Extramarital Affair : गन्ने के खेत में बुला कर पत्नी ने कराई हत्या

Extramarital Affair : पतिपत्नी के बीच सब से बड़ी डोर विश्वास होती है, जिस के सहारे घरगृहस्थी चलती है. इसी विश्वास के नाते लाखों लोग घर से सैकड़ोंहजारों किलोमीटर दूर नौकरियां करते हैं. लेकिन जब किसी तीसरे की वजह से विश्वास की डोर कमजोर पड़ती है तो कई जिंदगियों में जलजला सा…

जिला मुरादाबाद से करीब 19 किलोमीटर दूर है थाना मूंढापांडे. इसी थाना क्षेत्र का एक गांव है जैतपुर विशाहट. रोहित सिंह इसी गांव का मूल निवासी था. वैसे वह अपनी पत्नी अन्नू के साथ मुरादाबाद शहर में रहता था. मुरादाबाद की पीतल बस्ती के कमल विहार में उस ने 400 वर्गगज में अपना मकान बनवा रखा था. रोहित पेशे से ट्रक ड्राइवर था और बरेली की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी करता था. रोहित हफ्ते में कम से कम एक बार अपने गांव जैतपुर जरूर जाता था. गांव में उस के पिता सत्यभान सिंह परिवार के साथ रहते थे. रोहित का गांव मूंढापांडे कस्बे से करीब 6 किलोमीटर दूर था, इसलिए वह गांव से बाइक से मूंढापांडे तक आता था और वहां पर भारतीय स्टेट बैंक के पास एक मोटर मैकेनिक की दुकान पर बाइक खड़ी कर के बस से बरेली चला जाता था.

23 अगस्त, 2020 को रोहित बरेली जाने के लिए अपने गांव जैतपुर विशाहट से दोपहर करीब 12 बजे बाइक ले कर  निकला. रात करीब 8 बजे रोहित के पिता सत्यभान सिंह ने रोहित को फोन किया तो उस का फोन बंद मिला. पिता ने उसे कई बार फोन मिलाया लेकिन हर बार फोन बंद मिला. ऐसा कभी नहीं होता था, इसलिए फोन न मिलने से सत्यभान सिंह चिंतित हुए. उन्होंने बरेली की उस ट्रांसपोर्ट कंपनी में फोन किया, जहां रोहित नौकरी करता था. पता चला रोहित उस दिन अपनी ड्यूटी पर पहुंचा ही नहीं था. सत्यभान परेशान हो गए. उन्होंने मुरादाबाद में रह रही रोहित की पत्नी अन्नू से पूछा तो उस ने  बताया कि वह मुरादाबाद नहीं आए, अपनी ड्यूटी पर ही होंगे. जबकि रोहित ड्यूटी पर नहीं पहुंचा था.

बेटे की चिंता में सत्यभान और उन के घर वालों को रात भर नींद नहीं आई. सुबह होने पर वह उस मोटर मैकेनिक की दुकान पर पहुंचे, जहां रोहित अपनी बाइक खड़ी किया करता था. मैकेनिक ने बताया कि रोहित ने उस के यहां बाइक खड़ी नहीं की थी और न ही आया था. उधर अन्नू भी पति का फोन बंद मिनने से परेशान थी. अपनी चिंता वह ससुर से व्यक्त कर रही थी. सत्यभान ने अपने तमाम रिश्तेदारों के यहां भी फोन कर के रोहित के बारे में  पता किया, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. अंतत: सत्यभान ने 24 अगस्त, 2020 को थाना मूंढापांडे में बेटे रोहित की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थानाप्रभारी नवाब सिंह ने गुमशुदगी दर्ज होने के बाद जरूरी काररवाई  शुरू कर दी.

2 दिन हो गए, रोहित का कहीं पता नहीं चला. घरवाले उस की चिंता में परेशान थे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें. 25 अगस्त, 2020 मंगलवार  के अखबारों में अमरोहा देहात थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की लाश मिलने की खबर छपी. लाश गांव कंकरसराय के गन्ने के एक खेत से मिली थी. उस का सिर कुचला हुआ था. सत्यभान के एक रिश्तेदार अमरोहा में रहते थे. रिश्तेदार ने सत्यभान को गन्ने के खेत में लाश मिली होने की जानकारी दी. साथ ही यह भी बताया कि मृतक के हाथ पर रोहित लिखा हुआ है, इसलिए आप अमरोहा देहात थाने आ कर लाश देख लें.

खबर मिलते ही सत्यभान सिंह 26 अगस्त को परिवार के लोगों के साथ अमरोहा देहात थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी ने सत्यभान को बरामद लाश के फोटो व कपड़े दिखाए. कपड़ों से सत्यभान ने पहचान लिया कि कपड़े उन के बेटे रोहित के हैं. थानाप्रभारी लाश की शिनाख्त के लिए उन्हें जिला अस्पताल ले गए. मोर्चरी में रखी लाश देखते ही सत्यभान फूटफूट कर रोने लगे. वह लाश उन के बेटे रोहित की ही थी. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने राहत की सांस ली. पोस्टमार्टम हो जाने के बाद लाश उसी दिन मृतक के घर वालों को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम में पता चला कि रोहित की मौत गला दबाने से हुई थी. इस के अलावा उस के सिर और लिंग को ईंट से बुरी तरह कुचला गया था. चूंकि गुमशुदगी का मामला थाना मूंढापांडे में दर्ज हुआ था, इसलिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट थाना मूंढापांडे पुलिस के पास आ गई.

थानाप्रभारी नवाब सिंह मामले को सुलझाने में जुट गए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचे कि हत्यारे की मृतक रोहित से कोई गहरी दुश्मनी थी, इसलिए उस ने इतनी क्रूरता दिखाई. उन्होंने मृतक के पिता से पूछा कि उन की किसी से कोई रंजिश वगैरह तो नहीं है? अगर उन्हें किसी पर कोई शक हो तो बता दें. सत्यभान सिंह ने मुरादाबाद की पीतल बस्ती के कमल विहार निवासी अजय पाल व 2 अन्य लोगों पर शक जताया. इस के बाद थानाप्रभारी ने एक टीम गठित की और 28 अगस्त को नामजद आरोपी अजय पाल और उस के साथी कुलदीप सैनी को मुरादाबाद स्थित उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया. उन दोनों से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने मान लिया कि रोहित की हत्या उन्होंने ही की थी और यह सब कुछ मृतक की पत्नी अन्नू के इशारे पर किया था.

पुलिस ने अन्नू और अजय पाल के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि घटना के दिन दोनों ने आपस में कई बार बात की थी और एकदूसरे को मैसेज भी भेजे थे. दोनों से पूछताछ के बाद रोहित की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी. करीब 10 साल पहले रोहित सिंह की शादी संभल जिले के गांव भोजपुर की अन्नू के साथ हुई थी. उस समय रोहित मुरादाबाद में आटोरिक्शा चलाया करता था. रोहित का गांव मुरादाबाद शहर से करीब 19 किलोमीटर दूर था, इसलिए उसे रोजाना आनेजाने में परेशानी होती थी. इस परेशानी से बचने के लिए उस ने मुरादाबाद की पीतल बस्ती में 400 वर्गगज का एक प्लौट खरीद लिया.

5 साल पहले उस ने प्लौट पर अपना मकान बनवा लिया. उस की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी. उस के 2 बच्चे थे, एक बेटा और एक बेटी. रोहित का एक दोस्त था अजय पाल. वह भी मुरादाबाद में आटोरिक्शा चलाता था. इसलिए दोनों की दोस्ती हो गई थी. शाम को दोनों अकसर साथ बैठ कर शराब पीते थे. अजय पाल का रोहित के घर आनाजाना लगा रहता था. बाद में रोहित सिंह की बरेली की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी लग गई. वह ट्रांसपोर्ट कंपनी का ट्रक चलाता था, जिस की वजह से वह कईकई दिन बाद घर लौटता था. उसी दौरान अजय पाल के रोहित की पत्नी अन्नू से अवैध संबंध बन गए. पति की गैरमौजूदगी में अन्नू अपने प्रेमी के साथ खूब मौजमस्ती करती थी. उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था, इसलिए किसी का डर भी नहीं था.

रोहित जब बरेली से घर लौटता तो पत्नी को फोन कर के सूचना दे देता था. अन्नू सतर्क हो जाती और प्रेमी से भी सतर्क रहने के लिए कह देती थी. घर लौटने के बाद रोहित की अपने दोस्त अजय पाल के साथ महफिल सजती थी. रोहित दोस्त पर विश्वास करता था, यह अलग बात थी कि वही दोस्त विश्वास की आड़ में उस के घर में सेंध लगा चुका था. 2-3 दिन घर रुकने के बाद रोहित मातापिता से मिलने अपने गांव जैतपुर वशाहट जाता और फिर अगले दिन वहीं से ड्यूटी पर बरेली चला जाता था. उधर अन्नू और अजय पाल के संबंध गहरे होते जा रहे थे. उन्होंने जीवन भर साथ रहने की कसम खा ली थी. अजय अन्नू पर घर से भाग चलने का दबाव डालता था, लेकिन अन्नू घर से भागने को मना कर देती. वह कहती थी कि घर से भागने की जरूरत क्या है, यदि रोहित का काम तमाम कर दो तो रास्ता अपने आप साफ हो जाएगा.

अन्नू के प्यार में अंधे हो चुके अजय पाल को प्रेमिका की यह सलाह बहुत अच्छी लगी. उस ने अन्नू से वादा कर दिया कि वह रोहित का काम तमाम करा देगा. इस के बाद अन्नू और अजय पाल ने रोहित को ठिकाने लगाने की योजना बनानी शुरू कर दी. अजय ने इस बारे में अपने दोस्त कुलदीप सैनी से बात की. वह भी अजय का साथ देने को तैयार हो गया. फिर वे उचित मौके का इंतजार करने लगे. 23 अगस्त, 2020 को उन्हें यह मौका मिल गया. क्योंकि उस दिन रोहित ड्यूटी से अपने घर मुरादाबाद आया हुआ था और उसी दिन उसे मुरादाबाद से अपने गांव जैतपुर वशाहट जाना था. सुबह 9 बजे नाश्ता करने के बाद वह बाइक से गांव जाने के लिए निकल गया.

अन्नू ने यह जानकारी फोन से अजय को दे दी. योजना के अनुसार अजय पाल अपने साथी कुलदीप सैनी को ले कर पीतल बस्ती के आगे गुलाबबाड़ी में सड़क किनारे खड़े हो कर रोहित के आने का इंतजार करने लगा. रोहित वहां पहुंचा तो अजय ने हाथ दे कर उस की बाइक रुकवाई. अजय ने कुलदीप का परिचय रोहित से कराते हुए कहा कि इस की बहन मूंढापांडे में रहती है. हम लोग वहीं जा रहे हैं. तुम हमें मूंढापांडे छोड़ कर अपने गांव निकल जाना. रोहित दोस्त की बात नहीं टाल सका. वह दोनों को अपनी बाइक पर बैठा कर चल दिया. अजय पाल और कुलदीप को मूंढापांडे छोड़ने के बाद रोहित अपने गांव जैतपुर विशाहट चला गया. उस ने अजय को बता दिया कि वह मातापिता से मिलने के बाद आज ही ड्यूटी पर बरेली चला जाएगा. उस का गांव मूंढापांडे से करीब 6 किलोमीटर दूर था.

अजय पाल को अपनी योजना को अंजाम देना था, इसलिए वह मूंढापांडे में ही रोहित के लौटने का इंतजार करने लगा. अजय को यह बात पता थी कि रोहित अपनी बाइक मूंढापांडे में एक मैकेनिक के पास खड़ी कर के बस से बरेली जाता है, इसलिए अजय और कुलदीप उस के आने का इंतजार करने लगे. मातापिता से मिलने के बाद रोहित ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकल गया. उसे अपनी बाइक मैकेनिक के पास खड़ी करनी थी, लेकिन उस से पहले ही रास्ते में उसे अजय पाल और कुलदीप  खड़े मिले. उन्हें देखते ही रोहित ने बाइक  रोक दी. उस ने पूछा, ‘‘तुम लोग अभी तक यहीं हो.’’

‘‘हां, हम तुम्हारे आने का इंतजार कर रहे थे.’’ अजय बोला.

‘‘क्यों, क्या कोई खास बात है?’’ रोहित ने पूछा.

‘‘हां भाई, बात खास है तभी तो तुम्हारा इंतजार कर रहे थे.’’ अजय ने कहा.

‘‘बताओ क्या बात है?’’

‘‘रोहित बात यह है कि यहां पर कुलदीप के किसी के पास मोटे पैसे फंसे हुए थे. आज सारे पैसे मिल गए. इसलिए हम लोग बहुत खुश हैं और इसी खुशी में आज पार्टी करना चाहते हैं.’’ अजय बोला.

‘‘नहीं यार, अभी तो मैं ड्यूटी पर जा रहा हूं. फिर कभी पार्टी कर लेंगे.’’

‘‘अरे यार, एकएक पेग लेने में क्या बुराई है.’’ अजय ने जोर डाला.

रोहित अपने दोस्त की बात को टाल नहीं सका. तभी अजय का दोस्त कुलदीप सैनी एक बोतल और पकौड़े ले आया. तीनों ने पकौड़े के ठेले पर ही शराब पीनी शुरू कर दी. रोहित पर नशा ज्यादा चढ़ गया तो वह बोला, ‘‘आज मैं ड्यूटी नहीं जाऊंगा.’’ वे तीनों बाइक से दलपतपुर जीरो पौइंट हाइवे पर आ गए. हाइवे से सटा हुआ एक गांव है मछरिया. वहीं पर कुलदीप ने रोहित का मोबाइल ले कर उस की बैटरी निकाल दी, ताकि उस का किसी से संपर्क न हो सके.

इस के बाद तीनों हाइवे से होते हुए कस्बा पाकवड़ा पहुंचे. पाकवड़ा में तीनों ने फिर शराब पी और खाना खाया. खाना खाने के बाद रोहित ने घर चलने को कहा तो अजय बोला, ‘‘अभी चलते हैं. हमें अमरोहा में कुछ जरूरी काम है. अमरोहा यहां से थोड़ी ही दूर है. बस, काम निपटा कर आ जाएंगे.’’

अजय और कुलदीप अपनी योजना के अनुसार रोहित को अमरोहा ले गए. रात करीब 10 बजे तीनों अमरोहा देहात के गांव कंकरसराय पहुंचे. उस समय तक रोहित को ज्यादा नशा चढ़ चुका था. नशे की हालत में दोनों उसे गन्ने के खेत में ले गए और गला दबा कर उस की हत्या कर दी. रोहित की हत्या करने के बाद उन्होंने उस का सिर ईंट से कुचल दिया, जिस से उस का चेहरा पहचान में न आ सके. इस के अलावा उन्होंने उस के लिंग को भी ईंट से कुचल दिया. हत्या से पहले अजय के मोबाइल पर रोहित की पत्नी अन्नू का फोन आया था. अंजू ने उस से कहा था कि किसी भी हालत में रोहित को जिंदा मत छोड़ना.

मरने से पहले रोहित दोनों के सामने गिड़गिड़ाया था कि यार मुझ से क्या गलती हो गई, मुझे क्यों मार रहे हो लेकिन उन का दिल नहीं पसीजा. कुलदीप ने रोहित की टांगें पकड़ लीं और अजय ने गला दबा कर उस की हत्या कर दी थी. अजय ने हत्या की जानकारी अन्नू को दे दी थी. हत्यारों को  विश्वास था कि यहां रोहित की लाश कुछ दिनों में सड़गल जाएगी और पुलिस उन तक कभी नहीं पहुंचेगी लेकिन उन की यह सोच गलत साबित हुई. वे पुलिस के हत्थे चढ़ ही गए. अभियुक्त अजय पाल और कुलदीप सैनी से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें रोहित की हत्या कर शव छिपाने के आरोप में गिरफ्तार कर 28 अगस्त, 2020 को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया.

इस मामले में मृतक रोहित की पत्नी अन्नू का भी हाथ था, इसलिए पुलिस ने 29 अगस्त को अन्नू को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में अन्नू ने भी अपना गुनाह कबूल कर लिया. पुलिस ने उसे भी न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Stories : पत्नी ने पति को लॉकअप में बंद करने की दी धमकी तो पति ने कर दी हत्या

Crime Stories : मानव मन की मनमानी उड़ान तभी तक ठीक होती है, जब तक मर्यादा में रहे. जबजब मन की उड़ान ने मर्यादाओं की देहरी को लांघा, तबतब वजूद मिटे हैं. प्रियंका ने भी…

प्रियंका कानपुर जिले के गांव मझावन निवासी राजकुमार विश्वकर्मा की सब से छोटी बेटी थी. सन 2015 में उस की शादी अशोक विश्वकर्मा से हो गई. अशोक कानपुर शहर की इंदिरा बस्ती में किराए के मकान में रहता था और लोडर चलाता था. खूबसूरत पत्नी पा कर अशोक अपने को खुशकिस्मत समझ रहा था, जबकि प्रियंका दुबलेपतले सांवले अशोक को पा कर मन ही मन अपनी बदकिस्मती पर रोती थी. पत्नी खूबसूरत हो, तो पति उस के हुस्न का गुलाम बन जाता है. अशोक भी प्रियंका का शैदाई बन गया. प्रियंका ने अशोक की कमजोरी का फायदा उठा कर उसे अपनी अंगुलियों पर नचाना शुरू कर दिया. वह सुबह 8 बजे घर से निकलता और फिर रात 8 बजे ही घर लौटता था. वह पूरी पगार प्रियंका के हाथ पर रख देता था.

अशोक मूलरूप से सरसौल का रहने वाला था. उस के 2 भाई सर्वेश व कमलेश थे. मातापिता की मृत्यु के बाद तीनोें भाइयों में घर, खेत का बंटवारा हो गया था. कमलेश खेती करता था, जबकि सर्वेश प्राइवेट नौकरी कर रहा था. अशोक की अपने भाई कमलेश से नहीं पटती थी, इसलिए अशोक ने अपने हिस्से की जमीन बंटाई पर दे रखी थी. घर में प्रियंका को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. पहली बात तो यह थी कि पति कम कमाता था, ऊपर से वह स्मार्ट भी नहीं था. अत: वह पत्नी के दबाव में रहता था. प्रियंका को सिर्फ इस बात की खुशी थी कि पति उस की जीहुजूरी करता है. अपनी दूसरी हसरतें पूरी न हो पाने की वजह से वह मन ही मन खिन्न रहती थी.

अशोक विश्वकर्मा का एक दोस्त था राकेश. हृष्टपुष्ट, हंसमुख व स्मार्ट. वह बिजली मेकैनिक था. किदवई नगर में वह रामा इलैक्ट्रिकल्स की दुकान पर काम करता था. जिस दिन अशोक काम पर नहीं जाता था, उस दिन वह दुकान पर पहुंच जाता. दोनों खातेपीते और खूब बतियाते. खानेपीने का इंतजाम राकेश ही करता था. एक सुबह अशोक ड्यूटी पर जाने को निकला, तो राकेश को कह गया कि उस के घर की बिजली बारबार चली जाती है, जा कर फाल्ट देख आए. दोपहर को समय निकाल कर राकेश, अशोक के घर पहुंचा, तो उस समय भी बिजली नहीं आ रही थी. गरमी के दिन थे और उमस भी खूब हो रही थी. पसीने से बेहाल प्रियंका अपनी साड़ी के आंचल को ही पंखा बना कर हवा कर रही थी. उस का खुला वक्षस्थल राकेश की आंखों के आगे कामना की रोशनी बिखेरने लगा.

राकेश को आया देख कर प्रियंका ने आंचल संभाला और चहकती हुई बोली, ‘‘वाह देवर जी, शादी के दिन दिखे, उस के बाद कभी घर नहीं आए.’’

‘‘अब आ तो गया हूं, भाभी.’’ राकेश मुसकराया.

‘‘वह तो बिजली ठीक करने आए हो, तुम्हारे पास हम जैसे गरीबों से मिलने का वक्त कहां है.’’

‘‘ऐसी बात नहीं है भाभी, काम में इतना व्यस्त रहता हूं कि समय नहीं मिलता. फिर भैया से कभीकभी मुलाकात हो ही जाती है.’’

राकेश ने अपने औजारों का थैला टेबल पर रखा और बिजली की लाइन पर नजर डाली, ‘‘भाभी एक स्टूल तो दो.’’

प्रियंका फटाफट स्टूल ले आई. स्टूल रखने को वह झुकी, तो आंचल गिर गया. एक बार फिर से राकेश की आंखों में हुस्न की चांदनी कौंधी. प्रियंका ने आंचल संभाला फिर हंसती हुई बोली, ‘‘मैं तो तंग आ गई हूं इस बिजली से. कभीकभी रात को 2-2 घंटे अंधेरे में रहना पड़ता है.’’

राकेश ने टकटकी लगा कर प्रियंका की आंखों में देखा, ‘‘शादी वाले दिन तो आप को ठीक से देखा नहीं था. खूबसूरत तो तब भी थी आप, पर अब तो आप के हुस्न में गजब का निखार आ गया है. आप तो खुद ही रोशनी का खजाना हैं, आप के आगे बिजली की क्या हैसियत?’’

राकेश ने प्रशंसा का पुल बना कर प्रियंका के दिल में घुसपैठ करनी चाही.

‘‘हटो, बहुत मजाक करते हो तुम.’’ प्रियंका हया से लजाई, ‘‘फटाफट लाइन जोड़ दो. देखो मैं पसीने से भीगी जा रही हूं.’’

राकेश ने लाइन जोड़ कर स्विच औन किया तो पंखा चल पड़ा और कमरा रोशनी से भर गया. प्रियंका ने प्रशंसा भरी निगाहों से उसे देखा और बोली, ‘‘मैं तुम्हारे लिए शरबत बनाती हूं.’’

प्रियंका ने प्यार से राकेश को शरबत पिलाया. दोनों के बीच कुछ देर बातें हुईं फिर राकेश सामान थैले में रख कर जाने लगा तो प्रियंका ने पूछा, ‘‘अच्छा ये तो बताओ, कितने पैसे हुए?’’

‘‘किस बात के?’’

‘‘अरे तुम ने बिजली ठीक की है.’’

‘‘अच्छा भाभी, अपनों से भी कोई पैसे लेता है. एक मिनट में बेगाना बना दिया. देना ही है तो कोई ईनाम दो.’’ राकेश के होंठों पर अर्थपूर्ण मुसकान तैरने लगी.

‘‘मांगो क्या चाहिए?’’

‘‘तुम्हारा प्यार चाहिए भाभी. पहली ही नजर में तुम मेरी आंखों में रचबस गई हो.’’

‘‘धत पहली ही बार में सब कुछ पा लेना चाहते हो.’’ कह कर प्रियंका ने नजरें झुका लीं.

‘‘ठीक है, दूसरी बार में पा लूंगा. जब मुझे ईनाम देने का मन हो फोन कर के बुला लेना.’’ राकेश ने एक पर्चे पर अपना मोबाइल नंबर लिख कर प्रियंका को दे दिया. उस के बाद अपना थैला उठाया और फिर चला गया.

जब राकेश अपने प्यार का ट्रेलर दिखा गया, तो प्रियंका के कदम क्यों नहीं बहकते. पूरी रात वह राकेश के बारे में सोचती रही. अभी एक सप्ताह भी न बीता था कि प्रियंका ने राकेश का नंबर मिला दिया. उस ने फोन उठाया तो प्रियंका ने खनकती आवाज में झूठ बोला, ‘‘बिजली फिर चली गई है, ठीक कर जाओ.’’

राकेश इसी इंतजार में बैठा था. उस ने भी सांकेतिक शब्दों में कहा, ‘‘ठीक है भाभी, अपने हुस्न की रोशनी बिखेर कर रखो. मै अभी आ रहा हूं.’’

राकेश दोस्त के घर पहुंचा तो बिजली आ रही थी. उस ने चाहत भरी नजरों से प्रियंका को देखा, जो मंदमंद मुसकरा रही थी. राकेश ने पूछा, ‘‘भाभी, झूठ क्यों बोला?’’

‘‘झूठ कहां बोला,’’ प्रियंका ने मदभरी नजरों से उसे देखा, ‘‘बत्ती आ रही है पर मेरे मन में अंधेरा है. पंखा चल रहा है, पर मैं अंदर से पसीने से तर हूं.’’

