शर्तों वाला प्यार : प्रेमी ने किया वार – भाग 1

कानपुर स्थित दलहन अनुसंधान केंद्र का सुरक्षाकर्मी के.पी. सिंह सुबह 8 बजे ड्यूटी पूरी कर अपने घर जा रहा था. जब वह बैरीबागपुर जाने वाली लिंक रोड पर पहुंचा तो उस ने रोड के किनारे एक युवती का शव पड़ा देखा. के.पी. सिंह ने यह सूचना जीटी रोड से गुजर रहे राहगीरों को दी तो कुछ ही देर में वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई. इसी बीच के.पी. सिंह ने फोन द्वारा सड़क किनारे लाश पड़ी होने की सूचना थाना बिठूर पुलिस को दे दी. यह बात 17 अप्रैल, 2019 की है.

सूचना पाते ही बिठूर थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ बताई गई जगह पर पहुंच गए. युवती की उम्र 20-22 साल के आसपास थी. उस के सिर और चेहरे पर ईंटपत्थर या किसी अन्य वजनी चीज से वार किया गया था. सिर से निकले खून से जमीन लाल हो गई थी. युवती के गले में दुपट्टा लिपटा था. ऐसा लग रहा था कि हत्यारे ने उस का गला भी घोंटा हो. उस के हाथों में चोट के निशान भी थे. थानाप्रभारी ने इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी थी.

घटनास्थल पर सैकड़ों लोगों की भीड़ थी, लेकिन कोई भी युवती को पहचान नहीं पाया. थानाप्रभारी अभी घटनास्थल की जांच कर ही रहे थे कि इसी बीच एक युवक वहां आया. उस ने पहले युवती की लाश को गौर से देखा, फिर फफक कर रो पड़ा. वह वहां मौजूद थानाप्रभारी से बोला, ‘‘साहब, यह मेरे भाई राकेश कुरील की बेटी अन्नपूर्णा है. इस की तो कल बारात आने वाली थी, पता नहीं किस ने इस की हत्या कर दी.’’

शादी से एक दिन पहले दुलहन की हत्या की बात सुन कर थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह स्तब्ध रह गए. उन्होंने लाश की शिनाख्त करने वाले युवक से पूछताछ की तो उसने अपना नाम राजेश कुरील बताया. विनोद कुमार ने उस से बात कर कुछ जरूरी जानकारी हासिल की. इसी बीच सूचना पा कर एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन तथा सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार सिंह भी आ गए. अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया था.

राजेश ने अपनी भतीजी अन्नपूर्णा की हत्या की खबर घर वालों को दी तो घर में कोहराम मच गया. घर में चल रही शादी की तैयारियां मातम में बदल गईं. राकेश की पत्नी शिवदेवी तथा बेटियां प्रियंका, प्रगति, नेहा तथा परिवार के अन्य सदस्य रोतेबिलखते घटनास्थल पर आ गए. शिवदेवी व उस की बेटियां अन्नपूर्णा के शव को देख फूटफूट कर रोने लगीं.

मोहल्ले में किसी ने नहीं सोचा था कि जिस घर में बारात आने की तैयारी हो रही हो, वहां से अर्थी उठेगी. मृतका अन्नपूर्णा की होने वाली सास लक्ष्मी भी उस की मौत की खबर पा कर पति शिवबालक व बेटे पुनीत के साथ घटनास्थल पर आ गई थी. वह कह रही थी, हमें तो बारात ले कर बहू को लेने आना था, लेकिन अर्थी देखने को मिली. पुनीत भी होने वाली पत्नी के शव को टुकुरटुकुर देख रहा था.

घटनास्थल पर कोहराम मचा था. पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह रोतेबिलखते घर वालों को धैर्य बंधाया. घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए लाजपतराय चिकित्सालय भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका के पिता राकेश कुमार कुरील से कहा कि वह थाना बिठूर जा कर बेटी की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराए.

लेकिन राकेश तथा उस के घर वाले हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने में आनाकानी करने लगे. इस पर पुलिस अधिकारियों को संदेह हुआ कि आखिर वे लोग रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराना चाहते. उन्हें लगा कि कहीं यह मामला औनर किलिंग का तो नहीं है.

शक हुआ तो एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन ने राकेश कुरील से पूछताछ की. राकेश ने बताया कि उस ने अन्नपूर्णा की शादी कुरसौली गांव निवासी पुनीत के साथ तय की थी. 14 अप्रैल, 2019 को उस की गोदभराई तथा तिलक का कार्यक्रम संपन्न हुआ था, 18 अप्रैल को बारात आनी थी.

16 अप्रैल की शाम वह पत्नी शिवदेवी के साथ खरीदारी करने मंधना बाजार चला गया था. रात 9 बजे जब वह घर लौटा तो पता चला अन्नपूर्णा घर में नहीं है. यह सोच कर कि वह पड़ोस में रहने वाली अपनी बुआ के घर पर रुक गई होगी, इसलिए किसी ने ध्यान नहीं दिया. सुबह उस की मौत की खबर मिली.

‘‘तुम्हें किसी पर शक है?’’ एसपी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, मुझे किसी पर शक नहीं है, मेरी किसी से दुश्मनी भी नहीं है.’’ राकेश ने बताया.

राकेश खुद आया शक के घेरे में

राकेश की बात सुन कर वहां खड़े सीओ अजय कुमार सिंह झल्ला पड़े, ‘‘राकेश, जब तुम्हें किसी पर शक नहीं है. कोई तुम्हारा दुश्मन भी नहीं है तो तुम्हारी बेटी की हत्या किस ने की? तुम्हीं लोगों ने उसे मौत के घाट उतार दिया होगा?’’

‘‘नहीं साहब, भला हम अपनी बेटी को क्यों और कैसे मारेेंगे?’’

‘‘इसलिए कि अन्नपूर्णा किसी दूसरे लड़के से प्यार करती होगी और उसी लड़के से शादी करने की जिद कर रही होगी, लेकिन तुम ने उस की बात न मान कर शादी दूसरी जगह तय कर दी होगी. जब उस ने तुम्हारा कहा नहीं माना तो तुम लोगों ने उसे मार डाला. इसीलिए तुम लोग उस की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने में आनाकानी कर रहे हो.’’ सीओ अजय कुमार ने कहा.

खुद को फंसता देख राकेश घबरा कर बोला, ‘‘साहब, हम बेटी के कातिल नहीं हैं. हम रिपोर्ट दर्ज कराने को तैयार हैं, लेकिन नामजद नहीं करा सकते.’’ इस के बाद राकेश ने थाने पहुंच कर भादंवि की धारा 302 के तहत अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. साथ ही हत्या का शक हरिओम पर जाहिर किया.

पुलिस अधिकारियों ने राकेश से हरिओम के संबंध में पूछताछ की तो उस ने बताया कि हरिओम गूवा गार्डन कल्याणपुर में रहता है और ट्रांसपोर्टर है. पहले उस के दफ्तर में उस की बेड़ी बेटी प्रियंका काम करती थी. प्रियंका की शादी हो जाने के बाद छोटी बेटी अन्नपूर्णा वहां काम करने लगी थी. हरिओम का उस के घर आनाजाना था. अन्नपूर्णा और हरिओम के बीच दोस्ती थी.

यह पता चलते ही पुलिस ने हरिओम को हिरासत में ले लिया. थाने में जब उस से अन्नपूर्णा की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. उस ने बताया कि अन्नपूर्णा उस के औफिस में काम करती थी. दोनों के बीच दोस्ती भी थी. दोनों के बीच अकसर फोन पर बातें भी होती थीं. हत्या से पहले भी अन्नपूर्णा ने उसे फोन किया था और बाजार से कपड़े खरीदने की बात कही थी. लेकिन अपने काम में व्यस्त होने की वजह से वह उस के साथ नहीं जा सका. हरिओम ने बताया कि अन्नपूर्णा की हत्या में उस का कोई हाथ नहीं है.

पुलिस को लगा औनर किलिंग का मामला

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों को लगा कि हरिओम सच बोल रहा है तो उन्होंने उसे थाने से यह कह कर भेज दिया कि जब भी उसे बुलाया जाएगा, उसे थाने आना पडे़गा. साथ ही उसे हिदायत भी दी गई कि वह बिना पुलिस को बताए कहीं बाहर न जाए.

अब तक की जांच से पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि अन्नपूर्णा की हत्या या तो अवैध संबंधों की वजह से हुई है या फिर यह औनर किलिंग का मामला है. उन्होंने इन्हीं दोनों बिंदुओं पर जांच आगे बढ़ाई. अगले दिन पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई.

आगे क्या हुआ? जानें अगले भाग में…

मोहब्बत का खतरनाक अंजाम – भाग 3

रीनू ने पड़ोसी जीशान को फोन कर के घर बुला लिया. उस ने मुन्ना को देख कर कहा, ‘‘यह एक गंभीर चर्मरोग है. इस की दवा मुझे मालूम नहीं है. ऐसा करो, तुम मेरे कमरे पर आ जाओ. मैं लैपटौप में देख कर इस के लिए दवा लिख देता हूं.’’  यह कह कर जीशान चला गया.

मुन्ना की पीठ में निकले दानों में भयंकर जलन हो रही थी. उस की परेशानी रीनू से देखी नहीं जा रही थी. घर में उस के अब्बा या कोई भाई नहीं था, इसलिए मजबूरी में उसे ही जीशान के कमरे पर जाना पड़ा. जून की भयंकर गरमी में चौथी मंजिल तक सीढि़यां चढ़तेचढ़ते उस की जुबान सूख गई. कमरे में सामने ही मेज पर पानी की बोतल रखी थी. रीनू ने पानी पीने के लिए जैसे ही बोतल उठाई, जीशान ने कहा, ‘‘यह जूठी है, इसलिए इस का पानी तुम्हारे पीने लायक नहीं है. मैं तुम्हारे लिए नीचे से दूसरा ठंडा पानी लाए देता हूं.’’

