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पुलिस तुरंत ही उस शख्स के पास पहुंच गई. पुलिस ने नूर हसन को अपनी हिरासत में लेते ही उस की तलाशी ली तो वह मोबाइल नूर हसन के पास निकला. पुलिस ने उस से मोबाइल के बारे में जानकारी ली तो उस ने बताया कि यह मोबाइल उसे उसी रास्ते में मिला था, जहां से सावित्री की लाश मिली थी. लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि यह मोबाइल सावित्री का ही है.

मोबाइल को ले कर नूर हसन ने कई बहाने बनाए,लेकिन पुलिस के सामने उस की एक न चली. पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सावित्री की हत्या की बात कुबूल ली. इस हत्या का राज खुलते ही पुलिस ने आरोपी नूर हसन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त ब्लेड, मृतका के मोबाइल के साथ ही अन्य सामान भी बरामद कर लिया था.

ठेकेदार नूर हसन ने कुबुला जुर्म

सावित्री की हत्या वाली बात कुबूलते ही नूर हसन से जो कहानी पुलिस को बताई, वह एक प्रेम प्रसंग भरी, दिल को दहलाने वाली कहानी थी.

उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले के बाजपुर कोतवाली अंतरगत एक गांव आता है कनौरी. इसी गांव में रहता था भूप सिंह का परिवार. भूप सिंह पेशे से राजमिस्त्री था. भूप सिंह की शादी कई साल पहले सावित्री के साथ हुई थी. राजमिस्त्री के होने के नाते वह ठीकठाक ही कमा लेता था, जिस से दोनों की आजीविका ठीकठाक चलती रही.

समय के साथ सावित्री एक के बाद एक 3 बच्चों की मां बनी. बच्चों में सब से बड़ा बेटा नरेश, उस के बाद बेटी मोहिनी तथा अजय सब से छोटा था. बच्चे बड़े हुए तो घरगृहस्थी का बोझ भी बढ़ गया था. जिस के कारण परिवार आर्थिक परेशानियों से गुजरने लगा. जब भूप सिंह की कमाई से काम नहीं चला तो सावित्री को भी काम करने पर मजबूर होना पड़ा.

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