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सरोजनी ने त्रियाचरित्र दिखा कर स्वयं को सतीसावित्री तो साबित कर दिया था, लेकिन वह मन ही मन डर गई थी. उस ने अवैध रिश्तों का शक होने की जानकारी अंकुर को दी और बेहद सतर्क रहने को कहा. इस के बाद मिलन में दोनों बेहद सावधानी बरतने लगे. अब अंकुर तभी मिलने जाता, जब सरोजनी मोबाइल फोन पर सूचना दे कर उसे बुलाती थी.

सरोजनी की लाइफ में आया दूसरा प्रेमी

सरोजनी और अंकुर का प्रेम प्रसंग चल ही रहा था कि सरोजनी एक अन्य युवक की ओर आकर्षित होने लगी. उस युवक का नाम राजू था. वह मोटर मैकेनिक था. उस की दुकान मेन रोड पर थी. एक रोज वह पान मसाला लेने के लिए ललित की दुकान पर रुका, तभी उस की नजर सरोजनी पर पड़ी. दोनों के बीच कुछ पल आंखमिचौली का खेल चला, फिर बातचीत भी हुई.

इस के बाद राजू अकसर किसी न किसी बहाने आने लगा. कभी वह घर का सामान लेने के बहाने आता तो कभी पान मसाला खाने के बहाने. दोनों के बीच खूब हंसीठिठोली होती. मजाकमजाक में राजू ऐसी बात कह देता, जिस से सरोजनी के शरीर में सिहरन दौड़ जाती और वह रोमांचित हो उठती.

दरअसल, राजू 25 वर्षीय हृष्टपुष्ट युवक था. उस की लच्छेदार बातें व हंसीमजाक सरोजनी को अच्छी लगने लगी थीं. इसलिए वह उस की ओर आकर्षित हो रही थी. दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल फोन नंबर भी दे दिए थे. अत: सरोजनी को जब भी मौका मिलता था, वह राजू से रस भरी बातें कर लेती थी.

सरोजनी और राजू के बीच प्रेम पनप रहा है, इस की जानकारी न सरोजनी के पति को थी और न ही प्रेमी अंकुर को. सरोजनी फोन पर बात करती और फिर उस का नंबर डिलीट कर देती थी.

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