कहते हैं प्यार को सीमा में बांध कर नहीं रखा जा सकता. तभी तो पश्चिम बंगाल के रहने वाले जयकांतोचंद्र राय को फेसबुक के जरिए बांग्लादेश की परिमिता से प्यार हो गया. जयकांतो ने बांग्लादेश जा कर उस से विधिविधान से शादी भी कर ली, लेकिन…

पश्चिम बंगाल के जिला नदिया के थाना शांतिपुर के गांव बल्लवपुर के रहने वाले नोलिनीकांत राय के 20 साल के बेटे जयकांतोचंद्र राय ने कालेज में दाखिला ले लिया था. कालेज की पढ़ाई के साथसाथ वह पिता के साथ खेती के काम में हाथ भी बंटा देता था.

नोलिनीकांत के पास खेती की जमीन के अलावा कई तालाब थे, जिन में वह मछली पालन करते थे. मछली पालन से उन्हें अच्छीखासी आमदनी हो रही थी, इसलिए उन्हें किसी बात की चिंता नहीं थी. साधनसंपन्न होने की वजह से गांव में भी रह कर वह सुख की जिंदगी जी रहे थे.

जयकांतो उन का इकलौता बेटा था, इसलिए उन के पास इतना कुछ था कि उन के बेटे को कहीं बाहर जाने की जरूरत ही नहीं थी. जब वह घर में रहता तो स्मार्टफोन में लगा रहता. यह फोन उस के पिता ने कालेज में दाखिला लेने के बाद दिया था.

फोन हाथ में आते ही जयकांतो सोशल मीडिया पर ऐक्टिव हो गया था.

जयकांतो ज्यादातर उन्हीं लड़कियों को फेसबुक पर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था, जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली होती थीं. इस के अलावा वह बांग्लादेश की भी उन लड़कियों को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था, जो उस की किसी फ्रैंड की कौमन फ्रैंड होतीं. रिक्वेस्ट कंफर्म होने बाद वह उन से मैसेंजर द्वारा चैटिंग (मैसेज द्वारा बातचीत) करने की कोशिश करता.

20-21 साल का लड़का किसी हमउम्र लड़की से घरपरिवार की बात तो करेगा नहीं, वह जो बातें करता था, वह ज्यादातर लड़कियों को पसंद नहीं आती थीं. तब वे उसे ब्लौक कर देतीं.

जयकांतो को ऐसी लड़कियों से बड़ी चिढ़ और कोफ्त भी होती थी कि ये कैसी लड़कियां हैं, जो उस के दिल की बात नहीं समझतीं.

फेसबुक पर अब तक के अनुभव के बाद जयकांतो अब मैसेंजर पर अपने मन की बात नहीं, बल्कि जो बात लड़कियों को अच्छी लगती थीं, उस तरह की बातें करने लगा. इस का नतीजा यह निकला कि लड़कियां जवाब भले न देतीं, पर उसे ब्लौक नहीं करती थीं.

जयकांतो की इस तरह की तमाम लड़कियों और महिलाओं से बातचीत भी होती थी, जो मैसेंजर पर अश्लील बातचीत करने के साथसाथ अश्लील फोटो और वीडियो भेजती थीं. लेकिन इस में दिक्कत यह होती है कि इस तरह के लड़कियों और महिलाओं की दोस्ती टिकाऊ नहीं होती. 2-4 दिन बातचीत कर के वे दोस्ती खत्म कर देती थीं.

जयकांतो अब इस तरह के दोस्तों से ऊब गया था. वह कोई ऐसी दोस्त चाहता था, जो उस से सिर्फ प्यार की बातें करे. पर काफी प्रयास के बाद भी इस तरह की कोई दोस्त नहीं मिल रही थी.

बौर्डर के उस पार मिला दिल

जयकांतो की गांव या कालेज में भी कोई इस तरह की दोस्त नहीं थी, जो अपने दिल की बात उस से कहती और उस के दिल की बात सुनती.

उस ने बहुत लड़कियों से अपने दिल की बात कहने की कोशिश की थी, पर किसी ने भी उस के दिल की बात नहीं सुनी थी. जिस से भी उस ने दिल की बात कहने की कोशिश की, उस ने हंसी में उड़ा दिया था. फिर भी जयकांतो निराश नहीं हुआ. वह कोशिश करता रहा.

आखिर उस की कोशिश रंग लाई और उस की दोस्ती एक ऐसी लड़की से हो गई, जो उस के दिल की बात सुनने को तैयार हो गई. वह लड़की परिमिता बांग्लादेश के थाना नेरेल की रहने वाली थी. उस समय उस की उम्र मात्र 15 साल थी और जयकांतो की 20 साल.

