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19 जून, 2017 को मनोज चौधरी की बेटी की शादी थी. वह रीयल एस्टेट के एक बड़े कारोबारी हैं. गुड़गांव में उन का औफिस है. उन्होंने बेटी की शादी एक संभ्रांत परिवार में तय की थी. अपनी और वरपक्ष की हैसियत को देखते हुए उन्होंने शादी के लिए दक्षिणपश्चिम दिल्ली के बिजवासन स्थित आलीशान फार्महाउस ‘काम्या पैलेस’ बुक कराया था.

बेटी की शादी के 3 दिनों बाद ही उन के बेटे की भी शादी थी. बेटे की लगन का दिन भी 19 जून को ही था, इसलिए उस का कार्यक्रम भी उन्होंने वहीं रखा था.

मनोज चौधरी की राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्र के लोगों से अच्छी जानपहचान थी, इसलिए बेटे की लगन और बेटी की शादी में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे. मेहमानों के लिए उन्होंने बहुत अच्छी व्यवस्था कर रखी थी. वह आने वाले मेहमानों का बड़ी ही गर्मजोशी से स्वागत कर रहे थे.

बारात के काम्या पैलेस में पहुंचने से पहले ही उन्होंने बेटे की लगन का कार्यक्रम निपटा दिया था. इस के बाद जैसे ही बारात पहुंची, मनोज चौधरी और उन के घर वालों ने धूमधाम से उस का स्वागत किया. रीतिरिवाज के अनुसार शादी की सभी रस्में पूरी होती रहीं. रात करीब पौने 12 बजे फेरे की रस्में चल रही थीं. उस समय तक बारात में आए ज्यादातर लोग सो चुके थे. ज्यादातर मेहमान खाना खा कर जा चुके थे.

फेरों के समय केवल कन्या और वरपक्ष के खासखास लोग ही मंडप में बैठे थे. मंडप के नीचे बैठा पंडित मंत्रोच्चारण करते हुए अपना काम कर रहा था. जितने लोग मंडप में बैठे थे, पंडित ने सभी की कलाइयों में कलावा बांधना शुरू किया. वहां बैठे मनोज चौधरी ने भी अपना दाहिना हाथ पंडित की ओर बढ़ा दिया. कलावा बंधवाने के बाद उन्होंने पंडित को दक्षिणा दी. तभी उन का ध्यान बगल में रखे सूटकेस की तरफ गया. सूटकेस गायब था.

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