का रिमांड लिया. रिमांड अवधि में आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने चानन देवी अस्पताल के नजदीक खड़ी साहिल की कार बरामद की. कार की मैट के नीचे छिपाई गई वह पिस्टल भी पुलिस ने बरामद कर ली, जिस से नैंसी की हत्या की गई थी. पुलिस नैंसी का मोबाइल बरामद नहीं कर सकी.

आरोपी साहिल चोपड़ा, शुभम और बादल से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

अनूठा बदला : पति से लिया बदला – भाग 3

कुछ ऐसा ही हाल कंचन का भी था. वह भी अपनी बरबादी का कारण प्रमोद को मानती थी. इसलिए वह प्रमोद को अकसर ताना मारती रहती थी. इसी के बाद दोनों में लड़ाईझगड़ा होता और मारपीट हो जाती. कंचन प्रमोद से पीछा छुड़ाना चाहती थी, इसलिए उस ने प्रमोद से पढ़ने की इच्छा जाहिर की तो उस ने जिला कौशांबी के रहने वाले अपने एक परिचित सुरेश दूबे से बात की. वह कौशांबी के मंझनपुर में भार्गव इंटर कालेज में बाबू था. सुरेश ने कंचन का भार्गव इंटर कालेज में दाखिला ही नहीं करा दिया, बल्कि उसे इंटर पास भी कराया.

इस के बाद सुरेश दूबे ने ही डिग्री कालेज मंझनपुर से कंचनलता को प्राइवेट फार्म भरवा कर बीए करा दिया. सन 2010 में कौशांबी में होमगार्ड में प्लाटून कमांडर की भरती हुई तो कंचनलता होमगार्ड में प्लाटून कमांडर बन गई. वर्तमान में वह महिला थाना कौशांबी में तैनात थी. प्लाटून कमांडर होने के बाद कंचन कौशांबी में रहने लगी तो प्रमोद मीरजापुर में अकेला ही रहता रहा. दोनों बच्चे भी बाहर रहते थे. प्रमोद कालीन बुनाई का काम करता था. वह अकेला पड़ गया तो कारखाना मालिक ने उस से कारखाने में ही रहने को कहा. इस से दोनों का ही फायदा था.

मालिक को कम पैसे में चौकीदार मिल गया तो प्रमोद को सोने के भी पैसे मिलने लगे थे. अब प्रमोद 24 घंटे कारखाने में ही रहने लगा था. पतिपत्नी में वैसे भी नहीं पटती थी.अलगअलग रहने से दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गईं. कंचनलता जब तक प्रमोद के साथ रही, डर की वजह से उस ने मायके वालों से संपर्क नहीं किया था. लेकिन जब वह कौशांबी में अकेली रहने लगी तो वह घर वालों से संपर्क करने की कोशिश करने लगी.

करीब 21 साल बाद उस ने अपने परिचित सुरेश दूबे को संत कबीर नगर में रहने वाली अपनी बहन के यहां भेज कर अपने बारे में सूचना दी. इस के बाद बहन को उस का मोबाइल नंबर मिल गया. दोनों बहनों की बातचीत होने लगी. बहन ने ही उसे मायके का भी नंबर दे दिया था.

कंचन की मायके वालों से बातें होने ही लगीं, तो वह मायके भी गई.अंबरीश गाजियाबाद की एक मोटर पार्ट्स की दुकान में नौकरी करता था. वह मोटर पार्ट्स लाने ले जाने का काम करता था, इसलिए उस का हर जगह आनाजाना लगा रहाता था. उसे भी बहन कंचन का नंबर मिल गया था, इसलिए वह भी बहन से बातें करने लगा था.

अंबरीश बहन से अकसर प्रमोद का मीरजापुर वाला घर दिखाने को कहता था, क्योंकि वह प्रमोद की हत्या कर अपने परिवार की बदनामी और बरबादी का बदला लेना चाहता था. अपनी इसी योजना के तहत वह 1 फरवरी, 2020 को दिल्ली से चल कर 2 फरवरी को मंझनपुर में रह रही बहन कंचन के यहां पहुंचा.

अगले दिन यानी 3 फरवरी की सुबह उस ने कंचन को विश्वास में ले कर उस का मोबाइल फोन बंद कर के कमरे पर रखवा दिया. क्योंकि उसे पता था कि पुलिस मोबाइल की लोकेशन से अपराधियों तक पहुंच जाती है. उस ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर दिया. दिन के 10 बजे वह कंचन को मोटरसाइकिल से ले कर मीरजापुर के लिए चल पड़ा.

