Stories in Hindi : युवा उद्योगपति रोहित अग्रवाल हर अमावस की रात को फाइवस्टार होटल से एक लड़की ले कर अपने बंगले पर लौटता था. फिर उस लड़की को निर्वस्त्र कर हाथपैर बांध कर घुटने के बल बैठा देता था. इस के बाद चाकू की नोक से उस की पीठ पर लिख देता था ‘बेवफा’. आखिर वह ऐसा क्यों करता था?
एक पेशेंट के चेहरे की ड्राफ्टिंग तैयार कर के मैं वार्ड में आया तो वार्डबौय विनोद ने मुझे एक लिफाफा ला कर दिया. यह डाक से मेरे नाम आया एक पत्र था. पत्र लंदन से भेजा गया था. मुझे बेहद हैरानी हुई, लंदन में मेरा कोई पहचान वाला नहीं रहता था. पत्र किस ने भेजा है? सोचते हुए मैं ने भेजने वाले का नाम पढ़ा तो खुशी के कारण मेरे मुंह से चीख निकल गई. वार्ड में मौजूद पेशेंट और स्टाफ के लोग मेरी चीख सुन कर मुझे आश्चर्य से देखने लगे तो मैं झेंप गया. मैं तुरंत वहां से अपने रेस्टरूम में आ गया. यह पत्र लंदन से रोहित ने भेजा था. रोहित अग्रवाल! मेरा दोस्त रोहित, जिसे मैं एक साल से पागलों की तरह तलाश कर रहा था.
रोहित मुंबई से अचानक ही गायब हो गया था. मैं ने उसे हर संभावित जगह पर ढूंढा था, उस के लिए मुंबई के हर छोटेबड़े अखबारों में उस की गुमशुदगी का इश्तहार छपवाए थे, लेकिन उस का कोई अतापता नहीं चला था. चलता भी कैसे, वह तो भारत से सैकड़ों मील दूर लंदन में बैठा हुआ था. आज उसे मेरी याद आई थी. मैं ने आराम कुरसी पर बैठने के बाद पत्र लिफाफे से बाहर निकाला और पढऩे लगा—
‘प्रिय दोस्त अभय! लंदन के होटल शार्क में एक हिंदुस्तानी व्यक्ति के पास मुंबई से निकलने वाले न्यूजपेपर ‘लोकमत’ में अपनी गुमशुदगी का इश्तहार देख कर दिल को बहुत सुकून मिला कि तुम आज भी मुझे अपना मानते हो. मेरी तलाश में भटक रहे हो और तुम ने मेरी दोस्ती को भुलाया नहीं है.
‘दोस्त, मैं भी तुम्हें नहीं भूला हूं. किसी मजबूरीवश मुझे अचानक मुंबई छोडऩी पड़ी थी. अब में लंदन में हूं. यहां मैं ने ‘अग्रवाल फेब्रिक इंडिया’ नाम से एक कंपनी खोल ली है. तुम्हें हर रोज याद करता हूं. तुम पत्र पाते ही तुरंत लंदन चले आओ, फिर बैठ कर ढेर सारी बातें करेंगे. आने से पहले मेरे मोबाइल पर सूचना देना, मेरा मोबाइल नंबर यह है 993333333 तुम्हारा दोस्त रोहित अग्रवाल.’
रोहित का पत्र पढ़ कर मैं उस की यादों में खो गया. रोहित मुंबई के मशहूर उद्योगपति धीरेन अग्रवाल का इकलौता बेटा था. धीरेन अग्रवाल की मुंबई में कपड़ा मिल थी, जिस में सैकड़ों मजदूर काम करते थे. धीरज अग्रवाल की पत्नी की असमय ही कैंसर से मृत्यु हो गई थी, उस वक्त रोहित 11 साल का था. धीरेन अग्रवाल ने मां और बाप की जिम्मेदारी निभाते हुए रोहित की परवरिश की थी. उन के पास धनदौलत की कोई कमी नहीं थी. उन के बाद सब कुछ रोहित का ही था, फिर भी उन्होंने रोहित को पढ़ानेलिखाने में कोई कंजूसी नहीं की.
रोहित की पहचान मुझ से सेंट पीटर्स स्कूल में हुई थी. यहां मैं दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था. रोहित भी इसी स्कूल में मेरी क्लास का छात्र था. यहां ऊंचे घराने के बच्चे पढ़ते थे. चूंकि मेरे पापा का एक रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया था, मैं अपने चाचाचाची के पास रह कर जीवनयापन कर रहा था. मेरे चाचाजी इसी स्कूल में चपरासी थे, उन्होंने स्कूल प्रशासन के हाथपैर जोड़ कर मेरा एडमिशन इस स्कूल में करवा दिया था. रोहित अमीर बाप का बेटा था, लेकिन उस में इस बात का जरा सा भी घमंड नहीं था. उस ने मुझे अपना दोस्त बनाया तो अपनी खानेपीने की चीजें मुझ से शेयर करने लगा. मेरी छोटीमोटी जरूरतों का वह पूरा खयाल रखने लगा था. हम ने हाईस्कूल इसी स्कूल से पास किया. बाद में रोहित ने अपना एडमिशन सोमैय्या आर्ट ऐंड कमर्शियल कालेज में करवा लिया था.
मेरी रुचि साइंस में थी, लेकिन इस की पढ़ाई के लिए मेरे चाचा के पास पैसे नहीं थे. रोहित ने मेरी इच्छा को देखते हुए मेरा एडमिशन सेंट जेवियर्स कालेज में अपने खर्चे से करवा दिया. उस दिन मैं रोहित के गले लग कर खूब रोया. रोहित मेरी पीठ सहलाता रहा, जब मैं ढेरों आंसू बहा लेने के बाद उस के कंधे से हटा तो रोहित ने मुसकरा कर कहा था, ”तुम बड़े डाक्टर बन कर मुंबई में अपना हौस्पिटल खोलो, मेरी यही इच्छा है अभय.’’
मैं ने सिर हिला कर उसे आश्वासन दिया कि तुम्हारी इच्छा का मैं खयाल रखूंगा मेरे दोस्त. यहां से हम दोस्त अलग हुए थे. रोहित अपने कालेज जाता, मैं अपने. यहां की पढ़ाई पूरी कर के मैं प्लास्टिक सर्जरी का कोर्स करने के लिए अमरीका चला गया. इस का भी पूरा खर्च रोहित ने ही उठाया था. अब हम दोनों के बीच बातचीत का जरिया फोन ही था. मैं रोहित का सपना साकार करने के लिए जी जान से मेहनत कर रहा था, अभी मेरे कोर्स का एक साल और बचा था कि रोहित के डैडी वीरेन अग्रवाल का हार्ट अटैक से देहांत हो गया. रोहित को अपना कालेज छोड़ कर डैडी का कारोबार संभालना पड़ा. वह मेरी मदद करने में तब भी पीछे नहीं हटा.