जीशान भाग कर नीचे गया और रीनू के लिए एक गिलास ठंडा पानी ले आया. उसे पीते ही रीनू को चक्कर सा आया और वह बेहोश हो कर गिर पड़ी. इस के बाद उस के साथ क्या हुआ, उसे पता नहीं चला. थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो वह दवा की पर्ची ले कर घर आ गई. जब उस के ऊपर से बेहोशी का असर पूरी तरह से हटा तो उसे लगा कि जीशान ने उसे पानी में कोई नशीली चीज पिला कर उस के साथ गलत काम किया है. उस के साथ क्या हुआ होगा, वह जान तो गई, लेकिन वह शादीशुदा थी, इसलिए इज्जत ही नहीं, अपनी गृहस्थी बचाए रखने के लिए उस ने यह बात किसी से नहीं कही.

रीनू ने सोचा कि जो होना था, वह हो गया. लेकिन अब आगे से वह जीशान को इस तरह का कोई मौका नहीं देगी. लेकिन जीशान नादान नहीं था. उस ने रीनू को कब्जे में रखने के लिए उस से संबंध बनाने की वीडियो क्लिप बना ली थी. उसी को ले कर वह तीसरे दिन रीनू के घर आ धमका. उस ने रीनू को एकांत में ले जा कर हंसते हुए उसे वह अश्लील वीडियो क्लिप दिखा कर कहा, ‘‘अब तुम्हें वही करना होगा, जो मैं कहूंगा. अगर तुम ने मना किया तो यह वीडियो क्लिप मैं मोहल्ले में सभी को दिखा दूंगा.’’

‘‘जीशान, तुम ऐसा कतई मत करना, वरना मेरा हंसताखेलता घरपरिवार बिखर जाएगा. मेरे बच्चों की जिंदगी बरबाद हो जाएगी. खुदा के लिए इसे डिलीट कर दो.’’

‘‘ठीक है, तुम कहती हो तो डिलीट कर दूंगा, लेकिन बदले में तुम्हें मुझे खुश करना होगा.’’ जीशान ने शर्त रखी.

न चाहते हुए भी रीनू को जीशान की बात माननी पड़ी. इस बार भी जीशान ने अपने और रीनू के शारीरिक संबंधों की वीडियो क्लिप बना ली. फिर तो सिलसिला सा चल पड़ा. क्लिपों को डिलीट करने की बात कह कर वह रीनू से शारीरिक संबंध बनाता रहा. यही नहीं, वह हर बार की वीडियो क्लिप भी बना लेता था. इस तरह जीशान के जाल में रीनू बुरी तरह फंसती चली गई.

यह सब रीनू अपने घरपरिवार और बच्चों के भविष्य के लिए कर रही थी. उसे यह भी पता था कि उस का पति उसे जान से ज्याद प्यार करता है. अगर ऐसे में उसे जीशान और उस के संबंधों के बारे में पता चल गया तो वह यह सब बरदाश्त नहीं कर पाएगा. इसी वजह से वह जीशान के चंगुल में फंसती चली गई थी. जब रीनू को लगा कि अब वह जीशान के चंगुल से मुक्त नहीं हो पाएगी तो उस ने आत्महत्या के बारे में भी सोचा. लेकिन बच्चों के भविष्य को देखते हुए वह ऐसा नहीं कर सकी.

उमर को जब जीशान की असलियत का पता चला तो उसे उस पर बहुत गुस्सा आया. उसे लगा कि जब तक यह आदमी जिंदा रहेगा, उस की पत्नी को ब्लैकमेल करते हुए वह उस की देह से खेलता रहेगा. यही नहीं, अपने दोस्तों के बीच उस की इज्जत का तमाशा भी बनाएगा. अब यह सब तभी बंद होगा, जब उसे मार दिया जाए.

उमर के दिमाग में जीशान को मारने की बात आई तो उस ने उस की हत्या की योजना बना डाली. फिर उसी योजना के तहत 29 दिसंबर को ट्रैवल बैग में एक लोहे की रौड रख कर वह पुष्पक एक्सप्रेस से कानपुर आ गया. वह दोपहर 1 बजे के करीब कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर उतरा. ससुराल जाने के बजाए वह स्टेशन के बाहर होटल में कमरा ले कर ठहर गया.

रात 10 बजे उमर शाद बैग ले कर होटल से बाहर निकला. उस समय भयंकर ठंड पड़ रही थी, जिस से सड़कों पर लगभग सन्नाटा पसरा था. एक रिक्शा ले कर वह मकबरा के लिए चल पड़ा. 11 बजे के आसपास वह मकबरा पहुंचा तो मोहल्ले में पूरी तरह सन्नाटा था. वह अपनी ससुराल जाने के बजाय सीधे जीशान के कमरे  पर चला गया. एकबारगी उमर को अपने कमरे पर देख कर जीशान ने हैरानी से पूछा, ‘‘अरे उमर भाईजान, इतनी रात को अचानक यहां कैसे?’’

‘‘मुंबई से आ रहा हूं. कोहरे की वजह से ट्रेन लेट हो गई. यहां आया तो देखा गलीमोहल्ले में सन्नाटा पसरा है. ससुराल वाले रजाई में दुबके होंगे. उन्हें परेशान करने के बजाय सीधे आप के कमरे पर चला आया. सोचा, रात आप के साथ गुजार लूं, सुबह ससुराल चला जाऊंगा.’’ हंसते हुए उमर ने कहा.

‘‘कोई बात नहीं, यह भी आप का ही घर है. कपड़े उतार कर रजाई में आ जाओ. बड़ी ठंड है.’’ जीशान ने कहा.

कपड़े उतार कर उमर जीशान के साथ लेट गया. कुछ देर दोनों बातें करते रहे. बातें करतेकरते जीशान तो सो गया, लेकिन उमर जागता रहा. क्योंकि वह तो प्रतिशोध की आग में जल रहा था. जब उसे यकीन हो गया कि जीशान सो गया है तो वह धीरे से उठा. उस ने मुंबई से लाई लोहे की रौड बैग से निकाली और गहरी नींद सो रहे जीशान के सिर पर पूरी ताकत से एक के बाद एक कई वार कर दिए.

सिर पर गहरी चोट लगने से जीशान चीख भी नहीं सका और इस दुनिया से विदा हो गया. इस के बाद प्रतिशोध की आग में जल रहे उमर ने रजाई हटा कर उस के पुरुषांग पर भी कई वार किए. इस पर भी उसे संतोष नहीं हुआ तो उस ने साथ लाई रौड को पत्थर से ठोंकठोंक कर खूंटे की तरह उस के पेट में घुसेड़ दिया.

यह सब कर के उमर ने जीशान का मोबाइल फोन उठाया और तीसरी मंजिल के दरवाजे पर ताला लगा कर नीचे आ गया. वहां से सीधे वह रेलवे स्टेशन पहुंचा और मुंबई जाने वाली ट्रेन पकड़ कर अपने घर चला गया. पुलिस से बचने के लिए उस ने जीशान और अपना मोबाइल फोन तथा दोनों सिम तोड़ कर रास्ते में कहीं फेंक दिए.

उमर ने जीशान की हत्या का अपराध स्वीकार कर के हत्या की वजह भी पुलिस को बता दी थी. इस के बाद थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ ने उस के खिलाफ जीशान की हत्या का मुकदमा दर्ज कर 6 जनवरी को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

(कथा में महिलाओं के नाम बदले हुए हैं.)

मोहब्बत का खतरनाक अंजाम – भाग 2

पूछताछ करतेकरते 2 दिन बीत गए. इसे बीच पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची. इस से इलाके में तनाव बढ़ने लगा. जब इस बात की जानकारी एसपी (पश्चिम) दिनेश कुमार पी. को हुई तो उन्होंने मामले की जांच के लिए आननफानन एक पुलिस टीम गठित कर दी, जिस में थाना ग्वालटोली, कर्नलगंज, कोहना के थानाप्रभारियों के अलावा क्राइम ब्रांच के कुछ तेजतर्रार अधिकारियों को भी शामिल किया गया.

इस पुलिस टीम ने सब से पहले जीशान और उस के कुछ मित्रों के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स के अध्ययन के बाद पुलिस को उस में मिले एक नंबर पर संदेह हुआ. पुलिस ने उस नंबर के मोबाइन फोन की लोकेशन निकलवाई तो पता चला कि घटना वाले दिन वह फोन कानपुर में ही था, जबकि वह नंबर महाराष्ट्र का था. इस में अहम बात यह थी कि घटना से पहले उस की लोकेशन जहां कानपुर और घटनास्थल के आसपास थी, वहीं घटना घटने के बाद वह फोन बंद कर दिया गया था.

जांच टीम ने उस नंबर के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वह नंबर उत्तर प्रदेश के जिला मऊ के थाना घोसी के रहने वाले मोहम्मद उमर शाद के नाम था, जो वर्तमान में परिवार के साथ महाराष्ट्र के जिला थाणे के थाना नालासोपारा के अचोल रोड स्थित एमडीनगर के किसराज स्कूल के नजदीक साईंनाथ अपार्टमेंट के रूम नंबर 103 में रहता था. इसी के साथ यह भी पता चला कि कानपुर के ग्वालटोली के मोहल्ला मकबरा के रहने वाले अब्बास की बेटी रीनू से उस का निकाह हुआ था.

पुलिस ने अब्बास से पूछताछ की तो उस ने बताया, ‘‘मेरे दामाद मोहम्मद उमर शाद के मृतक जीशान से दोस्ताना संबंध थे. लेकिन वह तो इधर 6 महीने से कानपुर आया ही नहीं है.’’

