Parivarik Kahani Hindi : अपने बचाव के लिए भाई बना हैवान, किया बहन का कत्ल

Parivarik Kahani Hindi : अंकित ने अपने बचाव के लिए अपनी उस बड़ी बहन नेहा चौधरी की हत्या कर दी जो उसी को बचाने के नाम पर उस के साथ आई थी. लेकिन ऐसा कर के क्या वह बच पाएगा? अब तो उसे एक की जगह 2-2 केसों में…

8 फरवरी, 2021 की बात है सुबह के करीब 10 बजे थे. नासिर नाम का एक कबाड़ी जोया रोड के किनारे हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास से गुजर रहा था, तभी उस की नजर स्कूल के पास पड़े खाली प्लौट में चली गई. प्लौट में एक युवती की लाश पड़ी थी. लाश देखते ही नासिर ने शोर मचा दिया. उस की आवाज सुन कर तमाम लोग जमा हो गए. नासिर ने फोन कर के इस की सूचना अमरोहा देहात थाने में दे दी. युवती की लाश की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुरेशचंद्र गौतम अपनी टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. वह जोया रोड स्थित हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास पहुंचे तो वहां एक प्लौट में काफी लोग जमा थे.

वहीं पर युवती की लाश पड़ी थी, जो खून से लथपथ थी. उस का सिर और मुंह कुचला हुआ था. लाश के पास ही खून से सनी एक ईंट पड़ी थी. पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने इसी ईंट से युवती की हत्या की होगी. मृतका की उम्र लगभग 25 साल  थी. काले रंग की जींस, नारंगी टौप और सफेद जूते पहने वह युवती किसी अच्छे परिवार की लग रही थी. उस के गले पर भी चोट के निशान थे. लाश के पास 2 मोबाइल फोन और 2 पर्स भी पड़े थे. पुलिस ने उस के पर्स की तलाशी ली तो उस में एक आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड पर नाम नेहा चौधरी लिखा था.

आधार कार्ड के फोटो से इस बात की पुष्टि हो गई कि लाश नेहा चौधरी की ही है. कार्ड पर लिखे एड्रैस के अनुसार, नेहा अमरोहा देहात थाने के पचोखरा गांव निवासी दिनेश चौधरी की बेटी थी. थानाप्रभारी ने एक कांस्टेबल को भेज कर यह खबर मृतका के घर तक पहुंचवा दी. सूचना पा कर एसपी सुनीति, एएसपी अजय प्रताप सिंह और सीओ विजय कुमार राणा भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने भी लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की. उधर खबर मिलते ही मृतका नेहा चौधरी की मां वीना चौधरी, छोटा भाई अंकित और  चाचा कमल सिंह गांव के कुछ लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश देखते ही वीना चौधरी ने उस की शिनाख्त अपनी बेटी नेहा के रूप में कर दी. घर के सभी लोगों का रोरो कर बुरा हाल था. गांव वाले उन्हें सांत्वना दे कर चुप कराने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने मृतका के घर वालों से पूछा कि उन की किसी से कोई रंजिश वगैरह तो नहीं है. इस पर वीना चौधरी ने कहा कि हमारी गांव में क्या कहीं भी किसी से कोई रंजिश नहीं है. मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल से सुबूत जुटाए. इस के बाद पुलिस ने जरूरी लिखापढ़ी के बाद उस का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. एसपी सुनीति ने इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए 3 पुलिस टीमों का गठन किया.

पुलिस ने वीना चौधरी से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि नेहा मेरठ की सुभारती यूनिवर्सिटी से एमबीए  कर रही थी. इस साल वह फाइनल की छात्रा थी. इस के अलावा वह पिछले 4 साल से नोएडा स्थित एक निजी बैंक में नौकरी भी कर रही थी और दिल्ली के लक्ष्मी नगर में किराए के मकान में रहती थी. 7 फरवरी यानी कल वह घर अमरोहा लौटने वाली थी. उस ने नोएडा से चलने के बाद अपने चाचा कमल सिंह को फोन कर के बता दिया था कि वह शाम तक अमरोहा पहुंच जाएगी. लेकिन वह घर नहीं पहुंची. पुलिस ने मृतका के चाचा कमल सिंह की तरफ से अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. पोस्टमार्टम के बाद घर वाले लाश ले कर चले गए.

पुलिस की सभी टीमें जांच में जुट गईं. जिस जगह पर नेहा चौधरी की लाश मिली थी, पुलिस ने उस के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. एक फुटेज में 7 फरवरी को रात करीब 8 बजे नेहा चौधरी के साथ एक युवक भी दिखाई दिया. दूसरे दिन पुलिस ने वह फुटेज नेहा के घर वालों को दिखाई तो वीना चौधरी और देवर कमल सिंह ने युवक को पहचानते हुए बताया कि यह तो  नेहा का छोटा भाई अंकित है. यह सुन कर पुलिस हतप्रभ रह गई. वीना चौधरी के साथ अंकित भी घटनास्थल पर आया था और फूटफूट कर रो रहा था, जबकि उस की हत्या से कुछ घंटे पहले तक वह उस के साथ था. सोचने वाली बात यह थी कि हत्या से पहले आखिर वह उस के साथ क्या कर रहा था.

अब पुलिस का मकसद अंकित से पूछताछ करना था, लेकिन वह घर से गायब था. पुलिस उस की तलाश में जुट गई. अगले दिन यानी 9 फरवरी की रात 9 बजे अंकित को पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह दिल्ली भागने की फिराक में था. थाने में पुलिस ने अंकित से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. अंकित ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी बड़ी बहन नेहा की हत्या की थी. आखिर छोटे भाई ने अपनी सगी बहन की  हत्या क्यों की, इस बारे में पुलिस ने जब अंकित से पूछा तो नेहा चौधरी की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी—

25 वर्षीय नेहा चौधरी उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा के गांव पचोखरा के रहने वाले दिनेश चौधरी की बेटी थी. पत्नी वीना चौधरी के अलावा दिनेश चौधरी के 2 बच्चे थे, बड़ी बेटी नेहा और छोटा अंकित चौधरी. करीब 20 साल पहले दिनेश चौधरी अचानक गायब हो गए थे. उन्हें बहुत तलाशा गया, लेकिन कहीं पता नहीं चला. उस समय नेहा की उम्र 5 साल और अंकित की 3 साल थी. पति के गायब हो जाने पर वीना चौधरी पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. दुख की इस घड़ी में उन का साथ दिया उन के देवर कमल सिंह ने. वह अमरोहा शहर के मोहल्ला पीरगढ़ में रहते थे. भाई के गायब हो जाने के बाद वह अपनी भाभी और दोनों बच्चों को अपने साथ ले आए और अपने घर पर ही रख कर न सिर्फ उन की परवरिश की, बल्कि पढ़ाईलिखाई भी पूरी कराई.

अंकित चौधरी की ननिहाल अमरोहा जिले के ही गांव सलामतपुर में थी. वह अकसर अपनी ननिहाल जाता रहता था. बताया जाता है कि उस ने अपने ममेरे भाई अक्षय के साथ मिल कर अपनी ननिहाल के गांव की रहने वाली एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उस के साथ बलात्कार किया था. लड़की के पिता ने 18 जनवरी, 2021 को थाना डिडौली में अंकित और अक्षय के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 363 376डी, 342, 516 पोक्सो ऐक्ट तथा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई. अमरोहा की अदालत में नाबालिग लड़की के बयान भी दर्ज कराए गए. जिस में उस ने साफ कहा कि अंकित और अक्षय ने उस का अपहरण करने के बाद उस के साथ दुष्कर्म किया था.

इस केस से बचने के लिए अंकित चौधरी ने अमरोहा के कई बड़े वकीलों से राय ली. उन्होंने अंकित को बताया कि मामला बहुत गंभीर है. इस में तुम बच नहीं सकते, जेल तो जाना ही पड़ेगा. तब शातिर दिमाग अंकित चौधरी ने अपने आप को बचाने के लिए एक खौफनाक योजना तैयार की. योजना यह थी कि वह अपनी बड़ी बहन नेहा चौधरी की हत्या करने के बाद इस का आरोप उस लड़की के पिता पर लगा देगा, जिस ने उस के खिलाफ बेटी के अपहरण व बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. ऐसा करने से क्रौस केस बन जाएगा. इस के बाद केस को रफादफा करने के लिए समझौते की बात चलेगी. समझौता हो जाने पर वह जेल जाने से बच जाएगा.

उसे बहन की हत्या कैसे करनी है, इस की भी उस ने पूरी योजना बना ली थी. योजना के अनुसार 7 फरवरी, 2021 को अंकित चौधरी ने अपनी बहन नेहा चौधरी को किसी परिचित के मोबाइल से फोन किया. उस समय नेहा नोएडा में अपनी ड्यूटी पर थी. अंकित ने उस से  कहा कि बहन मेरे ऊपर जो मुकदमा चल रहा है उस में नाबालिग लड़की के पिता से बात हो गई है. वह फैसला करने को राजी है. लेकिन फैसले के समय तुम्हारा वहां रहना जरूरी है. इसलिए मैं अमरोहा से टैक्सी ले कर तुम्हें लेने के लिए नोएडा आ रहा हूं. नेहा ने सोचा कि एकलौता भाई है, फैसला हो जाए तो अच्छा है. यही सोच कर उस ने अमरोहा आने की हामी भर दी.

योजना के अनुसार 7 फरवरी, 2021 को अमरोहा के गांधी मूर्ति चौराहे के पास स्थित टैक्सी स्टैंड से एक गाड़ी बुक करा कर अंकित नोएडा के लिए रवाना हो गया. वह उस जगह पहुंच गया, जहां उस की बहन नेहा नौकरी करती थी. नेहा अंकित के साथ नोएडा से अमरोहा के लिए चल दी. रास्ते में नेहा ने अपने चाचा कमल सिंह को फोन कर के बता दिया था कि वह अमरोहा आ रही है और शाम 6 बजे तक घर पहुंच जाएगी. वापसी में अंकित टैक्सी ले कर अमरोहा से थोड़ा पहले स्थित जोया रोड पर पहुंचा तो उस ने अमरोहा ग्रीन से थोड़ा पहले टैक्सी रुकवा ली. नेहा ने टैक्सी रोकने की वजह पूछी तो अंकित ने बताया कि पुलिस मेरे पीछे पड़ी है. ऐसे में टैक्सी से घर जाना सही नहीं है.

हम लोग यहां से किसी दूसरे रास्ते से चलेंगे. उस ने टैक्सी वाले को पैसे दे कर वहां से भेज दिया. इस के बाद वह नेहा को हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास खाली पड़े प्लौट की तरफ ले गया. नेहा ने उस से पूछा भी कि मुझे इस अनजान, सुनसान जगह से कहां ले जा रहे हो. तब अंकित ने कहा कि इधर से शौर्टकट रास्ता है. मेनरोड पर पुलिस मुझे पकड़ सकती है इसलिए मैं शौर्टकट से जा रहा हूं. नेहा ने भाई की बात पर विश्वास कर लिया और उस के साथ चलने लगी. नेहा को क्या पता था कि जिस भाई की कलाई पर वह हर साल अपनी रक्षा के लिए राखी बांधती है, वही भाई उस की हत्या करने वाला है.

वह कुछ ही दूर चली थी कि अंकित रुक गया. वह नेहा से बोला कि मैं बाथरूम कर लूं, तुम पीछे मुंह कर के खड़ी हो जाओ. जैसे ही नेहा पीछे मुंह कर के खड़ी हुई, अंकित ने अपनी जेब से एक फीता निकाला और बड़ी फुरती से नेहा के गले में डाल कर कस दिया. नेहा बस इतना ही कह पाई कि भाई यह तुम क्या कर रहे हो? इस के बाद वह मूर्छित हो कर जमीन पर गिर गई. तभी अंकित ने पास पड़ी ईंट से बहन के सिर व चेहरे पर तमाम वार किए और वह उसे ईंट से तब तक कूटता रहा, जब तक कि उस की मौत न हो गई.

अपनी सगी बहन की हत्या के बाद वह वहां से चला गया. वह सीधा अमरोहा की आवास विकास कालोनी में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार के घर गया. फिर वहां से अगली सुबह 5 बजे उठ कर चला गया. उस के कपड़ों, जूतों आदि पर खून लगा था. इसलिए उस ने अपने कपड़े, जैकेट, जूते, टोपा और गला घोंटने वाला फीता कल्याणपुर बाईपास के पास हमीदपुरा गांव के जंगल की झाडि़यों में छिपा दिए. इस के बाद वह अपने घर चला गया. सुबह होने पर एक सिपाही जब नेहा की हत्या की खबर देने उस के घर गया, तब वह अपनी मां और चाचा के साथ घटनास्थल पर पहुंचा और वहां फूटफूट कर रोने का नाटक करने लगा.

अंकित से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हमीदपुरा गांव के जंगल की झाडि़यों में छिपा कर रखे गए कपड़े, जैकेट, जूते, टोपा और फीता बरामद कर लिया. अंकित चौधरी की गिरफ्तारी के बाद सारे सबूत पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिए. 10 फरवरी, 2021 को अमरोहा की एसपी सुनीति ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया. इस पूरे मामले में एसपी सुनीति को डिडौली थाने के दरोगा मुजम्मिल की लापरवाही नजर आई. मुजम्मिल ने नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी अंकित और उस के ममेरे भाई अक्षय को गिरफ्तार करने में लापरवाही दिखाई थी.

यदि वह इन दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लेते तो शायद नेहा की हत्या नहीं होती. इसलिए एसपी सुनीति ने लापरवाही के आरोप में एसआई मुजम्मिल को लाइन हाजिर कर दिया. अंकित चौधरी से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. parivarik kahani hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

UP News : 10 लाख रुपए के लिए बचपन के दोस्त का किया कत्ल

UP News :  दोस्ती में एक विश्वास होता है, भरोसा होता है. लेकिन शैलेश प्रजापति और अर्श गुप्ता ने पैसे के लिए उस विश्वास की धज्जियां उड़ा दीं, जिस की वजह से विनय…

19 मार्च, 2021 की रात 10 बजे शीला देवी अपने देवर आनंद प्रजापति के साथ जनता नगर चौकी पहुंचीं. उस समय इंचार्ज ए.के. सिंह चौकी पर मौजूद थे. उन्होंने शीला देवी को बदहवास देखा, तो पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम घबराई हुई क्यों हो? कोई गंभीर बात है क्या?’’

‘‘हां सर. हमें किसी अनहोनी की आशंका है.’’

‘‘कैसी अनहोनी? साफसाफ पूरी बात बताओ.’’

‘‘सर, दरअसल बात यह है कि रात 8 बजे मेरा बेटा शैलेश, उस का दोस्त अर्श गुप्ता व विनय घर पर नीचे कमरे में शराब पी रहे थे. कुछ देर बाद कमरे से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आईं. फिर वे लोग बाइक से कहीं चले गए.

‘‘उन के जाने के बाद मैं कमरे में गई, तो वहां खून से सनी चादर देखी. अनहोनी की आशंका से मैं घबरा गई. मैं ने इस की जानकारी पड़ोस में रहने वाले अपने देवर आनंद को दी, फिर उन के साथ सूचना देने आप के पास आ गई. आप मेरी मदद करें.’’

शीला देवी की बात सुनकर ए.के. सिंह को लगा कि जरूर कोई अनहोनी घटना घटित हुई है. उन्होंने यह सूचना बर्रा थानाप्रभारी हरमीत सिंह को दी फिर 2 सिपाहियों के साथ शीला देवी के बर्रा भाग 8 स्थित मकान पर पहुंच गए. उन के पहुंचने के चंद मिनट बाद ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह भी आ गए. हरमीत सिंह ने ए.के. सिंह के साथ कमरे का निरीक्षण किया तो सन्न रह गए. कमरे के फर्श पर खून पड़ा था और पलंग पर बिछी चादर खून से तरबतर थी. कमरे का सामान भी अस्तव्यस्त था. खून की बूंदें कमरे के बाहर गली तक टपकती गई थीं.

निरीक्षण के बाद हरमीत सिंह ने अनुमान लगाया कि कमरे के अंदर कत्ल जैसी वारदात हुई है या फिर गंभीर रूप से कोई घायल हुआ है. शैलेश और उस का दोस्त या तो लाश को ठिकाने लगाने गए हैं या फिर अस्पताल गए हैं. कहीं भी गए हों, वे लौट कर घर जरूर आएंगे. अत: उन्होंने घर के आसपास पुलिस का पहरा लगा दिया तथा खुद भी निगरानी में लग गए. रात लगभग डेढ़ बजे शैलेश और उस का दोस्त अर्श गुप्ता वापस घर आए तो पुिलस ने उन्हें दबोच लिया और थाना बर्रा ले आए. दोनों के हाथ और कपड़ों पर खून लगा था. इंसपेक्टर हरमीत सिंह ने पूछा, ‘‘तुम दोनों ने किस का कत्ल किया है और लाश कहां है?’’

शैलेश कुछ क्षण मौन रहा फिर बोला, ‘‘साहब, मैं ने अपने बचपन के दोस्त विनय प्रभाकर का कत्ल किया है. वह बर्रा भाग दो के मनोहर नगर में रामजानकी मंदिर के पास रहता था. उस की लाश को मैं ने अर्श की मदद से रिंद नदी में फेंक दिया है. पैट्रोल खत्म हो जाने की वजह से हम ने विनय की मोटरसाइकिल खाड़ेपुर-फत्तेपुर मोड़ पर खड़ा कर दी और वापस लौट आए.’’

‘‘तुम ने अपने दोस्त का कत्ल क्यों किया?’’ थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने शैलेश से पूछा. इस सवाल पर शैलेश काफी देर तक हरमीत सिंह को गुमराह करता रहा. पहले वह बोला, ‘‘साहब, नशे में गलती हो गई. हम ने उस का कत्ल कर दिया.’’

फिर बताया कि उस के मोबाइल फोन में उस की महिला मित्र की कुछ आपत्तिजनक फोटो थीं. उन फोटो को विनय ने धोखे से अपने मोबाइल फोन में ट्रांसफर कर लिया था. वह उन फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे कर ब्लैकमेल कर रहा था, इसलिए हम ने उसे मार डाला. लेकिन थानाप्रभारी हरमीत सिंह को उस की इन दोनों बातों पर यकीन नहीं हुआ. सच्चाई उगलवाने के लिए उन्होंने सख्ती की तो दोनों टूट गए. फिर उन्होंने बताया कि उन्होंने 10 लाख रुपए की फिरौती मांगने के लिए विनय की हत्या की योजना बनाई थी. कुछ माह पहले संजीत हत्याकांड की तरह शव को ठिकाने लगाने के बाद उसी के मोबाइल फोन से उस के घर वालों को फोन कर फिरौती मांगने की योजना थी.

उस ने दौलत की चाहत में दोस्त की हत्या की थी. लेकिन फिरौती मांगने के पहले ही वे पकड़े गए. शैलेश व अर्श की जामातलाशी में उन के पास से 3 मोबाइल फोन मिले, जिस में एक मृतक विनय का था तथा बाकी 2 शैलेश व अर्श के थे. उन के पास एक पर्स भी बरामद हुआ जिस में मृतक का फोटो, आधार कार्ड तथा कुछ रुपए थे. बरामद पर्स मृतक विनय प्रभाकर का था. शैलेश व अर्श गुप्ता की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल बांका तथा लाश ठिकाने लगाने में इस्तेमाल मोटरसाइकिल बरामद कर ली. बांका उस ने अपने कमरे में छिपा दिया था और पैट्रोल खत्म होने से उस ने मोटरसाइकिल खाड़ेपुर मोड़ पर खड़ी कर दी थी.

फिरौती और हत्या के इस मामले में थानाप्रभारी हरमीत सिंह कोई कोताही नहीं बरतना चाहते थे. क्योंकि इस के पहले संजीत अपहरण कांड में बर्रा पुलिस गच्चा खा चुकी थी. अपहर्त्ताओं ने फिरौती की रकम भी ले ली थी और उस की हत्या भी कर दी थी. इस मामले में लापरवाही बरतने में एसपी व डीएसपी सहित 5 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था. अत: उन्होंने घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पा कर रात 3 बजे एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय थाना बर्रा पहुंच गए. उन्होंने घटना के संबंध में गिरफ्तार किए गए शैलेश व अर्श गुप्ता से विस्तार से पूछताछ की.

फिर दोनों को साथ ले कर रिंद नदी के पुल पर पहुंचे. इस के बाद कातिलों की निशानदेही पर नदी किनारे पड़ा विनय प्रभाकर का शव बरामद कर लिया. विनय की हत्या बड़ी निर्दयतापूर्वक की गई थी. उस का गला धारदार हथियार से काटा गया था, जिस से सांस की नली कट गई थी और उस की मौत हो गई थी. मृतक विनय की उम्र 26 वर्ष के आसपास थी और उस का शरीर हृष्टपुष्ट था. 20 मार्च की सुबह 5 बजे बर्रा थाने के 2 सिपाही मृतक विनय के घर पहुंचे और उस की हत्या की खबर घर वालों को दी. खबर पाते ही घर व मोहल्ले में सनसनी फैल गई. घर वाले रिंद नदी के पुल पर पहुंचे.

वहां विनय का शव देख कर मां विमला तथा बहन रीता बिलख पड़ीं. पिता रामऔतार प्रभाकर तथा भाई पवन की आंखों से भी अश्रुधारा बह निकली. पुलिस अधिकारियों ने उन्हे धैर्य बंधाया. पवन ने एसपी दीपक भूकर को बताया कल शाम साढ़े 7 बजे किसी का फोन आने पर उस का भाई विनय यह कह कर अपनी पल्सर मोटरसाइकिल से घर से निकला था कि अपने दोस्त से मिलने जा रहा है. उस के बाद वह घर नहीं लौटा. रात भर हम लोग उस के घर वापस आने का इंतजार करते रहे. उस का फोन भी बंद था. सुबह 2 सिपाही घर आए. उन्होंने विनय की हत्या की सूचना दी. तब हम लोग यहां आए. लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि विनय की हत्या किस ने और क्यों की?

‘‘तुम्हारे भाई की हत्या किसी और ने नहीं, उस के बचपन के दोस्त शैलेश प्रजापति व उस के साथी अर्श गुप्ता ने की है. वह तुम लोगों से फिरौती के 10 लाख रुपए वसूलना चाहते थे. लेकिन शैलेश की मां ने ही उस का भांडा फोड़ दिया और दोनों पकड़े गए.’’

यह जानकारी पा कर पवन व उस के घर वाले अवाक रह गए. क्योंकि वे सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि शैलेश ऐसा विश्वासघात कर सकता है. निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम हाउस हैलट अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद वह शैलेश के उस कमरे में पहुंचे, जहां विनय का कत्ल किया गया था. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जहां घटनास्थल का निरीक्षण किया, वहीं फोरैंसिक टीम ने भी बेंजाडीन टेस्ट कर साक्ष्य जुटाए. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल बांका भी बरामद करा दिया था, अत: थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने मृतक के भाई पवन को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/201 तथा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत शैलेश प्रजापति तथा अर्श गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

उन्हें न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस पूछताछ में दौलत की चाहत में दोस्त की हत्या की सनसनीखेज घटना का खुलासा हुआ. कानपुर शहर का एक बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है-बर्रा. इस क्षेत्र के बड़ा होने से इसे कई भागों में बांटा गया है. रामऔतार प्रभाकर अपने परिवार के साथ इसी बर्रा क्षेत्र के भाग 2 में मनोहरनगर में जानकी मंदिर के पास रहते थे. उन के परिवार में पत्नी विमला के अलावा 2 बेटे पवन कुमार, विनय कुमार तथा बेटी रीता कुमारी थी. रामऔतार प्रभाकर आर्डिनैंस फैक्ट्री में काम करते थे. किंतु अब रिटायर हो चुके थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

फैक्ट्री में रामऔतार प्रभाकर के साथ सोमनाथ प्रजापति काम करते थे. सोमनाथ भी बर्रा भाग 8 में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शीला देवी के अलावा एकलौता बेटा शैलेश था. सोमनाथ भी रिटायर हो चुके थे. सोमनाथ बीमार रहते थे. उन्हें सुनाई भी कम देता था और दिखाई भी. उन की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. रामऔतार और सोमनाथ इस के पहले अर्मापुर स्थित फैक्ट्री की कालोनी में रहते थे. 3 साल पहले दोनों ने बर्रा क्षेत्र में जमीन खरीद ली थी और अपनेअपने मकान बना कर रहने लगे थे. मकान बदलने के बावजूद दोनों की दोस्ती में कमी नहीं आई थी. दोनों परिवार के लोगों का एकदूसरे के घर आनाजाना था.