मैं अमरीका में था, रोहित मुंबई में. हमारे बीच फोन से बातें होती थीं. रोहित रोज शाम को मुझ से फोन पर बातें करता था. अचानक रोहित के फोन आने बंद हो गए. मैं ने बहुत कोशिश की थी कि किसी तरह रोहित से संपर्क हो जाए, लेकिन रोहित का नंबर नाट रिचेबल आता रहा. मैं रोहित के बगैर छटपटाता रहा. मजबूर था, मैं पढ़ाई छोड़ कर मुंबई नहीं लौट सकता था. एक साल बाद मैं प्लास्टिक सर्जन बन कर भारत लौटा. मुंबई एयरपोर्ट से मैं सीधा टैक्सी ले कर धीरेन अग्रवाल के बंगले पर गया तो मुझे जबरदस्त धक्का लगा. रोहित वह बंगला और अपना मिल मैनेजर को सौंप कर कहीं चला गया था. वह कहां गया, यह बात मैनेजर भी नहीं जानता था.
मैं समझ नहीं पाया कि अचानक रोहित को यह क्या सूझी कि वह अपने डैडी की जमीनजायदाद मैनेजर के हवाले कर के मुंबई से क्यों चला गया. ऐसी क्या समस्या आ गई उस के जीवन में. मैं ने उसे हर मुमकिन जगह तलाश किया. इस दौरान मैं ने स्मार्ट ब्यूटीकेयर हौस्पिटल में हैड प्लास्टिक सर्जन की जौब जौइन कर ली थी. रोहित को तलाश करने के लिए मैं ने अखबारों में इश्तहार भी छपवाए, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. आज अचानक ही रोहित का मेरे नाम से पत्र आया तो मैं ने चैन की सांस ली. वह लंदन में था और मैं उस से मिलने लंदन जाने को उतावला हो उठा था. मैं ने हौस्पिटल से 15 दिन की छुट्टी ली और दूसरे दिन ही लंदन के लिए हवाई जहाज में बैठ गया.
लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर मैं सुबह उतरा तो पीली चटक धूप खिली हुई थी. मैं ने रोहित के मोबाइल पर लंदन आने की पहले ही सूचना दे दी थी. वह एयरपोर्ट पर मुझे लेने आया था. मुझे देख कर उस ने गैलरी से हाथ हिलाया तो मैं दौड़ कर उस के गले से जा लगा. उस वक्त उस में पहले जैसा ही जोश और उत्साह मैं ने महसूस किया. एकदूसरे के गले लग कर हम यूं मिले, जैसे बरसों से बिछुड़े हुए अब जुदा नहीं होंगे. हमारी आंखों में आंसू थे.
”तुम ने अचानक से मुंबई छोड़ दी रोहित और यहां इतनी दूर आ कर बसेरा कर लिया, जान सकता हूं तुम ने ऐसा क्यों किया?’’
”लंबी कहानी है अभय, वक्त आएगा तो बता दूंगा. आओ घर चलें.’’ एक हलकी सी मुसकराहट चेहरे पर ला कर रोहित बोला और मुझे ले कर कार पार्किंग में आ गया.
पार्किंग में उस की शानदार कार खड़ी थी. मुझे अपने पास सीट पर बिठा कर उस ने खुद ड्राइविंग सीट संभाल ली. हमारा सफर शुरू हुआ. भव्य ऊंची इमारतों को पीछे छोड़ती हुई कार उस ओर बढ़ी, जिधर वीरान जंगल और पहाड़ों की लंबी शृंखला फैली हुई थी. शहर से दूर पहाड़ों के बीच में एक अकेला बंगला खड़ा था. कार उसी बंगले के पोर्च में आ कर रुकी. एक बूढ़ा नौकर दौड़ कर कार के पास आ गया.
”यह डेविड अंकल हैं. मेरे साथ यहीं रहते हैं. हम इस बंगले में सिर्फ 2 ही लोग हैं अभय. अब तुम आ गए हो तो हम 3 हो गए.’’ रोहित ने हंसते हुए कहा और कार से नीचे उतर गया.
”मैं यहां हमेशा थोड़ी रहूंगा दोस्त, तुम्हारे लिए 15 दिन की छुट्टी ले कर आया हूं.’’ मैं ने कहा और अपना सूटकेस उठाने लगा.
”रहने दो, यह सूटकेस डेविड अंकल तुम्हारे कमरे में पहुंचा देंगे.’’
मैं रोहित के साथ अंदर ड्राइंगरूम में आया तो वह बोला, ”अभय, तुम फ्रेश हो जाओ. हम साथ में बैठ कर नाश्ता करेंगे.’’
फे्रश होने के बाद मैं ने रोहित के साथ बैठ कर नाश्ता किया. नाश्ते के दौरान रोहित ने बताया, ”मैं ने अचानक मुंबई छोड़ी थी अभय, उस वक्त तुम अमरीका में थे, मैं तुम से संपर्क नहीं कर पाया, यहां आने के बाद मैं काम में उलझ गया. एक दिन जब शार्क होटल में एक हिंदुस्तानी के पास ‘लोकमत’ न्यूजपेपर में अपनी गुमशुदगी का तुम्हारी ओर से छपवाया गया इश्तहार पढ़ा तो मुझे तुम्हारी याद हो आई.
”मुझे मालूम था तुम कोर्स पूरा कर के मुंबई लौट आए होगे और किसी बड़े हौस्पिटल में प्लास्टिक सर्जन का पद जौइन कर लिया होगा तो मैं ने मुंबई के हर बड़े हौस्पिटल में तुम्हारे बारे में मालूम किया. मुझे स्मार्ट ब्यूटी केयर हौस्पिटल में तुम्हारे बड़ा सर्जन होने की जानकारी मिली तो मैं ने तुम्हारे नाम पत्र लिखा. इस प्रकार आज फिर मैं अपने अजीज दोस्त से मिल पाया हूं. अच्छा अभय, तुम अपना हौस्पिटल कब खोलने वाले हो?’’ रोहित ने पूछा.
”बहुत जल्द रोहित, मैं उस के लिए पैसा इकट्ठा कर रहा हूं.’’ मैं ने मुसकरा कर बताया, ”और हां, मैं अपने हौस्पिटल का नाम ‘पार्थ ब्यूटी होम’ रखने वाला हूं.’’
”पार्थ क्यों?’’
”तुम्हारी बदौलत ही मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं दोस्त, तुम मेरे लिए सब कुछ हो और मैं तुम्हारा पार्थ यानी सेवक हूं.’’