लेकिन पुलिस को सर्विलांस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार उमर शाद घटना वाले दिन कानपुर में ही था. पुलिस समझ गई कि अब्बास या तो झूठ बोल रहा है या उस के आने का इसे पता नहीं है. यही बात उमर की पत्नी रीनू ने भी पुलिस को बताई थी. बहरहाल पुलिस को अब्बास, उस की बेटी रीनू और दामाद मोहम्मद उमर शाद पर शक हो गया. पुलिस ने छानबीन की तो सचमुच मामला अवैध संबंध का निकला.

अवैध संबंध की बात सामने आते ही मोहम्मद उमर शाद को कानपुर लाने के लिए एक पुलिस टीम थाणे के लिए रवाना हो गई. लेकिन पुलिस टीम के वहां पहुंचने से पहले ही वह फरार हो गया. पुलिस को वहां से उस का मोबाइल नंबर मिल गया, जिसे सर्विलांस पर लगा कर उस की लोकेशन पता की जाने लगी. फिर सर्विलांस के माध्यम से ही उस की लोकेशन पता कर के घंटाघर रेलवे स्टेशन से उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने जीशान की हत्या की जो कहानी पुलिस को बताई, वह इस प्रकार थी.

मूलरूप से जिला मऊ के थाना घोसी के रहने वाले मोहम्मद उमर शाद के पिता सालों पहले मुंबई जा कर रहने लगे थे. उन्हीं के साथ उन का परिवार भी रहता था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 6 बेटे और 2 बेटियां थीं. उन्हीं में एक उमर शाद भी था. वह मुंबई में बच्चों की साइकिल बनाने वाली फैक्ट्री में नौकरी करता था.

चूंकि वह उत्तर प्रदेश का रहने वाला था, इसलिए आज भी उस के तमाम रिश्तेदार उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में रह रहे हैं. यही वजह थी कि 7 साल पहले उस की शादी कानपुर के ग्वालटोली के मोहल्ला मकबरा के रहने वाले अब्बास की बेटी रीनू के साथ हो गई थी. अब तो वे 2 बच्चों के मांबाप भी बन चुके हैं.

पिछले साल अचानक रीनू की तबीयत खराब हुई तो वह इलाज कराने के इरादे से उमर से अनुमति ले कर अपने देवर मुन्ना के साथ कानपुर आ गई. कुछ दिन कानपुर में रहने के बाद मुन्ना मुंबई वापस गया तो उस ने अपने बड़े भाई उमर शाद से कहा, ‘‘भइया, मुझे लगता है कि कानपुर में भाभी का उन्हीं के मोहल्ले के रहने वाले एक लड़के से गलत संबंध है.’’

‘‘ऐसा तुम्हें कैसे लगा?’’ उमर शाद ने मुन्ना से पूछा.

‘‘उन दोनों के बातव्यवहार से,’’ मुन्ना ने कहा, ‘‘हमारे खयाल से भाभी को कानपुर भेजना ठीक नहीं है.’’

भाई की इन बातों ने उमर शाद को बेचैन कर दिया, क्योंकि पत्नी का सालोंसाल का पलपल का साथ, बातचीत और नजदीकियों से भाई की बातों पर उसे विश्वास नहीं हुआ था. लेकिन वह पुरुष था. पुरुष का मन शंकालु होता है, इसलिए भाई की बातें सोचसोच कर वह रातदिन बेचैन रहने लगा.

जब यह बेचैनी कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगी तो वह 2 महीने की छुट्टी ले कर कानपुर अपनी ससुराल आ गया और जीशान तथा अपनी पत्नी रीनू पर नजर रखने लगा. उसी बीच उसे मोहल्ले के कुछ लड़कों से पता चला कि रीनू और जीशान के बीच शारीरिक संबंध ही नहीं हैं, बल्कि जीशान ने अपने उन संबंधों की वीडियो क्लिपें भी बना रखी हैं.

इस बात ने उमर की बेचैनी और बढ़ा दी. सच्चाई का पता लगाने के लिए उस ने जीशान से दोस्ती गांठ ली. वह किसी भी तरह उस के मोबाइल में पड़ी रीनू और उस की वीडियो क्लिपें देखना चाहता था. इस के लिए वह जीशान के साथ उस के कमरे पर रुका भी, लेकिन जीशान ने मोबाइल में कोड लगा रखा था, इसलिए वह उस की मेमोरी को खोल नहीं सका. धीरेधीरे उस की उलझन बढ़ती ही जा रही थी.

इसी तरह छुट्टी खत्म हो गई और उमर मुंबई चला गया. कानपुर में रहते हुए उस ने रीनू से भले ही कुछ नहीं कहासुना था, लेकिन उस के दिमाग में यह बात पूरी तरह बैठ गई थी कि उस की पत्नी का जीशान से संबंध है. इसलिए इस बात को ले कर वह बुरी तरह परेशान रहने लगा था.

दूसरी ओर जीशान चाहता था कि अगर रीनू का उमर से तलाक हो जाए तो वह हमेशाहमेशा के लिए उस की हो जाएगी. इस के लिए वह अपने करीबी मित्रों से उमर शाद के मोबाइल पर फोन करवा कर अपने और रीनू के शारीरिक संबंधों की बात कहलवाने लगा था. उसे लगता था कि यह जान कर उमर अपनी पत्नी रीनू को तलाक दे देगा.

उमर शाद रीनू से बेहद प्यार करता था, इसलिए वह किसी भी सूरत में उसे छोड़ना नहीं चाहता था. लेकिन रीनू और जीशान के संबंधों को ले कर जब भी उस के पास कोई फोन आता, वह बुरी तरह तिलमिला उठता था. ऐसे में वह गुस्से में अपने शरीर को किसी धारदार चीज से काट लेता. इस के बाद भयानक पीड़ा उठती तो पत्नी के गैरमर्द के संबंधों की तिलमिलाहट धीरेधीरे शांत हो जाती. एक बार तो उस ने पत्नी की इस बेवफाई पर जान तक देने की कोशिश की, लेकिन किसी तरह वह बच गया.

उमर शाद खुद इतना परेशान और बेचैन रहता था, लेकिन उस के पास इन अनैतिक संबंधों का कोई प्रमाण नहीं था, इसलिए वह इस बारे में पत्नी से कुछ पूछ नहीं पा रहा था. लेकिन जब उस की बेचैनी हद से ज्यादा बढ़ गई तो उस ने रीनू से उस के और जीशान के अवैध संबंधों तथा अश्लील वीडियो क्लिपों के बारे में पूछ ही लिया.

तब रीनू ने रोते हुए कहा, ‘‘मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है. इस की वजह से मैं कई महीनों से भयानक मानसिक पीड़ा की आग में दिनरात जल रही हूं. औरत हूं, इसलिए अपने साथ हुए धोखे के बारे में तुम से बताने की हिम्मत नहीं कर सकी. बस, यही मुझ से गलती हुई है.’’

‘‘तुम्हारे साथ यह सब कैसे हुआ, तुम ने कभी बताने की कोशिश क्यों नहीं की?’’ उमर शाद ने कहा.

‘‘कहा न, हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी. अब आप सब जान ही गए हैं तो आप को सारी सच्चाई बताए देती हूं.’’ रीनू ने कहा.

इस के बाद रीनू ने उमर को जो बताया, वह कुछ इस प्रकार था…

पिछले साल जून में बीमार होने पर मुन्ना रीनू को कानपुर ले कर आया तो मुन्ना की पीठ में दाने निकल आए थे, जिस की पीड़ा से वह काफी परेशान था. तब अब्बास ने रीनू से कहा कि वह उसे जीशान को दिखा कर उस के लिए मैडिकल स्टोर से दवा मंगा ले.

मोहब्बत का खतरनाक अंजाम – भाग 1

जीशान अपने भांजे शानू के पैर की ड्रेसिंग करने नहीं आया तो उस की बड़ी बहन अलीशा ने पहले उसे फोन किया, फोन बंद मिला तो उस ने उस की खोजखबर करवाई. लेकिन जब उस का कुछ पता नहीं चला तो अलीशा को लगा कि वह किसी जरूरी काम से कहीं बाहर चला गया होगा, घंटे-2 घंटे में लौट कर ड्रेसिंग कर देगा. यही सोच कर वह अपने कामकाज में लग गई. शाम के 5 बज गए और जीशान नहीं आया तो उसे चिंता हुई. चूंकि उस के पति एहसान किसी जरूरी काम से अहमदाबाद गए हुए थे और घर में कोई दूसरा बड़ाबूढ़ा नहीं था, इसलिए अलीशा ने पड़ोस में रहने वाले समीर को मोहल्ला मकबरा स्थित अपने दूसरे मकान पर जीशान के बारे में पता करने के लिए भेज दिया.

अलीशा के उस दूसरे 4 मंजिला मकान में कुल 6 कमरे थे, जिन में नीचे की 2 मंजिलों में 3 किराएदार अपने परिवार के साथ रहते थे. उस के ऊपर की तीसरी और चौथी मंजिल के 3 कमरों में 2 लड़के और उस का छोटा भाई जीशान हैदर रहता था. जीशान की खोज में आया समीर दूसरी मंजिल पर पहुंचा तो तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा था. वह वहीं रुक गया. तभी उसे वहां कुछ सड़ने जैसी बदबू महसूस हुई. ताला बंद होने की वजह से वह ऊपर नहीं जा सका तो नीचे रहने वाले किराएदारों से जीशान के बारे में पूछा. लेकिन वे लोग जीशान के बारे में कुछ नहीं बता सके.

जब समीर को जीशान के बारे में कुछ पता नहीं चला तो लौट कर उस ने अलीशा को बताया कि तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा है, इसलिए वह जीशान के कमरे तक पहुंच नहीं सका. लेकिन ऊपर से लाश के सड़ने जैसी बदबू आ रही थी. यह सुन कर अलीशा परेशान हो उठी. उस के दिल में छोटे भाई को ले कर तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं. वह खुद तो वहां नहीं जा सकी, लेकिन मोहल्ले के 2 अन्य लड़कों को बुला कर कहा, ‘‘तुम लोग समीर के साथ वहां जा कर तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे का ताला तोड़ कर ऊपर के सभी कमरों को ठीक से देखना. मुझे किसी गड़बड़ी की आशंका हो रही है.’’

