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समरजीत दीपा को जीजान से चाहता था, इसलिए उसे पत्नी पर विश्वास था. लेकिन उसे इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उस के विश्वास को धता बता कर वह क्या गुल खिला रही है. कहते हैं कि कोई भी गलत काम ज्यादा दिनों तक छिपाया नहीं जा सकता. एक न एक दिन किसी तरीके से वह लोगों के सामने आ ही जाता है.

दीपा की आशिकमिजाजी भी एक दिन समरजीत के सामने आ गई. हुआ यह था कि एक बार समरजीत की रात की ड्यूटी लगी थी. वह शाम 7 बजे ही घर से चला गया था. दीपा को पता था कि पति की ड्यूटी रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक की है. जब भी पति की रात की ड्यूटी होती थी, दीपा प्रेमी को रात 10 बजे के करीब अपने कमरे पर बुला लेती थी. मौजमस्ती करने के बाद वह रात में ही चला जाता था. उस दिन भी उस ने अपने प्रेमी को घर बुला लिया.

रात 11 बजे के करीब समरजीत की तबीयत अचानक खराब हो गई. ड्यूटी पर रहते वह आराम नहीं कर सकता था. वह चाहता था कि घर जा कर आराम करे. लेकिन उस समय घर जाने के लिए उसे कोई सवारी नहीं मिल रही थी. इसलिए उस ने अपने एक दोस्त से घर छोड़ने को कहा. तब दोस्त अपनी मोटरसाइकिल से उसे उस के कमरे के बाहर छोड़ आया.

समरजीत ने जब अपने कमरे का दरवाजा खटखटाया तो प्रेमी के साथ गुलछर्रे उड़ा रही दीपा दरवाजे की दस्तक सुन कर घबरा गई. उस के मन में विचार आया कि पता नहीं इतनी रात को कौन आ गया. प्रेमी को बेड के नीचे छिपने को कह कर उस ने अपने कपड़े संभाले और बेमन से दरवाजे की तरफ बढ़ी.

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