मैं ने नाश्ता खत्म किया और डेविड अंकल के साथ एक रूम में चला आया. मेरा सामान डेविड ने इसी कमरे में ला कर रख दिया था. इस में बैडरूम कम स्टडीरूम जैसी सुविधा थी. मैं नर्म बिस्तर पर लेटा तो जल्दी ही मुझे नींद ने अपनी आगोश में ले लिया.
मेरी नींद खुली तो शाम ढलने को आ गई थी. मैं खूब सोया था. मुझे जगा देख कर डेविड मेरे लिए कड़क चाय और बिसकुट ले कर आए. मैं ने उन से रोहित के विषय में पूछा तो वह गंभीर स्वर में बोले, ”आज अमावस है न बेटा, रोहित हर अमावस को शहर जाता है.’’
”क्यों?’’ मैं ने हैरानी से पूछा.
”जाता होगा क्लबों और बार में, जब रात को लौटता है तो उस के साथ एक जवान और सुंदर लड़की होती है.’’
रोहित के विषय में यह जानकारी काफी चौंकाने वाली थी. मैं उसे अच्छे से जानता था, उसे न बार, क्लबों में जाने का शौक था, न कभी उस ने किसी लड़की के साथ दोस्ती की थी. वह लड़कियों से दस कदम दूर रहता था. फिर यहां लंदन में आ कर उस ने यह शौक कैसे पाल लिए. मेरी समझ में नहीं आ रहा था.
”मैं अपने मालिक के लिए झूठ क्यों बोलूंगा. फिर रोहित तो मेरे बेटे जैसा है, मैं उसे बदनाम क्यों करूंगा. मैं ने 3 अमावस की रातों को रोहित को नशे में लडख़ड़ाते देखा है. उस के साथ लड़की भी यहां आते देखी है. लेकिन…’’
”लेकिन क्या अंकल?’’
”जो लड़की रोहित के साथ यहां आईं, वह मैं ने वापस जाते नहीं देखीं. तलाश करने पर वह लड़की मुझे बंगले में नहीं मिली.’’
मैं चाय पी कर टहलने के इरादे से बंगले के लौन में आ गया. रोहित का एक नया रूप मेरे सामने उजागर हुआ था. मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि मेरा दोस्त एक ऐसा नकाब पहने हुए है, जिस के पीछे एक बुरा इंसान छिपा हुआ है. मैं इस की असलियत खुद जानने को उत्सुक हो गया. लौन में रंगबिरंगे फूल लगे हुए थे. उन्हें निहारते हुए मैं लौन को पार कर के बंगले के पीछे निकल आया. पीछे एक बड़ा सा तालाब था. वह शांत दिखाई दे रहा था, लेकिन मैं जैसे ही उस तालाब के किनारे गया, उस में से बड़ीबड़ी मछलियां उछलती हुई किनारे पर आ गईं. शाम पूरी तरह ढल गई थी. मैं बंगले में लौट आया और अपने कमरे में आ कर लेट गया. रोहित अभी तक शहर से वापस नहीं लौटा था.
8 बजे डेविड अंकल ने मुझे आ कर बताया कि रोहित ने फोन कर के कहा है कि मैं खाना खा लूं, वह देर से लौटेगा. मैं ने डेविड अंकल से खाना अपने कमरे में ही मंगवा लिया. खाना खा लेने के बाद मैं फिर से बिस्तर पर लेटा तो मेरी आंख लग गई. अचानक मेरी नींद किसी आहट से टूटी. मैं ने देखा रात के 12 बज रहे थे. आहट मेरे दरवाजे पर हुई थी. मैं उठ कर दबेपांव दरवाजे पर आया और दरवाजे से कान लगा दिए. बाहर बरामदे में कोई खड़ा था. मैं ने कीहोल से आंख लगा कर देखा तो मुझे रोहित नजर आया. शायद मेरे दरवाजे पर मेरी स्थिति भांपने आया था.
कुछ क्षण बाद वह मेरे दरवाजे से हट कर बरामदे में जाता नजर आया तो मैं ने धीरे से दरवाजा खोल दिया. रोहित बंगले के पीछे के भाग की तरफ जा रहा था. कुछ सोच कर मैं दबे कदम रोहित के पीछे लग गया. रोहित गैलरी पार कर के बंगले के अंतिम छोर पर आ कर रुक गया, यहां से आगे रास्ता नहीं था, समतल दीवार थी. रोहित ने दीवार पर लगी एक खूंटी को पकड़ कर घुमाया तो दीवार में एक दरवाजा खुल गया. मैं हैरान रह गया. इस दीवार में बड़ी सफाई से चोर दरवाजा भी बनाया जा सकता है, यह आश्चर्य की बात थी. रोहित उस दरवाजे से अंदर चला गया तो दरवाजा बंद हो गया. मैं लपक कर वहां आया और मैं ने वही खूंटी घुमा कर दरवाजा खोल लिया और अंदर घुस गया. सामने शीशे का हाल था. उस हाल में नजर पड़ते ही मैं बुरी तरह चौंक गया.
हाल में एक खूबसूरत लड़की घुटने के बल बैठी हुई थी. उस लड़की के हाथपांव पीछे की तरफ रस्सियों से बांध दिए गए थे. उस के तन पर एक भी कपड़ा नहीं था. वह बेहद डरी हुई दिखाई दे रही थी. रोहित उस के सामने खड़ा था. चूंकि रोहित की पीठ मेरी तरफ थी, वह मुझे नहीं देख पाया था. रोहित के हाथ में चाकू था. वह क्या करने वाला था, मैं नहीं समझ पाया. मैं दम साधे देख रहा था. रोहित उस भय से सहमी लड़की से कुछ कह रहा था. क्या, यह मैं नहीं सुन सकता था. शायद शीशे का वह हाल साउंडप्रूफ था. मैं उस के बाहर था, इसलिए मुझे कोई भी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी.
इस लड़की से कुछ कहने के बाद रोहित उस की तरफ बढ़ा तो मैं ने महसूस किया कि लड़की उस से दया की भीख मांग रही है, किंतु रोहित पूरा वहशी बना हुआ था. उस ने आगे बढ़ कर लड़की के बाल मुट्ठी में पकड़े और लड़की की पीठ पर चाकू से खुरचखुरच कर कुछ लिखने लगा. लड़की को मैं ने तड़पते और गला फाड़ कर चीखता महसूस किया तो मेरी आंखों में आंसू छलक आए. मेरा दोस्त, जिसे मैं क्या समझता था, आज मुझे किसी राक्षस से कम नहीं लग रहा था. लड़की असहनीय पीड़ा से चीखती हुई फर्श पर औंधी गिरी तो मैं ने पढ़ा, रोहित ने उस की पीठ पर चाकू से ‘बेवफा’ शब्द खुरचा था.