समीर ने दोनों लड़कों के साथ जा कर तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे का ताला तोड़ दिया. इस के बाद वह चौथी मंजिल पर पहुंचा तो वहां बने गोदामनुमा कमरे में जीशान हैदर की खून से लथपथ क्षतविक्षत लाश पड़ी देख कर डर गया. उस के साथ आए दोनों लड़के भी डर गए थे. उन्होंने लगभग भागते हुए आ कर यह बात अलीशा को बताई तो छोटे भाई की हत्या की खबर सुन कर अलीशा जोरजोर से रोने लगी.

उस के रोने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गए. धीरेधीरे यह बात पूरे मोहल्ले में फैल गई. अलीशा रोते हुए मकबरा स्थित अपने मकान की ओर भागी. उसी बीच किसी ने इस हत्या की जानकारी थाना ग्वालटोली पुलिस को दे दी थी. जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे कर पुलिस बल के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए थे.

जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां भारी भीड़ जमा हो चुकी थी. उस में काफी तनाव भी था. थानाप्रभारी ने इस बात की जानकारी पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) दिनेश कुमार पी. को दी तो कानूनव्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्होंने थाना बजरिया, चमनगंज, कोहना के थानाप्रभारियों को पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया. थोड़ी देर में वह खुद भी फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

फोरैंसिक टीम को जांच के दौरान कमरे से जैलोकेन के इंजेक्शन, सिरिंज और रबर की एक जोड़ी चप्पल मिली. टीम ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो पुलिस अपना काम करने लगी. कमरे में मिले जैलोकेन के इंजेक्शन से आशंका व्यक्त की गई कि मृतक जीशान की हत्या बेहोश कर के की गई थी.

हत्या बड़ी ही क्रूरता से की गई थी. उस का सिर और चेहरा इस तरह से कुचला गया था कि उस की एक आंख फूट गई थी. सिर का भेजा भी बाहर निकल आया था. नाजुक अंगों को भी हत्यारे ने बुरी तरह क्षतविक्षत किया था. यही नहीं, मृतक के पेट में लोहे की जो रौड घुसी थी, लगता था उस के पेट के ऊपर रख कर किसी भारी चीज से ठोंकी गई थी.

लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने पंचनामा तैयार कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए हैलेट अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद उस मकान में रहने वाले सभी किराएदारों और पड़ोसियों से पूछताछ की गई. पुलिस ने काफी प्रयास किया, लेकिन इस पूछताछ में हत्या से संबंधित ऐसी कोई भी जानकारी पुलिस को नहीं मिली, जिस से हत्यारे तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता.

जीशान की हत्या की सूचना पा कर उस के बड़े भाई मोहम्मद इरफान घर वालों के साथ रात 10 बजे थाना ग्वालटोली पहुंच गए थे. इस के बाद उन्हीं की तहरीर पर थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ ने जीशान की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्होंने इरफान से पूछताछ शुरू की. इस पूछताछ में इरफान ने जो बताया, उस के अनुसार वह उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के कस्बा सफीपुर के मोहल्ला सराय खुर्रम के रहने वाले डा. हसन असगरी उर्फ शम्मू का बेटा था. भाईबहनों में उस के अलावा उस के 2 भाई इमरान और मृतक जीशान के अलावा 2 बहनें थीं.

भाइयों में 29 वर्षीय जीशान सब से छोटा था. पढ़ाईलिखाई के साथ वह पिताजी की उन के काम में मदद करता था, जिस की वजह से उसे बीमारियों और उन के इलाज के बारे में काफी जानकारी हो गई थी. लेकिन उस का मन न पढ़ाईलिखाई में लगा, न पिताजी के साथ काम करने में. इस की वजह यह थी कि वह इलेक्ट्रीशियन बनना चाहता था. समय मिलने पर वह मोटर वाइंडिंग और इलेक्ट्रिक के अन्य काम सीखता रहता था. जब वह बिजली के सारे कामों में निपुण हो गया तो कमाईधमाई करने के लिए कानपुर के ग्वालटोली में रहने वाले अपने बहनोई एहसान के यहां चला गया. यह लगभग 10 साल पहले की बात थी.

पुलिस को शक था कि जीशान की हत्या प्रेमप्रसंग, लेनदेन या किसी रंजिश की वजह से हुई थी. लेकिन इन में से सब से ज्यादा संभावना थी कि उस की हत्या प्रेमप्रसंग को ले कर हुई थी, क्योंकि जिस तरह क्रूरता के साथ उस की हत्या की गई थी, ऐसा अकसर प्रेमप्रसंग या अवैध संबंधों के मामलों में होता था. पुलिस जीशान के दोस्तोंपरिचितों से पता करने लगी कि उस का किसी से प्रेम संबंध तो नहीं था. क्योंकि इस तरह की बातें लोग दोस्तों से जरूर बताते हैं.

आशिक पति ने ली जान – भाग 3

दामोदर शीतल के पीछे पागल था, यही वजह थी कि एक दिन उस ने ओमप्रकाश से कहा, ‘‘मैं शीतल से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘तुम शीतल से कैसे शादी कर सकते हो. अगर तुम्हें उस से शादी करनी है तो पहले मोहरश्री को छोड़ो. उस के रहते मैं अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ कतई नहीं करूंगा.’’ इस तरह ओमप्रकाश ने शादी से मना कर दिया.

इस से दामोदर निराश हो गया. उसे पता था कि मोहरश्री से छुटकारा पाना आसान नहीं है. दामोदर शीतल के लिए इस तरह बेचैन था कि मोहरश्री से छुटकारा पाने का आसान रास्ता न देख पाने के बारे में विचार करने लगा. जब उसे कोई राह नहीं सूझी तो उस ने उसे खत्म करने का निर्णय ले लिया. इस के बाद वह मोहरश्री की हत्या के लिए किराए के हत्यारों की तलाश करने लगा. पैसे ले कर हत्या करने वाला कोई नहीं मिला तो वह खुद ही कुछ करने के बारे में सोचने लगा. क्योंकि उसे लगता था कि मोहरश्री उस की खुशियों की राह का रोड़ा है.

संयोग से उसी बीच मोहरश्री खेत में डालने के लिए एक शीशी कीटनाशक ले आई. आधा कीटनाशक तो उस ने खेत में डाल दिया, बाकी घर में ही रख दिया. उस कीटनाशक को देख कर दामोदर ने भयानक योजना बना डाली.  इस के बाद वह मोहरश्री की हर हरकत पर नजर रखने लगा. इस बीच उस ने मोहरश्री के प्रति अपना व्यवहार बदल लिया था.

मोहरश्री सुबह खेतों पर चली जाती तो दोपहर को बच्चों के लिए खाना बनाने आती थी. बच्चों को खाना खिला कर वह फिर खेतों पर चली जाती थी. उस दिन मोहरश्री दोपहर को खेतों से आई तो दामोदर उस के इर्दगिर्द मंडराने लगा. इधर दामोदर का व्यवहार बदल गया था, इसलिए मोहरश्री ने इस बात पर खास ध्यान नहीं दिया.   मोहरश्री को खेतों में काम करना था, इसलिए वह बच्चों को खिला कर अपना खाना ले कर चली गई. वह अपना काम कर रही थी, तभी दामोदर आ गया. उस ने कहा, ‘‘मैं काम कर रहा हूं, तुम जा कर अपना खाना खा लो.’’

मोहरश्री को भूख लगी थी, इसलिए हाथपैर धो कर वह खाना खाने बैठ गई. खाना खातेखाते ही उस की तबीयत बिगड़ने लगी तो उस ने पानी पिया. पानी पीने के बाद उस की तबीयत और बिगड़ गई. उस समय वहां दामोदर के अलावा कोई और नहीं था. उस ने दामोदर को आवाज दी. दामोदर आया तो, लेकिन मदद करने के बजाय वह खड़ा मुसकराता रहा. थोड़ी देर में तड़प कर मोहरश्री ने दम तोड़ दिया.

मोहरश्री मर गई तो दामोदर की समझ में यह नहीं आया कि वह उस की लाश का क्या करे? जब उस की समझ में कुछ नहीं आया तो वह ओमप्रकाश के पास गया.  जब उस ने ओमप्रकाश से मोहरश्री की मौत के बारे में बताया तो वह घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘तुम ने यह क्या कर डाला, क्यों मार डाला उसे? मैं इस मामले में कुछ नहीं जानता, तुम्हें जो करना है, करो.’’

दामोदर लौटा और मोहरश्री की लाश को घसीट कर मकाई के खेत में डाल दिया. वहां से वह घर आया तो बच्चों ने मां के बारे में पूछा. उस ने कहा, ‘‘तुम्हारी मम्मी थोड़ी देर में आएंगी. तब तक तुम लोग जा कर निमंत्रण खा आओ.’’

बच्चे निमंत्रण खाने चले गए. निमंत्रण खा कर लौटे, तब भी मां नहीं आई थी. कृष्णा को चिंता हुई तो वह मामा चंद्रपाल के पास पहुंचा और उसे सारी बात बताई. इस बीच दामोदर गायब हो गया. उस का इस तरह गायब हो जाना, शक पैदा करने लगा. चंद्रपाल घर तथा गांव वालों के साथ मोहरश्री की तलाश में निकल पड़ा.

सभी खेतों पर पहुंचे तो वहां उन्हें ओमप्रकाश और उस की पत्नी गुड्डी मिली. उन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मोहरश्री की तबीयत खराब हो गई थी, दामोदर उसे एटा ले गया है. इस के बाद सभी अपने घर लौट आए, जब दामोदर घर नहीं आया तो सब को चिंता हुई. सभी विचार कर रहे थे कि अब क्या किया जाए, तभी मक्की के खेत में मोहरश्री की लाश पड़ी होने की जानकारी मिली.