रामऔतार का बेटा विनय और सोमनाथ का बेटा शैलेश बचपन के दोस्त थे. दोनों एकदूसरे के घर आतेजाते थे. विनय ने हाईस्कूल पास करने के बाद आईटीआई से मशीनिस्ट का कोर्स किया था. वह नौकरी की तलाश में था. जबकि शैलेश ड्राइवर बन गया था. वह बुकिंग की कार चलाता था. शैलेश का एक अन्य दोस्त अर्श गुप्ता था. वह फरनीचर कारीगर था और गुजैनी गांव में रहता था. अर्श और शैलेश शराब के शौकीन थे. अकसर दोनों साथ पीते थे और लंबीलंबी डींग हांकते थे. उन दोनों ने विनय को भी शराब पीना सिखा दिया था. अब हर रविवार को शैलेश के घर शराब पार्टी होती थी. तीनों बारीबारी से पार्टी का खर्चा उठाते थे.

एक शाम खानेपीने के दौरान विनय ने शैलेश व अर्श को बताया कि उस की बहन रीता की शादी तय हो गई है. 27 अप्रैल को बारात आएगी. शादी में लगभग 10-12 लाख रुपया खर्च होगा. पिता व भाई ने रुपयों का इंतजाम कर लिया है. शादी की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. शैलेश व अर्श मामूली कमाने वाले युवक थे. वह शार्टकट से लखपति बनना चाहते थे. इस के लिए शैलेश उरई में पान मसाला का कारोबार करना चाहता था. उरई में वह जगह भी देख आया था. लेकिन कारोबार के लिए उस के पास पैसा नहीं था. पैसा कहां से और कैसे आए, इस के लिए शैलेश और अर्श ने सिर से सिर जोड़ कर विचारविमर्श किया तो उन्हें विनय याद आया.

विनय ने बताया था कि उस के यहां बहन की शादी है और घर वालों ने 10-12 लाख रुपए का इंतजाम किया है. दौलत की चाहत में शैलेश व अर्श ने दोस्त के साथ छल करने और फिरौती के रूप में 10 लाख रुपया वसूलने की योजना बनाई. संजीत हत्याकांड दोनों के जेहन में था. उसी तर्ज पर उन दोनों ने विनय की हत्या कर के उस के घर वालों से फिरौती वसूलने की योजना बनाई. योजना के तहत 19 मार्च, 2021 की रात पौने 8 बजे शैलेश ने अर्श के मोबाइल से विनय प्रभाकर के मोबाइल पर काल की और पार्टी के लिए घर बुलाया. विनय की 5 दिन पहले ही लोहिया फैक्ट्री में नौकरी लगी थी. फैक्ट्री से वह साढ़े 7 बजे घर लौटा था कि 15 मिनट बाद शैलेश का फोन आ गया. पार्टी की बात सुन कर वह शैलेश के घर जाने को राजी हो गया.

रात 8 बजे विनय अपनी पल्सर मोटरसाइकिल से बर्रा भाग 8 स्थित शैलेश के घर पहुंच गया. उस समय कमरे में शैलेश व अर्श गुप्ता थे और पार्टी का पूरा इंतजाम था. इस के बाद तीनों ने मिल कर खूब शराब पी. विनय जब नशे में हो गया तो योजना के तहत अर्श व शैलेश ने उसे दबोच लिया और उस की पिटाई करने लगे. विनय ने जब खुद को जाल में फंसा देखा तो वह भी भिड़ गया. कमरे से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं. इसी बीच शैलेश ने कमरे में छिपा कर रखा बांका निकाला और विनय की गरदन पर वार कर दिया. विनय का गला कट गया और वह फर्श पर गिर पड़ा.

इस के बाद अर्श ने विनय को दबोचा और शैलेश ने उस की गरदन पर 2-3 वार और किए. जिस से विनय की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और उस की मौत हो गई. हत्या करने के बाद उन दोनों ने शव को तोड़मरोड़ कर चादर व कंबल में लपेटा और फिर विनय की मोटरसाइकिल पर रख कर रिंद नदी में फेंक आए. वापस लौटते समय उन की बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया, इसलिए उन्होंने बाइक को खाड़ेपुर मोड़ पर खड़ा कर दिया. फिर पैदल ही घर आ गए. घर पर उन के स्वागत के लिए बर्रा पुलिस खड़ी थी, जिस से वे पकड़े गए. दरअसल, शैलेश की मां शीला ने ही कमरे में खून देख कर पुलिस को सूचना दी थी, जिस से पुलिस आ गई थी.

21 मार्च, 2021 को थाना बर्रा पुलिस ने आरोपी शैलेश प्रजापति व अर्श गुप्ता को कानपुर कोर्ट में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से उन दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. UP News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Noida News : प्यार में फंसाया फिर किया अपहरण और मांगी 70 लाख की फिरौती

Noida News : गौरव हलधर डाक्टरी की पढ़ाई करतेकरते प्रीति मेहरा के जाल में ऐसा फंसा कि जान के लाले पड़ गए. डा. प्रीति को गौरव को रंगीन सपने दिखाने की जिम्मेदारी उस के ही साथी डा. अभिषेक ने सौंपी थी. भला हो नोएडा एसटीएफ का जिस ने समय रहते…

एसटीएफ औफिस नोएडा में एसपी कुलदीप नारायण सिंह डीएसपी विनोद सिंह सिरोही के साथ बैठे किसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. तभी अचानक दरवाजा खुला और सामने वर्दी पर 3 स्टार लगाए एक इंसपेक्टर प्रकट हुए. उन्होंने अंदर आने की इजाजत लेते हुए पूछा, ‘‘मे आई कम इन सर.’’

‘‘इंसपेक्टर सुधीर…’’ कुलदीप सिंह ने सवालिया नजरों से आगंतुक की तरफ देखते हुए पूछा.

‘‘यस सर.’’

‘‘आओ सुधीर, हम लोग आप का ही इंतजार कर रहे थे.’’ एसपी कुलदीप सिंह ने सामने बैठे विनोद सिरोही का परिचय कराते हुए कहा,  ‘‘ये हैं हमारे डीएसपी विनोद सिरोही. आप के केस को यही लीड करेंगे. जो भी इनपुट है आप इन से शेयर करो फिर देखते हैं क्या करना है.’’

कुछ देर तक उन सब के बीच बातें होती रहीं. उस के बाद कुलदीप सिंह अपनी कुरसी से खड़े होते हुए बोले, ‘‘विनोद, मैं एक जरूरी मीटिंग के लिए मेरठ जा रहा हूं. आप दोनों केस के बारे में डिस्कस करो. हम लोग लेट नाइट मिलते हैं.’’

इस बीच उन्होंने एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा को भी बुलवा लिया था. कुलदीप सिंह ने उन्हें निर्देश दिया कि गौरव अपहरण कांड में अपहर्त्ताओं को पकड़ने में वह इस टीम का मार्गदर्शन करें. एसपी के जाते ही वे एक बार फिर बातों में मशगूल हो गए. सुधीर कुमार सिंह डीएसपी विनोद सिरोही और एएसपी मिश्रा को उस केस के बारे में हर छोटीबड़ी बात बताने लगे, जिस के कारण उन्हें पिछले 24 घंटे में यूपी के गोंडा से ले कर दिल्ली के बाद नोएडा में स्पैशल टास्क फोर्स के औफिस का रुख करना पड़ा था. इस से 2 दिन पहले 19 जनवरी, 2021 की बात है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एसपी शैलेश पांडे के औफिस में सन्नाटा पसरा हुआ था. क्योंकि मामला बेहद गंभीर था और पेचीदा भी.

पड़ोसी जिले बहराइच के पयागपुर थाना क्षेत्र के काशीजोत की सत्संग नगर कालोनी के रहने वाले डा. निखिल हलधर का बेटा गौरव हलधर गोंडा के हारीपुर स्थित एससीपीएम कालेज में बीएएमएस प्रथम वर्ष का छात्र था. वह कालेज के हौस्टल में रहता था. गौरव 18 जनवरी की शाम तकरीबन 4 बजे से गायब था. इस के बाद गौरव को न तो हौस्टल में देखा गया न ही कालेज में. 18 जनवरी की रात को गौरव के पिता डा. निखिल हलधर के मोबाइल फोन पर रात करीब 10 बजे एक काल आई. काल उन्हीं के बेटे के फोन से थी, लेकिन फोन पर उन का बेटा गौरव नहीं था.

फोन करने वाले ने बताया कि उस ने गौरव का अपहरण कर लिया है. गौरव की रिहाई के लिए आप को 70 लाख रुपए की फिरौती देनी होगी. जल्द पैसों का इंतजाम कर लें, वह उन्हें बाद में फोन करेगा. डा. निखिल हलधर ने कालबैक किया तो फोन गौरव ने नहीं, बल्कि उसी शख्स ने उठाया, जिस ने थोड़ी देर पहले बात की थी. डा. निखिल ने बेटे से बात कराने के लिए कहा तो उस ने उन्हें डांटते हुए कहा, ‘‘डाक्टर, लगता है सीधी तरह से कही गई बात तेरी समझ में नहीं आती. तू क्या समझ रहा है कि हम तुझ से मजाक कर रहे हैं? अभी तेरे बेटे की लेटेस्ट फोटो वाट्सऐप कर रहा हूं देख लेना उस की क्या हालत है.

और हां, एक बात कान खोल कर सुन ले, यकीन करना है या नहीं ये तुझे देखना है. यह समझ लेना कि पैसे का इंतजाम जल्द नहीं किया तो बेटा गया तेरे हाथ से. ज्यादा टाइम नहीं है अपने पास.’’

अभी तक इस बात को मजाक समझ रहे निखिल हलधर समझ गए कि उस ने जो कुछ कहा, सच है. कुछ देर बाद उन के वाट्सऐप पर गौरव की फोटो आ गई, जिस में वह बेहोशी की हालत में था. जैसे ही परिवार को इस बात का पता चला कि गौरव का अपहरण हो गया है तो सब हतप्रभ रह गए. निखिल हलधर संयुक्त परिवार में रहते थे. उन के पूरे घर में चिंता का माहौल बन गया. बात फैली तो डा. निखिल के घर उन के रिश्तेदारों और परिचितों का हुजूम लगना शुरू हो गया. डा. निखिल हलधर शहर के जानेमाने फिजिशियन थे, शहर के तमाम प्रभावशाली लोग उन्हें जानते थे. उन्होंने शहर के एसपी डा. विपिन कुमार मिश्रा से बात की.

उन्होंने बताया कि गौरव गोंडा में पढ़ता था और घटना वहीं घटी है, इसलिए वह तुरंत गोंडा जा कर वहां के एसपी से मिलें. डा. निखिल हलधर रात को ही अपने कुछ परिचितों के साथ गोंडा रवाना हो गए. 19 जनवरी की सुबह वह गोंडा के एसपी शैलेश पांडे से मिले. शैलेश पांडे को पहले ही डा. निखिल हलधर के बेटे गौरव के अपहरण की जानकारी एसपी बहराइच से मिल चुकी थी. डा. निखिल हलधर ने शैलेश पांडे को शुरू से अब तक की पूरी बात बता दी. एसपी पांडे ने परसपुर थाने के इंचार्ज सुधीर कुमार सिंह को अपने औफिस में बुलवा लिया था. क्योंकि गौरव जिस एससीपीएम मैडिकल कालेज में पढ़ता था, वह परसपुर थाना क्षेत्र में था.

सारी बात जानने के बाद एसपी शैलेश पांडे ने कोतवाली प्रभारी आलोक राव, सर्विलांस टीम के इंचार्ज हृदय दीक्षित तथा स्वाट टीम के प्रभारी अतुल चतुर्वेदी के साथ हैडकांस्टेबल श्रीनाथ शुक्ल, अजीत सिंह, राजेंद्र , कांस्टेबल अमित, राजेंद्र, अरविंद व राजू सिंह की एक टीम गठित कर के उन्हें जल्द से गौरव हलधर को बरामद करने के काम पर लगा दिया. एसपी पांडे ने टीम का नेतृत्व एएसपी को सौंप दिया. पुलिस टीम तत्काल सुरागरसी में लग गई. पुलिस टीमें सब से पहले गौरव के कालेज पहुंची, जहां उस के सहपाठियों तथा हौस्टल में छात्रों के अलावा कर्मचारियों से जानकारी हासिल की गई. नहीं मिली कोई जानकारी मगर गौरव के बारे में पुलिस को कालेज से कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी.

इंसपेक्टर सुधीर सिंह डा. निखिल हलधर के साथ परसपुर थाने पहुंचे और उन्होंने निखिल हलधर की शिकायत के आधार पर 19 जनवरी, 2021 की सुबह भादंसं की धारा 364ए के तहत फिरौती के लिए अपहरण का मामला दर्ज कर लिया. एसपी शैलेश पांडे के निर्देश पर इंसपेक्टर सुधीर कुमार सिंह ने खुद ही जांच की जिम्मेदारी संभाली. साथ ही उन की मदद के लिए बनी 6 पुलिस टीमों ने भी अपने स्तर से काम शुरू कर दिया. चूंकि मामला एक छात्र के अपहरण का था, वह भी फिरौती की मोटी रकम वसूलने के लिए. इसलिए सर्विलांस टीम को गौरव हलधर के मोबाइल की काल डिटेल निकालने के काम पर लगा दिया गया.

मोबाइल की सर्विलांस में उस की पिछले कुछ घंटों की लोकेशन निकाली गई तो पता चला कि इस वक्त उस की लोकेशन दिल्ली में है. पुलिस टीमें यह पता करने की कोशिश में जुट गईं कि गौरव का किसी से विवाद या दुश्मनी तो नहीं थी. लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली. गौरव और उस से जुड़े लोगों के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर ले लिया गया था. पुलिस की टीमें लगातार एकएक नंबर की डिटेल्स खंगाल रही थीं. गौरव के फोन की लोकेशन संतकबीर नगर के खलीलाबाद में भी मिली थी. पुलिस की एक टीम बहराइच तो 2 टीमें खलीलाबाद व गोरखपुर रवाना कर दी गईं. खुद इंसपेक्टर सुधीर सिंह एक पुलिस टीम ले कर दिल्ली रवाना हो गए.

20 जनवरी की सुबह दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने सर्विलांस टीम की मदद से उस इलाके में छानबीन शुरू कर दी, जहां गौरव के फोन की लोकेशन थी. लेकिन अब उस का फोन बंद हो चुका था इसलिए इंसपेक्टर सुधीर सिंह को सही जगह तक पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली. इस दौरान गोंडा में मौजूद गौरव के पिता डा. निखिल हलधर को अपहर्त्ता ने एक और फोन कर दिया था. उस ने अब फिरौती की रकम बढ़ा कर 80 लाख कर दी थी और चेतावनी दी थी कि अगर 22 जनवरी तक रकम का इंतजाम नहीं किया गया तो गौरव की हत्या कर दी जाएगी.

दूसरी तरफ जब गोंडा एसपी शैलेश पांडे को पता चला कि दिल्ली पहुंची पुलिस टीम को बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिल रही है तो उन की चिंता बढ़ गई. अंतत: उन्होंने एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश को लखनऊ फोन कर के गौरव अपहरण कांड की सारी जानकारी दी और इस काम में एसटीएफ की मदद मांगी. अमिताभ यश ने एसपी शैलेश पांडे से कहा कि वे अपनी टीम को नोएडा में एसटीएफ के औफिस भेज दें. एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण गोंडा पुलिस की पूरी मदद करेंगे.

पांडे ने दिल्ली में मौजूद इंसपेक्टर सुधीर सिंह को एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण से बात कर के उन के पास पहुंचने की हिदायत दी तो दूसरी तरफ एडीजी अमिताभ यश ने नोएडा फोन कर के एसपी कुलदीप नारायण सिंह को गौरव हलधर अपहरण केस की जानकारी दे कर गोंडा पुलिस की मदद करने के निर्देश दिए. यह बात 20 जनवरी की दोपहर की थी. गोंडा कोतवाली के इंसपेक्टर सुधीर सिंह नोएडा में एसटीएफ औफिस पहुंच कर एसपी एसटीएफ कुलदीप नारायण सिंह तथा डीएसपी विनोद सिरोही से मिले.

विनोद सिरोही बेहद सुलझे हुए अधिकारी हैं. उन्होंने अपनी सूझबूझ से कितने ही अपहरण करने वालों और गैंगस्टरों को पकड़ा है. उन्होंने उसी समय अपहर्त्ताओं को दबोचने के लिए इंसपेक्टर सौरभ विक्रम सिंह, एसआई राकेश कुमार सिंह तथा ब्रह्म प्रकाश के साथ एक टीम का गठन कर दिया. काल डिटेल्स से मिले सुराग अपराधियों तक पहुंचने का सब से बड़ा हथियार इन दिनों इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस है. एसटीएफ की टीम ने उसी समय गौरव के फोन की सर्विलांस के साथ उस की सीडीआर खंगालने का काम शुरू कर दिया. गौरव के फोन की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में एक ऐसा नंबर मिला, जिस में उस के फोन पर कुछ दिनों से एक नए नंबर से न सिर्फ काल की जा रही थी, बल्कि यह नंबर गौरव की कौन्टैक्ट लिस्ट में ‘माई लव’ के नाम से सेव था.

दोनों नंबरों पर 5 से 18 जनवरी तक 40 बार बात हुई थी और हर काल का औसत समय 10 से 40 मिनट था. इस नंबर से गौरव के वाट्सऐप पर अनेकों काल, फोटो, वीडियो का भी आदानप्रदान हुआ था. इस नंबर के बारे में जानकारी एकत्र की गई तो यह नंबर दिल्ली के एक पते पर पंजीकृत पाया गया. लेकिन जब पुलिस की टीम उस पते पर पहुंची तो पता फरजी निकला. जब इस नंबर की लोकेशन खंगाली गई तो पुलिस टीम यह जान कर हैरान रह गई कि 18 जनवरी की दोपहर से शाम तक इस नंबर की लोकेशन गोंडा में हर उस जगह थी, जहां गौरव के मोबाइल की लोकेशन थी.

पुलिस टीम समझ गई कि जिस के पास भी यह नंबर है, उसी ने गौरव का अपहरण किया है. पुलिस टीमों ने इसी नंबर की सीडीआर खंगालनी शुरू कर दी. पता चला कि यह नंबर करीब एक महीना पहले ही एक्टिव हुआ था और इस से बमुश्किल 4 या 5 नंबरों पर ही फोन काल्स की गई थीं या वाट्सऐप मैसेज आएगए थे.   एसटीएफ के पास ऐसे तमाम संसाधन और नेटवर्क होते हैं, जिन से वह इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस के माध्यम से अपराधियों की सटीक जानकारी एकत्र करने के साथ उन की लोकेशन का भी सुराग लगा लेती है. एसटीएफ ने रात भर मेहनत की. जो भी फोन नंबर इस फोन के संपर्क में थे, उन सभी की कडि़यां जोड़ कर उन की मूवमेंट पर नजर रखी जाने लगी.

रात होतेहोते यह बात साफ हो गई कि अपहर्त्ता नोएडा इलाके में मूवमेंट करने वाले हैं. वे अपहृत गौरव को छिपाने के लिए दिल्ली से किसी दूसरे ठिकाने पर शिफ्ट करना चाहते हैं. बस इस के बाद सर्विलांस टीमों ने अपराधियों की सटीक लोकेशन तक पहुंचने का काम शुरू कर दिया और गोंडा पुलिस के साथ एसटीएफ की टीम ने औपरेशन की तैयारी शुरू कर दी. 21 जनवरी की देर रात गोंडा पुलिस व एसटीएफ की टीमों ने ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे जीरो पौइंट के पास अपना जाल बिछा दिया. पुलिस टीमें आनेजाने वाले हर वाहन पर कड़ी नजर रख रही थीं. किसी वाहन पर जरा भी संदेह होता तो उसे रोक कर तलाशी ली जाती. इसी बीच एक सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार पुलिस की चैकिंग देख कर दूर ही रुक गई.

उस गाड़ी ने जैसे ही रुकने के बाद बैक गियर डाल कर पीछे हटना और यूटर्न लेना शुरू किया तो पुलिस टीम को शक हो गया. एसटीएफ की टीम एक गाड़ी में पहले से तैयार थी. पुलिस की गाड़ी उस कार का पीछा करने लगी जो यूटर्न ले कर तेजी से वापस दौड़ने लगी थी. देखते ही पहचान लिया गौरव को मुश्किल से एक किलोमीटर तक दौड़भाग होती रही. आखिरकार नालेज पार्क थाना क्षेत्र में एसटीएफ की टीम ने डिजायर कार को ओवरटेक कर के रुकने पर मजबूर कर दिया. खुद को फंसा देख कार में सवार 3 लोग तेजी से उतरे और अलगअलग दिशाओं में भागने लगे. एसटीएफ को ऐसे अपराधियों को पकड़ने का तजुर्बा होता है. पीछा करते हुए एसटीएफ तथा गोंडा पुलिस की दूसरी टीम भी वहां पहुंच चुकी थी.

पुलिस टीमों ने जैसे ही हवाई फायर किए, कार से उतर कर भागे तीनों लोगों के कदम वहीं ठिठक गए. पुलिस टीमों ने तीनों को दबोच लिया. उन्हें दबोचने के बाद जब पुलिस टीमों ने स्विफ्ट डिजायर कार की तलाशी ली तो एक युवक कार की पिछली सीट पर बेहोशी की हालत में पड़ा था. इंसपेक्टर सुधीर सिंह युवक की फोटो को इतनी बार देख चुके थे कि बेहोश होने के बावजूद उन्होेंने उसे पहचान लिया. वह गौरव ही था. पुलिस टीमों की खुशी का ठिकाना न रहा, क्योंकि अभियान सफल हो गया था. पुलिस टीमें तीनों युवकों के साथ गौरव व कार को ले कर एसटीएफ औफिस आ गईं.

इंसपेक्टर सुधीर सिंह ने गौरव के पिता डा. निखिल व एसपी गोंडा शैलेश पांडे को गौरव की रिहाई की सूचना दे दी. वे भी तत्काल नोएडा के लिए रवाना हो गए. गौरव के अपहरण में पुलिस ने जिन 3 लोगों को गिरफ्तार किया था, उन में से एक की पहचान डा. अभिषेक सिंह निवासी अचलपुर वजीरगंज, जिला गोंडा के रूप में हुई. वही इस गिरोह का सरगना था और फिलहाल बाहरी दिल्ली के बक्करवाला में डीडीए के ग्लोरिया अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 310 में किराए पर रहता था. डा. अभिषेक सिंह पेशे से चिकित्सक था और नांगलोई-नजफगढ़ रोड पर स्थित राठी अस्पताल में काम करता था.

उस के साथ पुलिस ने जिन 2 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया, उन में नीतेश निवासी थाना निहारगंज, धौलपुर, राजस्थान तथा मोहित निवासी परौली, थाना करनलगंज गोंडा शामिल थे. जब उन तीनों से पूछताछ की गई, तो अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी.  डा. अभिषेक सिंह ने गौरव का अपहरण करने के लिए हनीट्रैप का इस्तेमाल किया था. यानी गौरव को पहले एक खूबसूरत लड़की के जाल में फंसाया गया था. जब गौरव खूबसूरती के जाल में फंस गया तो उस का फिरौती वसूलने के लिए अपहरण कर लिया गया.

