Jharkhand News : रात को शादी से लौट रहीं लड़कियों के साथ घटी ऐसी घटना कि लोगों के रौंगटे खड़े हो गए

Jharkhand News : एक सनसनीखेज वारदात ने लोगों का दिल दहला दिया है. घटना एक शादी से लौट रहीं लङकियों के साथ घटी जिस में 18 लड़कों ने 3 लड़कियों को अगवा कर गैंगरेप किया है. इस सनसनीखेज वारदात ने सभी को झकझोर कर रख दिया है.

घटना झारखंड के खूंटी जिले की है, जिस में पहले 5 नाबालिग लड़कियों को अगवा कर लिया गया. इस के बाद इन 5 लड़कियों में से 3 लड़कियों के साथ 18 लड़कों ने गैंगरेप किया. लेकिन जो 2 लड़कियां थीं वे आरोपियों से बच कर भाग निकलने में कामयाब हो गईं और गांव में अपने साथ होने वाली इस खौफनाक वारदात के बारे में लोगों को उन्होंने जानकारी दी.

गुस्से में लोग

इस के बाद गांव के सभी लोग पुलिस थाने पहुंच गए और पुलिस ने केस दर्ज कर सभी आरोपियों को अरेस्ट कर लिया है।

खूंटी जिले के एसपी अमन कुमार ने कहा है कि यह घटना शुक्रवार देर रात की है, जिस में 5 लड़कियां रनियां इलाके में एक शादी समारोह में शामिल हुई थीं. जब ये शादी समारोह से वापस लौट रही थीं तो कुछ लड़के उन का पीछा करने लगे. जब आरोपी उन्हें अगवा कर एक सुनसान पहाड़ी पर ले जाने लगे तो उसी दौरान 2 लड़कियां उन आरोपियों के चंगुल से बच कर भाग गईं और गांव पहुंच कर उन्होंने यह जानकारी गांव वालों को दे दी.

जघन्य अपराध

आरोप है कि सभी 18 लड़कों ने उन 3 लड़कियों के साथ सामूहिक रेप कर उन्हें जंगल में छोड़ दिया. उधर सूचना मिलते ही गांव वाले घटनास्थल पर पहुंच गए.

आरोपी तो फरार हो चुके थे, जंगल में पीड़ित 3 लड़कियां मिलीं, जिन्हें गांव वाले अपने साथ ले आए. उन की उम्र 12 से 16 वर्ष है. आरोपी लड़कों की उम्र 12 से 17 साल की बताई गई है. पीड़ित लड़कियों के परिजन उन्हें स्थानीय थाने ले कर गए और मामला दर्द कराया।

एसपी अमन कुमार का कहना है कि पीड़ित लड़कियों की तहरीर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आईपीसी धारा और पौक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और सभी आरोपियों को अरेस्ट कर के किशोरगृह भेज दिया गया है. इस घटना से आसपास के लोग आक्रोशित हैं और इन सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी काररवाई की मांग कर रहे हैं।

Extramarital Affair : भाभी के प्यार में पागल छोटे भाई ने की बड़े भाई की हत्या

Extramarital Affair : संदीप को शराब पीने की लत थी, इस से उस की पत्नी अमनदीप परेशान रहती थी. इसी परेशानी के आलम में देवर गुरदीप से आंतरिक संबंध बन गए. अवैध संबंधों की परिणति छोटे भाई के हाथों बड़े भाई की हत्या के रूप में हुई. अगर अमनदीप…

खूबसूरत नैननक्श वाली अमनदीप कौर लखीमपुर खीरी के थाना कोतवाली गोला के अंतर्गत आने वाले गांव रेहरिया निवासी सरदार बलदेव सिंह की बेटी थी. अमनदीप के अलावा बलदेव सिंह की 2 बेटियां और एक बेटा और था. वह उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में नौकरी करते थे. चूंकि वह सरकारी कर्मचारी थे, इसलिए उन्होंने अपने चारों बच्चों की परवरिश अच्छे तरीके से की थी. अमनदीप कौर खूबसूरत लड़की थी. उसे सिनेमा देखना, सहेलियों के साथ दिन भर मौजमस्ती करना पसंद था. खुद को वह किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं समझती थी.

अमनदीप की आधुनिक सोच को देख कभीकभी बलदेव सिंह भी सोच में पड़ जाते थे. एक दिन अमनदीप की मां सुप्रीति कौर ने पति से कहा, ‘‘बेटी अब सयानी हो गई है. कोई अच्छे घर का लड़का देख कर जल्दी से इस के हाथ पीले कर दो तो अच्छा है.’’

पत्नी की बात बलदेव सिंह की समझ में आ गई. वह अमनदीप के लिए वर की तलाश में लग गए. इस काम के लिए बलदेव सिंह ने अपने रिश्तेदारों से भी कह रखा था. उन के दूर के एक रिश्तेदार ने उन्हें संदीप नाम के एक लड़के के बारे में बताया. संदीप लखीमपुर खीरी की तिकुनिया कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव रायपुर कल्हौरी के रहने वाले मेहर सिंह का बेटा था. मेहर सिंह के पास अच्छीखासी खेती की जमीन थी. संदीप के अलावा मेहर सिंह की 3 बेटियां व एक बेटा और था. सन 2001 में मेहर सिंह ने पंजाब में हर्निया का औपरेशन कराया था, लेकिन औपरेशन के दौरान ही उन की मृत्यु हो गई थी. इस के बाद परिवार का सारा भार उन की पत्नी प्रीतम कौर पर आ गया था.

उन्होंने बड़ी मुश्किलों से अपने बच्चों की परवरिश की. जैसेजैसे बच्चे जवान होते गए, प्रीतम कौर उन की शादी करती रहीं. संदीप की शादी के लिए बलदेव सिंह की बेटी अमनदीप कौर का रिश्ता आया. यह रिश्ता प्रीतम कौर और परिवार के अन्य लोगों को पसंद आया. तय हो जाने के बाद संदीप और अमनदीप का सामाजिक रीतिरिवाज से विवाह कर दिया गया. यह करीब 8 साल पहले की बात है. कहा जाता है कि पतिपत्नी की जिंदगी में सुहागरात एक यादगार बन कर रह जाती है. लेकिन अमनदीप कौर के लिए यह काली रात साबित हुई. उस रात संदीप का जोश अमनदीप के लिए पानी का बुलबुला साबित हुआ, अमनदीप की खामोशी और संजीदगी उस के होंठों पर आ गई. वह नफरतभरी निगाहों से संदीप की तरफ देख कर बिफर पड़ी, ‘‘मुझे तुम से इस तरह ठंडेपन की उम्मीद नहीं थी.’’

पत्नी की बात से संदीप का सिर शर्मिंदगी से झुक गया. वह बोला, ‘‘दरअसल, मैं बीमार चल रहा हूं. शायद इसी कारण ऐसा हुआ. तुम चिंता मत करो, मैं जल्द ही तुम्हारे काबिल हो जाऊंगा.’’ संदीप ने सफाई दी. इस के बाद संदीप ने अपने खानपान में सुधार किया. शराब का सेवन कम कर दिया, जिस का फल उसे जल्द ही मिला. वह पत्नी को भरपूर प्यार करने लायक बन गया. वक्त के साथ अमनदीप गर्भवती हो गई और उस ने बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम दलजीत रखा गया. इस के बाद उस ने एक बेटी सीरत कौर को जन्म दिया. इस वक्त दोनों की उम्र क्रमश: 6 और 4 साल है.

संदीप का परिवार बढ़ा तो खर्च भी बढ़ गया. वह पहले से और भी ज्यादा मेहनत करने लगा. जब वह शाम को थकहार कर घर लौटता तो शराब पी कर आता और खाना खा कर सो जाता. कभीकभी अमनदीप की चंचलता उसे विचलित जरूर कर देती, लेकिन एक बार प्यार करने के बाद संदीप करवट बदल कर सो जाता तो उस की आंखें सुबह ही खुलतीं. लेकिन वासना की भूख ऐसी होती है कि इसे जितना दबाने की कोशिश की जाए, उतना ही धधकती है. अमनदीप अपनी ही आग में झुलसतीतड़पती रहती. ऐसे में वह चिड़चिड़ी हो गई, बातबात में संदीप से उलझ जाती. शराब पी कर आता तो दोनों में जम कर बहस होती. कभीकभी संदीप उसे पीट भी देता था.

करीब 2 साल पहले संदीप की मां का देहांत हो गया था. घर पर संदीप, उस की पत्नी अमन और उस के बच्चे व छोटा भाई गुरदीप रहता था. संदीप तो अधिकतर खेतों पर ही रहता था. वह कभी देर शाम तो कभी देर रात घर लौटता था. अमनदीप के दोनों बच्चे स्कूल चले जाते थे. घर पर रह जाते थे गुरदीप और अमनदीप. गुरदीप अमनदीप को संदीप से लाख गुना अच्छा लगने लगा था. गुरदीप जब भी काम से बाहर जाता तो अमनदीप उस के वापस आने के इंतजार में दरवाजे पर ही खड़ी रहती. एक दिन अमनदीप जब इंतजार करतेकरते थक गई तो अंदर जा कर चारपाई पर लेट गई. कुछ ही देर में दरवाजा खटखटाने की आवाज आई तो अमनदीप ने दरवाजा खोला और उसे अंदर आने को कह कर लस्तपस्त भाव में जा कर फिर लेट गई.

गुरदीप ने घबरा कर पूछा, ‘‘क्या हुआ भाभी, इस तरह क्यों पड़ी हो? लगता है अभी नहाई नहीं हो?’’

अमनदीप ने धीरे से कहा, ‘‘आज तबीयत ठीक नहीं है, कुछ अच्छा नहीं लग रहा है.’’

गुरदीप ने जल्दी से झुक कर अमनदीप की नब्ज पकड़ कर देखा. उस के स्पर्श मात्र से अमनदीप के शरीर में झुरझुरी सी फैल गई. नसें टीसने लगीं और आंखें एक अजीब से नशे से भर उठीं. आवाज जैसे गले में ही फंस गई. उस ने भर्राए स्वर में कहा, ‘‘तुम तो ऐसे नब्ज टटोल रहे हो जैसे कोई डाक्टर हो.’’

‘‘बहुत बड़ा डाक्टर हूं भाभी,’’ गुरदीप ने हंस कर कहा, ‘‘देखो न, नाड़ी छूते ही मैं ने तुम्हारा रोग भांप लिया. बुखार, हरारत कुछ नहीं है. सीधी सी बात है, संदीप भैया सुबह काम पर चले जाते हैं तो देर शाम को ही लौटते हैं.’’

अमनदीप के मुंह का स्वाद जैसे एकाएक कड़वा हो गया. वह तुनक कर बोली, ‘‘शाम को भी वह लौटे या न लौटे, मुझे उस से क्या.’’

गुरदीप ने जल्दी से कहा, ‘‘यह बात नहीं है, वह तुम्हारा खयाल रखते हैं.’’

‘‘क्या खाक खयाल रखता है,’’ कहते ही उस की आंखों में आंसू छलछला आए.

भाभी अमनदीप को सिसकते देख कर गुरदीप व्याकुल हो उठा. कहने लगा, ‘‘रो मत भाभी, नहीं तो मुझे दुख होगा. तुम्हें मेरी कसम, उठ कर नहा आओ. फिर मन थोड़ा शांत हो जाएगा.’’

गुरदीप के बहुत जिद करने पर अमनदीप को उठना पड़ा. वह नहाने की तैयारी करने लगी तो वह चारपाई पर लेट गया. गुरदीप का मन विचलित हो रहा था. अमनदीप की बातें उसे कुरेद रही थीं. उस से रहा नहीं गया, उस ने बाथरूम की ओर देखा तो दरवाजा खुला था. गुरदीप का दिल एकबारगी जोर से धड़क उठा. उत्तेजना से शिराएं तन गईं और आवेग के मारे सांस फूलने लगी. गुरदीप ने एक बार चोर निगाह से मेनगेट की ओर देखा, मेनगेट खुला मिला. उस ने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया और कांपते पैरों से बाथरूम के सामने जा खड़ा हुआ.

अमनदीप उन्मुक्त भाव से बैठी नहा रही थी. उस समय उस के तन पर एक भी कपड़ा नहीं था. निर्वसन यौवन की चकाचौंध से गुरदीप की आंखें फटी रह गईं. वह बेसाख्ता पुकार बैठा, ‘‘भाभी…’’

अमनदीप जैसे चौंक पड़ी, फिर भी उस ने छिपने या कपड़े पहनने की कोई आतुरता नहीं दिखाई. अपने नग्न बदन को हाथों से ढकने का असफल प्रयास करती हुई वह कटाक्ष करते हुए बोली, ‘‘बड़े शरारती हो तुम गुरदीप. कोई देख ले तो…कमरे में जाओ.’’

लेकिन गुरदीप बाथरूम में घुस गया और कहने लगा, ‘‘कोई नहीं देखेगा भाभी, मैं ने बाहर वाले दरवाजे में कुंडी लगा दी है.’’

‘‘तो यह बात है, इस का मतलब तुम्हारी नीयत पहले से ही खराब थी.’’

‘‘तुम भी तो प्यासी हो भाभी. सचमुच भैया के शरीर में तुम्हारी कामनाएं तृप्त करने की ताकत नहीं है.’’ कहतेकहते गुरदीप ने अमनदीप की भीगी देह बांहों में भींच ली और पागल की तरह प्यार करने लगा. पलक झपकते ही जैसे तूफान उमड़ पड़ा. जब यह तूफान शांत हुआ तो अमनदीप अजीब सी पुलक से थरथरा उठी. उस दिन उसे सच्चे मायने में सुख मिला था. वह एक बार फिर गुरदीप से लिपट गई और कातर स्वर में कहने लगी, ‘‘मैं तो इस जीवन से निराश हो चली थी, गुरदीप. लेकिन तुम ने जैसे अमृत रस से सींच कर मेरी कामनाओं को हरा कर दिया.’’

‘‘मैं ने तो तुम्हें कई बार बेचैन देखा था, भाई से तृप्त न होने पर मैं ने तुम्हें रात में कई बार तन की आग ठंडी करने के लिए नंगा नहाते देखा है. तुम्हारी देह की खूबसूरती देख कर मैं तुम पर लट्टू हो गया था. मैं तभी से तुम्हारा दीवाना बन गया था. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं लेकिन तुम ने कभी मौका ही नहीं दिया.’’

‘‘बड़े बेशर्म हो तुम गुरदीप. औरत भी कहीं अपनी ओर से इस तरह की बात कह पाती है.’’

‘‘अपनों से कोई दुराव नहीं होता, भाभी. सच्चा प्यार हो तो बड़ी से बड़ी बात कह दी जाती है. आखिर भैया…’’

‘‘मेरे ऊपर एक मेहरबानी करो गुरदीप, ऐसे मौके पर संदीप की याद दिला कर मेरा मन खराब मत करो. हम दोनों के बीच किसी तीसरे की जरूरत ही क्या है. अच्छा, अब तुम कमरे में जा कर बैठो.’’

‘‘तुम भी चलो न.’’ कहते हुए गुरदीप ने अमनदीप को बांहों में उठा लिया और कमरे में ले जा कर पलंग पर डाल दिया. अमनदीप ने कनखी से देखते हुए झिड़की सी दी, ‘‘कपड़े तो पहनने दो.’’

‘‘क्या जरूरत है…आज तुम्हारा पूरा रूप एक साथ देखने का मौका मिला है तो मेरा यह सुख मत छीनो.’’

गुरदीप बहुत देर तक अमनदीप की मादक देह से खेलता रहा. एक बार फिर वासना का ज्वार आया और उतर गया. लेकिन यह तो ऐसी प्यास होती है कि जितना बुझाने का प्रयास करो, उतनी और बढ़ती जाती है. फिर अमनदीप के लिए तो यह छीना हुआ सुख था, जो उस का पति कभी नहीं दे सका. वह बारबार इस अलौकिक सुख को पाने के लिए लालायित रहती थी. दोनों इस कदर एकदूसरे को चाहने लगे कि अब उन्हें अपने बीच आने वाला संदीप अखरने लगा. हमेशा का साथ पाने के लिए संदीप को रास्ते से हटाना जरूरी था.

25 फरवरी, 2020 की रात संदीप शराब पी कर आया तो झगड़ा करने लगा. उस ने अमनदीप से मारपीट शुरू कर दी. इस पर अमनदीप ने गुरदीप को इशारा किया. इस के बाद अमनदीप ने गुरदीप के साथ मिल कर संदीप को मारनापीटना शुरू कर दिया. किचन में पड़ी लकड़ी की मथनी से अमनदीप ने संदीप के सिर के पिछले हिस्से पर कई प्रहार किए. बुरी तरह मार खाने के बाद संदीप बेहोश हो गया. लेकिन सिर पर लगी चोट से काफी खून बह जाने से उस की मृत्यु हो गई. संदीप की मौत के बाद दोनों काफी देर तक सोचते रहे कि अब वह क्या करें. इस के बाद सुबह होने तक उन्होंने फैसला कर लिया कि उन को क्या करना है.

सुबह दोनों बच्चों के साथ वह घर से निकल गए. साढ़े 11 बजे गुरदीप ने अपनी बड़ी बहन राजविंदर को फोन किया कि उस ने और अमनदीप ने संदीप को मार दिया है. कह कर काल काट दी और अपना फोन बंद कर लिया. इस के बाद राजविंदर ने यह बात रोते हुए अपने पति रेशम सिंह को बताई. दोनों संदीप के मकान पर आए तो वहां संदीप की लाश पड़ी देखी. इस के बाद राजविंदर ने तिकुनिया कोतवाली में घटना की सूचना दी. सूचना मिलते ही कोतवाली इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मकान में घुसने पर पहले बरामदा था, उस के बाद सामने 2 कमरे और दाईं ओर एक कमरा था. सामने वाले बीच के कमरे में 3 चारपाई पड़ी थीं. कमरे के बीच में जमीन पर संदीप की लाश पड़ी थी. उस के सिर पर गहरी चोट थी, पुलिस ने सोचा कि शायद उसी चोट से अधिक खून बहने के कारण उस की मौत हुई होगी.

कमरे में ही खून लगी लकड़ी की मथनी पड़ी थी. इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद ने खून से सनी मथनी अपने कब्जे में ले ली. पूरा मौकामुआयना करने के बाद इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस के बाद कोतवाली आ कर राजविंदर कौर से पूछताछ की तो उन्होंने पूरी बात बता दी. राजविंदर की तरफ से पुलिस ने अमनदीप और गुरदीप सिंह के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद पुलिस उन की तलाश में जुट गई. इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद को एक मुखबिर से सूचना मिली कि अमनदीप और गुरदीप सिंह लखीमपुर की गोला कोतवाली के ग्राम महेशपुर फजलनगर में अपने रिश्तेदार देवेंद्र कौर के यहां शरण लिए हुए हैं.

इस सूचना पर पुलिस ने 3 फरवरी, 2020 को सुबह करीब सवा 5 बजे उस रिश्तेदार के यहां दबिश दे कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया. कोतवाली ला कर जब उन से पूछताछ की गई तो उन्होंने आसानी से अपना जुर्म स्वीकार कर लिया और हत्या की वजह भी बयान कर दी. आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद पुलिस ने हत्यारोपी गुरदीप सिंह और अमनदीप कौर को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Cyber Crime : नाइजीरियन गैंग ने महंगा गिफ्ट का झांसा देकर महिला से ठगे लाखों

Cyber Crime : नाइजीरियन ठग फोन, वाट्सऐप या फेसबुक पर पढ़ीलिखी महिलाओं से दोस्ती के नाम पर पहले उन का विश्वास जीतते हैं और फिर उन से ठगी कर के मोटी रकम वसूलते हैं. दिल्ली और बडे़ नगरों में यह खेल वर्षों से चल रहा है. आश्चर्य की बात यह है कि विदेशी गिफ्ट के चक्कर में पढ़ीलिखी महिलाएं ही ज्यादा फंसती हैं. भीलवाड़ा पुलिस ने…

15 सितंबर, 2019 की बात है. राजस्थान के भीलवाड़ा शहर की एक रिटायर्ड शिक्षिका मनोरमा एसपी हरेंद्र कुमार महावर के पास पहुंची. उस ने एसपी को एक शिकायती पत्र दिया, जिस में उस ने अपने साथ 43 लाख 67 हजार रुपए की धोखाधड़ी होने की बात लिखी थी. मनोरमा ने एसपी साहब को बताया कि रिटायर होने के बाद वह सोशल मीडिया पर अपना समय बिताती थी. फेसबुक पर उस की दोस्ती बार्थोलोम्यू औडिकमो नाम के विदेशी नागरिक से हुई. उस ने खुद को लंदन का रहने वाला बताया. उस ने यह भी बताया कि लोग उसे एंड्रो लोरे भी कहते हैं.

दोस्ती होने के बाद फेसबुक के माध्यम से उस की एंड्रो लोरे से बातचीत होने लगी. इस बातचीत के दौरान उस के कहने पर मनोरमा ने अपना फोन नंबर भी दे दिया. फिर जबतब एंड्रो लोरे उसे फोन भी करने लगा. मनोरमा को उस से बात करना अच्छा लगता था. वह उस की बातों पर विश्वास करने लगी थी. एक दिन एंड्रो लोरे ने कहा कि उस ने लंदन से उस के लिए एक सरप्राइज गिफ्ट भेजा है. वह गिफ्ट उदयपुर हवाईअड्डे पर पहुंच गया है. वहां के कस्टम अधिकारी से मिल कर आप गिफ्ट ले लेना. यह सुन कर मनोरमा बहुत खुश हुई. उस ने सोचा कि एंड्रो लोरे कितना अच्छा है, जिस ने कुछ ही दिन की दोस्ती में गिफ्ट भी भेज दिया. यह पता नहीं था कि गिफ्ट में क्या है. एंड्रो लोरे भी उसे सरप्राइज देना चाहता था, इसलिए उस ने कुछ भी नहीं बताया था. मनोरमा ने भी सरप्राइज की बात सुन कर इस बारे में ज्यादा पूछताछ नहीं की थी.

बहरहाल, वह घर से उदयपुर हवाईअड्डे की तरफ रवाना होने ही वाली थी कि उस के पास एक महिला का फोन आया. उस ने खुद को कस्टम अधिकारी बताते हुए कहा कि आप के नाम से यहां एक पार्सल आया है जो लंदन के किसी एंड्रो लोरे ने भेजा है. इस पार्सल में कोई बहुत कीमती सामान है, लेकिन बिना कस्टम ड्यूटी अदा किए आप को नहीं मिलेगा.