खुला आमंत्रण पा कर राकेश 2 कदम आगे बढ़ा और प्रियंका को अपनी बांहों में भर लिया. फिर तो कमरे में अनीति का अंधेरा गहराता चला गया. प्रियंका की चूडि़यां राकेश की पीठ पर बजने लगीं और दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. अविवाहित राकेश ने पहली बार यह सुख पाया था. इसलिए वह तो निहाल हो ही गया. प्रियंका भी राकेश की कायल हो गई. थकी सांसों वाले अशोक से वह पहले ही ऊब गई थी, राकेश का साथ मिला तो प्रियंका अपनी सारी मर्यादा भूल गई. अवैध संबंधों का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो वक्त के साथ बढ़ता ही गया. जिस रात अशोक लोडर पर माल लाद कर दूसरे शहर जाता, उस रात प्रियंका फोन कर राकेश को घर बुला लेती फिर रात भर दोनों रंगरलियां मनाते.

अशोक को इस बात की भनक भी नहीं थी कि उस का दोस्त उस की बीवी का बिस्तर सजा रहा है. राकेश का बारबार अशोक के घर आना पासपड़ोस के लोगों को खलने लगा. उन के बीच कानाफूसी होने लगी कि राकेश और अशोक की बीवी प्रियंका के बीच नाजायज रिश्ता है. एक कान से दूसरे कान होते हुए जब यह बात अशोक के कानों तक पहुंची तो उस का माथा ठनका. उस ने इस बाबत प्रियंका से जवाब तलब किया तो वह साफ मुकर गई. यही नहीं वह त्रियाचरित्र दिखा कर अशोक पर ही हावी हो गई. अशोक उस समय तो चुप हो गया परंतु उस के मन में शक जरूर पैदा हो गया. अब वह घर पर नजर रखने लगा. इस का परिणाम भी जल्द ही उस के सामने आ गया.

उस रोज अशोक दोपहर को घर आया तो राकेश उस के घर की तरफ से आता दिखा. उस ने आवाज दे कर राकेश को रोकने का प्रयास भी किया. पर वह उस की आवाज अनसुनी कर स्कूटर से भाग गया. घर पहुंच कर अशोक ने पत्नी से पूछा, ‘‘प्रियंका, क्या राकेश घर आया था?’’

‘‘नहीं तो. यह तुम राकेश…राकेश क्या रटते रहते हो. क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं. क्या मैं बदचलन हूं, वेश्या हूं? हे भगवान! मुझे मौत दे दो.’’

औरत के आंसू मर्द की कमजोरी बन जाते है. जब प्रियंका आंसू बहाने लगी तो अशोक को झुकना पड़ा. उस ने वादा किया कि अब वह उस पर शक नहीं करेगा. आंसुओं से प्रियंका ने अशोक का शक तो दूर कर दिया, किंतु मन ही मन वह डर भी गई थी. उस ने राकेश को भी बता दिया कि अशोक उन दोनों पर शक करने लगा है, हमें अब सतर्कता बरतनी होगी. इंदिरा बस्ती में अशोक का एक रिश्तेदार शिव रहता था. एक रोज उस ने बताया कि राकेश उस के घर अकसर आता है. प्रियंका का उस से लगाव है. उस के आते ही प्रियंका दरवाजा बंद कर लेती है. बंद दरवाजे के पीछे क्या होता होगा, यह तो तुम भी जानते हो और मैं भी जानता हूं. इसलिए प्रियंका को समझाओ कि वह घर की इज्जत नीलाम न करे.

शिव की बात अशोक को तीर की तरह चुभी. वह शराब के ठेके पर गया और जम कर शराब पी. नशे में धुत हो कर वह घर पहुंचा और पत्नी से पूछा, ‘‘प्रियंका, सचसच बता, तेरा राकेश के साथ टांका कब से भिड़ा है?’’

‘‘नशे में तुम यह कैसी बहकीबहकी बातें कर रहे हो. मैं तुम्हें सुबह जवाब दूंगी.’’ प्रियंका बोली.

‘‘नहीं, मुझे अभी और इसी वक्त जवाब चाहिए.’’ अशोक ने जिद की.

‘‘राकेश से मेरा कोई गलत संबंध नहीं हैं.’’ प्रियंका ने सफाई दी.

‘‘साली, बेवकूफ बनाती है. पूरी बस्ती जानती है कि तू राकेश के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है. आज मैं भी जान गया, इसलिए तुझे ऐसी सजा दूंगा कि तू बरसों तक नहीं भूलेगी.’’ कहते हुए अशोक ने प्रियंका को जम कर पीटा. कहते हैं शक की विषबेल बहुत जल्दी पनपती है. अशोक के साथ भी यही हुआ. दिन पर दिन उस का शक बढ़ता गया. आए दिन दोनों के बीच कलह व मारपीट होने लगी. कभी प्रियंका भारी पड़ती तो कभी अशोक प्रियंका की देह सुजा देता. इस कलह के कारण राकेश ने प्रियंका से मिलना तथा उस के घर आना बंद कर दिया था. अशोक राकेश को भी खूब खरीखोटी सुनाता था. कई बार उस ने दुकान पर जा कर भी उसे सब के सामने जलील किया था.

9 जुलाई, 2020 की शाम अशोक को पता चला कि दोपहर में राकेश उस के घर के आसपास मंडरा रहा था. इस पर उसे शक हुआ कि वह जरूर प्रियंका से मिलने आया होगा. अत: राकेश को ले कर अशोक और प्रियंका में पहले तूतूमैंमैं हुई फिर अशोक ने प्रियंका की पिटाई कर दी. गुस्से में प्रियंका थाना किदवई नगर जा कर पति प्रताड़ना की शिकायत कर दी. शिकायत मिलते ही थानाप्रभारी धनेश कुमार ने 2 सिपाहियों को भेज कर अशोक को थाने बुलवा लिया. थाने पर उस ने सच्चाई बताई, परंतु पुलिस ने उस की एक न सुनी और हवालात में बंद कर दिया. अशोक रात भर हवालात में रहा. सुबह माफी मांगने तथा फिर झगड़ा न करने पर उसे थाने से घर जाने दिया गया.

पत्नी द्वारा थाने में बंद करवाना अशोक को नागवार लगा था. वह मन ही मन जलभुन उठा था. 10 जुलाई की सुबह जब वह घर पहुंचा तो प्रियंका पड़ोस की महिलाओं से पति को पिटवाने और बंद करवाने की शेखी बघार रही थी. पति को सामने देख कर उसे सांप सूंघ गया. वह घर के अंदर चली गई. दोपहर लगभग 12 बजे दोनों में फिर राकेश को ले कर बहस होने लगी. इसी बीच प्रियंका ने दोबारा लौकअप में बंद कराने की धमकी दी तो अशोक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने कमरे में रखी लोहे की रौड उठाई और प्रियंका पर प्रहार करने लगा. रौड के प्रहार से प्रियंका का सिर फट गया. वह चीखतेचिल्लाते घर के बाहर निकली और गली में गिर पड़ी. कुछ ही देर में उस की सांसें थम गईं. हत्या करने के बाद अशोक फरार हो गया.

मकान मालिक कमल कुमार व अन्य लोग बाहर निकले तो खून से सना प्रियंका का शव गली में पड़ा था. इस के बाद तो इंदिरा बस्ती में सनसनी फैल गई. सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ आई. इसी बीच मकान मालिक कमल कुमार ने थानाप्रभारी धनेश कुमार को इस की सूचना दे दी. थानाप्रभारी ने अपने आला अधिकारियों को इस घटना से अवगत करा दिया. कुछ ही देर में एसपी (साउथ) दीपक भूकर, तथा एसएसपी प्रीतिंदर सिंह घटनास्थल आ गए. उन्होंने शव का निरीक्षण किया फिर मकान मालिक कमल कुमार तथा अन्य लोगों से पूछताछ की. उस के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया.

चूंकि पूछताछ से यह बात साफ हो गई थी कि अशोक ने ही अपनी पत्नी प्रियंका की हत्या की है. इसलिए थानाप्रभारी धनेश कुमार ने मकान मालिक कमल कुमार की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत अशोक विश्वकर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उस की गिरफ्तारी के प्रयास में जुट गए. रात 10 बजे धनेश कुमार को पता चला कि अशोक सोंटा वाले मंदिर के पास मौजूद है. इस सूचना पर वह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए और हत्यारोपी अशोक को हिरासत में ले लिया. उसे थाना किदवई नगर लाया गया.

थाने में जब उस से प्रियंका की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने सहज ही जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं उस ने हत्या में प्रयुक्त लोहे की रौड भी बरामद करा दी, जो उस ने घर के अंदर छिपा दी थी. पूछताछ में अशोक ने बताया कि प्रियंका बदचलन थी, अपनी गलती मानने के बजाय वह उस पर हावी हो जाती थी. इसलिए उस ने गुस्से में उस की हत्या कर दी. उसे इस गुनाह की सजा का खौफ नहीं है. 11 जुलाई, 2020 को थानाप्रभारी ने अभियुक्त अशोक विश्वकर्मा को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Agra Crime News : कोल्ड ड्रिंक में कीटनाशक मिलाकर पत्नी के प्रेमी को पिलाया

Agra Crime News : कर्ज वसूलने के चक्कर में शिशुपाल का सोहनवीर के घर आनाजाना हुआ तो उसी दौरान सोहनवीर की पत्नी चंचल से उस के संबंध बन गए. इस का जो नतीजा निकला वह…

चंचल, जैसा नाम वैसा ही स्वभाव था उस 35 वर्षीय खूबसूरत नारी का. 12 वर्ष पहले उस का विवाह आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र के गांव पनवारी में रहने वाले सोहनवीर सिंह से हुआ था. सोहनवीर प्राइवेट नौकरी करता था. उस की इतनी कमाई नहीं थी कि घर का खर्च आसानी से चल पाता. चंचल इस से खुश नहीं थी लेकिन अपना भाग्य मान कर वह पति सोहनवीर के साथ निर्वाह कर रही थी. सोहनवीर पत्नी भक्त था, वह चंचल से बेइंतहा प्यार करता था. पति के इस बर्ताव ने आहिस्ताआहिस्ता चंचल के स्वभाव को बदल दिया. एक शाम जब सोहनवीर लौटा तो चंचल ने उसे हाथपैर धोने के लिए गरम पानी दिया. हाथमुंह धो कर सोहनवीर रसोई में चंचल के पास ही बैठ गया, जहां चंचल उस के लिए गरम रोटियां सेंक रही थी.

खाना खा कर सोहनवीर उठा और बैड पर जा कर लेट गया. सारा काम खत्म करने के बाद चंचल भी उस के पास आ कर बैड पर लेट गई. चंचल को पति के मुंह से शराब की गंध महसूस हुई तो बोली, ‘‘तुम ने शराब पी है?’’

‘‘हां आज ज्यादा ठंड लग रही थी इसीलिए, लेकिन कल से नहीं पीऊंगा, वादा करता हूं.’’ सोहनवीर गलती मान कर बोला.

‘‘आज माफ किए देती हूं, आइंदा शराब पी कर घर में आए तो घर में घुसने नहीं दूंगी. फिर ठंड में सारी रात बाहर ही ठिठुरते रहना, समझे.’’ चंचल ने आंखें दिखा कर कहा.

उस रात सोहनवीर ने चंचल से वादा तो किया कि दोबारा शराब को हाथ नहीं लगाएगा, लेकिन वो वादा रात के साथ ही कहीं खो गया. अगले दिन सोहनवीर शराब के नशे में घर लौटा तो पतिपत्नी के बीच कहासुनी हो गई. इस के बाद चंचल फिर से पति सोहनवीर से चिढ़ने लगी. अब सोहनवीर चंचल को जरा भी नहीं सुहाता था. वह उस से हमेशा कटीकटी रहने लगी. सोहनवीर चूंकि चंचल का पति था, इसलिए वह चाहे जैसा भी था, उसे उस के साथ रहना ही था. दिन गुजरते गए, समय पंख लगा कर उड़ने लगा. लाख कोशिशों के बाद भी चंचल सोहनवीर की शराब छुड़वा पाने में असफल रही. समय के साथ चंचल एक बेटे और एक बेटी की मां भी बन गई.

इस बीच सोहनवीर शराब का आदी हो गया था. शराब के चक्कर में उस ने कई लोगों से पैसे भी उधार लिए थे. वह पहले उधार लिए गए पैसे चुका नहीं पाता था, फिर से उधार मांगने लगता था. इसी के चलते लोगों ने उसे उधार देना बंद कर दिया था. लोग तगादा करते तो सोहनवीर उन के सामने आने से बचने लगा. इस पर लोग उस के घर के बाहर आ कर तगादा करने लगे. सोहनवीर घर नहीं होता तो लोग चंचल को ही बुराभला बोल कर चले जाते थे. चंचल चुपचाप सब के ताने सुनती, फिर दरवाजा बंद कर के रोती रहती. पति से कुछ कहती तो उस के सितम उस के जिस्म पर उभर कर दिखाई देने लगते. एक दिन दोपहर में सोहनवीर कमरे में खाना खा रहा था. तभी किसी ने जोरजोर से दरवाजे की कुंडी बजाई. सोहनवीर समझ गया कि कोई लेनदार दरवाजे पर आया है. उस ने चंचल से कहा, ‘‘तुम जा कर देखो और मुझे पूछे तो दरवाजे से ही चलता कर देना.’’

‘‘हां, यही काम तो है मुझे कि हर किसी से झूठ बोलती रहूं.’’ कह कर चंचल झल्ला कर उठी.

सोहनवीर उसे लाल आंखों से घूर रहा था. चंचल ने दरवाजा खोला तो सामने एक व्यक्ति खड़ा था. उसे देख कर चंचल ने पूछा, ‘‘आप कौन हैं?’’

‘‘मैं शिशुपाल सिंह हूं. कहां है सोहनवीर, जब से पैसा लिया है, दिखाई ही नहीं दे रहा.’’ शिशुपाल रूखे स्वर में बोला.

‘‘वो तो घर पर नहीं हैं, आप बाद में आ जाना.’’

‘‘मेरा यही काम है क्या. लोगों को पैसा दे कर भलाई करूं और जब पैसे लेने का वक्त आए तो देनदार घर से गायब मिले. कहे देता हूं, इस तरह नहीं चलेगा. अपने आदमी को कहना मेरा पैसा वापस कर दे, वरना अच्छा नहीं होगा.’’ शिशुपाल कड़क कर बोला.

‘‘आप नाराज क्यों होते हैं, वो आएंगे तो मैं बोल दूंगी. मैं ने तो आप को पहली बार देखा है.’’ चंचल बोली.

और भी हिदायतें दे कर शिशुपाल सिंह वहां से चला गया. चंचल ने दरवाजा बंद किया और फिर से आ कर रोटियां सेंकने लगी.

‘‘सारी उम्र लोगों की गालियां सुनवाते रहना लेकिन ये दारू मत छोड़ना.’’ चंचल गुस्से में पति से बोली.

‘‘ऐ तू मुझे आंखें दिखाती है, साली मैं तेरा मर्द हूं. जानती है पति परमेश्वर होता है. तू है कि मुझे ही आंखें दिखा रही है.’’ सोहनवीर चिल्ला कर बोला.

‘‘पति के अंदर परमेश्वर वाले गुण हों तभी तो. तुम में पति जैसा है कुछ.’’ चंचल बोली तो सोहनवीर उस के बाल पकड़ कर रसोई से बाहर ले आया और लातघूंसों से बुरी तरह पिटाई करने लगा. चंचल रोतीबिलखती खुद को पति के हाथों से छुड़ाती रही लेकिन सोहनवीर उसे तब तक पीटता रहा, जब तक खुद थक नहीं गया. चंचल रात भर दर्द से तड़पती रही और सोहनवीर शराब पी कर एक ओर लुढ़क गया. 3-4 दिन बाद शिशुपाल एक बार फिर से पैसों की वसूली के लिए सोहनवीर के घर आया तो इत्तेफाक से दरवाजा खुला था. शिशुपाल भीतर घुसता चला आया. चंचल आइने में देख कर बाल संवार रही थी. शिशुपाल पर नजर पड़ी तो उस ने मुसकरा कर कहा, ‘‘अरे शिशुपालजी आप! अरे आप खड़े क्यों हैं, बैठिए न.’’

शिशुपाल चुप था और एकटक चंचल की ओर देख रहा था. चंचल उस के करीब आई और कुरसी उठा कर उस की ओर सरकाते हुए बोली, ‘‘आप बैठिए, मैं आप के लिए चाय बना कर लाती हूं.’’

‘‘नहीं, मुझे चाय नहीं पीनी. मैं तो सोहनवीर से मिलने आया था. कहां है वो मेरे पैसे कब देगा?’’ शिशुपाल ने पूछा.

‘‘आप के पैसे मिल जाएंगे, चिंता मत कीजिए.’’ चंचल अब भी मुसकरा रही थी. वह रसोई में चली गई और 2 कप चाय और प्लेट में बिस्कुट, नमकीन ले आई. उस ने शिशुपाल की ओर चाय का कप बढ़ाते हुए कहा, ‘‘कितने रुपए हैं आप के?’’

‘‘आप को नहीं मालूम.’’ शिशुपाल ने कप हाथ में ले कर पूछा.

‘‘जब पति पत्नी को सारी बातें बताए, तभी उसे हर बात की जानकारी रहती है. जो आदमी पत्नी को सिवाय पैर की जूती के कुछ नहीं समझता वो…खैर जाने दीजिए मैं भी कहां आप से अपना रोना ले कर बैठ गई.’’ चंचल बोल रही थी, शिशुपाल खामोशी से उस की बातें सुन रहा था. काफी देर तक इंतजार के बाद भी सोहनवीर घर नहीं आया तो शिशुपाल जाने लगा. चंचल ने उसे थोड़ी देर और रुकने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं रुका. चंचल ने उस का मोबाइल नंबर ले लिया और बोली, ‘‘वो आएंगे तो मैं आप को फोन कर के बता दूंगी.’’

शिशुपाल वहां से चला गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि सोहनवीर की पत्नी चंचल उस पर इतनी मेहरबान क्यों हो गई. फिर उस ने सिर को झटका और सोचने लगा कि उसे तो अपने पैसे चाहिए चाहे पत्नी दे या पति. सोचता हुआ वह अपने घर पहुंच गया. शिशुपाल सिंह संपन्न किसान था. करीब 18 साल पहले उस का विवाह सीता से हुआ था. सीता से उसे 2 बेटे और एक बेटी हुई. करीब डेढ़ साल पहले आपसी विवाद के कारण सीता हमेशा के लिए घर छोड़ कर चली गई. शिशुपाल अकेला पड़ गया. गांव के लोगों को वह ब्याज पर पैसा देता था. एक दिन सोहनवीर ने उस से किसी जरूरी काम के लिए पैसे उधार मांगे तो शिशुपाल ने दे दिए. पैसे उधार मिलने के बाद सोहनवीर ने शिशुपाल की तरफ जाना ही छोड़ दिया. काफी समय बीतने के बाद सोहनवीर शिशुपाल से नहीं मिला तो शिशुपाल सोहनवीर के घर तक पहुंच गया.

सोहनवीर घर पर नहीं मिला तो चंचल ने शिशुपाल की आवभगत की. शिशुपाल उस दिन ये कह कर चला गया कि 4 दिन बाद फिर आएगा. 4 दिन गुजर गए. चंचल को आज शिशुपाल का इंतजार था. पति और बच्चे तो सुबह ही चले गए थे. उन के जाने के बाद चंचल ने घर का सारा काम खत्म किया और खुद सजसंवर कर बैठ गई. अपने बताए समय पर शिशुपाल सोहनवीर के घर पहुंच गया. दरवाजे की कुंडी खड़की तो चंचल ने घड़ी की ओर देखा, ठीक 11 बज रहे थे. चेहरे पर मुसकान बिखेर कर एक बार वह आइने के सामने आ कर मुसकराई, फिर मन ही मन लजाई, उस ने साड़ी के पल्लू से खुद को लपेटा और सामने के बालों को गोल कर गालों पर गिरा लिए. चंचल का निखरा गोरा बदन दूध की तरह दमक रहा था.

उस ने दरवाजा खोला तो सामने शिशुपाल खड़ा था. उसे देखते ही चंचल ने मुसकान बिखेरी और निगाहें नीची कर लीं. फिर आहिस्ता से बोली, ‘‘अंदर आइए न.’’

‘‘जी, सोहनवीर नहीं है क्या?’’ शिशुपाल ने हिचकिचा कर पूछा.

‘‘मैं तो हूं, आप की ही राह देख रही थी.’’ चंचल बोल पड़ी.

‘‘जी आप मेरी राह!’’ शिशुपाल चौंका तो चंचल ने बिना किसी हिचक के उसे हाथ बढ़ा कर अंदर आने का इशारा किया. शिशुपाल अंदर आ गया तो चंचल ने अंदर से कुंडी लगा दी और पलट कर शिशुपाल से बोली, ‘‘आप अभी तक खड़े हैं.’’

चंचल ने कुरसी निकाल कर देनी चाही तो शिशुपाल बोला, ‘‘आज मैं अपने पैसे ले कर ही जाऊंगा, बुलाओ सोहनवीर को जो मुंह छिपा कर बैठा है.’’

‘‘आप के तो दिमाग में दिन रात पैसा ही पैसा सवार रहता है. ये देखो कितना पैसा है मेरे पास.’’ चंचल ने स्वयं ही साड़ी का पल्लू हटा कर उस से कहा. यह देख शिशुपाल ठगा सा देखता रह गया. उस की निगाहें चंचल के तराशे हुए जिस्म पर थीं. वह अपलक देखे जा रहा था.

‘‘सचमुच सांचे में तराशा हुआ बदन है तुम्हारा.’’ शिशुपाल बोला. चंचल ने झट से पल्लू से खुद को लपेट लिया. शिशुपाल चंचल के दिल की मंशा जान चुका था. उस ने चंचल को लपक कर अपनी ओर खींचा और बाजुओं में जकड़ लिया. चंचल के सारे बदन में एक अजीब सा रोमांच उठने लगा. उस ने दोनों बांहें शिशुपाल के कंधों पर जमा लीं. शिशुपाल ने चंचल को बांहों में उठा कर पलंग पर लिटा दिया. वह सुहागन हो कर भी शादीशुदा औरत की सारी मर्यादाएं भूल कर वासना के अंधे कुंए में कूद पड़ी थी, जिस में कूदने के बाद चंचल ने असीम आनंद का अनुभव किया.

वह शिशुपाल की दीवानी हो गई. उस ने कहा, ‘‘अब बताओ इस दौलत में सुख है या फिर तुम्हारी तिजोरी वाली दौलत में?’’

‘‘सच कहूं तो मैं ने जब पहली बार तुम्हें देखा था तो तिजोरी की दौलत को भूल गया था और तुम्हारी इस दौलत का दीवाना हो गया था.’’

शिशुपाल की बांहों की गरमी पा कर चंचल को लगने लगा था कि अब उसे दुनिया की सारी खुशियां मिल गईं. चंचल अब शिशुपाल के वश में हो चुकी थी. जब जी करता दोनों एकदूसरे में समा जाते थे. 21 जुलाई, 2020 की सुबह शिशुपाल खेत से चारा लाने की बात कह कर घर से निकला लेकिन दोपहर तक नहीं लौटा. घरवालों ने उसे सभी जगह तलाशा, लेकिन कोई पता नहीं चला. कई दिन बाद भी जब शिशुपाल का पता नहीं लगा तो उस के भाई नवल सिंह ने 30 जुलाई को सिकंदरा थाने में शिशुपाल के गुम होने की सूचना दी. जिस पर इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने गुमशुदगी दर्ज कर जांच एसआई अमित कुमार को सौंप दी.

पुलिस ने हर जगह शिशुपाल का पता किया लेकिन कुछ पता नहीं लगा. इस पर पुलिस ने जानकारी जुटा कर पता किया कि शिशुपाल से कौनकौन मिलने आता है और शिशुपाल कहांकहां जाता था. इसी जांच में सोहनवीर पुलिस के शक के दायरे में आ गया. पता चला कि शिशुपाल हर रोज सब से ज्यादा समय सोहनवीर के घर बिताता था. शिशुपाल और सोहनवीर के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स की जांच की गई तो जानकारी मिली कि घटना वाले दिन सुबह साढ़े 10 बजे दोनों के बीच बात हुई थी. फोन सोहनवीर ने किया था. उसी के बाद से शिशुपाल लापता हो गया था.