मूलरूप से गोंडा के अचलपुर का रहने वाला डा. अभिषेक सिंह 2013-2014 में बेंगलुरु के राजीव गांधी यूनिवर्सिटी औफ हेल्थ साइंस से बीएएमएस की पढ़ाई करने के बाद जब अपने शहर लौटा तो उस के दिल में बड़े अरमान थे. डाक्टरी के पेशे से बहुत सारी कमाई करने और बड़ा सा बंगला बनाने के सपने देखे थे. लेकिन कुछ समय बाद ही ये सपने चकनाचूर होने लगे. अच्छी नौकरी नहीं मिली तो बन गया अपराधीउसे गोंडा के किसी भी अस्पताल में ऐसी नौकरी नहीं मिली, जिस से अच्छे से गुजरबसर हो सके. छोटेछोटे अस्पतालों में नौकरी करने के बाद तंग आ कर डा. अभिषेक 2018 में दिल्ली आ गया. यहां कई अस्पतालों में नौकरी करने के बाद वह सन 2019 में नजफगढ़ के राठी अस्पताल में नौकरी करने लगा.

हालांकि इस अस्पताल में उसे पहले के मुकाबले तो अच्छी तनख्वाह मिलती थी, लेकिन इस के बावजूद वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं था. इसी दौरान डा. अभिषेक की दोस्ती उसी अस्पताल में काम करने वाली एक लेडी डाक्टर प्रीति मेहरा से हो गई. प्रीति भी बीएएमएस डाक्टर थी. खूबसूरत और जवान प्रीति प्रतिभाशाली थी. उस के दिल में भी अपना अस्पताल बनाने की महत्त्वाकांक्षा पल रही थी. लेकिन इस सपने को पूरा करने में समर्थ नहीं होने के कारण अक्सर मानसिक परेशानी से घिरी रहती थी. जब अभिषेक से उस की दोस्ती हुई तो लगा कि वे दोनों एक ही मंजिल के मुसाफिर हैं. दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई.

दोनों के सपने भी एक जैसे थे, लाचारी भी एक जैसी थी. लेकिन सपनों को पूरा करने की धुन दोनों पर सवार थी. पिछली दीपावली पर नवंबर, 2019 में जब अभिषेक अपने घर गोंडा गया तो उस की मुलाकात अपनी बुआ के बेटे रोहित से हुई. बुआ की शादी बहराइच के पयागपुर इलाके में हुई थी. रोहित भी पयागपुर में ही रहता था. रोहित की जानपहचान मोहित सिंह से भी थी. मोहित सिंह गोंडा में रहने वाले अभिषेक के दोस्त राकेश सिंह का साला था. मोहित दिल्ली के करोलबाग की एक दुकान में काम करता है. रोहित भी मोहित को जानता है. रोहित व मोहित दोनों की जानपहचान एससीपीएम कालेज गोंडा से आयुर्वेदिक चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे गौरव हलधर से थी.

दोनों ही गौरव के अलावा उस के परिवार के बारे में भी अच्छी तरह से जानते थे. अभिषेक जब दीपावली पर अपने घर गया तो पयागपुर से बुआ का बेटा रोहित उस के घर आया हुआ था. रोहित के सामने अभिषेक का दर्द छलक गया. शराब पीने के बाद उस ने रोहित से यहां तक कह दिया कि अगर उसे चोरी, डाका या किसी का अपहरण भी करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगा. अभिषेक की बात सुनते ही रोहित का माथा ठनक गया. पहले तो उस ने अभिषेक को समझाना चाहा. लेकिन अभिषेक नहीं माना और बोला भाई बस तू एक बार किसी ऐसे शिकार के बारे में बता दे, जिस से मेरा सपना पूरा करने के लिए रकम मिल सकती हो.

अभिषेक नहीं माना तो रोहित ने उसे गौरव हलधर के बारे में बताया और उस के पूरे परिवार की जानकारी भी दे दी. रोहित ने अभिषेक को बताया कि डा. निखिल हलधर का बेटा गौरव गोंडा में ही फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा है. अगर किसी तरीके से उस का अपहरण कर लिया जाए तो फिरौती के रूप में बड़ी रकम मिल सकती है. डा. अभिषेक ने जब डा. प्रीति मेहरा को गौरव का अपहरण करने की अपनी योजना के बारे में बताया तो उस ने नाराजगी नहीं जताई बल्कि खुश हुई और उस ने ही अपनी तरफ से सुझाव दिया कि गौरव का अपहरण करने में वह खुद उस की मदद करेगी.

प्रीति ने अभिषेक को बताया कि एक जवान लड़के का अगर अपहरण करना हो तो किसी जवान लड़की को उस के सामने चारा बना कर डाल दो, वह खुदबखुद उस जाल में फंस जाएगा. अभिषेक से उस ने गौरव का नंबर देने के लिए कहा तो अभिषेक ने उसे रोहित से गौरव का नंबर ले कर दे दिया. इस के बाद डा. प्रीति मेहरा ने एक रौंग नंबर के बहाने गौरव को काल कर बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया. पहली ही बार में बात करने के बाद गौरव उस के जाल में फंस गया और दोनों का एकदूसरे से परिचय कुछ ऐसा हुआ कि उस दिन के बाद वे दोनों एकदूसरे से बात करने लगे.

प्रीति मेहरा वीडियो काल के जरिए जब गौरव से बात करती तो कई बार गौरव को अपने नाजुक अंग दिखा कर अपने लिए उसे बेचैन कर देती. दरअसल, साजिश के इस मुकाम तक पहुंचने से पहले डा. अभिषेक ने इसे अंजाम देने के लिए कुछ लोगों को भी अपने साथ जोड़ लिया था. करोलबाग में कपड़े की दुकान पर काम करने वाले मोहित को जब अभिषेक ने गौरव का अपहरण करने की योजना बताई और उस से मदद मांगी तो मोहित ने अभिषेक को अपने एक दोस्त  नितेश से मिलवाया. दरअसल, नितेश व मोहित एक ही जिम में व्यायाम करने के लिए जाते थे. इसीलिए दोनों के बीच दोस्ती थी. नितेश इंश्योरेंस कराने का काम करता था.

इंश्योरेंस के साथ वह लोगों के बैंक में खाते खुलवाने से ले कर उन्हें लोन दिलाने का काम करता था. इसीलिए फरजी आईडी से ले कर जाली आधार कार्ड व पैन कार्ड बनाने में उसे महारथ हासिल थी. मोहित ने उसे मोटी रकम मिलने का सब्जबाग दिखा कर अपहरण की इस वारदात में अपने साथ मिला लिया. इस के बाद नितेश ने 3 आईडी तैयार कीं और उन्हीं आईडी के आधार पर उस ने 3 सिमकार्ड खरीदे. फरजी आईडी से खरीदे गए तीनों सिम कार्ड डा. प्रीति मेहरा, डा. अभिषेक व मोहित ने अपने पास रख लिए. डा. प्रीति ने तो अपने सिम कार्ड का इस्तेमाल गौरव हलधर से दोस्ती करने के लिए शुरू कर दिया. लेकिन अभिषेक व मोहित ने अपहरण करने से चंद रोज पहले ही अपने सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था.

प्रीति मेहरा ने गौरव को अपने प्रेमजाल में इस तरह फंसा लिया कि वह उस के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था. जब सब ने यह देख लिया कि शिकार जाल में फंसने का तैयार है तो प्रीति ने गौरव को वाट्सऐप मैसेज दिया कि वह 18 जनवरी को उस से मिलने गोंडा आ रही है. रोहित भी उस समय दिल्ली आया हुआ था. दिल्ली से स्विफ्ट डिजायर कार ले कर डा. अभिषेक, डा. प्रीति मेहरा, मोहित, रोहित व नितेश गोंडा पहुंच गए. गोंडा पहुंचने से पहले रोहित बहराइच में ही उतर गया. इधर गोंडा पहुंच कर डा. प्रीति ने एक राहगीर से किसी बहाने फोन ले कर गौरव को मिलने के लिए फोन किया और उस के कालेज से एक किलोमीटर दूर एक जगह पर बुलाया.

प्रीति मेहरा का रंगीन वार प्रीति के मोहपाश में फंसा गौरव वहां चला आया. गौरव को प्रीति ने अपने साथ कार में बैठा लिया, जहां बैठे बाकी अन्य लोगों ने उसे दबोच कर नशे का इंजेक्शन दे दिया. इस के बाद वे गोंडा से चल दिए. उन की योजना गौरव को संतकबीर नगर के खलीलाबाद में रहने वाले सतीश के घर पर छिपाने की थी. वे वहां पहुंच भी गए, लेकिन बाद में इरादा बदल दिया और कुछ ही देर में कार से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. 18 जनवरी की रात को ही दिल्ली पहुंच गए. रास्ते में गाजियाबाद के पास उन्होंने गौरव के फोन से गौरव के पिता निखिल को फिरौती के लिए पहला फोन कर 70 लाख की फिरौती की मांग की.

इसके बाद उन्होंने गौरव को अभिषेक के बक्करवाला स्थित डीडीए फ्लैट में छिपा दिया. नितेश या मोहित उसे खाना देने जाते थे और डा. अभिषेक व प्रीति उसे लगातार नशे के इंजेक्शन देते थे ताकि वह होश में आ कर शोर न मचा दे. उन लोगों ने कई बार गौरव के साथ मारपीट भी की. इधर रोहित ने जब गोंडा व बहराइच में गौरव के अपहरण कांड को ले कर छप रही खबरों के बारे में अभिषेक को बताया कि पुलिस की एक टीम दिल्ली में गौरव की तलाश कर रही है तो अभिषेक ने गौरव को अपने फ्लैट से कहीं दूसरी जगह रखने की योजना बनाई.

इसीलिए डा. अभिषेक मोहित व नितेश के साथ 21 जनवरी की रात को गौरव को बेहोशी का इंजेक्शन दे कर उसे कार से ले कर ग्रेटर नोएडा जा रहा था, तभी पुलिस ने सर्विलांस के जरिए उन की लोकेशन का पता लगा कर उन्हें दबोच लिया. नितेश के पिता व गोंडा पुलिस के नोएडा पहुंचने के बाद एसटीएफ ने उन्हें  गोंडा पुलिस के हवाले कर दिया. इधर पुलिस को जब इस में रोहित व सतीश नाम के 2 और लोगों के शामिल होने की खबर लगी तो गोंडा पुलिस की टीम ने दबिश दे कर उसी रात रोहित व सतीश को भी गिरफ्तार कर लिया.

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की खबर पा कर डा. प्रीति फरार हो चुकी थी. उस की तलाश में एसटीएफ और गोंडा पुलिस ने कई जगह छापे मारे, लेकिन वह पुलिस की पकड़ में नहीं आई. गोंडा पुलिस ने प्रीति की गिरफ्तारी पर 25 हजार के इनाम की घोषणा की थी. जिस के बाद गोंडा पुलिस ने 1 फरवरी को प्रीति को उस के गांव धौर जिला झज्जर, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया. मूलरूप से हरियाणा की प्रीति मेहरा वर्तमान में दिल्ली के प्रेमनगर में रहती थी. फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं. कैसी विडंबना है कि सालों की मेहनत के बाद डाक्टर बनने वाले अभिषेक व प्रीति अपने अधूरे ख्वाब को पूरा करने के लिए शार्टकट से पैसा कमाने के चक्कर में जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए.

डीजीपी ने फिरौती के लिए हुए अपहरण कांड का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली गोंडा पुलिस की टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है.

—कथा पुलिस की जांच, पीडि़त व अभियुक्तों के बयान पर आधारित

 

Jharkhand News : 10 दिन तक सिर कटी लाश बनी रही रहस्य, आखिर किसकी थी

Jharkhand News : युवावस्था में किसी लड़की के कदम बहक जाएं तो उसे सही रास्ते पर लाना कोई आसान नहीं होता. मोहम्मद जमशेद ने बहकी हुई बेटी सुफिया को सही रास्ते पर लाने की लाख कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी. इस का नतीजा जो निकला वह…

झारखंड की राजधानी रांची के थाना ओरमांझी स्थित साई यूनिवर्सिटी के परिसर में छात्र चहलकदमी कर रहे थे. घूमते हुए कुछ छात्र विश्वविद्यालय के पीछे स्थित जीराबेर जंगल में मस्ती करने पहुंच गए थे. जंगल में वे इधरउधर घूमते हुए जब इस के बीचोबीच पहुंचे तो वहां एक महिला की सिरकटी नग्न लाश देख कर चौंक गए. वे उसी क्षण उलटे पांव दौड़ते हुए विश्वविद्यालय के कैंपस पहुंचे. धौंकनी के समान उन की सांसें तेजतेज चल रही थीं. थोड़ी देर बाद जब वे सामान्य हुए तो उन्होंने लाश वाली बात अपने दोस्तों को बता दी.

जिस ने भी यह खबर सुनी, वह चौंके बिना नहीं रह पाया था. मुंहमुंह होते हुए यह खबर विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंच गई थी. कैंपस के पीछे लाश की सूचना मिलते ही प्रशासनिक भवन में हड़कंप मच गया. सूझबूझ का परिचय देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने घटना की जानकारी ओरमांझी थाने के थानाप्रभारी श्याम किशोर महतो को दे दी. विश्वविद्यालय कैंपस के पीछे जीराबेर जंगल में सिरकटी लाश की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी श्याम किशोर महतो चौंक गए. फिर वह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

उन के साथ एसआई जयप्रकाश दास, संजय दास और 3 सिपाही थे. मौके पर पहुंच कर महिला की सिर कटी नग्न लाश का निरीक्षण किया. हत्यारों ने युवती की बर्बरतापूर्वक हत्या की थी. गहनतापूर्वक छानबीन करने पर पता चला कि हत्यारों ने युवती के गुप्तांग पर धारदार हथियार से कई वार किए थे और सिर भी काट कर साथ लेता गया था. क्योंकि पुलिस ने जंगल की छानबीन की थी, लेकिन मृतका का सिर कहीं नहीं मिला था. थानाप्रभारी श्यामकिशोर महतो ने दिल दहला देने वाली इस घटना की सूचना एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, एसपी (ग्रामीण) नौशाद अली और डीएसपी चंद्रशेखर आजाद को भी दे दी थी.

सूचना पा कर पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच चुके थे. अधिकारियों ने भी मौके का मुआयना किया. लाश के पास से शराब की कुछ शीशियां भी पाई गई थीं. इस से यही अनुमान लगाया जा रहा था हत्यारों ने युवती के साथ दुष्कर्म करने के पश्चात अपनी पहचान छिपाने के लिए हत्या कर दी होगी और सिर काट कर अपने साथ ले गया होगा और कहीं छिपा दिया होगा. इसलिए लाश की पहचान नहीं हो पाई थी. थानाप्रभारी श्यामकिशोर महतो ने मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए रिम्स अस्पताल भिजवा दी और अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 324, 201, 120बी भादंसं के तहत मुकदमा दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. यह बात 3 जनवरी, 2021 की है.

अगले दिन रांची के सभी स्थानीय अखबारों ने इस घटना को प्रमुखता से छापा. अखबार में छपी खबर पढ़ कर एक दंपति ने ओरमांझी थाने पहुंच कर थानाप्रभारी से मुलाकात की. थानाप्रभारी ने जब दंपति को अस्पताल ले जा कर वह सिरकटी लाश दिखाई तो दंपति ने उस की शिनाख्त अपनी बेटी के रूप में कर ली. तब पुलिस ने थोड़ी राहत की सांस ली. सोचा कि मृतका की शिनाख्त हो गई है तो हत्या की वजह भी सामने आ ही जाएगी. लेकिन अगले दिन हैरान करने वाली बात सामने आई. जिस दंपति ने सिरकटी लाश को अपनी बेटी के रूप में पहचाना था, उन की बेटी जिंदा घर लौट आई थी.

पता चला कि वह अपने घर से भाग कर शहर में छिप कर अपने प्रेमी के साथ कई दिनों से रह रही थी. जब मामला बिगड़ता देखा तो वह मांबाप के सामने आ गई थी. मतलब साफ था कि मृतका उस दंपति की बेटी नहीं थी तो वह कौन थी? यह पुलिस के लिए अबूझ पहेली बन गई. उसी दिन लाश की शिनाख्त के लिए एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने 25 हजार रुपए का ईनाम रख दिया. यह भी ऐलान कर दिया था पता बताने वाले की पहचान छिपा कर रखी जाएगी. 2 दिन बीत जाने के बावजूद भी न तो मृतका की शिनाख्त हो सकी थी और न ही उस के बारे में कोई सूचना ही मिली. जबकि एसएसपी ने इस केस के खुलासे के लिए 2 टीमें गठित कर दी थीं और मुखबिर भी लगा दिए थे. बावजूद इस के पुलिस के हाथ खाली थे.

तो आईजी (रांची) ने ईनाम की रकम 25 हजार रुपए से बढ़ा कर 50 हजार कर दी. फिर 2 दिनों बाद 8 जनवरी को शासन स्तर से ईनाम की यह रकम 50 हजार से बढ़ा कर सीधे 5 लाख रुपए कर दी गई. लाश की पहचान के लिए ओरमांझी पुलिस ने जिले के सभी शहरी और ग्रामीण इलाके के थानों से पता करा लिया था कि 2 जनवरी के पहले किसी थाने में किसी युवती के गुम होने की कोई रिपोर्ट तो नहीं दर्ज है? लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. किसी थाने में किसी युवती की गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं थी. पुलिस जहां से चली थी वहीं आ कर खड़ी हो गई.

कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था कि लाश की पहचान कैसे कराई जाए. 10 जनवरी, 2021 की दोपहर में चान्हों थाने के चटवल के रहने वाली राबिया परवीन और मोहम्मद जमशेद नाम के एक वृद्ध दंपति रिम्स अस्पताल पहुंचे. अखबारों के माध्यम से उन्हें पता चला था कि 2 जनवरी को जीराबेर जंगल में 18 से 22 साल के बीच एक युवती की सिर कटी लाश बरामद हुई थी. जिस दिन लाश बरामद हुई थी, उस के 2 दिन पहले से उन की ब्याहता बेटी सुफिया परवीन अपनी ससुराल चंदवे, थाना पिठौरिया से रहस्यमय तरीके से गायब थी. अपने दामाद शेख बिलाल से जमशेद ने कई बार फोन कर के बेटी के बारे में पूछा भी, लेकिन उस ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया.

मोहम्मद जमशेद और उस की पत्नी राबिया परवीन ने अपने स्तर से संबंधियों और रिश्तेदारों सभी से पता लगा लिया. न तो सुफिया वहां गई थी और न ही उस का फोन काम कर रहा था. सुफिया का फोन लगातार बंद आ रहा था. जमशेद ने अखबारों में जब से सिरकटी लाश के बारे में पढ़ा था, तब से उसे देखने के लिए परेशान और बेचैन था. यही सोच कर वह पत्नी को ले कर 10 जनवरी के दोपहर में रिम्स अस्पताल पहुंचे थे. मोहम्मद जमशेद और राबिया परवीन लाश को देखते ही पहचान गए. लाश उन की बेटी सुफिया परवीन की ही थी, जो पिछले 14 दिनों से अपनी ससुराल चंदवे से गायब थी. राबिया परवीन ने लाश के दाईं पैर पर जले के निशान से उस की पहचान की थी.

दरअसल, सुफिया बचपन में आग से बुरी तरह झुलस गई थी. इलाज के बाद सुफिया के जख्म तो भर गए थे लेकिन दाग अभी भी मौजूद थे. लाश की पहचान होते ही थानेदार श्याम किशोर महतो ने दंपति को थाने बुलाया और दोनों से जानकारी हासिल की. मोहम्मद जमशेद के बयान के आधार पर पुलिस की नजरों में दोषी के रूप में उन का दामाद शेख बिलाल चढ़ गया. पुलिस ने मोहम्मद जमशेद से शेख बिलाल की तसवीर मांगी. अगले दिन मोस्टवांटेड के रूप में शेख बिलाल की तसवीर जिले के हर थाने में चस्पा करा दी और अखबारों में भी प्रकाशित करा दी. पता बताने वालों को ईनाम देने की भी घोषणा कर दी थी.

11 जनवरी को मोहम्मद जमशेद ने दामाद शेख बिलाल के बारे में पुलिस को जो जानकारी दी थी, उसी आधार पर पुलिस ने चंदवे स्थित गांव उस के मकान पर जा कर दबिश दी. घर पर शेख बिलाल की पत्नी शब्बो खातून और उस का नाबालिग बेटा मिला. दोनों से पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि शेख बिलाल 2 जनवरी से ही घर से गायब है. इस पर पुलिस का शक पुख्ता हो गया कि सुफिया का कत्ल उसी ने किया है, तभी वह घर से फरार है. शब्बो खातून और उस के बेटे से पूछताछ में पुलिस को उन दोनों पर शक हो गया था कि जरूर सुफिया की हत्या की जानकारी दोनों को थी, लेकिन वे कुछ भी नहीं बता रहे थे.

इसी शक के आधार पर पुलिस सिर्फ शब्बो को हिरासत में ले कर थाने ले आई और वहां उस से गहन पूछताछ की. शब्बो पहले नानुकुर करती रही. अंतत: पुलिस के बारबार पूछने पर वह टूट गई और कबूल कर लिया कि उसे अपनी सौतन सुफिया परवीन की हत्या की जानकारी पहले से थी. उस का पति शेख बिलाल ही सुफिया परवीन का कातिल है, उसी ने उस का सिर काट कर घर से 2 किलोमीटर दूर अपने खेत में गड्ढा खोद कर दफना दिया था. शब्बो खातून के मुंह से इतना सुनते ही थानाप्रभारी श्यामकिशोर चौंक गए. फिर तो वह रट्टू तोते की तरह पूरी कहानी उगलती गई. पूरी कहानी सुनने के बाद वह अपना चेहरा हथेलियों बीच छिपा कर सुबकने लगी और पुलिस अधिकारियों से माफी मांगने लगी.

इस के बाद मजिस्ट्रैट की उपस्थिति में पुलिस शब्बो खातून को ले कर चंदवे गांव में स्थित उस खेत में गई जहां सुफिया का कटा सिर दफनाया गया था. पुलिस के पैरों तले से जमीन तब खिसक गई थी जब सिर के इर्दगिर्द बड़ी मात्रा में नमक मिला. हत्यारे शेख बिलाल का तर्क था कि पुलिस उस के गुनाहों से कभी परदा नहीं उठा पाएगी. जब तक उस के गिरेहबान पर हाथ डालेगी तब तक वारदात का नामोनिशान मिट चुका होगा. लेकिन पुलिस ने उस के मंसूबों पर पानी फेर दिया. 10 दिनों से रहस्य बनी सिर कटी लाश की शिनाख्त सुफिया परवीन के रूप में हो गई थी.

सौतन सुफिया की हत्या का राज छिपाने के जुर्म में पुलिस ने शब्बो खातून को गिरफ्तार कर लिया और उस के पति शेख बिलाल की तलाश में उस के ठिकानों पर दबिश दी. 2 दिनों की मेहनत ने अपना रंग दिखाया. आखिरकार 14 जनवरी, 2021 को शेख बिलाल अपने इलाके से उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वह भागने की फिराक में रोड पर खड़ा हुआ बस का इंतजार कर रहा था. गिरफ्तार कर पुलिस उसे थाने ले आई. सुफिया हत्याकांड के मुख्य आरोपी शेख बिलाल के गिरफ्तार होते ही थानाप्रभारी श्यामकिशोर ने पुलिस अधिकारियों को सूचना दे दी थी.

एसपी (ग्रामीण) नौशाद अली थोड़ी देर में ओरमांझी थाने पहुंच गए और हत्या के संबंध में आरोपी शेख बिलाल से कड़ाई से पूछताछ शुरू की. बिना हीलाहवाली के शेख बिलाल ने अपना जुर्म कबूल कर लिया कि उसी ने प्रेमिका से दूसरी पत्नी बनी सुफिया परवीन की हालात के हाथों मजबूर हो कर हत्या की थी. फिर उस ने सुफिया से प्यार से ले कर हत्या तक की पूरी कहानी पुलिस को बता दी. उस के बाद पुलिस उसे हिरासत में ले कर वहां गई, जहां सुफिया परवीन की हत्या कर के लाश फेंकी थी. फिर पुलिस उसे वहां ले कर गई, जहां सुफिया का सिर काट कर जमीन के भीतर दफनाया था.