‘‘कितनी कस्टम ड्यूटी लगेगी?’’ मनोरमा ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘आप के पार्सल की कस्टम ड्यूटी 4 लाख रुपए है. इसे आप जल्द जमा करा दीजिए.’’ कहते हुए महिला ने मनोरमा को एक बैंक एकाउंट नंबर बता दिया. मनोरमा को लगा कि एंड्रो लोरे ने जो गिफ्ट भेजा है, वह काफी महंगा है जिस की कस्टम ड्यूटी ही 4 लाख रुपए लग रही है. उस ने सोचा कि उस का विदेशी दोस्त पैसे वाला है तभी तो उस ने इतना महंगा गिफ्ट भेजा. वह फटाफट बैंक गई और महिला कस्टम अफसर द्वारा बताए खाते में 4 लाख रुपए जमा करा दिए. मनोरमा ने पैसे जमा करने की जानकारी उस महिला अफसर को दे दी. उस महिला ने कहा कि बैंक से पैसे रिसीव होने का मैसेज मिलते ही हम आप को काल कर के बता देंगे.

मनोरमा उस का फोन आने का इंतजार करने लगी. अगले दिन उस महिला ने मनोरमा को फोन कर के पैसे मिलने की पुष्टि कर दी. साथ ही यह भी कहा कि कुछ क्लियरेंस पूरे करने हैं, जिन के लिए उन्हें एयरपोर्ट आना पड़ेगा. मनोरमा उदयपुर एयरपोर्ट पहुंची तो वह महिला अफसर एयरपोर्ट के बाहर ही मिल गई. उस ने मनोरमा को बताया कि यहां से विदेशी पार्सल छुड़ाने के लिए कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं, इसलिए आप को क्लियरेंस के 7 लाख रुपए उसी एकाउंट में और जमा करने होंगे. क्योंकि उस पार्सल में 50-60 लाख रुपए का आइटम है.

मनोरमा 4 लाख रुपए तो जमा कर चुकी थी. उस ने सोचा कि जब गिफ्ट आइटम इतना महंगा है तो 7 लाख भी जमा कर देगी. लिहाजा उस ने उसी एकाउंट में 7 लाख रुपए और जमा कर दिए. उस ने यह बात अपने घर में किसी को नहीं बताई. पैसे जमा कराने के बावजूद भी उसे गिफ्ट नहीं दिया गया. इस के बाद भी किसी न किसी बहाने मनोरमा से मोटी रकम जमा कराई जाती रही. मनोरमा गिफ्ट पाने के लालच में 43 लाख 67 हजार रुपए जमा करा चुकी थी. लेकिन उसे गिफ्ट नहीं दिया गया. साथ ही उस के लंदन वाले दोस्त एंड्रो लोरे और उस महिला ने अपने नंबर ही बंद कर दिए. मनोरमा ने यह बात अपने घर वालों को बताई तो घर के सभी लोग हैरान रह गए कि पढ़ीलिखी होने के बाद वह इतनी बड़ी रकम कैसे उन के खाते में जमा कराती गई और घर में किसी से चर्चा तक नहीं की.

मनोरमा की कहानी सुनने के बाद एसपी हरेंद्र कुमार महावर ने मामले को गंभीरता से लिया और कोतवाली भीलवाड़ा में रिपोर्ट दर्ज करवा कर एक विशेष टीम बनाई. टीम ने उन मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर उन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया. इस जांच के बाद पुलिस को आरोपियों के बारे में काफी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. टीम को पता चला कि आरोपी दिल्ली की पालम कालोनी में रह रहा है. इस सूचना की पुष्टि होते ही एसपी हरेंद्र कुमार महावर ने कोतवाली प्रभारी यशदीप भल्ला के नेतृत्व में एक पुलिस टीम दिल्ली रवाना कर दी. पुलिस टीम ने 15 अक्तूबर, 2019 को दिल्ली के पालम विहार स्थित एक मकान पर दबिश दी. वहां से एक नाइजीरियन युवक और एक भारतीय युवती को हिरासत में लिया गया. पूछताछ में युवक ने अपना नाम बार्थोलोम्यू औडिकमो निवासी नाइजीरिया बताया. युवती का नाम रोजलिन था जो नगालैंड की रहने वाली थी. वह औडिकमो की पत्नी थी.

पुलिस दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली से भीलवाड़ा ले आई. भीलवाड़ा में जब उन दोनों से मनोरमा के साथ की गई ठगी के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि मनोरमा से ठगी की थी. पूछताछ में ठगी करने की जो कहानी पता चली, वह इस प्रकार थी—

बार्थोलोम्यू औडिकमो जनवरी, 2019 में बिजनैस वीजा ले कर भारत आया था. यहां आ कर उस ने ठगी की दुकान खोल ली. उस ने एंड्रो लोरे नाम से फेसबुक पर फरजी एकाउंट बना लिया था. चूंकि उस की शक्लसूरत अच्छी नहीं थी, इसलिए उस ने सोशल साइट से किसी सुंदर विदेशी युवक का फोटो ले कर अपनी प्रोफाइल पर लगा लिया, जिस से कोई उस की असलियत न जान सके. इस के बाद वह शिकार भी सोशल साइट से ही चुनने लगा. वह फेसबुक से अच्छी प्रोफाइल वाली महिलाओं की डिटेल्स निकाल लेता था. किसी तरह फरजी आईडी से लिए गए सिम भी उस ने प्राप्त कर लिए. उन्हीं सिम कार्डों का उपयोग वह शिकार से बात करने के लिए करता था.

आरोपी ने इसी तरह पूर्व शिक्षिका मनोरमा से फेसबुक पर दोस्ती की थी. मनोरमा से उस ने खुद को लंदन का रहने वाला बताया था. विश्वास जमाने के लिए उस ने अपनी पत्नी रोजलिन से भी मनोरमा की बात कराई. फेसबुक पर मनोरमा से उस की दोस्ती 28 जून, 2019 को हुई थी. मनोरमा को विश्वास में लेने के बाद उस ने गिफ्ट भेजने की सूचना दी. फिर इस गिफ्ट को छुड़ाने की एवज में उस की पत्नी रोजलिन ने मनोरमा से मोटी रकम ठग ली. रोजलिन ने खुद को कस्टम अफसर बताया था. 43 लाख, 67 हजार रुपए ठगने के बाद आरोपियों ने मनोरमा से बात करनी बंद कर दी थी. उन्होंने मोबाइल फोन भी बंद कर दिए थे. नाइजीरिया निवासी बार्थोलोम्यू ने बताया कि वह पहले भी कई बार भारत आ चुका है. जब वह सन 2015 में नाइजीरिया से भारत आया था, तभी उस ने नगालैंड निवासी रोजलिन से शादी की थी. दोनों का 2 साल का बेटा भी था.

रोजलिन का कहना था कि बार्थोलोम्यू से मिलने पर उसे प्यार हो गया था. फिर दोनों ने शादी कर ली. रोजलिन से शादी करने के बाद बार्थोलोम्यू ने उसे भी अपने साथ ठगी के धंधे में लगा लिया था. पूछताछ में पता चला कि बार्थोलोम्यू की ठगी की पूरी गैंग है, जो दिल्ली में सक्रिय है. आरोपी जिस व्यक्ति के खाते में रकम डलवाते थे, उसे 15 प्रतिशत हिस्सा देते थे. जिस व्यक्ति के नाम खाता होता था, वह भी फरजी पहचान पत्र से खाता खुलवाता था. फरजी पहचान पत्र से ही इन लोगों ने कई मोबाइल सिम ले रखी थीं. पुलिस को आरोपियों के पास से दर्जनों एटीएम कार्ड्स व पासबुक मिलीं. पता चला है कि इन लोगों ने कई लोगों को झांसे में ले कर उन से साढ़े 4 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की थी.

मनोरमा ने सोशल साइट पर बार्थोलोम्यू से वीडियो कालिंग के लिए कहा था, लेकिन उस ने वीडियो कालिंग पर चेहरा सामने आने के डर से वीडियो कालिंग से इनकार कर दिया. उस ने मनोरमा से कहा कि वह भारत आ कर ही मिलेगा. ठगी की रकम से आरोपी ऐश की जिंदगी जी रहे थे. नाइजीरिया निवासी बार्थोलोम्यू कच्चा मांस खाता था. उसे अच्छे कपड़े पहनने, महंगी शराब पीने, फिल्में देखने का शौक था. कुछ रकम वह नाइजीरिया में रह रहे अपने मातापिता को भी भेजता था. भीलवाड़ा पुलिस की 6 जवानों की टीम जब दिल्ली पुलिस के 2 जवानों को ले कर बार्थोलोम्यू को गिरफ्तार करने पहुंची तो उस ने पुलिस से जम कर हाथापाई की थी. उसे बमुश्किल दबोचा गया था.

पुलिस ने जैसे ही उसे हिरासत में लिया, उस ने अपना फोन जमीन पर पटक कर तोड़ दिया, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. भीलवाड़ा पुलिस ने 16 अक्तूबर, 2019 को दोनों ठगों बार्थोलोम्यू और रोजलिन को भीलवाड़ा कोर्ट में पेश कर 5 दिन के रिमांड पर लिया और कड़ी पूछताछ की. बार्थोलोम्यू ने बताया कि दिल्ली में फरजी सिम बेचने वाला एक गिरोह काम कर रहा है. कई मोबाइल कंपनियां आमजन को सिम बांटने के लिए कर्मचारियों को 6 से 7 हजार रुपए पगार पर रखती हैं. विदेशी ठग ऐसे कर्मचारियों से संपर्क करते हैं. फिर उन्हें 25 से 30 हजार रुपए दे कर दूसरों के नाम पर एक्टिवेटेड सिम खरीद लेते हैं. जिस का उपयोग वे ठगी की वारदातों में करते हैं.

आरोपियों ने बताया कि सोशल साइट पर दोस्ती के लिए ऐसे सिमों का उपयोग कर किसी महिला शिकार से करीब एक महीने तक उस नंबर से बातचीत करते हैं. विश्वास में लेने के बाद ठगी शुरू हो जाती है. ठगी के बाद उस सिम को तोड़ कर फेंक देते हैं. यहां तक कि वे उस मोबाइल को भी काम में नहीं लेते, जिस में वह सिम काम कर रहा था. भीलवाड़ा कोतवाली पुलिस को अब तक की जांच में मुंबई, दिल्ली, पुणे समेत कई शहरों के लोगों के नाम की सिम मिली हैं. पुलिस ने बार्थोलोम्यू से पूछा कि ठगी के लिए उस ने भारत को ही क्यों चुना? उस का जवाब था, ‘‘यहां लोगों से अंगरेजी में बात की जाए तो वे बात करने वाले को अच्छा विदेशी समझते हैं या बात कर रहे व्यक्ति को हाईप्रोफाइल समझने लगते हैं. वहीं अन्य देशों में यह करना संभव नहीं है, दूसरे अन्य देशों के कानून भी कड़े होते हैं.’’

उस ने बताया कि वह भारत में अब तक 50 लोगों के साथ ठगी कर चुका है. ये वारदातें किस के साथ हुईं, यह वह नहीं बता सका. पीडि़त को ढूंढना भी भीलवाड़ा पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि आरोपियों से मिले मोबाइल के डाटा डिलीट हैं. आरोपियों को भी पता नहीं कि उन्होंने किस राज्य में किसे ठगा. उन का कहना है कि वे खुद किसी महिला से नहीं मिलते थे. महज मोबाइल पर बात कर खाते में रकम डलवाते थे. बार्थोलोम्यू ने ठगी की रकम से व्यापार भी किया. उस ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि वे लोग ठगी की रकम से हाईप्रोफाइल जिंदगी जीते थे. उस ने साढ़े 4 करोड़ रुपए से ज्यादा ठगे थे, जिस में से कुछ हिस्से को उस ने एक नंबर के कारोबार में भी लगाया.

आरोपी बिजनैस वीजा पर भारत आया था. उस ने दिल्ली में रहते हुए ठगी के साथ कपड़े का व्यापार किया. कपड़े के इस व्यापार को उस ने नाइजीरिया तक पहुंचाया. अकेले बार्थोलोम्यू करोड़ों के कपड़े का बिजनैस कर चुका है और वह साइबर क्राइम में माहिर है. पुलिस ने नाइजीरिया ठगी गैंग के एक और सदस्य ओगुग्वा संडे को 20 अक्तूबर, 2019 को दिल्ली से गिरफ्तार किया. ओगुग्वा संडे को पकड़ने के लिए भीलवाड़ा पुलिस को रिश्तेदारी का जाल बुन कर पासा फेंकना पड़ा, तब जा कर वह पकड़ में आया. ओगुग्वा संडे के पास से 8 लैपटौप, 22 मोबाइल फोन, 4 टैबलेट, 7 डोंगल तथा दरजनों सिमकार्ड्स बरामद हुए.

ओगुग्वा संडे की गिरफ्तारी के साथ ही अब तक एक महिला रोजलिन सहित 3 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. इन का आका बोनीसेफ पुलिस के हाथ नहीं आया. पुलिस टीम ने नाइजीरिया के संडे को मोहन गार्डन दिल्ली से हिरासत में लिया था. पुलिस की भनक लगते ही सरगना बोनीसेफ उर्फ बोनीफेस उर्फ बोनीफोट दीवार कूद कर भाग गया था. पुलिस ने उस के घर की तलाशी ली तो वहां विजिटिंग कार्ड मिला, जिस में वह बिल्डिंग मटीरियल कंपनी का डायरेक्टर बना हुआ था. इस की आड़ में वह दिल्ली में ठगी का साइबर सेल चला रहा था. उस के इशारे पर ही गैंग भारत में सोशल साइट पर महिलाओं से दोस्ती कर के ठगी करता था.

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोशल साइट पर हाईप्रोफाइल महिला से फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही वे रटेरटाए प्रश्न पूछते थे. इस के लिए वे 6 प्रश्नों का पत्र सामने रखे होते थे. हैलो कर के दोस्ती होती और एक के बाद एक प्रश्न में उस के परिवार की सारी स्थिति जान लेते थे. नाइजीरिया से आए ठग गिरोह में जो पढ़ेलिखे हैं, वही सोशल साइट पर ठगी करते थे. कम पढ़ेलिखे दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में नशे के सौदागर बने हुए हैं. ये लोग चरस, गांजा, स्मैक, हेरोइन की तस्करी करते हैं. इन के ग्राहक तय होते थे और जिन से नशीली खरीदी जाती थी, वे उन की पहचान वाले होते थे.

नाइजीरियाई ठग गैंग के पास दिल्ली में 4 मंजिला मकान किराए पर था. दिल्ली पुलिस के सहयोग से उस मकान के मालिक को बुलाया गया. गैंग ने चारों मंजिल को हाईटैक बना रखा था. पुलिस ने एसआई प्रेम सिंह को मकान मालिक के साथ घर भेजा गया, जहां नाइजीरियाई ठग रहते थे. मकान मालिक ने एसआई प्रेमसिंह को मकान पर जा कर अपना रिश्तेदार बताते हुए मकान दिखाने की बात कही. उस के बाद ठग गैंग के सदस्य ने दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही पीछे से पूरी पुलिस टीम मकान में आ गई. हथियारबंद पुलिसकर्मियों ने दरवाजा खुलते ही सिक्योरिटी गार्ड को दबोच लिया. उस के बाद संडे को हिरासत में ले लिया गया. हालांकि सरगना बोनीसेफ दीवार कूद कर भाग गया. पुलिस ने मकान की तलाशी ली तो फ्रिज में बड़ी मात्रा में मांस, अंडे सहित काफी खाद्य सामग्री मिली. इस से माना गया कि ये ठग घर से बाहर कम ही निकलते थे.

ठगी के तीसरे आरोपी ओगुग्वा संडे ने पुलिस पूछताछ में बताया कि सोशल साइट पर महिला की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही वे लोग रटेरटाए 6 प्रश्न पूछ कर परिवार की स्थिति जान लेते थे. उस के बाद दोस्त बनी महिला का वाट्सऐप नंबर ले लेते. उस नंबर पर चैटिंग करते थे और बाद में उस के मोबाइल नंबर जान लेते थे. इस के लिए हाईटेक मकान में 20 लोग काम करते थे. ये दिन भर महिला शिकार की तलाश करते रहते थे. जिस मकान में ठगी की साइबर सेल चल रही थी, वहां 10 लैपटौप एक साथ चलते थे. एक लैपटौप पर 6-6 महिलाओं से एक साथ चैटिंग होती थी. हरेक महिला को अलगअलग नाम बता कर चैटिंग करते. नामों को ले कर जरा सी भी गलती न हो, इस के लिए पास में एक डायरी रखते थे. दोस्ती होते ही उस से ठगी शुरू कर देते थे.

विदेश के ये ठग हर रोज 100 से 200 लोग तलाशने का लक्ष्य ले कर चलते थे. एक के बाद एक फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजते थे. इस में औसतन रोज 50 महिलाएं फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेती थीं. एक शिकार से 25 हजार से 30 हजार रुपए वसूलने का लक्ष्य होता था. शाम तक नाइजीरियन गैंग 4 से 5 लाख रुपए ठगी वाले खाते में डलवा लेते थे. इस पैसे से ये लोग हाईप्रोफाइल जिंदगी जीते थे. ठगी के औफिस में दिन भर शराब मांस उड़ाया जाता. भीलवाड़ा में गैंग के खुलासे के बाद दिल्ली से कई ठग फरार हो गए. जिस ठग ओगुग्वा संडे को भीलवाड़ा पुलिस ने दिल्ली के मोहन गार्डन से 20 अक्तूबर को दबोचा, उस ठग ने रिटायर शिक्षिका मनोरमा से ठगी कर के 43 लाख से ज्यादा की रकम खाते में डलवाई थी.

पुलिस कोतवाली भीलवाड़ा के थानाप्रभारी यशदीप भल्ला ने बताया कि जब पुलिस टीम दिल्ली में दोबारा आरोपी ठगों के ठिकाने पर जा कर घर में घुसी तो बाहर निकलना मुश्किल हो गया. ठगों के 4 मंजिला मकान का मुख्य दरवाजा अत्याधुनिक तकनीक से लौक था, जिसे केवल गैंग के सदस्य ही खोल सकते थे. गेट के अंदर घुसने के बाद दूसरा गेट था, इस गेट पर भी लौक था. अंदर घुसने के बाद गेट बंद हो जाता और बिना पासवर्ड के बाहर निकलना मुश्किल था. भीलवाड़ा पुलिस ने जान पर खेल कर तीसरे ठग ओगुग्वा संडे को गिरफ्तार किया और साथ ले कर आई. पुलिस टीम ठगी के आरोपियों के ठिकाने पर पहुंची तो शेयर मार्केट की तरह वहां लैपटौप चल रहे थे, जिन पर दिन भर शिकार की तलाश होती थी.

नाइजीरियाई ठग गैंग का सरगना बोनीफेस कहां रहता है, इस की जानकारी गिरफ्तार किए गए आरोपियों को भी नहीं है. भीलवाड़ा कोतवाली पुलिस ने 24 अक्तूबर, 2019 को तीनों आरोपियों को भीलवाड़ा कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

—कथा में मनोरमा परिवर्तित नाम है

 

Social Crime : Code के जरिए किया जाता था जिस्मफरोशी का धंधा

Social Crime : ज्यादातर युवतियां या महिलाएं देह व्यापार में अपनी मरजी से नहीं आतीं. उन्हें या तो रंगीन सपने दिखा कर जिस्म की मंडी में लाया जाता है या फिर मोटी कमाई के बहाने. कई लड़कियां ऐसी होती हैं जो शरीर को दांव पर लगा कर अमीर बनना चाहती हैं. बरेली की बबीता भी ऐसी ही लड़कियों…

एक मुखबिर ने बरेली के एएसपी अभिषेक वर्मा को उन के मोबाइल पर फोन कर के सूचना दी कि बबीता नाम की एक महिला सनसिटी विस्तार कालोनी के एक दोमंजिला मकान में बड़े स्तर पर जिस्मफरोशी का धंधा चला रही है. मुखबिर ने उन्हें बबीता का फोन नंबर भी दे दिया. इतना ही नहीं, उस ने बबीता से बात करने के कुछ कोड नाम भी दे दिए, जिन का उपयोग वह अपने धंधे में करती थी. खबर महत्त्वपूर्ण थी, इसलिए एएसपी ने खुफिया तौर पर पहले इस सूचना की जांच कराई, तो खबर सही निकली. इस के बाद उन्होंने इज्जतनगर के थानाप्रभारी और महिला थाने की थानाप्रभारी को अपने औफिस बुलाया.

उन्होंने दोनों पुलिस अधिकारियों को इस सूचना से अवगत कराते हुए तुरंत रेड पार्टी तैयार करने को कहा. आननफानन में रेड पार्टी तैयार कर ली गई. टीम में शामिल एक हैड- कांस्टेबल को डिकोय कस्टमर (फरजी ग्राहक) बनाया गया. डिकोय कस्टमर ने बबीता का फोन नंबर मिलाया. जैसे ही बबीता ने हैलो कहा तो वह बोला, ‘‘मैडम, मैं अमरीश बोल रहा हूं. मुझे आप का नंबर रहमान भाई ने दिया है.’’ रहमान का नाम सुनते ही बबीता समझ गई कि यह कस्टमर वास्तविक है. वह बोली, ‘‘हां, बताइए अमरीशजी, मैं आप की क्या सेवा कर सकती हूं.’’

‘‘मैडम, रहमान भाई ने बताया था कि नईनई गाडि़यां हैं, जिन पर सवारी करने में बड़ा ही मजा आता है. ऐसी किसी अच्छी गाड़ी पर मैं भी सफर करना चाहता हूं.’’ उस ने कहा.

‘‘हांहां, क्यों नहीं, आप का स्वागत है. कल ही हमारे पास दिल्ली से 2 नई गाडि़यां आई हैं. आप आ जाइए. रहमान भाई ने हमारा पता तो बता ही दिया होगा.’’ वह बोली.

‘‘हांजी, उन्होंने बता दिया है.’’ डिकोय कस्टमर ने कहा.

‘‘ठीक है आप आ जाइए. और हां, जब आप मेरे यहां आएंगे तब गेट पर चौकीदार आप से कोड पूछेगा तो कोड ‘समंदर में तैरना है’ बता देना. वह आप को मेरे पास ले आएगा.’’

‘‘ठीक है, मैं अभी कुछ देर में आप के पास पहुंचता हूं.’’ इस के बाद डिकोय कस्टमर बने हैडकांस्टेबल ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. यह बात 12 नवंबर, 2019 की है.

बबीता से बात पक्की हो जाने के बाद 12 नवंबर, 2019 की रात 10 बजे ही एएसपी अभिषेक वर्मा के नेतृत्व में पुलिस टीम सनसिटी विस्तार कालोनी पहुंच गई. टीम के सभी सदस्य बबीता के घर से कुछ दूर अलगअलग गाडि़यों में रहे. केवल हैडकांस्टेबल ही फरजी ग्राहक बना कर उस के घर पहुंचा. उसे बबीता के घर के बाहर चौकीदार खड़ा मिला. उस ने चौकीदार से कहा, ‘‘मुझे बबीता मैडम से मिलना है.’’

‘‘क्या काम है?’’ चौकीदार ने पूछा.

‘‘समंदर में तैरना है.’’ डिकोय कस्टमर बने हैडकांस्टेबल ने कहा.