12 अगस्त, 2020 को इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने पुलिस टीम के साथ जा कर सोहनवीर सिंह को उस के घर से हिरासत में ले लिया. थाने  ला कर जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने शिशुपाल की हत्या कर देने की बात स्वीकार कर ली. इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने उस की निशानदेही पर अंशुल एपीआई के पास निर्माणाधीन इमारत के पास सीवर नाले से शिशुपाल की लाश बरामद कर ली. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद वह थाने लौट आए. पुलिस ने सोहनवीर के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज करने के बाद उस से विस्तृत पूछताछ की.

पूछताछ में पता चला कि शिशुपाल और चंचल के नाजायज रिश्ते की इमारत जैसेजैसे बनती गई, वह लोगों की नजरों में आने लगी थी. लोगों की नजरों में बात आई तो सोहनवीर तक पहुंचते देर नहीं लगी. तब सोहनवीर ने अपने घर की इज्जत पर हाथ डालने वाले शिशुपाल को जान से मार देने का फैसला कर लिया.  उस ने घटना से 1-2 दिन पहले मोबाइल पर शिशुपाल से बात की और कहा कि कुछ परेशानी थी, इस वजह से वह उस का पैसा नहीं दे पाया लेकिन अब जल्द ही दे देगा. शिशुपाल तो वैसे भी अपनी दी गई रकम का ब्याज उस की पत्नी के बदन से वसूल रहा था. इसलिए उस ने कह दिया कि ठीक है जब पैसा हो जाए दे देना.

21 जुलाई, 2020 की सुबह शिशुपाल चारा लाने के लिए घर से खेत की तरफ जाने के लिए निकला. वह खेत पर था तब करीब साढ़े 10 बजे सोहनवीर ने फोन कर के उसे मिलने के लिए बुलाया. शिशुपाल उस के पास पहुंचा तो सोहनवीर उसे अंशुल एपीआई के पास निर्माणाधीन इमारत में ले गया. वहीं पर उस ने कोल्ड ड्रिंक में कीटनाशक मिला कर शिशुपाल को पिला दी, जिसे पीने के कुछ ही देर में शिशुपाल की मौत हो गई. सोहनवीर ने शिशुपाल की लाश इमारत के पास वाले सीवर नाले में डाल दी और घर चला गया. कागजी खानापूर्ति करने के बाद इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने सोहनवीर को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

(कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में चंचल परिवर्तित नाम है)

 

Love Crime : इश्क में अंधी बेटी ने प्रेमी के संग मिलकर मां को डंडे से पीट कर मार डाला

Love Crime : जावेद से शादी हो जाने के बाद भी सबीना ने शादी से पहले के प्रेमी मोइन से संबंध बनाए रखे. यही उस की सब से बड़ी भूल साबित हुई. फिर एक दिन…

10 अगस्त, 2020 की सुबह. जिला कौशांबी के गांव चपहुआ के लोग अपने खेतों की ओर जा रहे थे. तभी कुछ लोगों की नजर नाले के पास उगी झाडि़यों की तरफ गई. वहां कुछ था. उन लोगों ने करीब जा कर देखा तो किसी महिला की लाश पड़ी थी. ध्यान से देखने पर पता चला कि लाश उन के गांव की रहने वाली 45 वर्षीय गुडि़या की है. गुडि़या बब्बू हसन की पत्नी थी, जो पिछले 2 दिनों से घर से गायब थी. काफी खोजबीन के बाद भी जब उस का पता नहीं चल पाया था तो बब्बू के साले यानी गुडि़या के भाई आफताब ने चरवा कोतवाली में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी.

गुडि़या की गुमशुदगी दर्ज होते ही चरवा थाने की पुलिस उस की खोजबीन में जुट गई थी. पुलिस तो उस का पता नहीं लगा पाई, लेकिन 10 अगस्त को नाले के पास झाडि़यों में उस की लाश मिल गई. लाश मिलने की सूचना किसी ने चरवा थाने को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी संतशरण सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए और इस बात से एएसपी समरबहादुर को भी अवगत करा दिया. थानाप्रभारी ने लाश की बारीकी से जांचपड़ताल की तो पाया कि मृतका के सिर पर किसी भारी चीज से प्रहार कर उसे मौत के घाट उतारा गया था. मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने गुडि़या की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

इस के बाद पुलिस ने मृतका के भाई आफताब की तहरीर पर भादंवि की धारा 302, 201 के तहत अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. मृतका गुडि़या की हत्या की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एएसपी समरबहादुर के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई गई, जिस में थानाप्रभारी संतशरण सिंह, एसआई शिवशरण, हेडकांस्टेबल शिवसागर, कांस्टेबल श्रवण कुमार, छाया शर्मा आदि को शामिल किया गया. इंसपेक्टर संतशरण सिंह ने सब से पहले मृतका की शादीशुदा बेटी सबीना से पूछताछ की, लेकिन उस का रोरो कर बुरा हाल था.  वह ठीक से कुछ नहीं बता पाई.पता चला कि सबीना अपनी बहनों रुबीना, गुलिस्ता और छोटे भाई हसनैन में दूसरे नंबर की थी.

करीब 4 साल पहले उस की शादी कौशांबी के ही दारानगर निवासी जावेद अहमद से हुई थी. पुलिस ने काफी कोशिश की, लेकिन हत्या को एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी कुछ पता नहीं चल सका. एएसपी समरबहादुर मामले की प्रगति की बराबर रिपोर्ट ले रहे थे. थानाप्रभारी संतशरण सिंह ने इस बात का पता लगाना शुरू किया कि सबीना अपने पति को छोड़ कर मायके में क्यों रह रही थी, जबकि उस का अपने पति से तलाक भी नहीं हुआ था. पता चला कि सबीना का पति जावेद उम्रदराज था, जिसे वह पसंद नहीं करती थी, इसी वजह से वह अपने बच्चों को ले कर मायके में मां के पास रहती थी.

मुखबिरों का जाल बिछाया गया तो परतें खुलने लगीं, जिस में पुलिस को सबीना संदिग्ध नजर आई. पता चला कि सबीना का आए दिन अपनी मां गुडि़या के साथ विवाद होता था. मांबेटी के बीच विवाद की क्या वजह थी, इस दिशा में पड़ताल की गई तो जानकारी मिली कि शादी के बाद भी सबीना का अपने ही गांव के मोइन से इश्क चल रहा था. अपनी मां की आंखों में धूल झोंक कर वह मोइन से खेतों में मिला करती थी. पुलिस के लिए इतनी जानकारी पर्याप्त थी. चूंकि सबीना शुरू से ही संदेह के दायरे में थी, इसलिए आगे की काररवाई के लिए सबीना और उस के प्रेमी मोइन को पूछताछ के लिए थाने लाया गया और दोनों से पूछताछ की गई.

संदेह पर पुलिस की नजर पूछताछ के दौरान शुरू में सबीना और उस का प्रेमी मोइन अपने आप को निर्दोष बताते रहे. मोइन ने तो यहां तक कहा कि हम दोनों एक ही गांव के रहने वाले हैं, इस लिहाज से हमारा रिश्ता भाईबहन जैसा है. हां, पड़ोसी होने के नाते मेरा इस के घर में शुरू से ही आनाजाना था. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि यह मेरी माशूका है. मैं इसे अपनी बहन मानता हूं. किसी ने आप को गलत सूचना दे कर हमें फंसाने और बदनाम करने की साजिश की है. सबीना भी पीछे रहने वाली नहीं थी. उस ने भी मोइन की हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘साहब, मृतका मेरी सौतेली नहीं, सगी मां थी, जिस ने मुझे जन्म दिया था. मैं भला अपनी मां की हत्यारिन कैसे हो सकती हूं.’’

सबीना आवाज में थोड़ा तीखापन लाते हुए आगे बोली, ‘‘मोइन भाई से मेरा कोई ऐसावैसा संबंध नहीं है. आप लोग सुनीसुनाई बातों में आ कर नाहक हमें रुसवा करने पर तुले हैं. मैं आप की इस हरकत की शिकायत बड़े अधिकारियों से करूंगी.’’

थाने के अंदर मोइन और सबीना का यह ड्रामा काफी देर तक चला. लेकिन पुलिस के पास दोनों के अवैध संबंधों की पुख्ता जानकारी थी. इसलिए पुलिस ने जब अपना हथकंडा अपनाया तो दोनों थोड़ी ही देर में टूट गए और अपना गुनाह कबूल कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद गुडि़या की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही सबीना मोइन को चाहने लगी थी, मोइन उस का हमउम्र और पड़ोसी था. प्यार की छलांग में दोनों काफी आगे निकल चुके थे. उन्हें किसी की परवाह नहीं थी न गांव वालों की और न ही अपनेअपने घर वालों की. दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे, उन का प्यार आंखों की बेकरारी से उतर कर शारीरिक संबंधों तक पहुंच गया था.

जिस की जानकारी सबीना की मां गुडि़या को हुई तो उस ने बेटी को काफी समझाया पर सबीना कहां मानने वाली थी. उस पर तो मोइन के प्यार का नशा चढ़ा था, जिस की वह कोई भी कीमत अदा करने को तैयार थी. जब वह नहीं मानी तो घर वालों ने उस की शादी कौशांबी जिले के दारानगर निवासी जावेद से तय कर दी. जावेद उम्र में उस से काफी बड़ा था. सबीना ने इस शादी का विरोध किया लेकिन मांबाप, बहनोंबहनोइयों, नातेरिश्तेदारों के आगे उस की एक न चली और आननफानन में जावेद अहमद के साथ उस का निकाह हो गया. सबीना के सारे अरमान धरे रह गए. समय अपनी गति से आगे बढ़ता रहा. देखतेदेखते सबीना 3 बच्चों की मां बन गई. लेकिन उस के दिल को मोइन की मोहब्बत और साथ हमेशा सालता रहा.

अब उसे पति जावेद बूढ़ा नजर आने लगा था. किसी न किसी बात पर सबीना उस से झगड़ती रहती थी. फिर एक दिन वह भी आया जब पति से उस की कुछ ज्यादा ही कहासुनी हो गई. वह पति से नाराज हो कर अपने मायके आ गई. करीब साल भर से वह मायके में ही रह रही थी. सबीना के मायके लौट आने से मोइन की तो जैसे लाटरी लग गई. फिर से दोनों का मिलन होने लगा. अब दोनों बेखौफ हो कर एकदूसरे से मिलते, सबीना की मां गुडि़या इस का पुरजोर विरोध करती थी. लेकिन सबीना के आगे उस की एक नहीं चलती थी. सबीना मां को सफाई दे कर मोइन के साथ मौजमस्ती करती रही.

एक दिन गुडि़या ने सबीना को मोइन के साथ रंगरलियां मनाते रंगेहाथों पकड़ लिया. खेतों से लौट कर उस ने सबीना को अपने पति के पास लौट जाने को कहा, लेकिन सबीना मोइन के प्रेम में दीवानी थी. उस पर मां की बातों का कोई असर नहीं हुआ. उलटे वह मां से लड़नेझगड़ने लगी.

फिर तो आए दिन मांबेटी के बीच झगड़ा होने लगा. मां उसे बारबार अपनी ससुराल जाने को कहती लेकिन वह ससुराल जाने से मना कर देती थी. हत्या की योजना आखिरकार रोजरोज की चिकचिक से आजिज सबीना ने एक कठोर निर्णय ले लिया. मोइन के प्यार में पागल, दीवानी बेटी ने अपनी मां की हत्या की साजिश रच डाली. उसे प्रेमी का प्रेम या हवस के आगे मां सब से बड़ी दुश्मन नजर आने लगी. सबीना ने मां गुडि़या की हत्या की योजना प्रेमी मोइन को बता दी. पहले तो उस ने ऐसा करने से मना किया, लेकिन बाद में हत्या की योजना में शामिल हो गया. सबीना की तरह प्यार में अंधा मोइन प्रेमिका के लिए कुछ भी करने को तैयार था. मोइन ने अपनी योजना में अपने दोस्तों मोनू और मोहम्मद सद्दाम से बात की तो वे उस का साथ देने को तैयार हो गए थे.

तय योजना के अनुसार 8 अगस्त, 2020 को मोइन और उस के साथियों मोनू और मोहम्मद सद्दाम ने मिल कर गुडि़या को उस समय मौत के घाट उतार दिया, जब वह घूमने के लिए खेतों की तरफ निकली थी, उस की हत्या डंडे से पीटपीट कर की गई थी. सिर में भी डंडा मारा गया था जो जानलेवा साबित हुआ. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या के लिए प्रयुक्त डंडा, मृतका की एक जोड़ी चप्पलें बरामद कीं. गुडि़या की हत्या के आरोप में उस की बेटी सबीना, उस के आशिक मोइन मोनू उर्फ निहाल और मोहम्मद सद्दाम को जिला न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

Moradabad News : 4 बच्चों की मां ने कराई पति की हत्या

Moradabad News : शादीशुदा और 4 बच्चों की मां रीनू ने पहली गलती कपिल से अवैध संबंध बना कर की, दूसरी गलती उस ने इस संबंध को स्थाई बनाने के लिए अपनी छोटी बहन की शादी कपिल से करा कर की. उस की तीसरी गलती कपिल को रिश्तेदार बना कर घर में रखने की थी. और चौथी गलती पति शिवकुमार को मौत के घाट उतरवाने की. इतनी गलतियां करने के बाद…

20 जून, 2020 की सुबह की बात है. मुरादाबाद शहर के सिरकोई भूड़ की रहने वाली वीरवती रोजाना कीतरह सुबह की सैर के लिए निकली थीं. लेकिन उन्होंने मोहल्ले में जो कुछ देखा, उसे देख वह हक्कीबक्की रह गईं. वीरवती जब गली नंबर एक के पास पहुंचीं तो वहां एक युवक की लाश पड़ी थी. जिज्ञासावश वह लाश के नजदीक पहुंचीं तो उन की चीख निकल गई, क्योंकि वह लाश उन के सगे भांजे  शिवकुमार की थी. शिवकुमार उसी गली में रहता था, जिस गली में उस की लाश पड़ी थी. वीरवती रोती हुई शिवकुमार के घर पहुंचीं और यह खबर दी. शिवकुमार के पिता रामकुमार परिवार के लोगों के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए.

शिवकुमार का सिर कुचला हुआ था और पास में ही खून से सनी एक ईंट पड़ी थी. ईंट को देख कर वह समझ गए कि उसी से शिवकुमार का सिर कुचला गया है. घर वालों की चीखपुकार सुन कर मोहल्ले के और लोग भी वहां जमा हो गए. कुछ ही देर में शिवकुमार की हत्या की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई. फिर क्या था, थोड़ी ही देर में वहां लोगों का हुजूम जमा हो गया. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि शिवकुमार की हत्या किस ने और क्यों की. इसी दौरान किसी ने फोन कर के इस की सूचना थाना मझोला पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह उसी समय रात्रि गश्त से लौटे थे, हत्या की खबर सुन कर वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश और घटनास्थल का मुआयना किया.

उन्होंने फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया और यह सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से सुबूत जुटाए. पुलिस ने खून से सनी ईंट अपने कब्जे में ले ली. सूचना मिलने के बाद एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद और तत्कालीन एएसपी दीपक भूकर भी वहां आ गए. मृतक के घर वाले वहां मौजूद थे, मृतक की शिनाख्त हो चुकी थी. हत्यारे ने जिस तरह से शिवकुमार का सिर कुचला था, उसे देख कर लग रहा था कि हत्यारे की उस से कोई गहरी रंजिश रही होगी. मृतक के घर वालों और अन्य लोगों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने शिवकुमार का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पूछताछ में मृतक की पत्नी रीनू ने बताया कि उस के पति ने 2 लोगों से कर्ज ले रखा था. कर्ज न चुकाने की वजह से वे शिवकुमार को काफी तंग कर रहे थे. रीनू ने आरोप लगाया कि शायद उन्हीं लोगों ने उस के पति की हत्या की होगी.

जबकि मृतक के छोटे भाई राजकुमार ने हत्या का शक मृतक के साढ़ू कपिल उर्फ मोनू पर जताया. इतना ही नहीं, उस ने थाने पहुंच कर कपिल उर्फ मोनू के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करा दी. नामजद रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस ने काररवाई शुरू कर दी. संदिग्ध आरोपी कपिल मुरादाबाद शहर के ही लाइनपार इलाके के प्रकाशनगर में रहता था. पुलिस जब उस के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला. इस से उस पर पुलिस का शक बढ़ गया. कपिल से पूछताछ जरूरी थी, लिहाजा पुलिस ने उस की खोजबीन शुरू कर दी. थानाप्रभारी ने कपिल की तलाश में मुखबिर भी लगा दिए. इस का नतीजा यह निकला कि 23 जून, 2020 को एक मुखबिर से मिली सूचना के बाद पुलिस ने शिवकुमार के साढ़ू कपिल उर्फ मोनू को मुरादाबाद दिल्ली हाइवे पर स्थित बस स्टाप से  गिरफ्तार कर लिया. वह दिल्ली भागने की फिराक में था.

थाने ला कर कपिल से शिवकुमार की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई, तो उस ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि शिवकुमार की हत्या में उस की पत्नी रीनू भी शामिल थी. कपिल उर्फ मोनू से पूछताछ के बाद शिवकुमार की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी—

महानगर मुरादाबाद का एक मोहल्ला है सिरकोई भूड़. रामकुमार अपने परिवार के साथ इसी मोहल्ले में रहते थे. उन के परिवार  में 4 बेटियों के अलावा 2 बेटे थे. रामकुमार मुरादाबाद के जलकल विभाग में नलकूप औपरेटर थे. इस नौकरी से ही वह परिवार का पालनपोषण करते थे. उन्होंने सन 2007 में बड़े बेटे शिवकुमार की शादी मुरादाबाद जिले के ही  गांव मझरा निवासी नरेश कुमार की बेटी रीनू के साथ की थी. जैसेजैसे रामकुमार का रिटायरमेंट का समय नजदीक आता जा रहा था, वैसेवैसे उन की चिंता बढ़ती जा रही थी. वजह यह थी कि उन के दोनों बेटों में से कोई भी पढ़लिख कर काबिल नहीं बन सका था. करीब 2 साल पहले रामकुमार रिटायर हो गए, लेकिन इस से पहले उन्होंने नगर आयुक्त संजय चौहान से अनुरोध कर बड़े बेटे शिवकुमार को जलकल विभाग में संविदा के तौर पर नलकूप चालक की नौकरी दिलवा दी थी.

शिवकुमार की ड्यूटी उस के घर से कुछ ही दूर पर कांशीराम नगर में थी. उस का काम नलकूप चला कर पानी का टैंक भरने का था. बेटे की नौकरी लग जाने के बाद रामकुमार ने राहत की सांस ली. मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किए गए कांशीराम नगर के पास ही बुद्धा पार्क है. इस पार्क में सैकड़ों लोग घूमने आते हैं, जिस से सुबहशाम चहलपहल रहती है. इसी पार्क के बाहर कपिल उर्फ मोनू फास्टफूड का काउंटर लगाता था. वह शहर के लाइनपार स्थित प्रकाश नगर में रहता था. कपिल बहुत स्वादिष्ट फास्टफूड बनाता था, उस के पास ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी. शिवकुमार की पत्नी रीनू अकसर कपिल का फास्टफूड खाने जाती थी. कपिल बहुत बातूनी था. रीनू को भी उस से बात करना अच्छा लगता था. बातचीत के दौरान दोनों की दोस्ती हो गई.

इस के बाद कपिल रीनू के कहने पर उस के घर पर ही बर्गर, पिज्जा आदि देने के बहाने जाने लगा. दोनों जब फुरसत में होते तो फोन पर खूब बातें करते थे. बातचीत का दायरा बढ़ा तो दोनों का एकदूसरे की तरफ झुकाव हो गया, दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. रीनू यह भी भूल गई कि वह शादीशुदा ही नहीं, 4 बच्चों की मां भी है. वह जो कर रही है वह सही नहीं है. वह कपिल के आकर्षण में बंध चुकी थी. इस का नतीजा यह हुआ कि दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. रीनू का पति शिवकुमार अकसर रात की ड्यूटी करता था. उस के ड्यूटी चले जाने के बाद मीनू फोन कर के कपिल को अपने घर बुला लेती थी. उस के बाद दोनों अपनी हसरतें पूरी करते थे.

ढूंढ लिया स्थाई जुगाड़ पिछले करीब 2 साल से उन का यही सिलसिला चल रहा था. रीनू किसी भी तरह कपिल से दूर नहीं होना चाहती थी. इस के लिए उस ने एक योजना बनाई. इस योजना के तहत उस ने कपिल के सामने प्रस्ताव रखा कि यदि वह उस की छोटी बहन रिंकी से शादी कर ले तो इस रिश्ते की आड़ में उन के संबंध यूं ही बने रहेंगे और उन पर किसी को शक भी नहीं होगा. यह बात कपिल की समझ में आ गई. रीनू और कपिल ने अपने संबंधों को बनाए रखने के लिए योजना तो बना ली थी, लेकिन यह योजना शिवकुमार के बिना साकार नहीं हो सकती थी. लिहाजा एक दिन रीनू ने पति से कहा, ‘‘हम लोग काफी दिनों से रिंकी के लिए लड़का तलाश रहे हैं, लेकिन अभी तक कहीं कोई बात नहीं बनी. हम लोग बुद्धा पार्क के पास जिस कपिल के पास फास्टफूड खाने जाते हैं, वह मुझे सही लगा. तुम उस से बात कर के देखो.’’

शिवकुमार को पत्नी की चाल का पता नहीं था. उसे कपिल अच्छा लड़का नजर आया, क्योंकि वह अच्छा कमा रहा था. उस ने सोचा कि अगर रिंकी की शादी कपिल से हो जाएगी तो वह सुख से रहेगी. सोचविचार कर शिवकुमार ने कपिल के सामने अपनी साली रिंकी के साथ शादी का प्रस्ताव रखा. इस पर कपिल ने कहा कि पहले वह लड़की को देखेगा, उस के बाद ही कोई जवाब देगा. निर्धारित समय पर रीनू ने अपने घर पर ही लड़की दिखाने का प्रोग्राम निश्चित कर लिया. कपिल अपने घर वालों के साथ रीनू के घर पहुंचा. उन्होंने लड़की को पसंद कर लिया. आगे की बातचीत करने के बाद रिंकी से कपिल की शादी हो गई. यह करीब डेढ़ साल पहले की बात है. शिवकुमार ने साली की शादी में दिल खोल कर पैसा खर्च किया.

रिंकी से शादी हो जाने के बाद कपिल का रीनू के घर आनाजाना बढ़ गया. अब दोनों रिश्तेदार हो गए थे, इसलिए दोनों के रिश्ते पर किसी को शक नहीं हुआ. लेकिन गलत काम ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता. एक न एक दिन पोल खुल ही जाती है.कोरोना महामारी के बाद पूरे देश में लौकडाउन लग गया. लौकडाउन लगने के बाद कपिल का फास्टफूड का काउंटर भी बंद हो गया था. इस के बाद वह अकसर रीनू के घर पर ही पड़ा रहने लगा. शिवकुमार को शक हुआ कि वह उस के घर पर ही क्यों पड़ा रहता है. उस ने कपिल पर निगाह रखनी शुरू कर दी. अपनी पत्नी और कपिल के व्यवहार से शिवकुमार को शक हो गया कि दोनों के बीच जरूर कोई चक्कर चल रहा है.

शिवकुमार की नजरों में चढ़ा कपिल इस बारे में उस ने पत्नी से बात की तो रीनू ने उसे समझाया कि लौकडाउन में काम बंद पड़ा है, इसलिए कपिल यहां आ जाता है. लेकिन शिवकुमार पत्नी की इस बात से संतुष्ट नहीं हुआ. तब उस ने पत्नी के साथ सख्ती बरती. उस ने अपने साढ़ू कपिल से भी कह दिया कि वह घर न आया करे. पति की यह बात रीनू को बहुत बुरी लगी. वह कपिल के पक्ष में खड़ी हो गई. उस ने कहा कि जब ये हमारे रिश्तेदार हैं तो इन्हें आने से कैसे रोक सकते हैं. इस बात को ले कर शिवकुमार और कपिल के बीच कई बार झगड़ा हुआ. इस के बाद भी कपिल ने रीनू के पास आना बंद नहीं किया. शिवकुमार रात को जब अपनी ड्यूटी पर चला जाता, कपिल उस के घर पहुंच जाता था.

