बैंक औफिसर नव्या के साथ बलात्कार के बाद उस की हत्या की गई थी. हत्यारे तक पहुंचना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था. लेकिन इंसपेक्टर राघव अपने प्रयासों से उस तक पहुंच ही गए.

हाईवे किनारे की अकसर सुनसान रहने वाली वह जगह आज सुबह लोगों और मीडियाकर्मियों से भरी थी.  पेड़ों के बीच झाडि़यों से एक लड़की का निर्वस्त्र शव बरामद हुआ था, जो खरोंचों से भरा था. आशंका थी कि बलात्कार के बाद उस की हत्या की होगी. मृतका के पास मिले कागजातों से पता चला कि वह शव असिस्टेंट बैंक मैनेजर नव्या का था. उस की कार भी वहां से कुछ दूर खड़ी मिली. पुलिस वाले मुस्तैदी से अपने काम में जुटे थे. तभी जीप रुकी और एसआई राघव उतरे.

‘‘लाश को सब से पहले किस ने देखा था?’’ राघव ने कांस्टेबल से पूछा. ‘‘इस आदिवासी लड़की ने सर.’’ कांस्टेबल एक दुबलीपतली लड़की की ओर इशारा कर के बोला, ‘‘ये खाना बनाने के लिए यहां से सूखी लकडि़यां ले जाती है.’’

‘‘हुम्म.’’ राघव ने उस लड़की पर नजर डालते हुए अगला सवाल किया, ‘‘और मृतका के घर वाले...’’
‘‘ये हैं सर.’’ कांस्टेबल की उंगली घटनास्थल से थोड़ा हट के खड़े कुछ लोगों की ओर घूम गई. राघव उन के पास गए. एक से पूछा, ‘‘आप का मरने वाली से रिश्ता?’’
‘‘पति हूं उस का.’’ उस ने शून्य में देखते हुए जवाब दिया. ‘‘नाम?’’ ‘‘मुकुल.’’

‘‘और ये लोग...’’ राघव ने उस के साथ खड़े लोगों के बारे में जानना चाहा.
‘‘यह मेरा छोटा भाई प्रताप और ये मेरे पापा.’’ मुकुल ने वहां खडे़ नौजवान और बुजुर्ग से राघव का परिचय कराया. राघव गौर से मुकुल का चेहरा देख रहे थे. उस के चेहरे पर अपनी बीवी की मौत का कोई दुख दिखाई नहीं दे रहा था. उसी समय कुछ पुरुष और महिलाएं रोते हुए वहां पहुंचे. पुलिस उन को घेरे के अंदर जाने से रोकने लगी.

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