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अगली सुबह राहुल कोर्ट की इजाजत ले कर पहुंच गया थाने और पुलिस हिरासत में लाई गई उस महिला से बात करने लगा, जिसे सब सेठ की बीवी समझ रहे थे. इधर सेठ की हत्या की खबर उस के घर तक पहुंची तो सब के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. घर में रोनाधोना शुरू हो गया. सभी इस बात पर ताज्जुब कर रहे थे कि हत्यारा कोई और नहीं सेठ की बीवी है. किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था यह सब क्या मामला है.

उधर राहुल ने थाने में उस महिला से बात शुरू की, “मैडमजी, सब से पहले मैं ये जानना चाहूंगा कि आप कौन हैं?’‘

“क्यों, आप ने सुना नहीं, जो सब कह रहे हैं?’‘ वह महिला बोली.

“मैं ने सब सुना, लेकिन मैं जानता हूं आप वो नहीं है. और यही जानने आया हूं कि आप कौन हैं और किस बात का बदला लिया आप ने अवस्थीजी से?’‘

“क्यों देवता नहीं कहेंगे आप भी, सब लोग तो इसी नाम से पुकारते हैं. और आप केवल अवस्थीजी?’‘

“सही कहा आप ने, पहली बात आप उन की पत्नी नहीं, दूसरी आप ने अगर उन का खून किया तो किसी बात का बदला ही लिया होगा और बदला कभी देवता से नहीं लिया जाता, आप बताएं असलियत क्या है?’‘

उस महिला ने अपना नाम शीतल बताया. इस के बाद उस ने राहुल को बताया कि मुझे नहीं मालूम मुझे कब कौन मुंबई के शेल्टर होम (जहां बेघर, बेसहारा लोग आसरा पाते हैं) में छोड़ गया. जब से होश संभाला, अपने आप को वहीं पाया. वहां और भी बहुत सी लड़कियां थीं.

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