यह सुनते ही चौकीदार समझ गया कि वह ग्राहक है, इसलिए वह उसे ले कर घर के अंदर चला गया. वहां कमरे में एक महिला मौजूद थी. फरजी ग्राहक ने पूछा, ‘‘क्या आप ही बबीताजी हैं?’’

‘‘जी हां, वैसे नाम में क्या रखा है. असल में तो काम ही मायने रखता है.’’ बबीता मुसकराते हुए बोली, ‘‘बैठिए, मैं आप को अभी गाडि़यां दिखाती हूं. वैसे मैं आप को एक बात और बताना चाहती हूं कि कस्टमर की डिमांड पर हम विदेशी गाडि़यों की भी डील करते हैं.’’

‘‘अरे वाह, यह तो बड़ी खुशी की बात है. फिलहाल तो आप हमें नई गाड़यां दिखाइए.’’ वह बोला.

तभी बबीता ने आवाज लगाई तो 2 युवतियां कमरे में आ कर खड़ी हो गईं. उन्हें देखते ही डिकोय कस्टमर ने कहा, ‘‘क्या बात है मैडम, जैसा हम ने सुना था, यहां तो उस से ज्यादा देखने को मिला. वास्तव में आप बहुत पहुंची हुई हैं. इन्हें देख कर मन कर रहा है कि दोनों को ही पसंद कर लूं. लेकिन फिलहाल मैं इन के साथ जाना पसंद करूंगा.’’ उस ने आसमानी रंग का टौप पहनी युवती की ओर इशारा करते हुए कहा.

‘‘यह मोहिनी है. इस का 2 घंटे का चार्ज 3 हजार रुपए है.’’ बबीता ने कहा.

‘‘मैडम, आप पैसों की चिंता न करें.’’ कहते हुए डिकोय कस्टमर ने 3 हजार रुपए बबीता के हाथ में दे दिए. इस के बाद उस ने अपनी जेब से फोन निकालते हुए कहा, ‘‘इसे बंद कर देते हैं वरना बीच में डिस्टर्ब करेगा.’’ उसी समय डिकोय कस्टमर ने एएसपी अभिषेक वर्मा को फोन पर मिस काल कर दी थी. यह मिस काल बाहर इंतजार कर रही पुलिस टीम के लिए एक इशारा थी. कुछ देर बाद कमरे का दरवाजा खटखटाने पर फरजी ग्राहक बने हैडकांस्टबल ने दरवाजा खोल दिया. पुलिस टीम धड़धड़ाती हुई उस कमरे में आ गई.

महिला पुलिस ने बबीता की तलाशी ले कर वे 3 हजार रुपए बरामद कर लिए जो हेड कांस्टेबल ने सौदा तय करते समय उसे दिए थे. उन नोटों के नंबर एएसपी ने पहले से ही अपने पास लिख लिए थे. ऊपर की मंजिल पर 2 युवतियां कमरों में मिलीं चौकीदार पुलिस को आया देख भाग चुका था. कुल मिला कर पुलिस ने वहां से 6 युवतियों को हिरासत में ले लिया. सभी के मोबाइल फोन और पर्स पुलिस ने कब्जे में ले लिए कमरों से भी कई आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुईं. बबीता का मोबाइल पुलिस ने चैक किया तो उस में जिस्मफरोशी का धंधा कराने वाली कई युवतियों के फोटो मिले. सभी को हिरासत में ले कर पुलिस थाना इज्जतनगर आ गई. वहां उन से पूछताछ की गई.

पूछताछ के बाद पता चला कि रैकेट की सरगना बबीता काफी समय से जिस्मफरोशी के धंधे का संचालन कर रही थी. 45 वर्षीय बबीता उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं के सिविल लाइंस एरिया की बाबा कालोनी की रहने वाली थी. वह शादीशुदा थी लेकिन अपने पति को छोड़ चुकी थी. बबीता फोन पर संपर्क के बाद वाट्सऐप पर ग्राहकों को युवतियों के आकर्षक फोटो भेज देती थी. इस के बाद रेट तय होने पर वह ग्राहक को अपने ठिकाने पर बुला लेती थी.

वहीं पर उस की मुलाकात बरेली के इज्जतनगर थानाक्षेत्र की सनसिटी विस्तार कालोनी में रहने वाले गोविंदा नाम के युवक से हुई थी. बाद में उस ने गोविंदा को भी अपने धंधे में शामिल कर लिया था. अपने धंधे को बढ़ाने के लिए बबीता ने छोटे शहर बदायूं से निकल कर महानगर बरेली में धंधा शुरू करने की सोची. चूंकि गोविंदा बरेली का ही रहने वाला था, इसलिए उस ने उस की सोच को और बढ़ावा दिया. करीब 6 महीने पूर्व बबीता ने गोविंदा के सहयोग से सनसिटी विस्तार कालोनी में किराए पर एक मकान ले लिया. वह मकान गोविंदा के घर के पास ही था. गोविंदा ग्राहकों को लाने के अलावा मकान के बाहर रह कर पहरेदारी करता था. दोनों ने धंधे के संचालन के लिए कुछ कोड वर्ड बना रखे थे. धीरेधीरे बबीता के संबंध दूसरे शहरों के संचालकों से भी हो गए.

वह दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु कोलकाता आदि शहरों से भी लड़कियां भी बुलाती थी. दबिश के दौरान पकड़ी गई 2 लड़कियां मोहिनी और प्रिया दिल्ली के तुगलकाबाद क्षेत्र की थीं. इन्हें बबीता ने दिल्ली से कुछ दिन पहले ही बुलवाया था. दिल्ली की रहने वाली मोहिनी के जिस्मफरोशी के धंधे में आने की कहानी रोमांस से शुरू हुई थी. मोहिनी खूबसूरत थी. उस का यौवन निखरा तो कोई भी उसे देख कर आकर्षित हो जाता था. एक दिन मोहिनी बाजार गई तो वहां कुछ लड़के उसे छेड़ने लगे. पहले तो वह कुछ नहीं बोली लेकिन जब परेशान हो गई तो उस ने शोहदों को झाड़ना शुरू कर दिया.

तभी एक युवक ने आगे आ कर उन लड़कों का विरोध किया तो वे लड़के मिल कर उसे पीटने लगे. इसी बीच वहां पुलिस आ गई और उन लड़कों को पकड़ कर ले गई. मोहिनी अपने कपड़े ठीक कर के उस अजनबी युवक के पास पहुंची, जो उस की इज्जत बचाने के लिए उन बदमाश लड़कों से भिड़ गया था. उस युवक के शरीर पर चोटें भी आई थीं. मोहिनी ने उस की चोटें देखीं तो उस की आंखों में आंसू भर आए. घर पहुंच कर मोहिनी को अपनी भूल का अहसास हुआ कि जिस युवक ने अपनी जान पर खेल कर उस की इज्जत बचाई थी, वह उस का नाम तक नहीं पूछ सकी. उस रात मोहिनी की आंखों से नींद कोसों दूर रही. वह पूरी रात उस अजनबी के बारे में न जाने क्याक्या सोचती रही.

कुछ दिनों बाद मोहिनी बाजार गई तो एक दुकान पर वही युवक दिखाई दे गया. मोहिनी तुरंत उस के पास पहुंच गई. नजरों से नजरें मिलीं तो दोनों मुसकरा दिए.

मोहिनी ने उस युवक के पास पहुंच कर पूछा, ‘‘कैसे हैं आप?’’

‘‘बिलकुल ठीक हूं, आप कैसी हैं?’’ उस ने कहा.

‘‘मैं भी ठीक हूं.’’ मोहिनी बोली.

उसे देख मोहिनी के दिल के तार झनझना उठे. वह उस युवक के चेहरे को निहारने लगी. फिर कुछ देर बाद खुद को संभाल कर बोली, ‘‘उस दिन भी मैं ने आप का नाम नहीं पूछा था और आज भी आप से बातें कर रही हूं, मगर नाम अभी भी नहीं पूछा.’’

‘‘मेरा नाम सूरज है. यहीं कुछ दूरी पर रहता हूं. अपना नाम भी बता दीजिए.’’

‘‘मुझे मोहिनी कहते हैं और मैं तुगलकाबाद में रहती हूं.’’

इस के बाद दोनों पास के एक रेस्टोरेंट में जा कर बैठ गए. चाय पीते हुए उस दिन मोहिनी और सूरज ने काफी बातें कीं. उस के बाद फिर मिलने का वादा कर के दोनों विदा हो गए. उस दिन के बाद मोहिनी और सूरज अकसर रोज ही मिलने लगे. मेलमुलाकातों में दोनों को ही पता नहीं चला कि वे कब एकदूसरे से प्यार की डोर में बंध गए. एक दिन मोहिनी ने अपने प्यार की बात घर में बता दी. इस से घर में तूफान आ गया. उसी दिन से उस पर तमाम तरह की पाबंदियां लग गईं. प्यार के नाम पर मोहिनी ने सख्त फैसला लिया और सूरज के लिए घर छोड़ दिया. सूरज भी यही चाहता था. वह दिल्ली में एक जगह किराए का कमरा ले कर मोहिनी के साथ रहने लगा. दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे. जबजब मोहिनी सूरज से शादी करने की बात कहती तो वह किसी तरह उसे समझाबुझा कर शांत करा देता.

जब मोहिनी से उस का जी भर गया तो एक दिन वह उसे अकेला छोड़ कर फरार हो गया. मोहिनी ने सूरज को ढूंढने की काफी कोशिश की, लेकिन वह उसे नहीं मिला. वह निराश हो गई. मोहिनी की समझ में आ गया कि सूरज वास्तव में उस के रूप का लोभी भंवरा था. साल भर साथ रह कर वह उस का पराग चूसता रहा. मन भर गया तो दूसरे फूल की तलाश में उड़ गया. सूरज के जाने के बाद मोहिनी की भूखों मरने की नौबत आ गई. उसे एक कंपनी में काम मिल गया था. जहां वह काम करती थी, वहां के कर्मचारी उसे भूखे भेडि़ए की तरह देखते और उसे पाने के लिए अकसर मौके की तलाश में रहते थे.

मोहिनी उन की गंदी नजरों को पहचान नहीं पाई और एक दिन धोखे से उन की हवस का शिकार हो गई. उन्होंने पहले मोहिनी के जिस्म से खिलवाड़ किया फिर 3 हजार रुपए उस की झोली में डाल दिए. मोहिनी बेबस थी. उस ने अपने होंठ सिल लिए. इसी का लाभ उठा कर वे लोग समयसमय पर मोहिनी के साथ मौजमस्ती करने लगे. जब मोहिनी उन लोगों से ज्यादा परेशान हो गई तो उस ने सोचा कि अगर किस्मत में यही सब लिखा है तो क्यों न वह स्वयं अपनी शर्तों पर अपने जिस्म का सौदा करे. इस के बाद मोहिनी नौकरी छोड़ कर जिस्म बेचने लगी. धीरेधीरे वह हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट में शामिल हो गई, जिस में उसे कौंट्रैक्ट बेसिस पर दूसरे शहरों में भी भेजा जाने लगा. जब बरेली आई तो पकड़ी गई.

दिल्ली की दूसरी युवती प्रिया छात्र थी. अच्छे रहनसहन, खानपान और अपनी लग्जरी सुविधाओं का पूरा करने के लिए वह जिस्मफरोशी का धंधा करती थी. इसे वह गलत भी नहीं मानती थी. अगर अपने तन की कमाई से अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकती है तो इस में गुरेज ही क्या है. यही सोच उसे इस धंधे में ले आई. पुलिस हिरासत में ली गई तीसरी युवती बरेली के जोगी नवादा मोहल्ले की रहने वाली ज्योति थी. वह मध्यम परिवार से थी. अचानक उस के पिता की मृत्यु हो गई तो वह एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करने लगी. लेकिन ज्योति की मामूली तनख्वाह से खर्च पूरे नहीं होते थे, इसलिए वह किसी दूसरी अच्छी नौकरी की तलाश में लग गई.

पुरानी नौकरी के दौरान उस की मुलाकात चांदनी नाम की एक महिला से हुई. चांदनी को ज्योति की समस्या का पता लगा तो वह सोचने लगी कि वह किसी तरह ज्योति को रंगीन मर्दों की आंखों की ज्योति बना दे तो वह उस के लिए टकसाल साबित हो सकती है. चांदनी देह के धंधे में काफी समय से थी और शिकार की तलाश में रहती थी. चूंकि ज्योति अभावों से त्रस्त थी, इसलिए उस ने चांदनी को धैर्य रखने को कहा. ज्योति ने अपनी मजबूरी का रोना रोते हुए चांदनी से जल्दी नौकरी दिलाने को कहा तो चांदनी बोली, ‘‘चिंता मत करो ज्योति, मेरी बात मानोगी तो मैं तुम्हें हजारों रुपए कमाने वाली लड़की बना दूंगी.’’

‘‘कैसे?’’ ज्योति ने पूछा तो चांदनी ने अपने हाथ से उस की ठोड़ी उठाई और उस की आंखों में आंखें डाल कर कहा, ‘‘जो काम लाखोंकरोड़ों में नहीं हो सकता, वह काम एक कमसिन, खूबसूरत और अनछुआ जिस्म बहुत आसानी से कर सकता है.’’

ज्योति को शांत देख चांदनी ने ऐसा बातों का जाल फेंका कि ज्योति के बचने के लिए एक छेद नहीं था. अपनी बात कह कर चांदनी चली गई. ज्योति घंटों सोचती रही. उस ने अपनी मजबूरी पर सोचा, भविष्य पर विचार किया. अंतत: उस ने फैसला कर ही लिया कि जिंदगी की हजारों सुनहरी रातों के लिए यह भी सही. बाद में ज्योति ने अपने फैसले से चांदनी को अवगत कराया तो वह बोली, ‘‘बेटी, मैं जानती थी कि तेरा यही फैसला होगा. इसीलिए मैं ने एक कंपनी के जनरल मैनेजर से बात कर ली है. रात करीब 9 बजे वह आएगा, तू सजसंवर कर तैयार रहना.’’

निश्चित समय पर एक अधेड़ व्यक्ति आया और ज्योति को कली से फूल बना गया. उस के जाने के बाद चांदनी ज्योति के पास पहुंची और उसे 5 हजार रुपए देते हुए बोली, ‘‘जीएम साहब खुश हो गए. जातेजाते ईनाम में ये रुपए दे गए हैं.’’

ज्योति ने वह रुपए रख लिए. अगले दिन चांदनी ज्योति से बोली, ‘‘बेटी, आज एक बड़ा आदमी आएगा उसे खुश करना है.’’

ज्योति को न चाहते हुए भी दूसरी रात काली करनी पड़ी. मैनेजर गया तो चांदनी ने उसे 3 हजार रुपए थमा दिए. इस के बाद तो यह रोज का काम हो गया. चांदनी आधा पैसा खुद रख लेती और आधा उसे दे देती थी. ज्योति मैली तो हो ही चुकी थी, उस ने इसी को अपनी नियति मान लिया और वह खुशीखुशी जिस्मफरोशी का धंधा करने लगी. इस समय वह बबीता के सैक्स रैकेट से जुड़ी थी. शाहजहांपुर के तारीन बहादुरगंज की रहने वाली 21 वर्षीय शिल्पी और बरेली के फरीदपुर की रहने वाली 45 वर्षीय रानी भी पैसों का अभाव दूर करने के लिए देहव्यापार की कुछ शातिर महिलाओं के चंगुल में फंस गई थीं.

पुलिस ने इन सभी से पूछताछ कर कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. पुलिस बबीता के धंधे के सहयोगी गोविंदा की तलाश कर रही थी. उस के बारे में जब विस्तृत जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि वह भी सनसिटी में ही रहता है और केबल का काम करता है. फरार होने के बाद उस ने अपने घर के दरवाजे ग्राहकों के लिए खोल दिए थे. 17 नवंबर की रात को एएसपी अभिषेक वर्मा ने इज्जतनगर थाना पुलिस और महिला थाना पुलिस के सहयोग से गोविंदा के घर पर दबिश दी तो गोविंदा घर पर ही मिल गया. उस के अलावा 2 अलगअलग कमरों में 2 ग्राहक 2 युवतियों के साथ आपत्तिजनक अवस्था में मिले. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

पकड़ी गई युवतियां श्याम और रश्मि बरेली के जोगी नवादा की रहने वाली थीं. आर्थिक अभावों के चलते वे भी इस धंधे में आ गई थीं और काफी समय से इस धंधे में थीं. पकड़े गए दोनों युवकों ने अपने नाम राशिद निवासी काजी टोला, खेड़ा कांठ, जिला मुरादाबाद और दूसरे ने संजीव सिंह गंगवार निवासी विष्णुधाम बीडीए कालोनी तुलाशेरपुर, थाना इज्जतनगर बरेली बताया. तलाशी में राशिद के पास से तमंचा मिला. पूछताछ में पता चला कि राशिद गैंगस्टर है. उस पर बरेली के सीबीगंज में लूट का मुकदमा दर्ज था. जबकि संजीव भी दुष्कर्म के केस में आरोपित है. आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद पुलिस ने सभी को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

—कथा में कई पात्रों के नाम बदले गए हैं.

 

Superstition : लाखों रुपए से करोड़ों रुपए बनाने वाला तांत्रिक का हुआ पर्दाफाश

Superstition : कुछ लोग लालच में आ कर न सिर्फ अपना आर्थिक नुकसान करते हैं, बल्कि अपनी जान भी गंवा बैठते हैं. काश! ठेकेदार सुभाषचंद तांत्रिक अरशद के झांसे में न आता तो…

3 दिसंबर, 2019 का दिन था. उस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे. उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर के थाना फतेहपुर के थानाप्रभारी अमित शर्मा को किसी ने फोन कर के सूचना दी कि सहारनपुर-देहरादून हाइवे पर गांव नानका के पास सड़क किनारे एक एक्सयूवी 500 कार के अंदर किसी आदमी की लाश पड़ी है. सुबहसुबह लाश मिलने की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंक गए. उसी समय वह एसएसआई अजय प्रताप गौड़, एसआई रघुनाथ सिंह, दीपचंद, बिजेंद्र, हैडकांस्टेबल संजय, सचिन और महिला सिपाहियों ऊषा व अल्पना के साथ घटनास्थल की तरफ चल दिए.

घटनास्थल वहां से 3-4 किलोमीटर दूर था, इसलिए वह 10 मिनट में ही वहां पहुंच गए. मौके पर काफी लोग जमा थे. वहां खड़ी एक्सयूवी500 कार नंबर यूके17सी 6808 की ड्राइविंग सीट पर एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी. कार के पायदान पर भी खून पड़ा था. मृतक की उम्र करीब 40 साल थी. उस का गला कटा हुआ था. मृतक शायद आसपास के क्षेत्र का रहने वाला नहीं था, इसलिए कोई भी उसे पहचान नहीं सका. चेहरेमोहरे से मृतक किसी संपन्न परिवार का लग रहा था. लोगों ने बताया कि उन्होंने यह कार आज सुबह तब देखी थी, जब वे अपने खेतों की ओर जा रहे थे. लोगों ने यह भी बताया कि यह कार सुबह लगभग 4-5 बजे से यहां खड़ी है. उस वक्त अंधेरा था.

कार की ड्राइविंग सीट की ओर की खिड़की खुली हुई थी व कार का इंजन स्टार्ट था. पहले तो उधर से गुजरने वाले लोग कार को नजरअंदाज करते रहे, मगर जब 7 बजे सूरज की रोशनी बढ़ी तब ग्रामीणों ने कार के अंदर पड़े लहूलुहान शव को देखा था. थानाप्रभारी ने इस मामले की सूचना सीओ रजनीश कुमार उपाध्याय, एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्रा तथा एसएसपी दिनेश कुमार पी. को दी. थानाप्रभारी अमित शर्मा ने जरूरी काररवाई करने के बाद कुछ ग्रामीणों की सहायता से शव को कार से बाहर निकाला और उस का निरीक्षण किया. कुछ ही देर में एसएसपी दिनेश कुमार पी., एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्र और सीओ रजनीश कुमार भी वहां फोरैंसिक टीम के साथ आ गए.

तीनों अधिकारियों ने भी लाश का मुआयना कर इस हत्याकांड के बारे में वहां खड़े लोगों से बात की. इस के बाद एसएसपी ने थानाप्रभारी शर्मा को आरटीओ से कार मालिक का पता लगाने व केस को खोलने के निर्देश दिए. पुलिस ने जब मृतक की तलाशी ली तो जेब से कुछ कागजात, मोबाइल फोन तथा पर्स में रखी नकदी मिली. पर्स में मिली नकदी और मोबाइल फोन से इस बात की तो पुष्टि हो ही गई कि उस की हत्या लूट के इरादे से नहीं की गई थी. पुलिस ने प्रारंभिक जांच का काम निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए सहारनपुर के जिला अस्पताल भेज दी. इस के बाद पुलिस ने कार मालिक की जानकारी करने के लिए परिवहन विभाग से संपर्क किया. परिवहन विभाग से पता चला कि उक्त नंबर की कार सुभाषचंद पुत्र ओमपाल, निवासी गांव महेश्वरी, थाना भगवानपुर, जिला हरिद्वार के नाम पर रजिस्टर्ड है.

कार मालिक के नाम की जानकारी मिलने के बाद थानाप्रभारी ने थाना भगवानपुर के एसओ से संपर्क कर इस मामले की जानकारी दी. भगवानपुर थाने की पुलिस ने जब गांव महेश्वरी में सुभाषचंद के घर पहुंच कर जब एक्सयूवी500 कार में शव मिलने की जानकारी दी तो सुभाष के भाई विश्वास ने बताया कि वह कल ही अपनी कार ले कर घर से निकले थे. इसलिए कार में शव मिलने की बात सुन कर विश्वास घबरा गया. वह अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ जिला अस्पताल सहारनपुर पहुंच गया. विश्वास और उस के रिश्तेदारों को जब मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो विश्वास वहीं बिलख पड़ा. उस ने स्वीकार किया कि यह लाश उस के भाई सुभाषचंद की ही है. इस के बाद तो सुभाषचंद के घर में भी कोहराम मच गया.

पूछताछ करने पर विश्वास ने पुलिस को बताया कि सुभाषचंद काफी समय से लोक निर्माण विभाग, रुड़की में ठेकेदारी कर रहे थे. पिछले दिन वह सुबह 9 बजे किसी काम से देहरादून जाने के लिए अपनी कार ले कर घर से निकले थे. शाम 4 बजे तक वह परिजनों से मोबाइल पर बात करते रहे. इस के बाद उन का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया. रात भर घर वाले बहुत परेशान रहे. सुभाषचंद के लापता होने पर घर वालों ने उन्हें आसपास रहने वाले रिश्तेदारों व उन के मित्रों के यहां तलाश किया. विश्वास से पूछताछ के बाद पुलिस ने सुभाषचंद के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और सुभाषचंद के बेटे दीपक चौधरी की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस हत्याकांड की विवेचना स्वयं थानाप्रभारी ने ही संभाली.

