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लुटापिटा भूपेंद्र बुझे मन से अपनी कार ले कर घर आ गया. गाड़ी की आरसी, एटीएम कार्ड, नगदी और आभूषण लुटेरों ने छीन लिए थे. भूपेंद्र को गुमसुम देख कर घर वालों ने उस से पूछा भी. लेकिन तबीयत खराब होने का बहाना बना कर वह बात टाल गया. जब अगली सुबह उस के बड़े भाई ने पास बैठा कर उस से परेशानी की वजह पूछी तो उस ने उन से पूरी बात बता दी.

सलाहमशविरा कर के दोनों भाई उसी समय हनुमानगढ़ के लिए रवाना हो गए. 10 दिसंबर की दोपहर थाना हनुमानगढ़ के थानाप्रभारी भंवरलाल को भूपेंद्र ने अपनी व्यथा बताई. मामला गंभीर था, लेकिन थानाप्रभारी को लग रहा था कि इस मामले में अभियुक्त शीघ्र ही पकड़ लिए जाएंगे. थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच एएसआई बलवंतराम को सौंप दी. बलवंतराम ने उसी समय भूपेंद्र से सपना को रुपयों की व्यवस्था हो जाने का फोन करवा दिया. सपना ने आधे घंटे में अबोहर रोड पर जहां भूपेंद्र के साथ घटना घटी थी, पहुंचने को कहा.

भूपेंद्र अपनी कार से वहां पहुंच गया. एएसआई बलवंतराम भी पुलिस टीम के साथ प्राइवेट वाहन से बिना वर्दी के वहां पहुंच कर थोड़ी दूर खड़े हो गए थे. कुछ देर बाद भूपेंद्र के पास एक कार आ कर रुकी. उस में से 3 लोग उतरे और पैसे लेने के लिए भूपेंद्र के पास पहुंच गए. भूपेंद्र का इशारा पाते ही पुलिसकर्मियों ने तीनों को घेर कर पकड़ लिया. तीनों के नाम थे असलम, तुफैल मोहम्मद और गुरप्रीत सिंह उर्फ गोगी.

इस के बाद भूपेंद्र की तहरीर पर पुलिस ने सपना, असलम, तुफैल मोहम्मद और गुरप्रीत सिंह उर्फ गोगी के खिलाफ भादंवि की धारा 342, 385, 382, 323 व 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. लेकिन सपना पुलिस के हाथ नहीं लगी थी. शायद उसे अपने साथियों के पकड़े जाने की खबर लग गई थी, इसलिए वह फरार हो गई थी. गिरफ्तार तीनों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया गया, जहां से विस्तृत पूछताछ और माल बरामद करने के लिए उन की 2 दिनों की रिमांड की मांग की गई.

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