पुलिस को उस पर शक हुआ तो उस के मोबाइल फोन की लोकेशन और काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पता चला कि उस के मोबाइल की लोकेशन चकराता रोड और लाश मिलने के स्थान की भी थी. इस के साथ एक और मोबाइल की लोकेशन मिल रही थी, जिस से सुधा की लगातार बात होती रहती थी.
उस नंबर के बारे में पता किया गया तो वह नंबर हरिओम वशिष्ठ उर्फ बिट्टू का निकला. वह उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ के थाना नौचंदी के शास्त्रीनगर के रहने वाले बृजपाल का बेटा था. उस के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा कर एक पुलिस टीम उस की गिरफ्तारी के लिए निकल पड़ी. आखिर सर्विलांस से मिल रही लोकेशन के आधार पर पुलिस ने सुधा और हरिओम को हिरासत में ले लिया.
पहले तो सुधा ने अपने राजनीतिक संपर्कों की धौंस दिखा कर पुलिस को रौब में लेने कोशिश की थी. लेकिन पुलिस के पास ऐसे सुबूत थे कि उस की यह धौंस जरा भी नहीं चली. फिर तो पूछताछ में उस ने पुलिस के सामने जो खुलासा किया, सुन कर पुलिस दंग रह गई. दरअसल युद्धवीर की हत्या की साजिश सुधा ने ही रची थी. उस ने शातिर चाल चल कर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की थी.
सुधा और हरिओम से की गई पूछताछ में युद्धवीर की हत्या की चौंकाने वाली जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस प्रकार थी.
मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर की रहने वाली सुधा का परिवार कई साल पहले मेरठ में आ कर बस गया था. मेरठ आने के बाद सुधा ने देहरादून के रहने वाले देवराज पटवाल से विवाह कर लिया था. देवराज कंप्यूटर इंस्टिट्यूट तो चलाता ही था, साथ ही कंप्यूटर का बिजनेस भी करता था. वह बड़ेबड़े व्यापारिक और सरकारी संस्थानों में कंप्यूटर सप्लाई करता था.