थानाप्रभारी अमित शर्मा ने परिजनों से पूछा कि सुभाषचंद की किसी से कोई रंजिश तो नहीं थी. इस सवाल के जवाब में परिजनों का कहना था कि वह काफी मिलनसार थे तथा वह सहकारिता की राजनीति में सक्रिय थे. वह इकबालपुर गन्ना समिति में निदेशक भी रह चुके थे. पुलिस को सुभाषचंद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी, जिस में उन की मौत का कारण गला कटना व गला कटने से ज्यादा खून निकलना बताया गया. काल डिटेल्स मिलने पर पुलिस ने जब सुभाषचंद के मोबाइल पर आए नंबरों की जांच की तो पुलिस को एक मोबाइल नंबर पर संदेह हुआ. वह नंबर सहारनपुर के थाना सदर अंतर्गत मोहल्ला गणेश विहार निवासी अरशद का था.

जब पुलिस ने अरशद के विषय में जानकारी जुटाई तो पुलिस को संदेह हो गया कि सुभाषचंद की हत्या में इस का हाथ हो सकता है. पुलिस के एक मुखबिर ने जानकारी दी कि 2 दिसंबर, 2019 को सुभाषचंद्र की एक्सयूवी-500 कार अरशद के घर के बाहर देखी गई थी. इस के अलावा मुखबिर ने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि अरशद तंत्रमंत्र का काम करता है. यह जानकारी मिलने पर एसएसपी ने थानाप्रभारी अमित शर्मा को अरशद से पूछताछ के निर्देश दिए. अगले दिन 5 दिसंबर, 2019 को थानाप्रभारी ने अरशद के गणेश विहार स्थित मकान पर पहुंच कर दरवाजे पर दस्तक दी. तभी एक युवक ने दरवाजा खोला. वह युवक पुलिस देख कर सकपका गया और घबरा कर अंदर की ओर भागा.

उसे भागता देख कर पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया और उस से पूछा कि तू कौन है तथा अरशद कहां है. युवक ने घबराते हुए बताया कि मेरा नाम वकील उर्फ सोनू है तथा अरशद यहीं दूसरे कमरे में बैठा हुआ है. जब पुलिस टीम के साथ वकील नाम का वह युवक अरशद के कमरे में पहुंचा तो वहां बैठे अरशद को माजरा समझते देर न लगी. अरशद पुलिस को देख कर थरथर कांपने लगा था. उन्होंने अरशद को हिरासत में ले लिया. थानाप्रभारी शर्मा ने उसी समय अरशद से पूछा, ‘‘2 दिसंबर को सुभाषचंद की कार तुम्हारे घर के पास देखी गई थी, उसी रात तुम सुभाष के साथ गांव नानका के पास गए थे और वहां उसी की कार में तुम ने उस की हत्या कर दी.’’

थानाप्रभारी के इस सवाल का अरशद कोई उत्तर नहीं दे सका और चुप हो गया. थोड़ी देर चुप होने के बाद अरशद बोला, ‘‘सर, आप को जब इस बारे में पता चल ही गया है तो आप से कुछ छिपाने से कोई फायदा नहीं है. मैं आप को इस बारे में सब कुछ बताता हूं.’’

इस के बाद अरशद ने पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार थी—

सुभाषचंद लोक निर्माण विभाग, रुड़की में ठेकेदार थे. वह अपने परिवार के साथ हरिद्वार के महेश्वरी गांव में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा दीपक और एक बेटी थी. करीब 2 साल पहले सुभाष के ही एक दोस्त अतीत कटारिया, निवासी गांव झबीरन, हरिद्वार ने उन की मुलाकात सहारनपुर के ही मोहल्ला गणेश विहार निवासी अरशद से कराई थी. अरशद तंत्रमंत्र का काम करता था. अतीत कटारिया ने उन्हें बताया कि यह पहुंचे हुए तांत्रिक हैं. उस ने बताया कि यह तंत्रमंत्र द्वारा रकम को कई गुना बना सकते हैं. लालची स्वभाव के सुभाषचंद को इस बात पर विश्वास हो गया तो उन्होंने अरशद को साढ़े 3 लाख रुपए दिए थे और इस रकम को एक करोड़ रुपयों में बदलने को कहा था.

2 महीनों तक सुभाषचंद की रकम नहीं बढ़ी तो उन्होंने तांत्रिक अरशद से अपने पैसे मांगे. अरशद पैसे दैने में आनाकानी करने लगा तो ठेकेदार ने उस पर दबाव बनाया. इतना ही नहीं, उस ने उस तांत्रिक को पैसे देने के लिए धमका भी दिया. इस से तांत्रिक अरशद बहुत चिंतित रहने लगा. इसलिए तांत्रिक अरशद ने अपने दोस्तों टीलू और वकील उर्फ सोनू के साथ मिल कर सुभाष ठेकेदार को ठिकाने लगाने की योजना बना ली. योजना के अनुसार, अरशद ने पहली दिसंबर, 2019 को सुभाषचंद को एक करोड़ रुपए ले जाने के लिए 2 बड़े थैले ले कर अपने घर बुलाया. 2 दिसंबर को सुभाषचंद खुश होते हुए अरशद के यहां पहुंचा. उसे उम्मीद थी कि आज अरशद उसे एक करोड़ रुपए दे देगा.

योजना के मुताबिक अरशद ने अपने घर पहुंचे सुभाष को अपनी बीवी फिरदौस से चाय बनवाई. अरशद की बेटियों आजमा व नगमा ने उस चाय में नशे की गोलियां मिला दीं. वह चाय सुभाषचंद को पीने को दी. चाय पीने के थोड़ी देर बाद सुभाष को बेहोशी सी छाने लगी तो उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया. रात होने पर अरशद के दोस्त वकील तथा टीलू भी वहां पहुंच गए. फिर सभी ने सुभाष को उठा कर उन की कार में डाला. अरशद और वकील कार ले कर सहारनपुर-देहरादून हाइवे पर गांव नानका के पास पहुंचे थे. टीलू भी बाइक से उन के पीछेपीछे पहुंच गया. सड़क किनारे कार खड़ी कर के उन्होंने सुभाषचंद को ड्राइविंग सीट पर बैठा दिया.

फिर टीलू ने गाड़ी के अंदर जा कर सुभाषचंद के हाथ पकड़ लिए और वकील ने सिर पकड़ कर पीछे की तरफ कर दिया. तभी अरशद ने ड्राइवर साइड की खिड़की खोल कर सुभाष का गला रेत दिया और चाकू से 3-4 प्रहार गरदन पर किए. सुभाषचंद को ठिकाने लगाने के बाद वे बाइक से घर लौट आए. अरशद से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने वकील से भी पूछताछ की तो उस ने भी अरशद के बयान की पुष्टि कर दी. अरशद व वकील की निशानदेही पर पुलिस ने सुभाषचंद की हत्या में प्रयुक्त चाकू, सुभाष के चाय में दी गई नशे की गोलियों का रैपर तथा अरशद के रक्तरंजित कपड़े अरशद के घर से ही बरामद कर लिए.

पुलिस ने इस केस में धारा 120बी व आर्म्स एक्ट की धारा 251/4 और बढ़ा दी. इस के बाद एसएसपी दिनेश कुमार पी. व एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्रा ने उसी दिन पुलिस लाइंस सभागार में प्रैसवार्ता आयोजित कर ठेकेदार सुभाषचंद की हत्या का खुलासा किया और दोनों आरोपियों को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया था. दूसरे दिन ही पुलिस ने इस हत्याकांड में आरोपी अरशद की पत्नी फिरदौस के अलावा उस की बेटियों अजमा व नगमा को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. छठा आरोपी टीलू, निवासी नवादा फरार हो चुका था. पुलिस उसे सरगरमी से तलाश रही थी.  कथा लिखे जाने तक थानाप्रभारी अमित शर्मा केस की विवेचना पूरी करने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट भेजने की तैयारी कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Chhattisgarh के अरबपति को किडनैप करके मांगी 50 करोड़ की फिरौती

Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh) के अरबपति प्रवीण सोमानी का अपहरण पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. अपहर्त्ताओं ने जिस तरह योजनाबद्ध ढंग से प्रवीण से 50 करोड़ रुपए की फिरौती वसूलने के लिए उन का अपहरण किया था, पुलिस ने भी उसी तरह योजनाबद्ध तरीके से अपहर्त्ताओं का पीछा किया. आखिर कैसे…

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के उपनगर सिलतरा में लोहे, स्टील, सीमेंट के अनेक कारखाने हैं. यहीं पर सोमानी प्रोसेसर लिमिटेड नाम की स्टील की बड़ी फैक्ट्री है, जिस के मालिक हैं प्रवीण सोमानी. 8 जनवरी, 2020 की शाम प्रवीण सोमानी अपनी लाल रंग की रेंज रोवर कार नंबर सीजी10ए एल9637 द्वारा फैक्ट्री से घर आ रहे थे. कार वह स्वयं चला रहे थे. रास्ते में परसुलीडीह के बीच अचानक एक गाड़ी ने ओवरटेक कर के उन की कार के सामने इस तरह से कार लगा दी कि वह रुकने को विवश हो गए. प्रवीण सोमानी अभी संभले ही थे कि 2-3 लोगों ने उन की गाड़ी को घेर लिया. प्रवीण ने शीशा नीचे किया और उन की तरफ उत्सुक भाव से देखा.

तभी एक शख्स बोला, ‘‘मिस्टर… हमें तुम्हारी तलाश थी. आई एम इनकम टैक्स सीनियर औफिसर.’’

प्रवीण भौचक उन की ओर देखते रह गए. जब तक वह संभलते, तब तक 3-4 लोग और आ गए. उन में से एक शख्स ने कहा, ‘‘मिस्टर राजन!’’

यह सुनते ही प्रवीण बोले, ‘‘मगर सर, मैं राजन नहीं हूं. मैं प्रवीण सोमानी हूं. सोमानी इंडस्ट्रीज का मालिक.’’

‘‘ओह…’’ एक शख्स ने आश्चर्य से उन की ओर देखते हुए कहा, ‘‘अपनी आईडेंटिटी कार्ड दिखाओ.’’

प्रवीण सोमानी ने तत्काल जेब से अपना आइडेंटिटी कार्ड निकाल कर उस व्यक्ति को दिखाते हुए कहा, ‘‘सर, मैं प्रवीण सोमानी ही हूं, यह रहा मेरा कार्ड.’’

प्रवीण सोमानी को घेर कर खड़े लोग एकदूसरे को ऐसे देख रहे थे, जैसे कुछ गलत हो गया हो.

तभी सहसा एक शख्स ने उन की कार का पिछला गेट खोल कर कार में बैठते हुए कहा, ‘‘हमें तुम्हारी भी तलाश है… तुम्हारा नाम भी हमारी लिस्ट में है.’’

और देखते ही देखते 3-4 लोग उन की गाड़ी में सवार हो गए. प्रवीण सोमानी कुछ संभलते समझते, इस से पहले वे सब उन पर हावी हो चुके थे. एक ने कहा, ‘‘तुम, गाड़ी धीरेधीरे आगे बढ़ाओ और डरो मत, हम कुछ पूछताछ कर के तुम्हें छोड़ देंगे.’’

जनवरी की सर्द रात में भी प्रवीण सोमानी के चेहरे पर पसीने की बूंदें उभर आईं. उन्होंने विवश हो कर अपनी लाल रंग की रेंज रोवर कार आगे बढ़ाई. उन के पीछेपीछे 2 गाडि़यां और चल रही थीं. 46 वर्षीय प्रवीण सोमानी के साथ गाड़ी में बैठे लोगों ने उन से पूछताछ शुरू कर दी. थोड़ी देर में जब वे धरसींवा से सिमगा, फिर बेमेतरा जिले की ओर बढ़े, तभी उन में से एक ने उन्हें रिवौल्वर के बल पर काबू कर बताया. ‘‘तुम हमारे कब्जे में हो, तुम्हारा अपहरण कर लिया गया है.’’

इस से प्रवीण सोमानी समझ गए कि ये लोग इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नहीं हैं, बल्कि वह इन के किसी गहरे षडयंत्र में फंस चुके हैं. उन लोगों ने सोमानी को पूरी तरह कब्जे में ले लिया था. उन का मोबाइल फोन भी छीन लिया गया था. प्रवीण पूरी शिद्दत के साथ दिमाग पर जोर डाल रहे थे कि उन के चंगुल से कैसे बच सकते हैं. मगर जब तक वे कोई फैसला ले पाते, उन में से एक युवक ने उन्हें बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया. उन पर बेहोशी सी छाने लगी. तभी एक युवक ने ड्राइविंग सीट पर कब्जा कर लिया. प्रवीण सोमानी को पीछे की सीट पर डाल दिया गया. अपहर्त्ता प्रवीण को ले कर कवर्धा (छत्तीसगढ़) से कटनी (मध्य प्रदेश) और आगे इलाहाबाद होते हुए दूसरे दिन फैजाबाद पहुंचे.

आधी रात को मचा हड़कंप इधर जब रात 9 बजे तक प्रवीण सोमानी घर नहीं पहुंचे तो परिजन चिंतित हो उठे. पत्नी रश्मि ने फैक्ट्री फोन लगाया तो पता चला, साहब शाम तकरीबन 6 बजे ही घर के लिए फैक्ट्री से रवाना हो गए थे. प्रवीण सोमानी आमतौर पर 7 बजे तक घर आ जाया करते थे. रश्मि ने जहां भी मोबाइल खड़काया उन्हें निराशा ही मिली. अंतत: उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए प्रवीण सोमानी के चचेरे भाई ललित सोमानी को यह जानकारी दे दी. इस के बाद उन की खोजबीन और तेज हो गई. जब उन के सभी मित्रों से पता कर लिया गया, तब ललित सोमानी ने धरसींवा थाने पहुंच कर टीआई बृजेश तिवारी को मामले की जानकारी दी.

प्रवीण सोमानी कोई मामूली इंसान नहीं थे बल्कि वह एक बड़े उद्योगपति थे, इसलिए उन के गायब होने की बात सुन कर टीआई भी चौंके. उन्होंने उसी समय उच्चाधिकारियों से बात करने के बाद अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर ली. यह मामला काफी गंभीर लग रहा था. यही कारण था कि जैसेजैसे रात गहराती गई, वैसेवैसे प्रवीण सोमानी के गायब होने की खबर जंगल की आग की तरह फैलती चली गई. घटना बहुत बड़ी थी, जिस का असर देर रात को ही देखने को मिला. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ के डीजीपी डी.एम. अवस्थी ने आईजी (रायपुर रेंज) आनंद छाबड़ा और डीआईजी व एसएसपी आरिफ शेख को ले कर अपने नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया, ताकि अपहृत कारोबारी को छुड़ाने और अपहर्ताओं को गिरफ्तार करने का काम जल्दी और जिम्मेदारी से किया जा सके.

एसएसपी आरिफ शेख ने त्वरित काररवाई करते हुए एडिशनल एसपी (क्राइम) पंकज चंद्रा, एडिशनल एसपी (ग्रामीण) तारकेश्वर पटेल, उरला के एसपी (सिटी) अभिषेक माहेश्वरी, एसपी (सिटी) आजाद चौक नसर सिद्दीकी को सम्मिलित कर के तेजतर्रार 60 पुलिसकर्मियों की विशेष टीम बनाई. छत्तीसगढ़ के नामचीन उद्योगपति प्रवीण सोमानी की खोज में लगी विशेष टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस के बाद इस विशेष टीम को 8 टीमों में विभाजित कर के हर एक टीम को अलगअलग काम सौंपे गए. पुलिस टीमें सीसीटीवी फुटेज संग्रहण, तकनीकी विश्लेषण, कारोबारी के संबंध में स्थानीय जानकारी एकत्रित करने के कामों में लग गईं.

सीसीटीवी फुटेज की जांच में लगी टीम को घटनास्थल पर 2 संदिग्ध वाहनों की फुटेज मिली. वाहनों का रूट निर्धारण कर के जांच बिलासपुर की ओर से शुरू की गई. टीम ने उस रोड पर 1500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक लगे सीसीटीवी फुटेज एकत्र किए. उन फुटेज की जांच से पता चला कि संदिग्ध वाहन उत्तर प्रदेश के शहर प्रतापगढ़ तक गए थे. लिहाजा एक पुलिस टीम उत्तर प्रदेश रवाना की गई. तकनीकी विश्लेषण में लगी टीम को कुछ संदिग्ध फोन नंबर मिले, जिस के बाद एडिशनल एसपी (ग्रामीण) तारकेश्वर पटेल और उरला के एसपी (सिटी) अभिषेक माहेश्वरी के नेतृत्व में 2 टीमें बिहार भेजी गईं. साथ ही एक टीम एसपी (सिटी) आजाद चौक नसर सिद्दीकी के नेतृत्व में गुजरात और एक टीम ओडिशा के लिए रवाना कर दी गई.

सभी टीमें प्राप्त सूचना व जानकारी के आधार पर अलगअलग राज्यों में काम कर रही थीं. जिस की मौनिटरिंग एसएसपी (रायपुर) आरिफ शेख खुद कर रहे थे. वह सभी टीमों को आवश्यक दिशानिर्देश दे रहे थे. तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर टीम द्वारा दोंदेकला निवासी अनिल चौधरी, जोकि मूलत: बिहार का निवासी है, को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी गई. चंदन गिरोह का नाम आया सामने अनिल चौधरी से मिली जानकारी और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर बिहार भेजी गई पुलिस टीम को गौरव कुमार उर्फ पप्पू चौधरी के बारे में कुछ जानकारी मिली. वह हिंगोरा अपहरण कांड का आरोपी भी था और चंदन सोनार गिरोह से संबंधित था. पुलिस टीम ने उस के संबंध में जानकारी एकत्र करनी शुरू कर दी.

टीम को जानकारी मिली कि पप्पू चौधरी वैशाली जिले के बीहड़ क्षेत्र में गंगा नदी के किनारे स्थित गांव मथुरा गोकुला का निवासी है. उस पर बिहार पुलिस ने 50 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर रखा है. पता चला कि उस ने ही गिरोह के सदस्यों के साथ मिल कर प्रवीण सोमानी का अपहरण किया है. यह जानकारी मिलते ही एसएसपी आरिफ शेख खुद पटना पहुंच गए. उन्होंने बिहार पुलिस की एसटीएफ के साथ मिल कर दीयरा बीहड़ क्षेत्र में सर्च औपरेशन शुरू किया. संयुक्त टीमों ने दीयरा के 100 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में सर्च की, लेकिन गिरोह का सरगना पप्पू चौधरी वहां से फरार हो चुका था.

टीम को गिरोह के संबंध में एक महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली तो बिहार वाली टीम को तुरंत उत्तर प्रदेश भेजा गया. इस के अलावा एक अन्य टीम को ओडिशा के गंजम शहर के लिए रवाना किया गया. उत्तर प्रदेश गई पुलिस टीम से मिली जानकारी के आधार पर ओडिशा गई पुलिस टीम ने गंजम निवासी मुन्ना नायक को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू की. उस से मिली जानकारी के आधार पर उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के अलगअलग गांवों में छापेमारी कर के उस स्थान की पहचान सुनिश्चित की गई, जहां अपहृत सोमानी को रखा गया. देर रात उक्त स्थान पर दबिश दी गई. पता चला कि रेड करने से कुछ समय पहले ही आरोपी प्रवीण सोमानी को ले कर वहां से निकल गए थे.

इस पर टीम ने उन का पीछा करना शुरू कर दिया. अपहर्त्ताओं को जानकारी मिल चुकी थी कि पुलिस उन के पीछे पड़ी है. ऐसे में गिरोह के लोग प्रवीण सोमानी को सुनसान जगह पर छोड़ कर फरार हो गए. पुलिस टीम ने 22 जनवरी, 2020 को अपहृत प्रवीण सोमानी को सुरक्षित अपने कब्जे में ले लिया. 500 करोड़ रुपए की वसूली पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि छत्तीसगढ़ के उद्योगपति प्रवीण सोमानी का अपहरण करने वाला चंदन सोनार और उस के गिरोह का टौप कारकुन पप्पू चौधरी कोई साधारण अपराधी नहीं हैं. बिहार, झारखंड के साथसाथ पश्चिम बंगाल और अब छत्तीसगढ़ पुलिस की नाक में दम कर देने वाले चंदन और पप्पू दोनों मूलत: हाजीपुर के ही रहने वाले हैं. यह गैंग अब तक 40 से ज्यादा अपहरण की वारदातों में शामिल रहा है. इन लोगों ने अब तक केवल अपहरण से ही 500 करोड़ रुपए की बड़ी वसूली की है.

चंदन हाजीपुर सदर थाना क्षेत्र के सेंदुआरी का रहने वाला है, जबकि पप्पू चौधरी बिदुपुर का है. दोनों बदमाशों पर बिहार में पुलिस ने भारी ईनाम रख रखा है. यह गिरोह सूरत के हीरा व्यापारी के बेटे सोहैल हिंगोरा समेत कई लोगों का अपहरण कर उन से करोड़ों रुपए की फिरौती वसूल चुका है. इस गिरोह की खासियत यह है कि अपहरण की वारदात को अंजाम देने के लिए चंदन स्थानीय लड़कों का इस्तेमाल करता रहा था. गिरोह को जहां भी अपहरण करना होता था, वहां के स्थानीय लड़कों को गिरोह में शामिल कर लिया जाता था. ऐसा ही छत्तीसगढ़ में भी किया गया. साल 2017 में चंदन पटना पुलिस के हत्थे चढ़ा, लेकिन वर्ष 2018 में जमानत पर छूटने के बाद वह फरार हो गया था.

चंदन सोनार का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है. कभी रेलवे क्षेत्र में अपराध करने वालों के बीच उस की तूती बोलती थी. जीआरपी के द्वारा जब उसे गिरफ्तार कर हाजीपुर जेल भेजा गया तो वहां उस की दोस्ती कई शातिर अपराधियों से हुई. इस के बाद अंडरवर्ल्ड में उस की पहचान तेजी से फैली. उस के खिलाफ वैशाली जिले के कई थानों में अपराध दर्ज हैं. चंदन सोनार ज्यादातर किडनैपिंग प्लान को पप्पू चौधरी के ही माध्यम से क्रियान्वित करता था. झारखंड के भाजपा नेता मदन सिंह के बेटे और 2 रिश्तेदारों के अपहरण के लिए भी उस ने प्रवीण सोमानी वाला ही तरीका अपनाया था. झारखंड में चंदन सोनार का पहला शिकार गोमिया के व्यवसायी महावीर जैन बने थे.

करीब 12 साल पहले, 2008 में गिरोह ने महावीर जैन का अपहरण किया था. इस के बाद रांची के ज्वैलर्स परेश मुखर्जी और लव भाटिया के अपहरण में भी उस की संलिप्तता सामने आई. खास बात यह है कि गुजरात के हीरा कारोबारी के बेटे सुहैल हिंगोरा को भी चंदन गिरोह ने 25 करोड़ की फिरौती लेने के बाद ही छोड़ा था. इस अपहरण में भी केंद्रीय भूमिका पप्पू ने निभाई थी. दक्षिण गुजरात के उद्यमी हनीफ हिंगोरा के बेटे सुहैल को साल 2013 में केंद्र शासित प्रदेश दमन से अगवा किया गया था. एक महीने बाद फिरौती चुका कर सुहैल के परिवार ने उसे मुक्त करवाया था.