‘उफ!’ मैं ने आंखें बंद कर लीं. रोहित ने अब उस लड़की को सीधा कर के उस के सीने में चाकू उतार दिया था. लड़की बुरी तरह तड़प रही थी, उस के शरीर से खून निकल कर फर्श को लाल करने लगा था. रोहित ने उसे उसी हालत में उठाया और शीशे की दीवार के पास ले आया. वहां कोई लीवर था, उसे दबाने से शीशे में बड़ी सी खिड़की खुल गई. रोहित ने तड़पती हुई लड़की को उस खिड़की से बाहर उछाल दिया. अब मेरी समझ में आ गया था कि वह लड़की वापस क्यों नहीं जाती. रोहित उस का बेरहमी से कत्ल कर उस की लाश तालाब में फेंक देता है, मछलियां लड़की को चट कर हैं. मेरा मन रोहित के प्रति उस वक्त घृणा से भर गया. मैं चुपचाप वहां से बाहर निकला और भारी कदमों से अपने कमरे में आ गया. मुझे रात भर नींद नहीं आई. मैं बिस्तर पर पड़ा रोहित के विषय में सोचता रहा.
सुबह मैं फ्रेश हुआ तो डेविड अंकल ने आ कर कहा, ”मालिक तुम्हारा ब्रेकफास्ट के लिए इंतजार कर रहे हैं बेटा अभय.’’
”हां. चलता हूं अंकल.’’ मैं ने पैरों में स्लीपर पहनते हुए कहा.
मैं डेविड अंकल के साथ ड्राइंगरूम की तरफ बढ़ा तो रोहित ने मुसकरा कर मेरा स्वागत किया, ”माफ करना अभय, कल मुझे अचानक एक जरूरी काम से शहर जाना पड़ गया था. मैं तुम्हें पहाड़ पर नहीं ले जा सका. आज…’’
मैं ने बात काट दी, ”आज नहीं रोहित, फिर किसी रोज चलेंगे.’’
”जैसा तुम्हें ठीक लगे, हम बाद में चल लेंगे.’’ रोहित ने कहा और मेरे लिए टोस्ट पर मक्खन लगाने लगा.
”रोहित, मैं ने कल तुम से पूछा था कि तुम ने अचानक से मुंबई क्यों छोड़ दी? तुम ने कहा कि लंबी कहानी है, बाद में बताऊंगा. आज तुम्हें बताना होगा कि ऐसी क्या बात हुई कि तुम मुंबई छोड़ कर लंदन में आ बसे?’’
”तुम जानने की जिद कर रहे हो तो सुनो,’’ रोहित ने गहरी सांस ले कर बताना शुरू किया, ”तुम डाक्टरी कोर्स करने अमरीका चले गए तो मेरे साथ बहुत कुछ घटा. दिल का दौरा पडऩे से अचानक डैडी चल बसे. मुझे अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर डैडी का कारोबार संभालना पड़ा. मैं अब रोज कंपनी के औफिस में जाने लगा था.
”एक दिन मेरे औफिस में एक लड़की आई. वह जवान और खूबसूरत थी. बहुत गरीब घर से थी. उस के बाप का साया सिर पर नहीं था, मां थी, लेकिन बीमार रहती थी. घर में
कोई कमाने वाला नहीं था. 12 क्लास पढ़ी हुई थी, उसे काम चाहिए था. मुझे उस पर न जाने क्यों तरस आ गया. मैं ने उसे स्टेनो के पद पर रख लिया.
”मैं धीरेधीरे उस की तरफ आकर्षित होने लगा. वक्तबेवक्त मैं उस की खुले मन से मदद करने लगा. वह मेरे दिल की आवाज को पहचान गई. उस ने मेरी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए एक बात कही थी, ‘रोहित बाबू, मैं बेशक गरीब घर की हूं, लेकिन एक इज्जतदार बाप की बेटी हूं. मुझ से प्यार के नाम पर ऐसा छल मत करना कि मुझे शर्मिंदा हो कर किसी कुएंतालाब में जगह ढूंढनी पड़े.’
”मैं ने उसे विश्वास दिलाया कि मैं मर जाऊंगा, लेकिन तुम्हारे साथ कभी छल नहीं करूंगा.’’ एक क्षण को रोहित रुका, फिर कहने लगा, ”अभय, मैं ने उसे दिल से चाहा, वह यह मेरा पहला और आखिरी प्यार थी. उस के कहने पर मैं ने उस के साथ सात फेरे लेने का मन बना लिया था. इस के लिए मैं ने 15 मई का दिन तय किया.
”उस दिन अमावस थी. मुझे कुछ लोगों ने कहा कि अमावस की रात को दुलहन के साथ फेरे लेना शुभ नहीं होते, लेकिन मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करता था. मैं ने लोगों से कहा कि मेरी होने वाली दुलहन पूनम का चांद है, उस की रोशनी से अमावस का अंधेरा भी जगमगा उठेगा.
”कार्ड छपे. शादी की तैयारियां जोरशोर से शुरू हुईं और फिर वह अमावस की रात भी आ गई, जिस दिन मुझे मेरी प्रियतमा के साथ अग्नि के सात फेरे लेने थे.
”मुंबई के वरसोवा वाले बंगले को दुलहन की तरह सजाया गया था. मुंबई शहर के जानेमाने उद्योगपति, मेरे मित्र और अन्य प्रतिष्ठित
व्यक्ति हमारी एंगेजमेंट और शादी में शामिल होने के लिए बंगले में आने शुरू हो गए थे. एंगेजमेट और शादी का समय रात 11 बजे रखा गया था.
”मैं दूल्हा बन कर मित्र मंडली में बैठा हंसीठिठोली कर रहा था. मेरी दुलहन, जिसे मैं पूनम के नाम से पुकार रहा हूं, वह भी एक कमरे में दुलहन के लिबास में सजसंवर रही होगी, मैं यही सोचे बैठा था, लेकिन मुहूर्त पर जब वह स्टेज पर नहीं आई तो मैं उसे बुलाने उस कमरे में गया, जहां वह मेकअप करवा रही थी. वह कमरा खाली था. मैं हैरानपरेशान पूनम को बंगले में तलाश करने लगा.
”मुझे टूटे हुए गजरे के फूल नीचे बेसमेंट में जाने वाली सीढिय़ों पर दिखाई दिए तो मैं बेसमेंट में उतर राया. उफ!’’ रोहित के मुंह से सर्द आह निकली. वह थके से स्वर में बोला, ”अभय, मेरी पूनम कपड़ा उद्योगपति पीयूष गिडवानी की बांहों में मुझे मिली तो मेरे सारे अरमान ताश के पत्तों की तरह बिखर गए. मैं पूनम की बेवफाई पर रो पड़ा. क्या नहीं था मेरे पास कि उस बेवफा ने मुझे पीयूष की नजरों में बौना बना दिया. उस ने मुझे धोखा दिया था अभय. मेरे दिल पर उस ने गहरी चोट की थी.’’ रोहित कहतेकहते बच्चों की तरह रोने लगा.