दोनों 4 बजे के आसपास मीरजापुर पहुंचे. पहले उन्होंने विंध्याचल जा कर मां विंध्यवासिनी के दर्शन किए. इस के बाद दोनों इधरउधर घूमते हुए रात होने का इंतजार करने लगे.रात 11 बजे जब दोनों को लगा कि अब तक कारखाने में काम करने वाले मजदूर चले गए होंगे और प्रमोद सो गया होगा तो कंचन उसे ले कर कारखाने पर पहुंच गई. कंचन अंबरीश को कारखाना दिखा कर बाहर ही रुक गई.

अंबरीश अकेला कारखाने के अंदर गया तो प्रमोद को सोते देख खुश हुआ. क्योंकि अब उस का मकसद आसानी से पूरा हो सकता था. उस ने देर किए बगैर वहां रखी ईंटों में से एक ईंट उठाई और प्रमोद के सिर पर दे मारी. ईंट के प्रहार से प्रमोद उठ कर बैठ गया पर वह अपने बचाव के लिए कुछ कर पाता, उस के पहले ही अंबरीश ने उस के गले में अंगौछा लपेट कर कसना शुरू कर दिया.

अपने बचाव में प्रमोद ने संघर्ष किया, जिस से अंबरीश को भी चोटें आईं. पर एक तो प्रमोद पहले ही ईंट के प्रहार घायल हो चुका था, दूसरे अंगौछा से गला कसा हुआ था, इसलिए काफी प्रयास के बाद भी वह स्वयं को नहीं बचा सका.

गला कसा होने की वजह से वह बेहोश हो गया तो अंबरीश ने उसी ईंट से उस का सिर कुचल कर उस की हत्या कर दी. खुद को बचाने के लिए प्रमोद संघर्ष करने के साथसाथ ‘बचाओ…बचाओ’ चिल्ला भी रहा था.
उस की ‘बचाओ…बचाओ’ की आवाज सुन कर कंचन जब अंदर आई, तब तक अंबरीश उस की हत्या कर चुका था. अंबरीश का काम हो चुका था, इसलिए वह बहन को ले कर रात में ही मोटरसाइकिल से मंझनपुर चला गया.

अगले दिन पुलिस ने जब कंचनलता को प्रमोद की हत्या की सूचना दे कर थाना विंध्याचल बुलाया तो कंचन ने अंबरीश को खलीलाबाद भेज दिया. इस की वजह यह थी कि प्रमोद जब खुद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब उसे चोटें आ गई थीं.उस के शरीर पर चोट के निशान देख कर पुलिस को शक हो जाता और वे पकड़े जाते. अंबरीश को खलीलाबाद भेज कर कंचनलता सुरेश दुबे के साथ थाना विंध्याचल आई. इस के बाद वह भी फरार हो गई.

दोनों ने बड़ी होशियारी से प्रमोद की हत्या की, पर कारखाने में लगे सीसीटीवी ने उन की पोल खोल दी. और वे पकड़े गए. अंबरीश की निशानदेही पर पुलिस ने झाडि़यों से वह ईंट बरामद कर ली थी, जिस से प्रमोद की हत्या की गई थी.

इस तरह प्रमोद की नादानी से दो परिवार बरबाद हो गए. पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. पुलिस के पास प्रमोद के घर का पता नहीं था, इसलिए पुलिस ने थाना विंध्याचल को उस की हत्या की सूचना दे कर थाना सहजनवां पुलिस को खबर भिजवाई.

बहन के सुहाग पर कब्जा : बबीता ने डाला बबली के सुहाग पर डाका – भाग 3

दिलीप ने अपनी आंखें उस की आंखों में डाल दीं, ‘‘तुम्हारा भी…’’

‘‘मैं कैसे शामिल हो सकती हूं.’’ बबीता बौखलाई सी थी, ‘‘आप तो मेरे जीजाजी हैं.’’

बबीता ने मुंह खोला ही था कि तभी उस की मां ममता वहां आ गईं. अत: दोनों की बातों पर वहीं विराम लग गया. दिलीप से हुई बातों को बबीता ने सामान्य रूप से लिया, मगर दिलीप का दिमाग दूसरी ही दिशा में सोच रहा था. उसे विश्वास हो गया कि बबीता भी उस पर फिदा है. लिहाजा वह बबीता पर डोरे डालने लगा.