छत्तीसगढ़ के कई उद्योगपति थे निशाने पर  वैशाली जिले के कई थानों में चंदन सोनार के खिलाफ अपहरण के मामले दर्ज हैं. बिहार के वैशाली जिले के कुख्यात बदमाश पप्पू चौधरी ने पूरी तैयारी कर के रायपुर के उद्योगपति प्रवीण सोमानी ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के 5 बड़े कारोबारियों का अपहरण कर करोड़ों की फिरौती वसूलने की योजना सूरत जेल में बनाई थी. पप्पू ने तय कर लिया था कि जेल से बाहर निकलने के बाद अपहरण करना है. करीब 5 महीने पहले पप्पू जब जेल से बाहर आया तो उस ने गूगल पर सर्च कर छत्तीसगढ़ के 5 उद्योगपतियों की प्रोफाइल खंगाली. चूंकि रायपुर में उस का रिश्तेदार अनिल चौधरी पहले से ही था, इसलिए उस ने पहले स्टील कारोबारी प्रवीण सोमानी को ही उठाने का फैसला किया. यह खुलासा पूछताछ में मूलत: बिहार निवासी और मौजूदा रायपुर के दोंदेकला में सपरिवार रह रहे सरगना पप्पू के रिश्तेदार अनिल चौधरी ने किया.

अनिल के अनुसार पप्पू के कहने पर उस ने 3 महीने तक दैनिक मजदूर बन कर सोमानी समेत 5 बड़े कारोबारियों की रेकी की थी. घर से ले कर औफिस तक हर बात की जानकारी जुटाई. इस के बाद 8 जनवरी को पप्पू ने ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के बदमाशों के साथ ईडी अफसर बन कर प्रवीण का अपहरण किया. हालांकि पुलिस ने उन कारोबारियों के नामों को गुप्त रखा है, गिरोह जिनजिन का अपहरण करने वाला था. कैसे मिली सफलता 8 जनवरी, बुधवार की रात तकरीबन 2 बजे प्रवीण के गायब होने की सूचना मिलते ही पुलिस ने उन की तलाश शुरू कर दी. 9 जनवरी की शाम तक पुलिस को प्रवीण सोमानी की फैक्ट्री के बाहर लगे कैमरे से 2 सफेद कारों के धुंधले फुटेज मिले थे. फुटेज में एक कार लंबी और दूसरी क्रेटा टाइप थी जो ठीक प्रवीण की गाड़ी के पीछे नजर आ रही थीं.

उन्हीं कारों की फुटेज परसूलीडीह, राम कुटीर में जहां प्रवीण की कार मिली थी, वहां के कैमरे से मिली. बस इसी क्लू से पुलिस आगे बढ़ी. एक फुटेज में एक कार का नंबर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की सीरीज सीजी-10 था. उसी संदिग्ध कार की तलाश में बिलासपुर और कवर्धा टीम भेजी गई.  जिला बेमेतरा के पास एक कैमरे में वही कार नजर आई. इस से पुलिस को यह पता चल गया कि वह सही दिशा में आगे बढ़ रही है. आगे बढ़ने पर कवर्धा के टोल प्लाजा में फिर वही कार दिखी. टीम फिर आगे बढ़ी. रास्ते भर रोड और टोल प्लाजा के कैमरे खंगालने पर इलाहाबाद में उसी कार का नंबर नजर आया. इलाहाबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर सोमानी की कार की फुटेज मिली. उस के बाद 3 रास्ते थे. तीनों रास्तों में कई किलोमीटर तक फुटेज खंगाले गए, लेकिन कार नजर नहीं आई. इस से पुलिस की जांच एक तरह से वहीं ठहर गई.

उस के बाद पुलिस टीम ने करीब 5 लाख मोबाइल नंबरों को खंगाला. बस, ट्रेन और एयरपोर्ट के एकएक यात्री का टिकट चैक करवाया. 2 महीने पहले तक का रिकौर्ड खंगाला गया. दोनों कारों पर जो नंबर थे, जांच में गलत पाए गए. एक गाड़ी का नंबर बिलासपुर का था, जबकि दूसरा रायपुर का था, लेकिन वह किसी ट्रेवल एजेंसी की कार थीं. इस बीच मोबाइल नंबरों को खंगालने से 2 संदिग्ध नंबर मिले. इस कवायद में प्रवीण सोमानी अपहरण का एक संदिग्ध अनिल चौधरी पुलिस के हाथ आ गया. पुलिस ने उस के परिवार वालों तक को पता नहीं लगने दिया कि पप्पू का रिश्तेदार उस के कब्जे में है. उसी से पूछताछ में गैंग के सदस्यों के नाम पता चल गए.

12 जनवरी, रविवार की रात ओडिशा में गैंग का सब से अहम सदस्य मन्नू पकड़ में आ गया. उसे ले कर पुलिस फैजाबाद पहुंची और 22 जनवरी बुधवार को सुबह 4 बजे पुलिस प्रवीण को अपहर्ताओं से छुड़ाने में सफल हो गई. प्रवीण उस समय अर्धबेहोशी की हालत में थे. उन्हें पता भी नहीं था कि वह पुलिस के कब्जे में हैं. उन्हें काफी देर बाद होश आया. खुद को पुलिस के संरक्षण में देख कर प्रवीण की जान में जान आई. पुलिस जब प्रवीण को ले कर लखनऊ जा रही थी, तब पप्पू के गैंग के लोग प्रवीण के परिवार वालों को धमकी भरे फोन कर पैसे मांग रहे थे.

खौफ में गुजरे थे दिन प्रवीण सोमानी के अनुसार अपहर्त्ताओं द्वारा उन्हें बहुत टार्चर किया गया था. 13 दिनों तक लगभग दिन भर आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी. फिरौती की रकम के लिए उन के सामने ही बारबार उन के परिजनों से पैसों की मांग की जाती रही. उन के साथ बड़ी अमानवीयता का व्यवहार होता था. अचानक एक दिन अपहर्ता उन्हें छोड़ कर चले गए. उन के जाते ही वहां सन्नाटा छा गया. आंखों पर पट्टी बंधी होने से कुछ सूझ नहीं रहा था. काफी देर बाद उन्होंने आंखों की पट्टी हटाई. कमरे में हलकी रोशनी थी, आसपास कोई नहीं था. दिल तेजी से धड़कने लगा. काफी देर तक समझ नहीं आया कि क्या करें?

काफी देर तक वह वहां वैसे ही बैठे रहे, फिर कुछ तेज कदमों की आवाजों से दिल बैठने लगा. एकाएक कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया. यह देख प्रवीण की घबराहट बढ़ गई. फिर किसी ने उन के कंधे पर हाथ रख

का कहा, ‘‘डरो नहीं, हम छत्तीसगढ़ पुलिस से हैं.’’

यह सुनते ही ऐसा महसूस हुआ जैसे वह अपनों के बीच पहुंच गए हैं. उस के बाद उन्हें गाड़ी में बिठा कर सीधे दिल्ली लाया गया. प्रवीण ने बताया कि अपहर्त्ता भोजन देते समय ही आंखों से पट्टी खोलते थे. फिर पूरे दिन आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी. प्रवीण सोमानी ने पुलिस को बताया कि किडनैपर्स ने उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ा. बाथरूम भी अकेले नहीं जाने देते थे. उन्हें आवाज से ही आभास होता था कि कमरे में कितने लोग हैं. आवाज बदलने से अहसास होता कि आज नए लोग आए हैं. वे आपस में बात करते समय एक दूसरे को विराट, धोनी, कोहली आदि कह कर पुकारते थे.

अपहरण किसी और का होना था, पर…

पहले लगा कि ये उन के नाम होंगे, फिर अहसास हुआ कि पहचान छिपाने के लिए एकदूसरे को गलत नाम से पुकार रहे हैं. किडनैप करने के बाद वे उन से बदतमीजी से बात करते थे. लेकिन धीरेधीरे उन का बात करने का अंदाज बदलने लगा, भाषा भी बदलती जा रही थी. वे बारबार कहने लगे थे कि आप की छत्तीसगढ़ पुलिस तो पीछे ही पड़ गई. क्या वो तुम को छुड़ा कर ही दम लेगी? अंत में 2 दिन तो वे भीतर से डरे हुए लगने लगे थे. वे कहने लगे थे कि अगर हम ने तुम्हें छोड़ दिया तो पुलिस से कहना कि हमारे परिवार वालों को परेशान न करे. जिस दिन उन्हें छोड़ा गया, उस दिन जातेजाते कुछ पैसे दे कर कहा, ‘‘तुम्हें यहां से बस मिल जाएगी.’’

अपहर्त्ता पप्पू चौधरी गैंग का टारगेट प्रवीण नहीं, बल्कि प्रदेश के एक बड़े उद्योगपति का बेटा था. वे उसी का अपहरण करने के लिए आए थे. उन की एक फैक्ट्री भी उसी रोड पर है. उद्योगपति का बेटा जिस कार से चलता था, उसी ब्रांड और हूबहू उसी रंग की कार प्रवीण के पास थी. इसलिए अपहर्त्ता धोखा खा गए और प्रवीण को उठा कर ले गए. 9 जनवरी, 2020 को उत्तर प्रदेश पहुंचने के बाद अपहर्त्ताओं को पता चला कि उन से गलती हो गई है. इस के बावजूद उन्होंने प्रवीण के परिजनों से 50 करोड़ की फिरौती मांग ली. पुलिस ने प्रवीण के गायब होने के तीसरे दिन परसूलीडीह की झाडि़यों से उन का मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया. उस में एक सिम था. हालांकि अपहर्त्ताओं ने मोबाइल फेंकने के पहले उस का सिम निकाल लिया था. लेकिन एक सिम उस में इनबिल्ट था. अपहर्त्ताओं का ध्यान उस की ओर नहीं गया था.

उद्योगपति प्रवीण सोमानी के अपहरण के 5 दिन पहले 3 जनवरी को गैंग लीडर पप्पू चौधरी बिहार से पूरी तैयारी के साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी आ गया था. रायपुर पहुंच कर उस ने अपने रिश्तेदार और रेत सप्लायर अरुण चौधरी को बुलाया. दोनों उसी गाड़ी से शहर में कई जगह घूमते हुए पंडरी बस स्टैंड के सामने एक फाइनैंस कंपनी के दफ्तर पहुंचे. चेन गिरवी रखने के बहाने वहां की रेकी की, लेकिन वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में उन की फुटेज आ गई थी. यही वह फुटेज थी, जिस से अरुण को पुलिस ने चौथे दिन ही गिरफ्तार कर लिया. अरुण ने पप्पू और उस के गैंग के बाकी सदस्यों की पूरी कुंडली बताई और इस तरह मामले का भंडाफोड़ हो गया.

प्रवीण सोमानी 8 जनवरी को गायब हुए थे. पुलिस को आधी रात करीब 2 बजे इस की सूचना मिली. पुलिस ने उसी समय खोजबीन तो शुरू की लेकिन असल जांच 9 जनवरी, 2020 को दोपहर 12 बजे के बाद शुरू हुई. शाम होतेहोते पुलिस को प्रवीण के पीछे लगी 2 संदिग्ध गाडि़यों के फुटेज मिल गए. पुलिस ने धुंधले फुटेज से उस का नंबर निकाल लिया. पुलिस की एक टीम फुटेज के आधार पर गाड़ी के पीछे चलते हुए उत्तर प्रदेश पहुंच गई. दूसरी टीम ने शहर के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज खंगालने शुरू किए. इस दौरान पंडरी खालसा स्कूल के सीसीटीवी कैमरे में उसी क्रेटा कार का फुटेज मिल गया. पुलिस को गाड़ी के आने का फुटेज तो मिल गया था, लेकिन जाते हुए नजर नहीं आ रही थी.

पुलिस अफसरों की टीम ने पहले ये पता लगाया कि फुटेज कहां की है. जगह की पहचान होने के बाद पुलिस अफसर वहां पहुंचे. इस दौरान गाड़ी जहां से गायब हुई, वहां जूते का एक बड़ा शोरूम है. पुलिस की टीम ने उस शोरूम के सीसीटीवी फुटेज खंगाले. उसी कैमरे में 2 युवक नजर आए, जो उसी क्रेटा कार से उतरे थे. वहां पता चला कि जूतों के शोरूम के ऊपर एक फाइनैंस कंपनी का औफिस है. पुलिस ने वहां के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज देखे. उस में पप्पू चौधरी और अरुण चौधरी के साफसाफ फुटेज मिल गए. पुलिस की टीम ने फाइनैंस कंपनी को फुटेज दिखा कर पूछताछ की तो पता चला कि अरुण ने 50 हजार रुपए में अपनी और पप्पू की चेन गिरवी रखी है.

पुलिस को वहां पप्पू और अरुण का सीसीटीवी फुटेज मिल गया. उसी रात यानी अपहरण के चौथे दिन पुलिस अरुण चौधरी के घर पहुंच गई. वारदात के चौथे दिन रात में अरुण को उठा लिया गया. पूछताछ में उस ने अपहरणकांड की पूरी साजिश उजागर कर दी. अपहरण का किंगपिन पप्पू चौधरी पहले चंदन सोनार का गुर्गा था. चंदन के साथ मिल कर उस ने गुजरात के सोहैल हिंगोरा का अपहरण किया था. कहते हैं करोड़ों रुपए ले कर गिरोह ने हिंगोरा को हाजीपुर में रिहा किया था. बाद में पप्पू चौधरी गिरफ्तार हो गया और उसे गुजरात के सूरत जेल भेज दिया गया. इस के बाद वह चंदन सोनार की तरह अपहरण की योजना बनाने लगा.

नाम बदल बनवाया आधार कार्ड मूलरूप से वैशाली के बिदुपुर, मजलिसपुर पंचायत के गोपालुपुर घाट निवासी पप्पू चौधरी का एक और नाम गौरव कुमार भी है. उस ने अपने आधार कार्ड से ले कर अन्य सभी पहचान से जुड़े कागजात गौरव नाम से तैयार कराए थे. सोहैल हिंगोरा अपहरण कांड में पप्पू भी चंदन सोनार के साथ था. पप्पू पहले अपने पिता के साथ ताड़ी बेचता था. हिंगोरा अपहरण कांड के बाद पप्पू के हिस्से में भी फिरौती की रकम आई थी. इस के बाद उस ने बिदुपुर में आलीशान मकान बनवाया. पप्पू के जेल जाने के बाद उस के पिता ने ताड़ी बेचनी बंद कर दी और हाजीपुर महनार रोड पर खुद की सीमेंट, बालू और सरिया की दुकान खोल ली.

उद्योगपति प्रवीण सोमानी के अपहरण का सरगना भले ही पप्पू चौधरी रहा हो, लेकिन अपहर्त्ताओं की कई टीमें इस में शामिल थीं. गाडि़यों का बंदोबस्त करना, सोमानी को छिपाने की जगह ढूंढना और फिरौती के लिए फोन करने जैसे काम गिरोह के अलगअलग सदस्य करते थे. ये सभी अपहरण के बाद से ही एकदूसरे के संपर्क में नहीं थे. तभी सोमानी के छुड़ाए जाने के लिए भी फिरौती के लिए काल आते रहे. अपहरण कांड में ओडिशा के शिशिर व कालिया गुंजाम, नालंदा के सुमन कुमार, अनिल चौधरी व बाबू प्रदीप, अंबेडकर नगर के अजमल व आफताब, बेंगलुरु का अंकित और ओडिशा का मुन्ना नायक शामिल था. पुलिस इस में मुन्ना नायक, अनिल चौधरी, शिशिर, तूफान और बाबू को गिरफ्तार कर चुकी है.

पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ थाना धरसींवा में भादंवि की धारा 365, 120बी, 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया. इस अपहरण कांड के महत्त्वपूर्ण तथ्य भी सामने आ चुके हैं कि अपहर्त्ताओं ने एक तरह से पुलिस के डर से प्रवीण सोमानी को बिना फिरौती लिए रिहा कर दिया. दूसरी तरफ यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि ऐसे शातिर अपहर्त्ताओं के चंगुल से बिना फिरौती प्रवीण सोमानी को कैसे छोड़ सकते हैं?

कुल मिला कर संशय का विषय बना हुआ है कि आखिर सच क्या है. बहरहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रवीण सोमानी अपहरण कांड की जांच में जुटी और सफल रही पुलिस टीम को पुरस्कृत कर उस की हौसलाअफजाई की है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Jharkhand Crime : कर्ज से बचने के लिए महिला को मिट्टी के तेल से जलाया

Jharkhand Crime : उधार की रकम कभीकभी अपराध को भी जन्म देती है. अंजलि के साथ यही हुआ. मोटे ब्याज के चक्कर में उस ने फिरदौस, रमन और आरती को काफी रकम उधार दे दी थी. एक दिन यही रकम अंजलि की जान की ऐसी दुश्मन बनी कि…

झारखंड के रांची जिले के कस्बा अरगोड़ा की 33 वर्षीय अंजलि उर्फ विनीता तिर्की पति मुंसिफ खान के साथ किराए के मकान में रहती थी. दोनों ने कई साल पहले प्रेम विवाह किया था. हालांकि अंजलि पहले से शादीशुदा थी. पहला पति रमन सिमडेगा शहर के सलगापुर गांव में अपने दोनों बच्चों के साथ रहता था. रमन मानसिक रूप से अस्वस्थ था. स्वच्छंदता और आधुनिकता का अंजलि पर ऐसा रंग चढ़ा कि पति और बच्चों को छोड़ कर वह अरगोड़ा के मोहल्ला महावीर नगर में प्रेमी से पति बने मुंसिफ खान के साथ आ कर बस गई थी. ऐसे में जब बच्चों की ममता अंजलि को तड़पाती थी तब वह बच्चों से मिलने चली जाया करती थी.

एकदो दिन उन के पास बिता कर फिर महावीर नगर मुंसिफ खान के पास चली आती थी. वर्षों से अंजलि और मुंसिफ खान दोनों साथ मिल कर सूद पर रुपए बांटने का धंधा करते थे. सूद के कारोबार में उन के लाखों रुपए बाजार में फंस चुके थे. इस के बावजूद भी उन्हें इस धंधे में बड़ा मुनाफा हो रहा था. सूद के साथसाथ उन्होंने जुए का भी धंधा शुरू कर दिया था. जुए के धंधे ने उन के बिजनैस में चारचांद लगा दिए. दिन दूनी, रात चौगुनी आमदनी उन्हें हो रही थी. अंजलि एक बेहद खूबसूरत और चंचल किस्म की महिला थी. महिला हो कर भी उस ने एक ऐसे धंधे में अपने पांव पसार दिए थे जहां ग्राहक घड़ी दर घड़ी औरतों को भूखे भेडि़ए की नजरों से घूरते हैं.

ऐसे में अंजलि ‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’ जैसा व्यवहार रखती थी. पते की बात तो यह थी कि सूद और जुए का धंधा तो गंदा जरूर था पर अंजलि चरित्र के मामले में बेहद पाकसाफ और सतर्क रहती थी. बुरी नजरों से देखने वालों के साथ वह सख्ती से पेश आती थी. बहरहाल, अंजलि और मुंसिफ खान के धंधे में साथ देने वालों में कई नाम शुमार थे. जिन में फिरदौस रसीद और आरती के नाम मुख्य थे. फिरदौस रसीद और आरती दोनों ही लोअर बाजार इलाके के कलालटोली चर्च रोड मोहल्ले में अगलबगल रहते थे. धंधे की वजह से फिरदौस और आरती का अंजलि के यहां आनाजाना लगा रहता था. जिस की वजह से दोनों पर अंजलि अंधा विश्वास करती थी. कभीकभी वह अपना धंधा फिरदौस और आरती के भरोसे छोड़ जाती थी. ईमानदारी के साथ वे दोनों धंधा करते और सही हिसाब उन्हें सौंप देते थे.

बात 25 दिसंबर, 2019 की है. अंजलि शाम करीब साढ़े 6 बजे घर से किसी काम से अपनी आल्टो 800 कार ले कर निकली. कई घंटे बीत जाने के बाद भी न तो उस का फोन आया और न ही वह घर लौटी. जबकि घर से निकलते वक्त वह पति मुंसिफ खान से कह गई थी कि जल्द ही लौट कर आ जाएगी. उस के जाने के बाद मुंसिफ भी थोड़ी देर के लिए बाजार टहलने निकल गया था. करीब 2 घंटे बाद जब वह बाजार से घर लौटा तो अंजलि तब तक घर नहीं लौटी थी. ये देख कर वह परेशान हो गया. मुंसिफ खान ने अंजलि के मोबाइल फोन पर काल की तो उस का फोन बंद आ रहा था. यह देख कर वह और भी हैरान हो गया कि उस का फोन बंद क्यों आ रहा है? क्योंकि वह कभी भी फोन बंद नहीं रखती थी.

रात भर ढूंढता रहा मुंसिफ खान बारबार फोन स्विच्ड औफ आने से मुंसिफ खान बहुत परेशान हो गया था. पहली बार ऐसा हुआ था जब अंजलि का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. मुंसिफ ने अपने जानपहचान वालों को फोन कर के अंजलि के बारे में पता किया, लेकिन कहीं से भी उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. इस के बाद मुंसिफ को यह बात खटकने लगी कि कहीं उस के साथ कोई ऊंचनीच की बात तो नहीं हो गई. अंजलि की तलाश में मुंसिफ खान ने पूरी रात यहांवहां ढूंढ़ते हुए बिता दी, लेकिन उस का पता नहीं चला. अगली सुबह मुंसिफ थकामांदा घर पहुंचा तो दरवाजा देख कर आश्चर्य के मारे उस की आंखें फटी की फटी रह गईं. उस के कमरे का ताला टूटा हुआ था. कमरे के भीतर रखी अलमारी के दोनों पाट खुले हुए थे और अलमारी का सारा सामान फर्श पर बिखरा हुआ था.

अलमारी की हालत देख कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी को अलमारी में किसी खास चीज की तलाश थी और उस व्यक्ति को पता था कि वह खास चीज इसी अलमारी में है, इसीलिए उस ने अलमारी के अलावा घर में रखी किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाया था. मुंसिफ अंजलि को ले कर पहले से ही परेशान था, ऊपर से एक और मुसीबत ने दस्तक दे कर परेशानी और बढ़ा दी थी. मुंसिफ ने जब अलमारी चैक की तो उस में रखी ज्वैलरी और रुपए गायब थे. ये सोच कर वह परेशान था कि यह किस की हरकत हो सकती है?