मुझे रोहित के ऊपर तरस हो आया, मैं ने रोहित का कंधा थपथपा कर उसे ढांढस बंधाने के बाद कहा, ”मुझे उस का सही नाम बताओ रोहित, मैं उस से मिलूंगा और…’’
”अब कोई जरूरत नहीं है अभय. मैं ने उस बेवफा को भुला दिया है. मेरे लिए वह उसी दिन मर गई थी, जब उस ने मुझ से शादी वाले दिन बेवफाई की थी. मैं ने उसे और मुंबई शहर को भुला देने के लिए वहां से दूरी बना ली. फिर मैं लंदन आ गया. अब मैं उसे याद नहीं करता.’’
मुझे रोहित के दिलोदिमाग से लड़की जात के प्रति पैदा हुई नफरत को समाप्त करना था. सब से पहले मुझे उस नागिन का पता लगाना था, जिस ने रोहित को डसा था और इस अंजाम तक पहुंचाया था. उस का पता मुझे रोहित के कमरे से चल सकता था. मैं रोहित के बैडरूम में घुस गया और उस की अलमारियों की तलाशी लेने लगा. मैं ने वहां रखे सामान को उलटपलट डाला. मेज की ड्राअर, सेफ आदि देख लेने के बाद मैं ने रोहित के पलंग का बिस्तर पलटा तो मुझे गद्दे के नीचे एक लड़की की तसवीर नजर आ गई. मैं ने जैसे ही वह तसवीर उठा कर देखी, मुझे जबरदस्त झटका लगा. यह तसवीर शालू की थी.
शालू, जो रजनी बन चुकी थी. वह अब मेरी प्रेमिका थी, मैं उसे बहुत प्यार करता था. मेरी आंखों के आगे शालू से हुई पहली मुलाकात का एकएक दृश्य उजागर होने लगा.
मैं ने अमरीका से लौट कर मुंबई में स्मार्ट ब्यूटीकेयर हौस्पिटल में प्लास्टिक सर्जन का पद जौइन कर लिया था और मुझे रहने के लिए हौस्पिटल की तरफ से एक फ्लैट मिल गया था. एक दिन मेरे फ्लैट पर एक लड़की साफसफाई का काम मांगने आई. मैं ने देखा उस ने अपना चेहरा दुपट्टे से छिपा रखा था. वह 2 दिन से भूखी थी, उस की आंखों में याचना थी, वह बहुत मायूस और मजबूर लगी मुझे. मैं ने उस पर तरस खा कर उसे काम पर रख लिया. 2-3 दिन में ही मैं ने पहचान लिया कि वह मेहनती है. मैं ने उस से 3 दिन बाद उस के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह दुनिया में अकेली है. वह 2 वक्त की रोटी के लिए दरदर भटक रही थी, उस के सिर पर छत भी नहीं थी. आप के यहां मुझे काम मिला है तो अब मैं पेट भर कर खा लेती हूं और फ्लैट के बाहर सो जाती हूं.
”आज से तुम बाहर नहीं सोओगी, स्टोर रूम खाली है, उस में अपना बिस्तर लगा लो. और हां, तुम यह अपना चेहरा क्यों छिपा कर रखती हो?’’
उस ने गहरी सांस भर कर उदास स्वर में कहा, ”मेरी भी हसरतें जवान हुई थीं साहब, मैं ने भी एक स्मार्ट युवक से दिल लगा लिया था. वह अमीर घर से था, उस ने मुझे अपने दिल की रानी बना कर महलों में रखने की कसमें खाई थीं, लेकिन न जाने क्यों उस ने मुझे ‘बेवफा’ घोषित कर दिया और मेरे चेहरे पर तेजाब डाल कर इस शहर से ही गायब हो गया. अब मैं अपना झुलसा हुआ यह कुरूप चेहरा किसी को नहीं दिखा सकती, इसलिए ढक कर रखती हूं.’’
”ओह!’’ मैं ने तड़प कर कहा, ”मुझे अपना चेहरा दिखाओ, मैं प्लास्टिक सर्जन हूं, तुम्हारे चेहरे की कुरूपता खत्म कर सकता हूं.’’
उस ने अपना चेहरा मुझे दिखाया. उस के बाएं चेहरे को तेजाब ने बुरी तरह झुलसा दिया था. जख्म सूख चुका था, लेकिन जला हुआ वह हिस्सा इस लड़की को बहुत बदसूरत बना रहा था.
मैं ने उसे आश्वासन दिया कि मैं इस जले हुए चेहरे को नई सुंदरता दूंगा.
वादे के मुताबिक मैं ने शालू के चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी की और उस के कहने पर उस को एक नया चेहरा और नया नाम दे दिया रजनी. रजनी मेरे अहसान तले दब गई थी, लेकिन मैं ने इस का कोई गलत फायदा नहीं उठाया. मैं उसे दिल की गहराई से प्यार करने लगा. वह भी मुझे चाहने लगी. हमारे प्यार में निर्मलता थी, पवित्रता थी. उस अमावस की मनहूस रात की सच्चाई क्या थी, मुझे अब यह मालूम करना था. इस के लिए मुझे मुंबई लौटना जरूरी था.
मैं ने अचानक अपना सामान पैक किया. रोहित औफिस से नहीं लौटा था. मैं ने डेविड अंकल से झूठ बोला कि मुंबई से काल आई है, मेरा एक पेशेंट बहुत सीरियस है, मुझे तुरंत बुलाया गया है. रोहित से मैं फोन पर बात कर लूंगा. मैं चुपचाप एयरपोर्ट आया और मुंबई जाने वाली फ्लाइट ले कर मुंबई के लिए रवाना हो गया.
मुंबई में आ कर मैं ने एक होटल में कमरा लिया. शालू से पहले मैं पीयूष गिडवानी को टटोलना चाहता था. शालू मेरे साथ एक साल से रह रही थी, मुझे उस के प्यार में कोई मदारी और फरेब जैसी बात देखने को नहीं मिली थी. एक कपड़ा उद्योगपति मेरा मित्र था. उस से मुझे पीयूष गिडवानी का पता मिल गया. मुझे मालूम हुआ कि रईस उद्योगपति पीयूष अब लोखंडवाला की झुग्गी बस्ती में रहता है. हैरानी की बात थी, मैं उसे ढूंढता हुआ लोखंडवाला की झुग्गी बस्ती में उस के पास पहुंच गया.