19-20 जून, 2020 की रात को करीब 12 बजे शिवकुमार अपनी ड्यूटी पर चला गया. पति के जाते ही मीनू ने फोन कर के कपिल को घर बुला लिया. इस के बाद दोनों अपनी हसरतें पूरी करने में जुट गए. उधर 3-4 घंटे में पानी का टैंक भरने के बाद शिवकुमार सुबह करीब 4 बजे घर लौट आया. दरवाजा खुलवाने के लिए उस ने रीनू को आवाज दी. लेकिन वह कपिल के साथ रंगरलियां मना रही थी. शिवकुमार की आवाज सुन कर दोनों हड़बड़ा गए. अपने कपड़े संभालती हुई रीनू दरवाजा खोलने आई. उस समय शिवकुमार शराब के नशे में था. उस ने कमरे में कपिल को देखा तो आगबबूला हो गया. उसे समझते देर न लगी कि कमरे में क्या हो रहा था.

गुस्से में आगबबूला शिवकुमार कपिल से भिड़ गया. रीनू उस का बचाव करने के लिए सामने आई, तो शिवकुमार ने पत्नी को भी गालियां दीं. शोरशराबा हुआ तो रीनू और कपिल को विश्वास हो गया कि अब उन की पोल खुल जाएगी. लिहाजा दोनों ने एकदूसरे की ओर देख कर आंखों ही आंखों में इशारा कर एक षडयंत्र रच लिया. फंस गया शिवकुमार इस षडयंत्र के तहत कपिल ने शिवकुमार को बिस्तर पर गिरा लिया और उस के सीने पर सवार हो गया. तभी रीनू ने तकिया उठा कर कपिल को दे दिया. कपिल ने तकिया शिवकुमार के मुंह पर रख कर जोरों से दबाया. रीनू ने पति के पैर दबा रखे थे. सांस घुटने से कुछ ही देर में शिवकुमार की मौत हो गई.

खुद को बचाने के लिए दोनों ने  शिवकुमार की लाश गली में डाल दी. वह कहीं जीवित न रह जाए, इसलिए कपिल ने गली में पड़ी एक ईंट से शिवकुमार के सिर को बुरी तरह से कुचल दिया. इस काम को अंजाम देने के बाद कपिल अपने घर चला गया. सुबह करीब 5 बजे जब शिवकुमार की मौसी वीरवती घर से सैर के लिए निकलीं, तब उन्होंने गली में शिवकुमार की लाश देखी. इस के बाद उन्होंने शोर मचा कर हत्या की जानकारी घर वालों को दी. कपिल से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने रीनू को भी गिरफ्तार कर लिया. रीनू ने भी पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने 23 जून,2020 को कपिल कुमार उर्फ मोनू और रीनू को शिवकुमार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Hardoi News : पत्नी से संबंध बना रहा था भाई, पति ने देखा तो कर दी हत्या

Hardoi News : एक कलंकित रिश्ता परिवार को बिखेर सकता है, अपने ही खून के हाथों खून करा सकता है. ऐसा ही कुछ…

शिवराज कुशवाहा जनपद हरदोई के गांव देहीचोर अंटवा में अपने परिवार के साथ रहते थे. काम था खेतीकिसानी का. परिवार में पत्नी कैलाशा देवी और 3 बेटे थे— अर्जुन, अमर सिंह और कैलाश. अर्जुन लखनऊ में एक ट्रैक्टर एजेंसी में काम करता था. अमर सिंह नोएडा की किसी फैक्टरी में कार्यरत था और कैलाश गांव में खेती करता था. शिवराज ने तीनों का विवाह कर के जमीन का बंटवारा कर दिया था. तीनों भाई परिवार के साथ अपनेअपने हिस्से में रहते थे. करीब 6 साल पहले अमर सिंह का विवाह विनीता से हुआ था. उस के 2 बच्चे थे. कैलाश की शादी 4 साल पहले कंचनलता से हुई थी. उस के 2 बच्चे थे.

घर से दूर नोएडा में रहने की वजह से अमर सिंह की पत्नी विनीता का गांव में मन नहीं लगता था. पति 2-3 महीने में घर का चक्कर लगाता था, फलस्वरूप विनीता पति से मिलने वाले सुख के लिए बेचैन रहती थी. काफी समय तक पति सुख से वंचित रहने के कारण उस का तन विद्रोह करने लगा था. विनीता का देवर कैलाश घर पर ही रहता था. जब वह उस से हंसीमजाक करता तो कभीकभी अपनी सीमाएं लांघ जाता था. विनीता समझ गई कि कैलाश भले ही शादीशुदा है, लेकिन उसे शायद घर की दाल में मजा नहीं आ रहा, इसलिए वह बाहर की बिरयानी खाने की जुगत में है. इसी वजह से वह उस पर डोरे डालने की कोशिश कर रहा है.

कैलाश भी जानता था कि उस का बड़ा भाई अमर सिंह बाहर रहता है, इसलिए उस की भाभी प्यासी मछली की तरह तड़पती होंगी. वह अपनी भाभी को अपने आगोश में लेने के लिए सारे जतन कर रहा था.  विनीता भी उस की मंशा भांप कर खुश थी. क्योंकि उस प्यासी के लिए तो कुआं घर में ही मौजूद था, बाहर तलाशने की जरूरत नहीं थी. दोनों ही एकदूसरे में समाने को आतुर हुए तो विनीता ने मिलन का रास्ता भी\ बना लिया. एक दिन दोपहर के समय विनीता चारपाई पर लेटी थी तभी कैलाश वहां आ गया. उसे देख कर विनीता पैरों में दर्द का बहाना कर के कराहने लगी. उस ने साड़ी को घुटने तक खींच लिया. कैलाश ने उस की हालत देखी तो बोला, ‘‘क्या हुआ भाभी, ऐसे कराह क्यों रही हो?’’

‘‘क्या बताऊं…पैरों में बड़ी जोर से दर्द हो रहा है.’’ विनीता अपने हाथ से दायां पैर दबाने की कोशिश करती हुई बोली.

‘‘अरे आप क्यों परेशान हो रही हैं, मैं दबा देता हूं पैर.’’ कह कर कैलाश उस के नग्न पैरों को अपने हाथों से दबाने लगा. इस पर विनीता उस को तेल की शीशी देते हुए बोली, ‘‘इस तेल से मालिश कर दो, कुछ आराम मिल जाएगा.’’

कैलाश ने उस के हाथों से तेल की शीशी ले कर थोड़ा तेल निकाला और भाभी के पैरों की मालिश करने लगा. पराए मर्द के हाथों के स्पर्श से विनीता के तन में चिंगारियां फूटने लगीं. तनबदन मचल उठा. जैसेजैसे कैलाश मालिश कर रहा था, विनीता साड़ी को थोड़ाथोड़ा ऊपर खींचते हुए मालिश करने को कहती गई, ‘‘थोड़ा और ऊपर मालिश कर दो. जैसेजैसे मालिश कर रहे हो, दर्द नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा है.’’ मस्ती से सराबोर हो कर विनीता ने कहा. इस के बाद उस ने साड़ी को कूल्हों तक खींच लिया.

कैलाश कोई नादान नहीं था. वह भाभी की मंशा समझ गया और मालिश करतेकरते अपना नियंत्रण खोने लगा. उस के हाथ आगे बढ़ते गए. अंतत: विनीता ने उसे अपने ऊपर खींच लिया. उस के बाद उन के बीच की सारी दूरियां खत्म हो गईं और उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. इस के बाद दोनों के बीच संबंधों का यह सिलसिला चलने लगा. लेकिन ऐसे संबंध एक न एक दिन उजागर हो ही जाते हैं. अमर सिंह को अपनी पत्नी व भाई के बीच के नाजायज संबंधों का पता चल गया तो वह गांव आ गया. उस ने गुस्से में विनीता को तो जम कर पीटा ही, कैलाश के साथ भी मारपीट की. विनीता और बच्चों को वह अपने साथ नोएडा ले गया.

विनीता के चले जाने के बाद कैलाश भी काम के सिलसिले में हैदराबाद चला गया. कैलाश की पत्नी कंचनलता 2 बच्चों के साथ घर पर रह रही थी. कंचनलता को घर में अकेले देख कर कैलाश का चचेरा भाई रमाकांत उस के पास आने लगा. रमाकांत पड़ोस में ही रहता था और अविवाहित था. उस की चाय समोसे की दुकान थी. कंचनलता की कंचन काया छरहरी थी. रमाकांत उस पर आसक्त हो गया. 2 बच्चों की मां कंचनलता अपने हुस्न से तमाम लड़कियों को मात दे सकती थी. खूबसूरत हुस्न की मालकिन कंचन पति कैलाश के बिना मुरझाईमुरझाई सी रहने लगी. वह हंसती तो लगता जैसे दिखावटी हंसी हंस रही हो. रमाकांत उस के मुरझाने का कारण बखूबी समझता था. इसलिए रमाकांत उस के पास जाता तो उसे हंसाने की कोशिश करता. कंचनलता को भी उस की बातें अच्छी लगती थीं. वह उस से घुलनेमिलने लगी.

एक दिन बातोंबातों में रमाकांत कंचनलता के दर्द को अपनी जुबां पर ले आया, ‘‘भाभी, मैं देख रहा हूं कि जब से कैलाश भैया गए हैं, तब से आप उदास सी रहने लगी हो.’’

‘‘तो क्या करूं, उन के जाने पर नाचूं या हंसू?’’ कंचनलता ने बड़ी कड़वाहट से जवाब दिया.

‘‘आप को भी उन के साथ चले जाना चाहिए था, आखिर आप की भी अपनी कुछ जरूरतें और इच्छाएं हैं.’’

‘‘उन को मेरी चिंता ही कहां है.’’ वह बुझे मन से बोली.

‘‘जब उन्हें आप की चिंता नहीं है तो आप भी अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जिओ. आप को भी पूरी आजादी है, मैं आप का हर तरह से साथ देने को तैयार हूं.’’ रमाकांत बोला. यह सुन कर कंचनलता मुसकराई और अपनी नजरें झुका लीं. रमाकांत ने अपने दाएं हाथ से कंचनलता की ठोढ़ी पकड़ कर चेहरा ऊपर उठाया और उस की आंखों में देखा. इस पर कंचनलता कुछ देर यूं ही उस की आंखों में देखती रही. फिर उस के अंदाज की कायल हो कर उस से लिपट गई. रमाकांत ने भी कंचनलता को अपनी बांहों में भर लिया. फिर उन के बीच की सारी मर्यादाएं टूट गईं, दोनों के जिस्म एक हो गए. उन के बीच यह खेल निरंतर खेला जाने लगा.

देश में लौकडाउन हुआ तो अमर सिंह को सपरिवार नोएडा से गांव आना पड़ा. कैलाश भी हैदराबाद से गांव वापस लौट आया. सभी के घर आ जाने के बाद कैलाश और विनीता ने मौका मिलने पर फिर से संबंध बनाने शुरू कर दिए. कैलाश रोज रात में 11 बजे गर्रा नदी किनारे अपने मक्का के खेत की रखवाली के लिए चला जाता था और सुबह 4 बजे घर लौटता था. लेकिन 22 अगस्त, 2020 की सुबह कैलाश काफी देर तक घर नहीं लौटा तो कंचनलता उसे बुलाने खेतों पर गई. वहां खेत में उसे पति की लाश पड़ी मिली. उस ने रोतेपीटते घर वालों को घटना की सूचना दी. कुछ ही देर में घर वाले और गांव के लोग वहां एकत्र हो गए.

कैलाश के दोनों भाई भी वहां पहुंच गए थे. वह समझ नहीं पा रहे थे कि कैलाश की हत्या किस ने कर दी. भाई अमर सिंह ने सांडी थाना पुलिस को घटना की सूचना दी. सूचना पा कर इंसपेक्टर अखिलेश यादव पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. थाने से रवाना होते समय उन्होंने उच्चाधिकारियों को घटना की सूचना दे दी थी. घटनास्थल पर पहुंच कर इंसपेक्टर यादव ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक के सिर व हाथों पर किसी तेज धारदार हथियार के घाव थे. आसपास का निरीक्षण करने पर उन्हें कोई सुबूत हाथ नहीं लगा. उन्होंने कंचनलता, अमर सिंह व अन्य घरवालों से आवश्यक पूछताछ की. इसी बीच एएसपी (पूर्वी) अनिल सिंह यादव और सीओ बिलग्राम एस.आर. कुशवाहा भी मौके पर पहुंच गए. उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, उस के बाद उन्होंने मृतक के घर वालों से पूछताछ की. फिर इंसपेक्टर अखिलेश यादव को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर चले गए.

घटनास्थल की जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद इंसपेक्टर यादव ने लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल स्थित मोर्चरी भेज दी और अमर सिंह को साथ ले कर थाने लौट गए. थाने पहुंच कर उन्होंने अमर सिंह की तरफ से अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. इंसपेक्टर यादव ने केस की जांच शुरू की. घर वालों ने मामला जमीनी रंजिश का बताया था, लेकिन वैसा लग नहीं रहा था. गांव वालों व पड़ोसियों से पूछताछ के बाद घटना की वजह कुछ और ही नजर आ रही थी. इंसपेक्टर यादव ने कैलाश के घर आनेजाने वालों व घर के बराबर में रहने वाले कैलाश के भाईबंधुओं के बारे में पता किया, तब उन्हें पता चला कि लाश मिलने के एक दिन पहले रात में अमर सिंह और उस के चचेरे भाई रमाकांत को एक साथ गांव के बाहर जाते देखा गया था.

यह भी पता चला कि रमाकांत कैलाश की गैरमौजूदगी में उस के घर में ही घुसा रहता था. कैलाश के संबंध अमर सिंह की पत्नी से थे, जिस की वजह से अमर सिंह पत्नी को नोएडा ले गया था. यह महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर यादव ने अमर सिंह और रमाकांत को 30/31 अगस्त की रात करीब ढाई बजे गांव बरोलिया के मंदिर के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब दोनों से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया और हत्या के पीछे की पूरी कहानी बयां कर दी. लौकडाउन में घर वापस आने के बाद कैलाश और विनीता में फिर से संबंध बनने लगे तो यह बात छिप न सकी. अमर सिंह को भी यह जानकारी मिल चुकी थी. अमर सिंह गुस्से से आगबबूला हो उठा.

उस ने अपने छोटे भाई कैलाश को काफी समझाया, पर उन दोनों पर उस के समझाने का कोई असर नहीं पड़ा. कैलाश बड़े भाई की बात मानने को तैयार नहीं था. ऐसे में अमर सिंह ने उसे मौत की नींद सुलाने का फैसला कर लिया. एक बार अमर सिंह ने चचेरे भाई रमाकांत को कैलाश की पत्नी कंचनलता से संबंध बनाते देख लिया था. तब रमाकांत ने अमर सिंह से माफी मांग ली थी और अमर सिंह भी चुप हो गया. अमर सिंह को कैलाश की हत्या में साथ देने के लिए एक साथी की जरूरत थी. वह साथी उसे रमाकांत के रूप में मिल गया. अमर सिंह ने भाई कैलाश की हत्या में रमाकांत से मदद मांगी तो वह मना करने लगा. इस पर अमर सिंह ने कहा कि उन दोनों के रास्ते का कांटा एक ही है. वह उसे इसलिए मारना चाहता है क्योंकि वह उस की पत्नी से संबंध बना कर उस का घर खराब कर रहा है. कैलाश के रास्ते से हटने पर उस का रास्ता साफ हो जाएगा, फिर वह बेरोकटोक कंचनलता से मिल सकेगा.

अमर सिंह की बात रमाकांत के भेजे में घुस गई और रमाकांत अमर सिंह का साथ देने को तैयार हो गया. 21 अगस्त, 2020 की रात 11 बजे कैलाश अपने मक्के की फसल की रखवाली के लिए घर से निकल गया. योजनानुसार रात साढे़ 12 बजे के करीब अमर सिंह और रमाकांत घर से निकले. दोनों अपने साथ एक कुल्हाड़ी भी लाए थे. दोनों खेत पर पहुंचे तो कैलाश को गहरी नींद में सोते पाया. यह देख अमर सिंह ने कुल्हाड़ी से उस के सिर पर वार किया. इस के बाद उस ने कई वार किए. रमाकांत ने भी उस से कुल्हाड़ी ले कर उस पर कई वार किए.

लहूलुहान कैलाश चारपाई से नीचे गिर गया. लेकिन कुल्हाड़ी के अनगिनत वारों के कारण कैलाश की सांसें ज्यादा देर तक चल न सकीं और उस की मौत हो गई. उसे मौत के घाट उतारने के बाद उन्होंने अपने खून सने कपड़े उतारे और दूसरे कपड़े पहन कर रक्तरंजित कपड़ों और कुल्हाड़ी को एक जगह छिपा दिया और घर वापस लौट आए. लेकिन गुनाह छिप न सका और वे पकड़े गए. उन की निशानदेही पर पुलिस ने कुल्हाड़ी और खून से सने कपड़े बरामद कर लिए. फिर कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के दोनोें को सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया, वहां से उन्हें जेल दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Aligarh News : 37 सेकेंड में चोर ले उड़े 35 लाख की जूलरी

Aligarh News :  लुटेरों ने सुंदर ज्वैलर्स शोरूम में 37 सेकेंड में 35 लाख की जूलरी लूट ली और फरार हो गए. अलीगढ़ पुलिस तो इस में कुछ नहीं कर पाई, लेकिन घटना के 6 दिन बाद नोएडा पुलिस ने तीनों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया. लेकिन तब तक 35 लाख में से 6 लाख की ही जूलरी बची थी. आखिर 6 दिन में 29 लाख की…

यूंतो ज्यादातर दुकानदार कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हैं, लेकिन बड़े दुकानदार खासकर शोरूम मालिक अपने और ग्राहकों के नजरिए से नियमों का पूरा पालन करते हैं. इस से ग्राहकों पर भी अच्छा इंप्रेशन पड़ता है. इसी के मद्देनजर सुंदर ज्वैलर्स के मालिक सुंदर वर्मा ने यह जिम्मेदारी गेट के पास बैठने वाले सेल्समैन को सौंप रखी थी. कोई भी ग्राहक आता तो सेल्समैन सेनेटाइजर की बोतल उठा कर पहले उसके हाथ सेनेटाइज कराता, फिर वेलकम के साथ अंदर जाने को कहता. उस दिन शोरूम में जूलरी खरीदने वाले 2-3 ग्राहक मौजूद थे. तभी मास्क लगाए 2 युवकों ने शोरूम में प्रवेश किया. गेट के पास काउंटर पर बैठे सेल्समैन ने सेनेटाइजर से दोनों के हाथ सेनेटाइज कराए. तभी दोनों युवकों ने अपनीअपनी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर तमंचे निकाल लिए. उसी वक्त उन का तीसरा साथी अंदर आ गया.

यह देख शोरूम में मौजूद सभी लोग दहशत में आ गए. एक युवक ने तमंचा तानते हुए काउंटर पर रखा जूलरी बौक्स उठा लिया. इतना ही नहीं, सुंदर वर्मा के बेटे यश को तमंचे के निशाने पर ले कर वह काउंटर लांघ कर तिजोरी के पास पहुंच गया. तिजोरी में कीमती जेवर रखे हुए थे. तिजोरी से जेवरों के डिब्बे, नकदी निकाल कर वह अपने साथी को देने लगा. साथी लुटेरे के पास बैग था, वह जेवर बैग में भरता रहा. इस काम में उस का तीसरा साथी भी मदद कर रहा था. बैग को जेवरों के डिब्बों और नकदी से भर कर वे तीनों तमंचे लहराते हुए शोरूम से बाहर निकल गए. यह सारा काम महज 37 सेकेंड में निपट गया. शोरूम के बाहर लुटेरों की मोटरसाइकिल खड़ी थी. तीनों बाइक पर बैठ कर भाग निकले. यह 11 सितंबर, 2020 की बात है.

लुटेरों ने शोरूम में प्रवेश कर के जब अपने हाथ सैनेटाइज किए, तभी उन के हावभाव से खतरे की आशंका भांप कर शोरूम मालिक सुंदर वर्मा फुरती से शोरूम के पिछले गेट से बाहर निकल कर पीछे बने जीने से छत पर चढ़ गए थे. ऊपर जा कर वह चोरचोर चिल्लाते हुए शोर मचाने लगे. इसी बीच लुटेरे लूट की घटना को अंजाम दे कर शोरूम से भाग निकले. सुंदर वर्मा के शोर मचाने पर आसपास के दुकानदारों और सड़क पर आतेजाते लोगों का ध्यान उन की तरफ गया, लेकिन बदमाशों के हाथों में हथियार देख कर लोग दहशत में आ गए. किसी ने भी बदमाशों को रोकने या टोकने की हिम्मत नहीं दिखाई. लुटेरे खैर रोड की ओर भाग गए. दिनदहाड़े जूलरी शोरूम में हुई लूट की जानकारी होते ही आसपास के दुकानदारों में सनसनी फैल गई.

घटना की खबर मिलने पर आईजी पीयूष मोर्डिया, एसएसपी मुनिराज, एसपी (सिटी) अभिषेक, थाना बन्नादेवी के प्रभारी निरीक्षक रविंद्र दुबे, एसओजी और सर्विलांस टीमें शोरूम पर पहुंच गईं. पुलिस अधिकारियों ने शोरूम मालिक सुंदर वर्मा से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. पुलिस पूछताछ में सुंदर वर्मा से पता चला कि 37 सेकेंड की लूट में लुटेरों ने लगभग 35 लाख की जूलरी और 50 हजार की नकदी लूट ली थी. शोरूम में मौजूद महिला ग्राहक ने लुटेरों की नजरों से बचा कर अपना बैग पीछे छिपा कर बचा लिया था. एक पुरुष ग्राहक काउंटर पर जिस बौक्स में जूलरी देख रहा था, लुटेरे ने उस बौक्स को खींच कर बैग में डाल लिया था.

इस दौरान शोरूम के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए थे. सुंदर वर्मा ने एसएसपी पर बिफर कर गुस्से का इजहार किया. उन्होंने कहा कि 4 साल पहले भी उन के शोरूम पर लूट हुई थी. आज तक न तो माल मिला और न ही लुटेरे पकड़े गए. इस पर इलाके के लोग भी सुंदर वर्मा के समर्थन में आ गए. दिनदहाड़े हुई इस लूट पर सभी ने नाराजगी जताई. एसएसपी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि संयम रखें. इलाके में पुलिस का विश्वास कायम होगा. इस में कुछ समय जरूर लग सकता है, लेकिन इस बार आप को लगेगा कि पुलिस आप के साथ है. बहरहाल, सुंदर वर्मा की तहरीर पर 3 अज्ञात लुटेरों के विरुद्ध लूट का मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जिस में 50 हजार रुपए नकदी और करीब 35 लाख रुपए मूल्य के आभूषण लूटने की बात कही गई.

खाली हाथ ही रही पुलिस घटना के बाद जांच में जुटी पुलिस टीमों ने खैर रोड के सीसीटीवी देखे तो तीनों बदमाश नादा चौराहे से पहले गोमती गार्डन गेस्टहाउस की ओर जाते दिखे. बाद में उन के खैर रोड पर भागने का पता चला. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि बदमाश खैर या खोड़ा क्षेत्र के रहे होंगे. इस को आधार बना कर पुलिस ने अपना ध्यान इसी क्षेत्र के बदमाशों पर लगाया. शोरूम के सीसीटीवी में पूरी घटना रिकौर्ड हुई थी. वहां से जो फुटेज मिले, वे बिलकुल साफ थे, उस से तीनों बदमाशों को पहचाना जा सकता था. इसलिए पुलिस ने उसी फुटेज से बदमाशों के फोटो निकलवा कर जारी कर दिए गए. इस के साथ ही लोगों को बदमाशों का हुलिया बता कर जानकारी जुटाने का प्रयास किया जाने लगा.

