कौशल्या की एक और बहन थी जिस का नाम संजू देवी था. वह भी विधवा की जिंदगी गुजार रही थी. वह पड़ोस के जिला सिमडेगा के कुम्हार टोला में रहती थी. यह कुम्हार टोला, ठेठईटांगर थानाक्षेत्र में पड़ता था. वह कौशल्या से कहीं ज्यादा खूबसूरत और जवान थी.
रविंद्र की मौजूदगी में संजू कौशल्या से मिलने कई बार पतिया आई थी. संजू को देख कर रविंद्र का मन डोल गया था लेकिन अपने दिल की बात दिल में रखे हुए था. वह जानता था कि संजू भी प्रेमिका कौशल्या की तरह विधवा है. उस का पति एक सड़क दुर्घटना में असमय गुजर गया था.
प्रेमिका कौशल्या की बेवफाई से रविंद्र टूट सा गया था. हालांकि वह शादीशुदा था और पत्नी साथ ही रहती थी फिर भी वह खुद को अकेला महसूस करता था. इस खालीपन को दूर करने के लिए अब वह संजू से मिलने सिमडेगा जाने लगा.
धीरेधीरे रविंद्र का झुकाव संजू की तरफ बढ़ता गया और वह उस से प्रेम करने लगा. जबकि संजू की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं था. हां, उस में इतना जरूर था कि वह हर किसी से हंसबोल लेती थी. वह बेहद खुशमिजाज और जिंदादिल स्वभाव की महिला थी.
उस की इस अदा को अगर कोई प्यार समझ बैठे तो उस की भूल थी. कुछ ऐसी ही गलतफहमी अपने दिलोदिमाग में रविंद्र भी पाले बैठा था कि संजू उस से प्यार करती है.
सच्चाई यह थी कि संजू अपने ही गांव के रहने वाले अजय महतो से प्यार करती थी. रविंद्र का प्यार एकतरफा था. वह बारबार अपने प्यार का इजहार संजू से करता था. संजू थी कि उसे घास तक नहीं डालती थी और तो और वह उसे अपने घर देख कर गुस्सा हो जाती थी.