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आखिर मुखबिरों के जरिए यह बात पुलिस तक पहुंच गई. थाना लिंक रोड पुलिस ने जांच की तो पता चला कि हिना और मुमताज नकली नोटों की तस्करी से जुड़ी हैं.

तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने तुरंत काररवाई करने का आदेश दिया. पुलिस ने जानकारियां जुटा कर अपना जाल बिछाया और 23 अप्रैल, 2013 को कौशांबी बसअड्डे से हिना, उस की बहन मुमताज, रफीक, नुरैन और मोइनुद्दीन को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे नोटों का लेनदेन कर रहे थे.

पुलिस ने इन लोगों के कब्जे से 7 लाख रुपए के नकली नोट बरामद किए. इन नोटों में 5 लाख 100 के और बाकी 5 सौ के नोट थे. पूछताछ में पता चला कि अब तक ये लोग लाखों के नकली नोट खपा चुके थे. गाजियाबाद पुलिस द्वारा नकली नोटों की अब तक की यह सब से बड़ी बरामदगी थी.

इस की सूचना गृह मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों एनआईए, आईबी और रा को भी दी गई. हिना से गहन पूछताछ की गई. उस के बाद सभी को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें डासना जेल भेज दिया गया.

हिना के लिए जेल की जिंदगी गरीबी के दिनों से भी ज्यादा बदतर थी. वह बाहर आने के लिए छटपटा रही थी. लेकिन उस का कोई भी ऐसा अपना नहीं था, जो उस की जमानत कराता. जेल में ही उस की मुलाकात वर्षा से हुई. वर्षा भी किसी अपराध में जेल में बंद थी. एक ही बैरक में होने की वजह से उन में दोस्ती हो गई थी.

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