उस मासूम को जयकांतो की बातें पसंद आने लगी थीं. जयकांतो उस से जो भी पूछता, वह खुशीखुशी उस की बातों का जवाब देती थी. ऐसे में ही एक दिन जयकांतो ने मैसेज कर के उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा कोई बौयफ्रैंड भी है?’’

‘‘अभी तो नहीं है, पर अब बनाने की सोच रही हूं.’’ परिमिता ने मैसेज कर के जवाब दिया.

‘‘कौन है वह भाग्यशाली, जिसे तुम्हारा बौयफ्रैंड बनने का मौका मिल रहा है?’’ जयकांतो ने पूछा.

‘‘कोई भी हो सकता है. तुम भी हो सकते हो. क्यों तुम मेरे बौयफ्रैंड बनने लायक नहीं क्या?’’ परिमिता ने पूछा.

‘‘मैं इतना भाग्यशाली कहां, जो तुम जैसी लड़की मुझे अपना बौयफ्रैंड बनाए. अगर ऐसा हो जाए तो मैं खुद को बड़ा ही खुशनसीब समझूंगा.’’ आह सी भरते हुए जयकांतो ने जवाब भेजा.

‘‘अगर मैं कहूं कि मैं तुम्हें ही अपना बौयफ्रैंड बनाना चाहती हूं तो..’’

‘‘यह तो मेरा बड़ा सौभाग्य होगा,’’ जयकांतो ने जवाब दिया, ‘‘तुम्हारे इस मैसेज से मैं मारे खुशी के फूला नहीं समा रहा हूं.’’

‘‘एक बात बताऊं?’’ परिमिता ने मैसेज किया.

‘‘बताओ,’’ जयकांतो ने मैसेज द्वारा पूछा.

‘‘जितना तुम खुश हो, उस से कहीं ज्यादा मैं खुश हूं तुम्हें बौयफ्रैंड बना कर.’’

‘‘सच?’’

‘‘अब कसम खाऊं तब विश्वास करोगे क्या?’’ परिमिता ने यह मैसेज भेज कर अपनी दोस्ती का विश्वास दिला दिया.

इस के बाद दोनों में पक्की दोस्ती हो गई. अब दोनों एकदूसरे से अपनेअपने दिल की बात कहनेसुनने लगे. धीरेधीरे उन का बात करने का समय बढ़ता गया तो उन के दिलों में  एकदूसरे के लिए जगह बनने लगी.

दोनों ही एकदूसरे से बात करने के लिए बेचैन रहने लगे. बेचैनी ज्यादा बढ़ने लगी तो एक दिन जयकांतो ने परिमिता को मैसेज किया, ‘‘परिमिता, मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं. पर डरता हूं कि कहीं तुम नाराज न हो जाओ?’’

‘‘मुझे पता है तुम क्या कहना चाहते हो. लड़के इस तरह की बात तभी करते हैं, जब उन्हें अपने प्यार का इजहार करना होता है. तुम यही कहना चाहते होगे. परिमिता ने मैसेज किया.

प्यार का हुआ इजहार

‘‘बात तो तुम्हारी सच है परिमिता. मैं कहना तो यही चाहता था. पर तुम्हें कैसे पता चला कि मैं प्यार का इजहार करने वाला हूं?’’ जयकांतो ने पूछा.

‘‘और कोई ऐसी बात हो ही नहीं सकती, जिसे सुन कर नाराज होने वाली होती. रही प्यार की बात तो उस में भी क्यों नाराज होना. मरजी की बात है. मन हो तो हां कर दो, वरना मना कर दो. फिर तुम तो वैसे भी मेरे बौयफ्रैंड हो, फ्रैंड की बात पर तो कोई नाराज नहीं होता.’’ परिमिता ने जवाब में मैसेज भेजा.

‘‘तो फिर मैं हां समझूं?’’ एक बार फिर जयकांतो ने पूछा.

‘‘अब किस तरह कहूं. कसम खानी होगी क्या?’’

‘‘मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि तुम ने हां कर दिया है.’’ जयकांतो ने कहा.

‘‘विश्वास करो जयकांतो, मैं भी तुम्हें प्यार करती हूं. मैं तो कब से इंतजार कर रही थी तुम्हारे इस इजहार का. अगर तुम से प्यार न कर रही होती तो तुम्हारे पीछे अपना इतना समय क्यों बरबाद करती.’’