पिता हरीश गिडवानी की गिनती उद्योग जगत में रईसों में होती थी, उस का बेटा पीयूष एक छोटी सी झुग्गी में रह रहा था. उस ने मुझे हैरत भरी नजरों से देखा और बोला, ”यदि मैं भूला नहीं हूं तो आप रोहित अग्रवाल के दोस्त अभय वर्मा हैं.’’
”ठीक पहचान रहे हो पीयूष.’’ उस के पास स्टूल पर बैठते हुए मैं विषभरे स्वर में बोला, ”फिर तो तुम यह भी समझ गए होगे कि मैं तुम्हें तलाश करता हुआ इस झुग्गी तक क्यों आया हूं.’’
”आप बताइए, मैं भला बगैर बताए कैसे समझ सकता हूं?’’
”पीयूष, तुम ने रोहित और शालू की एंगेजमेट और मैरिज पार्टी में शालू के साथ जो हरकत की थी, क्या उस में शालू की रजामंदी थी?’’
”नहीं.’’ गहरी सांस भर कर पीयूष बोला, ”शालू बेचारी तो बिलकुल बेकुसूर थी. वह सिर्फ मेरी हरकत थी, उसी की सजा मैं आज भुगत रहा हूं. मैं ने पिता की मौत के बाद उन की सारी संपत्ति जुए और शराब की भेंट चढ़ा दी और मैं इस झुग्गी में आ गया. आज मैं किडनी रोगी हूं, जिंदगी की अंतिम घडिय़ां गिन रहा हूं. यह शालू के दिल से निकली बददुआ का असर हो सकता है. मैं ने ओछी हरकत कर के रोहित और शालू को जुदा कर दिया था. वह बेदाग और बेगुनाह थी. मैं आप को उस की बेगुनाही का सबूत देता हूं.’’
पीयूष उठा और कोने में रखे टूटे से संदूक में से एक कैसेट निकाल कर उस ने वह कैसेट मुझे दे दी.
”इस वीडियो कैसेट में मेरी वह तमाम हरकतें कैद हैं, जो उस अमावस की रात को पार्टी में मैं ने शालू के साथ की थीं.’’ पीयूष ने रुक कर लंबी सांस ली, ”मैं और रोहित एक ही बिजनैस कपड़ा उद्योग से जुड़े हुए थे, रोहित अकसर मुझ से आगे रहता था, इसलिए मैं उसे अपना प्रतिद्वंदी मानने लगा था. मैं ने उस से दोस्ती जरूर कर रखी थी, लेकिन मन ही मन में उस से जलता था.
”जब मुझे रोहित का एंगेजमेंट और मैरिज का कार्ड मिला तो मैं ने मन ही मन रोहित से बदला लेने का प्लान बना लिया. मैं ने पार्टी में पहुंच कर शालू को तलाश किया. वह तैयार हो कर कमरे से निकल रही थी. मैं ने उसे कोल्ड ड्रिंक औफर की. उस में मैं ने बेहोशी का पाउडर मिला दिया था. शालू ने वह ड्रिंक पी ली.
”वह बेहोश हो कर गिरने को हुई तो मैं उसे कमर से थाम कर बेसमेंट में ले आया. मैं ने एक वीडियोग्राफर को इस काम के लिए बुक कर रखा था कि वह मेरी और शालू की गंदी वीडियो बनाएगा. उस ने यह काम किया, लेकिन उस बेवकूफ ने वह दृश्य भी कैमरे में कैद कर लिए, जब मैं शालू के लिए कोल्ड ड्रिंक में बेहोशी का पाउडर डाल रहा था.
”मैं ने बेहोश शालू को बेसमेंट में लाने के बाद उस के साथ ऐसे पोज बनाया, जैसे शालू मुझे चिपक कर प्यार कर रही हो. मैं कोई हरकत करता कि शालू को तलाश करता हुआ रोहित बेसमेंट में आ गया. मैं वहां से भाग निकला. यदि कैसेट मेरे हिसाब से बनती तो मैं जिंदगी भर रोहित को ब्लैकमेल करता, लेकिन मेरा खेल बिगड़ गया था.’’ पीयूष खामोश हो कर हांफने लगा था. मैं ने अब वहां रुकना बेकार समझा. मैं वीडियो कैसेट ले कर उस की झुग्गी से बाहर निकल आया.
होटल छोड़ कर मैं अपने फ्लैट पर पहुंचा तो शालू उर्फ रजनी ने उठ कर मुझे अभिवादन किया. मैं ने उस के सामने बैठ कर बहुत गंभीर स्वर में कहा, ”रजनी, मैं 10 दिन बाद फिर लंदन जाऊंगा, इस बार तुम भी मेरे साथ चलोगी.’’
उस ने मुझे हैरानी से देखा और तरहतरह के सवाल करने लगी. मैं ने उस की किसी बात का उत्तर नहीं दिया. मैं उठ कर हौस्पिटल चला गया. दसवें दिन मैं ने रजनी को साथ लिया और रात को लंदन को लिए फ्लाइट पकड़ ली. दूसरे दिन जब मैं उसे ले कर एयरपोर्ट पर उतरा तो रजनी ने मेरी कलाई कस कर पकड़ ली और गंभीर स्वर में बोली, ”यदि आप मुझे रोहित के पास ले कर जा रहे हैं तो सुन लीजिए. मेरे मन में अब रोहित के लिए कोई जगह नहीं है, मैं अब आप से प्यार करती हूं. यदि आप मुझे सहारा नहीं दे सकते तो हाथ छुड़ा लीजिए. मैं यहां की भीड़ में खो जाऊंगी.’’
”ऐसा मत कहो रजनी, मुझ से पहले
तुम रोहित का प्यार थी, उसे आज तुम्हारी जरूरत है.’’
”रोहित कभी मेरा प्यार था डाक्टर बाबू, उस ने मुझ पर शक कर के अपने प्यार का अधिकार खो दिया है.’’
”रजनी, मेरी बात को समझो. रोहित उस रात धोखे का शिकार हुआ था, वह तुम्हें सच्चा प्यार करता था. तुम्हें पीयूष की बांहों में देख कर वह होश खो बैठा था, उस ने इसीलिए तुम्हारे चेहरे पर तेजाब फेंका था और मुंबई छोड़ कर यहां वीराने में आ बसा. अमावस की रात को वह शहर से एक लड़की बहलाफुसला कर लाता है और अपने बंगले में बड़ी बेरहमी से उस का कत्ल कर देता है. वह मानसिक रोगी बन चुका है रजनी. मैं उसे इस मानसिक विकृति से बाहर निकालना चाहता हूं, तुम मेरी मदद करोगी तो रोहित की जान बच जाएगी, वरना किसी दिन वह खुद अपनी जान ले लेगा.’’
