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हरिहर कृष्णा की नफरत की इंतहा यहीं खत्म नहीं हुई थी, उस ने उसी चाकू से नवीन का पेट फाड़ कर दिल बाहर निकाल दिया और नफरत व गुस्से से कहा, “ये दिल मेरी नंदिनी के लिए धडक़ता था न?” चाकू से दिल के कई टुकड़े कर डाले. 

फिर उस ने कहा, “इन्हीं अंगुलियों से तू मेरी नंदिनी को मैसेज भेजता था न?” फिर उस ने दोनों हाथों की दसों अंगुलियों को काट कर अलग कर दिया. 

फिर उस ने कहा, “तू मेरी नंदिनी के साथ शादी कर बच्चे पैदा करना चाहता था न?” उस के बाद उस ने उस के प्राइवेट पार्ट को भी काट कर अलग कर दिया और सबूत के तौर पर फोटो मोबाइल में उतार कर प्रेमिका के वाट्सऐप पर भेज दिया.

उस समय सुबह के 7 बज रहे थे, जब नवीन हौस्टल में अपने दोस्त प्रदीप के साथ बैठा गप्पें लड़ा रहा था. तभी उस के मोबाइल की घंटी घनघना उठी. मोबाइल फोन उठाते हुए स्क्रीन पर डिसप्ले हो रहे नंबर को ध्यान से देखा. वह नंबर उस के पुराने दोस्त हरिहर कृष्णा का था. झट से काल रिसीव करते हुए नवीन ने कहा, “हैलो कृष्णा, कैसे हाल हैं?”

“बेटर हूं, मस्त हूं मेरे दोस्त,” गर्मजोशी के साथ हरिहर कृष्ण ने उत्तर दिया, “और बता तू कैसा है? अच्छा यह बता, आज शाम क्या कर रहा है?”

“एकदम फर्स्ट क्लास. रही बात शाम की तो शाम में फ्री हूं.” नवीन बोला.

“तो आ जाओ, चल मस्ती वस्ती करते हैं. मेरी तरफ से पार्टी. पार्टी में मैं रहूंगा, तू रहेगा. बड़े मजे होंगे. आ रहा है न मेरे यार.”

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