उस के बाद उसी दिन घर ले जा कर शेख बिलाल ने हत्या में प्रयुक्त धारदार हथियार खून में सना दाउली बरामद करा दिया. पुलिस ने दाउली अपने कब्जे में ले लिया और आरोपी को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. क्रूर हत्यारा शेख बिलाल ने सुफिया परवीन की हत्या की जो कहानी पुलिस को बताई, वह कुछ ऐसे सामने आई है—

21 वर्षीय सुफिया परवीन मूलरूप से राजधानी रांची के थाना चान्हों के चटवल इलाके की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम मोहम्मद जमशेद और मां का नाम राबिया परवीन था. जमशेद और राबिया की 6 बेटियों और 3 बेटों में वह पांचवें नंबर की थी. प्राइवेट नौकरी कर के जमशेद इतना कमा लेता था जिस से वह अपना और अपने परिवार का भरणपोषण कर लेता था. बच्चों में बेटियां सब से बड़ी थीं. पुराने खयालातों वाला जमशेद बेटियों को नौकरी के लिए कहीं बाहर जाने नहीं देता था. वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है. समाज में इज्जत ही बेटियों का गहना होती है, जिसे जितना ढक कर रखा जाए वह उतनी पाकीजा रहती है.

इसलिए वह अपनी छोटी सी कमाई में परिवार को खुश रखने की हरसंभव कोशिश करता था, ताकि आधुनिक भौतिक वस्तुओं की चकाचौंध में वे बहकने न पाएं. मोहम्मद जमशेद की सभी संतानों में सुफिया परवीन अलग किस्म की लड़की थी. औसत कदकाठी और गोरे रंग की सुंदर सुफिया चंचल मन और स्वच्छंद खयालातों वाली लड़की थी. सुफिया ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ दी थी, क्योंकि उस का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था. जमशेद ने 4 बेटियों के हाथ पीले कर दिए थे. मजे से उस की गृहस्थी चल रही थी. अब अच्छा सा घरवर देख कर सुफिया के हाथ पीले करा दे तो एक और बेटी की जिम्मेदारी में रह जाएगी.

जमशेद बेटी की शादी के बारे में पत्नी से विचारविमर्श कर रहा था कि सुफिया के कोरे मन पर मोहब्बत की सुनहरी स्याही से खालिद ने अपनी मोहब्बत की दास्तान लिख दी. अब सुफिया के अस्तित्व पर खालिद का पूरा कब्जा था. दोनों ही एकदूसरे से बेपनाह प्यार करते थे. सुफिया और खालिद के दिलों में मोहब्बत की मीठी उमंग उस समय पनपी थी, जब दोनों की आंखें चार हुई थीं. बलसोकरा गांव निवासी खालिद की शादी सुफिया के घर के बगल में रहने वाली फातिमा से हुई थी. पड़ोसी होने के नाते प्यारी सहेली फातिमा से मिलने सुफिया उस के घर जाती थी. आतेजाते फातिमा के पति खालिद की नजरें सुफिया के हुस्न से टकराईं तो वह उस की जवानी की तीखी तलवार से घायल हो गया था.

उसी दिन उसे पाने की हसरत अपने मन में ठान ली. फातिमा की अजीज सहेली होने के नाते सुफिया से खालिद ने मजाकमजाक में साली का रिश्ता जोड़ लिया था. उसी रिश्ते की आड़ में वह उस से अश्लील मजाक करने लगा. खालिद का मजाक करना सुफिया को अच्छा लगता था. खालिद की चिकनीचुपड़ी और मीठी बातों से उस रोमरोम खिल उठता था. उस के मन को गहराई तक गुदगुदाता था. धीरेधीरे सुफिया खालिद की ओर खिंचती गई और उस की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गई थी. यह जानते हुए भी कि खालिद उस की प्यारी सहेली फातिमा का शौहर है, फिर भी सुफिया ने सहेली के पति पर बुरी नजर डाल कर उसे अपने हुस्न के मकड़जाल में कैद कर लिया था.

मोहब्बत की आग में जलते दीवानों ने एकदूसरे के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाईं और एकदूसरे के साथ अपने घरौंदे बसाने के हसीन ख्वाब देखे. खालिद के बिना जीवन अधूरा समझने वाली सुफिया घटना से 10 महीने पहले फरवरी, 2020 में घर छोड़ कर खालिद के साथ भाग गई और दिल्ली जा कर उस के साथ निकाह कर लिया. न जाने सुफिया की हंसतीखेलती गृहस्थी में किस की बुरी नजर लगी कि उस के प्यार का घरौंदा रेत के महल की तरह भरभरा कर ढह गया. खालिद और सुफिया के बीच 2 महीने तक सब कुछ इसी तरह चलता रहा. धीरेधीरे सुफिया के सिर से खालिद की मोहब्बत का जूनुन पूरी तरह उतर गया था.

उन दोनों के बीच में कड़वाहट ने अपना कब्जा जमा लिया था. नए जमाने के खयालातों में जीने वाली सुफिया को पति की बंदिशें अखरने लगीं तो उन के बीच में टकराहट ने पांव जमा लिए थे. अब खालिद के साथ रहना उसे एक पल गवारा नहीं था, लिहाजा सुफिया खालिद को छोड़ कर दिल्ली से अपने मायके चटवल (रांची) आ गई थी. सुफिया ने जो किया था, वह माफी के लायक नहीं था, लेकिन उसे बुरा सपना समझ कर उस के नेकदिल मांबाप ने बेटी को माफ कर घर में जगह दे दी थी. उन का सोचना था सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते, फिर वह तो उस का अपना खून है, लड़की है, कहां जाएगी.

बेटी के बातव्यवहार और विचारों में बदलाव देख कर मांबाप धीरेधीरे सब कुछ भूलते गए. सुफिया भी खुद को बदलने में जुट गई थी. लेकिन यह सब उस का सिर्फ दिखावा था. मोहब्बत के जिस भंवर से वह अभीअभी बाहर निकली थी, फिर उस के पांव उसी भंवर में जा फंसे थे. सुफिया दिल के हाथों एक बार फिर मजबूर हो गई थी. इस बार उस का दिल खालिद के मामू के शादीशुदा बेटे शेख बिलाल पर आ गया था. कसरती और सुडौल बदन वाले साधारण शक्लसूरत के शेख बिलाल को जब से देखा था, उस दिन से ही उस पर मर मिटी थी.

शेख बिलाल भी सुफिया को देख कर उस पर फिदा था. किसी का भी दिल उस पर आ सकता था. सुफिया को देख कर शेख बिलाल अपने होशोहवास खो बैठा था और उस से प्यार करने लगा था, हालांकि दोनों के दरमियान करीब 14-15 साल का फासला था. कहते हैं प्यार अंधा होता है, न उम्र देखता है न जातपात, बस हो जाता है. सुफिया के साथ भी ऐसा हुआ था. 40 वर्षीय शेख बिलाल मूलरूप से रांची जिले के चंदवे गांव का रहने वाला था. वह पहले से शादीशुदा था. उस की पत्नी शब्बो खातून उर्फ अफसाना थी और एक 14 साल का बेटा भी. शेख बिलाल अपराधी किस्म का था. जिले के कई थानों में उस के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे. वह कई मामलों में वांछित भी था.

खैर, धीरेधीरे सुफिया और शेख बिलाल का प्यार जवां हो रहा था. बेटी के दोबारा फिसलते कदम की जानकारी जब सुफिया के मांबाप को हुई तो उन्हें उस की करतूत पर यकीन नहीं हुआ. फिर भी मांबाप ने उसे समझाने की कोशिश की. सुफिया के सिर पर शेख बिलाल के इश्क का भूत सवार था. उस के प्यार में इस कदर डूब चुकी थी कि शेख के अलावा उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, मांबाप की तो बात ही छोड़ दीजिए. मांबाप ने जब देखा कि बेटी को समझाने का उस पर कोई असर नहीं हो रहा है तो उसे उस के हाल पर छोड़ दिया. इधर शेख बिलाल ने सुफिया से अपनी शादीशुदा जिंदगी की कहानी छिपा रखी थी और यह भी छिपा रखा था कि वह एक बेटे का बाप है.

बहरहाल, सितंबर, 2020 में दोनों ने निकाह कर लिया. निकाह के बाद शेख बिलाल सुफिया को अपने घर लाया और जब उसे उस की शादीशुदा जिंदगी के बारे में पता चला तो उस ने घर में तूफान खड़ा कर दिया. उस ने पति से कह दिया कि घर में या तो वह रहेगी या उस की सौतन शब्बो. उसे दोनों में से किसी एक को चुनना होगा. असमंजस के भंवर में डूबा शेख बिलाल फैसला नहीं कर पा रहा था कि वह क्या करे. क्योंकि सुफिया का रौद्र रूप देख कर वह डर गया था. वह दोनों में से किसी को भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं था इसलिए सब कुछ हालात पर छोड़ दिया.

इधर सुफिया सौतन शब्बो को घर से निकालने की अपनी जिद पर अड़ी हुई थी. सुफिया की जिद ने शेख बिलाल की हंसतीखेलती गृहस्थी को अखाड़ा बना दिया था. शब्बो को ले कर दोनों के बीच घर में रोज झगड़े होने लगे थे. पति के सामने सुफिया ने एक शर्त रख दी. वह शर्त यह थी कि शब्बो को नहीं छोड़ सकते तो मेरे रहने का कहीं और इंतजाम कर दो या तो मुझे पैसे दे दो, जिस से मैं कहीं अलग रह लूं. शेख बिलाल सुफिया की किसी भी शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं हुआ. जब सुफिया ने जिद की तो गुस्से में उस ने सुफिया को लातघूंसों से खूब मारा.

पति की पिटाई से सुफिया अंदर तक हिल गई. दोनों के बीच का प्रेम अब नफरत का रूप ले चुका था और नौबत मरनेमारने की आ गई थी. पति की पिटाई से आहत सुफिया ने पति को सबक सिखाने के लिए पिठौरिया थाने में दहेज उत्पीड़न और मारपीट का मुकदमा दर्ज करा दिया. उस की लिखित शिकायत पर पुलिस ने शेख बिलाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. शेख बिलाल ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उस की ही पत्नी उस के साथ ऐसा कर सकती है. उस के इस दुस्साहस से बिलाल नफरत से बिलबिला उठा और उस ने सुफिया को सजा देने की ठान ली. इधर सुफिया पति को जेल भिजवाने के बावजूद उसी के घर में सीना ताने डटी रही, तनिक भी डरी नहीं.

उस के डर से सौतन शब्बो खातून और नाबालिग बेटे की घिग्घी बंध गई थी. मांबेटे दोनों घर में डरडर कर रहते रहे और शब्बो पति की जमानत की तैयारी में जुट गई थी. महीना भर जेल में रहने के बाद शेख बिलाल जमानत पर छूट कर घर आया तो सुफिया को देख कर उस का खून खौल उठा. वह उसे अपने घर में एक पल के लिए बरदाश्त नहीं कर पा रहा था. उस का चेहरा देखते ही उसे जेल की सलाखें याद आ रही थी. उस ने सोच लिया था कि उसे अब क्या करना है. शेख बिलाल ने पहली पत्नी शब्बो खातून के साथ मिल कर एक खतरनाक योजना बनाई. योजना सुफिया को रास्ते से हटाने की थी.

पति का साथ देने के लिए वह तैयार हो गई. पहले उसे रास्ते से हटाने के लिए गोली मार कर हत्या करने की योजना बनाई. इस के लिए उस ने एक कट्टा भी खरीद लिया था लेकिन बाद में उस ने अपनी योजना बदल दी. वह कुछ ऐसा करना चाहता था कि न तो लाश को पुलिस पहचान सके और न ही पुलिस कभी उस तक पहुंच सके, एकदम फूलप्रूफ योजना बनाना चाहता था और ऐसी ही योजना बनाई भी. योजना के अनुसार, शेख बिलाल भले ही सुफिया से नफरत करता था लेकिन जानता था कि जब तक वह सुफिया का भरोसा नहीं जीतेगा, तब तक उस की योजना सफल नहीं हो सकती है. षडयंत्र सफल बनाने के लिए उस ने एक चाल चली.

बिलाल ने सुफिया से माफी मांग कर उस का दिल जीत लिया. उस ने उसे भरोसा दिलाया कि वह जो चाहती है, वह वही करेगा. इस के लिए उसे उस का साथ देना होगा. इस पर खुश हो कर सुफिया साथ देने के लिए तैयार हो गई. वह चाहती थी कि उस की सौतन शब्बो जल्दी से जल्दी उस के रास्ते से हट जाए ताकि पति पर उस का पूरा अधिकार हो जाए. चिडि़या को फंसाने के लिए जाल पर शेख बिलाल ने जो दाना डाला था, उस का निशाना एकदम सही जगह पर बैठ गया था. उस ने पत्नी को धीरे से इशारा कर दिया कि शिकार जाल में पूरी तरह से फंस चुकी है, उसे रास्ते से हटाने की देरी है.

तय योजना के मुताबिक, 2 जनवरी, 2021 को शेख बिलाल ने विश्वास में ले कर सुफिया से यह कहा कि आज रात शब्बो का काम तमाम करना है तो सुफिया ने अपनी ओर से हरी झंडी दे दी और खुश भी थी. उस के बाद वह पूरी तैयारी के साथ रात साढ़े 10 बजे के करीब शब्बो खातून और सुफिया परवीन को मोटरसाइकिल पर बैठा कर जीराबेर जंगल की ओर ले गया. बीच में सुफिया बैठी थी, पीछे शब्बो और शेख बिलाल मोटरसाइकिल चला रहा था. जंगल में जैसे ही तीनों बाइक से नीचे उतरे और शेख बिलाल ने बाइक स्टैंड के सहारे खड़ी की, तब तक शब्बो सुफिया पर भेडि़ए की तरह झपटी तो पलट कर शेख भी उस पर झपट पड़ा और उसे जमीन पर पटक दिया.

फिर गला दबा कर सुफिया को मौत के घाट उतार दिया. उस के बाद साथ लाए धारदार हथियार से सिर काट कर धड़ से अलग कर दिया. इस से भी जब उस का मन नहीं भरा तो उस ने सुफिया के सारे कपड़े उतार लिए ताकि उस की पहचान न हो सके. फिर उसी धारदार हथियार से उस के गुप्तांग पर कई वार किए और अपने मन की भड़ास निकाली. सुफिया को मौत के उतारने के बाद शेख बिलाल शब्बो को बाइक पर बिठा कर कपड़े और कटा सिर साथ लेता गया. करीब ढाई किलोमीटर दूर जा कर अपने खेत पर रुका और खेत में 4 फीट गहरा गड्ढा खोद कर सिर दफना दिया और उस पर बड़ी मात्रा में नमक डाल दिया ताकि सिर मिट्टी में गल जाए और पुलिस के हाथों कोई सबूत न लगे.

उस के बाद सुफिया के सारे कपड़े जला दिए और आखिरी सबूत भी नष्ट कर दिया. यह सब करने के बाद घर जा कर दोनों पतिपत्नी आराम से सो गए. उस ने सोचा था कि सबूत के बिना पुलिस उस तक पहुंच नहीं सकेगी, लेकिन उस की यह सोच गलत साबित हुई. शेख बिलाल ने फूलप्रूफ योजना बनाई थी. लेकिन सुफिया के मांबाप ने बेटी की लाश पहचान कर उस की योजना पर पानी फेर दिया और उस के असल ठिकाने पहुंच गया. सुफिया की हत्या में पति के साथ शब्बो खातून भी थी, इसलिए उसे भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक दोनों जेल में बंद थे. सुफिया की हत्या का जेल में बंद शेख बिलाल को तनिक भी मलाल नहीं था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

UP News : पत्रकार आशु यादव हत्याकांड – बेवफा प्रेमिका निकली कातिल की मास्टरमाइंड

UP News : बहकी हुई महिला के कदम अकसर किसी अपराध को जन्म देते हैं. एक पुलिसकर्मी की बेटी दीपिका शुक्ला ने पति बल्ली शुक्ला और 2 बेटियों को छोड़ कर अवनीश शर्मा से शादी कर ली. इस के बाद हिस्ट्रीशीटर और कथित पत्रकार आशू यादव से उस के अनैतिक संबंध हो गए. फिर वह अमित के संपर्क में आई. इस का नतीजा यह हुआ कि…

2 जनवरी, 2021 की सुबह धर्मेंद्र नगर, कच्ची बस्ती के कुछ लोग मार्निंग वाक पर निकले तो उन्होंने सीटीआई नहर किनारे सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल की बाउंड्री वाल के पास एक लावारिस कार खड़ी देखी. स्थानीय लोगों में चर्चा शुरू हुई, तो लोगों की भीड़ जुट गई. इसी बीच किसी ने फोन कर के थाना बर्रा पुलिस को सूचना दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने कार का बारीकी से निरीक्षण किया. कार के शीशों पर काली फिल्म चढ़ी थी, जिस से अंदर का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था.

कार के पिछले शीशे पर एक स्टिकर चिपका था, जिस पर लिखा था ‘अमर स्तंभ हिंदी दैनिक समाचार पत्र’ आशू यादव संवाददाता. स्टिकर पर ‘पुलिस’ और मोबाइल नंबर भी लिखा था. हरमीत सिंह ने अनुमान लगाया कि कार किसी पत्रकार की हो सकती है. उन्होंने स्टिकर पर लिखा मोबाइल नंबर मिलाया, लेकिन वह बंद था. कार के अंदर की स्थिति को जानने के लिए हरमीत सिंह ने कार का पिछला दरवाजा खोला, तो वह सहम गए. पिछली सीट पर एक युवक की लाश पड़ी थी. हरमीत सिंह ने लावारिस कार से शव बरामद होने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो मौके पर एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल, एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा सीओ (गोविंद नगर) विकास कुमार पांडेय आ गए.

पुलिस अधिकारियोें ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से कार तथा शव का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. उस के शरीर पर चोटों के निशान थे और गले पर रगड़ का निशान था. इस से अनुमान लगाया कि युवक की हत्या रस्सी से गला घोंट कर की गई होगी. हत्या से पहले संभवत: उस के साथ मारपीट भी की गई थी. फोरैंसिक टीम ने कार से फिंगरप्रिंट लिए तथा अन्य साक्ष्य जुटाए. कार की तलाशी में शराब की एक खाली बोतल, 4 शिकायती पत्र, 2 माइक, आगे की सीट के नीचे प्लास्टिक बैग में 2 टेडीबियर, कोटी, फोटो लगे कई स्टिकर तथा मृतक की जेब से 300 रुपए बरामद हुए. इस सामान को पुलिस ने जाब्ते में ले लिया.

अब तक शव को सैकड़ों लोग देख चुके थे, लेकिन कोई उस की पहचान नहीं कर पाया था. जिस से पुलिस अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि मृतक आसपास का नहीं है. अत: उन्होंने शव की पहचान कराने के लिए कानपुर शहर के सभी थानों को कंट्रोलरूम से अज्ञात लाश मिलने के संबंध में सूचना प्रसारित करा दी. कुछ देर बाद ही थाना रेलबाजार के थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल को सूचना दी कि उन के थाने में आशू यादव नाम के युवक की गुमशुदगी दर्ज है, जो कथित पत्रकार तथा हिस्ट्रीशीटर है. चूंकि कार में लगे पोस्टर में भी आशू यादव का नाम छपा था, अत: एसपी अग्रवाल ने दधिबल तिवारी को आदेश दिया कि वह आशू के घरवालों को साथ ले कर जल्द ही धर्मेंद्र नगर कच्ची बस्ती स्थित नहर की पटरी पर पहुंचें.

आदेश पाते ही दधिबल तिवारी ने आशू यादव के घरवालों को सूचना दी, फिर उन्हें साथ ले कर वहां पहुंच गए. घरवालों ने कार में पड़े शव को देखा तो वे फफक कर रो पड़े. कंचन, शानू, धर्मेंद्र तथा जितेंद्र ने बताया कि शव उन के भाई आशू यादव का है. कार भी उसी की है. रात से लापता था मृतक की बहन शानू व कंचन ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि 31 दिसंबर की रात डेढ़ बजे किसी का फोन आने पर आशू अपनी कार ले कर घर से निकला था, फिर रात को वापस नहीं आया. आशू अपने पास 3 मोबाइल फोन रखता था. सुबह हम लोगों ने उस के तीनों नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन तीनों नंबर बंद थे.

इस के बाद हम लोग उस की खोज में जुट गए. चिंता इसलिए भी बढ़ गई थी कि पहली जनवरी को उस का जन्मदिन था. अपना जन्मदिन वह धूमधाम से मनाता था और दोस्तों को बुलाता था. लेकिन उस का कुछ पता नहीं चल रहा था. दिन भर खोजने के बाद जब उस का कुछ भी पता नहीं चला तो उन्होंने शाम को थाना रेलबाजार जा कर उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी. बहन कंचन ने यह भी बताया कि आशू गले में सोने की चेन तथा दोनों हाथों में सोने की 6 अंगूठियां पहने हुआ था. हत्यारों ने उस के तीनों मोबाइल, चेन तथा अंगूठियां लूट ली हैं. चूंकि शव की शिनाख्त हो गई थी. अत: पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया.

आशू यादव की गुमशुदगी थाना रेलबाजार में दर्ज थी, अत: थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने मृतक की बहन कंचन की ओर से भादंवि की धारा 364/302/201/120बी के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने मृतक आशू यादव के भाई धर्मेंद्र यादव से घटना के संबंध में पूछताछ की. पूछताछ में धर्मेंद्र ने बताया कि उस का भाई आशू हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘अमर स्तंभ’ में काम करता था. कुछ समय पहले उस ने क्षेत्रीय पार्षद मधु के पति राजू सोनकर व उन के बेटों के कारनामोें के खिलाफ समाचार छापा था, जिस पर राजू ने झगड़ा किया था और उस के बेटे अति व सोनू सोनकर ने आशू को जान से मारने की घमकी दी थी. आशू की हत्या में इन्हीं लोगों का हाथ है.

संदेह के आधार पर पुलिस ने राजू व उस के बेटों से पूछताछ की. लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. अत: पूछताछ के बाद उन्हें थाने से घर भेज दिया गया. चूंकि मामला एक कथित पत्रकार व हिस्ट्रीशीटर की हत्या का था. अत: एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने इस ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी सुलझाने के लिए तीन टीमों का गठन किया. इन तीनों टीमों को एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल व एसपी (साउथ) दीपक भूकर के निर्देशन में काम करना था. इन टीमों में इंसपेक्टर (नौबस्ता) सतीश कुमार सिंह, इंसपेक्टर (बर्रा) हरमीत सिंह, इंसपेक्टर (रेलबाजार) दधिबल तिवारी, सीओ (गोविंदनगर) विकास कुमार पांडेय तथा सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

पुलिस की तीनों टीमों ने अलगअलग जांच शुरू की. आशू यादव 31 दिसंबर की रात डेढ़ बजे अपने घर खपरा मोहाल से निकला था और उस के मोबाइल फोन की आखिरी लोकेशन 31 दिसंबर की रात 2:37 बजे मसवानपुर की मिली थी. मिलने लगे सबूत पुलिस की एक टीम ने खपरा मोहाल से घंटाघर, जरीब चौकी, विजय नगर व मसवानपुर तक रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तथा दूसरी टीम ने दूसरे रोड की फुटेज को खंगाला, जिस में आशू की कार मसवानपुर जाते समय फजलगंज व विजयनगर चौराहे पर जाते समय तो दिखी पर लौटते समय दिखाई नहीं दी.

जाहिर था कि हत्या के बाद हत्यारे आशू की कार को किसी दूसरे रूट से लाए थे और धर्मेंद्र नगर स्थित नहर पटरी पर कार को खड़ा कर दिया था. सर्विलांस टीम ने मृतक आशू के तीनों मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि 31 दिसंबर की देर रात आशू के मोबाइल फोन पर आखिरी काल एक महिला की आई थी. वह महिला सीतापुर में रहने वाली शालिनी थी. पुलिस जब उस के पते पर पहुंची तो पता चला कि उस फोन नंबर का इस्तेमाल मसवानपुर निवासी दीपिका शुक्ला कर रही थी.

