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पुलिस को यह बात पहले ही पता लग चुकी थी कि हमलावर जिस मोटरसाइकिल से आए थे वह हरियाणा की थी. लाल कमल भी हरियाणा में ही रह रहा था. इस से पुलिस को शक होने लगा कि कहीं लाल कमल ने ही तो पिता को ठिकाने नहीं लगवा दिया. उस के फोन नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला कि घटना वाले दिन उस के फोन की लोकेशन पानीपत में ही थी.

फिर भी पुलिस टीम लाल कमल पुंज से पूछताछ करने के लिए पानीपत पहुंच गई. पुलिस ने जब उस से उस के पिता की हत्या के बारे में मालूमात की तो उस ने बताया कि उन के मर्डर की सूचना निष्ठा ने दी थी. उस के बाद ही वह दिल्ली गया था.

‘‘क्या तुम्हारे पास कोई मोटरसाइकिल है?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘हां सर, मेरे पास हीरो की पैशन बाइक है.’’ लाल कमल ने बताया.

पारसराम पर हमला करने के बाद हमलावर लाल रंग की पैशन बाइक से फरार हुए थे इसलिए पुलिस को लाल कमल पर शक होने लगा. पुलिस ने उस से कुछ कहने के बजाए उस के दोस्तों से पूछताछ की तो पता चला कि कमल अपने पिता से  नाराज रहता था. उन्होंने उसे अपनी प्रौपर्टी से हिस्सा देने से मना कर दिया था.

इस जानकारी के बाद पुलिस का शक विश्वास में बदलने लगा. बिना किसी सुबूत के पुलिस लाल कमल को टच करना ठीक नहीं समझ रही थी. इसलिए वह सुबूत जुटाने में लग गईर्. पुलिस को लाल कमल की बाइक का नंबर भी मिल गया था. अब पुलिस यह जानने की कोशिश करने लगी कि 21 अक्तूबर को कमल की बाइक दिल्ली आई थी या नहीं.

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