पुलिस को सूचना देने के साथ मोहरश्री के घर वालों के साथ पूरा गांव वहां पहुंच गया, जहां लाश पड़ी थी. सूचना मिलने के बाद कोतवाली (देहात) प्रभारी पदम सिंह सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए. लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद जरूरी कारर्रवाई कर के उन्होंने लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

कोतवाली प्रभारी द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि दामोदर के संबंध नगला गोकुल के रहने वाली ओमप्रकाश की बेटी शीतल से थे. इस के बाद उन्हें समझते देर नहीं कि यह हत्या दामोदर ने की है. उन्होंने चंद्रपाल की ओर से मोहरश्री की हत्या का मुकदमा दामोदर के खिलाफ दर्ज कर के उस की तलाश शुरू कर दी. पुलिस तो उस की तलाश कर ही रही थी, गांव वाले भी उस के पीछे लगे थे.

घटना के 4 दिनों बाद गांव वालों ने कासगंज के थाना पतरे के एक गांव के एक बाग से दामोदर को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.  दामोदर ने पहले तो हत्या से इनकार किया लेकिन जब उस के साथ सख्ती की गई तो वह टूट गया. शीतल के साथ अपने संबंधों को स्वीकार करते हुए उस ने बताया कि मोहरश्री उस की खुशियों की राह में रोड़ा बन रही थी, इसलिए उस ने उस के खाने में कीटनाशक मिला कर उसे मार डाला था. पूछताछ के बाद पुलिस ने कीटनाशक की शीशी बरामद कर उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

आशिक पति ने ली जान – भाग 2

बगल के गांव नगला गोकुल के रहने वाले ओमप्रकाश का खेत मोहरश्री के खेत से लगा था. ओमप्रकाश भी पत्नी गुड्डी के साथ अपने खेत पर काम करता था. उस की बेटी शीतल भी मांबाप की मदद करने खेत पर आती थी. मोहरश्री ने गौर किया कि जब तक शीतल खेत में रहती है, दामोदर उस के आसपास ही मंडराता रहता है. वह अपना काम करने के बजाय ओमप्रकाश की मदद में लगा रहता है.

उसी बीच कहीं से मोहरश्री को पता चला कि दामोदर ओमप्रकाश को मुफ्त में शराब पिलाता है तो ओमप्रकाश उसे मुफ्त खाना खिलाता है. उसे लगा कि इस के पीछे भी शीतल का ही आकर्षण है. प्रकाश के गायब होने के बाद बड़ी मुश्किल से मोहरश्री ने घरपरिवार संभाला था. अगर इस बार कुछ हुआ तो दोबारा संभालने में बहुत मुश्किल हो जाएगा. इसी चिंता में वह बेचैन रहने लगी थी.

शीतल के आकर्षण में बंधे दामोदर को अब उस के अलावा कुछ और दिखाई नहीं देता था. वह यह भी भूल गया था कि वह शादीशुदा ही नहीं, 4 बच्चों का बाप भी है. सारे कामकाज छोड़ कर वह इसी फिराक में लगा रहता था कि कैसे शीतल के नजदीक पहुंचे. अब दोपहर में उस के लिए खाना आता तो वह अपना खाना ले कर ओमप्रकाश के पास पहुंच जाता. इस के बाद दोनों शराब पीते और एकसाथ खाना खाते.

ऐसे ही समय में अपनी लच्छेदार बातों से दामोदर शीतल को आकर्षित करने की कोशिश करता. वह इस कोशिश में लगा रहता कि अगर शीतल एकांत में मिल जाए वह उस से दिल की बात कह देगा.दूसरी ओर शीतल भी अब उस के मन की बात से अनजान नहीं रह गई थी. इसलिए वह भी उसे देखती तो मुसकरा देती. दामोदर मौका ढूंढ़ ही रहा था. आखिर उसे मौका मिल ही गया. उस दिन शीतल मां के साथ खेत पर आई तो मां खेत में काम करने लगी. जबकि शीतल ट्यूबवैल के कमरे में बैठ गई. उसी बीच दामोदर वहां पहुंच गया.

हालचाल पूछ कर दामोदर शीतल से दिल की बात कहने ही जा रहा था कि मोहरश्री वहां आ गई. दामोदर को शीतल के पास देख कर उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हें वहां ढूंढ़ रही हूं, तुम यहां शीतल के पास बैठे क्या कर रहे हो?’’

‘‘मैं यहां पानी पीने आया था. मुझे क्या पता कि यहां शीतल बैठी है.’’

दामोदर ने सफाई तो दे दी, लेकिन मोहरश्री ने जो सुन रखा था, दोनों को इस तरह देख कर उसे बल मिला. लगा कि जो कानाफूसी हो रही है, उस में दम है. मोहरश्री ने दामोदर को समझाने की कोशिश तो की, लेकिन उस की समझ में कहां से आता. वह तो शीतल के पीछे पागल हो चुका था. इसलिए दिल की बात न कह पाने की वजह से वह मोहरश्री पर खीझ उठा था. यही वजह थी, अपना पलड़ा भारी बनाए रखने के लिए उस ने मोहरश्री को 2-4 तमाचे जड़ कर कहा, ‘‘तुम अपनी औकात में रहो, तभी ठीक है.’’

दामोदर मौके की तलाश में लगा ही था. आखिर एक दिन उसे मौका मिल ही गया. ओमप्रकाश पत्नी गुड्डी के साथ पड़ोस के गांव में किसी के यहां गया हुआ था. ओमप्रकाश के बाहर जाने वाली बात उसे पता थी, इसलिए उसे समय भी पता था. वह नगला गोकुल स्थित ओमप्रकाश के घर पहुंच गया. दरवाजा खटखटाया तो शीतल ने दरवाजा खोला. वह उसे देख कर बोली, ‘‘मम्मीपापा तो बाहर गए हैं.’’

‘‘मैं मम्मीपापा से नहीं, तुम से मिलने आया हूं.’’ दामोदर ने कहा तो शीतल का दिल धड़क उठा. वह कुछ कहती, उस के पहले ही दामोदर अंदर आ गया. घर में शीतल बिलकुल अकेली थी. उस ने शीतल का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘शीतल मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. रातदिन सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं. लगता है, अब मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता.’’

‘‘मुझे यह पहले से ही मालूम है. तुम्हारे मन में मेरे लिए क्या है, यह मैं ने तुम्हारी नजरों से जान लिया था.’’ शीतल ने नजरें नीची कर के कहा.

शीतल का इतना कहना था कि दामोदर ने खींच कर उसे बांहों में भर लिया. इस के बाद वही हुआ, जिस के लिए दामोदर न जाने कब से परेशान था. उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, दोनों एक हो जाते. दामोदर अब पत्नीबच्चों की ओर से पूरी तरह लापरवाह हो गया. वह अपनी सारी कमाई शीतल पर लुटाने लगा.  ओमप्रकाश और गुड्डी को दामोदर और शीतल के मिलनेजुलने में जरा भी ऐतराज नहीं था. दामोदर ओमप्रकाश को मुफ्त में शराब पिलाता ही था, जरूरत पड़ने पर गुड्डी को पैसे भी दिया करता था.

दामोदर की हरकतें मोहरश्री को बेचैन करने लगी थीं. लोग उस से कहते थे कि दामोदर को समझाती क्यों नहीं. वह पति को समझाना तो चाहती थी, लेकिन अब वह इतना आक्रामक हो गया था कि जरा भी बोलने पर मारपीट पर उतारू हो जाता था. उस की बातों और हरकतों से यही लगता था कि उसे पत्नी और बच्चे उसे बोझ लगने लगे हैं.

घर के जो हालात थे, उस से मोहरश्री परेशान रहने लगी थी. बच्चे भी सहमेसहमे रहते थे. गांव वालों से मोहरश्री की परेशानी छिपी नहीं थी, लेकिन मोहरश्री ने कभी किसी से कुछ नहीं कहा. वह बच्चों से जरूर कहती थी कि अगर उन्हें अपनी जिंदगी बनानी है तो मेहनत से पढ़ो.

मोहरश्री दामोदर को रास्ते पर लाने की कोशिश कर रही थी, जबकि दामोदर उस से पिंड छुड़ाने के बारे में सोच रहा था. अब वह शीतल के साथ अपनी गृहस्थी बसाना चाहता था. लेकिन दामोदर के लिए यह इतना आासन भी नहीं था. क्योंकि वह अपने सालों से बहुत डरता था.

दूसरी ओर मोहरश्री ने कभी अपने भाइयों से दामोदर की कोई बात नहीं बताई थी. इस के बावजूद चंद्रपाल को गांव वालों से दामोदर की हरकतों का पता चल गया था. उस ने एक दिन दामोदर को घर पर बुला कर पूछा, ‘‘पता चला है कि आजकल तुम कुछ ज्यादा ही उड़ने लगे हो?’’

साले की इस बात पर दामोदर का चेहरा सफेद पड़ गया. उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘भाईसाहब, ऐसी कोई बात नहीं है.’’

चंद्रपाल ने दामोदर को धमकाते हुए कहा, ‘‘एक बात याद रखना, मैं किसी भी कीमत पर यह बरदाश्त नहीं करूंगा कि तुम मेरी बहन या उस के बच्चों को परेशान करो. अगर तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आए तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.’’

दामोदर खामोशी से चंद्रपाल की बातें सुनता रहा. उसे लगा कि मोहरश्री ने ही चंद्रपाल से उस की शिकायत की है. इसलिए वह घर लौटा तो शराब के नशे में धुत था. मोहरश्री खाना बना रही थी. आते ही वह मोहरश्री को गालियां देने लगा. उस ने कहा, ‘‘मेरे मन में जो आएगा, मैं वही करूंगा. कोई मेरा कुछ नहीं कर सकता. एक बात और सुन, मैं शीतल से प्यार करता हूं और अब उस से शादी भी करूंगा. जा कर कह दे अपने भाइयों से.’’