टीम ने दीपिका के संबंध में जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह शातिर अपराधी है. शिवली, सचेंडी व कोहना थाने में उस के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं. नकली शराब बनाने व बेचने के जुर्म में वह पति के साथ जेल गई थी और अब जमानत पर थी. सर्विलांस टीम ने उस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो हिस्ट्रीशीटर अमित गुप्ता के बारे में जानकारी मिली. अमित गुप्ता के फोन की डिटेल्स के जरिए टीम को उस के 2 साथियों जूहीलाल कालोनी निवासी किशन वर्मा व सचिन वर्मा की जानकारी मिली. अमित के मोबाइल फोन पर 31 दिसंबर की रात 2:08 बजे एक मैसेज भेजा गया था, जिस में लिखा था- ‘बुला लो भाई उस को, आज हो जाएगा काम.’ जांच से पता चला कि जिस नंबर से मैसेज भेजा गया था, वह किशन का था.

पुख्ता सबूत मिलने के बाद पुलिस की संयुक्त टीमों ने 3 जनवरी, 2021 की रात 11 बजे किशन वर्मा व सचिन वर्मा के जूही लाल कालोनी स्थित घर से दोनों को गिरफ्तार कर लिया. उन दोनों को थाना रेलबाजार लाया गया. थाने में जब किशन व सचिन वर्मा से आशू यादव की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो वे टूट गए और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उन दोनों की निशानदेही पर पुलिस टीमों ने मसवानपुर स्थित दीपिका के घर छापा मारा. लेकिन दीपिका और अमित फरार हो चुके थे. दीपिका के घर से पुलिस ने वह रस्सी बरामद कर ली, जिस से आशू का गला घोंटा गया था.

पूछताछ में आरोपी किशन वर्मा व सचिन ने बताया कि आशू की हत्या प्रेम त्रिकोण में की गई थी. आशू व अमित दोनों का दीपिका से नाजायज रिश्ता था. अमित को आशू और दीपिका की नजदीकियां पसंद नहीं थीं, इसलिए उस ने दीपिका के साथ मिल कर आशू को मौत की नींद सुला दिया. रुपयों के लालच में उन दोनों ने भी अमित का साथ दिया. हत्या मसवानपुर स्थित दीपिका के घर की गई थी. 4 जनवरी, 2021 को रेलबाजार थाना प्रभारी दधिबल तिवारी ने आशू यादव की हत्या का खुलासा करने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल, एसपी (साउथ) दीपक भूकर ने पुलिस लाइन सभागार में प्रैसवार्ता की. एसएसपी ने केस का खुलासा करने वाली टीम को 25 हजार रुपया ईनाम देने की भी घोषणा की.

चूंकि आशू यादव की हत्या का मुकदमा रेलबाजार थाने में पहले से अज्ञात में दर्ज था. अत: खुलासा होने के बाद थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने इस मामले में 4 आरोपी दीपिका शुक्ला, अमित गुप्ता, किशन वर्मा व सचिन वर्मा को नामजद कर दिया. 2 आरोपी दीपिका व अमित फरार थे. आरोपियों से पूछताछ में प्रेम त्रिकोण में हुई हत्या का सनसनीखेज खुलासा हुआ. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के थाना रेलबाजार के अंतर्गत एक मोहल्ला है-खपरा मोहाल. इसी मोहल्ले के मकान नंबर डी-19 में छोटे सिंह यादव रहते थे. उन के परिवार में पत्नी मालती के अलावा 3 बेटे धर्मेंद्र, जितेंद्र, आशू तथा 2 बेटियां शानू व कंचन थीं. छोटे सिंह की जनरल स्टोर की दुकान थी. उसी की आमदनी से परिवार का भरणपोषण होता था.

3 भाइयों में आशू यादव मंझला था. छोटे सिंह का पूरा परिवार आपराधिक प्रवृत्ति का था. आशू का भाई धर्मेंद्र व चाचा बड़े यादव रेलबाजार थाने के हिस्ट्रीशीटर थे. आशू भी अपने घरवालों की राह पर चल पड़ा. यद्यपि वह पढ़ालिखा व तेजतर्रार था. आशू ने अपराध जगत से नाता जोड़ा तो उस ने अपने चाचा व भाइयों को भी पीछे छोड़ दिया. कुछ समय बाद ही उस पर थाना रेलबाजार, छावनी, फीलखाना समेत अन्य थानों में एनडीपीएस ऐक्ट, शस्त्र अधिनियम, गुंडा अधिनियम, रंगदारी, अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं के 10 मुकदमे दर्ज हो गए. वह रेलबाजार थाने का हिस्ट्रीशीटर बन गया.

आशू यादव ने पुलिसकर्मी राकेश कुमार की बेटी ज्योति से लवमैरिज की थी. राकेश कुमार उन दिनों कानपुर शहर के हरवंश मोहाल थाने में तैनात थे. उन का परिवार भी साथ रहता था. इसी दौरान आशू की मुलाकात ज्योति से हुई. दोनों में प्रेम संबंध बने, फिर ज्योति ने घरवालोें की मरजी के खिलाफ आशू से प्रेम विवाह कर लिया. ज्योति के 7 वर्षीय बेटा शुभ तथा 5 वर्षीया बेटी सोनाक्षी हैं. हिस्ट्रीशीटर बन गया पत्रकार आशू यादव बड़ी ही शानोशौकत से रहता था. अवैध कमाई से उस ने कार भी खरीद ली थी. वह शातिर दिमाग था.

पुलिस से बचने के लिए उस ने हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘अमर स्तंभ’ में काम करना शुरू कर दिया था. उस ने अपनी कार पर भी अमर स्तंभ का स्टिकर लगा लिया था. शासनप्रशासन के अधिकारियों से वह पत्रकार के रूप में ही मिलता था. पत्रकारिता की आड़ में वह जायजनाजायज काम करने लगा था. लोगों से धन वसूली भी करता था. सन 2019 में आशू यादव किसी मामले में जेल गया तो वहां उस की मुलाकात मोती मोहाल निवासी अमित गुप्ता व कल्याणपुर निवासी अवनीश कुमार शर्मा से हुई. तीनों एक ही बैरक में थे. अमित शातिर अपराधी था. उस ने रुपए व जेवर हड़पने के लिए कल्याणपुर निवासी बुआ बिट्टो, फूफा पवन गुप्ता तथा बिट्टो की सास रानी की हत्या कर दी थी.

पकड़े जाने के बाद अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अवनीश कुमार शर्मा नकली शराब बनाने व बेचने के जुर्म में जेल में था. चूंकि तीनों शातिर अपराधी थे, अत: उन के बीच दोस्ती हो गई. अवनीश शर्मा की ही पत्नी का नाम दीपिका शुक्ला था. वह भी पति के अवैध कारोबार में हाथ बंटाती थी. दीपिका मूलरूप से शिवली थाने के गांव भीखर की रहने वाली थी. उस के पिता अशोक चतुर्वेदी मुंबई पुलिस में हवलदार थे. रिटायर होने के बाद उन की मुजफ्फरनगर में हत्या कर दी गई थी. कुछ दिनों बाद मां की भी मौत हो गई. उस के बाद सन 2002 में दीपिका ने शिवली थाने के बैरी सवाई गांव निवासी बल्ली शुक्ला उर्फ हरीराम शुक्ला से शादी कर ली.

बल्ली शुक्ला से दीपिका ने 2 बेटियों को जन्म दिया. बल्ली शुक्ला के पड़ोस में अवनीश शर्मा रहता था. उस का बल्ली शुक्ला के घर आनाजाना था. घर आतेजाते अवनीश शर्मा ने दीपिका को अपने प्यार के जाल में फंसा लिया. वर्ष 2016 में अवनीश की दीवानी दीपिका 2 बेटियों को छोड़ कर अवनीश के साथ भाग गई. अवनीश कल्याणपुर में रहता था और नकली शराब बनाता व बेचता था. दीपिका भी अवनीश के साथ नकली शराब बनाने व बेचने का काम करने लगी. उस ने कई शराब तस्करों से अपने संबंध मजबूत कर लिए और उन के मार्फत शिवली, सचेंडी, घाटमपुर तथा कानपुर में नकली शराब बेचने लगी थी.

सन 2017 में नकली व जहरीली शराब पीने से घाटमपुर व सचेंडी में 17 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में वह अवनीश के साथ पहली बार जेल गई. उस के बाद सन 2019 में कोहना तथा शिवली थाने से भी नकली शराब बनाने व बेचने के जुर्म में जेल गई. कोहना थाने से उसे गैंगस्टर ऐक्ट में जेल भेजा गया था. इस मामले में उसे जून 2020 में जमानत मिली और वह बाहर आ गई. आशू यादव जब जेल से बाहर आया तो उस ने दीपिका से मुलाकात की. मुलाकातें प्यार में बदलीं, फिर दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन गया. दीपिका उस की कार में घूमने लगी तथा उस के घर भी जाने लगी. आशू उस की आर्थिक मदद भी करने लगा.

इधर आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अमित गुप्ता को सितंबर 2020 में पैरोल मिल गई. अमित पैरोल पर बाहर आ रहा था, तो अवनीश ने उस से कहा कि वह उस की पत्नी दीपिका का खयाल रखे तथा उसे भी जेल से बाहर निकलवाने की कोशिश करे. कपड़ों की तरह बदलती रही प्रेमी अमित ने जेल से बाहर आ कर दीपिका से संपर्क किया. कुछ दिनों में ही दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. वह दीपिका को ले कर अपने घर मोतीमोहाल पहुंचा. अमित के घरवालों ने दीपिका को घर में रखने की इजाजत नहीं दी. इस पर वह दीपिका को ले कर मसवानपुर में अनिल शुक्ला के मकान में किराए पर रहने लगा. दिखावे के लिए उस ने बाजार में कपड़े की दुकान खोल ली.

दीपिका के साथ रहते अमित को पता चला कि दीपिका के उस के दोस्त आशू यादव से पहले से ही नाजायज संबंध हैं. यह बात अमित को नागवार लगी और उस ने आशू को मिटाने की ठान ली. उस ने दीपिका से साथ देने को कहा तो वह आनाकानी करने लगी. इस पर अमित ने दीपिका को धमकी दी कि वह साथ नहीं देगी तो वह आशू और उस के नाजायज रिश्तों की बात उस के पति अवनीश को बता देगा. इस धमकी से दीपिका डर गई और वह अमित का साथ देने को राजी हो गई. इस के बाद अमित ने दीपिका के साथ मिल कर आशू के कत्ल की योजना बनाई और अपनी योजना में दोस्त किशन वर्मा व सचिन वर्मा को भी पैसों का लालच दे कर शामिल कर लिया.

योेजना के तहत 31 दिसंबर की रात डेढ़ बजे दीपिका ने आशू के मोबाइल फोन पर काल की और जन्मदिन की बधाई दी. साथ ही घर आने तथा मौजमस्ती करने का आमंत्रण भी दिया. इस के बाद आशू सजसंवर कर अपनी कार से दीपिका के घर मसवानपुर पहुंच गया. जन्मदिन की खुशी में दीपिका ने उसे खूब शराब पिलाई. आशू जब नशे में धुत हो गया तभी अमित अपने साथियों किशन व सचिन के साथ घर आ गया. दोनों ने आशू को दबोच लिया और खूब पिटाई की. फिर अमित व दीपिका ने मिल कर रस्सी से आशू का गला घोंट दिया. इस बीच दीपिका ने आशू के 3 मोबाइल फोन कब्जे में ले कर स्विच्ड औफ कर दिए तथा आशू के गले से सोने की चेन तथा दोनों हाथों से सोने की 6 अंगूठियां उतार लीं.

इस के बाद सब ने मिल कर आशू के शव को उस की कार में रखा और कार बर्रा थाना क्षेत्र के धर्मेंद्र नगर कच्ची बस्ती ला कर नहर की पटरी पर खड़ी कर दी. उस के बाद वे सब फरार हो गए. थाना रेलबाजार पुलिस ने अभियुक्त किशन वर्मा व सचिन वर्मा से पूछताछ के बाद उन्हें 4 जनवरी, 2021 को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मुख्य आरोपी अमित गुप्ता तथा दीपिका शुक्ला फरार थीं. पुलिस सरगरमी से उन की तलाश में जुटी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

MP News : मसाज सेंटर की आड़ में सैक्स रैकेट, कई खुलासे एक साथ

MP News : यह सच है कि लौकडाउन में जब लोगों को रोजीरोटी के लाले पड़ रहे थे, तब कुछ लोग मजबूर लड़कियों का सहारा ले कर स्पा के नाम पर सैक्स के धंधे में मोटी कमाई कर रहे थे. भोपाल का ‘लंदन इवनिंग फैमिली सैलून ऐंड स्पा’ भी ऐसा ही था. लेकिन…

देह व्यापार ही इकलौता ऐसा धंधा है, जिस ने लौकडाउन की बंदिश हटते ही काफी कम समय में अपनी पुरानी ऊंचाई को छूने में सफलता हासिल की है. गलियों में चलने वाले छोटेछोटे अंधेरे कमरों वाले चकलाघरों से ले कर सैक्स के हाईप्रोफाइल मसाज सैंटरों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी. भोपाल क्राइम ब्रांच के एएसपी गोपाल धाकड़ को तेजी से बढ़ते इस कारोबार के बारे में शहर के अलगअलग इलाकों की सूचनाएं मिल रही थीं. सब से अधिक शिकायतें कोलार स्थित एस.के.प्लाजा बिल्डिंग में संचालित ‘लंदन इवनिंग फैमिली सैलून ऐंड स्पा’ के बारे में थीं, जहां मसाज के नाम पर देह का कारोबार कराए जाने की खबर थी.

एएसपी गोपाल धाकड़ ने इस दुकान पर नजर रखने के लिए अपने कुछ खास मुखबिरों को लगा दिया था. कुछ ही दिन में इन मुखबिरों ने उन्हें जानकारी दी कि इस स्पा के बारे में मिली शिकायत सही है. यहां बड़े पैमाने पर ग्राहकों को मसाज के नाम पर सैक्स सर्विस दी जा रही है. एएसपी धाकड़ ने टीआई क्राइम ब्रांच थाना अजय मिश्रा की एक टीम को इस के खुलासे की जिम्मेदारी सौंप दी. पुलिस को पहले ही जानकारी मिल चुकी थी कि इस स्पा में या तो केवल पुराने और भरोसेमंद ग्राहकों को सैक्स सर्विस दी जाती है. अथवा नए ग्राहक को किसी पुराने ग्राहक के रेफरेंस पर लड़की उपलब्ध कराई जाती है. इसलिए एएसपी धाकड़ ने क्राइम ब्रांच के सब से स्मार्ट माने जाने वाले आरक्षक को पूरी ट्रैनिंग के साथ यहां भेजा.

2 दिसंबर को अपराह्न लगभग 4 बजे जब पुलिस टीम ने एस.के. प्लाजा के पास सुरक्षित दूरी पर पोजीशन ले ली, तब नकली ग्राहक बन कर जाने वाले आरक्षक ने स्पा में प्रवेश किया. काउंटर पर बैठे मैनेजर अनिल वर्मा ने वेलकम करते हुए पूछा कि उस की क्या सेवा कर सकता है.

‘‘यार, मसाज सैंटर में आदमी मछलियां पकड़ने तो आया नहीं होगा. जाहिर सी बात है कि आप के यहां मसाज करवाने आया हूं. सुना है आप की लड़कियां कमाल का मसाज देती हैं.’’ नकली ग्राहक ने पूरे विश्वास के साथ वहां बैठे युवक से कहा.

‘‘जी हां, ठीक सुना आप ने. हमारा सैंटर अपनी सर्विस क्वालिटी के लिए पूरे भोपाल में फेमस है. और आसपास के जिलों में भी.’’ मैनेजर ने बात काटते हुए कहा, ‘‘हमारे यहां सागर, विदिशा के लोग भी आते हैं.’’

‘‘बिलकुल सही. मैं सागर से हूं. मेरे एक दोस्त ने आप के स्पा का पता बताया था. वह कई बार आप के यहां आ चुका है. आई मीन जब भी भोपाल आता है तो वह आप की सर्विस लिए बिना नहीं जाता. और मजेदार बात तो यह है कि बंदे की अभीअभी शादी हुई है, वो भी लव मैरिज. मुझे लगा कि कुछ तो खास होगा आप के यहां जो बंदा नई बीवी छोड़ कर यहां  आता है.’’

शादी और नई बीवी वाली बात नकली ग्राहक ने इसलिए कही थी ताकि स्पा मैनेजर समझ जाए कि वो क्या चाहता है. नकली ग्राहक बन कर गए पुलिसकर्मी का यह तीर निशाने पर लगा. मैनेजर अनिल वर्मा सब भूल गया और उसे अपने किसी पुराने ग्राहक का खास आदमी समझ कर सीधे सैक्स सर्विस की बात करते हुए बोला, ‘‘सर देखिए, इस समय हमारे पास 3 लड़कियां हैं. नेपाली, भोपाली और कानपुरी. इन में से किस की सर्विस लेना पसंद करेंगे आप?

‘‘नेपाली की सर्विस तो कौमन है यार, हर शहर में मिल जाती हैं. नेपाली लोग शोर ज्यादा करते हैं, जो मुझे पसंद नहीं. भोपाली गर्ल की सर्विस तो मैं एमपी नगर के एक स्पा में कई बार टेस्ट कर चुका हूं. ये कानपुरी नाम कुछ नया लगता है.  इस की कुछ क्वालिटी है खास. क्या मैं फोटो देख सकता हूं?’’ नकली ग्राहक ने पूछा.

‘‘फोटो क्या सर, सामने देखिए न,’’ कहते हुए मैनेजर अनिल वर्मा ने काउंटर के नीचे लगा बटन दबा कर घंटी बजाई तो कुछ मिनट में अंदर से लगभग 21-22 साल की एक निहायत खूबसूरत और सैक्सी लुक वाली युवती बाहर आ कर खड़ी हो गई.

‘‘ये लीजिए सर, ये हैं मिस रानी. कानपुर वाली और हमारे यहां आने वाले कस्टमर्स की पहली पसंद भी. आप लकी हैं जो फ्री मिल गई. वरना इन के चाहने वाले खाली ही नहीं छोड़ते.’’

‘‘लगता है इसीलिए मेरा दोस्त आप की इतनी तारीफ करता है,’’ नकली ग्राहक ने मैनेजर का भरोसा जीतने के लिए एक और पासा फेंका.

‘‘सर, पेमेंट आप को पहले करना होगा.’’

‘‘ओके, कितना?’’

‘सर, एक हजार रुपया हमारे स्पा की एंट्री फीस है. 2 हजार इन की बेस प्राइस. कुल 3 हजार.’’

‘‘बेस प्राइस मतलब?’’

‘‘मतलब, सर जो होता है, बस उतना ही. इस के अलावा आप का कुछ स्पैशल शौक है तो रानी उस का चार्ज आप को अलग से बता देंगी.’’

‘‘बहुत स्मार्ट हो दोस्त तुम. ये लो 3 हजार. बाकी हम रानी से डील कर लेंगे, ठीक है न  रानी,’’ नकली ग्राहक ने रानी की तरफ देख कर कहा.

‘‘श्योर सर, आप को सर्विस दे कर मुझे खुशी होगी.’’ रानी ने भी मुसकराते हुए जवाब दिया और उस का हाथ पकड़ कर अंदर बनी केबिन में ले गई, जहां मसाज टेबल नहीं डबल बैड पड़ा था.

‘‘इतना बड़ा बिस्तर, लगता है गु्रप सर्विस भी मिलती है यहां पर.’’

‘‘सब कुछ मिलता है यहां, आप आदेश तो करें. अभी 2 लड़कियां अपने कस्टमर के साथ व्यस्त हैं, फ्री होने वाली हैं. फिर कहेंगे तो आप को भी हम तीनों की गु्रप सर्विस मिल जाएगी.’’

‘‘अरे नहीं आज का दिन तो केवल रानी के नाम.’’ नकली ग्राहक बने पुलिसकर्मी ने रानी को मक्खन लगाया. 2 लड़कियां अपने ग्राहकों को इस समय सर्विस दे रही हैं, यह जान कर उस ने तुरंत कुछ दूरी पर खड़ी अपनी टीम को सिग्नल दे दिया. कुछ ही देर में क्राइम ब्रांच के टीआई अजय मिश्रा अपनी टीम ले कर लंदन इवनिंग फैमिली सैलून ऐंड स्पा में दाखिल हो गए. आननफानन में बंद कमरों से 2 ग्राहकों को अलगअलग 2 युवतियों के संग आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया गया. इस के अलावा बिस्तर पर पडे़ यूज और अनयूज कंडोम आदि भी जब्त कर लिए गए.

दबिश के दौरान पुलिस ने स्पा से 21 वर्षीय नेपाली लड़की कोयल, भोपाल निवासी 20 वर्षीय शबनम और कानपुर की 21 साल की रानी के अलावा बैरागढ़ निवासी हितेश लीलानी और नरेंद्र सिरवानी को गिरफ्तार कर लिया जो शबनम और कोयल के साथ यौनाचार में लिप्त थे. पुलिस ने तलाशी के दौरान स्पा से भारी मात्रा में बीयर की खाली कैन और यूज किए हुए कंडोम बरामद कर मैनेजर अनिल वर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया. सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. इस के बाद देह धंधे में आई तीनों युवतियों की कहानी इस प्रकार सामने आई.

नेपाली युवती कोयल पति की मौत के बाद काम की तलाश में भोपाल के माता मंदिर इलाके में रहने वाले अपने एक परिचित के घर आई थी. स्पा में मैनेजर का काम करने वाला अनिल वर्मा का उस इलाके में आनाजाना था. जब उस की नजर कोयल पर पड़ी और जानकारी मिली कि वह काम की तलाश में है तो अनिल ने कोयल को अपने स्पा में काम करने का औफर दिया. कोयल तैयार हो गई तो पहले ही दिन मैनेजर ने उसे बता दिया कि हम केवल मसाज का काम करते हैं, लकिन अगर कोई ग्राहक सैक्स की मांग करे तो तुम समझ लेना. इस में काफी पैसा मिलेगा जिस में से बड़ा हिस्सा तुम्हारा होगा.

चूंकि कोयल को काम की जरूरत थी और लौकडाउन के कारण कहीं दूसरी जगह काम नहीं मिल रहा था, इसलिए वह स्पा में मसाज और सैक्स सर्विस गर्ल के रूप में काम करने लगी थी. भोपाल की शबनम को उस के पति ने छोड़ दिया था. शबनम केवल 20 साल की थी और दूसरे एक युवक के साथ रहती थी. जानकारी के अनुसार शबनम के इस काम की जानकारी उस के साथ रहने वाले युवक को भी थी, लेकिन वह इस से होने वाली मोटी कमाई को देख कर शबनम को खुद भी ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को सर्विस देने की सलाह देता था. कानपुर की रानी कई सालों से कालगर्ल के तौर पर काम कर रही थी.

उसे स्पा के मालिक ने स्पैशली अपने यहां ग्राहकों को सर्विस देने के लिए बुलाया था. रानी को इस व्यापार की एक्सपर्ट माना जाता था, इसलिए उस की फीस भी ज्यादा थी. इस संबंध में एएसपी गोपाल धाकड़ ने बताया कि इस स्पा के बारे में काफी दिनों से शिकायत मिल रही थी, जिस के लिए हम ने नकली ग्राहक भेज कर यहां काररवाई कर 3 युवतियों और 2 ग्राहकों के अलावा मैनेजर को भी गिरफ्तार किया.

UP News : भतीजे संग रंगे हाथों पकड़ी गई पत्नी को मारकर पंखे में लटकाया

UP News : पारिवारिक रिश्ते और मानमर्यादाएं परिवार को बांधने और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन 2 बच्चों की मां सुमन ने इन रिश्तों को इस तरह तारतार किया कि…

महेंद्र सिंह को पिछले कुछ दिनों से अजय का अपने घर में आनाजाना ठीक नहीं लग रहा था. वह आता था तो उस की पत्नी सुमन उस से कुछ ज्यादा ही घुलमिल कर बातें करती थी. वैसे तो अजय उस के भाई का ही बेटा था, लेकिन महेंद्र सिंह को उस के लक्षण कुछ ठीक नहीं लग रहे थे. अजय जब महेंद्र सिंह की मानसिक परेशानी का कारण बनने लगा तो एक दिन उस ने सुमन से पूछा कि अजय क्यों बारबार घर के चक्कर लगाता है. इस पर सुमन ने तुनकते हुए कहा, ‘‘अजय तुम्हारे भाई का बेटा है. वह आता है, तो क्या मैं इसे घर से निकाल दूं?’’