ज्वैलरी शोरूम में दिनदहाड़े लूट को अंजाम देने वाले तीनों लुटेरे बेशक मास्क पहने थे, लेकिन उन के चेहरे और कदकाठी सीसीटीवी में कैद हो गई थी, जिसे पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था. एसएसपी मुनिराज की ओर से लोगों से अपील की गई कि जो भी लुटेरों के बारे में जानकारी देगा, उस का नाम गुप्त रखा जाएगा, साथ में पुलिस स्तर से उसे पुरस्कार भी दिया जाएगा. लूट के खुलासे के लिए पुलिस ने एड़ीचोटी का जोर लगा दिया था. इस के साथ ही एसएसपी ने पुलिस पैट्रोलिंग में लापरवाही को ले कर इंसपेक्टर रविंद्र दुबे को निलंबित कर दिया. लूट के दूसरे दिन यानी शनिवार को एडीजी (जोन) अजय आनंद भी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने सुंदर वर्मा से पूरी घटना के बारे में बारीकी से जानकारी ली.

इस लूटकांड के लिए इंसपेक्टर बन्नादेवी को निलंबित किए जाने के बाद से जांच टीम से थाना पुलिस को अलग कर दिया गया था. एसपी (सिटी) अभिषेक और एसपी (क्राइम) के नेतृत्व में एसओजी, सर्विलांस के अलावा इंस्पेक्टर क्वार्सी छोटेलाल व एसओ (जवां) अभय कुमार की टीमें जांच में लगाई गईं. बदमाशों की कदकाठी, बालों के स्टाइल से एक सवाल यह भी खड़ा हुआ कि बदमाश कहीं पुलिस मैडीकल में शामिल होने तो नहीं आए थे. इस बात की तस्दीक करने के लिए एक टीम ने पुलिस लाइन मेडीकल बोर्ड कक्ष के अंदर व बाहर लगे सीसीटीवी चैक कर के बदमाशों के हुलिया का मिलान किया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.

इस लूटकांड की जांच में जुटी पुलिस को अब तक की जांच में कई चौंकाने वाले सुराग हाथ लगे. इन में सब से खास यह था कि घटना के समय शोरूम में मौजूद 3 ग्राहकों में जहां एक दंपति थे, वहीं एक पुरुष ग्राहक पेशेवर लुटेरा भी था, जो अपने गिरवी जेवर छुड़ाने के लिए पहुंचा था. हालांकि ज्वैलर ने उसे पुलिस के सामने क्लीन चिट दे दी थी कि वह पुराना कस्टमर है. मगर पुलिस ने उस से भी व्यापक पूछताछ की. वह मूलरूप से खैर क्षेत्र का रहने वाला था, जो थाना बन्नादेवी क्षेत्र में आता था. वह पहले भी देहली गेट की एक लूट में जेल गया था. पुलिस ने उस से पूछताछ की. कुछ हाथ नहीं लगा तो उसे छोड़ दिया गया. घटना के समय शोरूम में मौजूद ग्राहक दंपति नगला कलार के रहने वाले थे, वे भी पुराने ग्राहक थे. बदमाशों के भागते समय कुछ जेवर शोरूम के फर्श पर गिर गए थे, उन्हें महिला ने बटोर कर अपने कपड़ों में छिपा लिया था. यह दृश्य सीसीटीवी में कैद हो गया था.

पुलिस ने दंपति को पूछताछ के लिए बुला लिया. पहले तो महिला ने जेवर बटोरेने की बात से इनकार किया. लेकिन जब सीसीटीवी में घटना रिकौर्ड होने की बात बताई गई तो महिला डर गई. उस ने चुपचाप जेवर वापस कर दिए. नहीं जुड़ी टूटीफूटी कडि़यां 35 लाख के जेवरात की लूट में अभी कोई लुटेरा पुलिस के हाथ नहीं लगा था. जबकि पुलिस दावा कर रही थी कि वह लूट के खुलासे के करीब है. शिनाख्त के बाद पुलिस लूट और लुटेरों की कडि़यां जोड़ रही थी. पुलिस टीमें लुटेरों की धरपकड़ के लिए एड़ीचोटी का जोर लगाए हुए थीं. उम्मीद की जा रही थी कि जल्द ही पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगेगी. एक पुलिस टीम यह पता लगाने में जुटी थी कि लुटेरे किस की मुखबिरी से लूट करने आए थे. लूट के बाद कहां गए और उन्होंने लूटा हुआ माल कहां गलाया या छिपाया.

पुलिस ने उस बदमाश को भी क्लीनचिट नहीं दी थी जो मौके पर अपने गिरवी जेवरात छुड़ाने पहुंचा था. इसी बीच अचानक कुछ ऐसा हुआ कि अलीगढ़ पुलिस हैरान रह गई. 16 सितंबर बुधवार की शाम नोएडा पुलिस ने मुठभेड़ के बाद अलीगढ़ के एक ज्वैलर के यहां लूट करने वाले 3 लुटेरों को सेक्टर 38ए स्थित जीआईपी मौल के पास से गिरफ्तार कर लिया. मुठभेड़ के दौरान तीनों बदमाशों को पैर में गोली लगी. कोतवाली सेक्टर-39 पुलिस ने तीनों घायल लुटेरों को अस्पताल में भरती कराया. पुलिस ने उन से सुंदर ज्वैलर्स शोरूम से लूटी गई 35 लाख की जूलरी में से लगभग 6 लाख की जूलरी, एक मोटरसाइकिल और 3 तंमचे, जिंदा कारतूस व खोखे बरामद किए.

गिरफ्तार बदमाशों की पहचान अलीगढ़ के गांव सोफा खेड़ा निवासी सौरव कालिया, रोहित और मोहित के रूप में हुई. पूछताछ में तीनों ने सुंदर ज्वैलर्स शोरूम में दिनदहाड़े लूट करने का जुर्म कबूल करते हुए जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

इन बदमाशों ने सुंदर ज्वैलर्स को लूटने की योजना फरवरी महीने में ही बना ली थी. तीनों बदमाश नोएडा की एक नामचीन पान मसाला बनाने वाली फैक्टरी में नौकरी करते थे और गाहेबगाहे अपराधों को भी अंजाम देते थे. तीनों बदमाशों में से एक का चाचा अलीगड़ में खैर रोड स्थित नादा पुल के पास रहता था. बदमाश अकसर उस के पास आया करते थे. इसी दौरान इन की नजर खैर रोड स्थित सुंदर ज्वैलर्स के शोरूम पर पड़ी. फरवरी में तीनों बदमाश सुंदर ज्वैलर्स शोरूम के सामने से हो कर गुजरे थे. लूट को अंजाम देने से पहले इन बदमाशों ने शोरूम की लोकेशन देखने के साथ आसपास के पूरे इलाके की रेकी की थी.

वारदात को अंजाम देने के बाद इन्हें वापसी के लिए यह शोरूम सब से सही लगा था, लेकिन फरवरी महीने के बाद लौकडाउन लगने से ये लोग लूट को अंजाम नहीं दे पाए. इस के बाद लौकडाउन में तीनों की नौकरी चली गई. पैसों की जरूरत महसूस हुई तो तीनों को एक बार फिर खैर रोड स्थित सुंदर ज्वैलर्स के शोरूम की याद आई और फिर मौका मिलते ही इन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया. ज्वैलर लूटकांड में शामिल लुटेरे पेशेवर अपराधी हैं. खास बात यह है कि ये लोग उत्तर प्रदेश में पहली बार पकड़े गए हैं. इस से पहले इन की गिरफ्तारी गुरुग्राम में हुई थी. वहां से जमानत पर छूटने के बाद तीनों गाजियाबाद के खोड़ा में जा कर रहने लगे थे. ये लोग वहीं से इधरउधर अपराध करने जाते थे.

चूंकि तीनों बदमाश पान मसाला फैक्टरी में नौकरी करते थे, इसलिए गांव के आसपास के ज्यादा लोगों को इन पर शक नहीं होता था. बाद में जब इन के कारनामे उजागर हुए तो लोग हैरान रह गए. 11 सितंबर को अलीगढ़ स्थित जूलरी शोरूम में लूट की घटना को अंजाम के बाद तीनों मोटरसाइकिल पर सवार हो कर फरार हो गए थे. घटना के बाद ये लोग फरीदाबाद में छिप गए. मुठभेड़ वाले दिन तीनों लुटेरे मोटरसाइकिल से खोड़ा में किराए पर लिए कमरे पर जा रहे थे. पुलिस ने जब खोड़ा स्थित इन बदमाशों के कमरे की तलाशी ली तो वैसे ही कपड़े मिले जैसे एक बदमाश घटना के समय पहने था, जो सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहे थे.

लौकडाउन में आई याद ज्वैलरी शोरूम की सुंदर ज्वैलर्स के शोरूम पर लूट करने वाले तीनों बदमाशों ने एक साल पहले 12 अक्टूबर, 2019 को अपने गांव सोफा खेड़ा की प्रधान शांतिदेवी के 53 वर्षीय पति कालीचरण की गोली मार कर हत्या कर दी थी. कालीचरण की हत्या इन्होंने सुपारी ले कर की थी. कालीचरण पर गांव के ही हरिओम की हत्या का आरोप था. हरिओम का बेटा अमन जो जेल में है, ने इन तीनों लुटेरों को सुपारी दे कर कालीचरण की हत्या कराई थी. इस के बाद से ये तीनों गांव से फरार थे. तीनों बदमाशों का अपराधों से गहरा संबंध रहा है. इन का गिरोह अलीगढ़ जनपद में डी श्रेणी में सौरभ गैंग के रूप में दर्ज है. अलीगढ़ के अलावा दिल्ली एनसीआर क्षेत्र, गुरुग्राम, नोएडा, सिकंदराराऊ, अतरौली और खैर आदि में भी इन पर संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं.

इन में सौरव कालिया पर 7, रोहित पर 8 तथा मोहित पर 9 मुकदमे लूट, चोरी, धमकी देने, आर्म्स एक्ट, हत्या और हत्या के प्रयास के मुकदमे दर्ज हैं. सौरव और मोहित पर गैंगस्टर एक्ट में काररवाई भी हो चुकी है. लौकडाउन में भी गुरुग्राम की पुलिस खैर स्थित सोफा खेड़ा में इन बदमाशों के घर पहुंची थी और कुर्की नोटिस चस्पा कर गई थी. बन्नादेवी पुलिस ने न्यायालय में बी वारंट के लिए आवेदन किया था, जिस पर न्यायालय ने तीनों आरोपियों को अलीगढ़ न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया. नोएडा पुलिस ने 21 सितंबर को बी वारंट पर तीनों को अलीगढ़ न्यायालय में पेश किया. अदालत ने इन तीनों को लूट के मुकदमे में अभिरक्षा में जिला कारागार भेज दिया.

पकड़े गए बदमाशों की आजीविका का मुख्य आधार लूटपाट ही था. लूटपाट कर के ये लोग उस पैसे को अपने शौक और ऐशोआराम पर खर्च करते थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Uttar Pradesh News : नईनवेली दुलहन प्रगति ने दी पति की मौत की सुपारी

Uttar Pradesh News : प्रगति की बड़ी बहन पारुल की शादी एक करोड़पति परिवार में हुई थी. फिर प्रगति ने भी बहन के 21 वर्षीय देवर दिलीप यादव को अपने प्यार के जाल में फांस कर उस से शादी कर ली. शादी के 2 हफ्ते बाद ही ऐसा क्या हुआ कि 19 वर्षीय नईनवेली दुलहन प्रगति ने मुंहदिखाई में मिले पैसों से सुपारी दे कर पति की हत्या करा दी?

शादी के बाद 5 दिन ससुराल में रह कर प्रगति यादव अपने मायके आ गई. उस का भाई आलोक चौथी चला कर ससुराल से उसे लाया था. वह ससुराल से आई तो बेहद खुश थी. ससुराल से कोई शिकायत भी नहीं आई थी, इसलिए प्रगति के फेमिली वाले भी खुश थे. लेकिन प्रगति के दिमाग में क्या बवंडर चल रहा है, उस की खुशी में कितना जहर घुला है, इस का अंदाजा फेमिली वाले नहीं लगा सके. मायके आने के दूसरे रोज ही प्रगति ने अपने प्रेमी अनुराग उर्फ मनुज से मोबाइल फोन पर बात की और उसे मिलने के लिए औरैया हाइवे स्थित होटल बांकेबिहारी बुलाया. कुछ ही देर बाद अनुराग होटल पहुंच गया. वहां प्रगति उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. होटल में बैठ कर उन के बीच बातचीत शुरू हुई.

प्रगति बोली, ”मनुज, प्लान के मुताबिक मैं ने दिलीप से शादी कर ली और उस की दुलहन बन गई. किसी को शक न हो, इसलिए सुहागरात को भी किसी तरह का विरोध नहीं किया. हालांकि सुहाग सेज पर मुझे तुम्हारी याद सताती रही, लेकिन अब मैं अधिक दिनों तक इंतजार नहीं कर सकती. आगे का प्लान क्या है?’’

अनुराग उर्फ मनुज प्रगति का हाथ अपने हाथ में लेता हुआ बोला, ”प्रगति, तुम चिंता मत करो. तुम्हारे पति दिलीप को ठिकाने लगाने के लिए मैं ने अपने मौसेरे भाई दुर्लभ के जरिए सुपारी किलर को खोज लिया है, लेकिन समस्या रुपयों की है?’’

”रुपयों की चिंता तुम मत करो. उस का इंतजाम हो गया है. मुंहदिखाई रस्म में दिलीप के घरवालों और रिश्तेदारों ने लगभग 70 हजार रुपए मुझे दिए हैं. इस के अलावा 30 हजार रुपए दिलीप ने मुझे खर्च के लिए दिए हैं. इस तरह मेरे पास एक लाख रुपया नकद और 8 लाख रुपए कीमत के गहने हैं. तुम सुपारी किलर को बुला लो. आमनेसामने बैठ कर पति की मौत का सौदा हो जाएगा.’’

इस के बाद अनुराग उर्फ मनुज ने दुर्लभ यादव के माध्यम से औरैया जिले के थाना अछल्दा के गांव रामनगर निवासी कुख्यात अपराधी रामजी नागर उर्फ चौधरी से बात की. वह होली के 2 दिन पहले ही जेल से छूट कर आया था. उसे पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए वह सुपारी लेने को राजी हो गया था. 17 मार्च, 2025 को अनुराग व प्रगति फिर से होटल बांकेबिहारी पहुंचे. वहां अनुराग ने दुर्लभ के माध्यम से सुपारी किलर रामजी नागर उर्फ चौधरी को भी बुलवा लिया. फिर आमनेसामने बैठ कर प्रगति ने पति की हत्या का सौदा तय करना शुरू किया.

रामजी नागर ने 3 लाख रुपए मांगे, लेकिन प्रगति अधिक रकम की बात कह कर राजी नहीं हुई. बाद में दुर्लभ के माध्यम से दिलीप की मौत का सौदा 2 लाख रुपए में तय हो गया. एडवांस के तौर पर प्रगति ने एक लाख रुपया नकद सुपारी किलर रामजी नागर को दे दिए तथा शेष काम होने के बाद देने का वादा किया. पति की मौत की सुपारी देने के बाद प्रगति पति दिलीप से रसभरी मीठीमीठी बातें करने लगी. कभी काल कर तो कभी वीडियो कालिंग के जरिए बात करती. दिलीप भी नईनवेली पत्नी की बातों में खूब दिलचस्पी लेता. दिलीप को महसूस नहीं हुआ कि पत्नी का प्यार छलावा है. उस की रसभरी बातों में जहर भरा है.

19 मार्च, 2025 की सुबह 10 बजे प्रगति ने दिलीप से मोबाइल फोन पर बात की तो उस ने बताया कि वह इस समय कन्नौज के उमर्दा कस्बे में है. पुल निर्माण का काम चल रहा है. वह भी हाइड्रा (क्रेन) ले कर आया था. उस का काम आज खत्म हो गया है. कुछ देर बाद वह घर के लिए निकलने वाला है.

हत्या होने तक किलर के संपर्क में रही प्रगति

प्रगति ने तत्काल इस की सूचना अपने प्रेमी अनुराग को दी. अनुराग ने सुपारी किलर रामजी नागर को सूचित किया. रामजी नागर अपने 2 साथियों शिवम व दुर्लभ के साथ बाइक से बेला चौराहे पर पहुंच गया. दोपहर लगभग डेढ़ बजे दिलीप ने बेला चौराहा पार किया और दिबियापुर की ओर रवाना हुआ. तभी रामजी नागर व उस के 2 साथियों शिवम और दुर्लभ ने उस का पीछा किया. पटना नहर पुल के आगे पहुंचने पर एक ढाबे पर खाना खाने के लिए दिलीप रुका. पीछे से रामजी नागर भी आ गया. खाना खाते समय दिलीप ने अपने बड़े भाई संदीप को फोन किया कि वह हाइड्रा (क्रेन) ले कर वापस आ रहा है. पटना नहर पुल के पास स्थित ढाबे पर खाना खा रहा है. एक घंटे में घर पहुंच जाएगा.

इधर खाना खाने के बाद दिलीप ढाबे के बाहर निकला तो रामजी नागर ने पूछा, ”भाईसाहब, यह हाइड्रा (क्रेन) आप की है?’’

”हमारी है. कुछ काम है?’’ दिलीप ने पूछा.

”हां, बहुत जरूरी काम है. दरअसल, हमारी कार बेकाबू हो कर नहर पटरी फांद कर नहर में गिर गई है. उसे निकालना है. आप मेरे साथ चल कर रास्ता देख लें. फिर क्रेन से उसे निकाल देना. आप जो पैसे कहेंगे, हम चुकता कर देंगे.’’

दिलीप यादव लालच में आ गया. उस ने सोचा छोटे से काम के हजार-2 हजार रुपए मिल जाएंगे. अत: वह उस के साथ जगह देखने को राजी हो गया. रामजी नागर व उस के साथी शिवम और दुर्लभ दिलीप को बाइक पर बीच में बिठा कर चल पड़े. लगभग 7 किलोमीटर का सफर तय कर उन की बाइक पलिया गांव के पास नहर पटरी पर रुकी. बाइक से उतरते ही रामजी नागर, शिवम और दुर्लभ ने दिलीप को दबोच लिया और उसे घसीटते हुए नहर पटरी से कुछ दूर गेहूं के खेत में ले गए. वहां मारपीट कर तथा धारदार हथियार से हमला कर दिलीप को लहूलुहान कर दिया. लेकिन अब भी दिलीप की सांसें चल रही थीं.

फिर रामजी नागर ने कमर में खोंसा तमंचा निकाल लिया और दिलीप की कनपटी से सटा कर फायर कर दिया. उस के बाद उसे मरा समझ कर तीनों बाइक से फरार हो गए. इस बीच प्रगति प्रेमी व सुपारी किलर से मोबाइल फोन के जरिए संपर्क में रही. शाम 4 बजे पलिया गांव के कुछ लोगों ने नहर किनारे गेहूं के खेत में एक युवक को मरणासन्न हालत में पड़े देखा तो सूचना डायल 112 पुलिस को दी. पुलिस मौके पर पहुंची और सूचना थाना सहार को दी. सूचना पाते ही थाना सहार के एसएचओ पंकज मिश्रा सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उस समय युवक की सांसें चल रही थीं. अत: जान बचाने के लिए युवक को बिधूना ले गए और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भरती करा दिया.

इधर जब 2 घंटे तक दिलीप घर नहीं पहुंचा तो उस के भाई संदीप ने उसे काल लगाई. काल इंसपेक्टर पंकज मिश्रा ने रिसीव की. उन्होंने संदीप को बताया कि यह मोबाइल फोन जिस युवक का है, वह मरणासन्न हालत में सामुदायिक स्वास्थ केंद्र बिधूना में भरती है. यह सुनते ही संदीप घबरा गया. उस ने एसएचओ को बताया कि घायल युवक उस का भाई दिलीप है. वह जल्द ही बिधूना अस्पताल पहुंच रहा है. इस के बाद संदीप ने दिलीप के घायल होने की खबर अपने भाइयों, मम्मीपापा तथा दिलीप की ससुराल में दी. फिर भाई अक्षय के साथ बिधूना पहुंच गया. अस्पताल में उस ने भाई दिलीप की हालत देखी तो डाक्टरों से उस ने बात की. गंभीर हालत देख कर डाक्टरों ने दिलीप को मैडिकल कालेज सैफई रेफर कर दिया.

सैफई मैडिकल कालेज में जब दिलीप का इलाज शुरू हुआ और मस्तिष्क का सीटी स्कैन हुआ तो पता चला कि कनपटी में गोली फंसी है. अब तक दिलीप का पूरा परिवार मैडिकल कालेज आ पहुंचा था. दिलीप की पत्नी प्रगति भी अपने भाई आलोक के साथ आई थी. पति की हालत देख कर वह फफक पड़ी और बोली, ”अभी तो मेरे हाथों से मेहंदी का रंग भी नहीं छूटा और भगवान तूने ये क्या गजब ढा दिया. इन को कुछ हो गया तो मैं कैसे जिंदा रहूंगी.’’

भाई आलोक ने किसी तरह बहन को संभाला. हालांकि उसे सब पता था कि यह नाटक कर रही है.

करोड़पति बाप की औलाद निकला मृतक

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दिलीप को गोली लगने की सूचना पुलिस के आला अधिकारियों को लगी तो एसपी अभिजीत आर. शंकर, एएसपी आलोक मिश्रा, डीएसपी भरत पासवान तथा एसएचओ पंकज मिश्रा सैफई मैडिकल कालेज पहुंचे और घायल दिलीप यादव के फेमिली वालों से बातचीत की. वहीं अधिकारियों को पता चला कि दिलीप एक करोड़पति व्यापारी का बेटा है. उस की अभी हाल में ही शादी हुई थी. पर सवाल था कि दिलीप की जान कौन लेना चाहता था? इस का सही जवाब दिलीप के फेमिली वालों के पास भी नहीं था.

दूसरे रोज सैफई मैडिकल कालेज में दिलीप की हालत बिगड़ी तो घर वाले उसे ग्वालियर के अस्पताल ले गए. वहां मन नहीं भरा तो उसे आगरा ले गए. अंत में उन्होंने औरैया के चिचौली मैडिकल कालेज में भरती कराया. लेकिन 21 मार्च की सुबह दिलीप ने अंतिम सांस ली. मौत के बाद दिलीप के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया. पोस्टमार्टम के बाद शव को उस के घर वालों को सौंप दिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार दिलीप के शरीर में 9 गंभीर चोटों के निशान मिले, जो किसी धारदार हथियार के थे. सिर के पीछे 315 बोर की गोली निकली थी.

पोस्टमार्टम के बाद फेमिली वाले दिलीप का शव पैतृक गांव नगला दीपा ले गए. शव पहुंचते ही गांव में कोहराम मच गया. बेटे की लाश देख कर पापा सुमेर सिंह व मम्मी सुमन देवी बिलख पड़ीं. अन्य घर वालों की आंखों से भी आंसू बहने लगे. मृतक दिलीप की पत्नी प्रगति भी ससुराल में ही थी. प्रगति ने पति के शव पर इतने आंसू बहाए कि देखने वालों का कलेजा कांप उठा. किसी तरह उस की बहन पारुल ने उसे संभाला. फिर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

इधर सहार थाने के एसएचओ पंकज मिश्रा ने संदीप यादव की तहरीर पर पहले दिलीप पर जानलेवा हमले (बीएनएस की धारा 109) की रिपोर्ट दर्ज की, फिर मौत होने पर इस रिपोर्ट को हत्या (बीएनएस की धारा 103) में तरमीम कर दिया. चूंकि हत्या का यह मामला एक बड़े कारोबारी के बेटे का था, अत: औरैया के एसपी अभिजीत आर. शंकर ने इस मामले को बड़ी गंभीरता से लिया और इस ब्लाइंड मर्डर का रहस्य खोलने के लिए एएसपी आलोक मिश्रा तथा डीएसपी भरत पासवान की निगरानी में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में इंसपेक्टर पंकज मिश्रा, स्वाट टीम प्रभारी राजीव कुमार, तेजतर्रार पुलिसकर्मियों तथा सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

पुलिस कप्तान द्वारा गठित इस पुलिस टीम ने बड़ी तेजी से काम शुरू किया. टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर ढाबा मालिक व वहां के कर्मचारियों से पूछताछ की. उस के बाद पुलिस टीम ने ढाबा से पलिया गांव तक, जहां दिलीप गेहूं के खेत में मरणासन्न अवस्था में पड़ा था, बारीकी से निरीक्षण किया तथा लगभग 7 किलोमीटर की दूरी तक सड़क व नहर पटरी पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की. इसी जांच में पटना नहर पुल पर लगे सीसीटीवी कैमरे में एक सफेद रंग की बाइक पर 4 लोग पलिया गांव की ओर जाते दिखे, लेकिन वापसी में 3 लोग ही दिखे. इस फुटेज में एक का चेहरा साफसाफ दिख रहा था.