दामोदर की बातों से मोहरश्री सन्न रह गई. उस ने बच्चों को तो खाना खिला दिया, लेकिन खुद नहीं खा सकी. उस रात उसे नींद भी नहीं आई. उसे इस बात की चिंता थी कि अगर दामोदर ने सच में शीतल से शादी कर ली तो वह क्या करेगी.

उसे लगा कि अगर वह शीतल की मां से बात करे तो शायद कोई हल निकल आए. लेकिन हल निकालने की कौन कहे, गुड्डी उलटा उस पर बरस पड़ी, ‘‘शीतल तो अभी बच्ची है, उसे क्या समझ. तू ही दामोदर को क्यों नहीं समझाती. मैं दामोदर को बुलाने थोड़े ही जाती हूं, वह खुद ही यहां आता है.’’   गुड्डी की बातों से मोहरश्री दुविधा में पड़ गई. क्योंकि गुड्डी जो कह रही थी, सच वही था. दामोदर ही उस के घर आताजाता था.

आशिक पति ने ली जान – भाग 1

एटा-कासगंज रोड पर स्थित है एक गांव असरौली, जो कोतवाली (देहात) क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इसी गांव के रहने वाले चोखेलाल के परिवार में पत्नी पार्वती के अलावा 3 बेटियां सावित्री, बिमला, मोहरश्री तथा 2 बेटे सत्यप्रकाश और चंद्रपाल थे. सत्यप्रकाश खेतीकिसानी में बाप की मदद करता था तो चंद्रपाल सड़क पर खोखा रख कर अंडे बेचता था. चोखेलाल की गुजरबसर आराम से हो रही थी. उन्होंने सभी बच्चों की शादियां भी कर दी थीं. सभी अपनेअपने परिवार के साथ खुश थे. उन की छोटी बेटी मोहरश्री का विवाह कासगंज के कस्बा नदरई में प्रकाश के साथ हुआ था.

सब से छोटी होने की वजह से मोहरश्री मांबाप की ही नहीं, भाईबहनों की भी लाडली थी. शादी के लगभग डेढ़ साल बाद वह एक बेटे की मां बन गई. यह खुशी की बात थी, लेकिन बेटा पैदा होने के कुछ दिनों बाद ही उस के पति प्रकाश का दिमागी संतुलन बिगड़ गया और एक दिन वह घर से गायब हो गया. घर वालों ने उसे बहुत ढूंढ़ा, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला.

पति के गायब होते ही ससुराल में मोहरश्री की स्थिति गंभीर हो गई. ससुराल वालों का मानना था कि उसी की वजह से प्रकाश गायब हुआ है, इसलिए उसे दोषी मान कर सभी उसे परेशान करने लगे. चंद्रपाल मोहरश्री से मिलने उस की ससुराल गया तो उसे लगा कि बहन यहां खुश नहीं है. वह उसे अपने यहां लिवा लाया.

घर आ कर मोहरश्री ने जब मांबाप और भाइयों से ससुराल वालों के बदले व्यवहार के बारे में बताया तो सभी ने तय किया कि अब उसे ससुराल नहीं भेजा जाएगा. लेकिन ससुराल वालों ने खुद ही मोहरश्री की सुधि नहीं ली. अब घर वालों को उस की चिंता सताने लगी, क्योंकि अभी उस की उम्र कोई ज्यादा नहीं थी.  अकेली जवान औरत के लिए जीवन काटना बहुत मुश्किल होता है. अगर कोई ऊंचनीच हो जाए तो सभी उन्हीं को दोष देते हैं, इसलिए पिता और भाइयों ने तय किया कि वे मोहरश्री की शादी कहीं और कर देंगे.

मोहरश्री को जब पता चला कि घर वाले उस की दूसरी शादी करना चाहते हैं तो उस ने कहा, ‘‘आप लोगों को मेरे लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. मैं अपने बेटे के सहारे जी लूंगी. सभी के साथ मेहनतमजदूरी कर के जिंदगी बीत जाएगा.’’  लेकिन पिता और भाई उस की इस बात से सहमत नहीं थे. वे किसी भी तरह मोहरश्री का घर बसाना चाहते थे. वह बहुत ही सीधीसादी थी. उस के स्वभाव की वजह से गांव का हर आदमी उस की मदद और सम्मान करता था. यही वजह थी कि इस परेशानी में भी वह खुश थी.

चोखेलाल की बड़ी बेटी सावित्री एटा में ब्याही थी. मायके आने पर जब उसे पता चला कि घर वाले मोहरश्री का पुन: विवाह करना चाहते हैं तो उस ने बताया कि उस के पड़ोस में रहने वाली रानी का भाई दामोदर शादी लायक है. अगर सभी लोग तैयार हों तो वह बात चलाए.

मोहरश्री की शादी में उस के पहले पति का बेटा कृष्णा बाधा बन रहा था. घर वाले चाहते थे कि वह बेटे को मायके में छोड़ दे, लेकिन मोहरश्री इस के लिए तैयार नहीं थी. उस का कहना था कि वह उसी आदमी से शादी करेगी, जो उस के बेटे को अपनाएगा. सावित्री ने बताया कि दामोदर मोहरश्री के बेटे को अपना सकता है, इसलिए सभी को उस के फोन का इंतजार था.

सावित्री ने फोन कर के बताया कि दामोदर अपनी बहन रानी के साथ सावित्री को देखने आ रहा है तो घर वालों ने तैयारी शुरू कर दी. देखासुनी के बाद मोहरश्री और दामोदर की शादी इस शर्त पर हो गई कि वह मोहरश्री के पहले पति के बेटे कृष्णा को अपना नाम देगा.

दामोदर जिला फर्रुखाबाद के थाना पाटियाली के गांव शाहपुर का रहने वाला था. उस की 2 बहनें और 2 भाई थे. दोनों भाई पंजाब में नौकरी करते थे. शादी के बाद मोहरश्री बेटे के साथ शाहपुर आ गई.  ससुराल आने पर पता चला कि दामोदर की कमाई से घर नहीं चल सकता. इसलिए उस ने दामोदर को अपने मायके असरौली चलने को कहा.

दामोदर असरौली जाने को राजी नहीं हुआ तो मोहरश्री ने फोन द्वारा सारे हालात अपने भाई चंद्रपाल को बताए तो वह खुद शाहपुर पहुंचा और सभी को असरौली ले आया. इस तरह लगभग 10 साल पहले दामोदर परिवार के साथ ससुराल आ गया था.  ससुराल आ कर वह पूरी तरह से निश्चिंत हो गया. चंद्रपाल ने भागदौड़ कर के उसे एटा रोड पर स्थित आलोक की फैक्ट्री में चौकीदारी की नौकरी दिला दी. फैक्ट्री में उसे रहने के लिए कमरा भी मिल गया था. इस तरह एक बार फिर मोहरश्री की जिंदगी ढर्रे पर आ गई.

समय के साथ मोहरश्री दामोदर के 3 बच्चों अजय, सुमित और प्रेमपाल की मां बनी. शुरूशुरू में तो दामोदर का व्यवहार कृष्णा के प्रति ठीक रहा, लेकिन जब उस के अपने 3-3 बेटे हो गए तो उस का व्यवहार एकदम से बदल गया. अब वह बातबात में कृष्णा से मारपीट करने लगा. मोहरश्री को यह बिलकुल अच्छा नहीं लगता था. उस ने देखा कि दामोदर बच्चों में भेदभाव कर रहा है तो उस ने उसे टोका. लेकिन दामोदर पर इस का कोई असर नहीं पड़ा. कृष्णा के प्रति उस की हिंसा बढ़ती ही जा रही थी.

मोहरश्री ने दामोदर से शादी जीवन को सुखी बनाने के लिए की थी. लेकिन दामोदर तनाव पैदा करने लगा था. परिवार बढ़ा तो घर में आर्थिक तंगी रहने लगी. बहन की परेशानी देख कर चंद्रपाल ने एक खेत पट्टे पर ले कर बहन को दे दिया. मोहरश्री मेहनत कर के खेत की कमाई से बच्चों को पालने लगी. उस ने बेटों को समझाया कि वे अपनी जिंदगी संवारना चाहते हैं तो मेहनत कर के पढ़ें.

दामोदर न तो अच्छा पति साबित हुआ और न अच्छा बाप. इसलिए मोहरश्री को उस से कोई उम्मीद नहीं थी. उस ने चौकीदारी वाली नौकरी भी छोड़ दी थी. अपना खर्च चलाने के लिए वह खेतों में चोरी से शराब बना कर बेचने लगा था. जब इस बात का पता मोहरश्री को चला तो वह बहुत नाराज हुई. लेकिन दामोदर पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

प्यार के लिए अपहरण – भाग 3

अजीम अहमद की इस नेकी से आसिफा बहुत प्रभावित हुई. उस ने उसे चाय पिए बगैर नहीं जाने दिया. आसिफा से उस की यह दूसरी मुलाकात थी. बातचीत में आसिफा ने बताया कि वह मोहम्मद शमीम की दूसरी बीवी है. हमजा और अयान उस की पहली बीवी के बच्चे हैं. पहली बीवी की मौत के बाद मोहम्मद शमीम ने उस से निकाह किया था. जवान बीवी को यहां अकेली छोड़ कर वह सऊदी अरब में कोई बिजनैस कर रहा है.

आसिफा ने बताया था कि ये दोनों बच्चे उस की बहन के हैं. आसिफा बेहद खूबसूरत थी. अजीम को जब पता चला कि अभी उस के बच्चे नहीं हुए हैं तो उस का झुकाव आसिफा की तरफ हो गया. वह मन ही मन उसे चाहने लगा. वक्तजरूरत के लिए दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने फोन नंबर भी दे दिए थे.