मुंसिफ को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? किस के पास जाए? इसी उलझन में डूबे हुए कब दिन के 11 बज गए उसे पता ही नहीं चला. उसी समय उस ने अपना व्हाट्सएप यह सोच कर औन किया कि अंजलि के बारे में कहीं कोई सूचना तो नहीं आई है. एकएक कर के ग्रुप में आए मैसेज को सरसरी निगाहों से वह देखता चला गया. एक मैसेज पर जा कर उस की नजर ठहर गई. मैसेज में एक महिला की बुरी तरह जली लाश की फोटो पोस्ट की गई थी. लाश झुलसी हुई थी इसलिए पहचान में नहीं आ रही थी. वह लाश खूंटी थाना क्षेत्र में कालामाटी के तिरिल टोली गांव के एक खेत से मिली थी. उस मैसेज में लाश का जो हुलिया दिया गया था, वह उस की पत्नी अंजलि की कदकाठी से काफी मेल खाता हुआ नजर आ रहा था.

मैसेज पढ़ कर मुंसिफ खान दंग रह गया था. उस का दिल जोरजोर से धड़कने लगा था. अंजलि को ले कर उस के मन में बुरेबुरे खयाल आने लगे थे. मैसेज पढ़ कर मुंसिफ जल्द ही बाइक से खूंटी की तरफ रवाना हो गया. रांची से खूंटी करीब 50-60 किलोमीटर दूर था. तेज गति से बाइक चला का मुंसिफ खान करीब एक घंटे में वह खूंटी थाना पहुंच गया था. उस ने थानाप्रभारी जयदीप टोप्पो से मुलाकात की. थानाप्रभारी ने अपने मोबाइल द्वारा उस लाश के खींचे गए फोटो मुंसिफ को दिखाए. फोटो देख कर मुंसिफ की सारी आशंका दूर हो गई क्योंकि लाश उस की पत्नी अंजलि उर्फ विनीता तिर्की की ही थी. हत्यारों ने बेरहमी से उसे जला दिया था. थानाप्रभारी को इस बात की आशंका थी कि कहीं अंजलि के साथ रेप कर के उस की हत्या तो नहीं कर दी.

थानाप्रभारी ने मुंसिफ से बात की तो उन्हें मुंसिफ की बातों और बौडी लैंग्वेज से उसी पर शक हो रहा था. उन्हें लग रहा था कि कहीं इसी ने तो अपनी पत्नी की हत्या कर के लाश यहां फेंक दी हो और पुलिस से बचने का नाटक कर रहा हो. इसी आशंका के मद्देनजर थानाप्रभारी टोप्पो ने मुंसिफ खान को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. उस से की गई लंबी पूछताछ के बाद पुलिस को उस से कुछ भी हासिल नहीं हुआ. पूछताछ में उस ने बताया कि अंजलि उस की पत्नी थी. दोनों 10 सालों से दीया और बाती की तरह घुलमिल कर रहते थे. दोनों ने प्रेम विवाह किया था. उन का जीवन खुशहाली में बीत रहा था, तो वो भला पत्नी की हत्या क्यों करेगा.

उस की यह बात सुन कर थानाप्रभारी भी सोच में पड़ गए कि वह जो कह रहा है, सच हो सकता है. इसलिए उन्होंने कुछ हिदायत दे कर उसे छोड़ दिया. अगले दिन यानी 27 दिसंबर, 2019 को अंजलि उर्फ विनीता तिर्की की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस के पास आ चुकी थी. रिपोर्ट पढ़ कर इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि मृतका के साथ दुष्कर्म नहीं किया गया था. रिपोर्ट में यह जरूरी उल्लेख किया गया था कि मृतका की हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के बाद बदमाशों ने लाश पर मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा थी. एसपी ने संभाली कमान अंजलि उर्फ विनीता तिर्की हत्याकांड की मानिटरिंग एसपी आशुतोष शेखर कर रहे थे. उन्होंने घटना के खुलासे के लिए एसडीपीओ आशीष कुमार के नेतृत्व में एक स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम (एसआईटी टीम) का गठन किया. उस टीम में इंसपेक्टर राधेश्याम तिवारी, दिग्विजय सिंह,

राजेश प्रसाद रजक, खूंटी थानाप्रभारी जयदीप टोप्पो, एसआई मीरा सिंह, नरसिंह मुंडा, पुष्पराज कुमार, रजनीकांत, रंजीत कुमार यादव, बिरजू प्रसाद, दीपक कुमार सिंह, पंकज कुमार और विवेक प्रशांत शामिल थे. चूंकि मृतका अंजलि दूसरे जिला यानी रांची की रहने वाली थी. इसलिए पुलिस ने सच की तह तक पहुंचने के लिए रांची से ही घटना की जांच शुरू की. इंसपेक्टर राधेश्याम तिवारी ने रांची पहुंच कर अंजलि के पति मुंसिफ खान से फिर से पूछताछ की और उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो पता चला कि अंजलि के मोबाइल फोन पर आखिरी बार काल 25 दिसंबर, 2019 को शाम साढ़े 6 बजे की गई थी. जिस नंबर से काल की गई थी, छानबीन में वह नंबर इसी जिले के लोअर बाजार थाने के कलालटोली चर्च मोहल्ले की रहने वाली आरती का निकला.

28 दिसंबर को लोअर बाजार थाना पुलिस की मदद से एसआईटी टीम और खूंटी पुलिस ने आरती को उस के घर से पूछताछ के लिए उठा लिया. पुलिस उसे लोअर बाजार थाने ले आई. पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो आरती उस के सामने पूरी तरह से टूट गई और अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने पुलिस के सामने सच्चाई उगल दी. उस पता चला कि उस ने अपने साथियों फिरदौस रसीद और रमन कुमार के साथ मिल कर अंजलि की हत्या की थी. लाश की शिनाख्त आसानी से न होने पाए, इसलिए तीनों ने मिल कर उसे जला दिया था.

हत्थे चढ़े आरोपी फिर क्या था? आरती के बयान के बाद पुलिस ने फिरदौस रसीद को कलालटोली चर्च मोहल्ले में स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर लिया और दोनों को रांची से खूंटी ले आई. दोनों का तीसरा साथी रमन फरार था. पूछताछ में आरती और फिरदौस ने अंजलि की हत्या की वजह बता दी. उस के बाद दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने अंजलि की हत्या के बाद लूटी गई उस की अल्टो कार, उस के घर से लूटे गए जेवरात और मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया. गिरफ्तार दोनों आरोपियों के द्वारा बताई गई कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

बिंदास अंजलि उर्फ विनीता तिर्की सूद कारोबार से बेहद फलफूल गई थी. जिंदगी और बिजनैस दोनों का साथ देने वाला प्रेमी पति मुंसिफ खान साये के समान 24 घंटे उस से चिपका रहता था. वह पत्नी के एक हुक्म पर आसमान से तारे तोड़ लाने के लिए तैयार रहता था. सूद के कारोबार से उस ने बहुत पैसे कमाए. जब पैसे आने लगे तो उस ने अपने कारोबार का विस्तार किया और मोहल्ले के एक गुप्त स्थान पर बड़ा कमरा ले कर जुए का अड्डा बना लिया और वहीं जुआ खिलाती थी. जब अंजलि का कारोबार बढ़ा तो उसे बिजनैस संभालने के लिए आदमियों की जरूरत महसूस हुई. उस ने ऐसे आदमियों की तलाश शुरू की जो उसी की तरह ईमानदार और विश्वासपात्र हो.

बिजनैस में बेईमानी करने वाला न हो.अंजली के पड़ोस में फिरदौस रसीद, रमन और आरती रहते थे. तीनों से अंजलि की खूब पटती थी. वे उस से अकसर सूद पर पैसे लेते थे और समय पर ब्याज चुकता भी कर देते थे. तीनों की ईमानदारी और व्यवहार से अंजलि बेहद खुश थी. उस के कहने पर वे कभीकभी जुए का अड्डा संभालने में उस की मदद कर दिया करते थे. फिरदौस रसीद, रमन और आरती तीनों कलालटोली चर्च मोहल्ले में अगलबगल रहते थे. तीनों एकदूसरे के पड़ोसी थे. तीनों का अपना भरापूरा परिवार था. बस कुछ नहीं था तो वह थी अच्छी सी नौकरी. इस वजह से उन के पास पर्याप्त और खाली समय रहता था. खाली समय में वे करते तो क्या करते?

आरती को छोड़ कर दोनों बालबच्चेदार थे. परिवार का खर्च चलाने के लिए उन्हें पैसों की सख्त जरूरत थी. शार्टकट तरीके से वे कम समय में ज्यादा पैसे कमाना चाहते थे. पैसे कमाने के लिए जुआ खेलने अंजलि के अड्डे पर चले जाते थे. जुए की लत ने बनाया कंगाल फिरदौस रसीद को जुए की लत ने कंगाल बना दिया था. फिरदौस के साथसाथ आरती और रमन भी जुएबाज बन गए थे. फिरदौस तो जुए में बीवी के गहने तक हार गया था. गहने वापस पाने के लिए फिरदौस यारदोस्तों से कुछ कर्ज ले कर फिर से अपनी किस्मत आजमाने अंजलि के अड्डे पर चला गया. लेकिन उस की किस्मत ने उसे फिर से दगा दे दी. कर्ज ले कर जिन पैसों से अपनी किस्मत बदलने फरदौस आया था, वो तो हार ही गया, धीरेधीरे वह अंजलि का लाखों रुपए का कर्जदार भी हो गया. ये बात दिसंबर, 2019 के पहले हफ्ते की थी.

अंजलि अपने पैसों के लिए फिरदौस रसीद से हर घड़ी तगादा करती थी. फिरदौस के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उस का कर्ज चुकता कर सके. अंजलि के तगादे से वह बच कर भागाभागा यहांवहां फिरता था. धीरेधीरे एक पखवाड़ा बीत गया. न तो वह कर्ज का एक रुपया चुका सका और न ही वह अंजलि के सामने ही आया. उस के बारबार टोकने से फिरदौस खुद की नजरों में अपमानित महसूस करता था. उस की समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे. कैसे उस से छुटकारा पाए. इसी परेशानी के दौर में उस के दिमाग में एक खतरनाक योजना ने जन्म लिया. उस ने सोचा कि क्यों न अंजलि को ही रास्ते से हटा दें. न वह रहेगी और न ही उसे कर्ज चुकाना पड़ेगा. यानी न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी. यह विचार मन में आते ही वह खुशी से झूम उठा.

फिरदौस रसीद ने योजना तो बना ली थी लेकिन योजना को अंजाम देना उस के अकेले के बस की बात नहीं थी. उस ने अपनी योजना में आरती और रमन को भी शामिल कर लिया. आरती और रमन साथ देने के लिए तैयार हो गए थे. दरअसल, वे दोनों भी अंजलि से नफरत करते थे. वे भी उस से जुए में एक बड़ी रकम हार चुके थे. जिस से कर्जमंद हो गए थे. रकम वापसी के लिए अंजलि उन पर तगादे का चाबुक चलाए हुई थी. आरती और रमन के पास एक फूटी कौड़ी नहीं थी. तो वे इतनी बड़ी रकम कहां से चुकाते. अंजलि के बारबार तगादा करने से वे परेशान हो चुके थे, इसलिए उन्होंने फिरदौस का साथ देना मंजूर कर लिया.

तीनों दुश्मनों ने बनाई योजना अब एकदो नहीं बल्कि अंजलि के 3 दुश्मन सामने आ चुके थे. तीनों ही मिल कर अंजलि से बदला लेने के लिए तैयार थे. तीनों ने मिल कर योजना बना ली थी कि किस तरह अंजलि को रास्ते से हटाना है. 25 दिसंबर यानी क्रिसमस का त्यौहार था. उन के लिए यह मौका सब से अच्छा था क्योंकि क्रिसमस के त्यौहार की वजह से सभी लोग अपनेअपने घरों में दुबके रहेंगे. वैसे भी अंजलि को कोई पूछने वाला तो था नहीं, इसलिए सुनहरे मौके को तीनों किसी कीमत पर हाथ से गंवाना नहीं चाहते थे. यही मौका उन्हें ठीक लगा. इसी योजना के मुताबिक, फिरदौस ने अंजलि को फोन कर के शाम साढ़े 6 बजे एक पार्टी दी और रिंग रोड बुलाया. उस ने यह भी कहा कि तुम्हारे पैसे तैयार हैं, उन्हें भी लेती जाना.

पैसों का नाम सुनते ही अंजलि की आंखों में चमक जाग उठी थी. उसे क्या पता था कि पैसे तो एक बहाना है, दरअसल उन्होंने उस के इर्दगिर्द मौत का जाल बिछा दिया था. उस जाल में वह फंस चुकी थी. वह दिन उस का आखिरी दिन था. बहरहाल, अंजलि ने फिरदौस से बता दिया कि वो रिंग रोड पर ही उस का इंतजार करे, कुछ ही देर में वह वहां पहुंच रही है. अंजलि की ओर से हां का जवाब मिलते ही फिरदौस, आरती और रमन की आंखों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. तकरीबन शाम 7 बजे अंजलि रिंग रोड पहुंच गई. जहां पर फिरदौस, आरती और रमन उसी के इंतजार में पलक बिछाए बैठे थे. फिरदौस के साथ आरती और रमन को देख कर अंजलि थोड़ी चौंकी थी.

अंजलि के रिंग रोड पहुंचते ही तीनों उस की कार में सवार हो गए. फिरदौस आगे की सीट पर बैठ गया था और आरती व रमन पीछे वाली सीट पर सवार थे. अंजलि ड्राइविंग सीट पर बैठी कार चला रही थी. उस ने कार जैसे ही आगे बढ़ाई, अचानक पीछे से अंजलि ने अपनी गरदन पर दबाव महसूस किया और वह चौंक गई.  उस के हाथ से स्टीयरिंग छूटतेछूटते बचा और कार हवा में लहराती हुई सड़क के दाईं ओर जा कर रुक गई. अभी वह कुछ समझ पाती तब तक फिरदौस और आरती भी उस पर भूखे भेडि़ए के समान टूट पड़े. रमन पहले ही फिरदौस के इशारे पर टूट पड़ा था.

चलती कार में घोटा गला तीनों दरिंदों के चंगुल से आजाद होने के लिए अंजलि फड़फड़ा रही थी लेकिन उन की मजबूत पकड़ से वह आजाद नहीं हो पाई और वह मौत की आगोश में सदा के लिए समा गई. अंजलि की मौत हो चुकी थी. उस की मौत के बाद तीनों बुरी तरह डर गए कि अब इस की लाश का क्या होगा? जल्द ही फिरदौस ने इस का रास्ता भी निकाल लिया. पहले तीनों ने मिल कर उस की लाश पीछे वाली सीट पर बीच में ऐसे बैठाई जैसे वह आराम से बैठीबैठी सो रही हो. उस के अगलबगल में रमन और आरती बैठ गए. फिरदौस ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. वहां से तीनों खूंटी पहुंचे. खूंटी के कालामाटी के तिरिल टोली गांव के बाहर सूनसान खेत में अंजली का शव ले कर गए. उस के ऊपर मिट्टी का तेल उड़ेल कर आग लगा दी और कार ले कर वापस रांची पहुंचे.

इधर मुंसिफ खान अंजलि की तलाश में यहांवहां भटक रहा था. उधर तीनों अंजलि के घर पहुंचे और उस के घर की अलमारी तोड़ कर उस में से उस के सारे गहने लूट लिए और वहां से रफूचक्कर हो गए. तीनों ने जिस चालाकी से अंजलि की हत्या कर के उस की पहचान मिटाने की कोशिश की थी उन की चाल सफल नहीं हुई. आखिरकार पुलिस उन तक पहुंच ही गई और उन्हें उन के असल ठिकाने तक पहुंचा दिया. तीनों आरोपियों से पुलिस ने अंजलि के घर से लूटे गहने और कार बरामद कर ली थी.  कथा लिखने तक पुलिस अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर चुकी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Social Crime : बीटेक छात्रा से रेप करने के बाद सबूत मिटाने के लिए कपड़े और फोन को जलाया

Social Crime : अपराधी प्रवृत्ति का राहुल हत्या और बलात्कार के मामले में पकड़ा गया और उसे जेल भेज दिया गया. लेकिन वह पैरोल पर आ कर भाग निकला. उस ने कई लड़कियों के साथ व्यभिचार किया और उन्हें मार डाला. ऐसे खतरनाक अपराधी…

झारखंड की राजधानी रांची स्थित सीबीआई कोर्ट के जज ए.के. मिश्र की अदालत में 22 दिसंबर, 2019 को कुछ ज्यादा ही भीड़ थी. वकीलों के अलावा कुछ अन्य लोग भी अदालत की काररवाई शुरू होने से पहले कोर्टरूम में पहुंच चुके थे. अदालत परिसर में तमाम मीडियाकर्मी भी थे. दरअसल, उस दिन रांची के बहुचर्चित बीटेक की छात्रा माही हत्याकांड का फैसला सुनाया जाना था. करीब 3 साल पहले हुई हत्या की यह वारदात काफी दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रही थी. जब थाना पुलिस इस केस को नहीं खोल सकी तो यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई इंसपेक्टर परवेज आलम की टीम ने लंबी जांच के बाद न सिर्फ इस केस का परदाफाश किया, बल्कि आरोपी राहुल कुमार उर्फ राहुल राज उर्फ आर्यन उर्फ रौकी राज उर्फ अमित उर्फ अंकित को भी गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की.

पता चला कि रेप की वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी फरार हो जाता था या नाम बदल कर कहीं दूसरी जगह रहने लगता था. इस तरह वह एकदो नहीं, बल्कि 10 लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बना चुका था. एक तरह से वह साइको किलर बन चुका था. इस वहशी दरिंदे के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत में केस चल रहा था. सीबीआई की ओर से इस मामले में 30 गवाह पेश किए गए थे. जज ए.के. मिश्र ने तमाम गवाह और सबूतों के आधार पर 30 अक्तूबर, 2019 को छात्रा माही हत्याकांड में आरोप तय करते हुए राहुल कुमार को दोषी ठहराया. उन्होंने सजा सुनाए जाने के लिए 22 दिसंबर, 2019 का दिन निश्चित किया.

सीबीआई की विशेष अदालत में 22 दिसंबर को जितने भी लोग बैठे थे, उन सभी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि जज साहब साइको किलर राहुल कुमार को क्या सजा सुनाएंगे. इस वहशी दरिंदे ने जिस तरह कई लड़कियों की जिंदगी तबाह की थी, उसे देखते हुए उन्हें उम्मीद थी कि उसे फांसी की सजा दी जानी चाहिए. राहुल कुमार कौन है और वह कामुक दरिंदा कैसे बना, यह जानने के लिए उस के अतीत को जानना होगा. 25 वर्षीय राहुल कुमार बिहार के नालंदा जिले के एकंगर सराय थाना क्षेत्र के गांव धुर का रहने वाला था. उस के पिता उमेश प्रसाद पेशे से आटो चालक थे. 3 भाईबहनों में राहुल सब से बड़ा था.

कहते हैं कि पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं. ऐसा ही कुछ राहुल के साथ भी हुआ. बचपन से ही राहुल जिद्दी और झगड़ालू किस्म का था. वह एक बार जो करने की ठान लेता था, उसे पूरा कर के ही मानता था. इस दौरान वह किसी की भी नहीं सुनता था. मांबाप की डांटफटकार का भी उस पर कोई असर नहीं होता था. राहुल जैसेजैसे बड़ा होता गया, उस की संगत आवारा किस्म के लड़कों से होती गई. घर से उस का मतलब केवल 2 वक्त की रोटी से होता था. जब उस के पिता उमेश प्रसाद आटो ले कर शहर की ओर निकलते, वह भी घर से निकल जाता था. फिर दिन भर आवारा दोस्तों के साथ घूमता रहता था.

बचपन से ही जिद्दी आवारा था राहुल मटरगश्ती करने के लिए वह मां से जबरन पैसे लिया करता था. अगर मां उसे पैसे नहीं देती तो वह लड़झगड़ कर पैसे छीन लेता था. दिन भर दोस्तों के बीच घूमनेफिरने के बाद वह शाम ढलने पर घर लौटता था. घर का वह एक काम तक नहीं करता था, रात को जब आटो चला कर उमेश प्रसाद घर लौटता तो उस की पत्नी राहुल की दिन भर की शिकायतों की पोटली खोल कर बैठ जाती. उमेश राहुल को डांटता और समझाता, पर पिता की बातों को वह अनसुना कर देता. ऐसे में उमेश माथे पर हाथ रख कर चिंता में डूब जाता.

उमेश प्रसाद ने राहुल को समझाने और सही राह पर लाने के बहुत उपाय किए, लेकिन राहुल सुधरने के बजाए दिनबदिन जरायम की दलदल में उतारता गया. शुरुआत उस ने अपने घर के पैसे चुराने से की थी. इस के बाद उस ने औरों के घरों में भी चोरी करनी शुरू की. भेद न खुलने पर उस की हिम्मत बढ़ती गई. चोरी के साथसाथ राहुल लड़कियों को अपनी हवस का शिकार भी बनाने लगा. बात सन 2012 की है. राहुल ने पटना के जीरो रोड पर स्थित एक घर में चोरी की. इतना ही नहीं, उस ने वहां एक युवती को अपनी हवस का शिकार भी बनाया. युवती से दुष्कर्म के मामले में 29 जून, 2012 को उसे बेउर जेल भेजा गया. जब वह जेल में था, तभी उस के चाचा की मौत हो गई. श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए वह 4 सितंबर, 2016 को पैरोल पर अपने गांव गया, उस समय वह पुलिस की सुरक्षा में था.

श्राद्धकर्म के बाद शातिर राहुल ने सिपाहियों को शराब पिलाई और अनुष्ठान का बहाना बना कर फरार हो गया. इस के बाद पुलिस उसे छू तक नहीं सकी. पुलिस अभिरक्षा से फरार होने के बाद उस ने जो कांड किया, उस ने समूचे झारखंड को हिला कर रख दिया. राहुल नालंदा से भाग कर रांची आ गया था और वहां वह नाम बदल कर राज के नाम से रहने लगा. राहुल हर बार जुर्म करने के बाद अपना नाम बदल लेता था, ताकि पुलिस उस तक आसानी से न पहुंच सके. खैर, वह राहुल से राज बन कर रांची की बूटी बस्ती में पीतांबरा पैलेस के सामने वाली गली में स्थित दुर्गा मंदिर के कमरे में रहने लगा. यहां उस ने मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों से आग्रह किया था. कमेटी के बंटी नामक युवक ने उस पर तरस खा कर वहां रखवाया था.

यहां रह कर राहुल उर्फ राज कमरा खोजने लगा. कमरे की तलाश में वह बीटेक की छात्रा माही के घर पहुंच गया. लेकिन वहां कमरा किराए पर नहीं मिला. राहुल का मुख्य पेशा चोरी था. उसे घूमतेघूमते पता चल गया कि माही के घर में सिर्फ लड़कियां रहती हैं. उस दिन के बाद से वह आतेजाते माही का पीछा करने लगा. माही इतनी खूबसूरत थी कि एक ही नजर में उस पर मर मिटा था. 23 वर्षीया माही मूलरूप से झारखंड के बरकाकाना जिले के थाना सिल्ली क्षेत्र की रहने वाली थी. उस के पिता संजीव कुमार बरकाकाना में सेंट्रल माइन प्लानिंग ऐंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआई) में नौकरी करते थे.