शालू उर्फ रजनी ने गहरी सांस ली, ”अपने से जुदा करने के अलावा आप मुझ से जो कहेंगे, मैं करूंगी डाक्टर बाबू. कहिए, मुझे क्या करना है?’’
मैं ने रजनी को अपनी योजना समझा दी. मैं जो कुछ करने जा रहा था, वह बहुत जोखिम भरा था, लेकिन रोहित को मानसिक रोग से बाहर लाने के लिए इस के अलावा कोई दूसरी राह मुझे दिखाई नहीं दे रही थी.
सुबह जब रोहित अपने औफिस के लिए चला गया, मैं उस के बंगले पर पहुंच गया. मुझे अचानक सामने देख कर डेविड अंकल हैरान रह गए, ”अरे तुम डाक्टर बेटा, तुम अचानक गए और आज अचानक से आ गए, सब ठीक तो है न?’’
मैं ने डेविड अंकल का प्यार से हाथ पकड़ कर कहा, ”आप मुझे बेटा मानते हैं न?’’
”हां,’’ डेविड अंकल ने आत्मीयता से कहा, ”जैसे रोहित मेरा बेटा है, वैसे तुम भी मेरे बेटे ही हो.’’
मैं ने डेविड अंकल को कुरसी पर बिठाया और वह सब कुछ सस्पेंस उन्हें बता दिया, जो मैं ने पिछली अमावस वाली रात को उस साउंडप्रूफ हाल में देखा था. मेरे कहने पर डेविड अंकल रोहित की इस मानसिक विकृति से उसे बाहर लाने के लिए मेरा साथ देने को तैयार हो गए थे.
उन की मदद से मैं ने साउंडप्रूफ हाल के कोने में एक एलईडी स्क्रीन लगा कर उस में एक पैन ड्राइव सैट कर दिया. मुंबई में ही मैं ने पीयूष से मिली विडियो कैसेट को पैनड्राइव में ट्रांसफर कर ली थी. यह काम कर के मैं शहर के लिए निकल गया. मैं ने शालू उर्फ रजनी को शहर के उस शार्क होटल में ठहरा दिया, जहां रोहित अपना शिकार तलाश करने हर अमावस की रात जाता था. कल अमावस की रात थी. मैं होटल पहुंच कर शालू से मिला और पूरी रात और दूसरे दिन शाम तक शालू के साथ कमरे में रहा. मैं उसे समझाता रहा कि उसे रोहित का सामना कैसे करना है और उसे कैसे अपनी मीठी बातों में फंसा कर उस के फ्लैट तक पहुंचना है.
शाम को शार्क होटल के बार ऐंड डांसिंग फ्लोर पर अमीर लोगों का आना शुरू हुआ. मैं ने शालू उर्फ रजनी को तैयार कर के नीचे भेज दिया. मैं खुद बड़ा सा हैट सिर पर रख कर अपने को छिपाता हुआ नीचे बार रूम में एक टेबल पर आ कर बैठ गया. शालू क्रिश्चियन परिवेश में थी. शार्ट टौप, जींस और सिर पर सफेद दुपट्टा. दुपट्टे से उस ने अपना आधा चेहरा ढक लिया था. वह इस ड्रेस में बड़ी आकर्षक लग रही थी. वह एक टेबल पर बैठ गई. 7 बजे जब बार की महफिल जवां हुई, रोहित ने बार में कदम रखा. उस ने पूरे हाल में नजरें दौड़ाईं. फिर अकेली बैठी शालू की तरफ बढ़ गया. शालू संभल कर बैठ गई.
”हैलो हसीना!’’ वह शालू के पास झुक कर मुसकराया, ”आप अकेली हैं, क्या मैं आप का पार्टनर बन सकता हूं?’’
”मैं आप जैसे हैंडसम साथी की तलाश में थी. बैठिए.’’ शालू अदा से मुसकरा कर उस की तरफ हाथ बढ़ाया.
रोहित ने जैसे ही उस का हाथ थामा तो वह एक क्षण को चौंका और शालू को देखने लगा.
”क्या हुआ?’’ शालू ने चौंक कर पूछा.
”मुझे ऐसा लगा जैसे यह हाथ मैं ने पहले भी थामा है.’’ रोहित डूबती आवाज में बोला. फिर सिर झटक कर उस ने शालू की कमर में हाथ डाल दिया, ”चलो.’’
वह शालू को ले कर बार से निकला तो मैं उस के पीछे झपटा. रोहित मुझे शालू के साथ अपनी कार में नजर आया. मैं ने एक टैक्सी रुकवाई और टैक्सी वाले को समझा दिया कि वह सावधानी से रेड रंग की उस कार का पीछा करे. आगे पीछे रोहित की कार और टैक्सी उस वीराने में स्थित फ्लैट तक पहुंच गई. मैं ने दूर ही टैक्सी रुकवा कर किराया दिया और पैदल ही फ्लैट तक पहुंच गया. आधी रात से पहले ही मैं डेविड अंकल को ले कर साउंडप्रूफ हाल में आ गया. रोहित ने शालू को उसी तरह रस्सियों से बांध कर घुटने के बल बिठा दिया था, जैसा वह दूसरी लड़कियों के साथ करता था.
मुझे ताज्जुब हुआ कि उस ने शालू को निर्वस्त्र नहीं किया था. शालू बुरी तरह डरी हुई थी. मैं ने पास पहुंच कर उस का गाल थपथपाया, ”हिम्मत रखो रजनी, तुम्हें मैं कुछ नहीं होने दूंगा. मैं और डेविड अंकल उधर एलईडी स्क्रीन के पीछे छिप रहे हैं.’’
शालू ने फीकी मुसकान के साथ सिर हिलाया. मैं डेविड अंकल को ले कर एलईडी स्क्रीन के पीछे छिप कर बैठ गया.
ठीक 12 बजे रोहित ने हाल में कदम रखा. मैं और डेविड अंकल सावधान हो गए. रोहित लडख़ड़ाती चाल से शालू की तरफ बढ़ा और उस के सामने आ कर रुक गया. वह शालू को घूरते हुए बोला, ”ऐ हसीन बला, तुम पहली लड़की हो, जिसे निर्वस्त्र करने में मेरे हाथों ने इंकार किया है. पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम्हारी इन शरबती आंखों को मैं ने पहले भी कहीं देखा है, तुम्हारी दिल को मोह लेने वाली मधुर आवाज मेरे कानों ने पहले भी सुनी है. कौन हो तुम?’’
”मैं शालू हूं मिस्टर रोहित अग्रवाल.’’ शालू बड़ी लापरवाह अंदाज में बोली, ”वही शालू जिसे तुम बेइंतहा प्यार करते थे.’’