इस के बाद अजीम जबतब आसिफा से फोन पर बातें करने लगा था. किसी न किसी बहाने वह उस के घर भी जाने लगा. आसिफा से नजदीकी बढ़ाने के लिए उस ने उस के दोनों बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने की पेशकश की. आसिफा ने हामी भर दी तो वह स्कूल से छुट्टी के बाद हमजा और अयान को ट्यूशन पढ़ाने उन के घर जाने लगा. अयान पास के ही एक स्कूल में यूकेजी में पढ़ता था.

अजीम का कहना था कि घर आनेजाने से आसिफा और उस के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी थीं. आसिफा भी उस से प्यार करने लगी थी. बात आगे बढ़ी तो दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. अजीम के अनुसार दोनों ने साथ रहने की ठान ली थी. बच्चों को भी साथ रखने की बात तय हो गई थी. आसिफा से बात होने के बाद ही वह बच्चों को ले गया था. जैसे ही बच्चे कनफैक्शनरी की दुकान के नजदीक पहुंचे थे, उस ने हमजा और अयान को चीज दिलाने के बहाने बाइक पर बैठा लिया था. आसिफा को भी आना था, लेकिन बाद में उस ने आने से मना कर दिया था.

आसिफा का मना करना अजीम को अच्छा नहीं लगा. दबाव बनाने के लिए उस ने आसिफा को धमकी दी कि अगर आसिफा नहीं आएगी तो वह बच्चों को जान से मार देगा. लेकिन आसिफा उस की धमकी में नहीं आई. तब वह बच्चों को ले कर हरिद्वार के लिए रवाना हो गया. श्यामपुर के नजदीक उसे जंगल दिखाई दिया तो उस ने हमजा को वहीं खत्म करने की योजना बना डाली.

मोटरसाइकिल को सड़क के किनारे खड़ी कर के वह हमजा को जंगल में ले गया और जिस जंजीर से उस की बाइक की चाबी बंधी थी, उसी जंजीर से उस का गला घोंटने लगा. हमजा जमीन पर औंधी पड़ी थी. उस ने गले पर जंजीर के नीचे 2 अंगुलियां लगा ली थीं, जिस से उस का गला घुट नहीं सका और वह बेहोश हो कर रह गई. अजीम को लगा कि वह मर चुकी है, इसलिए वह अयान को ले कर हरिद्वार के अपने एक दोस्त के घर चला गया.

थोड़ी देर बाद हमजा को होश आया तो वह जंगल में खुद को अकेली पा कर डर के मारे रोने लगी. वह ऐसा जंगल था, जहां जंगली जानवर घूमते रहते थे. वनकर्मी भी उधर बंद गाड़ी ले कर जाते थे. लेकिन इत्तफाक से उस समय कोई जंगली जानवर उधर नहीं आया था.

संयोग से उधर कुछ वनकर्मी आए तो अकेली लड़की को देख कर वे चौंके. हमजा ने उन्हें सारी बात बताई तो वनकर्मी हमजा को थाना श्यामपुर ले गए. थानाप्रभारी चंदन सिंह ने मुरादाबाद की 11 साल की लड़की हमजा के बरामद होने की सूचना एसपी सिटी सुरजीत सिंह पंवार को दी तो उन्होंने यह खबर मुरादाबाद के एसएसपी को दे दी.

अगली सुबह यानी 26 नवंबर, 2013 को अजीम अयान को मोटरसाइकिल से ले कर निकला. वह उसे भी ठिकाने लगाना चाहता था. इस के लिए वह देहरादून की तरफ चल दिया. बच्चे को मोटरसाइकिल से अपहरण कर के ले जाने की खबर देहरादून के पुलिस कंट्रोलरूम से फ्लैश होने के बाद पूरे शहर में वाहनों की चैकिंग शुरू हो गई थी. इसलिए सुबह 9 बजे के करीब अजीम ने आईएसबीटी पुलिस चौकी के नजदीक चैकिंग होती देखी तो डर की वजह से अयान को वहीं उतार कर भाग गया. अकेले पड़ने पर अयान रोने लगा तो पुलिस उस के पास पहुंच गई, जिस से वह भी सकुशल मिल गया.

अजीम अब कहीं दूर भाग जाना चाहता था, इसलिए उस ने अपनी मोटरसाइकिल देहरादून रेलवे स्टेशन की पार्किंग में खड़ी कर दी और ट्रेन से दिल्ली में रहने वाले अपने दोस्त जुबैर के पास चला गया. जुबैर कपड़ों की सिलाई करता था. दूसरी ओर मुरादाबाद पुलिस उस के मोबाइल फोन के जरिए उस के पास पहुंचने की कोशिश कर रही थी. इस से पहले मुरादाबाद पुलिस जुबैर के पास पहुंचती, वह वहां से मांडवा में रहने वाले अपने दोस्त अनमोल के यहां चला गया. लेकिन वहां अनमोल नहीं मिला.

अजीम को पैसों की जरूरत थी. तब वह अपना सैमसंग का मोबाइल फोन 2 हजार रुपए में बेच कर बंगलुरु चला गया. इस बीच वह एसटीडी बूथ से घर वालों को फोन करता रहता था. जब उसे पता लगा कि उस के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो चुका है और पुलिस कुर्की की काररवाई कर रही है तो वह अजमेर आ गया. वह मुरादाबाद पहुंच कर पुलिस के सामने हाजिर होना चाहता था, लेकिन मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उसे अजमेर से गिरफ्तार कर लिया.

अजीम के फोन की काल डिटेल्स से पुलिस को यह भी पता चल गया था कि अजीम की आसिफा से अकसर बात होती रहती थी. कभीकभी ये बातें काफी लंबी होती थीं. पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि उन दोनों के बीच किस तरह के संबंध थे. बहरहाल, पुलिस ने अजीम उर्फ अजमल से पूछताछ कर के उसे न्यायालय में पेश कर दिया था, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार के लिए अपहरण – भाग 2

हमजा को अपनी सुपुर्दगी में ले कर पुलिस ने उस से पूछताछ की तो पता चला कि उसे और उस के भाई अयान को उन्हें ट्यूशन पढ़ाने वाला अजीम मोटरसाइकिल से ले गया था. हमजा की बातों से साफ हो गया कि बच्चों का अपहरण करने वाला कोई और नहीं, उन्हें ट्यूशन पढ़ाने वाला अजीम था.

हमजा तो सकुशल मिल गई थी, लेकिन उस का भाई अयान अभी भी अजीम के कब्जे में था. पुलिस को आसिफा से अजीम की मोटरसाइकिल का नंबर मिल गया था, इसलिए हरिद्वार पुलिस ने कंट्रोलरूम द्वारा उस की मोटरसाइकिल का नंबर फ्लैश करा कर जगहजगह बैरिकेड्स लगा कर वाहनों की चैकिंग शुरू करा दी. कोतवाली पुलिस हमजा को ले कर मुरादाबाद लौट आई. हमजा के गले व हाथ की अंगुलियों पर चोट के निशान थे, इसलिए पुलिस पहले उसे इलाज के लिए जिला चिकित्सालय ले गई. वहां से लौट कर उस से विस्तार से पूछताछ की गई.

चूंकि अयान अभी भी अजीम के कब्जे में था, इसलिए पुलिस को इस बात का डर सता रहा था कि कहीं वह उस के साथ कुछ बुरा न कर दे. मुरादाबाद पुलिस के आग्रह पर हरिद्वार पुलिस अपने स्तर से उस की तलाश कर रही थी. संभावना यह भी थी कि कहीं वह अयान को ले कर देहरादून न चला गया हो. इसलिए हरिद्वार पुलिस ने इस बात की सूचना देहरादून पुलिस को भी दे दी थी.

मामला एक मासूम की जान का था, इसलिए देहरादून पुलिस ने भी वाहनों की चैकिंग शुरू करा दी. पुलिस की इस मुस्तैदी का नतीजा यह निकला कि 25 नवंबर की सुबह यही कोई 9 बजे देहरादून की आईएसबीटी पुलिस चौकी के पास पुलिस ने एक बच्चे को बरामद किया, जिस ने अपना नाम अयान बताया. पूछताछ में उस ने बताया कि वह मुरादाबाद का रहने वाला है. बच्चा बहुत घबराया हुआ था. देहरादून के पुलिस अधिकारियों ने अयान से पूछताछ के बाद मुरादाबाद पुलिस को सूचना दे दी. इस के बाद मुरादाबाद पुलिस देहरादून पहुंची और अयान को ले आई. बेटे को सहीसलामत पा कर आसिफा सारे दुख भूल गई.

बच्चों को सकुशल बरामद कर के पुलिस का आधा काम खत्म हो चुका था. अब उसे बच्चों का अपहरण करने वाले अजीम को गिरफ्तार करना था. वह मुरादाबाद के बंगला गांव में रहता था, जबकि मूलरूप से वह बिजनौर के स्योहरा का रहने वाला था. एक पुलिस टीम स्योहरा भेजी गई तो दूसरी ने बंगला गांव वाले कमरे पर भी दबिश दी. लेकिन वह दोनों जगहों पर नहीं मिला.

पुलिस को अजीम का मोबाइल नंबर मिल गया था. उस की लोकेशन का पता किया गया तो वह दिल्ली की मिली. एक पुलिस टीम दिल्ली रवाना कर दी गई. दबाव बनाने के लिए पुलिस ने अजीम के भाई हफीज को कोतवाली में बैठा लिया था. उस से अजीम के ठिकानों के बारे में पूछताछ की जा रही थी.

अजीम को जब पता चला कि पुलिस ने उस के भाई को उठा लिया है तो उस ने 26 नवंबर की सुबह साढ़े 10 बजे आसिफा को फोन कर के अपने भाई को पुलिस से छुड़वाने के लिए कहा. इस बातचीत में आसिफा ने उसे आश्वासन दिया कि वह मुरादाबाद आ जाए. अगर वह कहेगा तो वह मुकदमा भी वापस ले लेगी.