संजीव कुमार की 2 बेटियां रवीना और माही थीं. दोनों पढ़ने में अव्वल थीं. इसीलिए पिता संजीव भी उन्हें उन के मनमुताबिक पढ़ाना चाहते थे. वह अपनी बेटियों पर पानी की तरह पैसे बहा रहे थे. बच्चों के भविष्य के लिए संजीव कुमार ने सन 2005 में रांची की बूटी बस्ती में एक प्लौट खरीदा था. उस पर उन्होंने घर भी बनवा दिया था. घटना से करीब 2 साल पहले यानी 2017 में उन की दोनों बेटियां रवीना और माही वहीं रह कर पढ़ाई करती थीं. संजीव और परिवार के अन्य सदस्य बरकाकाना में रहते थे. बड़ी बेटी रवीना रांची शहर के एक प्रतिष्ठित कालेज से स्नातक कर रही थी, जबकि छोटी बेटी माही ओरमांझी के एक इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक के चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा थी. माही का 15 दिसंबर, 2016 को रिजल्ट आने वाला था. उस के पिता रिजल्ट देखने बरकाकाना से रांची आए थे. रिजल्ट देखने के लिए वह माही के कालेज गए और वहीं से बरकाकाना वापस लौट गए.

दरिंदे ने भांप लिया था कि अकेली है माही बहरहाल, रिजल्ट देखने के बाद माही जब कालेज से बूटी बस्ती स्थित अपने आवास जाने लगी तो पहले से घात लगाए बैठा राज पीछेपीछे उस के घर तक पहुंच गया. माही घर में बैग रख कर वापस बाहर आई. उस ने अपने घर के पास एक दुकान से मैगी खरीदी और वापस चली गई. इस से राज आश्वस्त हो गया था कि घर में माही अकेली है. घर में अगर कोई और होता तो माही के बजाए वही सामान खरीदने आता. इत्तफाक की बात यह थी कि कुछ दिनों पहले बड़ी बहन रवीना किसी जरूरी काम से अपने गांव बरकाकाना चली गई थी. माही के घर पर अकेला होने की जानकारी शातिर राज को पहले ही मिल चुकी थी, इसलिए वह निश्चिंत हो गया और उस ने फैसला कर लिया कि आज रात माही को अपनी हवस का शिकार बना कर रहेगा.

उसी रात करीब साढ़े 10 से 11 बजे के बीच राहुल कुमार उर्फ राज माही के घर पहुंचा. उस के मुख्य दरवाजे पर लोहे का मजबूत ग्रिल लगा था. ग्रिल पर भीतर की ओर से बड़ा ताला लगा था. उस के पास मास्टर चाबी रहती थी, जिस से वह कोई भी ताला आसानी से खोल सकता था. मास्टर चाबी से उस ने माही की ग्रिल का ताला खोल लिया. माही जिस कमरे में सो रही थी, उस में सिटकनी नहीं लगी थी. दबेपांव वह उस के कमरे में आसानी से पहुंच गया और गहरी नींद में सोई माही का गला दबाने लगा. तभी माही की आंखें खुल गईं. उसे देख कर वह डर गई.

इस से पहले कि वह शोर मचाती, राज ने उसे धमका दिया. डर की वजह से माही चुप हो गई. राहुल ने उस के साथ रेप किया. उस दौरान उस ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं. इस दरम्यान माही के नाजुक अंग से रक्तस्राव हुआ, जिस से वह बेहोश हो गई. उस के बाद दरिंदे राहुल उर्फ राज ने मोबाइल के चार्जर वाले तार से उस का गला घोंट दिया ताकि वह किसी को कुछ बता न सके. हैवानियत पर उतरे राज ने सबूत मिटाने के लिए माही को निर्वस्त्र कर दिया, फिर उस के कपड़ों को एक जगह रख कर उस पर मोबिल औयल डाल कर आग लगा दी. आग लगाने के बाद वह वहां से फरार हो गया. दरअसल, साक्ष्य मिटाने का यह तरीका उस ने अपने ही एक जुर्म से सीखा था.

अपराध की दुनिया में कदम रखते समय राहुल पहली बार पटना में एक घर में चोरी करने की नीयत से घुसा था. यह भी इत्तफाक था कि घर के एक कमरे में 11 वर्षीय नेहा अकेली सो रही थी. बाकी के लोग दूसरे कमरे में सो रहे थे. उस समय रात के करीब 3 बज रहे थे. अकेली नेहा को देख कर उस के जिस्म में वासना की आग धधक उठी. हैवान राहुल जिस्म की आग ठंडी करने के लिए मासूम नेहा की जिंदगी तारतार कर के भाग गया. लेकिन कानून के लंबे हाथों से कुकर्मी राहुल ज्यादा दिनों तक नहीं बच सका. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. तब राहुल को पता चला कि नेहा के अंडरगारमेंट में उस का सीमेन (वीर्य) मिला था, जिस से वह दोषी पाया गया था. इस घटना से ही सीख लेते हुए उस ने बीटेक की छात्रा माही से दुष्कर्म के बाद उस के अंडरगारमेंट के साथ अन्य कपड़े भी जला दिए थे ताकि वह पकड़ा न जा सके.

खैर, अगली सुबह यानी 16 दिसंबर, 2019 की सुबह रहस्यमय तरीके से जली हुई माही की लाश उस के कमरे में पाई गई थी. दरअसल, रात में उस के पिता संजीव कुमार फोन कर के उस का हालचाल लेना चाहते थे. चूंकि दिन में कालेज का रिजल्ट आ चुका था. वह कालेज तक उस के साथ गए भी थे, इसलिए वह फोन कर उसे घर आने के लिए कहना चाहते थे. लेकिन उस का फोन नहीं लग रहा था. फोन बारबार स्विच्ड औफ बता रहा था. बेटी का फोन स्विच्ड औफ होने से वह परेशान हो गए. रात भी काफी गहरा चुकी थी, इसलिए किसी और के पास फोन भी नहीं कर सके थे, जिस से माही का हालचाल मिल पाता. अगली सुबह जब सदर थाने के थानेदार बांकेलाल का फोन उन के पास पहुंचा तो बेटी की मौत की सूचना पा कर संजीव सकते में आ गए.

केस की जांच पर निगाह रखे था राहुल बेटी की मौत की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया था. परिवार के लोगों को साथ ले कर संजीव रांची पहुंचे. शराफत का चोला पहने दरिंदा राज भी अपने दोस्त बंटी के साथ घटनास्थल पर पहुंचा था. वहां पहुंच कर वह यह जानना चाहता था कि पुलिस क्या काररवाई कर रही है. तब उस के दोस्त बंटी ने उस के सामने ही अज्ञात दरिंदे को भद्दीभद्दी गालियां देनी शुरू कर दीं तो राज ने बंटी को समझाया कि किसी को भी इस तरह गालियां देना ठीक नहीं है. उस दिन के बाद से वह बंटी से पुलिस की गतिविधि पूछता था कि माही के हत्यारों तक पुलिस पहुंची या नहीं. उस के केस में क्या हो रहा है. यह बात बंटी को बड़ी अटपटी लगती थी कि राहुल उर्फ राज माही के केस में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहा है.

बहरहाल, पुलिस ने अपनी काररवाई कर माही की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. अगले दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट पढ़ कर थानाप्रभारी बांकेलाल दंग रह गए. रिपोर्ट में बताया गया था कि पहले पीडि़ता के साथ बलात्कार किया गया था, फिर किसी पतले तार से गला कस कर उस की हत्या की गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद पुलिस ने अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 376, 499, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी. घटना के करीब 6 महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस जहां की तहां खड़ी रही. न तो वह हत्या का कारण जान सकी और न ही हत्यारों का पता लगा पाई.

माही हत्याकांड को ले कर रांची समेत समूचे झारखंड में बवाल मचा हुआ था. पुलिस की कार्यप्रणाली पर लोग अंगुलियां उठा रहे थे. पीडि़ता के पिता संजीव ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. यह आवाज प्रदेश सरकार के कान तक पहुंची तो सरकार ने जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी. जब मामला सीबीआई के पास पहुंचा तो सीबीआई के तेजतर्रार इंसपेक्टर परवेज आलम के नेतृत्व में पुलिस टीम बनाई गई. टीम में एसआई नीरज कुमार यादव, कांस्टेबल प्रभात कुमार, आरिफ हुसैन, नैमन टोप्पो, अशोक कुमार, रितेश पाठक, महिला सिपाही जूही खातून आदि को शामिल किया गया.

इंसपेक्टर परवेज आलम झारखंड पुलिस में सन 1994 में एसआई पद पर भरती हुए थे. वह ड्यूटी मीट के ओवरआल चैंपियन भी रह चुके थे. झारखंड पुलिस में उन का डीएसपी पद पर प्रमोशन हो चुका था. फिर भी सीबीआई में इंसपेक्टर थे. इंसपेक्टर परवेज आलम ने माही का केस लेने के बाद झारखंड पुलिस द्वारा दिए गए दस्तावेजों व साक्ष्यों का पूरा अध्ययन किया. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों से पूरी रिपोर्ट पर चर्चा की. डाक्टरों ने सीबीआई को बताया कि मृतका के नाखूनों और वैजाइनल स्वैब राज्य विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं. इंसपेक्टर परवेज आलम ने एफएसएल की रिपोर्ट में पाया कि नाखून व वैजाइनल स्वैब में केवल एक ही पुरुष होने के सबूत मिले हैं.

इस से जांच टीम आश्वस्त हो गई थी कि केवल एक ही व्यक्ति ने इस घटना को अंजाम दिया है. घटना की तह तक जाने के लिए इंसपेक्टर परवेज आलम ने अपने अधिकारियों से बूटी बस्ती में रहने की इजाजत मांगी. सीबीआई मुख्यालय के आदेश पर परवेज आलम अपनी टीम के साथ बूटी बस्ती में किराए पर कमरा ले कर रहने लगे. वहीं रह कर वह गुप्त तरीके से हत्यारोपी के बारे में छानबीन करने में जुट गए. बूटी बस्ती की रहने वाली एक बूढ़ी महिला ने उन्हें बताया कि एक युवक यहां अकसर घूमता था, जो मंदिर परिसर के एक कमरे में रहता था. वह अब दिखाई नहीं दे रहा.

इंसपेक्टर आलम के लिए यह सुराग महत्त्वपूर्ण साबित हुआ. इसी सुराग के आधार पर उन्होंने 300 से अधिक लोगों के काल डंप डाटा के आधार पर छानबीन की. जांच में पता चला कि उन में से करीब 150 फोन नंबर घटनास्थल के आसपास के हैं, उन में कुछ नंबर मृतका के संबंधियों और दोस्तों के भी थे. सीबीआई ने शक के आधार पर 150 संदिग्धों में से 11 लोगों के खून के नमूने ले कर जांच के लिए केंद्रीय विधिविज्ञान प्रयोगशाला, दिल्ली भेजे. इस बीच सीबीआई राहुल के दोस्त बंटी तक पहुंच गई. बंटी से उस संदिग्ध युवक यानी राज के बारे में पूछताछ की गई जो मंदिर के पास अकसर घूमता था.

बंटी ने बताया कि उस का नाम राहुल उर्फ राज है. वह बिहार के नालंदा जिले के एकंगर सराय के गांव धुर का रहने वाला है. इंसपेक्टर परवेज आलम की मेहनत रंग लाई. उन्हें संदिग्ध युवक राहुल उर्फ राज का पता मिल चुका था. वह टीम के साथ नालंदा स्थित उस के घर जा पहुंचा. वहां से पता चला कि राहुल फरार है. परवेज आलम ने एकएक तथ्य जुटाया वहां उन्हें एक और चौंकाने वाली बात पता चली कि राहुल दुष्कर्म के आरोप में पटना की बेउर जेल में बंद था. चाचा की मौत पर वह जेल से पैरोल पर घर आया था और चकमा दे कर पुलिस हिरासत से भाग गया था. तब से वह फरार है. इस के बाद सीबीआई की टीम ने राहुल की मां निर्मला देवी व पिता उमेश प्रसाद को बुलाया.

संदिग्ध आरोपी राहुल उर्फ राज की सच्चाई पता लगाने के लिए उन्होंने उस के मातापिता के खून के नमूने लिए और जांच के लिए केंद्रीय विधिविज्ञान प्रयोगशाला दिल्ली भेज दिए. वहां माही के नाखून व वैजाइनल स्वैब से मिले पुरुष के डीएनए से संदिग्ध आरोपी राहुल उर्फ राज की मां निर्मला देवी का डीएनए मैच कर गया. जबकि पिता उमेश प्रसाद का मैच नहीं किया. डीएनए रिपोर्ट के आधार पर यह तय हो गया कि माही का कातिल राहुल उर्फ राज ही है. राहुल उर्फ राज की तलाश में सीबीआई ने कोलकाता, वाराणसी सहित कई जगहों पर छापेमारी की, लेकिन उस का कहीं कोई पता नहीं चला.

इसी बीच 15 जून, 2019 को राहुल उर्फ राज लखनऊ में मोबाइल चोरी के एक केस में पकड़ा गया. सीबीआई इंसपेक्टर परवेज आलम राहुल के पीछे पड़े ही थे. उन्हें उस की गिरफ्तारी की सूचना मिली, तो वह लखनऊ पहुंच गए. वहां से राहुल उर्फ राज को ट्रांजिट रिमांड पर 22 जून, 2019 को रांची लाया गया. उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. उस ने माही हत्याकांड की पूरी कहानी बयां कर दी. राहुल ने सीबीआई को बताया कि पटना में 11 साल की नेहा से दुष्कर्म करने के मामले में वह पकड़ा गया था. तभी उसे पता चला नेहा के अंडरगारमेंट में उस का सीमेन मिला था, जिस से वह पकड़ा गया था. सीख लेते हुए उस ने माही से दुष्कर्म के बाद उस के कपड़े जला दिए थे.

यही नहीं, उस ने फरारी के दौरान इसी जिले की अगस्त 2018 की एक घटना का भी राजफाश किया. जिस घर में वह चोरी की नीयत से घुसा तो वहां 9 वर्षीय सोनी को अकेली सोता देख कर वह उस पर टूट पड़ा. बेटी की चीख सुन कर मां के बेटी के कमरे में आ जाने से सोनी की अस्मत लुटने से तो बच गई लेकिन उस दिन की घटना के बाद से वह आज तक सदमे से उबर नहीं पाई है. सीबीआई की पूछताछ में क्रूर दरिंदे राहुल उर्फ राज ने कबूल किया कि उस ने हर घटना में अपना नाम बदल कर अपराध किया था. अब तक उस ने 10 मासूमों की जिंदगी तबाह की थी, जिस में कई तो असमय काल का ग्रास बन गई थीं और कई विक्षिप्त अवस्था में पहुंच गई थीं.

बहन ने पहचाना दरिंदे को राहुल उर्फ राज की शिनाख्त माही की बड़ी बहन रवीना से कराई गई तो उस ने आरोपी राहुल उर्फ राज को देख कर शिनाख्त कर ली. रवीना से इस मामले में अदालत में गवाही दर्ज कराई. रवीना ने अदालत को बताया कि घटना के कुछ दिन पहले राहुल किराए का कमरा लेने के लिए उस के घर आया था. हम ने उसे कमरा देने से मना कर दिया था. उस दिन के बाद कई बार अहसास हुआ कि राहुल उस की बहन का पीछा करता है. घटना से पहले उसे घर के आसपास घूमते हुए भी देखा था. जबकि घटना के बाद से उसे कभी नहीं देखा गया. इस केस के जांच अधिकारी इंसपेक्टर परवेज आलम ने सूक्ष्मता से एकएक सबूत जुटाया. फिर विशेष अदालत में चार्जशीट पेश की. जज ए.के. मिश्र ने सजा सुनाए जाने से पहले केस की फाइल पर नजर डाली.

तभी शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि योर औनर, मुजरिम राहुल कुमार ने जो अपराध किया है, वह रेयरेस्ट औफ रेयर है. ऐसे व्यक्ति का समाज में रहना ठीक नहीं है. यह समाज के लिए जहर के समान है. ऐसे पेशेवर अपराधी को फांसी की सजा देनी चाहिए. तभी बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि मुजरिम राहुल को अपने किए पर पछतावा है, इसलिए उसे सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने उसे कम से कम सजा सुनाए जाने की अपील की. दोनों वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जज ए.के. मिश्र ने कहा कि कटघरे में खड़ा यह अपराधी समाज के लिए एक कलंक है. इस ने योजनाबद्ध तरीके से घटना को अंजाम दिया था. इस के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है. इस का अपराध रेयरेस्ट औफ रेयर है. इसलिए इसे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाया जाए.

फैसला सुनाने के बाद पुलिस ने मुजरिम राहुल कुमार को हिरासत में ले कर जेल भेज दिया. वहीं फैसला आने के बाद कोर्ट में मौजूद मृतका के पिता संजीव कुमार घटना को याद कर रोने लगे. उन्होंने कहा कि फांसी की सजा भी अपराधी के लिए कम ही है, परंतु संतोष है कि अदालत ने न्याय किया है. इस प्रकार के फैसले से समाज को शुभ संदेश जाएगा.

—कथा में माही, नेहा और सोनी परिवर्तित नाम हैं.

 

 

Social Crime : लड़के ने लड़की बन कर फोन पर बातें की और लूटे लाखों

Social Crime : ह किसी के अंदर कोई कोई प्रतिभा छिपी होती है. जब यही प्रतिभा निखर कर सामने आती है तो उस की एक नई पहचान बन जाती है. मध्य प्रदेश के हरदा शहर के रहने वाले सिद्धार्थ पटेल के अंदर भी एक खास प्रतिभा थीवह तरहतरह की आवाजें निकालने में माहिर था. इतना ही नहीं, वह पुरुषों के अलावा हर आयु वर्ग की महिलाओं की आवाज इतनी स्पष्टता से निकाल लेता था कि सुनने वाले आश्चर्यचकित रह जाते थे. इस के अलावा वह अलगअलग शख्सियतों की भी मिमिक्री कर लेता था. सिद्धार्थ पटेल अगर चाहता तो अपनी इस प्रतिभा को स्टेज के जरिए एक नई पहचान दिला सकता था, लेकिन उस ने ऐसा करने के बजाए लोगों को ठगने का काम किया

सिद्धार्थ ने सब से पहले फेसबुक पर संजना के नाम से एक लड़की की फेक आईडी बनाई, जिस में उस ने दिल्ली की रहने वाली बताया. इस के बाद उस ने फेसबुक के माध्यम से रवि इनाणिया नाम के एक बिजनैसमैन से दोस्ती की. रवि जोधपुर के चौहाबो कस्बे का रहने वाला था. रवि को जब भी समय मिलता, वह संजना (सिद्धार्थ) से चैटिंग कर लेता. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ता गया. उन की फोन पर भी बात होने लगी. सिद्धार्थ फोन पर रवि से लड़की की आवाज में बात करता था. रवि को उस की आवाज और बातें बहुत अच्छी लगती थीं. उसे बात करते समय बिलकुल भी अहसास नहीं हुआ कि वह जिस संजना से बात कर रहा है, वह लड़की नहीं बल्कि लड़का है.

रवि शादीशुदा था, इस के बावजूद वह संजना से बहुत प्रभावित था. कह सकते हैं, वह संजना को चाहने लगा था और उस से शादी करने का फैसला ले चुका था. उस ने अपने मन की बात फोन पर संजना को बता दी थी. शादी के लिए संजना ने भी अपनी सहमति दे दी थी, लेकिन उस ने बताया कि उस की कुंडली में शनि और मंगल का दोष है, जब तक यह दोष दूर नहीं हो जाता तब तक शादी नहीं हो सकती. रवि उस से शादी के लिए इतना उतावला था कि कुछ भी करने को तैयार था. इस बारे में उस ने संजना के परिजनों से बात करने की इच्छा जताई तो सिद्धार्थ ने पिता, मां और भाई की आवाज में उस से फोन पर खुद ही बात की

उस ने बदली हुई आवाज में रवि को बताया कि जब तक शनि और मंगल का दोष दूर नहीं होगा, तब तक शादी नहीं हो सकेगी. दोष दूर करने के लिए उस ने 4 बार में नर्मदा नदी की 10,400 किलोमीटर की यात्रा भी करवाई. मजे की बात यह कि इस दौरान सिद्धार्थ जो संजना बन कर रवि से फोन पर बातें करता था, वह संजना का भाई बन कर रवि के साथ घूमता भी रहा. वह 3 साल तक रवि के पैसों से ही जगहजगह घूमा. उस से लाखों रुपए ऐंठे. रवि ने सिद्धार्थ से कहा कि वह अपनी बहन संजना से उस की कम से कम एक बार तो मुलाकात करा दे. तब सिद्धार्थ ने कहा कि उन के यहां शादी से पहले लड़की को अपने होने वाले पति से मिलने की अनुमति नहीं होती.

रवि फोन पर बात करते समय समझता था कि वह अपनी प्रेमिका संजना से ही फोन पर बात कर रहा है, जबकि हकीकत कुछ और ही थीसंजना के भाई बने सिद्धार्थ ने एक बार रवि से कहा कि संजना की तबीयत बहुत खराब है. इलाज कराने पर भी फायदा नहीं हो रहा है. एक पंडित ने होने वाले पति और भाई को कामाख्या मंदिर और ओंकारेश्वर की परिक्रमा करने की सलाह दी है. यदि ऐसा किया गया तो वह बच सकती है. रवि अपनी प्रेमिका संजना को हर हालत में ठीक देखना चाहता था, इसलिए वह पंडित द्वारा बताया गया उपाय करने को तैयार हो गया. सिद्धार्थ ने रवि के साथ कामाख्या मंदिर और ओंकारेश्वर की भी परिक्रमा की.

काश! रवि यह जान पाता कि सिद्धार्थ केवल खुद संजना था, बल्कि संजना की मां, पिता, मौसी सब वही था और अलगअलग आवाजों में वही रवि से बातें करता था. वही सोशल साइट पर उस से चैटिंग करता था. लेकिन रवि तो संजना की आवाज का मुरीद था. सिद्धार्थ अपनी आवाज का पूरा फायदा उठा रहा था. इस तरह सिद्धार्थ ने रवि के साथ 3 सालों में करीब 1 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्राएं कीं और समयसमय पर किसी किसी बहाने उस से पैसे भी ऐंठता रहा. लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी जब रवि को उस की प्रेमिका संजना से नहीं मिलाया गया तो रवि को शक हो गया कि आखिर सिद्धार्थ और उस के घर वाले उसे संजना से मिलने क्यों नहीं दे रहे.