शादी के ढाई साल बाद बबली गर्भवती हुई तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा. दिलीप को भी बाप बनने की खुशी थी. एक रोज बबली ने पति से कहा कि उसे अब घरेलू काम व खाना बनाने में दिक्कत होने लगी है. अत: वह बबीता को घर की देखरेख के लिए लिवा लाए. कम से कम वह घर का काम तो कर लिया करेगी.

पत्नी की बात सुन कर दिलीप खुशी से झूम उठा. उस ने बबली से कहा कि वह अपने मातापिता से बबीता को भेजने की बात कर ले. कहीं ऐसा न हो कि वह उसे भेजने से इनकार कर दें.

बबली ने मां से बात की तो वह बबीता को दिलीप के साथ भेजने को राजी हो गईं. इस के बाद दिलीप ससुराल गया और बबीता को साथ ले आया. बबीता ने आते ही घर का कामकाज संभाल लिया.

साली घर आ गई तो दिलीप के जीवन में भी बहार आ गई. वह उसे रिझाने के लिए उस पर डोरे डालने लगा. पहले दोनों में मौखिक छेड़छाड़ शुरू हुई. फिर धीरेधीरे मगर चालाकी से दिलीप ने उस से शारीरिक छेड़छाड़ भी शुरू कर दी.

उन दिनों बबीता की उम्र 19-20 साल थी. उस के तनमन में यौवन का हाहाकारी सैलाब थमा हुआ था. दिलीप की कामुक हरकतों से उसे भी आनंद की अनुभूति होने लगी. दिलीप को छेड़ने पर वह उस का विरोध करने के बजाय मुसकरा देती. इस से दिलीप का हौसला बढ़ता गया. बबीता भी दिलीप में रुचि लेने लगी. फिर एक दिन मौका मिलने पर दोनों ने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं.

साली के शरीर को पा कर जहां दिलीप की प्रसन्नता का पारावार न था, वहीं बबीता को प्रसन्नता के साथ ग्लानि भी थी. उस ने कहा, ‘‘जीजाजी, यह अच्छा नहीं हुआ. तुम्हारे साथ मैं भी बहक गई.’’

‘‘तो इस में बुरा क्या है?’’

‘‘बुरा यह है कि मैं ने बड़ी बहन के हक पर अपना हक जमा लिया. यह पाप है.’’ वह बोली.

‘‘प्यार में पापपुण्य नहीं देखा जाता. भूल जाओ कि तुम ने कुछ गलत किया है. बबली का जो हक है, वह उसे मिलता रहेगा.’’ कहते हुए दिलीप ने बबीता को फिर से बांहों में समेटा तो वह भी अच्छाबुरा भूल कर उस से लिपट गई.

उसी दिन से दोनों के पतन की राह खुल गई. देर रात जब बबली सो जाती तो बबीता दिलीप के बिस्तर पर पहुंच जाती फिर दोनों हसरतें पूरी करते.

बबली ने बेटे को जन्म दिया तो घर में खुशी छा गई. पति के अलावा सासससुर सभी खुश थे. कुछ समय बाद बबली ने महसूस किया कि छोटी बहन बबीता उस के पति से कुछ ज्यादा ही नजदीकियां बढ़ा रही है. उस ने उस पर नजर रखनी शुरू की तो सच सामने आ गया.

उस ने नाजायज रिश्तों का विरोध किया तो दिलीप व बबीता दोनों ही उस पर हावी हो गए. तब बबली ने बबीता को घर वापस भेजने का प्रयास किया लेकिन दिलीप ने उसे नहीं जाने दिया.

एक रात जब बबली ने पति को छोटी बहन के साथ बिस्तर पर रंगेहाथ पकड़ा तो दिलीप बोला कि वे एकदूसरे को प्यार करते हैं और जल्द ही शादी भी कर लेंगे. यदि उस ने विरोध किया तो वह उसे घर से निकाल देगा.

इस धमकी से बबली डर गई. अब वह डरसहमी रहने लगी. बबली का विरोध कम हुआ तो दिलीप और बबीता खुल्लमखुल्ला रासलीला रचाने लगे. इसी बीच चोरीछिपे दिलीप ने बबीता के साथ आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली और उसे पत्नी का दरजा दे दिया.