सुपारी किलर ऐसे चढ़ा पुलिस के हत्थे

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सीसीटीवी कैमरे की इस फुटेज को पुलिस टीम ने अन्य थानों से साझा किया तो अछल्दा थाने की पुलिस से महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. थाना अछल्दा पुलिस ने टीम को बताया कि फुटेज में बाइक चलाने वाला युवक कुख्यात अपराधी रामजी नागर उर्फ चौधरी है, जो अछल्दा थाने के ही गांव रामनगर का रहने वाला है. उस पर 10 मुकदमे दर्ज हैं. अभी एक सप्ताह पहले ही उसे गैंगस्टर एक्ट में जमानत मिली है. इस समय वह जेल से बाहर है.

पुलिस टीम समझ गई कि दिलीप की हत्या में गैंगस्टर रामजी नागर का हाथ जरूर है, अत: उसे पकडऩे के लिए पुलिस ने उस के गांव रामनगर में छापा मारा. लेकिन वह हाथ नहीं आया. इंसपेक्टर पंकज मिश्रा व स्वाट टीम प्रभारी राजीव कुमार ने तब रामजी नागर की टोह में अपने खास मुखबिरों को लगा दिया तथा खुद भी छापेमारी करते रहे. 24 मार्च, 2025 को दोपहर 12 बजे इंसपेक्टर पंकज मिश्रा को एक खास मुखबिर ने थाने आ कर खबर दी कि गैंगस्टर रामजी नागर इस समय हरपुरा मोड़ पर मौजूद है. वह किसी युवक से पैसे के लेनदेन को ले कर बहस कर रहा है. अगर तुरंत दबिश दी जाए तो उसे पकड़ा जा सकता है.

चूंकि सूचना अतिमहत्त्वपूर्ण थी, अत: एसएचओ पंकज मिश्रा पुलिस टीम के साथ हरपुरा मोड़ पहुंचे. पुलिस देख कर 2 युवक तेजी से भागे. लेकिन पुलिस टीम ने उन दोनों को दबोच लिया. उन्हें थाना सहार लाया गया. थाने में जब उन से पूछताछ की तो एक ने अपना नाम रामजी नागर उर्फ चौधरी पिता का नाम महेश नागर निवासी रामनगर, दूसरे युवक ने अपना नाम अनुराग उर्फ मनुज यादव पुत्र राम मनोहर यादव निवासी सियापुर हजियापुर थाना फफूंद, जिला औरैया बताया.

इंसपेक्टर पंकज मिश्रा ने जब रामजी नागर की जामातलाशी ली तो उस के पास से 315 बोर का एक तमंचा, 2 जीवित कारतूस, एक मोबाइल फोन, एक चाकू तथा 2 हजार रुपए नकद बरामद किए. अनुराग उर्फ मनुज की जामातलाशी में 315 बोर का एक तमंचा, 2 जीवित कारतूस, एक मोबाइल फोन तथा एक हजार रुपया नकद मिले. बरामद सामान को पुलिस ने सुरक्षित कर लिया. रामजी नागर ने हरपुरा मोड़ से वह बाइक भी बरामद करा दी, जिसे उस ने दिलीप की हत्या में प्रयोग किया था.

पुलिस टीम ने हाइड्रा चालक दिलीप यादव की हत्या के संबंध में रामजी नागर उर्फ चौधरी से पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया. इंसपेक्टर पंकज मिश्रा समझ गए कि रामजी नागर आसानी से कुछ नहीं बताएगा, अत: उन्होंने उस पर सख्ती की. कुछ ही देर बाद रामजी नागर टूट गया और उस ने दिलीप की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि दिलीप की हत्या की सुपारी उस की नईनवेली पत्नी प्रगति यादव व उस के आशिक अनुराग उर्फ मनुज ने अपने मौसेरे भाई दुर्लभ के माध्यम से दी थी. सौदा 2 लाख में तय हुआ था और एक लाख रुपया एडवांस मिला था. बाकी के रुपए लेने के लिए आज उस ने अनुराग को बुलाया था, तभी पुलिस द्वारा पकड़ा गया.

पूछताछ के दौरान रामजी नागर की चीखें अनुराग के कानों से भी टकरा रही थीं, जिस से वह घबरा उठा था. अत: जब पुलिस टीम ने अनुराग उर्फ मनुज से पूछताछ की तो वह सहज ही टूट गया. उस ने बताया कि प्रगति और वह एकदूसरे से प्यार करते हैं. शादी के बाद दिलीप उस के प्यार में बाधक बनता, इसलिए उस ने व प्रगति ने सुपारी दे कर दिलीप की हत्या करवा दी. चूंकि दिलीप की हत्या उस की नईनवेली दुलहन प्रगति यादव ने ही सुपारी दे कर कराई थी, अत: उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम प्रगति के गांव सियापुर हजियापुर पहुंची, लेकिन वह मायके में नहीं थी. उस के भाई आलोक ने बताया कि प्रगति अपनी ससुराल नगला दीपा गांव में है.

उस के बाद पुलिस टीम नगला दीपा गांव पहुंची और प्रगति यादव को गिरफ्तार कर लिया. बहू की गिरफ्तारी का ससुराल वालों ने विरोध किया तो एसएचओ पंकज मिश्रा ने उन्हें बताया कि उन की बहू प्रगति ने ही सुपारी दे कर उन के बेटे दिलीप को मरवाया है. यह जान कर परिजन सन्न रह गए. उस के बाद प्रगति को थाना सहार लाया गया, जहां उस का सामना अपने प्रेमी अनुराग व सुपारी किलर रामजी नागर से हुआ तो वह समझ गई कि पति की हत्या का राज खुल गया है. उस ने बिना किसी हीलाहवाली के अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

इंसपेक्टर पंकज मिश्रा ने दिलीप की हत्या का परदाफाश करने तथा हत्यारोपियों को पकडऩे की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो एसपी अभिजीत आर. शंकर ने एएसपी आलोक मिश्रा के साथ औरैया पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता की और दिलीप की हत्या का खुलासा किया. चूंकि हत्यारोपियों ने जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: पुलिस ने मृतक के बड़े भाई संदीप यादव को वादी बना कर बीएनएस की धारा 103(1) तथा 61(2) के तहत रामजी नागर, अनुराग उर्फ मनुज यादव तथा प्रगति यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

चूंकि आरोपी रामजी नागर व अनुराग के पास से तमंचा व कारतूस भी बरामद हुए थे, अत: पुलिस ने धारा 3/25 के तहत भी उन दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की. पुलिस की जांच, आरोपियों के बयान तथा अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर एक ऐसी युवती की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने प्रेमी के साथ जिंदगी बिताने के लिए शादी के 14 दिन बाद ही अपने पति को सुपारी दे कर मरवा दिया.

पिता के दुश्मन के बेटे को दिल दे बैठी थी प्रगति

उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद के फफूंद थानांतर्गत एक गांव है-सियापुर हजियापुर. इसी गांव में हरिगोविंद सिंह यादव सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी कमला देवी के अलावा 3 बेटे आलोक, आशुतोष, संतोष तथा 2 बेटियां पारुल व प्रगति थीं. हरिगोविंद सिंह पहले औरैया के दिबियापुर कस्बे के संजय नगर मोहल्ले में रहते थे. बाद में वह गांव आ कर रहने लगे थे. वह प्राइवेट नौकरी कर परिवार का भरणपोषण करते थे. हरिगोविंद सिंह यादव के तीनों बेटे आलोक, आशुतोष व संतोष पढऩे में तेज थे. उन्होंने औरैया के तिलक कालेज से बीएससी पास की, फिर बाहर जौब करने लगे. आशुतोष उज्जैन में एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक था. तीनों विवाहित थे और परिवार सहित बाहर रहते थे. तीजत्योहारों या शादीविवाह में ही वे पैतृक गांव आते थे.

हरिगोविंद सिंह की बेटी पारुल व प्रगति भी पढऩे में तेज थीं. उन दोनों ने 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई आदर्श शिक्षा निकेतन दिबियापुर से की, फिर इंटरमीडिएट की परीक्षा औरैया के कालेज से पास की. उस के बाद मम्मी कमला देवी ने दोनों की पढ़ाई बंद करा दी और घर के कामकाज में लगा लिया. पारुल अब तक 18 साल की हो चुकी थी, इसलिए हरिगोविंद सिंह को उस के हाथ पीले करने की चिंता सताने लगी थी. वह बेटी का विवाह ऐसे घर में करना चाहते थे, जहां संपन्नता हो और किसी चीज का अभाव न हो. काफी हाथपैर मारने के बाद उन्हें संदीप पसंद आ गया.

संदीप के पिता सुमेर सिंह यादव मैनपुरी जिले की तहसील भोगांव के अंतर्गत आने वाले गांव नगला दीपा के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सुमन देवी के अलावा 4 बेटे संदीप, अक्षय, दिलीप व सचिन तथा एक बेटी प्रियंका थी. अभी तक उन के किसी भी बेटे की शादी नहीं हुई थी, अत: वह बड़े बेटे संदीप की शादी को लालायित थे. सुमेर सिंह यादव करोड़पति धनाढ्य व्यापारी थे. उन का हाइड्रा और क्रेन मशाीन का कारोबार था. उन के पास 10 हाइड्रा व 12 क्रेन मशीनें थीं. उन का बड़ा बेटा संदीप अपने भाइयों के साथ जेसीबी और हाइड्रा जैसे उपकरणों को किराए पर चलाता था. उस की ज्यादातर मशीनें सेतु निगम में लगी रहती थीं.

सुमेर सिंह यादव का एक मकान औरैया के दिबियापुर कस्बे में सेहुद मंदिर के पास है. संदीप यादव इसी मकान में भाइयों के साथ रह कर कारोबार चलाता था. उस ने मकान के भूतल पर ‘एसएस यादव क्रेन सर्विस’ के नाम से औफिस खोल रखा था. उस का यह व्यापार औरैया से लखनऊ तक फैला था. संदीप व उस के कारोबार को देख कर हरिगोविंद सिंह ने उसे अपनी बेटी पारुल के लिए पसंद कर लिया. फिर 9 फरवरी, 2019 को पारुल का विवाह संदीप के साथ धूमधाम से कर दिया. पारुल दुलहन बन कर ससुराल आ गई. आते ही उस ने घर संभाल लिया.

पारुल से छोटी प्रगति थी. वह अपनी बड़ी बहन से ज्यादा सुंदर थी. सत्रहवां बसंत पार करते ही उस की सुंदरता में और भी निखार आ गया था. गोरा रंग, बड़ीबड़ी कजरारी आंखें और चंचल चितवन किसी को भी अपनी ओर खींच लेती थी. प्रगति के घर से 100 कदम की दूरी पर अनुराग उर्फ मनुज रहता था. उस के पिता राममनोहर यादव प्राइवेट नौकरी व खेती करते थे. परिवार में बेटे अनुराग के अलावा 2 बेटियां पप्पी व बबली थीं. बबली की शादी हो चुकी थी. वह उमर्दा में पति के साथ रहती थी.

25 वर्षीय अनुराग उर्फ मनुज आकर्षक युवक था. बीएससी पास करने के बाद उस ने नौकरी का प्रयास किया. असफल होने पर वह ट्रैक्टर चलाने लगा. अनुराग ठाटबाट से रहता था और गांव में बाइक से घूमता था. पड़ोसी होने के नाते जब कभी प्रगति व अनुराग की आंखें चार होतीं तो उन की आंखों में प्यार का समंदर उमड़ पड़ता. लेकिन चाह कर भी दोनों आपस में बात न कर पाते. क्योंकि उन्हें घर वालों का डर सताता था. यह बात कोरोना काल की है.

दरअसल, हरिगोविंद सिंह व राममनोहर के बीच 5 बीघा जमीन को ले कर विवाद चल रहा था, जिस से दोनों परिवारों के बीच दुश्मनी थी. उन का हुक्कापानी भी बंद था. लेकिन प्रगति व अनुराग एकदूसरे को मन ही मन चाहने लगे थे. प्रगति मनुज के ठाटबाट से प्रभावित थी. मनुज भी प्रगति की खूबसूरती का दीवाना था. चाहत दोनों तरफ से थी. धीरेधीरे उन की चाहत बढ़ी तो उन का मिलन घर के बाहर होने लगा. प्रगति की मौसी का घर औरैया में था. प्रगति मौसी के घर जाती फिर साईं मंदिर जाने का बहाना कर घर से निकलती और बांकेबिहारी होटल पहुंच जाती. वहीं अनुराग भी आ जाता. फिर घंटों बैठ कर दोनों प्यार भरी बातें करते.

इसी होटल में एक रोज प्रगति और अनुराग ने अपने प्यार का इजहार किया और साथ जीनेमरने का वादा किया. दुश्मनी के कारण दोनों नेे प्यार की भनक घर वालों को नहीं लगने दी. प्रगति का आनाजाना अपनी बहन पारुल की ससुराल में लगा रहता था. वह बहन व उस के परिवार के वैभव से प्रभावित थी. उस का मन करता कि उस का प्रेमी अनुराग भी ऐसा ही अमीर होता तो वह भी उस से शादी कर खुशी से जीवन बिताती. इसी सोच में उस ने एक रोज खतरनाक प्लान बना लिया और अपने प्लान से प्रेमी अनुराग को भी अवगत करा दिया.

बहन के करोड़पति देवर को ऐसे फांसा जाल में

प्रगति का प्लान था कि वह अपनी दीदी पारुल के देवर दिलीप को अपने प्यार के जाल में फंसाएगी और शादी करने के बाद उस का मर्डर करा देगी. उस के बाद प्रौपर्टी में उसे उस का हिस्सा मिल जाएगा फिर वह दोबारा प्रेमी से शादी रचा लेगी और शानोशौकत से जिंदगी बिताएगी. अनुराग को प्रगति के इस प्लान पर पहले तो आश्चर्य हुआ, लेकिन दोहरा फायदा देख कर अनुराग भी प्रगति का साथ देने को राजी हो गया. इस प्लान के बाद प्रगति का पारुल की ससुराल आनाजाना बढ़ गया. वह दिलीप पर डोरे डालने लगी. 21 वर्षीय दिलीप भी प्रगति की ओर आकर्षित होने लगा. दिलीप हाइड्रा चलाता था और दिबियापुर में रहता था.

प्रगति किसी न किसी बहाने दिबियापुर पहुंच जाती और दिलीप के साथ घूमती. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढऩे लगा. फिर एक रोज ऐसा भी आया कि दोनों एकदूसरे से ब्याह करने को उतावले हो उठे. इसी बीच घर वालों ने दिलीप का विवाह कहीं और तय कर दिया. दिलीप को शादी की बात पता चली तो उस ने साफ इंकार कर दिया. दिलीप ने फेमिली वालों को साफ बता दिया कि वह और प्रगति एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. उस की शादी कहीं और की गई तो वह आत्महत्या कर लेगा.

दिलीप की इस धमकी से घर वाले डर गए. उस के बाद सुमेर सिंह यादव ने प्रगति व उस के पिता हरिगोविंद सिंह व भाई आलोक से शादी के संबंध में बात की. दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद दिलीप का रिश्ता प्रगति के साथ तय हो गया. हालांकि इस शादी को पारुल राजी नहीं थी. शादी की तारीख तय हुई 5 मार्च 2025. इधर शादी तय होने की बात अनुराग उर्फ मनुज को मालूम हुई तो वह नाराज हुआ. इस पर प्रगति ने अनुराग से कहा कि वह ज्यादा दिनों तक ससुराल में नहीं रहेगी. आते ही वह प्लान को पूरा करेगी. वह तब तक सुपारी किलर का इंतजाम कर ले. प्रगति के इस आश्वासन पर मनुज मान गया.

5 मार्च, 2025 को दिबियापुर के ‘राधाकृष्ण मैरिज हाल’ में प्रगति का विवाह दिलीप के साथ बड़ी धूमधाम से हो गया. प्रगति दिलीप की दुलहन बन कर ससुराल नगला दीपा आ गई. यहां उस की खूब आवभगत हुई. मुंहदिखाई रस्म में उसे सोनेचांदी के उपहार के अलावा लगभग 70 हजार रुपए नकद मिले. सुहागरात को दिलीप ने भी उसे घूंघट उठाई पर सोने की अंगूठी व 30 हजार रुपए दिए. सामाजिक रीतिरिवाज के अनुसार नई दुलहन ससुराल में जलती होली नहीं देखती. अत: उस का भाई आलोक आया और 10 मार्च को प्रगति की चौथी रस्म अदा कर प्रगति को लिवा लाया. मायके आने के दूसरे रोज ही प्रगति ने अपने प्रेमी अनुराग उर्फ मनुज को होटल बुला कर बात की, फिर पति की हत्या की सुपारी 2 लाख में सुपारी किलर रामजी नागर को दे दी.

प्रगति के कुकृत्य से उस का भाई आलोक बेहद खफा है. मामला खुलने के बाद उस ने कहा कि प्रगति ने जो पाप किया है, उस की सजा उसे फांसी होनी चाहिए. जेल में वह व उस के परिवार का कोई सदस्य उस से मिलने नहीं जाएगा. न ही किसी तरह की पैरवी उसे जेल से रिहा कराने के लिए की जाएगी. पुलिस उस का एनकाउंटर कर दे तो वह उस के शव पर हाथ भी नहीं लगाएगा. मृतक दिलीप के मम्मीपापा व भाइयों ने भी प्रगति को फांसी की सजा देने की मांग की है. फांसी से कम सजा उन्हें मंजूर नहीं है. 25 मार्च, 2025 को पुलिस ने हत्यारोपी रामजी नागर, अनुराग उर्फ मनुज व प्रगति को इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

27 मार्च, 2025 की रात इंसपेक्टर पंकज मिश्रा ने चेकिंग के दौरान सुपारी किलर रामजी नागर के साथी शिवम व दुर्लभ यादव को भी गिरफ्तार कर लिया. दोनों दिलीप हत्याकांड में वांछित थे. उन के पास से 2 तमंचे तथा 4 कारतूस बरामद हुए. उन दोनों को भी जेल भेज दिया गया.

 

 

Crime News : डब्ल्यूटीसी और भूटानी ग्रुप ने लोगों के हड़पे कई सौ करोड़

Crime News : शहर में अपनी छत, अपना घर हर इंसान का सपना होता है. इसीलिए पिछले 2 दशकों में लोगों के इस सपने को पूरा करने के लिए देश भर में बिल्डरों, रियल एस्टेट ग्रुप्स और डेवलपर्स की बाढ़ आ गई है. इन में कुछ ईमानदारी से काम करते हैं तो कुछ जनता के सपने पूरा करने का सपना दिखा कर उन के खूनपसीने की कमाई पर डाका डालते हैं. कुछ रियल एस्टेट ग्रुप्स ने आशियाने का ख्वाब दिखा कर लोगों की जेब से सैकड़ों करोड़ रुपए इतनी आसानी से निकाल लिए कि…

रियल एस्टेट के ये ग्रुप इतने चतुर होते हैं कि वे जनता के पैसे का ही इस्तेमाल कर उन की अपनी संपत्ति का मालिक बनाने के ऐसे सपने दिखाते हैं, जो कभी पूरा ही नहीं होता. अपनी संपत्ति का सपना दिखाने वाले लोगों को बताते हैं कि वे अगर उन के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में पैसा लगाएंगे तो कुछ समय बाद उन्हें अच्छा रिटर्न मिलेगा. यानी प्रोजेक्ट के लिए एडवांस में एक निश्चित रकम निवेश करने के बाद जब वे अपनी संपत्ति के मालिक बनेंगे तो उस की कीमत कई गुना बढ़ जाएगी. अपनी संपत्ति होने का रंगीन सपना देखने वाले ये लोग भूल जाते हैं कि रियल एस्टेट कई तरह के घोटालों से भरा हुआ उद्योग है.

रियल एस्टेट में जुड़े धोखेबाज कई तरह झूठे वादे कर के खरीदारों, विक्रेताओं और निवेशकों का शोषण करते हैं, जिस से वे अपनी खूनपसीने की कमाई गंवा देते हैं और कानूनी परेशानियों का सामना करने लगते हैं. अपना घर, दुकान या औफिस के लिए निवेश करते समय रियल एस्टेट से जुड़े लोग कई प्रोजेक्ट लांच होने से पहले ही रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश कर देते हैं, ताकि उन्हें अच्छा रिटर्न मिल सके. लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट्स में डेवलपर या तो समय पर काम पूरा नहीं कर पाते या फिर प्रोजेक्ट को पूरी तरह से छोड़ देते हैं, जिस से खरीदार वित्तीय संकट में फंस जाते हैं.

कोविड से ठीक पहले की बात है. दिल्लीएनसीआर में ऐसे कई रियल एस्टेट डेवलपर्स थे, जिन्होंने बहुत सारे प्रोजेक्ट लांच किए, लेकिन उन में से कई बहुत देरी से ग्राहकों को डिलीवर हुए तो कई डिलीवर ही नहीं हुए. इस बीच में कुछ रियल एस्टेट कंपनियां ऐसी आईं, जिन्होंने ग्राहकों के इस भरोसे को फिर से जीतने का काम किया. तभी कोविड के बाद रियल एस्टेट की डिमांड भी बढ़ी तो इन का नाम भरोसे की पहचान बन गया. इन्हीं में से 2 नाम वल्र्ड ट्रेड सेंटर्स और भूटानी इंफ्रा थे. लेकिन अचानक ये दोनों रियल एस्टेट ग्रुप और डेवलपर्स ईडी जांच एजेंसी और इनकम टैक्स विभाग के निशाने पर आ गए.

इसी साल मार्च के पहले हफ्ते में देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों में अपना आशियाना खरीदने की चाहत रखने वाले सैकड़ों लोगों के साथ धोखाधड़ी कर उन के सपनों को तारतार करने वाली कंपनियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने ताबड़तोड़ ऐक्शन लिया. ईडी ने रियल एस्टेट सेक्टर की 2 नामी कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस से दिल्ली से ले कर नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद तक में हड़कंप मच गया.

इस काररवाई से हजारों करोड़ की संपत्तियों का पता चला है. इस के अलावा बड़ी संख्या में संवेदनशील दस्तावेज भी बरामद किए गए. ये कंपनियां घर खरीदारों और निवेशकों के पैसों पर कुंडली मार कर बैठ गई थीं. 10 साल से भी ज्यादा का समय होने के बावजूद न तो घर दिए गए और न ही वादे के अनुसार प्लौट ही सौंपे गए.

ईडी ने क्यों की कई ग्रुप्स के खिलाफ काररवाई

ईडी ने रियल्टी फर्म डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप के खिलाफ दिल्लीएनसीआर में छापेमारी के बाद हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति की पहचान की. दरअसल, ईडी ने 27 फरवरी को दिल्ली, नोएडा (उत्तर प्रदेश), फरीदाबाद और गुरुग्राम (दोनों हरियाणा में) में एक दरजन स्थानों पर डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भल्ला और भूटानी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भूटानी के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामले के तहत छापेमारी की.

ईडी ने यह काररवाई दिल्ली पुलिस की इकोनौमिक आफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) और फरीदाबाद पुलिस द्वारा डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भल्ला, सुपर्णा भल्ला, अभिजीत भल्ला और भूटानी इंफ्रा और अन्य के खिलाफ दर्ज कथित धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और सैकड़ों घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में हुई दरजनों एफआईआर के आधार पर की.