महेंद्र सिंह को सुमन की बात कांटे की तरह चुभी तो लेकिन उस के पास सुमन की बात का जवाब नहीं था. वह चुप रह गया. महेंद्र सिंह कानपुर शहर के बर्रा भाग 6 में रहता था. वह मूलरूप से औरैया जिले के कस्बा सहायल का रहने वाला था. वह अपने भाइयों में सब से छोटा था. उस से बड़े उस के 2 भाई थे— मानसिंह और जयसिंह. सब से बड़े भाई मानसिंह के 2 बेटे थे अजय सिंह और ज्ञान सिंह. ज्ञान सिंह की शादी हो गई थी. अजय सिंह अविवाहित था. महेंद्र सिंह की शादी जिला कन्नौज के कस्बा तिर्वा निवासी नरेंद्र सिंह की बेटी सुमन के साथ हुई थी. नरेंद्र के 2 बच्चे थे सुमन और गौरव. लाडली और बड़ी होने की वजह से सुमन शुरू से ही जिद्दी स्वभाव की थी. वह जो ठान लेती, वही करती.

शादी हो कर सुमन जब ससुराल आई, तो उसे ससुराल रास नहीं आई. चंद महीने बाद ही वह पति के साथ कानपुर आ कर रहने लगी. सुमन का पति महेंद्र सिंह दादानगर स्थित एक फैक्ट्री में सुरक्षागार्ड की नौकरी करता था. उस की आमदनी सीमित थी. इस के बावजूद सुमन फैशनपरस्त थी. वह अपने बनावशृंगार पर खूब खर्च करती थी. लेकिन शुरूशुरू में जवानी का जुनून था, इसलिए महेंद्र सिंह ने इन सब पर ध्यान नहीं दिया था. उसे तो बस उस की अदाएं पसंद थीं. समय के साथ सुमन ने पूजा और विभा 2 बेटियों को जन्म दिया. शादी के कुछ समय बाद ही महेंद्र सिंह महसूस करने लगा था कि उस की पत्नी उस के साथ संतुष्ट नहीं है.

दरअसल, सुमन नरेंद्र सिंह की एकलौती बेटी थी और अपनी शादी के बारे में बड़ेबड़े ख्वाब देखा करती थी. लेकिन उस के पिता ने उस की शादी एक साधारण सुरक्षा गार्ड से कर दी थी, जिस से उस के सारे अरमान चूरचूर हो गए थे. और वह बच्चों और चौकेचूल्हे में उलझ कर रह गई थी. फिर भी जिंदगी की गाड़ी जैसेतैसे चलती रही. कहानी ने मान सिंह के बड़े बेटे ज्ञान सिंह की शादी के बाद एक नया मोड़ लिया. ज्ञान सिंह की शादी के मौके पर सुमन ने महसूस किया कि अजय उस का कुछ ज्यादा ही खयाल रख रहा है. वह खाने की थाली ले कर सुमन के पास आया और उस के सामने टेबल पर रखते हुए बोला, ‘‘यहां बैठ कर खाओ चाची.’’

सुमन मुसकरा कर थाली अपनी ओर खिसकाने लगी, तो अजय भी उस की ओर देख कर मुसकराते हुए चला गया. थोड़ी देर बाद वह वापस लौटा तो उस के हाथों में दूसरी थाली थी. वह सुमन के पास ही बैठ कर खाना खाने लगा. खाना खातेखाते दोनों के बीच बातों का सिलसिला जुड़ा, तो अजय बोला, ‘‘चाची तुम सुंदर भी हो और स्मार्ट भी. लेकिन चाचा ने तुम्हारी कद्र नहीं की.’’

अजय सिंह ने यह कह कर सुमन की दुखती रग पर हाथ रख दिया था. ज्ञान सिंह की बारात करीब के ही गांव में जानी थी. शाम को रिश्तेदार व परिवार के लोग बारात में चले गए. लेकिन अजय बारात में नहीं गया. उसी रात जब दरवाजे पर दस्तक हुई, तो सुमन ने दरवाजा खोला. दरवाजे पर अजय खड़ा था. सुमन ने हैरानी से पूछा, ‘‘तुम… बारात में नहीं गए. यहां कैसे?’’

दरवाजा खुला था, अजय सिंह अंदर आ गया तो सुमन ने दरवाजा बंद कर दिया. सुमन की आंखें तेज थीं. उस ने अजय की आंखों की भाषा पढ़ ली.

‘‘चाची, मुझे तुम से कुछ कहना है. बहुत दिनों से सोच रहा हूं, पर मौका ही नहीं मिल पा रहा था. आज अच्छा मौका मिला, इसलिए मैं बारात में नहीं गया.’’ अजय ने कमरे में पड़े पलंग पर बैठते हुए कहा.

‘‘ऐसी क्या बात है, जिस के लिए तुम्हें मौके की तलाश थी?’’ सुमन ने पूछा, तो अजय तपाक से बोला,‘‘चाची आया हूं तो मन की बात कहूंगा जरूर. तुम्हें बुरा लगे या अच्छा. दरअसल बात यह है कि तुम मेरे मन को भा गई हो और मैं तुम से प्यार करने लगा हूं.’’

‘‘प्यार…’’ सुमन ने अजय को गौर से देखा.

आज वह पहले वाला अजय नहीं था, जिसे वह बच्चा समझती थी. अजय जवान हो चुका था. पलभर के लिए सुमन डर गई. उस ने कभी नहीं सोचा था कि वह उस से ऐसा भी कुछ कह सकता है.

‘‘अजय, तुम यहां से जाओ, अभी इसी वक्त.’’ सुमन ने सख्ती से कहा, तो अजय ने पूछा, ‘‘चाची क्या तुम मेरी बात का बुरा मान गईं. मैं ने तो मजाक में कहा था.’’

‘‘अजय, मैं ने कहा न जाओ यहां से.’’ डांटते हुए सुमन ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया, तो उस के तेवर देख अजय डर कर वहां से चला गया.

अजय तो चला गया लेकिन सुमन रात भर सोच में डूबी अपने मन को टटोलती रही. वह सचमुच महेंद्र सिंह से संतुष्ट नहीं थी. उस की जिंदगी फीकी दाल और सूखी रोटी की तरह थी. पिछले कुछ समय से महेंद्र सिंह की तबियत भी ढीली चल रही थी. ड्यूटी से आने के बाद वह खाना खाते ही सो जाता था. वह पति से क्या चाहती है, यह महेंद्र सिंह ने न तो कभी सोचा और न जानने की कोशिश की. यही वजह थी कि सुमन का मन विद्रोह कर उठा. उस ने मन को काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन न चाहते हुए भी उस की सोच नएनए जवान हुए अजय के आस पास ही घूमती रही. उस का मन पूरी तरह बेइमान हो चुका था.

आखिरकार उस ने निर्णय ले लिया कि अब वह असंतुष्ट नहीं रहेगी. चाहे इस के लिए रिश्तों को तारतार क्यों न करना पड़े. कोई भी औरत जब बरबादी के रास्ते पर कदम रखती है तो उसे रोक पाना मुश्किल होता है. यही सुमन के मामले में हुआ. दूसरी ओर अजय यह सोच कर डरा हुआ था कि चाची ने चाचा को सब कुछ बता दिया तो तूफान आ जाएगा. इसी डर से वह सुमन से नहीं मिला. इधर सुमन फैसला करने के बाद तैयार बैठी अजय का इंतजार कर रही थी. उस ने मिलने की कोशिश नहीं की, तो सुमन ने उसे स्वयं ही बुला लिया.

अजय आया तो सुमन ने उसे देखते ही उलाहने वाले लहजे में कहा, ‘‘मुझे राह बता कर खुद दूसरी राह चले गए. क्या हुआ, आए क्यों नहीं?’’

‘‘मैं ने सोचा, शायद तुम्हें मेरी बात बुरी लगी. इसीलिए…’’ अजय ने कहा तो सुमन बोली, ‘‘रात में आना, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’

अजय सिंह समझ गया कि उस का तीर निशाने पर भले ही देर से लगा हो, पर लग गया है. वह मन ही मन खुश हो कर लौट गया. सुमन का पति महेंद्र सिंह दूसरे दिन ही बारात से लौटने के बाद वापस कानपुर आ गया था. लेकिन पत्नी व बच्चों को गांव में ही छोड़ गया था. इसी बीच सुमन और अजय नजदीक आने का प्रयास करने लगे थे. सुमन ने अजय को मिलन का खुला आमंत्रण दिया था. अत: वह बनसंवर कर देर शाम सुमन के कमरे पर पहुंच गया. उस ने दरवाजे पर दस्तक दी तो सुमन ने दरवाजा खोल कर उसे तुरंत अंदर बुला लिया. उस के अंदर आते ही सुमन ने दरवाजा बंद कर लिया.

अजय पलंग पर बैठ गया, तो सुमन उस के करीब बैठ कर उस का हाथ सहलाने लगी. अजय के शरीर में हलचल मचने लगी. वह समझ गया कि चाची ने उस की मोहब्बत स्वीकार कर ली. इसी छेड़छाड़ के बीच कब संकोच की सारी दीवारें टूट गईं, दोनों को पता हीं नहीं चला. बिस्तर पर रिश्ते की मर्यादा भले ही टूट गई, लेकिन सुमन और अजय के बीच स्वार्थ का पक्का रिश्ता जरूर जुड़ गया. अपने इस रिश्ते से दोनों ही खुश थे. सुमन अपनी मौजमस्ती के लिए पाप की दलदल में घुस तो गई, पर उसे यह पता नहीं था कि इस का अंजाम कितना भयंकर हो सकता है. उस दिन के बाद अजय और सुमन बिस्तर पर जम कर सामाजिक रिश्तों और मानमर्यादाओं की धज्जियां उड़ाने लगे.

अजय सुमन के लिए बेटे जैसा था और अजय के लिए वह मां जैसी. लेकिन वासना की आग ने उन के इन रिश्तों को जला कर खाक कर दिया था. सुमन लगभग एक माह तक गांव में रही और गबरू जवान अजय के साथ मौजमस्ती करती रही. उस के बाद वह वापस कानपुर आ गई और पति के साथ रहने लगी. अजय और सुमन के बीच अब मिलन तो नहीं हो पाता था, लेकिन मोबाइल फोन पर दोनों की बात होती रहती थी. सुमन के बिना न अजय को चैन था और न अजय के बिना सुमन को. आखिर जब अजय से न रहा गया तो वह सुमन के बर्रा भाग 6 स्थित घर पर किसी न किसी बहाने से आने लगा. उस ने सुमन के साथ फिर से संबंध बना लिए. कुछ दिनों तक तो सब गुपचुप चलता रहा.

लेकिन फिर अजय का इस तरह सुमन के पास आनाजाना पड़ोसियों को खटकने लगा. लोगों को पक्का यकीन हो गया कि चाचीभतीजे के बीच नाजायज रिश्ता है. नाजायज रिश्तों को ले कर पड़ोसियों ने टोकाटाकी की तो महेंद्र सिंह के होश उड़ गए. उस की पत्नी उसी के सगे भतीजे के साथ मौजमस्ती कर रही थी, यह बात भला वह कैसे बरदाश्त कर सकता था. वह गुस्से में तमतमाता घर पहुंचा. सुमन उस समय घर के कामकाज निपटा रही थी. उसे देखते ही वह गुस्से में बोला, ‘‘तेरे और अजय के बीच क्या चल रहा है?’’

‘‘क्या मतलब है तुम्हारा?’’ सुमन ने धड़कते दिल से पूछा.

‘‘मतलब छोड़ो. यह बताओ कि अजय यहां क्या करने आता है?’’ महेंद्र सिंह ने पूछा तो सुमन बोली, ‘‘कैसी बातें कर रहे हो तुम? अजय तुम्हारा भतीजा है. बात क्या है. उखड़े हुए से क्यों लग रहे हो?’’

‘‘तू मेरी पीठ पीछे क्या करती है, मुझे सब पता है. तेरी पाप लीला पूरे मोहल्ले के सामने आ चुकी है. तूने मुझे किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा.’’

‘‘अपनी पत्नी पर गलत इलजाम लगा रहे हो. तुम्हें शर्म आनी चाहिए.’’ सुमन ने रोते हुए कहा, तो महेंद्र सिंह बोला, ‘‘देखो, अब भी वक्त है. संभल जा, नहीं तो अंजाम अच्छा न होगा.’’

महेंद्र सिंह ने भतीजे अजय सिंह को भी फटकार लगाई और बिना मतलब घर न आने की हिदायत दी. महेंद्र सिंह की सख्ती से सुमन और अजय डर गए. अजय का आनाजाना भी कम हो गया. अब वह तभी आता जब उसे कोई जरूरी काम होता. वह भी चाचा महेंद्र सिंह की मौजूदगी में. महेंद्र सिंह अपने बड़े भाई मान सिंह का बहुत सम्मान करता था. इसलिए उस ने अजय की शिकायत भाई से नहीं की थी. लौकडाउन के दौरान मान सिंह ने महेंद्र सिंह से 5 हजार रुपए उधार लिए थे और फसल तैयार होने के बाद रुपया वापस करने का वादा किया था. अजय का आनाजाना कम हुआ तो महेंद्र सिंह ने राहत की सांस ली. उसे भी लगने लगा था कि अब सुमन और अजय का अवैध रिश्ता खत्म हो गया है. लिहाजा उस ने सुमन पर निगाह रखनी भी बंद कर दी थी.

20 जनवरी, 2021 की दोपहर 12 बजे महेंद्र सिंह ने पड़ोसियों को बताया कि उस की पत्नी सुमन ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उस की बात सुन कर पड़ोसी सन्न रह गए. कुछ ही देर बाद उस के दरवाजे पर भीड़ बढ़ने लगी. इसी बीच महेंद्र सिंह ने पत्नी के मायके वालों तथा थाना बर्रा पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह घटनास्थल पर आ गए. उस समय महेंद्र सिंह के घर पर भीड़ जुटी थी. मृतका सुमन की लाश कमरे में पलंग पर पड़ी थी. उस के गले में फांसी का फंदा था, किंतु गले में रगड़ के निशान नहीं थे. फांसी के अन्य लक्षण भी नजर नहीं आ रहे थे.

संदेह होने पर थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह ने पुलिस अधिकारियों को सूचित किया तो कुछ देर बाद एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो उन्हें भी महिला की मौत संदिग्ध लगी. फोरैंसिक टीम को भी आत्महत्या जैसा कोई सबूत नहीं मिला. पुलिस अधिकारी मौकाएवारदात पर अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि मृतका सुमन के मायके पक्ष के दरजनों लोग आ गए. आते ही उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया और महेंद्र पर सुमन की हत्या का आरोप लगाया तथा उसे गिरफ्तार करने की मांग की.

चूंकि पुलिस अधिकारी वैसे भी मामले को संदिग्ध मान रहे थे, अत: पुलिस ने मृतका के पति महेंद्र सिंह को हिरासत में ले लिया तथा शव पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया. दूसरे रोज शाम 5 बजे मृतका सुमन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह को प्राप्त हुई. उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी तो उन की शंका सच साबित हुई. रिपोर्ट में बताया गया कि सुमन ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि गला दबा कर उस की हत्या की गई थी. रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने मृतका के पति महेंद्र सिंह से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया और उस ने पत्नी सुमन की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

महेंद्र सिंह ने बताया कि उस की पत्नी सुमन के भतीजे अजय सिंह से नाजायज संबंध पहले से थे. उस ने कल शाम 4 बजे सुमन और अजय को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. उस समय अजय तो सिर पर पैर रख कर भाग गया. लेकिन सुमन की उस ने जम कर पिटाई की. देर रात अजय को ले कर उस का फिर सुमन से झगड़ा हुआ. गुस्से में उस ने सुमन का गला कस दिया, जिस से उस की मौत हो गई. पुलिस और पड़ोसियों को गुमराह करने के लिए उस ने सुमन के शव को उसी की साड़ी का फंदा बना कर कुंडे से लटका दिया. सुबह वह बड़ी बेटी पूजा को ले कर डाक्टर के पास चला गया.

उसे हल्का बुखार था. वहां से दोपहर 12 बजे वापस आया तो उस ने पत्नी द्वारा आत्महत्या कर लेने का शोर मचाया. उस के बाद पड़ोसी आ गए. चूंकि महेंद्र सिंह ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह ने मृतका के भाई गौरव को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत महेंद्र सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे गिरफ्तार कर लिया. 22 जनवरी, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त महेंद्र सिंह को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. सुमन की मासूम बेटियां पूजा और विभा ननिहाल में नानानानी के पास रह रही थीं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Social Crime News : रसूखदार कानूनगो की पोर्न स्टोरी

Social Crime News : रिटायर्ड कानूनगो और नेता रामबिहारी राठौर अय्याश प्रवृत्ति का था. वह नाबालिग बच्चों के साथ न सिर्फ कुकर्म करता था बल्कि वीडियो भी बना लेता था. फिर एक दिन ऐसा हुआ कि…

10 जनवरी, 2021 की सुबह 9 बजे रिटायर्ड लेखपाल रामबिहारी राठौर कोतवाली कोंच पहुंचा. उस समय कोतवाल इमरान खान कोतवाली में मौजूद थे. चूंकि इमरान खान रामबिहारी से अच्छी तरह परिचित थे. इसलिए उन्होंने उसे ससम्मान कुरसी पर बैठने का इशारा किया. फिर पूछा, ‘‘लेखपालजी, सुबहसुबह कैसे आना हुआ? कोई जरूरी काम है?’’

‘‘हां सर, जरूरी काम है, तभी थाने आया हूं.’’ रामबिहारी राठौर ने जवाब दिया.

‘‘तो फिर बताओ, क्या जरूरी काम है?’’ श्री खान ने पूछा.

‘‘सर, हमारे घर में चोरी हो गई है. एक पेन ड्राइव और एक हार्ड डिस्क चोर ले गए हैं. हार्ड डिस्क के कवर में 20 हजार रुपए भी थे. वह भी चोर ले गए हैं.’’ रामबिहारी ने जानकारी दी.

‘‘तुम्हारे घर किस ने चोरी की. क्या किसी पर कोई शक वगैरह है?’’ इंसपेक्टर खान ने पूछा.

‘‘हां सर, शक नहीं बल्कि मैं उन्हें अच्छी तरह जानतापहचानता हूं. वैसे भी चोरी करते समय उन की सारी करतूत कमरे में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है. आप चल कर फुटेज में देख लीजिए.’’

‘‘लेखपालजी, जब आप चोरी करने वालों को अच्छी तरह से जानतेपहचानते हैं और सबूत के तौर पर आप के पास फुटेज भी है, तो आप उन का नामपता बताइए. हम उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लेंगे और चोरी गया सामान भी बरामद कर लेंगे.’’

‘‘सर, उन का नाम राजकुमार प्रजापति तथा बालकिशन प्रजापति है. दोनों युवक कोंच शहर के मोहल्ला भगत सिंह नगर में रहते हैं. दोनों को दबंगों का संरक्षण प्राप्त है.’’ रामबिहारी ने बताया. चूंकि रामबिहारी राठौर पूर्व में लेखपाल तथा वर्तमान में कोंच नगर का भाजपा उपाध्यक्ष था, अत: इंसपेक्टर इमरान खान ने रामबिहारी से तहरीर ले कर तुरंत काररवाई शुरू कर दी. उन्होंने देर रात राजकुमार व बालकिशन के घरों पर दबिश दी और दोनों को हिरासत में ले लिया. उन के घर से पुलिस ने पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क भी बरामद कर ली. लेखपाल के अनुरोध पर पुलिस ने उस की पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क वापस कर दी.

पुलिस ने दोनों युवकों के पास से पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क तो बरामद कर ली थी. लेकिन 20 हजार रुपया बरामद नहीं हुआ था. इंसपेक्टर खान ने राजकुमार व बालकिशन से रुपयों के संबंध में कड़ाई से पूछा तो उन्होंने बताया कि रुपया नहीं था. लेखपाल रुपयों की बाबत झूठ बोल रहा है. वह बड़ा ही धूर्त और मक्कार इंसान है. इंसपेक्टर इमरान खान ने जब चोरी के बाबत पूछताछ शुरू की तो दोनों युवक फफक पड़े. उन्होंने सिसकते हुए अपना दर्द बयां किया तो थानाप्रभारी के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. बालकिशन व राजकुमार प्रजापति ने बताया कि रामबिहारी इंसान नहीं हैवान है. वह मासूमों को अपने जाल में फंसाता है और फिर उन के साथ कुकर्म करता है.

एक बार जो उस के जाल में फंस जाता है, फिर निकल नहीं पाता. वह उन के साथ कुकर्म का वीडियो बना लेता फिर ब्लैकमेल कर बारबार आने को मजबूर करता. 8 से 14 साल के बीच की उम्र के बच्चों को वह अपना शिकार बनाता है. गरीब परिवार की महिलाओं, किशोरियों और युवतियों को भी वह अपना शिकार बनाता है. राजकुमार व बालकिशन प्रजापति ने बताया कि रामबिहारी राठौर पिछले 5 सालों से उन दोनों के साथ भी घिनौना खेल खेल रहा था. उन दोनों ने बताया कि जब उन की उम्र 13 साल थी, तब वे जीवनयापन करने के लिए ठेले पर रख कर खाद्य सामग्री बेचते थे.

एक दिन जब वे दोनों सामान बेच कर घर आ रहे थे, तब लेखपाल रामबिहारी राठौर ने उन दोनों को रोक कर अपनी मीठीमीठी बातों में फंसाया. फिर वह उन्हें अपने घर में ले गया और दरवाजा बंद कर लिया. फिर बहाने से कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिला कर पिला दिया. उस के बाद उस ने उन दोनों के साथ कुकर्म किया. बाद में उन्होंने विरोध करने पर फरजी मुकदमे में फंसा देने की धमकी दी. कुछ दिन बाद जब वे दोनों ठेला ले कर जा रहे थे तो नेता ने उन्हें पुन: बुलाया और कमरे में लैपटाप पर वीडियो दिखाई, जिस में वह उन के साथ कुकर्म कर रहा था.

इस के बाद उन्होंने कहा कि मेरे कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और मैं ने तुम दोनों का वीडियो सुरक्षित रखा है. यदि तुम लोग मेरे बुलाने पर नहीं आए तो यह वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दूंगा. इस के बाद नेताजी ने कुछ और वीडियो दिखाए और कहा कि तुम सब के वीडियो हैं. यदि मेरे खिलाफ किसी भी प्रकार की शिकायत की, मैं उलटा मुकदमा कायम करा दूंगा. युवकों ने बताया कि डर के कारण उन्होंने मुंह बंद रखा. लेकिन नेताजी का शोषण जारी रहा. हम दोनों जैसे दरजनों बच्चे हैं, जिन के साथ वह घिनौना खेल खेलता है.

उन दोनों ने पुलिस को यह भी बताया कि 7 जनवरी, 2021 को नेता ने उन्हें घर बुलाया था, लेकिन वे नहीं गए. अगले दिन फिर बुलाया. जब वे दोनों घर पहुंचे तो नेता ने जबरदस्ती करने की कोशिश की. विरोध जताया तो उन्होंने जेल भिजवाने की धमकी दी. इस पर उन्होंने मोहल्ले के दबंग लोगों से संपर्क किया, फिर नेता रामबिहारी का घिनौना सच सामने लाने के लिए दबंगों के इशारे पर रामबिहारी की पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क उस के कमरे से उठा ली. यह दबंग, रामबिहारी को ब्लैकमेल कर उस से लाखों रुपया वसूलना चाहते थे. पूर्व लेखपाल व भाजपा नेता रामबिहारी का घिनौना सच सामने आया तो इंसपेक्टर इमरान खान के मन में कई आशंकाएं उमड़ने लगीं.

