रितु कश्मीरी युवक गुलजार से इतनी मोहब्बत करती थी कि उस की खातिर वह अपने घर वालों को छोड़ कर बाड़मेर से कुपवाड़ा चली गई. वहां धर्म बदल कर उस ने अपना नाम जैनब रख कर गुलजार से निकाह कर लिया. इस के बाद जो हुआ वह...
राजस्थान के बाड़मेर शहर के महावीर चौक में एक खंडेलवाल परिवार रहता है. इस परिवार की एक लाडली बेटी थी रितु खंडेलवाल. वह खूबसूरत थी. पढ़ाईलिखाई में वह कोई ज्यादा होशियार तो नहीं थी, पर ठीकठाक थी. मांबाप उसे जमाने के हिसाब से रहने की सीख दिया करते थे. रितु के मांबाप मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे. घर से विद्यालय आतेजाते वह किसी से भी बेवजह बोलती तक नहीं थी. ऐसी शरमीली और संकोची स्वभाव की रितु न जाने कब एक कश्मीरी युवक गुलजार से प्यार कर बैठी.
गुलजार करीब 2 साल पहले कुपवाड़ा (कश्मीर) से बाड़मेर में कामधंधे की तलाश में आया था. गुलजार को बाड़मेर के एक कैफे में वेटर की नौकरी मिल गई थी. वह पढ़ालिखा, अच्छी कदकाठी का नौजवान था. उस की बोलचाल से सभी प्रभावित हो जाते थे. गुलजार को महंगे मोबाइल रखने का शौक था. जैसे ही कोई नया अच्छा मोबाइल बाजार में आता और वह उस के खरीदने की क्षमता की रेंज में होता तो वह खरीद लेता था. वह फेसबुक एवं वाट्सऐप पर ज्यादा ऐक्टिव रहता था. वह अपने इलाके के 3-4 लड़कों को भी बाड़मेर लाया था, जो उसी कौफी कैफे में नौकरी करते थे.
गुलजार घर से साधनसंपन्न था. तभी वह महंगे मोबाइल खरीदता था वरना कैफे की 7-8 हजार रुपए महीने की तनख्वाह से महंगे मोबाइल खरीदना संभव नहीं था. अब बात यह आती है कि अगर गुलजार घर से साधनसंपन्न था तो वह कुपवाड़ा से इतनी दूर वह भी वेटर की नौकरी करने क्यों आया? क्या इस का राज कुछ और था? बाड़मेर के जिस कैफे में गुलजार नौकरी करता था, वह कैफे एक स्थानीय भाजपा नेता का है. पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती जिले बाड़मेर में न जाने कितने गुलजार अपना गुल खिलाने में लगे हैं.