मधुमती के भविष्य के लिए उस की मां और नानी ने जो करोड़ों रुपए उस के नाम जमा कराए थे, वही रुपए उस की जिंदगी को ले डूबे. नितिन चाय पी कर कप रखने जा रहा था कि उस के मामा के बेटे गिरीश का फोन गया. उस ने कप मेज पर रख कर फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से गिरीश ने कहा, ‘‘मैं अपनी इमारत के नीचे खड़ा हूं

बहुत जरूरी काम है. तुम जल्दी से जाओ.’’

आने वाली आवाज से गिरीश काफी परेशान लग रहा था, इसलिए नितिन ने पूछा, ‘‘क्या बात है भाई, तुम कुछ परेशान से लग रहे हो?’’

‘‘तुम कर मिलो तो... आने पर ही बता पाऊंगा कि परेशानी क्या है?’’ गिरीश ने कहा.

‘‘ठीक है, मैं 10 मिनट में पहुंच रहा हूं.’’

‘‘भाई, जल्दी ,’’ कह कर गिरीश ने फोन काट दिया.

नितिन कुछ देर तक खड़ा सोचता रहा. उस की समझ में नहीं रहा था कि गिरीश इतना परेशान क्यों था? उसे जल्दी से जल्दी आने को कहा था. इस के पहले उस ने कभी इस तरह बात की थी और इस तरह बुलाया था. इसलिए जल्दी से तैयार हो कर नितिन नीचे आया और आटो पकड़ कर अपने ममेरे भाई गिरीश के घर की ओर रवाना हो गया. गिरीश सचमुच इमारत के नीचे खड़ा उस का इंतजार कर रहा था. नितिन के पहुंचते ही वह पास आया और उसी आटो से उस के साथ भायंदर मौल की ओर चल पड़ा.

मौल से गिरीश ने तेज धार वाले 2 बड़ेबड़े चाकू, प्लास्टिक के बड़ेबड़े 2 बैग, एक बड़ी बोतल फिनाइल, टेप और पैकिंग का सामान खरीदा तो नितिन परेशान हो उठा. उस से रहा नहीं गया तो उस ने पूछा, ‘‘इन सब चीजों की तुम्हें क्या जरूरत पड़ गई?’’

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