वह सोचने लगे, कहीं रामबिहारी बांदा के इंजीनियर रामभवन की तरह पोर्न फिल्मों का व्यापारी तो नहीं है. कहीं रामबिहारी के संबंध देशविदेश के पोर्न निर्माताओं से तो नहीं. इस सच को जानने के लिए रामबिहारी को गिरफ्तार करना आवश्यक था. लेकिन रामबिहारी को गिरफ्तार करना आसान नहीं था. वह सत्ता पक्ष का नेता था और सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं से उस के ताल्लुकात थे. उस की गिरफ्तारी से बवाल भी हो सकता था. अत: इंसपेक्टर खान ने इस प्रकरण की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पाते ही एसपी डा. यशवीर सिंह, एएसपी डा. अवधेश कुमार, डीएसपी (कोंच) राहुल पांडेय तथा क्राइम प्रभारी उदयभान गौतम कोतवाली कोंच आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने दोनों युवकों राजकुमार तथा बालकिशन से घंटों पूछताछ की फिर सफेदपोश नेता को गिरफ्तार करने के लिए डा. यशवीर सिंह ने डीएसपी राहुल पांडेय की निगरानी में एक पुलिस टीम का गठन कर दिया तथा कोंच कस्बे में पुलिस बल तैनात कर दिया. 12 जनवरी, 2021 की रात 10 बजे पुलिस टीम रामबिहारी के भगत सिंह नगर मोहल्ला स्थित घर पर पहुंची. लेकिन वह घर से फरार था. इस बीच पुलिस टीम को पता चला कि रामबिहारी पंचानन चौराहे पर मौजूद है. इस जानकारी पर पुलिस टीम वहां पहुंची और रामबिहारी को नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया.

उसे कोतवाली कोंच लाया गया. इस के बाद पुलिस टीम रात में ही रामबिहारी के घर पहुंची और पूरे घर की सघन तलाशी ली. तलाशी में उस के घर से लैपटाप, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन, डीवीआर, एक्सटर्नल हार्ड डिस्क तथा नशीला पाउडर व गोलियां बरामद कीं. थाने में रामबिहारी से कई घंटे पूछताछ की गई. रामबिहारी राठौर के घर से बरामद लैपटाप, पेन ड्राइव, मोबाइल, डीवीआर तथा हार्ड डिस्क की जांच साइबर एक्सपर्ट टीम तथा झांसी की फोरैंसिक टीम को सौंपी गई. टीम ने झांसी रेंज के आईजी सुभाष सिंह बघेल की निगरानी में जांच शुरू की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. फोरैंसिक टीम के प्रभारी शिवशंकर ने पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क से 50 से अधिक पोर्न वीडियो निकाले. उन का अनुमान है कि हार्ड डिस्क में 25 जीबी अश्लील डाटा है.

इधर पुलिस टीम ने लगभग 50 बच्चों को खोज निकाला, जिन के साथ रामबिहारी ने दरिंदगी की और उन के बचपन के साथ खिलवाड़ किया. इन में 36 बच्चे तो सामने आए, लेकिन बाकी बच्चे शर्म की वजह से सामने नहीं आए. 36 बच्चों में से 18 बच्चों ने ही बयान दर्ज कराए. जबकि 3 बच्चों ने बाकायदा रामबिहारी के विरुद्ध तहरीर दी. इन बच्चों की तहरीर पर थानाप्रभारी इमरान खान ने भादंवि की धारा 328/377/506 तथा पोक्सो एक्ट की धारा (3), (4) एवं आईटी एक्ट की धारा 67ख के तहत रामबिहारी राठौर के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया. भाजपा नेता रामबिहारी के घिनौने सच का परदाफाश हुआ तो कोंच कस्बे में सनसनी फैल गई.

लोग तरहतरह की चर्चाएं करने लगे. किरकिरी से बचने के लिए नगर अध्यक्ष सुनील लोहिया ने बयान जारी कर दिया कि भाजपा का रामबिहारी से कोई लेनादेना नहीं है. रामबिहारी ने पिछले महीने ही अपने पद व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसे मंजूर कर लिया गया था. इधर सेवानिवृत्त लेखपाल एवं उस की घिनौनी करतूतों की खबर अखबारों में छपी तो कोंच कस्बे में लोगों का गुस्सा फट पड़ा. महिलाओं और पुरुषों ने लेखपाल का घर घेर लिया और इस हैवान को फांसी दो के नारे लगाने लगे. भीड़ रामबिहारी का घर तोड़ने व फूंकने पर आमादा हो गई. कुछ लोग उस के घर की छत पर भी चढ़ गए.

लेकिन पुलिस ने किसी तरह घेरा बना कर भीड़ को रोका और समझाबुझा कर शांत किया. कुछ महिलाएं व पुरुष कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने रामबिहारी को उन के हवाले करने की मांग की. दरअसल, वे महिलाएं हाथ में स्याही लिए थीं, वे रामबिहारी का मुंह काला करना चाहती थी. लेकिन एसपी डा. यशवीर सिंह ने उन्हें समझाया कि अपराधी अब पुलिस कस्टडी में है. अत: कानून का उल्लंघन न करें. कानून खुद उसे सजा देगा. कड़ी मशक्कत के बाद महिलाओं ने एसपी की बात मान ली और वे थाने से चली गईं. रामबिहारी राठौर कौन था? वह रसूखदार सफेदपोश नेता कैसे बना? फिर इंसान से हैवान क्यों बन गया? यह सब जानने के लिए हमें उस के अतीत की ओर झांकना होगा.

जालौन जिले का एक कस्बा है-कोंच. तहसील होने के कारण कोंच कस्बे में हर रोज चहलपहल रहती है. इसी कस्बे के मोहल्ला भगत सिंह नगर में रामबिहारी राठौर अपनी पत्नी उषा के साथ रहता था. रामबिहारी का अपना पुश्तैनी मकान था, जिस के एक भाग में वह स्वयं रहता था, जबकि दूसरे भाग में उस का छोटा भाई श्यामबिहारी अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहता था. रामबिहारी पढ़ालिखा व्यक्ति था. वर्ष 1982 में उस का चयन लेखपाल के पद पर हुआ था. कोंच तहसील में ही वह कार्यरत था. रामबिहारी महत्त्वाकांक्षी था. धन कमाना ही उस का मकसद था. चूंकि वह लेखपाल था, सो उस की कमाई अच्छी थी. लेकिन संतानहीन था. उस ने पत्नी उषा का इलाज तो कराया लेकिन वह बाप न बन सका.

उषा संतानहीन थी, सो रामबिहारी का मन उस से उचट गया और वह पराई औरतों में दिलचस्पी लेने लगा. उस के पास गरीब परिवार की महिलाएं राशन कार्ड बनवाने व अन्य आर्थिक मदद हेतु आती थीं. ऐसी महिलाओं का वह मदद के नाम पर शारीरिक शोषण करता था. वर्ष 2005 में एक महिला ने सब से पहले उस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. लेकिन रामबिहारी ने उस के घरवालों पर दबाव बना कर मामला रफादफा कर लिया. कोंच तहसील के गांव कुंवरपुरा की कुछ महिलाओं ने भी उस के खिलाफ यौनशोषण की शिकायत तहसील अफसरों से की थी. तब रामबिहारी ने अफसरों से हाथ जोड़ कर तथा माफी मांग कर लीपापोती कर ली.

सन 2017 में रामबिहारी को रिटायर होना था. लेकिन रिटायर होने के पूर्व उस की तरक्की हो गई. वह लेखपाल से कानूनगो बना दिया गया. फिर कानूनगो पद से ही वह रिटायर हुआ. रिटायर होने के बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गया. उस ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. कुछ समय बाद ही उसे कोंच का भाजपा नगर उपाध्यक्ष बना दिया गया. रामबिहारी तेजतर्रार था. उस ने जल्द ही शासनप्रशासन में पकड़ बना ली. उस ने घर पर कार्यालय बना लिया और उपाध्यक्ष का बोर्ड लगा लिया. नेतागिरी की आड़ में वह जायजनाजायज काम करने लगा. वह कोंच का रसूखदार सफेदपोश नेता बन गया.

रामबिहारी का घर में एक स्पैशल रूम था. इस रूम में उस ने 5 सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे. घर के बाहर भी कैमरा लगा था. कमरे में लैपटाप, डीवीआर व हार्ड डिस्क भी थी. आनेजाने वालों की हर तसवीर कैद होती थी. हनक बनाए रखने के लिए उस ने कार खरीद ली थी और पिस्टल भी ले ली थी. रामबिहारी अवैध कमाई के लिए अपने घर पर जुआ की फड़ भी चलाता था. उस के घर पर छोटामोटा नहीं, लाखों का जुआ होता था. खेलने वाले कोंच से ही नहीं, उरई, कालपी और बांदा तक से आते थे. जुए के खेल में वह अपनी ही मनमानी चलाता था.

जुआ खेलने वाला व्यक्ति अगर जीत गया तो वह उसे तब तक नहीं जाने देता था, जब तक वह हार न जाए. इसी तिकड़म में उस ने सैकड़ों को फंसाया और लाखों रुपए कमाए. इस में से कुछ रकम वह नेता, पुलिस, गुंडा गठजोड़ पर खर्च करता ताकि धंधा चलता रहे. रामबिहारी राठौर जाल बुनने में महारथी था. वह अधिकारियों, कर्मचारियों एवं सामान्य लोगों के सामने अपने रसूख का प्रदर्शन कर के उन्हें दबाव में लेने की कोशिश करता था. बातों का ऐसा जाल बुनता था कि लोग फंस जाते थे. हर दल के नेताओं के बीच उस की घुसपैठ थी. उस के रसूख के आगे पुलिस तंत्र भी नतमस्तक था. किसी पर भी मुकदमा दर्ज करा देना, उस के लिए बेहद आसान था.

रामबिहारी राठौर बेहद अय्याश था. वह गरीब परिवार की महिलाओं, युवतियों, किशोरियों को तो अपनी हवस का शिकार बनाता ही था, मासूम बच्चों के साथ भी दुष्कर्म करता था. वह 8 से 14 साल की उम्र के बच्चों को अपने जाल में फंसाता था. बच्चे को रुपयों का लालच दे कर घर बुलाता फिर कोेल्ड ड्रिंक में नशीला पाउडर मिला कर पीने को देता. बच्चा जब बेहोश हो जाता तो उस के साथ दुष्कर्म करता. दुष्कर्म के दौरान वह उस का वीडियो बना लेता. कोई बच्चा एक बार उस के जाल में फंस जाता, तो वह उसे बारबार बुलाता. इनकार करने पर अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देता, जिस से वह डर जाता और बुलाने पर आने को मजबूर हो जाता.

वह जिस बच्चे को जाल में फंसा लेता, उसे वह दूसरे बच्चे को लाने के लिए कहता. इस तरह उस ने कई दरजन बच्चे अपने जाल में फंसा लिए थे, जिन के साथ वह दरिंदगी का खेल खेलता था. वह स्वयं भी सेक्सवर्धक दवाओं का सेवन करता था और किसी बाहरी व्यक्ति को अपने कमरे में नहीं आने देता था. रामबिहारी राठौर के घर सुबह से देर शाम तक कम उम्र के बच्चों का आनाजाना बना रहता था. उस के कुकृत्यों का आभास आसपड़ोस के लोगों को भी था. लेकिन लोग उस के बारे में कुछ कहने से सहमते थे. कभी किसी ने अंगुली उठाई तो उस ने अपने रसूख से उन लोगों के मुंह बंद करा दिए.

किसी के खिलाफ थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी तो किसी को दबंगों से धमकवा दिया. बाद में उस की मदद का ड्रामा कर के उस का दिल जीत लिया. लेकिन कहते हैं, गलत काम का घड़ा तो एक न एक दिन फूटता ही है. वही रामबिहारी के साथ भी हुआ. दरअसल रामबिहारी ने मोहल्ला भगत सिंह नगर के 2 लड़कों राजकुमार व बालकिशन को अपने जाल में फंसा रखा था और पिछले कई साल से वह उन के साथ दरिंदगी का खेल खेल रहा था. इधर रामबिहारी की नजर उन दोनों की नाबालिग बहनों पर पड़ी तो वह उन्हें लाने को मजबूर करने लगा. यह बात उन दोनों को नागवार लगी और उन्होंने साफ मना कर दिया. इस पर रामबिहारी ने उन दोनों का अश्लील वीडियो वायरल करने तथा जेल भिजवाने की धमकी दी.

रामबिहारी की धमकी से डर कर राजकुमार व बालकिशन प्रजापति मोहल्ले के 2 दबंगों के पास पहुंच गए और रामबिहारी के कुकृत्यों का चिट्ठा खोल दिया. उन दबंगों ने तब उन को मदद का आश्वासन दिया और रामबिहारी को ब्लैकमेल करने की योजना बनाई. योजना के तहत दबंगों ने राजकुमार व बालकिशन की मार्फत रामबिहारी के घर में चोरी करा दी. उस के बाद दबंगों ने रामबिहारी से 15 लाख रुपयों की मांग की. भेद खुलने के भय से रामबिहारी उन्हें 5 लाख रुपए देने को राजी भी हो गया. लेकिन पैसों के बंटवारे को ले कर दबंगों व पीडि़तों के बीच झगड़ा हो गया.

इस का फायदा उठा कर रामबिहारी थाने पहुंच गया और चोरी करने वाले दोनों लड़कों के खिलाफ तहरीर दे दी. तहरीर मिलते ही कोंच पुलिस ने चोरी गए सामान सहित उन दोनों लड़कों को पकड़ लिया. पुलिस ने जब पकड़े गए राजकुमार व बालकिशन से पूछताछ की तो रामबिहारी राठौर के घिनौने सच का परदाफाश हो गया. पुलिस जांच में लगभग 300 अश्लील वीडियोे सामने आए हैं और लगभग 50 बच्चों के साथ उस ने दुष्कर्म किया था. जांच से यह भी पता चला कि रामबिहारी पोर्न फिल्मों का व्यापारी नहीं है. न ही उस के किसी पोर्न फिल्म निर्माता से संबंध हैं. रामबिहारी का कनेक्शन बांदा के जेई रामभवन से भी नहीं था.

13 जनवरी, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त रामबिहारी राठौर को जालौन की उरई स्थित कोर्ट में मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रोंं पर आधारित

Faridabad Crime News : भाभी संग मिलकर क्यों रचा भाई के कत्ल का खौफनाक खेल

Faridabad Crime News : दिनेश धवन से प्रेम विवाह करने के बाद अनु जब मां नहीं बनी तो उस ने पहले हरजीत से फिर नितिन से नजदीकियां बढ़ाईं. उस के रास्ते में पति बाधक बना तो उस के अगले कदम ने एक ऐसे अपराध को जन्म दिया कि…

28 जनवरी, 2021 को फरीदाबाद के डबुआ कालोनी थाने की पुलिस को सूचना मिली कि गहरे नाले में एक लाश पड़ी है. इस बात की जानकारी मिलते ही वहां के थानाप्रभारी संदीप कुमार अतिरिक्त थानाप्रभारी यासीन खान और कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा कि नाले की कीचड़ में एक लाश पड़ी थी, जिस से काफी दुर्गंध आ रही थी. लाश पुरानी थी, जिसे देख कर पहचानना काफी मुश्किल था. लगता था हत्यारों ने वह कई दिन पहले नाले में फेंकी होगी.

थानाप्रभारी संदीप कुमार ने पुलिसकर्मियों की मदद से लाश बाहर निकलवाई. क्राइम टीम द्वारा लाश की विभिन्न ऐंगल से फोटो लेने के बाद उस की शिनाख्त के प्रयास किए गए. लेकिन उस की शिनाख्त नहीं हो सकी तो उसे फरीदाबाद के बी.के. अस्पताल में सुरक्षित रखवा दिया गया. उसी दिन थानाप्रभारी संदीप कुमार ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर के जांच अतिरिक्त थानाप्रभारी यासीन खान को सौंप दी. इस केस को सुलझाने के लिए डबुआ थाने की एक पुलिस टीम गठित की गई, जिस में थानाप्रभारी संदीप कुमार, एसआई यासीन खान, एएसआई कुलदीप और कांस्टेबल पवन शामिल थे.

जांच अपने हाथ में लेने के बाद विवेचनाधारी अतिरिक्त थानाप्रभारी यासीन खान अपने आसपास के इलाके से इस बात का पता लगाने का प्रयास किया कि पिछले कुछ दिनों में शहर का कोई व्यक्ति गायब तो नहीं है. कई लोगों से पूछताछ करने के बाद उन्हें जानकारी मिली कि दिनेश धवन नाम का एक व्यक्ति सैनिक कालोनी से लापता है. उस का मोबाइल भी इन दिनों स्विच्ड औफ चल रहा है. कहीं मरने वाला वही तो नहीं, ऐसा विचार करते हुए अतिरिक्त थानाप्रभारी यासीन खान सैनिक कालोनी स्थित दिनेश धवन के घर पहुंचे.

वहां उस की पत्नी अनु मिली. अनु के साथ एक व्यक्ति और था. उस का नाम पूछने पर उस ने अपना नाम हरजीत बताया. उन्होंने अनु को नाले से मिली लाश की फोटो दिखाई तो अनु और उस के साथ बैठे हरजीत ने उसे देखने के बाद लाश पहचानने से इनकार कर दी. सैनिक कालोनी से वापस लौट कर अतिरिक्त थानाप्रभारी यासीन खान ने थानाप्रभारी संदीप कुमार को मृतक की पत्नी अनु से हुई पूछताछ के बारे में जानकारी दी तो थानाप्रभारी ने मृतक की फोटो को सोशल मीडिया के अतिरिक्त उस के पोस्टर बनवा कर फरीदाबाद के प्रमुख चौकचौराहों पर चस्पा करने की सलाह दी.

यासीन खान ने ऐसा ही किया. ऐसा करने पर अगले दिन यानी 29 जनवरी को दीपा नाम की औरत डबुआ थाने में आई और उस ने लाश को देखने की इच्छा जाहिर की. तब पुलिस ने उसे फरीदाबाद के बी.के. अस्पताल में रखी लाश दिखाई. लाश काफी बदतर अवस्था में थी, उसे देख कर उस की शिनाख्त करना मुश्किल था लेकिन लाश की दाहिनी कलाई पर एक ब्रेसलेट था, जिसे देख कर दीपा ने बताया कि उस ने यह ब्रेसलेट रक्षाबंधन पर अपने मुंहबोले भाई दिनेश धवन को पहनाया था. इस ब्रेसलेट पर धवन गुदा हुआ था.  दिनेश धवन के कुछ और दोस्तों को बुला कर जब यह लाश दिखाई गई तो उन लोगों ने भी बे्रसलेट देखने के बाद उस की शिनाख्त दिनेश धवन के रूप में की.

यह सब जानने के बाद अतिरिक्त थानाप्रभारी यासीन खान को दिनेश धवन की पत्नी अनु पर शक हो गया. क्योंकि वह लाश की फोटो देखने के बाद उसे पहचानने से साफ इनकार कर चुकी थी. जबकि दूसरी तरफ दिनेश धवन की मुंहबोली बहन दीपा और दोस्त अस्पताल में रखी लाश को दिनेश धवन का होने का दावा कर रहे थे. यासीन खान ने एएसआई कुलदीप को दिनेश धवन के घर भेज कर उस की पत्नी अनु को पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया. पहली फरवरी, 2021 को अनु थाने में पहुंची. पूछताछ के दौरान उस के पति के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि करीब 20 दिन पहले वह नौकरी करने झारखंड चला गया है जिस से उस की वाट्सऐप पर रोज चैटिंग होती है.

लेकिन जब अनु से दिनेश धवन का मोबाइल नंबर ले कर उस की लोकेशन निकाली गई तो मोबाइल की लोकेशन फरीदाबाद में ही मिली. यह देख कर यासीन खान ने अनु से दोबारा सख्तीपूर्वक पूछताछ की तो वह टूट गई और उस ने अपने प्रेमी नितिन और उस के साथियों के साथ मिल कर अपने पति दिनेश धवन की हत्या की बात स्वीकार कर ली.

पूछताछ के दौरान अनु ने अपने बयान में जो कुछ बताया और पुलिस की जांच के दौरान दिनेश की हत्या के पीछे जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

35 वर्षीय दिनेश धवन पेशे से प्रौपर्टी डीलर था. वह पत्नी अनु के साथ फरीदाबाद की सैनिक कालोनी में रहता था. घर से कुछ ही दूरी पर उस का औफिस था, जहां बैठ कर वह मकान की खरीदफरोख्त और लोगों को दुकान आदि किराए पर दिलवाने का काम करता था. इस काम में उसे अच्छाखासा कमीशन मिल जाता था, जिस से वह बड़े आराम की जिंदगी गुजार रहा था. दिनेश ने लगभग 10 साल पहले अनु से प्रेम विवाह किया था. अनु का मायका भी सैनिक कालोनी में ही था, जहां उस के पिता भाई और अन्य रिश्तेदार रहते थे.

दिनेश धवन और अनु दोनों एकदूसरे को जीजान से प्यार करते थे. वह अनु के सभी नाजनखरे उठाता तो अनु भी दिनेश के मूड का खयाल रखती थी. वह कभी कोई ऐसा काम नहीं करती, जो दिनेश को नागवार गुजरे. धीरेधीरे वक्त गुजरता गया. जिंदगी के खुशनुमा लम्हों को गुजरने में पता कहां चलता है. देखते ही देखते कई साल गुजर गए, लेकिन अनु की गोद हरी नहीं हुई. संतान नहीं होने के कारण उन के जीवन में नीरसता घुलने लगी तो अनु को चिंता हुई. उस ने दिनेश के सामने अपनी चिंता जाहिर की तो उस ने शहर के कई अच्छे डाक्टरों से अपना इलाज करवाया मगर कोई नतीजा नहीं निकला. आखिर में रिश्तेदारों के कहने पर दिनेश धवन और अनु ने बाल आश्रम से एक बच्ची गोद ले ली और उस की परवरिश करने लगे.

दिनेश धवन के औफिस में मिलने के लिए तरहतरह के लोग आते थे. कभीकभार पीनेपिलाने का दौर भी चलता था. वह खुद भी पीने का शौकीन था. पहले तो इतना ही पीता था, जितना पीने के बाद वह अपना होश कायम रख सके. लेकिन बाद में उस के पीने की लिमिट ज्यादा बढ़ गई तो अनु के साथ उस के संबंधों में कड़वाहट आने लगी. अनु दिनेश को पीने से मना करती तो दिनेश एक कान से उस की बात सुनता दूसरे से बाहर निकाल देता था. वह रोज अनु के सामने नहीं पीने की कसम खा कर घर से औफिस निकलता था, लेकिन जब वह वापस लौटता तो उस के कदम लड़खड़ा रहे होते थे.

पति की पीने की आदत से परेशान अनु अपना दुखड़ा लोगों को सुनाती रहती थी. उस की इस परेशानी का फायदा पड़ोस में रहने वाले हरजीत ने उठाया. उस की नजर अनु के खूबसूरत बदन पर टिकी थी. अनु की दुखती रग पर हाथ रख कर वह धीरेधीरे अनु के दिल के करीब आ गया. अनु को भी लगा एक हरजीत ही उस का दुख समझता है. वह कोई भी काम उसे कहती तो वह सब से पहले अनु का कहा काम पूरा करता फिर बाद में अपना काम करता था. दिनेश की शराब की लत के कारण हर रात अनु का उस से विवाद हो जाता था.

सुबह उस के औफिस चले जाने के बाद अनु अपना अपना दुखड़ा हरजीत को सुनाती थी.  हरजीत पहले से अनु को पाने की फिराक में था. वह अनु की हां में हां मिला कर उस के जख्मों पर मरहम लगा कर उस के कोमल दिल में अपनी जगह बनाने की कोशिश करता था. कुछ ही महीनों में अनु के दिल में इस का असर हुआ और हरजीत मौका देख कर उस के साथ जिस्मानी संबंध बनाने में कामयाब हो गया. हरजीत और अनु के इन संबंधों की जानकारी काफी दिनों तक दिनेश धवन को नहीं हुई, मगर जब आसपड़ोस में उस की पत्नी और हरजीत के अवैध संबंधों के बारे में तरहतरह के चर्चे होने लगे तो दिनेश ने अनु से पूछा कि उस के औफिस जाने के बाद हरजीत यहां क्यों आता है.

