कालिंदी के सामने निस्संदेह घरेलू समस्याएं थीं. लेकिन उस ने बिना सोचेसमझे जिद में जो राह पकड़ी, वही उस की दुश्मन बन गई. दिलीप रायपुर के खमतराई थाना से 4 किलोमीटर दूर बुनियाद नगर मोहल्ले में अपनी पत्नी कालिंदी के साथ रह रहा था. वह राजमिस्त्री का काम करता था. दिलीप की पत्नी कालिंदी चाहती थी कि दिलीप कोई ऐसा काम करे जो एक जगह बैठ कर हो जाए. उस की इस सोच के पीछे प्रमुख वजह यह थी कि एक तो दिलीप शारीरिक रूप से कमजोर था. दूसरे उसे मिर्गी के दौरे पड़ते थे.

दिलीप कौशिक और कालिंदी की शादी सन 2005 में हुई थी. पति की इस शारीरिक कमजोरी और मिर्गी रोग के बारे में कालिंदी को शादी के कई महीने बाद पता चला था. उस के मांबाप की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. इसलिए उस के 18 वर्ष का होते ही उन्होंने दिलीप से उस की शादी कर दी थी. शादी से पहले वह ज्यादा छानबीन भी नहीं कर पाए थे. शादी के बाद जब कालिंदी को पता चला तो उस ने कहसुन कर दिलीप का इलाज कराने का प्रयास किया. लेकिन इस से कोई खास लाभ नहीं हुआ. मिर्गी का दौरा कब कहां और किस समय आएगा इस का कोई पता नहीं होता. एक बार दिलीप जब नए बन रहे मकान की छत की ढलाई कर रहा था तो सीढ़ी पर चढ़ते समय उसे मिर्गी का दौरा पड़ गया. फलस्वरूप वह जमीन पर गिरा. गिरने से उस के शरीर में चोटें तो आई हीं उस का दाहिना पैर फ्रैक्चर भी हो गया

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