रवि इनाणिया ने इस बात की शिकायत जोधपुर के चौहाबो थाना पुलिस से की. पुलिस ने रवि की शिकायत पर जांच शुरू की. पुलिस ने संजना का फेसबुक एकाउंट चैक किया. इस एकाउंट और फोन नंबर के सहारे पुलिस 16 दिसंबर, 2019 को मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले सिद्धार्थ पटेल के पास पहुंच गईसिद्धार्थ से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार किया कि वही संजना बन कर लड़की की आवाज निकाल कर रवि से बातें करता था. पुलिस को सिद्धार्थ के बारे में जानकारी मिली कि उस ने अंगरेजी मीडियम स्कूल में अपनी पढ़ाई की. 10वीं और 12वीं कक्षा में सिद्धार्थ अपने स्कूल का टौपर रहा था. स्कूल की पढ़ाई के बाद उस ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया था.

उस का सपना आईएएस बनना था, इसलिए सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए वह दिल्ली चला गया था. वह शुरू से प्रतिभावान रहा. वह बचपन से ही कई तरह की आवाजें निकाल कर दोस्तों का मनोरंजन करता था. पुलिस ने सिद्धार्थ को न्यायालय में पेश कर 7 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में सिद्धार्थ से विस्तार से पूछताछ की गई. सिद्धार्थ ने रवि के सामने संजना (लड़की) की आवाज निकाली तो रवि के अलावा पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गई. तब रवि ने कहा कि यह आवाज तो उस की प्रेमिका संजना की ही है लेकिन सिद्धार्थ संजना नहीं है. उस ने आशंका जताई कि हो सकता है कि इन लोगों ने संजना का मोबाइल छीन कर उसे जबरदस्ती कैद कर रखा हो. रवि को भले ही उस की संजना नहीं मिली पर पुलिस ने सिद्धार्थ पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

 

Murder Stories : मंहगा फोन खरीदने के लिए युवक ने ली महिला की जान

Murder Stories : युवा गांव के हों या शहर के, सभी के लिए कीमती और ज्यादा से ज्यादा फीचर्स वाले मोबाइल फोन जरूरत नहीं बल्कि शौक बनते जा रहे हैं. कई युवा तो ऐसे फोनों को प्रस्टेज इशू बनाने लगे हैं. गौरव भी ऐसे ही युवाओं में था उस की इस चाहत ने एक ऐसी युवती की जान ले ली जो…

18 अक्तूबर, 2019 को दिन के 12 बजे का वक्त रहा होगा. एक मोबाइल फोन शोरूम के मालिक मनीष चावला ने काशीपुर कोतवाली में जो सूचना दी, उसे सुन कर पुलिस के जैसे होश ही उड़ गए. मनीष चावला ने पुलिस को बताया कि उन के शोरूम पर काम करने वाली युवती पिंकी की किसी ने हत्या कर दी है. शहर में दिनदहाड़े एक युवती की हत्या वाली बात सुनते ही कोतवाल चंद्रमोहन सिंह हैरान रह गए. उन्होंने इस की सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी और खुद घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. मनीष चावला का मोबाइल शोरूम कोतवाली से कुछ ही दूर गिरीताल रोड पर था, वह थोड़ी देर में ही वहां पहुंच गए.

तब तक वहां काफी भीड़भाड़ जमा हो गई थी. शव शोरूम से सटे स्टोर में पड़ा था. वहां पहुंचते ही कोतवाल चंद्रमोहन सिंह ने पिंकी के शव का जायजा लिया. वहां पर खून ही खून फैला था. उस के शरीर पर धारदार हथियार के कई घाव थे. देखने से लग रहा था जैसे शोरूम में लूटपाट भी हुई हो. कोतवाल का ध्यान सब से पहले शोरूम के सीसीटीवी कैमरों की ओर गया. पूछताछ में मनीष चावला ने बताया कि कुछ दिन पहले ही उस के सीसीटीवी कैमरे खराब हो गए थे, जिन्हें वह अभी तक सही नहीं करा पाए. सूचना मिलने पर एसएसपी बरिंदरजीत सिंह, एएसपी डा. जगदीश चंद्र, सीओ मनोज कुमार ठाकुर, ट्रेनी सीओ अमित कुमार भी वहां पहुंच गए. जांचपड़ताल के दौरान पता चला कि हत्यारे ने पिंकी के पेट पर चाकू से 8 वार किए थे, जिन के निशान साफ दिख रहे थे.

फर्श व शोरूम के काउंटर पर खून के निशान देख कर लग रहा था कि मरने से पहले पिंकी ने हत्यारों का डट कर मुकाबला किया था. एसएसपी के निर्देश पर डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम भी घटना स्थल पर पहुंच गईं. लेकिन इस मामले में डौग स्क्वायड कोई मदद नहीं कर सका. फोरैंसिक टीम ने शोरूम के अंदर कई जगहों से फिंगर प्रिंट उठाए. प्राथमिक जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने शोरूम के मालिक मनीष चावला से पूछताछ की. चावला ने बताया कि करीब पौने 12 बजे पिंकी ने उन्हें फोन पर बताया था कि दुकान पर कोई ग्राहक आया है और पावर बैंक का रेट पूछ रहा है. पावर बैंक का रेट बताने के बाद उन्होंने पिंकी से कह दिया था कि वह कुछ देर में शोरूम पहुंचने वाले हैं.

उस के लगभग 20 मिनट बाद जब वह शोरूम पहुंचे तो वहां के हालात देख कर उन के होश उड़ गए. उन्होंने बताया कि बदमाश पिंकी की हत्या कर के शोरूम से लगभग डेढ़ लाख रुपए के मोबाइल भी लूट कर ले गए थे. पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि पिंकी को किस ने मारा एसएसपी ने पुलिस अफसरों को इस मामले का जल्दी से जल्दी खुलासा करने के निर्देश दिए. साथ ही साथ उन्होंने जांच के लिए तुरंत पुलिस टीम गठित करने को कहा. पुलिस ने उसी वक्त शोरूम के आसपास सीसीटीवी कैमरों की तलाश की, लेकिन वहां कहीं भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा था. घटना स्थल से सारे तथ्य जुटाने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. जैसेजैसे शहर में पिंकी हत्याकांड की खबर फैलती गई लोग घटना स्थल पर जमा होते गए. हत्या के बाद पर्वतीय समाज में जबरदस्त आक्रोश पैदा हो गया.

बेटी पिंकी की हत्या के सदमे में उस के पिता मनोज बिष्ट तो सुधबुध ही खो बैठे. पिंकी के परिजनों का दुकानदार मनीष चावला के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा था. उसी दिन देर शाम को काफी लोग एकत्र हो कर एएसपी डा. जगदीश चंद्र के पास पहुंचे और इस मामले का जल्दी खुलासा करने की मांग की. मृतका पिंकी के पिता ने इस घटना के लिए शोरूम मालिक मनीष चावला को जिम्मेदार ठहराते हुए उस के खिलाफ काररवाई करने की मांग की. एएसपी को सौंपी गई तहरीर में उन्होंने कहा कि शोरूम मालिक मनीष चावला ने अपने शोरूम में सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए थे. शोरूम में सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगाए गए थे.

पिंकी वहां काम करने पर स्वयं भी असुरक्षित महसूस कर रही थी. उस ने कई बार इस बात का जिक्र अपने घरवालों से किया था. पिंकी ने उन्हें बताया था कि उस के मालिक ने शोरूम में लगे सभी कैमरे हटवा दिए थे. जिस के कारण उसे वहां पर अकेले काम करते हुए डर लगता है. वह वहां से नौकरी छोड़ देना चाहती थी, लेकिन मनीष चावला उसे छोड़ने को तैयार नहीं था. उन्हें शक है कि मनीष चावला ने ही उन की बेटी की हत्या कराई है. पुलिस प्रशासन पर बढ़ते दवाब के कारण एएसपी ने उन की तहरीर के आधार पर केस दर्ज करने का आदेश दिया. उसी वक्त युवा पर्वतीय महासभा के पूर्व अध्यक्ष पुष्कर सिंह बिष्ट ने घोषणा की कि अगले दिन शनिवार साढ़े 5 बजे मृतका पिंकी की आत्मा की शांति तथा इस केस के शीघ्र खुलासे के लिए नगर निगम से सुभाष चौक तक कैंडल मार्च निकाला जाएगा.

अगले दिन सुबह ही पूर्व योजनानुसार कई सामाजिक संगठन सड़क पर उतर गए. सड़कों पर जन शैलाब उमड़ा तो पुलिस प्रशासन के पसीने छूटने लगे. क्योंकि इस से अगले दिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का काशीपुर आने का प्रोग्राम था. रावत के आगमन से एक दिन पहले ही नगर में हुए जाम और प्रदर्शन को ले कर पुलिस प्रशासन सकते में आ गया. इस जाम को हटवाने के लिए रुद्रपुर से एसएसपी बरिंदरजीत सिंह, एएसपी डा. जगदीश चंद्र, सीओ मनोज ठाकुर, ट्रेनी सीओ अमित कुमार, दीपशिखा अग्रवाल, कोतवाल चंद्रमोहन सिंह, कुंडा थाना प्रभारी राजेश यादव और आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह अधिकारी आदि जनसैलाब को समझाने में जुट गए.

पिंकी हत्याकांड के विरोध में सैकड़ों नागरिकों और डिगरी कालेज के छात्रों ने महाराणा प्रताप चौक तक कैंडल मार्च निकाला और शोक सभा आयोजित कर मृतका को श्रद्धांजलि दी. साथ ही हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग भी की. पर्वतीय महासभा के पदाधिकारियों ने पीडि़त परिवार को 40 लाख रुपए का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग की. उसी दौरान मृतका का पोस्टमार्टम होने के दौरान जनाक्रोश भड़क उठा. सैकड़ों लोग पोस्टमार्टम हाउस पर एकत्र हो गए और केस का खुलासा होने पीडि़त परिवार को मुआवजा मिलने तक शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार करने लगे.

लोगों ने पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. लोग नारेबाजी करते हुए चीमा चौराहे पर जा पहुंचे. वहां पहुंच कर भी भीड़ ने काफी उत्पात मचाया. पुलिस अधिकारियों के काफी समझाने के बाद भी लोग टस से मस न हुए. यह देख एसडीएम ने लोगों को आश्वासन दिया कि 48 घंटे में इस केस का खुलासा कर दिया जाएगा. एसडीएम के आश्वासन के बाद वहां लगा जाम खुल सका. लेकिन इस के बावजूद भी पुलिस प्रशासन ने सतर्कता में ढील नहीं दी. मृतका का अंतिम संस्कार होने तक पुलिस प्रशासन चौकन्ना बना रहा. जाम हटाने के बाद प्रदर्शनकारी पोस्टमार्टम हाउस के लिए रवाना हुए तो पुलिस भी उन के पीछेपीछे रही. पोस्टमार्टम के बाद मृतका के परिजन उस के शव को सीधे श्मशान ले गए, जहां पर उस का दाह संस्कार कर दिया गया. दाहसंस्कार के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली.

मृतका के पिता मनोज बिष्ट मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के गांव धुमाकोट के रहने वाले थे. परिवार में मियांबीवी और बच्चों को मिला कर कुल 5 सदस्य थे. बच्चों में 2 बेटियां और उन से छोटा एक बेटा प्रवीण कुमार था. घरपरिवार के लिए नौकरी करती थी पिंकी खेती में गुजरबजर न होने के कारण करीब 2 साल पहले पिंकी अपने भाई प्रवीण को साथ ले कर रोजगार की तलाश में काशीपुर आ गई थी. काशीपुर की सैनिक कालोनी में उस की बुआ आशा रावत रहती थी. जिस के सहारे दोनों भाईबहन यहां आए थे. बुआ ने उन्हें मानपुर रोड स्थित आर.के.पुरम निवासी चंदन सिंह बिष्ट के यहां पर किराए का कमरा दिला दिया था. वहीं रहते हुए पिंकी को गिरीताल रोड स्थित मनीष चावला के मोबाइल फोन शोरूम में नौकरी मिल गई थी. पिंकी उस मोबाइल शोरूम पर अकेली ही रहती थी.

इस घटना से एक दिन पहले ही उस के पिता मनोज बिष्ट काशीपुर से दवा लेने आए थे. उस दिन वह अपनी बहन आशा रावत के घर पर ही रुके हुए थे. लेकिन उन्हें दिन के 3 बजे तक अपनी बेटी की हत्या वाली बात पता नहीं चली थी. 18 अक्तूबर, 2019 को ही दोपहर लगभग साढ़े 3 बजे फरीदाबाद से पिंकी की दूसरी बुआ मीना ने अपने भाई की खबर लेने के लिए पिंकी के मोबाइल पर फोन किया तो वह काल कोतवाल चंद्रमोहन सिंह ने रिसीव की. उन्होंने पिंकी की बुआ को बताया कि पिंकी की किसी ने हत्या कर दी है. उस के बाद मीना ने काशीपुर में अपनी बहन आशा को फोन पर उस की हत्या वाली बात बताई. बेटी की हत्या की बात सुनते ही इलाज के लिए काशीपुर आए मनोज रावत अपनी सुधबुध खो बैठे.

शनिवार की देर शाम पूर्व सीएम हरीश रावत भी मृतका के परिजनों को सांत्वना देने उन के घर पहुंचे. उन्होंने पीडि़त परिवार को सांत्वना दी. रावत ने जल्दी ही अपराधियों को पकड़ने के साथसाथ परिवार को आर्थिक सहायता दिलाने और भाई को सरकारी नौकरी दिलाने का प्रयास करने का आश्वासन दिया. रावत ने उसी वक्त डीजी (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार से फोन पर बात कर घटना की जानकारी दी और पीडि़त परिवार की स्थिति से अवगत कराया. इन सब स्थितियों से निपटने के बाद पुलिस प्रशासन पूरी तरह से पिंकी के हत्यारों की तलाश में जुट गया. घटना स्थल से पुलिस ने मृतका का मोबाइल फोन कब्जे में लिया था. पुलिस अपनी हर काररवाई को इस हत्याकांड से जोड़ कर देख रही थी.

पिंकी की उम्र ऐसी थी जहां बच्चों के कदम बहकना कोई नई बात नहीं होती. पुलिस को शंका थी कि हत्या का कारण किसी युवक के साथ पिंकी के संबंध होना तो नहीं है. यह जानने के लिए पुलिस ने उस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाकर जांच की. लेकिन मोबाइल से कोई ऐसी जानकारी नहीं मिली जिस से उस की हत्या की गुत्थी सुलझ पाती. इस बहुचर्चित हत्याकांड के खुलासे के लिए आईजी अशोक कुमार के निर्देश पर एसएसपी बरिंदरजीत सिंह ने एएसपी डा. जगदीश चंद्र के निर्देशन में 6 पुलिस टीमें गठित कीं. इन टीमों में एक सीओ 2 ट्रेनी सीओ, 2 इंसपेक्टर, एक एसओ के अलावा 9 एसआई और 50 कांस्टेबलों के साथसाथ एसटीएफ और एसओजी की टीमों को भी लगाया गया था.

इस केस को खोलने के लिए पुलिस प्रशासन ने दिनरात एक करते हुए 5 दिनों तक नगर के अलगअलग इलाकों में लगे मोबाइल टावरों से डंप डाटा प्राप्त किए. पुलिस अधिकारी सादा कपड़ों में बाइकों से दिनभर संदिग्धों की टोह लेते नजर आए. एएसपी डा. जगदीश चंद्र, सीओ मनोज ठाकुर, कोतवाल चंद्रमोहन सिंह आदि सभी अधिकारी सादा कपड़ों में संदिग्धों की तलाश में बाजपुर रोड, मुरादाबाद, रामनगर रोड पर कई जगह वीडियो फुटेज चेक करने में जुटे रहे. इस दौरान लगभग 5 हजार संदिग्ध मोबाइल नंबरों की पड़ताल की गई. साथ ही शहर के अलगअलग वार्डों में लगे लगभग 300 सीसीटीवी कैमरों से फुटेज ली गईं. उन्हीं सीसीटीवी फुटेज के दौरान पुलिस टीम को एक संदिग्ध बाइक नजर आई. पुलिस ने उस बाइक की पहचान करने के लिए उस के मालिक के बारे में जानकारी जुटाना चाही तो उस में भी एक अड़चन सामने आ खड़ी हुई.

उस बाइक का नंबर अधूरा था. जिस का पता लगाने के लिए पुलिस को काफी माथापच्ची करनी पड़ी. इस के लिए पुलिस ने बाइक के नंबर की 3 सीरिज में पड़ताल की और तीनों बाइक मालिकों के बारे में जानकारी जुटाई. तफ्तीश रंग लाने लगी सीसीटीवी फुटेज से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस बाइक नंबर यूके18जे0431 ट्रेस करने के बाद बाइक मालिक के पास पहुंची. पुलिस ने इस बाइक के मालिक कचनालगाजी निवासी मनोज उर्फ मोंटी से पूछताछ की. अपने घर पुलिस को आई देख मनोज उर्फ मोंटी के हाथपांव फूल गए. पुलिस पूछताछ में मोंटी ने बताया कि उस की बाइक मुरादाबाद के थाना भगतपुर क्षेत्र के गांव मानपुरदत्ता निवासी गौरव ले गया था. उस ने आगे बताया कि गौरव उस का रिश्तेदार है.

18 अक्तूबर को गौरव एक युवक के साथ उस के यहां आया था. उसी दिन वह उस की बाइक मांग कर ले गया था. लेकिन जब वे दोनों एक घंटे बाद घर लौटे तो दोनों के कपड़ों पर खून लगा था. उन की हालत देख डर की वजह से उस का भाई विनोद उर्फ डंपी दोनों को उन के गांव मानपुरदत्ता छोड़ आया था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने मनोज और उस के भाई विनोद को अपनी हिरासत में ले लिया. उस के बाद पुलिस उन दोनों को ले कर गांव मानपुरदत्ता पहुंची. जहां से पुलिस ने गौरव और उस के दोस्त रोहित को हिरासत में ले लिया. मनोज और विनोद को पुलिस जिप्सी में बैठे देख गौरव और रोहित समझ गए कि अब पुलिस के सामने अपनी सफाई पेश करने से कोई लाभ नहीं. क्योंकि मनोज और विनोद पुलिस को सबकुछ उगल कर ही यहां आए होंगे. सभी को ले कर पुलिस टीम सीधे काशीपुर कोतवाली आ गई.

पुलिस ने चारों आरोपियों से एक साथ कड़ी पूछताछ की. पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल करने के बाद उन में से कोई भी नहीं मुकर सका. चारों आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने ही मोबाइल लूट के लिए पिंकी की जान ली थी. उन की निशानदेही पर पुलिस ने पिंकी की हत्या में इस्तेमाल किए गए चाकू, शोरूम से लूटे गए 10 महंगे मोबाइल फोन, खून से सने कपड़े बरामद कर लिए. पुलिस पूछताछ में पता चला कि इस हत्याकांड को अंजाम देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका गौरव की थी. थाना भगतपर, मुरादाबाद निवासी गौरव कुमार बीकौम द्वितीय वर्ष का छात्र था. वह पढ़ाई के प्रति गंभीर था. लेकिन पढ़ाई के साथसाथ उसे महंगे मोबाइल रखने का भी शौक था. जिस के लिए वह पढ़ाई के साथसाथ कोई भी काम करने में शर्म नहीं करता था.

इस वारदात को अंजाम देने से 6 माह पूर्व उस ने दिनरात पेंटिंग का काम किया. उसी कमाई से उस ने एक महंगा मोबाइल खरीदा. लेकिन एक महीने बाद ही उस का मोबाइल कहीं पर गिर गया. वह मोबाइल उस ने कड़ी मेहनत कर के खरीदा था. मोबाइल खो जाने का उसे जबरदस्त झटका लगा. उस के पास इतने पैसे इकट्ठा नहीं हो पा रहे थे कि वह उन पैसों से एक दूसरा नया एंड्रोयड मोबाइल फोन खरीद सके. गौरव काशीपुर से ही सरकारी नौकरी के लिए कोचिंग कर रहा था. उस का काशीपुर आनाजाना लगा रहता था. आतेजाते कई बार उस की नजर गिरीताल रोड पर स्थित मनीष चावला के मोबाइल फोन शोरूम पर पड़ी थी, जहां पर उस ने कई बार एक अकेली युवती को बैठे देखा था. उस युवती से उस ने मोबाइलों के रेट भी मालूम करने की कोशिश की थी. उसी दौरान उसे पता चला कि इस शोरूम में महंगे से महंगे मोबाइल मौजूद हैं.

हत्यारा बन गया मोबाइल की चाह में उस के बाद गौरव ने उसी शोरूम से मोबाइल लूटने की साजिश रची. उस ने इस बात का जिक्र अपने साथ कोचिंग कर हरे 2 साथियों से किया. यह जानकारी मिलते ही उस के दोनों साथियों ने 17 अक्तूबर को गिरीताल रोड पर जा कर मोबाइल शोरूम की रेकी की. लेकिन उस के साथ आए दोनों साथी इस काम में उस का साथ देने से पीछे हट गए. उस के बाद उस ने अपने ही गांव के रहने वाले किशोर कुमार को इस काम के लिए राजी कर लिया. 18 अक्तूबर को किशोर अपने घर से स्कूल बैग ले कर निकला. लेकिन स्कूल न जा कर वह गौरव के बहकावे में आ कर उस के साथ सीधा काशीपुर आ गया. किशोर कक्षा 10 में पढ़ रहा था. किशोर हेकड़ था. इसीलिए वह उस दिन घर से ही पूरी तरह तैयार हो चाकू ले कर निकला था.

इसी दौरान रास्ते में उन दोनों की मुलाकात रोहित से हुई. रोहित जागरण मंडली में काम करता था. वह भी महंगा मोबाइल खरीदना चाहता था. लेकिन वह पैसे की तंगी की वजह से खरीद न पाया था. गौरव ने उसे भी महंगा मोबाइल दिलाने का झांसा दिया तो वह भी उस का साथ देने के लिए तैयार हो गया. पूर्व नियोजित योजनानुसार गौरव जिस वक्त अपने साथियों के साथ मोबाइल शोरूम पर पहुंचा, उस वक्त पिंकी शोरूम में अकेली थी. वहां पहुंचते ही गौरव ने पिंकी से पावर बैंक और महंगा मोबाइल दिखाने की बात कही. तभी गौरव ने पिंकी से पीने के लिए पानी मांगा. जैसे ही पिंकी वाटर कूलर से पानी निकालने के लिए झुकी, उसी दौरान गौरव ने साथ लाया बेहोश करने वाला स्प्रे छिड़क कर उसे बेहोश करने की कोशिश की.

स्प्रे करते ही गौरव ने पिंकी को अपने कब्जे में ले लिया. उस के बाद पिंकी ने चिल्लाने की कोशिश की तो सामने खड़े किशोर ने हाथ से उस का मुंह बंद कर दिया. पिंकी पूरी तरह से बेहोश नहीं हुई थी, इसलिए वह बुरी तरह चिल्लाने लगी तो रोहित ने चाकू से उस पर वार करने शुरू कर दिए, जिस से वह फर्श पर गिर गई. रोहित पिंकी पर तब तक चाकू से वार करता रह