दिल्ली पहुंची पुलिस टीम को अजीम तो नहीं मिला, लेकिन उस का मोबाइल फोन जरूर मिल गया. जिस आदमी के पास वह मोबाइल फोन मिला, उस आदमी से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि अजीम वह मोबाइल उसे बेच गया था. फोन बेच कर वह कहां गया, यह उसे पता नहीं था. पुलिस टीम दिल्ली से मुरादाबाद लौट आई. अजीम के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो चुका था. पुलिस कुर्की की तैयारी कर रही थी. इस के अलावा एसएसपी ने उस की गिरफ्तारी पर ढाई हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया था. इस तरह उसे घेरने की पूरी काररवाई कर ली गई थी.

आखिर एक मुखबिर की सूचना पर 12 दिसंबर, 2013 को पुलिस ने आरोपी अजीम को अजमेर से गिरफ्तार कर लिया. कोतवाली ला कर अजीम उर्फ अजमल से पूछताछ की गई तो बच्चों के अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह बड़ी ही दिलचस्प निकली.

अजीम अहमद उर्फ अजमल स्योहरा, बिजनौर के रहने वाले अब्दुल हमीद का बेटा था. उस के पिता और भाई सऊदी अरब में नौकरी करते थे. वह भी पढ़लिख कर कोई सरकारी नौकरी करना चाहता था. देहरादून के डीएवी कालेज से एमए करने के बाद वह नौकरी की तैयारी करने के लिए मुरादाबाद आ गया. यहां वह बंगला गांव में किराए पर रहने लगा. अपना खर्च चलाने के लिए वह मुरादाबाद के सिविललाइंस स्थित एस.एस. चिल्ड्रन एकेडमी में क्लर्क के रूप में काम करने लगा. यह करीब 5 साल पहले की बात है.

अपनी लच्छेदार बातों से वह स्कूल के प्रिंसिपल और टीचरों का प्रिय बन गया. अगर किसी वजह से स्कूल में पढ़ने वाले किसी बच्चे का रिक्शे वाला नहीं आ पाता तो वह अपनी मोटरसाइकिल से उस बच्चे को उस के घर तक छोड़ आता था. इस तरह अभिभावकों की नजरों में भी वह भलामानस बन गया था.

पिछले साल मुरादाबाद के ही रेती स्ट्रीट की रहने वाली आसिफा अपनी बेटी हमजा का छठी क्लास में दाखिला कराने के लिए एस.एस. चिल्ड्रन एकेडमी गई तो किसी वजह से वहां बेटी का एडमिशन नहीं हो रहा था. बाद में अजीम अहमद की मदद से हमजा का दाखिला उस स्कूल में हो गया. बेटी के एडमिशन के बाद आसिफा उस की अहसानमंद हो गई.

3, साढ़े 3 महीने पहले की बात है. एक दिन स्कूल की छुट्टी के बाद अजीम गेट की तरफ जा रहा था तो वहां हमजा खड़ी दिखाई दी. स्कूल के ज्यादातर बच्चे जा चुके थे. उसे अकेली देख कर अजीम ने उस से वहां खड़ी होने की वजह पूछी तो उस ने बताया कि उस का रिक्शे वाला अभी तक नहीं आया है. स्कूल का काम निपटाने के बाद अजीम मोटरसाइकिल से हमजा को ले कर उस के घर पहुंच गया.

प्यार के लिए अपहरण – भाग 1

हमजा और अयान पास की ही कनफैक्शनरी की दुकान से केक लेने गए थे. काफी देर होने के बाद भी वे घर नहीं लौटे तो मां आसिफा परेशान हो उठीं. घर से दुकान ज्यादा दूर नहीं थी. उतनी देर में बच्चों को आ जाना चाहिए था. वे कहीं खेलने तो नहीं लगे, यह सोच कर वह कनफैक्शनरी की दुकान की ओर चल पड़ी. उसे रास्ते में ही नहीं, दुकान पर भी बच्चे दिखाई नहीं दिए.

उस ने दुकानदार से बच्चों के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि उस के बच्चे तो दुकान पर आए ही नहीं थे. यह सुन कर आसिफा के पैरों तले से जमीन खिसक गई. क्योंकि बच्चे घर से शाम सवा 5 बजे निकले थे और उस समय 6 बज रहे थे. उसे बताए बगैर उस के बच्चे कहीं नहीं जाते थे. वह परेशान हो गई कि बच्चे कहां चले गए.

आसिफा के पति सऊदी अरब में थे. घर पर वह अकेली ही थी. इसलिए बच्चों के न मिलने से वह परेशान थी. उस ने बच्चों को इधरउधर गलियों में ढूंढ़ने के अलावा रिश्तेदारों और जानकारों को फोन कर के पूछा. लेकिन कहीं से भी उसे बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. यह 24 नवंबर, 2013 की बात है.

आसिफा के बच्चों के लापता होने की बात थोड़ी ही देर में मोहल्ले भर में फैल गई. हमदर्दी में सभी लोग अपनेअपने स्तर से बच्चों को इधरउधर ढूंढ़ने लगे. लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद किसी को भी पता नहीं चल सका कि दुकान तक गए बच्चे आखिर कहां चले गए. बच्चों की तलाश कर के थक हार कर आसिफा मोहल्ले के लोगों के साथ रात 8 बजे के आसपास मुरादाबाद शहर की कोतवाली जा पहुंची. क्योंकि वह रेती स्ट्रीट मोहल्ले में रहती थी और यह मोहल्ला कोतवाली के अंतर्गत आता था.

आसिफा ने बच्चों के गायब होने की बात कोतवाली प्रभारी को बताई तो उन्होंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया. दोनों बच्चों के गायब होने से आसिफा के दिल पर क्या बीत रही थी, इस बात को कोतवाली प्रभारी ने समझने के बजाए सीधा सा जवाब दे दिया कि बच्चे इधरउधर कहीं खेलने चले गए होंगे, 2-4 घंटे में खुद ही लौट आ जाएंगे.

कोतवाली प्रभारी की यह बात आसिफा को ही नहीं, उस के साथ आए लोगों को भी अच्छी नहीं लगी. लिहाजा सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आशुतोष कुमार के पास जा पहुंचे. जब उन लोगों ने 11 साल की हमजा और 6 साल के अयान के गायब होने की जानकारी उन्हें दी तो उन्होंने इस बात को गंभीरता से लिया. इस के बाद उन के आदेश पर कोतवाली में बच्चों की गुमशुदगी दर्ज कर के मामले की जांच शुरू कर दी गई.

जिस दुकान से बच्चे केक खरीदने गए थे, पुलिस उस दुकान के मालिक को पूछताछ के लिए कोतवाली ले आई. दुकानदार ने पुलिस को बताया कि वह सुबह से दुकान पर ही बैठा था, शाम तक उस के यहां कोई भी बच्चा केक खरीदने नहीं आया था.

बच्चों के पिता मोहम्मद शमीम सऊदी अरब में कोई बिजनैस करते थे, इसलिए पुलिस को इस बात की भी आशंका थी कि कहीं फिरौती के लिए तो नहीं बच्चों को उठा लिया गया. लेकिन अगर ऐसी बात होती तो अब तक फिरौती के लिए फोन आ गया होता. बच्चों की चिंता में आसिफा का रोरो कर बुरा हाल था. उस के निकट संबंधी उसे समझाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन आसिफा की चिंता कम नहीं हो रही थी.

एसएसपी आशुतोष कुमार भी कोतवाली पहुंच गए थे. वहीं पर उन्होंने एसपी सिटी महेंद्र सिंह यादव, क्षेत्राधिकारी रफीक अहमद को बुला कर कोतवाली प्रभारी के साथ मीटिंग की. रेती स्ट्रीट मोहल्ला अतिसंवेदनशील माना जाता है, इसलिए एसएसपी ने इस मामले को जल्द ही खोलने के निर्देश दिए, ताकि मोहल्ले के लोग किसी तरह का हंगामा न खड़ा करें.

क्षेत्राधिकारी रफीक अहमद ने आसिफा से किसी से दुश्मनी या रंजिश के बारे में पूछा तो उस ने कहा कि इस तरह की उस के साथ कोई बात नहीं है. घूमफिर कर पुलिस को यही लग रहा था कि बच्चों का अपहरण शायद फिरौती के लिए किया गया है. इसीलिए पुलिस ने आसिफा से भी कह दिया था कि अगर किसी का फिरौती की बाबत फोन आता है तो वह फोन करने वाले से विनम्रता से बात करेगी और इस की जानकारी पुलिस को अवश्य देगी. रात के 10 बज चुके थे. लेकिन हमजा और अयान का कुछ पता नहीं चला था. बच्चों को ले कर आसिफा के दिमाग में तरहतरह के विचार आ रहे थे, जिस से वह काफी परेशान हो रही थी.

अपहरण की आशंका की वजह से पुलिस इलाके के आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को उठाउठा कर पूछताछ करने लगी. उन से भी बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी.

24 नवंबर की रात 11 बजे के आसपास एसएसपी आशुतोष कुमार को हरिद्वार के एसपी सिटी सुरजीत सिंह पंवार द्वारा मिली सूचना से काफी राहत मिली. सुरजीत सिंह पंवार ने उन्हें बताया था कि थाना श्यामपुर के रसिया जंगल में 11 साल की एक लड़की हमजा मिली है. उस के शरीर पर कुछ चोट के निशान हैं, लेकिन वह सकुशल है. पूछताछ में उस ने बताया है कि वह मुरादाबाद के मोहल्ला रेती स्ट्रीट की रहने वाली है.

एसएसपी ने यह खबर आसिफा को दी तो वह घर वालों के साथ कोतवाली पहुंच गई. हमजा हरिद्वार कैसे पहुंची, यह बात उस से बात कर के ही पता चल सकती थी. कोतवाली पुलिस रात में ही हरिद्वार के लिए रवाना हो गई और रात दो, ढाई बजे थाना श्यामपुर पहुंच गई.