दूसरी बार छापेमारी मार्च के पहले सप्ताह में की गई. छापेमारी की काररवाई और पड़ताल के बाद ईडी ने डब्ल्यूटीसी ग्रुप के प्रमोटर आशीष भल्ला को गिरफ्तार कर लिया. इस पर करोड़ों रुपए के फ्रौड के आरोप हैं. नोएडा में डब्ल्यूटीसी के करीब आधा दरजन प्रोजेक्ट अभी अंडर कंस्ट्रक्शन में हैं. ईडी ने कंपनी के अकाउंट, एफडी को फ्रीज कर लिया.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, रियल्टी फर्म के खिलाफ सैकड़ों घर खरीदारों और इनवेस्टर्स ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन से पैसे तो ले लिए गए, लेकिन घर, दुकान, औफिस व प्लौट अब तक नहीं दिए गए. इस के आधार पर ही ईडी ने मामला दर्ज किया था. अब आगे की काररवाई की जा रही है. हालांकि भूटानी इंफ्रा ने छापे के बाद कहा था कि उस ने हाल ही में डब्ल्यूटीसी ग्रुप के साथ अपने सभी संबंध तोड़ लिए हैं और अब वह जांच में ईडी के साथ पूरा सहयोग कर रहा है.

पुलिस एफआईआर में साफ लिखा है कि डब्ल्यूटीसी फरीदाबाद इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और उस के प्रमोटरों ने शहर के सेक्टर 111-114 में रेजिडेंशियल प्लौट के लिए अपने प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए आम जनता को प्रलोभन दिया था. इस में कहा गया कि प्रमोटरों/निदेशकों ने एक आपराधिक साजिश रची और निर्धारित समय के भीतर परियोजना को पूरा न कर के और 10 साल से अधिक समय तक भूखंडों की डिलीवरी न कर के प्लौट खरीदारों की गाढ़ी कमाई को हड़प लिया.

निवेशकों की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि भूटानी इंफ्रा समूह ने डब्ल्यूटीसी समूह का अधिग्रहण कर लिया और फरीदाबाद सेक्टर 111-114 में प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया, जिस से प्लौट खरीदारों को अंधेरे में रखा गया है और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है. उन्हें अपनी यूनिट्स सरेंडर करने के लिए लुभाया गया है. ईडी को छापेमारी में दिल्लीएनसीआर में 15 प्रोजेक्ट के खिलाफ विभिन्न निवेशकों से 3,500 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली से संबंधित दस्तावेज मिले हैं. हालांकि, ईडी ने यह नहीं बताया कि ये दस्तावेज कहां से बरामद किए गए.

डब्ल्यूटीसी ग्रुप द्वारा शुरू की जा रही 15 प्रमुख परियोजनाओं में से बहुत कम की डिलीवरी दी गई है, जो एक सुनियोजित पोंजी स्कीम और अन्य संस्थाओं के नाम पर संपत्ति बनाने और विदेशों में धन की हेराफेरी का संकेत देती है. सिंगापुर और अमेरिका भी पैसा भेजे जाने के सबूत मिलने के दावे किए गए हैं. ईडी की काररवाई चल ही रही थी कि इनकम टैक्स अधिकारियों ने भी 4 से 10 मार्च के बीच कोलकाता के 2, गुडग़ांव के 2, गाजियाबाद के 5, दिल्ली के 4, नोएडा के 12  बिल्डरों समेत 40 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर के रियल एस्टेट वालों की नींद उड़ा दी.

इनकम टैक्स के 100 से अधिक अफसरों ने छापेमारी के बाद बरामद दस्तावेजों के आधार पर पूरा ब्यौरा खंगाला. कई सौ करोड़ के कैश और 50 करोड़ के गलत लेनदेन की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हाथ लगी है. पता चला कि इन बिल्डरों ने कामर्शियल प्रौपर्टी में 40 फीसदी नकद खपाया था. बड़े स्तर पर टैक्स चोरी के इनपुट के चलते छापेमारी को आगे बढ़ाया गया.

इनकम टैक्स विभाग भी आया हरकत में

इनकम टैक्स अधिकारियों की पूछताछ और दस्तावेजों की छानबीन में भूटानी और 108 ग्रुप के काले कारनामों को भी इनकम टैक्स टीम ने उजागर किया. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम ने इस छापेमारी के दौरान 2 हजार करोड़ लोन में खेल का खुलासा किया. लौजिक्स, एडवेंट और ग्रुप 108 बिल्डर समेत 2 ब्रोकर कंपनियों के यहां भी रेड डाली गई थी. ये ग्रुप कैश में प्रोजेक्ट बेचते थे. लौजिक्स ग्रुप ने इंडिया बुल्स से करीब 2000 करोड़ का लोन लिया. इस लोन के बाद उस ने नोएडा में 5 से 6 प्लौट लिए. ये प्लौट औफिस कामर्शियल स्पेस के लिए थे. यहां निर्माण शुरू किया गया, लेकिन आधेअधूरे निर्माण के बाद लौजिक्स ने काम बंद कर दिया.

उधर लगातार इंडिया बुल्स की ओर से लोन जमा करने का प्रेशर बना, जिस के चलते लौजिक्स ने भूटानी ग्रुप के साथ एक एग्रीमेंट साइन किया, जिस के तहत भूटानी ग्रुप इन का कामर्शियल स्पेस बनाएगा और बेचेगा. धीरेधीरे लोन के पैसे लौजिक्स को देगा. हुआ भी ऐसा ही. लेकिन यहां अधिकतर खेल टैक्स चोरी कर किया गया. दरअसल, डेढ़ साल पहले फरवरी 2022 में इनकम टैक्स विभाग को पहला इनपुट मिला था. इस के बाद उन्होंने दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया. इस दौरान उन्हें जानकारी मिली कि भूटानी ग्रुप 2 भागों में बंट गया.

पहला भूटानी इंफ्रा और दूसरा ग्रुप 108. इन का पैसा भी इस कामर्शियल स्पेस में लगा. इसी तरह एडवंट बिल्डर भी पहले भूटानी के साथ कोलेबोरेशन में काम करता था. उस का पैसा भी इस में लगा है. इसीलिए इन चारों बिल्डरों पर भी एक साथ रेड की गई है. कामर्शियल स्पेस बेचने में टैक्स चोरी का पूरा खेल बेहद दिलचस्प तरीके से अंजाम दिया गया. इस फरजीवाड़े में 40 प्रतिशत कैश लिया जाता था. यह पूरा खेल लौजिक्स ग्रुप के कामर्शियल प्लौट स्पेस को बेचने को ले कर किया गया. लौजिक्स ने इस के लिए भूटानी ग्रुप से इंटरनल एग्रीमेंट किया, जिस के तहत भूटानी ने इस स्पेस को बेचना शुरू किया. यहां अधिकांश पैसा ब्लैक में खपाया गया.

प्लौट को बेचने में 40 प्रतिशत तक की धनराशि कैश में ली गई. इस के न कोई पक्के दस्तावेज होते थे और न ही कोई लीगल डाक्यूमेंट. इसी कामर्शियल स्पेस में नामीगिरामी लोगों ने अपना ब्लैक मनी भूटानी ग्रुप में खपाया.

डब्ल्यूटीसी से हुई घपले की शुरुआत

इस घपले की शुरुआत होती है डब्ल्यूटीसी यानी वल्र्ड ट्रेड सेंटर्स कंपनी से. डब्ल्यूटीसी समूह एक रियल एस्टेट कंपनी है, जो दिल्ली एनसीआर में कई परियोजनाओं पर काम करती थी. इस के कर्ताधर्ता हैं आशीष भल्ला, जो एक आदतन अपराधी है. आशीष भल्ला का काम करने का तरीका यह है कि वह डब्ल्यूटीसी एसोसिएशन यूएसए से फ्रेंचाइजी लेता है. मुख्य रूप से भारत में इनवैस्टर क्लिनिक और विदेशों में स्क्वायर यार्ड और उन के विभिन्न बिक्री एजेंटों के माध्यम से प्रोजेक्ट बेचता है. इन प्रौपर्टी एजेंट्स के माध्यम से डब्ल्यूटीसी नोएडा के प्रोजेक्ट को डब्ल्यूटीसी यूएसए परियोजनाओं का बता कर बेचा जाता है. इस के बाद फिर खरीदारों से भारी प्रीमियम लिया जाता है.

डब्ल्यूटीसी नोएडा प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले हजारों बायर्स ने अपनी जीवन भर की जमापूंजी डब्ल्यूटीसी के प्रोजेक्ट में लगाई,  लेकिन अब भी वे अपने निवेश पर ठगे महसूस कर रहे हैं. डब्ल्यूटीसी नोएडा के डायरेक्टर आशीष भल्ला ने लगभग 5 हजार करोड़ रुपए और 20 हजार से अधिक खरीदारों और निवेशकों को धोखा दिया है. बायर्स ने विभिन्न प्रोजेक्ट्स जैसे टेक-1 और 2, 1डी, 1ई, सिग्नेचर टेक जोन, प्लाजा, क्वाड, क्यूबिक और रिवरसाइड रेजिडेंसी में निवेश करने वालों को अब तक उन का हक नहीं मिला है.

बायर्स अब तक 13 से अधिक विरोध प्रदर्शन और प्रैस कौन्फ्रेंस कर चुके हैं. उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों और नेताओं से भी संपर्क किया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. बायर्स ने रेरा, उपभोक्ता अदालतों, हाईकोर्ट और एनसीएलटी सहित कई जगहों पर शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन अब तक कोई ठोस काररवाई नहीं हुई थी. नोएडा प्रशासन और अन्य सरकारी एजेंसियां भी जिम्मेदारी लेने से बचती रहीं. बायर्स को 27 से अधिक मामलों की सुनवाई के बावजूद कोई राहत नहीं मिली.

बायर्स ने डब्ल्यूटीसी नोएडा व आशीष भल्ला के खिलाफ विभिन्न भारतीय अदालतों में कई कानूनी मामले दर्ज कराए थे. दरअसल, इस प्रोजेक्ट में भूटानी ग्रुप द्वारा शेयर खरीद कर एक और बड़े फ्राड को अंजाम देने की भूमिका तैयार की जा रही थी. भूटानी डब्ल्यूटीसी नोएडा परियोजना को भूटानी अल्फातम परियोजना में बदलने की पेशकश करने लगा. डब्ल्यूटीसी नोएडा आशीष भल्ला प्रौपर्टी एजेंटों को भारी कमीशन देता था. हकीकत यह थी कि डब्ल्यूटीसी यूएसए का नोएडा डब्ल्यूटीसी से कोई संबध था ही नहीं. डब्ल्यूटीसी यूएसए ने कभी आशीष भल्ला को अपना नाम इस्तेमाल करने या उन की कंपनी से संबध जोडऩे की अनुमति नहीं दी थी.

जब डब्ल्यूटीसी नोएडा की धोखाधडिय़ों के बारे में उन के बायर्स ने डब्ल्यूटीसी यूएसए के साथ पत्राचार कर उस के कारनामों के बारे में शिकायत की तो यूएसए की कंपनी ने साफ कर दिया कि उन की डब्ल्यूटीसी नोएडा में कोई जिम्मेदारी नहीं है. बायर्स ने जब 2 कदम आगे बढ़ा कर कारपोरेट मामलों के मंत्रालय में छानबीन की तो पता चला कि डब्ल्यूटीसीए यूएसए और डब्ल्यूटीसी नोएडा (वेरिडन रेड) के बीच कोई संबंध नहीं है. इस के बाद साफ हो गया कि आशीष भल्ला आदतन अपराधी होने के कारण ही कभी भी अपना कोई प्रोजेक्ट पूरा नहीं करता है और खरीदारों का सारा पैसा अपनी शेल कंपनियों में जमा कर देता है.

भूटानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट में शेयर खरीद कर एक और बड़ा घोटाला किया. भूटानी ग्रुप, डब्ल्यूटीसी नोएडा को भूटानी अल्फातम प्रोजेक्ट में बदलने का प्रयास करने लगी और बाजार दर से अधिक कीमत वसूलने की योजना बनाई. आयकर विभाग की काररवाई से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने डब्ल्यूटीसी नोएडा और आशीष भल्ला-भूटानी ग्रुप के 12 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिस में 3,500 करोड़ रुपए के अवैध दस्तावेज बरामद हुए थे. सिंगापुर में फंड ट्रांसफर का खुलासा हुआ. मनी लांड्रिंग की इसी जांच के लिए ईडी ने आशीष भल्ला को गिरफ्तार कर 7 दिनों के रिमांड पर भी लिया.

आशियाने के लिए दरदर भटक रहे हैं लोग

डब्ल्यूटीसी में इनवैस्ट करने वालों की अपनीअपनी कहानियां है. एक बायर सुजीत सिंह ने साल 2018 में डब्ल्यूटीसी बिल्डर के यहां लाखों रुपए इनवैस्ट किया था. लेकिन कुछ समय बाद उन्हें अपना पैसा डूबता हुआ नजर आ रहा था, लेकिन भूटानी के आने से अब उन्हें थोड़ी राहत मिलती दिखी. क्योंकि भूटानी ने उन से कहा कि आप हमारी कुछ शर्तों पर फार्म भर दीजिए, जिस के बाद अधिकांश बायर्स ने नई शर्तों के साथ फार्म भर दिए. उन्हें उम्मीद थी कि उन की यूनिट मिल जाएगी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका तो बायर्स ने फिर सरकार से गुहार लगाई और भूटानी बिल्डर से भी कहा कि जल्द से जल्द उन के औफिस बना कर पजेशन दिए जाएं.

एक अन्य बायर तरुण रावत का भी यही दर्द है, उन्होंने बताया कि दुबई से उन के भाई ने डब्ल्यूटीसी में लाखों रुपए इनवैस्ट किया था. अब वे काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. प्रोजेक्ट भूटानी में शिफ्ट होने के बाद उम्मीद थी कि भूटानी जल्द से जल्द उन की यूनिट बना कर देंगे. लेकिन उन्होंने भी धोखा दे दिया. डब्ल्यूटीसी के साथ वित्तीय या परिचालन संबंधों के आरोपों के जवाब में, भूटानी इंफ्रा ने एक बयान जारी कर विवादास्पद रियल एस्टेट समूह से भूमि या फंड ट्रांसफर में किसी भी तरह की संलिप्तता से साफ इनकार किया. कंपनी ने स्पष्ट किया कि डब्ल्यूटीसी के साथ अपने संक्षिप्त जुड़ाव के दौरान भूटानी इंफ्रा को कोई भूमि या फंड ट्रांसफर नहीं किया गया, जिस में भूटानी इंफ्रा या उस के निदेशकों को भूमिधारक कंपनियों में कोई शेयर ट्रांसफर शामिल है.

भूटानी इंफ्रा ने कहा कि उस ने जुलाई, 2024 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के 6 महीने बाद फरवरी, 2025 में डब्ल्यूटीसी समूह के साथ अपने संबंध पूरी तरह से तोड़ लिए थे. कंपनी ने इस बात पर जोर दिया कि उस का डब्ल्यूटीसी से कोई वित्तीय या परिचालन संबंध नहीं है और इस के विपरीत कोई भी सुझाव गलत और धोखे से भरे हुए हैं. डब्ल्यूटीसी से संबंधित कोई दायित्व न होने के बावजूद भूटानी इंफ्रा ने कहा कि वह चल रही जांच में ईडी के साथ पूरा सहयोग करते हुए संकटग्रस्त ग्राहकों को सहायता और मार्गदर्शन दे रही है.

इस बीच, वल्र्ड  ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन के तत्त्वावधान में हजारों घर खरीदार और निवेशक आशीष भल्ला और डब्ल्यूटीसी  नोएडा डेवलपमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े भारत के सब से बड़े रियल एस्टेट धोखाधड़ी में तत्काल सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. 4 राज्यों— उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व गुजरात और 17 परियोजनाओं में फैले इस घोटाले ने 20,000 से अधिक खरीदारों को अधूरे विकास और हजारों करोड़ रुपए के वित्तीय नुकसान के साथ फंसा दिया है.

आखिर निवेशकों को क्यों नहीं मिल रहा न्याय

वल्र्ड ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन का कहना है कि निवेशकों से धोखाधड़ी गतिविधियों के पर्याप्त सबूतों के बावजूद, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) और उपभोक्ता मंचों जैसे नियामक निकाय प्रभावी काररवाई करने में विफल रहे हैं,  जिस से निवेशकों के पास कोई सहारा नहीं बचा है. सब से बड़ी विफलता गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की है, जहां कंपनी अधिनियम की धारा 241 के तहत एक आपातकालीन आवेदन 28 महीने से अधिक समय से अनसुलझा है.

एसोसिएशन का दावा है कि 24 जुलाई, 2022 को उस ने वल्र्ड ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन नोएडा डेवलपमेंट कंपनी के खिलाफ एसएफआईओ को एक व्यापक शिकायत प्रस्तुत की, जिस में धोखाधड़ी वाली सुनिश्चित रिटर्न योजनाओं से जुड़े बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ. जवाब में एसएफआईओ ने 29 सितंबर, 2022 को एनसीएलटी के साथ एक आवेदन (सीपी-156/2022) दायर किया, जिस में गंभीर कुप्रबंधन और धोखाधड़ी गतिविधियों के कारण कंपनी के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप की मांग की गई.

डब्ल्यूटीसीए का आरोप है, ‘हालांकि, एक आपातकालीन प्रावधान होने के बावजूद, मामले में बारबार देरी हुई है. 28 महीनों में 29 सुनवाई के बाद भी कोई खास प्रगति नहीं हुई है. प्रत्येक सुनवाई एसएफआईओ के कानूनी प्रतिनिधियों या अभियुक्तों के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के कारण रुकी हुई है, जिस से सिस्टम में हेरफेर करने और जवाबदेही से बचने के लिए धोखेबाजों द्वारा संभावित हस्तक्षेप के बारे में चिंता बढ़ रही है.’

डब्ल्यूटीसीए की अध्यक्ष अलका जैन कहती हैं कि एनसीएलटी का मामला अभी भी अटका हुआ है, न तो एसएफआईओ और न ही किसी अन्य प्राधिकरण ने आरोपियों को गिरफ्तार किया और न ही उन की संपत्ति जब्त की, जिस से वे निवेशकों को धोखा देते रहे हैं. सैकड़ों शिकायतें प्राप्त करने के बावजूद, 4 राज्यों से रेरा ने मामले में फोरैंसिक औडिट शुरू नहीं किया. पंजाब रेरा के समक्ष आधिकारिक फाइलिंग से पता चलता है कि 372 करोड़ रुपए एकत्र किए गए, 284 करोड़ रुपए निकाले गए और जीरो प्रतिशत परियोजना पूरी हुई, फिर भी कोई काररवाई नहीं की गई.

इस के अलावा, डब्ल्यूटीसी समूह के खिलाफ यूपी रेरा में 338 शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन कोई सार्थक हस्तक्षेप नहीं हुआ. डब्ल्यूटीसीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कारपोरेट मामलों के मंत्रालय से हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि डब्ल्यूटीसी समूह के घर खरीदारों और निवेशकों को बिना किसी देरी के न्याय मिले.

 

 

UP News : गीता हुई भतीजे के प्यार में दीवानी

UP News : 28 वर्षीय गीता का पति प्रकाश कनौजिया मुंबई में था. वह मायके में रहते हुए 2 बच्चों की जिम्मेदारियां संभाले हुए थी. निजी जिंदगी जैसेतैसे तनहाई में गुजर रही थी. हमउम्र भतीजे विकास का जरा सा सहारा क्या मिला, उसी से दिल लगा बैठी. एक तरफ प्रेम की दीवानगी थी, अनैतिक संबंध और वासना का उफान था तो दूसरी तरफ पैसे की तंगी भी थी. फिर जो कुछ हुआ, उस में गेहूं के साथ घुन पिसने की कहावत चरितार्थ हो गई. क्या हुआ, कैसे हुआ, पढ़ें मांबेटी हत्याकांड की पूरी कहानी…

मलीहाबाद में मिर्जागंज बाजार स्थित एक चर्चित कपड़े की दुकान ‘प्रेम वस्त्रालय’ में बैठा विकास बारबार आ रहे फोन काल से परेशान हो गया था. त्यौहार का सीजन था. ग्राहकों की भीड़ थी. 2 दिन बाद ही करवाचौथ आने वाला था. वह ग्राहक को देखे या फिर फोन सुने. तंग आ कर उस ने मोबाइल ही स्विच औफ कर दिया.

दुकान पर जब ग्राहकों की भीड़ कम हुई, तब उस ने लंच करने के लिए अपने टिफिन का थैला उठाया और दुकान के पीछे छोटे से गोदाम में चला गया. लंच बौक्स खोला, साथ ही अपने मोबाइल को औन किया. मोबाइल औन होते ही स्क्रीन पर पर 22 मिस काल और 8 वाट्सऐप मैसेज चमकने लगे. ये सभी मिस्ड काल और मैसेज गीता के थे. कुछ घंटे पहले गीता ही लगातार उसे काल पर काल किए जा रही थी. काल करने के बजाए उस ने मैसेज पढऩा शुरू किया. विकास का मन कड़वा हो गया. सोचा खाना खाने के बाद या दुकान से छुट्टी होने पर गीता को काल कर लेगा. उस ने फटाफट 5-7 मिनट में लंच कर लिया.

लंच बौक्स संभालते वक्त गीता के 2 और वाट्सऐप मैसेज आ गए. मैसेज क्या थे, पूरी शिकायत थी. उस में धमकी भी शामिल थी. लिखा था, ”मैं आ रही हूं दुकान पर, देखती हूं कि तुम मुझे कैसे कपड़े नहीं दिलवाते हो?’’

मैसेज पढ़ कर वह भुनभुनाया, ”कहां से कपड़े दिलवाऊं? वैसे ही दुकान का मालिक पिछला बकाया मांग रहा है…’’

वह झुंझला उठा था. उस के मन में बेचैनी आ गई थी. सिर खुजलाता हुआ किसी तरह खुद को सहज बनाने की कोशिश की और दुकान पर जा बैठा. वहां ग्राहकों की भीड़ लग गई थी. वह जल्दीजल्दी उन्हें निपटाने के लिए अपने सहयोगी सेल्समैन का हाथ बंटाने लगा. अचानक उस की नजर सामने सड़क की ओर गई. उस ने गीता को दुकान में घुसते देखा तो सकपका गया. दुकान के एक किनारे चला गया. तब तक गीता वहां पहुंच गई. आते ही शिकायती लहजे में बोल पड़ी, ”तुम ने फोन क्यों नहीं उठाया, कितनी बार काल किया.’’

”देख रही हो दुकान पर कितने ग्राहक हैं!’’ विकास बोला.

”तुम ने फोन ही बंद कर दिया, लाओ कहां है मेरी साड़ी?’’ गीता सीधे अपनी बात पर आ गई थी.

विकास रिश्ते में गीता का भतीजा था. वह कपड़े की दुकान में सेल्समैन की नौकरी करता था. उसे उस ने 2 दिन पहले ही करवाचौथ के लिए साड़ी लाने को कहा था. विकास गीता की बातों का कोई जवाब नहीं दे पाया था.

”अब मुझे टुकुरटुकुर क्या देख रहे हो. साड़ी दो उस में फाल लगवानी है. मैचिंग ब्लाउज भी सिलवाना है. पेटीकोट भी बनवाना है.’’ गीता बोलने लगी.

”गीता, तुम अभी घर जाओ, मैं शाम को साड़ी लेता आऊंगा. पूजा का सामान भी ला दूंगा.’’ विकास बोला.

”यह तो तुम हफ्ते भर से बोल रहे हो, नहीं ले कर आए, तभी तो मुझे यहां आना पड़ा.’’ गीता बोली.

”अभी तुम जाओ, प्लीज तुम यहां से चली जाओ. दुकान पर बहुत काम है!’’ विकास बोला.

”ठीक है, जाती हूं. लेकिन साड़ी, पूजा का सामान ले कर आना और कुछ पैसे भी देना.’’ बोलती हुई गीता वहां से चली गई.

विकास ने राहत की सांस ली. कुछ पल वह मौन बना रहा. फिर काम में लग गया.

दुुकान से निकल कर गीता मायूस थी. वह सोचती हुई जा रही थी, विकास के व्यवहार में कितना बदलाव आ गया है. जो विकास एक समय में उस की हर बात को तुरंत मान लेता था, एक पैर पर खड़े हो कर उस का हर काम करने के लिए तैयार हो जाता था. लेकिन अब वह क्यों बदल गया है. उसे अपनी बदहाल और अभावग्रस्त जिंदगी को ले कर रोना आ रहा था. खुद को कोस रही थी. खुद से बातें करती घर जा रही थी, ‘आखिर वह किस अधिकार से करवाचौथ के लिए उस से साड़ी मांगने गई थी, जबकि उस का पति प्रकाश मुंबई में बैठा था. उस ने त्यौहार के मौके पर छुट्टी नहीं मिलने के कारण घर नहीं आने की खबर कर दी थी. उसी ने विकास से कपड़े आदि खरीदवाने को कहा था. इसी आस में वह विकास से उम्मीद लगा बैठी थी.’