”नहींऽऽ’’ रोहित गला फाड़ कर गुस्से से चीख पड़ा, ”तुम शालू नहीं हो, उस बेवफा का तो मैं ने तेजाब से चेहरा बिगाड़ दिया था. यह चेहरा शालू का नहीं है.’’
”यह शालू का ही चेहरा है मिस्टर रोहित. डा. अभय ने तेजाब से जले इस चेहरे को नया लुक दिया है अब मैं शालू नहीं, रजनी बन गई हूं.’’ शालू शुष्क स्वर में बोली.
”ओह!’’ रोहित एकाएक हिंसक हो गया, ”अब मैं समझ गया, तुम शालू ही हो… तुम बेवफा हो. उस दिन मैं ने तुम्हारा चेहरा जलाया था. तुझे आज मैं तेरी बेवफाई की इतनी भयानक सजा दूंगा कि देखने वालों की रुह भी कांप जाएगी.’’ रोहित ने जेब से चमचमाता हुआ चाकू निकाला.
उस की आंखों में नफरत के शोले दहकने लगे. चेहरा क्रोध के कारण भयानक हो गया.
जैसे ही उस ने चाकू वाला हाथ ऊपर उठाया, मेरे इशारे पर डेविड अंकल ने हाल की बत्ती बुझा दी.
मैं ने तुरंत एलईडी स्क्रीन औन कर दी. स्क्रीन पर रोहित और शालू की एंगेजमेंट ऐंड मैरिज फंक्शन के दृश्य उभरने लगे. पार्टी इंजौय कर रहे मेहमानों से होता हुआ कैमरा उस दरवाजे पर आ कर रुका, जहां से शालू दुलहन के लिबास में सजीधजी बाहर निकल रही थी. फिर कैमरे में पीयूष गिडवानी नजर आया. वह एक कोल्ड ड्रिंक का गिलास टेबल पर रख कर उस में एक पुडिय़ा का पाउडर डाल रहा था. कोल्ड ड्रिंक चम्मच से हिला कर वह गिलास ले कर शालू के पास आता नजर आया, फिर उस ने मुसकरा कर कहा, ”हाय! शालूजी, आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं, लीजिए मेरे हाथ से यह कोल्ड ड्रिंक पीएं, मुझे अच्छा लगेगा.’’
शालू ने मुसकरा कर कोल्ड ड्रिंक लिया और पीने लगी. कुछ ही देर बाद वह लडख़ड़ाती नजर आई. पीयूष गिडवानी ने उसे कमर से थाम लिया और बेसमेंट की तरफ बढ़ गया. बेसमेंट में ला कर उस ने उसे सोफे पर लिटा दिया और उस की साड़ी उतारने लगा. अद्र्धमूर्छित शालू उस का विरोध करती नजर आ रही थी. साड़ी उतारने के बाद उस ने शालू को जैसे ही बांहों में भरा, वहां रोहित आता दिखा. पीयूष उसे देख कर घबराया हुआ उठा और सीढिय़ों की तरफ भागा. इस के बाद स्क्रीन से वीडियो गायब हो गई.
”देख लिया रोहित शालू की बेगुनाही का सबूत.’’ मैं ने ऊंची आवाज में कहा और डेविड अंकल से बोला, ”लाइट्स जला दीजिए अंकल.’’
डेविड अंकल ने लाइट्स औन की तो हाल का दृश्य देख कर हमारे मुंह से चीखें निकल गईं. रोहित ने अपने दोनों कलाइयों की नसें काट ली थीं. वह बुत बना स्क्रीन को देख रहा था. उस की कलाइयों से निकले खून ने फर्श को रंग दिया था.
मैं घबरा कर रोहित की तरफ झपटा. डेविड ने शायद अंधेरे में ही शालू को बंधनमुक्त कर दिया था. वह भी रोहित की तरफ दौड़ी. डेविड अपनी जगह जड़ बना खड़ा रह गया था, उसे कुछ सूझ नहीं रहा था.
”यह तुम ने क्या किया रोहित?’’ रोहित को बाहों में ले कर मैं चीख पड़ा.
”अंकल एंबुलेंस बुलाओ.’’
”नहीं दोस्त.’’ रोहित हाथ उठा कर शुष्क स्वर में बोला, ”मैं ने अपने प्यार पर शक कर के उस का अपमान किया है. मुझे सजा मिलनी चाहिए. वैसे भी मैं शालू को बेवफा मान कर इतने गुनाह कर चुका हूं कि कानून मुझे मौत की ही सजा देगा.
मैं कानून और शालू का गुनहगार हूं. मेरे मरने से भी इन गुनाहों का प्रायश्चित नहीं हो सकता, मुझे माफ कर देना शालू.’’ रोहित की आवाज अब डूबने लगी थी. मैं डाक्टर था, किंतु उस वक्त बेबस था. रोहित को कटी हुई कलाइयों से तेजी से खून बह कर रोहित को मौत की तरफ धकेल रहा था. मैं रोने लगा.
”नहीं अभय, मेरे दोस्त, मुझे रो कर विदा मत कर. तू तो मेरा सब से अच्छा दोस्त है, मेरे मरने के बाद तू शालू से शादी कर लेना, मेरी प्रौपर्टी का तू नौमिनी है. इस में शालू को भी भागीदार बनाना. इस फ्लैट में डेविड अंकल रहेंगे. शालू, प्लीज मेरे दोस्त अभय का खयाल रखना…’’ अंतिम शब्द बहुत मुश्किल से कह पाया था रोहित. उस की गरदन एक तरफ लुढ़क गई. मैं और शालू फूटफूट कर रोने लगे. डेविड अंकल फर्श पर बैठ कर सुबकने लगे. सुबह तक हम तीनों रोहित की लाश के पास बैठ कर रोते रहे. हम ने सुबह बड़ी सावधानी से रोहित का अंतिम संस्कार कर दिया. मैं नहीं चाहता था कि रोहित मरने के बाद किसी कानूनी लफड़े में फंस कर इस बात के लिए बदनाम हो कि उस ने कई लड़कियों को मौत के घाट उतारा है.
दूसरे दिन डेविड अंकल से हम ने विदा ली. हम अपने साथ रोहित की अस्थियां ले कर मुंबई आए. यहां से हम ने हरिद्वार आ कर रोहित की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर दिया. मैं ने एक महीने बाद शालू उर्फ रजनी के साथ शादी कर ली और रोहित की लंदन वाली संपत्ति बेच कर मुंबई में ‘पार्थ ब्यूटी केयर’ नाम से हौस्पिटल खोल लिया. डेविड अंकल उस वीराने में बने फ्लैट में रह कर रोहित की यादों के सहारे जी रहे थे. Stories in Hindi