परिमिता के इस जवाब से जयकांतो बहुत खुश हुआ. इसी बात के लिए तो वह कब से राह देख था. न जाने कितनी लड़कियों की गालियां सुनी थीं, उपेक्षा और तिरस्कार सहा था.

आज कितने दिनों बाद उस का सपना पूरा हुआ था. यही शब्द सुनने के लिए उस ने अपना कितना समय बरबाद किया था.

परिमिता द्वारा प्यार स्वीकार कर लेने पर अब जयकांतो फूला नहीं समा रहा था. भले ही परिमिता सीमा पार की रहने वाली थी, पर जयकांतो को इस बात की खुशी थी कि कोई तो है इस संसार में जो उसे प्यार करती है. इस की वजह यह थी कि सोशल मीडिया पर न तो कोई दोस्त होता है और न कोई प्यार करने वाला.

प्यार हो भी कैसे सकता है. जिसे कभी देखा नहीं, जिस के बारे में कुछ जानते नहीं, उस ने फेसबुक पर जो अपने बारे में जानकारी दी है, वह गलत है या सही, ऐसे आदमी से दोस्ती या प्यार कैसे हो सकता है.

फेसबुक के दोस्त सिर्फ कहने के दोस्त हो सकते हैं. इन में न कोई भावनात्मक लगाव होता है और न किसी तरह की संवेदना होती है.

ऐसे में अगर जयकांतो को कोई प्यार करने वाली मिल गई थी तो वह सचमुच भाग्यशाली था. भले ही वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी.

जब जयकांतो और परिमिता एकदूसरे को प्यार करने लगे तो दोनों ही एकदूसरे को ज्यादा से ज्यादा समय देने लगे. जो परिमिता कभी अपना नंबर जयकांतो को देने को तैयार नहीं थी, प्यार होने के बाद उस ने तुरंत अपना नंबर जयकांतो को दे दिया था. फिर तो दोनों में लंबीलंबी बातें भी होने लगीं.

अब तक जयकांतो और परिमिता को फेसबुक द्वारा संपर्क में आए करीब 2 साल बीत चुके थे. प्यार की बात कहने में उन्हें 2 साल लग गए थे. लेकिन मनमाफिक परिणाम मिलने से उन्हें इस बात का जरा भी गम नहीं था कि उन का इतना समय बरबाद हो गया.

दोनों के घर वाले हुए राजी

बेटे को हर समय फोन पर लगे देख कर नोलिनीकांत सोचने लगे कि आखिर बेटा फोन में इतना क्यों लगा रहता है. ऐसा कोई रिश्तेदार भी नहीं है, जिस से वह इतनी लंबीलंबी बातें करे. जितनी लंबीलंबी बातें जयकांतो करता था, कोई भी बाप सोचने को मजबूर हो जाता.

कई बार उन्होंने उसे रात में भी किसी से बातें करते सुना था. उन से नहीं रहा गया तो एक दिन उन्होंने टोक दिया. बाप के पूछने पर जयकांतो ने भी कुछ छिपाया नहीं और अपने तथा परिमिता के प्यार की पूरी कहानी बता कर कह दिया कि वह उस से शादी करना चाहता है.

नोलिनीकांत को बेटे की शादी परिमिता से करने में कोई ऐतराज नहीं था. वह इस के लिए तैयार भी थे, पर परेशानी की बात यह थी कि वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी.

उस से शादी करने के लिए उन्हें बहुत झमेला करना पड़ता. पासपोर्ट बनवाना पड़ता, वीजा लगवाना पड़ता, इसलिए उन्होंने बेटे को समझाया कि जब यहीं तमाम लड़कियां हैं तो बांग्लादेश की लड़की के झमेले में वह क्यों पड़ रहा है.

पर जयकांतो ने तो परिमिता से सच्चा प्यार किया था, इसलिए उस ने बाप से साफ कह दिया कि वह शादी करेगा तो परिमिता से ही करेगा, वरना शादी नहीं करेगा. इस के लिए उसे कुछ भी करना पड़े.

नोलिनीकांत मजबूर हो गए. ऐसा ही कुछ हाल परिमिता का भी था. वह भी जयकांतो के अलावा किसी और से विवाह करने को राजी नहीं थी. बात जब दोनों के घर वालों की जानकारी में आई तो उन्होंने आपस में भी बात की. इस मामले को कैसे हल किया जाए, अब वे इस बात पर विचार करने लगे.