अनु ने पति के आरोप सिरे से खारिज करते हुए कहा कि हरजीत उम्र में उस से काफी बड़ा है, जिसे वह चाचा कह कर पुकारती है. वह कभीकभार जरूरत पड़ने पर घर का कोई काम उस से करवाती है. जिसे देख कर लोग बेवजह उस से जलते हैं और तुम्हें मेरे खिलाफ भड़काने का काम कर रहे हैं. लेकिन दिनेश ने अपनी गैरमौजूदगी में हरजीत के घर आने पर रोक लगा दी और उसे अपना काम खुद ही निबटाने के लिए कहा. पति की बात सुन कर अनु ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए हरजीत को भविष्य में कभी नहीं बुलाने की कसम खाई.

अनु की गलती मानने पर दिनेश ने उसे माफ कर दिया. लेकिन हरजीत और अनु का रिश्ता खत्म नहीं हुआ. पति की नजरों में धूल झोंक कर अनु ने हरजीत से मिलना जारी रखा. दिनेश घवन के दोस्तों में एक नाम नितिन पंडित का था. दिनेश धवन से उम्र में करीब 10 साल छोटा नितिन बल्लभगढ़ की एक कैमिकल फैक्ट्री में नौकरी करता था. छोटा होने के बावजूद उस की दिनेश के साथ खूब छनती थी. दोनों साथ दारू पीते और लंबीलंबी डींगे हांका करते थे. दिनेश धवन जब शराब के नशे में टल्ली हो जाता तो नितिन उसे संभाल कर उस के घर सैनिक कालोनी पहुंचा आता था. नितिन दिनेश की पत्नी अनु को भाभी कहता था. भाभीदेवर का रिश्ता होने के कारण दोनों अकसर हंसीमजाक करते रहते थे. नितिन अनु की खूबसूरती की जी भर कर तारीफ करता था.

धीरेधीरे दोनों एकदूसरे के करीब आ गए और उन के बीच मधुर संबंध कायम हो गए. इस के बाद अनु और नितिन को जब भी मौका मिलता, वे अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे. पिछले साल जब पूरे देश में लौकडाउन शुरू हुआ तो सारी दुनिया जैसे ठहर सी गई. लोगों के कामधंधे बंद हो गए. दिनेश घवन की आमदनी बंद हो गई तो वह परेशान रहने लगा. अनु को ऐसी हालत में पति की मदद करनी चाहिए थी, लेकिन हुआ एकदम उलटा. वह दिनेश को अपने जरूरत की चीजें नहीं देने पर उसे ताना मारने लगी. एक तो आमदनी बंद दूसरे अनु के व्यवहार ने उसे अंदर से तोड़ दिया. परेशान हो कर वह हर वक्त नशा करने लगा. इस प्रकार अनु और दिनेश के बीच की दूरी बढ़ती चली गई.

दूसरी तरफ पति के हमेशा घर में रहने से उस के और नितिन के प्यार की कहानी में ब्रेक लग गया. वे दोनों मोबाइल पर बातें कर अपने प्यार का इजहार करते, लेकिन अकेले में मिल कर अपने दिल की प्यास नहीं बुझा पाते थे. घटना से करीब 2 महीने पहले अनु धवन ने नितिन के साथ मिल कर पति को हमेशा के लिए रास्ते से हटा देने की योजना तैयार की. इस काम में मदद के लिए उस का पुराना प्रेमी हरजीत भी राजी हो गया. नितिन ने अपने दोस्त विनीत और विष्णु को इस योजना में शामिल कर लिया. 11 जनवरी, 2021 की शाम को नितिन, विष्णु और विनीत दिनेश के औफिस से घर लौटने के पहले ही अनु के घर में आ कर छिप गए. रोज की तरह उस दिन भी दिनेश धवन नशे में धुत हो कर घर लौटा था.

वह खाना खा कर सो गया. रात के लगभग एक बजे अनु ने अपने प्रेमी नितिन से कहा कि दिनेश नशे में बेसुध है उस का जल्दी से काम तमाम कर दो. अनु का इशारा पा कर नितिन, विनीत और विष्णु दबे पांव गहरी नींद में सो रहे दिनेश धवन के पास पहुंचे और गला दबा कर उसे मौत की नींद सुला दिया. कहीं वह जिंदा न रह जाए, इसलिए उन्होंने उस के सिर परभी डंडे मारे. सुबह लगभग 4 बजे हरजीत अनु के घर पहुंचा तो नितिन ने उस से कहा कि वह अपना काम कर चुका है. वह दिनेश की लाश को अच्छी तरह पैक कर घर में ही छिपा दे. मौका मिलते ही वे लाश को कहीं ठिकाने लगा देंगे.

इतना कह कर नितिन अपने दोस्तों के साथ अनु के घर से निकल गया. हरजीत ने दिनेश धवन की लाश बैडशीट और प्लास्टिक में पैक कर घर के बाथरूम में छिपा दी. 4-5 दिन बाद जब लाश से बदबू आने लगी तब अनु ने घबरा कर नितिन तथा हरजीत से उसे जल्दी ठिकाने लगाने के लिए कहा. तब 18 जनवरी, 2021 को नितिन, हरजीत, विष्णु और दीपक अनु के घर पहुंचे और लाश बैड के अंदर छिपा दी. फिर बैड सहित लाश को एक रेहड़ी के ऊपर डाल कर गहरे नाले के पास ले गए और ठिकाने लगा दी. जब रास्ते में लोगों ने बैड के बारे में पूछा तो हरजीत ने बताया कि वह बैड को रिपेयर कराने के लिए ले जा रहा है. लाश उन्होंने नाले में डाल दी.

लाश ठिकाने लगाने के बाद हरजीत बैड को वापस अनु के घर ले आया, जिसे अनु ने घर की छत पर रखवा दिया. नितिन ने विष्णु को दिनेश धवन की हत्या करने के बदले 41 हजार रुपए देने का वादा किया था, जो अनु ने अपने अकाउंट से विष्णु को ट्रांसफर कर दिए. दिनेश धवन की हत्या करने के बाद अनु और नितिन अपनी आने वाली नई जिंदगी गुजारने के हसीन सपने देख रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर उन के सपनों को चकनाचूर कर दिया. अनु को पहली फरवरी, 2021 को गिरफ्तार  करने के बाद अगले दिन पुलिस ने पहले अनु के प्रेमी नितिन तथा उस के दोस्तों विनीत, विष्णु, हरजीत और दीपक को भी गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

Rajasthan News : लव जिहाद मामला, जिसने सभी को कर डाला हैरान

Rajasthan News : सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि यदि विपरीत धर्म के बालिग युवकयुवती स्वेच्छा से शादी करते हैं तो इसे लव जिहाद का नाम न दिया जाए. लेकिन पिछले दिनों बीकानेर में जो हुआ, वह आरोपोंप्रत्यारोपों का लव जिहाद ज्यादा नजर आता है, क्योंकि शादी करने वाली लड़की मनीषा जो कह रही है वह…

राजस्थान का बीकानेर वैसे तो भुजिया पापड़ के लिए मशहूर है. लेकिन पिछले दिनों बीकानेर का कथित लव जिहाद का मामला सुर्खियों में है. हाल ही में युवती मनीषा डूडी के पिता और दादा ने हिंदू समाज से न्याय के लिए गुहार लगाई. उन का आरोप था कि उन की बच्ची मनीषा डूडी का अपहरण किया गया और इस के बाद मुसलिम लड़के मुख्तयार खान पुत्र मुन्ने खान ने उस के साथ शादी कर ली. मामला बीकानेर जिले की कोलायत तहसील के बज्जू क्षेत्र का है. वहीं के रहने वाले मनीषा डूडी के दादा हरीराम और पिता सत्यनारायण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिस में उन्होंने समाज के लोगों से बेटी मनीषा को छुड़वाने की अपील की थी.

साथ ही यह भी धमकी दी कि अगर उन की बेटी नहीं आएगी तो वह आत्महत्या कर लेंगे. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने इस मामले की जांच की और उसे लव जिहाद का मामला नहीं माना. सोशल मीडिया पर वीडियो वार छिड़ गई. प्रेम विवाह करने वाली युवती मनीषा डूडी जहां अपनी मरजी से किसी के दबाव में नहीं आ कर मुख्तयार खान से शादी करने की बात कह रही थी, वहीं बीकानेर पुलिस मनीषा के प्रेम विवाह करने की बात का समर्थन कर रही थी. तथाकथित लव जिहाद के मामले ने तूल पकड़ा तो 17 जनवरी, 2021 रविवार को केसरिया हिंदू वाहिनी संगठन सहित सर्वसमाज के संगठनों ने लव जिहाद के मामले का विरोध किया. बीकानेर कलेक्ट्रेट पर हजारों लोगों ने प्रदर्शन कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की.

तथाकथित लव जिहाद का मामला सोशल मीडिया में आने और इसे बढ़ावा देने पर सामाजिक कार्यकर्ता अंबेडकर कालोनी निवासी अकबर अली ने दर्ज कराया. सत्यनारायण डूडी और उस के पिता हरीराम डूडी निवासी मुक्ता प्रसाद कालोनी, बीकानेर के खिलाफ 17 जनवरी, 2021 को नया शहर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी. अकबर अली की शिकायत पर पुलिस ने समाज में आपसी शत्रुता बढ़ाने, 4 वर्गों में वैमनस्यता पैदा करने और अशांति का माहौल बनाने का मामला दर्ज करा लिया. अब जानते हैं कि यह मुख्तयार कौन है, जिस पर मनीषा के साथ जबरन शादी करने के आरोप लग रहे हैं.

22 वर्षीय मुख्तयार खान पुत्र मुन्ने खान, निवासी गांव बीठनोक, तहसील कोलायत, जिला बीकानेर का था. वहीं 18 वर्षीय युवती मनीषा डूडी गांव आरडी-860 बांगड़सर, जिला बीकानेर के रहने वाले सत्यनारायण डूडी की बेटी थी. मुख्तयार खान और मनीषा ने प्रेम विवाह किया था. इस अंतरधार्मिक शादी को ले कर बीकानेर में खूब बवाल मचा कट्टरपंथी इसे लव जिहाद बनाने पर तुले थे. थाने में दिए गए सर्टिफिकेट के अनुसार दोनों ने बीकानेर के एफसीआई गोदाम के पास स्थित बंगला नगर में 10 दिसंबर, 2020 को शादी की. जांच में पुलिस को पता चला कि मुख्तयार खान और मनीषा के परिवार के घनिष्ठ संबंध थे.

दोनों के पिता मुन्ने खान और सत्यनारायण बिजनैस पार्टनर थे. इस वजह से मुख्तयार का मनीषा के घर आनाजाना था. इसी दौरान दोनों करीब आए और फिर शादी का निर्णय लिया. मनीषा ने अपील की कि उस के प्रेम के नाम पर राजनीति न की जाए. उस ने कहा कि उस से पहले क्या किसी हिंदू लड़की ने मुसलिम युवक से शादी नहीं की. ऐसी बहुत शादियां हुई हैं तो हमारा विरोध क्यों?

एसपी बीकानेर प्रीति चंद्रा ने कहा, ‘यह मामला लव जिहाद का नहीं है. युवकयुवती ने अपनी शादी के कागजात भी दिखाए. इस में कहीं भी लव जिहाद नहीं है. हम मामले पर नजर रखे हुए हैं. मनीषा के पास हमारा कौन्टैक्ट नंबर है, अगर वह हम से सुरक्षा की मांग करेगी तो हम आगे की काररवाई करेंगे.’

लड़की और लड़का प्रेम विवाह बता रहे थे. पुलिस भी यही कह रही थी. जबकि लड़की के परिजन इसे लव जिहाद बता रहे थे. इस घटना ने बीकानेर में सर्दी के मौसम में भी गरमी पैदा कर दी. सोशल मीडिया पर लोग अपनाअपना राग अलाप रहे थे. जाट जाति के हरीराम डूडी का परिवार काफी समय पहले बांगड़सर से बीकानेर शहर में आ बसा था. बीकानेर में आ कर सत्यनारायण ने कामधंधे की तलाश शुरू की. उन्हीं दिनों सत्यनारायण की जानपहचान प्रौपर्टी का धंधा करने वाले मुन्ने खान से हो गई. वह गांव बीठनोक, जिला बीकानेर का रहने वाला था. मुन्ने खान जाति से मांगणहार था. वह बीकानेर में रहता था. उन दिनों सत्यनारायण का परिवार बीकानेर की मुक्ताप्रसाद कालोनी में रह रहा था.

मुन्ने खान से दोस्ती गाढ़ी हुई तो मुन्ने खान के साथ सत्यनारायण ने पार्टनरशिप में धंधा शुरू किया. वैसे मांगणहार जाति के लोगों का पेशा गायनवादन है. मांगणहार जाति के लोग अपने यजमानों के घर पर बच्चे के जन्म, शादी एवं तीजत्यौहार पर जा कर गानाबजाना करते हैं.  यजमानों द्वारा दिए गए रुपएपैसों, अनाज, कपड़े वगैरह से इन के परिवारों का पालनपोषण होता है. मगर मुन्ने खान ने अपने पुश्तैनी काम की जगह गांव बीठनोक से बीकानेर आ कर प्रौपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया और उस का काम चल निकला. प्रौपर्टी डीलिंग में अच्छी आमदनी थी. सत्यनारायण को भी उस ने अपना पार्टनर बना लिया. दोनों ने पार्टनरशिप में एक होटल भी खोला और साथ में काम करने लगे.

सत्यनारायण जहां सीधासादा था, उस के उलट मुन्ने खान दबंग प्रवृति का व्यक्ति था. सत्यनारायण को यह पता नहीं था. खैर, दोनों साथ काम करते थे और दोस्ती भी पक्की थी तो मुन्ने खान का सत्यनारायण के घर आनाजाना शुरू हो गया. थोड़े ही दिनों में मुन्ने खान ने सत्यनारायण की पत्नी को अपनी धर्मबहन बना लिया. मुन्ने का बेटा मुख्तयार खां अकसर सत्यनारायण के घर आता और ज्यादा से ज्यादा समय मनीषा के इर्दगिर्द मंडराता रहता था.  मुख्तयार ने 17 साल की उम्र से ही मनीषा पर डोरे डालने शुरू कर दिए थे. मनीषा उस समय नाबालिग थी. मुख्तयार ने उस का ब्रेनवाश कर के अपने रंग में रंग लिया. उम्र बढ़ने के साथ ही दोनों प्यार के रंग में रंगते चले गए.

दोनों की प्रेम कहानी का मनीषा के घर वालों को पता तक नहीं था. सत्यनारायण और उस के परिजन समझते थे कि धर्म के रिश्ते की वजह से मनीषा व मुख्तयार भाईबहन हैं. बाद में किसी वजह से मुन्ने के और सत्यनारायण के बीच थोड़ी खटास आई तो होटल की पार्टनरशिप का धंधा अलग कर लिया. सत्यनारायण ने मुन्ने खान से पार्टनरशिप तोड़ी और अपना धंधा अलग कर लिया. मुन्ने खान को गुस्सा तो बहुत आया, मगर वह कुछ कर नहीं सका. सत्यनारायण ने सुमेरराम पूनिया, जो बीकानेर में ही खाद, बीज का काम करते थे, के साथ धंधा शुरू कर दिया. सुमेर पूनिया जाति से जाट थे और दबंग प्रवृत्ति के थे. वह शादीशुदा और 4 बेटियों के पिता भी थे.

मुन्ने जानता था कि सुमेर पूनिया से वह पार नहीं पा सकता, मगर उस ने अपनी योजनानुसार एक दिन सत्यनारायण पर अज्ञात बदमाशों से हमला करवा दिया. इस हमले में सत्यनारायण के हाथपैर तोड़ दिए गए. वह अस्पताल में कई महीने इलाज कराने के बाद ठीक हुए. मुन्ने खान ने सत्यनारायण की देखभाल भी की ताकि उस पर कोई शक न करे. हुआ भी यही. मुन्ने खान पर किसी ने शक नहीं किया. सत्यनारायण के पिता हरीराम डूडी की बांगड़सर गांव में खेतीबाड़ी थी और बीकानेर में सत्यनारायण का खाद बीज का कारोबार था. पूनिया सत्यनारायण के कंधे से कंधा मिला कर चलते थे. पूनिया का उन के घर आनाजाना था.

मुन्ने सुमेर पूनिया से इस कारण रंजिश रखता था क्योंकि वह सत्यनारायण के साथ काम करते थे. इन दोनों को पता नहीं था कि मुन्ने खान उन्हें बरबाद करने का तानाबाना बुन रहा है. मनीषा डूडी अब तक मुख्तयार के प्रेमजाल में फंस चुकी थी. मनीषा 18 साल की बालिग हो चुकी थी. उसे पता था कि उस के परिजन उस की शादी मुख्तयार से कभी नहीं करेंगे. ऐसे में मुख्तयार और मनीषा ने बालिग होने पर 10 दिसंबर, 2020 को कोर्ट में विवाह कर लिया. मनीषा के परिजनों को इस की भनक तक नहीं लगी थी. नववर्ष 2021 का आगमन हो चुका था. मनीषा की मां बीमार हुईं तो उन्हें अस्पताल में भरती कराया गया.

अस्पताल में सत्यनारायण, हरीराम, सुमेर पूनिया, मनीषा और सारे परिजन थे. सत्यनारायण के लिए खाना बना कर लाने के लिए दोपहर में मनीषा और सुमेर पूनिया घर गए. मनीषा ने खाना बना कर सुमेर पूनिया को टिफिन दिया. टिफिन ले कर सुमेर पूनिया अस्पताल चले आए. उन्हें आए एकाध घंटा ही हुआ था कि नयाशहर थाने की पुलिस आई और सुमेर पूनिया को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने गिरफ्तारी का कारण बताया कि थोड़ी देर पहले मनीषा ने दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई है. यह बात 4 जनवरी, 2021 की है. यह सुन कर डूडी परिवार सकते में आ गया. मनीषा के पिता, दादा और अन्य परिजन नयाशहर थाने पहुंचे और मनीषा से बात की.

मनीषा को समझाया कि उस ने गलत रिपोर्ट क्यों दर्ज कराई. तब मनीषा ने कहा कि ऐसे ही रिपोर्ट दर्ज करा दी है. चूंकि रिपोर्ट दर्ज हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने सुमेर पूनिया को नहीं छोड़ा. अगले दिन मनीषा के कोर्ट में बयान कराए गए. बयान दे कर मनीषा कोर्ट से बाहर आई तो करीब 100-150 लोगों की भीड़ ने एक राय हो कर मनीषा का एक गाड़ी में अपहरण कर लिया. हरीराम ने पोती को छुड़ाने की कोशिश की तो आरोपियों ने गाड़ी उन पर चढ़ाने की कोशिश की. इस में हरीराम के पैर में चोट लगी. होहल्ला करने पर पुलिस ने भी अपहरण कर के ले जा रही गाड़ी का पीछा किया और पुलिस सब को पकड़ कर थाने ले आई.

वहां पर मुख्तयार खान और मनीषा डूडी ने विवाह के कागज दिखा कर कहा कि वे बालिग हैं और उन्होंने 10 दिसंबर, 2020 को कोर्ट में शादी कर ली है. तब पुलिस ने मुख्तयार खान और मनीषा को जाने दिया. तब मनीषा के घर वाले माथा पीट कर रह गए. मुन्ने खान ने एक योजना के तहत सुमेर पूनिया को बलात्कार के मुकदमे में फंसा दिया था ताकि सत्यनारायण को वह सपोर्ट न कर सके. थाने में विवाह के कागजात दिखा कर बेटेबहू को घर ले आया. हरीराम डूडी और सत्यनारायण की इज्जत पर आन पड़ी थी. उन की समझ में अब सारी कहानी आ गई थी. मगर बहुत देर हो चुकी थी. बेटी ने उन्हें धोखे में रख कर मुख्तयार खान के साथ साजिश की शिकार हो कर उस की बहू बन गई थी.

इन्होंने एसपी प्रीति चंद्रा, नयाशहर थानाप्रभारी गोविंददान चारण और अन्य से मिल कर बेटी मनीषा को वापस दिलाने की गुहार की मगर मनीषा बालिग थी और उस ने मुख्तयार खान के साथ कोर्ट में शादी कर ली थी. इसलिए पुलिस ने इन की मदद नहीं की. तब बापबेटे ने सोशल मीडिया पर वीडियो में सर्वसमाज से बेटी मनीषा के लव जिहाद का शिकार बनाने और अब बेटी वापस दिलाने की गुहार लगाई. तब सर्वसमाज ने 17 जनवरी को बीकानेर में प्रदर्शन कर पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने की मांग की. इस के बाद 18 जनवरी, 2021 को नयाशहर थाने में मनीषा की मां ने अपने साथ दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज करा दिया.

पुलिस को दी गई रिपोर्ट में उस ने बताया कि 2015 में वह अपने परिवार के साथ मुक्ताप्रसाद कालोनी में रहती थी. वहीं पर उस के पति का बिजनैस पार्टनर मुन्ने खान आता था. मुन्ने खान जब भी घर आता तो कोल्डड्रिंक ले कर आता. जुलाई 2015 में उस के पति व बच्चे घर पर नहीं थे. तब मुन्ने घर आया. उस ने कोल्डड्रिंक पिलाई, जिस से वह बेहोश हो गई. तब मुन्ने खान ने उस के साथ दुष्कर्म किया और वीडियो बना लिया. बाद में वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर बारबार दुष्कर्म किया. जब पीडि़ता ने किराए का मकान बदल लिया तब भी आरोपी उस के पास आता रहा. पीडि़ता ने आरोप लगाया कि आरोपी अपने दोस्तों को साथ ले कर आने लगा और उन्होंने भी उस के साथ दुष्कर्म किया.

मुन्ने खान का साथी गडि़याला के मोटासर निवासी शेरू खान और एक अन्य ने उस के साथ दुष्कर्म किया.  वीडियो वायरल करने और परिजनों को जान से मारने की धमकी दे कर आरोपी मुन्ने खां उस के साथ लगातार दुष्कर्म करता रहा. पीडि़ता ने आरोप लगाया कि मुन्ने खान ने बेटे मुख्तयार को उस की बेटी के पीछे लगाया और प्रेम में फंसा लिया. पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म का मामला थाना नयाशहर में दर्ज कर लिया. मामला संदिग्ध था, इसलिए इस की जांच सीओ सिटी सुभाष शर्मा को सौंप दी गई. इसी मामले को ले कर सर्वसमाज ने बीकानेर में कलेक्ट्रैट पर प्रदर्शन किया था. उसी समय मनीषा ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर और डाला. इस वीडियो में मनीषा ने जो कुछ कहा, उसे सुन कर लोग आश्चर्यचकित रह गए.

मनीषा ने एक वीडियो वायरल कर कहा कि मैं ने 4 जनवरी, 2021 को जिस सुमेर पूनिया पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया, उस सुमेर पूनिया के साथ मेरी मां के अवैध संबंध हैं. सुमेर पूनिया दूर के रिश्तेदार हैं और पिता के कामधंधे में पार्टनर. सुमेर पूनिया अकसर हमारे घर आते थे और मुझ से गलत हरकतें करते थे. मनीषा ने आगे कहा कि उस की और मुख्तयार की शादी का मेरे घर वालों को पता था. वे हमारी शादी से खुश थे. मगर बाद में वे किसी के कहने में आ कर लव जिहाद का राग अलापने लगे. अगर मनीषा के ये आरोप सही हैं तो सुमेर पूनिया को उस के परिजन क्यों बचा रहे हैं? क्या उन पर किसी का दबाव है? या फिर मनीषा ने झूठे आरोप लगाए.

सवाल यह भी है कि मनीषा ने सुमेरराम पूनिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई तो उस के परिजनों ने बेटी की बातों के बजाए उस व्यक्ति की पैरवी क्यों की, जिस पर उन की बच्ची छेड़छाड़, दुष्कर्म का आरोप लगा रही थी. वहीं मनीषा ने यह भी कहा कि अगर घर वाले बाहरी लोगों को घर के अंदर आने की छूट नहीं देते तो आज डूडी परिवार की इज्जतआबरू मिट्टी में नहीं मिलती. अब तो पुलिस जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी होगा. तभी पता चलेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा.

—कथा पुलिस सूत्रों, मीडिया रिपोर्ट्स और लेखक की जांच पर आधारित है