डा. बृजलाल सिंह को जब दामाद की इस नापाक हरकत का पता चला तो वह किसी तरह बबीता को घर ले आए. घर पर मां ने उसे समझाया और बहन का घर न उजाड़ने की नसीहत दी.

लेकिन बबीता जीजा के प्यार में इस कदर डूब चुकी थी कि उसे मां की नसीहत अच्छी नहीं लगी. उस ने मां से साफ कह दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह दिलीप का साथ नहीं छोड़ेगी.

डा. बृजपाल सिंह ने बड़ी बेटी बबली का घर टूटने से बचाने के लिए पुलिस में दिलीप की शिकायत की. जांच के दौरान पुलिस ने बबीता का बयान दर्ज किया.

बबीता ने तब हलफनामा दे कर कहा कि उस ने दिलीप से आर्यसमाज में शादी कर ली है. अब वह उस की पत्नी है और उसी के साथ रहना चाहती है. मांबाप उसे बंधक बनाए हैं. बबीता के इस बयान के बाद डा. बृजपाल मायूस हो गए. इस के बाद बबीता दिलीप के साथ चली गई.

‘माया’ जाल में फंसा पति – भाग 4

लोहदा गांव में रहने वाला 27 वर्षीय टुल्लू लोध उर्फ रज्जन राजपूत मकानों में टाइल्स लगाने का काम करता था. उस के परिवार में मातापिता के अलावा एक भाई व दो बहनें थीं. बहनों की शादी हो चुकी थी. जबकि छोटा भाई लल्लन अभी कुंवारा था. कई साल पहले टुल्लू की दोस्ती गांव के ही शिवलोचन से हो गई थी.

दोनों ही शराब पीने के शौकीन थे. सो दोस्ती की शुरुआत भी शराब के ठेके से हुई. टुल्लू और शिवलोचन ने एक बार साथ बैठ कर शराब पी तो जल्द ही उन की दोस्ती पारिवारिक संबंधों में तब्दील हो गई. दोनों एकदूसरे के घर आनेजाने लगे. कई बार दोनों का खानापीना भी साथसाथ होता था.

दरअसल, टुल्लू की शिवलोचन से गहरी दोस्ती की असली वजह उस की खूबसूरत और जवान पत्नी माया थी, जिसे वह भाभी कह कर बुलाता था. माया अल्हड़ और चंचल स्वभाव की औरत थी. टुल्लू को माया पहली ही नजर में भा गई थी. उस ने माया की नजरों में दिखाई देने वाली प्यास को पढ़ लिया था.

टुल्लू का शिवलोचन के घर आनाजाना शुरू हुआ तो जल्दी ही यह सिलसिला शिवलोचन की अनुपस्थिति में भीचलने लगा.एक तरफ माया की जवानी उफान मार रही थी, जबकि दूसरी ओर उस का पति शिवलोचन काफीकाफी दिनों तक घर से दूर रहता था. माया उम्र के उस दौर से गुजर रही थी जब औरत को हर रात मर्द के साथ की जरूरत होती है.

टुल्लू ने पति से दूर रह रही और पुरुष संसर्ग के लिए तरसती माया के आंचल में अपने प्यार और हमदर्दी की बूंदें उडे़ली तो माया निहाल हो गई. जल्दी ही दोनों के बीच नाजायज रिश्ते बन गए. माया, टुल्लू के प्यार में ऐसी दीवानी हुई कि दोनों के बीच रोज शारीरिक संबंध बनने लगे. शिवलोचन काफीकाफी दिनों तक घर के बाहर रहता था. रोकटोक करने वाला कोई नहीं था.

लेदे कर घर में एक सास थी जो अकसर माया के पास आ कर रहने लगती थी. लेकिन टुल्लू से संबंध बनने के बाद माया ने सास चुनकी देवी से भी लड़ाईझगड़ा शुरू कर दिया था, फलस्वरूप सास उस के मकान पर न आ कर ज्यादातर अपने पैतृक घर में रहती थी. माया ने ऐसा इसलिए किया था ताकि टुल्लू रात में उस के पास बेरोकटोक आ जा सके.

मूलरूप से ग्राम देवरी पंधी, जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ की रहने वाली माया की पहली शादी 13 साल पहले उस के मायके में ही एक युवक से हुई थी. लेकिन शादी के एक साल बाद ही पति ने गलत चालचलन का आरोप लगा कर उसे छोड़ दिया था. 2008 में शिवलोचन अपने एक परिचित के साथ किसी काम से माया के गांव देवरी पंधी गया था.