परिमिता के घर वालों का कहना था कि जयकांतो अकेला ही बांग्लादेश आ जाए, वे बेटी की शादी उस के साथ कर देंगे. उस के बाद जयकांतो दुलहन ले कर लौट जाएगा. नोलिनीकांत ने जब इस बात की चर्चा अपने कुछ दोस्तों से की तो सब ने यही सलाह दी कि दस्तावेज तैयार कराने के झमेले में वह न पड़े.

रोजाना न जाने कितने लोग अवैध रूप से सीमा पार से इस पार आते हैं तो न जाने कितने लोग उस पार जाते हैं. उसी तरह किसी दलाल से बात कर के जयकांतो को सीमा पार करा दिया जाए. वह वहां शादी कर के उसी तरह दलाल के माध्यम से पत्नी के साथ सीमा पार कर के आ जाएगा.

बांग्लादेश में हो गई शादी

नोलिनीकांत को यह रास्ता ठीक लगा. वह अप्पू नामक एक दलाल से मिला तो सीमा पार कराने के लिए उस ने 10 हजार रुपए मांगे. जयकांतो को परिमिता से मिलने के लिए इतनी रकम ज्यादा नहीं लगी. 10 हजार रुपए अप्पू को दे कर जयकांतो 8 मार्च, 2021 को सीमा पार परिमिता के घर पहुंच गया.

परिमिता के घर वाले शादी के लिए तैयार थे ही. उन्होंने शादी की पूरी तैयारी कर रखी थी. 10 मार्च को उन्होंने परिमिता का ब्याह जयकांतो से करा दिया.

ब्याह के बाद जयकांतो कुछ दिन ससुराल में रुका रहा. लेकिन कितने दिन वह ससुराल में पड़ा रहता. उसे घर तो आना ही था. वह जिस तरह चोरीछिपे से सीमा पार कर के बांग्लादेश गया था, अब उसी तरह चोरी से ही उसे बांग्लादेश से भारत आना था.

इस के लिए उस ने वहां दलाल की तलाश की तो उस की मुलाकात राजू मंडल से हुई. उस ने सीमा पार कराने के लिए 10 हजार बांग्लादेशी टका मांगे. जयकांतो राजू मंडल को यह रकम दे कर 26 जून, 2021 को भारत की सीमा में घुस रहा था कि बीएसएफ (बौर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी सीमा सुरक्षा बल) ने दोनों को पकड़ लिया.

दरअसल, बीएसएफ की खुफिया शाखा ने मधुपुरा सीमा पर तैनात जवानों को सूचना दी कि कुछ लोग बांग्लादेश की ओर से भारत की सीमा में घुस रहे हैं. इसी सूचना के आधार पर बीएसएफ के जवानों ने शाम करीब 4 बजे जयकांतो और परिमिता को भारतबांग्लादेश की सीमा पर गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में जयकांतो और परिमिता ने फेसबुक द्वारा होने वाले अपने प्यार से ले कर विवाह तक की पूरी कहानी सुना दी.

जयकांतो ने अपनी पहचान बताने के साथ अपने भारतीय होने के सारे साक्ष्य भी उपलब्ध करा दिए. लेकिन उस की पत्नी परिमिता तो बांग्लादेश की रहने वाली थी.

विस्तृत पूछताछ के लिए दोनों को मधुपुरा चौकी लाया गया, जहां बीएसएफ की इंटेलिजेंस शाखा के कमांडिंग औफिसर संजय प्रसाद सिंह ने दोनों से विस्तार से पूछताछ की.

दरअसल, अकसर लोग प्यार या विवाह के नाम पर बांग्लादेश की मासूम लड़कियों को फंसा कर देहव्यापार के दलदल में धकेल देते हैं.

इस तरह की मानव तस्करी को रोकने के लिए दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने बौर्डर पर एंटी ट्रैफिकिंग रैकेट तैनात किया है. बीएसएफ ऐसे मामलों में हर तरह से जांच करती है, जिस से किसी गरीब मासूम का शोषण न हो सके.

पूछताछ के बाद बीएसएफ ने जयकांतो और परिमिता को कानूनी कररवाई के लिए थाना भीमपुर पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने भी दोनों से विस्तारपूर्वक पूछताछ की. उस के बाद दोनों को अदालत में पेश किया गया.

अदालत से जयकांतो को तो जमानत मिल गई, पर परिमिता को नारी निकेतन भेज दिया गया. अब दोनों को एक होने के लिए एक बार फिर संघर्ष करना पड़ेगा. लेकिन जहां प्यार है, वहां कुछ भी संभव है. परिमिता भारत आ गई है तो जयकांतो की हो कर रहेगी.

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