Police : कहने को तो पुलिस जनता की सुरक्षा और कानून का पालन कराने के लिए होती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि एक सिपाही से ले कर अधिकारी तक को पद और वरदी का इतना घमंड होता है कि वे मौका मिलने पर इस का प्रदर्शन आम इंसान पर करते रहते हैं. बेकुसूर कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या कर थानाप्रभारी जगत नारायण ने भी यही जताने की कोशिश की कि...

26 सितंबर, 2021 को सुबह के करीब 8 बज रहे थे. बर्रा, कानपुर के रहने वाले 35 वर्षीय मनीष गुप्ता गहरी नींद से अभी सो कर उठे ही थे कि उन के फोन की घंटी बजी. उन के फोन पर गुड़गांव के रहने वाले उन के दोस्त और बिजनैस पार्टनर प्रदीप सिंह की काल आई थी. उन्होंने बिस्तर में लेटे हुए ही नींद से भरी आंखें खोलते हुए फोन रिसीव किया और खंखारते हुए बोले, ‘‘हैलो.’’

दूसरी तरफ से प्रदीप बोले, ‘‘हां भाईसाहब, अभी तक सो कर उठे नहीं क्या?’’

यह सुन कर मनीष की आधी खुली आंखें पूरी खुल गईं और उन्होंने अपने कानों से फोन हटा कर मोबाइल की स्क्रीन पर नजर डाली, यह देखने के लिए कि फोन किस ने किया है. उन्होंने स्क्रीन पर नाम देखा व तुरंत दोबारा कानों पर फोन लगा कर बोले, ‘‘अरे प्रदीप तू है. कहां तक पहुंचे तुम लोग? कानपुर पहुंचने में टाइम लगेगा क्या?’’

प्रदीप ने मनीष के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘अरे हम लोग पहुंचने वाले हैं. 2 घंटे और लग जाएंगे. तू हमें कहां मिलेगा ये बता?’’ मनीष ने जवाब दिया.

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