वहां बातोंबातों में किसी ने जब उस से पूछा कि उस ने शादी क्यों नहीं की तो शिवलोचन ने बता दिया कि अभी तक कोई अच्छी लड़की नहीं मिली. उस परिचित ने शिवलोचन से कहा कि अगर वह कुछ रुपए खर्च करे तो वह अपने गांव की एक तलाकशुदा लड़की से उस की शादी करा देगा.

शिवलोचन की उम्र बढ़ रही थी. उसे भी एक जीवनसाथी की जरूरत थी. वह पैसा खर्चने को तैयार हो गया तो उस परिचित ने शिवलोचन को माया के घर ले जा कर उस के परिवार व माया से मिलवा दिया. शिवलोचन को माया पसंद आ गई. माया के घर और परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी.

लिहाजा बिचौलिया बने परिचित ने माया के पिता को कुछ रकम दे कर जब शिवलोचन का माया से विवाह करने की बात चलाई तोवह तुरंत राजी हो गया. इस के बाद चट मंगनी पट विवाह की रस्म अदा कर के शिवलोचन माया को पत्नी बना कर अपने घर ले आया. वक्त हंसीखुशी गुजरने लगा. माया से उसे 2 बेटे हुए प्रमांशु (6) और 8 वर्षीय हिमांशु.

शिवलोचन काफीकाफी दिनों तक परिवार से दूर रह कर इसलिए जी तोड़ मेहनत करता था ताकि पत्नी व बच्चों का भविष्य संवार सके. उसे क्या पता था कि उस की गैरहाजिरी में माया उसी के दोस्त के साथ रंगरेलियां मनाती है.

बात पिछले साल दीवाली के बाद तब बिगड़ी, जब नवंबर में शिवलोचन छुट्टी ले कर घर आया. घर में उस के हाथ एक ऐसा फोटो लगा, जिसे देख कर उस का माथा ठनक गया. दरअसल, फोटो माया और टुल्लू का था, जिस में दोनों एक साथ थे.

शिवलोचन ने उस फोटो को देखने के बाद पहली बार माया पर हाथ उठाया. उसी शाम जब टुल्लू उस के घर आया तो उस ने उस की भी पिटाई कर दी.बात इतनी बढ़ी कि मामला थाने तक जा पहुंचा. गांव के बड़े बुजुर्ग और समझदार लोग भी थाने पहुंचे.

दरअसल, काफी दिनों से लोग शिवलोचन से शिकायत कर रहे थे कि उस की गैरमौजूदगी में टुल्लू उस के घर आताजाता है और वह अकसर रात को भी उस के घर में ही रहता है. शिवलोचन ने जब यह बात माया से पूछी तो उस ने ऐसे आरोपों को गलत बताया.

लेकिन जब शिवलोचन ने दोनों की एक साथ फोटो देखी तो वह समझ गया कि गांव के लोग जो कहते हैं, वह गलत नहीं है. बहरहाल, उस समय पुलिस ने बड़े बुजुर्गों के बीच बचाव के बाद शिवलोचन और टुल्लू में समझौता करा दिया. साथ ही टुल्लू को माया से न मिलने और उस के घर न जाने की हिदायत भी दी. लेकिन इस के बावजूद टुल्लू और माया का मिलना बदस्तूर जारी रहा.

काम के सिलसिले में शिवलोचन को अकसर घर से बाहर रहना पड़ता था जबकि माया को टुल्लू के संग साथ की जो लत लग चुकी थी, उस ने दोनों को एकदूसरे से दूर नहीं होने दिया.

दूसरी ओर शिवलोचन ने माया और टुल्लू की निगरानी शुरू कर दी थी. उस ने गांव के अपने एक दो हम उम्र दोस्तों से कह दिया था कि वे माया और टुल्लू पर नजर रखें.

जब उसे पता चला कि दोनों के बीच मिलनाजुलना अब भी बदस्तूर जारी है तो उस ने माया से मिल कर इस समस्या को खत्म करने का फैसला किया. इस के लिए वह 4 नवंबर को अपने घर आया. उस ने माया और टुल्लू के मेलजोल की बात को ले कर पत्नी की पिटाई कर दी. शाम को वह घर में ही शराब पी कर सो गया.