प्रेमी के प्रति गीता के मन में क्यों हुई नफरत

दूसरी तरफ विकास दुकान में अपनी अंगुलियों पर हिसाब लगा रहा था. वह कर्ज के बोझ की चिंता में डूबा था. वह समझ नहीं पा रहा था कि दुकान के मालिक से कैसे साड़ी और कुछ पैसे उधार देने की मांग करे. उस ने पहले से ही जो कर्ज ले रखा था, उसे चुकाने में कई महीने लग जाएंगे. वह और कर्ज लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. गीता ने करवाचौथ के मौके पर बेमन से आए दिन पहनने वाली साड़ी में ही चावल, बतासे और जल से चंद्रमा को अघ्र्य दे कर छोटीमोटी रस्में पूरी कर लीं. छलनी से पति की तसवीर को निहार लिया. चंद्रमा को प्रणाम किया और व्रत तोडऩे के बाद पास बैठी 6 वर्षीय बेटी दीपिका को प्रसाद खाने के लिए दे दिया.

आधी रात का वक्त होने को आया था. गीता भूखीप्यासी थी. उसे नींद नहीं आ रही थी. अचानक दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई दी. उस ने कमरे के बाहर जा कर देखा. सामने विकास उसे देख कर मुसकरा रहा था. खाली हाथ उसे देख रहा था.

”अब यहां क्या लेने आया है, वह भी आधी रात को, चलो भागो यहां से. जाओ, आज के बाद से मेरे घर में कदम मत रखना. मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है.’’ गीता विकास को देखते ही आंखे तरेर कर बोली.

”गीता, मेरी मजबूरी तो समझो…’’ विकास के आगे बोलने से पहले ही गीता भद्ïदी सी गाली के साथ बोली, ”हरामी कहीं का, जब देखो मुंह उठाए मेरे यहां चला आता है और जब मुझे जरूरत होती है, तब मुंह फेर लेता है.’’

गीता लगातार गालियां दिए जा रही थी और विकास बेशरमी से सुनता रहा. वह अजीबोगरीब स्थिति में था. जबकि गीता उसे बोलने का मौका ही नहीं दे रही थी. वह ऐसे कर रही थी, जैसे उसे चबा ही जाएगी. भूखी शेरनी की तरह गुर्राने के कारण विकास के बोल नहीं निकल पा रहे थे. बोलते हुए उस के शब्द अटक रहे थे. बोलतेबोलते गीता एक झटके से मुड़ी और कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया. बाहर विकास कुछ सेकेंड तक ठिठका रहा, फिर वापस अपने घर लौट आया. उधर गीता ने सौगंध ले ली कि वह भविष्य में विकास को यहां कभी आने नहीं देगी और न ही वह उस से कभी मिलेगी.

हुआ भी ऐसा ही. हफ्तों बीत गए, गीता ने विकास से मिलना तो दूर उसे फोन तक करना मुनासिब नहीं समझा. यहां तक कि नए साल की शुभकामनाओं का मैसेज तक नहीं दिया. जबकि विकास गीता को फोन करता था, लेकिन गीता उस का फोन कट कर देती थी. विकास के घर आने पर वह बेरुखी से तुरंत दरवाजा बंद कर लेती थी. विकास जब भी दुकान पर होता, तब उस की बारबार बाहर जाने वाली नजर गीता को तलाशती रहती थी. वह उसे एक बार मिल कर बता देना चाहता था कि उस की  मजबूरियां क्या हैं? वह उसे कितना प्यार करता है. उस पर कितना खर्च करता रहा है और उस कारण वह किस कदर कर्जदार बना हुआ है.

विकास को एक दिन संयोग से गीता बाजार में खरीदारी करती दिख गई. वह अपने पापा सिद्धनाथ, बेटे दीपांशु और बेटी के साथ थी. दरअसल, उस की ससुराल ईशापुर में है. पति प्रकाश मुंबई में प्राइवेट नौकरी करता है. लखनऊ से 6 किलोमीटर की दूरी पर उस का मायका दिलावर नगर है. उस के पापा सिद्धनाथ अकसर गीता की देखरेख करने और जरूरत की चीजें दिलवाने के लिए उस की ससुराल आया करते थे. उस दिन विकास गीता को बाजार में देख कर दुकान से तुरंत उतर कर पीछे से गीता के सामने जा कर खड़ा हो गया. उस वक्त गीता अकेली एक कौस्मेटिक्स की दुकान के सामने खड़ी थी. विकास गीता का हाथ पकड़ कर एक किनारे ले गया.

”क्या इरादा है तुम्हारा? क्यों तुम मेरे हाथों मरना चाहती हो?’’ विकास ने एक सांस में ही गीता को बहुत खरीखोटी सुना दी. उस ने यहां तक कह दिया, ”या तो तुम मेरी जान ले लो या मैं तुम्हारी जान ले लूं!’’ गीता मौके की नजाकत को देख कर विकास की बात को सुनती रही. कुछ देर में विकास खुद शांत हो गया. तब गीता बच्चों को साथ ले कर चुपचाप अपने घर चली गई.

दोहरे मर्डर से सकते में आई पुलिस

बात 17 जनवरी, 2025 की है. मलीहाबाद पुलिस के बीट प्रभारी एसआई अमन श्रीवास्तव को सुबहसुबह ईशापुर गांव में एक महिला और 6 वर्षीय बच्ची की मकान के अंदर हत्या किए जाने की सूचना मिली. उन्होंने इस की सूचना एसएचओ सतीशचंद्र साहू को दे दी. साहू ने भी फौरी काररवाई करते हुए अमन श्रीवास्तव को पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जाने के आदेश दिए.

थोड़ी देर में ही एसीपी अमोल मुरकर और पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. अमन श्रीवास्तव के साथ एसआई अश्वनी कुमार और विवेक कुमार के अलावा सिपाही गौरीशंकर यादव, उत्तम राठी और हैडकांस्टेबल कामरान खान भी ईशापुर पहुंच गए थे. घर के भीतर दोहरे हत्याकांड की मौके पर की गई जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि मृतका की उम्र 28 साल थी और उस का नाम गीता और 6 साल की बच्ची उस की बेटी दीपिका है. दोनों की हत्या धारदार हथियार से की गई थी. मौके पर गीता की गरदन कटी पाई गई.

पुलिस की जांच में रात 2 से 3 बजे के बीच घटना को अंजाम दिए जाने की आशंका जताई गई. पुलिस दल ने दोनों लाशों का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस ने जांच में गीता की ससुराल ईशापुर और मायका दिलावर नगर के बीच 2 केंद्र चिह्निïत किए. हत्यारे का पता लगाने के लिए सर्विलांस टीम और डौग स्क्वायड ने दिन में 12 बजे ईशापुर गांव जा कर जांच की. खोजी कुत्ता घर से 20 मीटर की दूरी तक लखनऊ रेलवे लाइनों के किनारे कुछ दूर गया और ठहर कर वापस लौट आया. पुलिस ने अनुमान लगाया कि रेलवे ट्रैक के सहारे किनारेकिनारे हमलावर आए होंगे और पैदल गीता के घर तक गए होंगे.

पुलिस ने इस हत्याकांड में किसी परिचित के शामिल होने की आशंका जताई. ग्रामीणों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि गीता के घर में ज्यादातर उस के परिवार के लोगों का ही आनाजाना था, जो ससुराल और मायके के होते थे. वैसे इस हत्याकांड की सूचना गीता के पापा सिद्धनाथ कनौजिया को भेज दी गई थी. वह लखनऊ में दिलावर नगर, रहीमाबाद थाने के रहने वाले हैं. उन की तहरीर पर मलीहाबाद थाने में धारा 103(1) बीएनएस के तहत केस दर्ज कर लिया गया.  इस की आगे की जांच के लिए डीसीपी (पश्चिम) विश्वजीत श्रीवास्तव द्वारा पुलिस की टीमों का गठन किया गया.

डीसीपी और एडीसीपी धनंजय कुमार कुशवाहा ने क्राइम टीम के सर्विलांस की टीम को इंसपेक्टर सतीशचंद्र साहू के साथ शामिल कर दिया. पुलिस कमिश्नर कार्यालय के इंसपेक्टर शिवानंद मिश्रा, एसआई आशुतोष पांडेय, शुभम पाराशर और हबीब के अलावा पवन, दिलीप व सूरज सिंह सिपाहियों को ले कर 5 टीमें बनाई गईं.

प्रकाश घर क्यों नहीं आ पाता था पत्नी से मिलन

सभी जांच टीमों की मेहनत ने 12 घंटे में रंग दिखा दिया. गीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स मालूम हो चुकी थी. उस के मुताबिक गीता के मोबाइल फोन पर एक साल के भीतर 1100 काल विकास के द्वारा किए गए थे. फिर क्या था, घटना के अगले दिन ही 17 जनवरी, 2025 को ईशापुर निवासी राजेश के बेटे विकास को मलीहाबाद में हाइवे के किनारे से पकड़ लिया गया.

विकास से थाने में सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. जल्द ही उस ने स्वीकार कर लिया कि वह गीता से बहुत प्यार करता था, लेकिन कुछ दिनों से उस की बेरुखी से तंग आ गया था. उस के बाद वारदात की तह में छिपी कहानी इस तरह बताई—

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अंतर्गत 24 राजमार्ग के किनारे मलीहाबाद से 3 किलोमीटर की दूरी पर ईशापुर गांव में प्रकाश कनौजिया का परिवार रहता है. प्रकाश के पापा का नाम रामखिलावन था. उस के घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. गांव में रह कर गुजरबसर होनी काफी मुश्किल थी. इस कारण रामखिलावन का भाई रामविलास सन 2010 में गांव से मुंबई चला गया था. किसी तरह वहां कामधंधा किया. बाद में उस ने वहां एक लौंड्री की दुकान खोल ली. जल्द ही लौंड्री का व्यवसाय चलने लगा. धंधा जमते ही रामविलास अपने बुजुर्ग मम्मीपापा के गुजरबसर के लिए हर महीने कुछ पैसा भेजने लगा. रामखिलावन ने रामविलास के कहने पर 2014 में प्रकाश का विवाह दिलावर नगर निवासी सिद्धनाथ कनौजिया की बेटी गीता के साथ करवा दिया.

शादी के बाद गीता अपनी ससुराल ईशापुर आ गई. प्रकाश और गीता का दांपत्य जीवन हंसीखुशी से शुरू हुआ. शादी के एक साल बाद गीता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम दीपांशु रखा गया. रामविलास के मुंबई जाने के बाद घर के खर्चों की जिम्मेदारी प्रकाश पर आ गई. प्रकाश चाहता था कि वह भी कोई कामधंधा शुरू करे. लेकिन उस के सामने मजबूरी थी. वह पत्नी और मम्मीपापा को अकेला नहीं छोडऩा चाहता था. शादी के 3 साल बाद गीता ने एक बेटी को जन्म दिया. प्रकाश और गीता को अब दोनों बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी. गीता प्रकाश पर मुंबई जा कर रामविलास के साथ ही कोई कामधंधा करने के लिए दबाव बनाने लगी.

इस बारे में गीता ने अपने ससुर से भी बात कर उन्हें राजी कर लिया. साल 2018 की होली के मौके पर रामविलास अपने घर आया, तब गीता ने उस से भी प्रकाश को साथ ले जाने की विनती की. वह खुशीखुशी तैयार हो गया. होली के बाद अप्रैल, 2018 के पहले सप्ताह में प्रकाश भी मुंबई के उपनगर कल्याण पहुंच गया. रामविलास ने उस के लिए एक छोटी खोली किराए पर ले ली और उस की भी लौंड्री की दुकान खुलवा दी. प्रकाश ने खूब मेहनत की और अपने मधुर व्यवहार से धंधा जमा लिया. किंतु इस बीच वह गीता और बच्चों को एकदम से भूल गया. हालांकि वह चाहता था कि कमाई से पैसा जमा करे और दीवाली के मौके पर ढेर सारा पैसा ले कर घर जाए.

हालांकि करीब 6 महीने बाद प्रकाश पैसा देने के लिए एक रात के लिए अपने गांव  आया और अगले दिन ही मुंबई लौट गया. गीता को पति का इस तरह जल्दी में जाना अच्छा नहीं लगा, लेकिन वह उसे चाह कर भी नहीं रोक पाई. धीरेधीरे एक साल बीतने को आया. प्रकाश गांव नहीं आ पाया. साल 2020 के आते ही कोरोना काल आ गया. लौकडाउन लग गया. वह चाह कर भी गांव नहीं जा पाया.

2022 के फरवरी-मार्च में होली पर प्रकाश ने एक बार फिर गांव ईशापुर आने की तैयारी की. लेकिन दोबारा लौकडाउन के चलते वह मुंबई में ही फंसा रहा. पत्नी और बच्चों से मिलने नहीं आ सका. इस का असर उस के धंधे पर भी हुआ. कमाई बहुत कम हो गई.

चाची का विकास पर कैसे आया दिल

गीता को भी घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया. प्रकाश ने उसे जो पैसे भेजे थे, वे सब खर्च हो गए थे. गीता को अपने परिवार के भरणपोषण के लिए परेशान रहने लगी. इसी बीच प्रकाश ने अपने रिश्ते के चचेरे भाई राजेश के बेटे विकास से मदद मांगी. उसे  अपनी चाची गीता और दोनों बच्चों का खयाल रखने का अनुरोध किया. इस बारे में प्रकाश ने गीता को भी फोन पर बता दिया कि वह बेझिझक विकास से किसी भी तरह की मदद ले सकती है. उस के बाद से विकास और गीता का मिलनाजुलना होने लगा था. विकास गीता से मिलने घर पर बेरोकटोक आने लगा था. उन के बीच चाचीभतीजे का रिश्ता था, इस वजह से पासपड़ोस और मायके के लोगों को उन के मिलनेजुलने पर कोई आपत्ति नहीं थी.

चाचा प्रकाश से किए वायदे को विकास अच्छी तरह निभा रहा था. विकास जब भी काम से फुरसत पाता, चाची गीता से मिलने चला आता था. दोनों घंटों साथ बैठ कर बातें करते रहते थे. विकास उसे जरूरत की चीजें भी ला कर दे दिया करता था. गरमी के दिन थे. रात के 9 बज रहे थे. धीरेधीरे रात पैर पसार रही थी. गीता के दोनों बच्चे आंगन में पड़ी चारपाई पर सो रहे थे. सन्नाटे में घर के अंदर दोनों अकेले थे. विकास जब अपने घर को चलने को हुआ तो गीता ने कहा कि आज रात को खाना यहीं खा कर यहीं सो जाओ.

विकास गीता की बात सुन कर कुछ ठिठक सा गया. जेहन में एक विचार कौंध गया. लालटेन की मध्यम रोशनी में वह गौर से गीता के गोरे चेहरे को निहारने लगा. तभी विकास का कुंवारापन जाग उठा था. वह 25 साल का नवयुवक था. काफी देर तक उस का चेहरा निहारने के बाद बोला, ”आज मुझे घर जाने दो. मैं कल शाम को अपनी मां से यहां रुकने के लिए कह कर आऊंगा.’’

विकास की बात सुन कर गीता मुसकराई और बोली, ”कल जरूर आ कर रुकना, तुम्हें मेरी कसम है.’’

गीता के आग्रह के साथ बोलने और कसम देने की बात कहने पर विकास का दिलदिमाग और भी झनझना उठा था. वह उस की चाहत को समझ गया था. जातेजाते बोला, ”यहीं आ कर रात को रुकूंगा और खाना भी यहीं खाऊंगा.’’

विकास मलीहाबाद में एक कपड़े की दुकान में नौकरी करता था और रोजाना की तरह बाजार से शाम को अपने घर वापस लौटते समय अकसर गीता से बातें करने के लिए उस के पास चला जाता था. उस का मन धीरेधीरे उस की आकर्षित होने लगा था.

एक झटके में टूट गई मर्यादा की दीवार

अगले दिन विकास पूरी तैयारी के साथ गीता के पास गया. उस ने नौनवेज खरीदा. इस के अलावा शराब की एक बोतल भी खरीद कर रख ली. ये चीजें दिन में बाइक से गीता के घर जा कर दे आया और रात में आने को बोल गया. रात के 10 बजे विकास गीता के घर पहुंचा. गीता खाना खाने का इंतजार कर रही थी. विकास ने खाना खाने के पहले शराब के 2 पैग लेने की योजना बनाई. जब तक गीता खाना गर्म करने रसोई में गई, तब तक विकास ने शराब के पैग पीने शुरू कर दिए.

जब खाना ले कर गीता आई, तब उस ने नशे की हालत में गीता को भी जबरन 2 पैग शराब पिला दी. उस रात दोनों पर शराब का नशा इस कदर हावी हो गया कि वे आपस में छेड़छाड़ और नोकझोंक करते हुए वासना की आग में तप गए. एक बार जब उन के बीच रिश्ते की पवित्रता पर धूल पड़ी, तब उस के बाद वे इस के लिए अपनी मनमरजी के मालिक बन गए. गीता को पति से यौनसुख नहीं मिल पा रहा था. विकास भी कुंवारा था. इस में गीता ने खुले विचार से विकास का साथ दिया. बदले में विकास उस की जरूरतों को पूरा करने लगा.

प्रकाश का पिछले साल जनवरी के महीने में लखनऊ आना हुआ. एक सप्ताह घर पर रहने के बाद वह मुंबई वापस चला गया. पति के मुंबई चले जाने के बाद गीता अपने मायके में आ कर रहने लगी थी. इस बार अक्तूबर, 2024 से अपने मायके नहीं आई थी. वह ससुराल में अलग से बने बाग के मकान में अपने बच्चों के साथ रहने चली गई थी. वह मकान रामविलास और प्रकाश ने मिल कर बनवाया था. इसी मकान के आगे बाग की सीमा खत्म हो जाती थी और उस से सटी रेलवे लाइन गुजरती थी. गीता और विकास अकसर वहीं मिलने लगे थे.

गीता उस से मोहब्बत करने लगी थी. दिन निकलने के पहले विकास गीता के घर से चला जाता था और झटपट दोपहर का खाना ले कर मलीहाबाद दुकान पर रवाना हो जाता था. वह रोजाना शाम को जब भी अपने गांव वापस लौटता तो वह गीता के पास जा कर के प्यारमोहब्बत की बातों में मशगूल हो जाता था. विकास जब भी बाजार से घर आता तो गीता के बच्चे उस की जेब में हाथ डाल देते थे. गीता के पास बेटी दीपिका ही रहती थी, जबकि बेटा दीपांशु अपने नाना के पास था.

विकास और गीता की मोहब्बत काफी गहरी हो चुकी थी. वे एकदूसरे के बिना नहीं रह पाते थे. विकास गीता की आशनाई में अपनी नौकरी की कमाई उस पर खर्च करने लगा था. जबकि विकास के परिवार में उस के अलावा 2 बहनें और थीं. पूरे परिवार का खर्च उस की नौकरी पर निर्भर था. फेमिली वालों से उस की हरकतें छिपी न रहीं. उन्होंने  विकास को गीता के मकडज़ाल से मुक्त करवाने की योजना बनानी शुरू की. वे उसे लखनऊ से दूर कहीं दूसरे शहर भेजने की योजना बनाने लगे. विकास गीता पर पैसे खर्च करने के चक्कर में कर्जदार बन गया था.

अपने पापा के कहने पर 2023 में वह साढ़े 3 लाख रुपया खर्च कर कुवैत चला गया. इस बीच गीता अकेली रह गई. विकास के कुवैत में नौकरी करते कुल 2 महीने ही बीते थे कि गीता अपने फोन से उसे रोजाना रात को फोन कर देती थी. फोन पर वह अपना दुखड़ा सुनाने लगती थी. उसे ईशापुर लौटने के लिए कहती थी. गीता के लगातार जिद करने पर केवल 2 महीने में ही वह कुवैत से वापस आ गया. कुवैत से लखनऊ वापस आने के कारण विकास लगभग 4 लाख रुपए का कर्जदार हो चुका था. गीता की जिद पर विकास जब अपने गांव वापस आया तो वह कपड़ों के उसी शोरूम पर जा कर फिर से नौकरी करने लगा.

अक्तूबर, 2024 में करवाचौथ से 2 दिन पहले विकास गीता से मिलने गया था. गीता ने त्यौहार पर आने वाले खर्च की फरमाइशें सुना दीं. साथ ही उस ने बताया कि उस के चाचा प्रकाश इस मौके पर भी नहीं आ रहे हैं, इसलिए पूजा का सामान और साड़ी उसे ही ला कर देनी होगी. उस के सारे कपड़े और गहने मायके में ही रखे हैं. इस पर विकास ने आश्वासन दिया, साथ ही पैसा नहीं होने की मजबूरी बताई. उस ने कहा कि वह अभी बहुत कर्ज में डूबा हुआ है. इसी आश्वासन को पा कर गीता करवाचौथ के दिन विकास से रुपया लेने के लिए दुकान पर गई थी.

विकास के व्यवहार से नाराज हो कर गीता ने उस सेे संबंध तोडऩे का मन बना लिया था. वह विकास को फोन करना भी बंद कर चुकी थी. गीता की इस बेरुखी से तंग आ कर विकास दिनरात परेशान रहने लगा था.

एक के चक्कर में ऐसे हुए 2 मर्डर

15 जनवरी, 2025 की रात को विकास ने अपनी प्रेमिका चाची गीता को फोन किया और उस से मिलने के लिए कहा तो गीता ने फोन पर दोटूक उत्तर देते हुए कहा, ”मैं तुम्हारी ब्याहता थोड़े हूं. मेरे यहां अब मत आना, तुम मेरा बोझ नहीं उठा सकते हो तो तुम्हें कोई हक नहीं है. मुझ से अब कोई उम्मीद मत रखो.’’ इतना कह कर गीता ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

विकास फोन पर गीता की बातें सुनने के बाद बुरी तरह तिलमिला कर रह गया. उस ने गीता को सबक सिखाने के लिए योजना बना डाली. रात के करीब एक बजे विकास गीता के घर के पास लगे बिजली के खंभे के सहारे चढ़ कर उस के मकान के अंदर घुस गया. गीता के कमरे के सामने पहुंच कर उस ने गीता से कमरा खोलने के लिए कहा. विकास की आवाज पहचान गई थी, इसलिए उस ने अंदर से ही कहा कि वह वहां से चला जाए. करीब आधा घंटा बीतने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो विकास किचन के अंदर जा कर बरतनों को इधरउधर फेंकने लगा. ऐसा करते हुए उसे एक बड़ा चाकू हाथ लग गया. उस ने उसे अपने पास छिपा लिया.

इसी दौरान गीता बरतनों की आवाज सुन कर बाहर आई और उसे डांटने लगी. पहले से ही तिलमिलाया हुआ विकास गुस्से में बोला,  ”आज मैं अपना और तुम्हारा दुख दूर किए देता हूं.’’

इतना कह कर विकास ने हाथ में लिए डंडे से गीता के सिर पर हमला कर दिया. वह उस पर तब तक हमला करता रहा, जब तक कि वह बुरी तरह बेहोश नहीं हो गई. गीता  के जमीन पर गिरते ही वह अपनी कमर में खोंसे चाकू से उस की गरदन रेतने लगा. इसी बीच गीता की बेटी दीपिका जाग गई. उस ने विकास को इतने गुस्से में पहली बार देखा था. वह तेजी से रोने लगी. विकास ने उसे पकड़ कर चाकू से उस की भी हत्या कर दी. आंगन में रखी बाल्टी में हाथपैर धोने के बाद वह खंभे के सहारे ही मकान से उतर कर बाहर आया और रेलवे लाइन के किनारे होता हुआ फरार हो गया.

विकास ने पुलिस को हत्या में प्रयोग की गई बाइक नंबर यूपी32 जीयू1335, चाकू और कुछ गहने, 760 रुपए नकद बरामद करवा दिए. उस ने पुलिस टीम के सामने स्वीकार किया कि वह गीता से बहुत प्यार करता था और उस के ऊपर गीता की खातिर 4 लाख रुपए का कर्ज हो गया था. उस ने कर्जा उतारने के लिए ही उस ने गीता के गहने चुराने का प्लान भी बनाया था.

विकास से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.