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एएसआई गुलाब को कैंसर जैसी भयानक बीमारी की नकली दवाएं बना कर पैसा कमाने वालों पर उस दिन बेहद गुस्सा आया. लोगों को नकली दवाएं उपलब्ध करा कर झूठी उम्मीदें बेचने वाले जरूर ये काम बड़़े पैमाने पर करते होंगे. उन्होंने सोचा कि क्यों न इस गंभीर अपराध को अंजाम देने वालों को उन के अंजाम तक पहुंचाया जाए.

बस यही सोच कर एएसआई गुलाब सिंह ने अपने परिचित से जानकारी लेने के बाद इस पूरे मामले की जानकारी अपने स्तर से एकत्र करनी शुरू कर दी. मसलन परिचित का रिश्तेदार भारी छूट की दवाएं कहां से मंगवाता था. उस बंदे को दवाएं कहां से मिलती थीं. कभीकभी एक खास कुरियर कंपनी से भी दवा आती थी.

करीब डेढ़ महीने तक गुलाब पूरी जानकारी एकत्र करता रहा. उस के पास जब इतनी जानकारी एकत्र हो गई कि इस गिरोह को पकड़ा जा सके तो उस की समझ में आ गया कि यह एक बड़ा गैंग है, जिसे पकड़ने के लिए एक बड़ी टीम की जरूरत पड़ेगी.

लिहाजा एएसआई गुलाब ने अपने इंसपेक्टर सतेंद्र मोहन और एसीपी रमेशचंद्र लांबा को इस पूरे मामले की जानकारी दी. मामला वाकई गंभीर था, इसलिए उन्होंने क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल को सारी बात बता कर आवश्यक दिशानिर्देश मांगे.

डीसीपी अमित गोयल ने क्राइम ब्रांच के स्पैशल कमिश्नर रविंद्र सिंह यादव से सलाहमशविरा करने के बाद एसीपी लांबा को मामले का खुलासा करने के लिए एक बड़ी टीम गठित करने का निर्देश दिया. साथ ही ये हिदायत भी दी कि काररवाई एक साथ इतनी तेजी से हो कि किसी भी अपराधी को भागने का मौका न मिले.

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